जानें क्यों मनाया जाता है World Asteroid Day?

हर वर्ष 30 जून को विश्व क्षुद्रग्रह दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य पृथ्वी के निकट आने वाले खगोलीय पिंडों (NEOs), विशेष रूप से क्षुद्रग्रहों से उत्पन्न संभावित खतरों के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है। दिसंबर 2016 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक रूप से इस दिन को मान्यता दी थी।

तुंगुस्का घटना: प्रकृति की चेतावनी

30 जून, 1908 को रूस के साइबेरिया क्षेत्र में एक विशाल क्षुद्रग्रह (50–60 मीटर आकार का) वायुमंडल में फट गया।

  • विस्फोट की शक्ति हिरोशिमा परमाणु बम से 185 गुना अधिक थी।

  • लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर के जंगल नष्ट हो गए।

  • यह इतिहास की सबसे बड़ी क्षुद्रग्रह विस्फोट घटना मानी जाती है।

  • पहली वैज्ञानिक जांच 1927 में हुई, 19 साल बाद।

विश्व क्षुद्रग्रह दिवस की शुरुआत

  • वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 30 जून को अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस घोषित किया।

  • यह प्रस्ताव एसोसिएशन ऑफ स्पेस एक्सप्लोरर्स द्वारा दिया गया था।

  • उद्देश्य:

    • क्षुद्रग्रहों के खतरे के प्रति जागरूकता

    • क्षुद्रग्रह निगरानी और विक्षेपण (deflection) के लिए वैश्विक सहयोग बढ़ाना

पहला खोजा गया क्षुद्रग्रह

  • 1801 में इतालवी खगोलविद ज्यूसेप्पे पियाज़ी ने Ceres नामक क्षुद्रग्रह की खोज की।

  • इसे पहले एक ग्रह समझा गया था।

  • Ceres अब भी मंगल और बृहस्पति के बीच क्षुद्रग्रह पट्टी का सबसे बड़ा पिंड है।

इतिहास की प्रमुख क्षुद्रग्रह घटनाएं

  • चेल्याबिंस्क, रूस (2013): वायुमंडल में विस्फोट, 1,600 लोग घायल

  • चिक्सुलब प्रभाव (66 मिलियन वर्ष पूर्व): डायनासोर के विलुप्त होने का कारण

  • मेटिओर क्रेटर, एरिज़ोना: 1.2 किमी चौड़ा गड्ढा (50,000 वर्ष पूर्व)

  • 2008 TC3 (सूडान, 2008): टकराव से पहले पहचान गया पहला क्षुद्रग्रह

  • सुलावेसी, इंडोनेशिया (2009): आकाश में विस्फोट, 50,000 टन TNT जितनी ऊर्जा

क्यों महत्वपूर्ण हैं क्षुद्रग्रह?

  • ये सौरमंडल के प्रारंभिक समय के अवशेष हैं।

  • जीवन की उत्पत्ति और ग्रहों की संरचना को समझने में मदद करते हैं।

  • कुछ NEOs पृथ्वी की कक्षा को पार करते हैं — यदि अनदेखे रह जाएं, तो विनाशकारी हो सकते हैं।

DART मिशन: ग्रह सुरक्षा की दिशा में मील का पत्थर

  • 2022 में NASA ने DART मिशन लॉन्च किया, जिसने एक क्षुद्रग्रह से टकराकर उसकी दिशा बदली।

  • यह पहली सफल कोशिश थी जिससे साबित हुआ कि क्षुद्रग्रह का रास्ता बदला जा सकता है।

2029: अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह जागरूकता वर्ष

  • संयुक्त राष्ट्र ने 2029 को अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह जागरूकता और ग्रह सुरक्षा वर्ष घोषित किया है।

  • इस वर्ष 99942 अपोफिस नामक क्षुद्रग्रह पृथ्वी से सिर्फ 32,000 किमी की दूरी से गुजरेगा — कुछ उपग्रहों से भी पास।

  • यह 340 मीटर बड़ा है और यूरोप, अफ्रीका, पश्चिम एशिया में खाली आंखों से दिखाई देगा

वस्तु एवं सेवा कर दिवस 2025: इतिहास और महत्व

हर वर्ष 1 जुलाई को भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) दिवस मनाया जाता है, जो देश के सबसे बड़े आर्थिक सुधारों में से एक की शुरुआत की याद दिलाता है। 1 जुलाई 2017 को लागू किए गए GST ने कई अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर एक एकीकृत कर प्रणाली के रूप में पूरे भारतीय बाजार को एक सूत्र में बांध दिया। इस प्रणाली के माध्यम से ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की अवधारणा को साकार किया गया। GST दिवस की शुरुआत 2018 में इसकी पहली वर्षगांठ के रूप में की गई थी, और तब से यह दिन भारत की कर प्रणाली में पारदर्शिता, सरलता और एकरूपता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

GST क्या है?

वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक व्यापक और गंतव्य-आधारित अप्रत्यक्ष कर है, जो वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। यह एक ऐसा एकल कर है जो पूरी आपूर्ति श्रृंखला में लागू होता है — निर्माता से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक — और प्रत्येक चरण पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा प्रदान करता है।

इसका अर्थ है कि GST वास्तव में केवल मूल्य वर्धन (value addition) पर कर है, क्योंकि व्यवसाय अपने खरीदे गए इनपुट्स पर चुकाए गए टैक्स का क्रेडिट ले सकते हैं। अंततः यह कर केवल उपभोक्ता पर लागू होता है, जिसे आपूर्ति श्रृंखला के अंतिम विक्रेता द्वारा वसूला जाता है। चूंकि यह उपभोग आधारित कर है, इसलिए GST से प्राप्त राजस्व उस राज्य को मिलता है जहां वस्तु या सेवा का वास्तविक उपभोग होता है।

भारत में GST का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

GST (वस्तु एवं सेवा कर) की अवधारणा पहली बार वर्ष 2000 में सामने आई थी, जब उस समय के प्रधानमंत्री के तहत एक समिति का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य GST मॉडल का मसौदा तैयार करना था। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत की जटिल और बहु-स्तरीय कर प्रणाली को सरल बनाना था, जो देश की आर्थिक क्षमता को बाधित कर रही थी। GST लागू करने का विचार इस विश्वास पर आधारित था कि एक एकीकृत कर व्यवस्था से न केवल कर संग्रहण में पारदर्शिता आएगी, बल्कि व्यापार और निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।

GST का विकास क्रम 

  • 2000: GST ढांचे का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया।

  • 2006: तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट भाषण में पहली बार GST लागू करने का प्रस्ताव रखा।

  • 2009: GST पर पहला परिचर्चा पत्र (Discussion Paper) जारी किया गया।

  • 2011: संविधान (115वां संशोधन) विधेयक संसद में पेश किया गया।

  • 2014: संविधान (122वां संशोधन) विधेयक पुनः पेश किया गया और 2015 में पारित हुआ।

  • अगस्त 2016: संसद ने संविधान (101वां संशोधन) अधिनियम पारित किया, जिससे GST लागू करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

  • सितंबर 2016: GST परिषद (GST Council) का गठन किया गया।

  • मई 2017: GST परिषद ने GST से संबंधित नियमों और कर दरों को अंतिम रूप दिया।

  • 1 जुलाई 2017: GST पूरे भारत में आधिकारिक रूप से लागू किया गया।

  • 1 जुलाई 2018: पहली बार “GST दिवस” मनाया गया।

GST की प्रमुख विशेषताएँ

  1. एक देश, एक कर (One Nation, One Tax):
    GST ने केंद्रीय एवं राज्य स्तर पर लगने वाले कई अप्रत्यक्ष करों जैसे उत्पाद शुल्क (Excise Duty), सेवा कर (Service Tax), मूल्य वर्धित कर (VAT), प्रवेश कर (Entry Tax) आदि को समाप्त कर दिया। इससे करों के दोहराव (Cascading Effect) से मुक्ति मिली और पूरे भारत में एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बना।

  2. द्वि-स्तरीय GST मॉडल (Dual GST Model):
    भारत में GST एक द्वि-स्तरीय प्रणाली है:

    • CGST (Central GST): केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है।

    • SGST (State GST): संबंधित राज्य सरकार द्वारा वसूला जाता है।

    • IGST (Integrated GST): दो राज्यों के बीच होने वाले लेन-देन पर लगाया जाता है और इसे केंद्र एकत्र करता है, फिर राज्यों में बाँटता है।

  3. गंतव्य आधारित कर प्रणाली (Destination-Based Taxation):
    GST उस राज्य को प्राप्त होता है जहाँ वस्तु या सेवा का उपभोग होता है, न कि जहाँ वह उत्पादित होती है। इससे उपभोग राज्य को राजस्व प्राप्त होता है।

  4. इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit – ITC):
    GST की एक प्रमुख विशेषता है कि व्यवसाय अपने इनपुट पर दिए गए कर का क्रेडिट ले सकते हैं। इससे कर का कुल बोझ घटता है और टैक्स ऑन टैक्स की समस्या समाप्त होती है।

  5. सीमा छूट एवं संरचना योजना (Threshold Exemption & Composition Scheme):
    छोटे कारोबारियों को एक निर्धारित सीमा (₹20 लाख / ₹40 लाख तक) तक GST से छूट मिलती है।
    ₹1.5 करोड़ से कम वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारी ‘संरचना योजना’ (Composition Scheme) के अंतर्गत एक निश्चित दर से कर देकर सरल अनुपालन कर सकते हैं।

  6. ऑनलाइन अनुपालन प्रणाली (Online Compliance via GSTN):
    पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करना, कर भुगतान आदि सभी कार्य GST नेटवर्क (GSTN) के माध्यम से ऑनलाइन होते हैं, जिससे पारदर्शिता और सुविधा बढ़ती है।

  7. मुनाफाखोरी विरोधी उपाय (Anti-Profiteering Measures):
    उपभोक्ताओं तक कम कर दरों का लाभ पहुँचाने के लिए ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ (NAA) की स्थापना की गई है, जो अनुचित लाभार्जन की निगरानी करता है।

  8. पारदर्शिता और बढ़ा अनुपालन (Transparency and Increased Compliance):
    GST प्रणाली में पैन (PAN) और आधार से लिंकिंग तथा डिजिटल रिकॉर्ड्स के माध्यम से कर चोरी पर रोक लगी है और जवाबदेही बढ़ी है।

  9. विशेष क्षेत्रों को छूट (Sector-Specific Exemptions):
    स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा जैसे आवश्यक क्षेत्रों को पूरी तरह से या आंशिक रूप से GST से छूट दी गई है ताकि ये सेवाएँ सस्ती बनी रहें।

  10. केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व संतुलन (Account Settlement Between Centre and States):
    केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व का संतुलन बनाए रखने के लिए मुआवजा और क्रेडिट ट्रांसफर की व्यवस्था की गई है, जिससे संघीय ढांचे को मजबूती मिलती है।

GST दर संरचना (2025 तक की स्थिति – हिंदी में):

भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को पाँच प्रमुख स्लैब्स में विभाजित किया गया है:

  1. 0% (शून्य कर दर):

    • आवश्यक वस्तुओं पर लागू

    • जैसे: ताजे फल, सब्जियाँ, अनाज, दूध आदि

  2. 5% (न्यूनतम कर दर):

    • आम जन उपभोग की वस्तुओं पर

    • जैसे: चीनी, चाय, कॉफी (ब्रांडेड नहीं), घरेलू उपयोग की दवाइयाँ आदि

  3. 12% और 18% (मध्यम कर दर):

    • अधिकांश वस्तुएँ और सेवाएँ इन श्रेणियों में आती हैं

    • जैसे: वस्त्र, घरेलू उपकरण, रेस्तरां सेवाएँ, मोबाइल फोन, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ आदि

  4. 28% (उच्चतम कर दर):

    • विलासिता की वस्तुएँ और हानिकारक वस्तुएँ (Demerit goods)

    • जैसे: एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, ऑटोमोबाइल्स, पेंट्स, सीमेंट आदि

  5. मुआवजा उपकर (Compensation Cess):

    • पापवस्तुओं (Sin goods) पर अतिरिक्त कर

    • जैसे: तंबाकू उत्पाद, एरेटेड ड्रिंक्स (कोल्ड ड्रिंक्स), लक्ज़री कारें

    • इसका उपयोग राज्यों को GST लागू होने से हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है।

सरकार वर्तमान में वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था को और अधिक सरल और पारदर्शी बनाने के लिए तीन-दर संरचना (Three-Rate Structure) की दिशा में कार्य कर रही है। प्रस्तावित योजना के तहत मौजूदा पाँच कर स्लैब्स (0%, 5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर तीन प्रमुख कर दरों में समायोजित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य कर प्रणाली को अधिक सुगम बनाना, अनुपालन की जटिलता को कम करना, और करदाताओं के लिए स्पष्टता सुनिश्चित करना है। इससे कर संग्रहण में पारदर्शिता बढ़ेगी, कर विवादों की संभावना घटेगी और कारोबारियों को योजना बनाने में सहूलियत मिलेगी। यह प्रस्ताव निकट भविष्य में GST प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा जा रहा है।

जीएसटी राजस्व के आधार पर शीर्ष 10 राज्य (अप्रैल 2025)

अप्रैल 2025 में भारत के वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रहण ने अब तक का सर्वोच्च स्तर छूते हुए ₹2.37 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.6% की वृद्धि दर्शाता है। नीचे अप्रैल 2025 में सर्वाधिक GST संग्रह करने वाले शीर्ष 10 राज्यों की सूची दी गई है:

रैंक राज्य GST संग्रहण (करोड़ में)
1 महाराष्ट्र 41,645
2 कर्नाटक 17,815
3 गुजरात 14,970
4 हरियाणा 14,057
5 तमिलनाडु 13,831
6 उत्तर प्रदेश 13,600
7 पश्चिम बंगाल 8,188
8 तेलंगाना 6,983
9 राजस्थान 6,228
10 आंध्र प्रदेश 4,686

GST का महत्व 

वस्तु एवं सेवा कर (GST) की शुरुआत ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव डाला है। इसने कर व्यवस्था को सरल बनाया, कारोबार को बढ़ावा दिया और कराधान प्रणाली को एकीकृत किया।

MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) क्षेत्र पर प्रभाव

  • कर प्रणाली को सरल बनाकर अनुपालन आसान हुआ।

  • अधिक व्यवसायों का औपचारिक क्षेत्र में आना सुनिश्चित हुआ।

  • अंतरराज्यीय व्यापार व परिवहन की प्रक्रिया सरल हुई।

  • MSMEs को वित्त और पूंजी तक पहुंच में सुविधा मिली।

उपभोक्ताओं पर प्रभाव

  • औसत कर भार में कमी आई।

  • अनाज, चीनी, खाद्य तेल, स्नैक्स आदि दैनिक वस्तुओं की कीमतें घटीं।

  • मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता बढ़ी।

  • मासिक घरेलू खर्च में अनुमानित 4% की बचत हुई।

लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर प्रभाव

  • चेक-पोस्ट हटने से यात्रा समय में कमी आई।

  • गोदाम संचालन और आपूर्ति श्रृंखला अधिक सुव्यवस्थित हुई।

  • क्षेत्र में निवेश और आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिला।

GST: एक निरंतर विकसित होती सुधार प्रक्रिया

GST ने भारतीय कर प्रणाली को क्रांतिकारी रूप से बदला है, फिर भी यह सुधार की यात्रा में है। दरों के सरलीकरण, डिजिटल बुनियादी ढांचे के सशक्तिकरण और अनुपालन प्रणाली को सुलभ बनाने की दिशा में केंद्र सरकार और GST परिषद लगातार कार्यरत हैं, जिससे यह प्रणाली और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और समावेशी बन सके।

SBI 70 साल का हुआ: भारत की आर्थिक प्रगति का प्रतिबिंब

देश का सबसे पुराना कमर्शियल बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, आज 1 जुलाई को 70 वर्ष का हो गया है। इस दिन को एसबीआई शाखाओं में SBI Celebration day के रूप में मनाया जाता है। एसबीआई की जड़ें बैंक आफ कलकत्ता से जुड़ी हैं, जिसकी स्थापना 1806 में हुई थी और बाद में बैंक आफ मद्रास और बैंक आफ बॉम्बे के साथ इसका विलय करके इंपीरियल बैंक आफ इंडिया बना, जो अंततः 1955 में एसबीआई बन गया।

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 1 जुलाई 2025 को अपनी स्थापना के 70 वर्ष पूरे किए। यह दिन भारत की आर्थिक यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है। केवल एक बैंक नहीं, SBI भारत के विकास का एक ऐसा स्तंभ है जिसने गांवों के किसानों से लेकर अंतरराष्ट्रीय कंपनियों तक को वित्तीय सहयोग प्रदान किया है।

इतिहास: प्रेसिडेंसी बैंकों से SBI तक का 200 सालों का सफर

  • 1806: बैंक ऑफ कोलकाता की स्थापना (बाद में बैंक ऑफ बंगाल)

  • 1840: बैंक ऑफ बॉम्बे

  • 1843: बैंक ऑफ मद्रास
    इन तीनों को मिलाकर 1921 में इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया बना।

  • 1 जुलाई 1955: भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीयकृत कर भारतीय स्टेट बैंक के रूप में स्थापित किया।
    यह निर्णय पहली पंचवर्षीय योजना के ग्रामीण विकास एजेंडे का हिस्सा था।

ग्रामीण भारत तक पहुंच: SBI की समावेशी रणनीति

  • 1959 में आठ एसोसिएट बैंकों को जोड़ा गया, जिससे अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में SBI की पकड़ मजबूत हुई।

  • बाद में, बिहार बैंक, नेशनल बैंक ऑफ लाहौर, और कोचीन बैंक जैसे अन्य बैंकों का भी विलय हुआ।

  • 2017: SBI ने अपनी अंतिम पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक को भी मिला लिया – यह भारत का सबसे बड़ा बैंकिंग समेकन (merger) बना।

SBI आज: एक वैश्विक वित्तीय महाशक्ति

  • मुख्यालय: मुंबई

  • कुल परिसंपत्तियाँ: ₹61 लाख करोड़ (अक्टूबर 2024 तक)

  • ग्राहक: 50 करोड़+

  • शाखाएँ: 22,500+

  • एटीएम: 63,580

  • बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट आउटलेट्स: लगभग 83,000

  • अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति: 29 देशों में 241 कार्यालय

वित्त वर्ष 2024–25: रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन

  • शुद्ध लाभ: ₹70,901 करोड़ (FY24 की तुलना में 16% वृद्धि)

  • ऑपरेटिंग प्रॉफिट: ₹1.10 लाख करोड़ – पहली बार ₹1 लाख करोड़ का आंकड़ा पार किया।
    यह SBI की मजबूत वित्तीय रणनीति और संचालन की दक्षता का प्रमाण है।

शेयर बाजार में SBI की यात्रा: विश्वास और स्थायित्व

  • 1997 में SBI ने शेयर बाजार में प्रवेश किया।

  • इसके शेयरों ने भारत की अर्थव्यवस्था के साथ उतार-चढ़ाव देखा लेकिन मजबूत प्रदर्शन बरकरार रखा।

  • SBI एक विविध वित्तीय समूह (conglomerate) बन चुका है:

    • SBI लाइफ इंश्योरेंस

    • SBI जनरल इंश्योरेंस

    • SBI म्यूचुअल फंड

    • SBI कार्ड

नवाचार में अग्रणी: YONO और डिजिटल बदलाव

  • YONO (You Only Need One): SBI का मोबाइल बैंकिंग प्लेटफॉर्म जिसने डिजिटल बैंकिंग को आम आदमी तक पहुंचाया।

  • बैंक ने स्टार्टअप्स, फिनटेक साझेदारियों, और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देकर खुद को तकनीकी रूप से प्रासंगिक बनाए रखा है।

SBI: भारत के विकास में भागीदार

  • किसान क्रेडिट कार्ड हो या MSME ऋण,

  • डिजिटल भुगतान हो या विदेशों में भारतीय प्रवासियों की मदद—
    SBI हर वर्ग के साथ खड़ा रहा है, भारत की आर्थिक रीढ़ बनकर।

राष्ट्रीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स दिवस 2025

हर वर्ष 1 जुलाई को चार्टर्ड अकाउंटेंट्स दिवस (CA Day) मनाया जाता है। यह दिन भारत की वित्तीय व्यवस्था और व्यापारिक समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) की स्थापना (1 जुलाई 1949) की स्मृति में मनाया जाता है। यह दिवस उन चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के योगदान का सम्मान करता है जो वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: रजिस्टर्ड अकाउंटेंट से ICAI तक

  • स्वतंत्रता से पहले भारत में लेखा परीक्षा का कार्य बिना किसी औपचारिक नियामक संस्था के किया जाता था।

  • ब्रिटिश शासनकाल में “Indian Companies Act” के तहत सरकार द्वारा एक “रजिस्टर ऑफ अकाउंटेंट्स” रखा जाता था और इन व्यक्तियों को Registered Accountants कहा जाता था।

  • लेकिन पेशे में एकरूपता और नैतिक आचरण सुनिश्चित करने हेतु किसी मानक संस्था का अभाव था।

  • 1948 में एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अधिनियम, 1949 पारित हुआ, जिसके फलस्वरूप ICAI की स्थापना 1 जुलाई 1949 को हुई।

ICAI: भारत की वित्तीय प्रणाली की रीढ़

  • ICAI, भारत सरकार के कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक निकाय है।

  • यह न केवल भारत की सबसे पुरानी बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्था है।

  • ICAI के अंतर्गत एक कठिन शिक्षा और परीक्षा प्रणाली है, जो तकनीकी दक्षता और नैतिकता पर विशेष बल देती है।

  • यह संस्था सरकार को सलाह, लेखा मानकों का निर्धारण, और पेशेवर उत्कृष्टता को बढ़ावा देने का कार्य करती है।

भारत की अर्थव्यवस्था में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की भूमिका

वित्तीय पारदर्शिता और विश्वास निर्माण

  • CA पारदर्शी लेखा परीक्षण के माध्यम से निवेशकों और सार्वजनिक हितधारकों में विश्वास पैदा करते हैं।

कर व्यवस्था में सहयोग

  • जटिल कर कानूनों की समझ से ये व्यवसायों को टैक्स अनुपालन में मदद करते हैं और राष्ट्रीय राजस्व में योगदान करते हैं।

स्टार्टअप और कारोबार वृद्धि में मार्गदर्शन

  • व्यवसायिक ढांचा, नियामकीय अनुपालन, और वित्तीय योजना में सहयोग कर उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देते हैं।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा में योगदान

  • विदेशी निवेश आकर्षित करने, क्रॉस-बॉर्डर साझेदारी और अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन कराने में सहायक।

रोजगार सृजन में सहयोग

  • पेशे से जुड़े प्रशिक्षण, कोचिंग संस्थानों और फर्मों के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा करते हैं।

एक CA की मुख्य जिम्मेदारियां

  • ऑडिटिंग: वित्तीय विवरणों की सटीकता सुनिश्चित करना

  • कर नियोजन एवं अनुपालन

  • वित्तीय योजना और जोखिम प्रबंधन

  • कॉर्पोरेट सलाहकार सेवाएं (विलय, अधिग्रहण, मूल्यांकन आदि)

  • विधिक और नियामकीय अनुपालन सुनिश्चित करना

चार्टर्ड अकाउंटेंट्स दिवस का महत्व

  • यह दिन चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की निष्ठा, परिश्रम और जिम्मेदारी को सम्मानित करता है।

  • यह निरंतर व्यावसायिक विकास, नैतिकता और तकनीकी उन्नति की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

  • डिजिटल युग में, जब डेटा-आधारित निर्णय और नियामकीय अनुपालन सर्वोपरि हैं, CA की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

Ladakh में पहला एस्ट्रो Festival, विज्ञान और चमत्कार का मिलेगा अनूठा अनुभव

लद्दाख ने विज्ञान आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। हाल ही में लेह में आयोजित पहले “एस्ट्रो टूरिज्म फेस्टिवल” का सफल समापन हुआ। यह दो दिवसीय आयोजन लद्दाख पर्यटन विभाग और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA), बेंगलुरु के सहयोग से किया गया, जिसका उद्देश्य लद्दाख को खगोल पर्यटन (Astro Tourism) के प्रमुख गंतव्यों में शामिल करना है।

समाचार में क्यों?

भारत में विज्ञान आधारित और टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत, लद्दाख में पहला एस्ट्रो टूरिज्म फेस्टिवल आयोजित किया गया। इस आयोजन ने लद्दाख की भौगोलिक विशेषताओं — जैसे उच्च ऊँचाई, शुष्क मौसम और न्यूनतम प्रकाश प्रदूषण — का उपयोग कर इसे खगोल पर्यटन के लिए आदर्श स्थल के रूप में प्रस्तुत किया।

प्रमुख विशेषताएं

अवधि:

2-दिवसीय आयोजन | स्थान: लेह, लद्दाख

आयोजक संस्थाएं:

  • लद्दाख पर्यटन विभाग

  • भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA), बेंगलुरु

  • सहयोग: कश्मीर विश्वविद्यालय और ISRO वैज्ञानिकों का

प्रमुख स्थल:

  • लेह विश्वविद्यालय परिसर: रात्रि आकाश अवलोकन

  • हनले डार्क स्काई रिज़र्व: भारत का पहला डार्क स्काई रिज़र्व (2022 में घोषित)

रात्रि आकाश अवलोकन सत्र

  • टेलीस्कोप की सहायता से

    • तारामंडल 

    • ग्रहों की स्थिति 

    • दूरस्थ आकाशीय पिंडों (Deep-sky objects) जैसे आकाशगंगाएं और नीहारिकाएं देखी गईं।

विशेषज्ञ सत्र

  • ISRO के वैज्ञानिकों द्वारा खगोल विज्ञान पर व्याख्यान

  • भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के शोधकर्ता

  • कश्मीर विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों द्वारा संवादात्मक चर्चाएं

उद्देश्य

  • लद्दाख को भारत के एस्ट्रो टूरिज्म हब के रूप में विकसित करना

  • आम जनता और पर्यटकों को खगोल विज्ञान व अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति जागरूक करना

  • स्थानीय विकास योजनाओं में विज्ञान आधारित पर्यटन को शामिल करना

  • लद्दाख की प्राकृतिक विशेषताओं का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उपयोग करना

पृष्ठभूमि

  • हनले डार्क स्काई रिज़र्व विश्व के उच्चतम और साफ-सुथरे खगोल अवलोकन स्थलों में से एक है।

  • भारतीय खगोल वेधशाला, हनले में ऑप्टिकल, इंफ्रारेड और गामा-रे टेलीस्कोप स्थापित हैं।

महत्त्व और प्रभाव

  • स्थायी पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

  • युवाओं और पर्यटकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास

  • वैश्विक एस्ट्रो टूरिज्म ट्रेंड्स के अनुरूप भारत की भागीदारी

  • लद्दाख को बहुआयामी पर्यटन स्थल के रूप में सुदृढ़ बनाना

भारत में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 78% की कमी आई

भारत ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। UN इंटर-एजेंसी ग्रुप फॉर चाइल्ड मोर्टैलिटी एस्टीमेशन (UN IGME) की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 78% की गिरावट दर्ज की गई है, जो कि वैश्विक औसत (61%) से कहीं अधिक है। साथ ही, नवजात मृत्यु दर (Neonatal Mortality Rate) में भी 70% की गिरावट देखी गई है।

समाचार में क्यों?

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब वैश्विक विशेषज्ञ कोविड-19 महामारी के बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों की समीक्षा कर रहे हैं। भारत की सफलता सांख्यिकीय उपलब्धि के साथ-साथ समानता आधारित टीकाकरण के एक वैश्विक मॉडल के रूप में भी उभरी है।

प्रमुख उपलब्धियां

  • 78% की गिरावट पांच वर्ष से कम उम्र की मृत्यु दर में (वैश्विक औसत: 61%)

  • 70% की गिरावट नवजात मृत्यु दर में (वैश्विक औसत: 54%)

  • शून्य-खुराक बच्चों (Zero-dose Children – जिन्हें कोई टीका नहीं मिला) की संख्या 2023 में 0.11% से घटकर 2024 में 0.06% हुई।

सफलता के पीछे प्रमुख कारण

सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Programme – UIP)

  • शुरुआत: 1985

  • हर साल टीकाकरण लाभार्थी:

    • 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाएं

    • 2.6 करोड़ शिशु

  • 12 बीमारियों के खिलाफ निःशुल्क टीके – पोलियो, खसरा, हेपेटाइटिस-बी आदि।

मिशन इंद्रधनुष और इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष

  • दूरदराज़ और वंचित इलाकों तक टीकाकरण पहुंचाने के लिए विशेष अभियान।

  • समुदाय आधारित जागरूकता से टीकों में भरोसा बढ़ाया गया।

प्रमुख उद्देश्य

  • शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम करना

  • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) के लक्ष्य को पाना

  • सामाजिक न्याय और स्वास्थ्य समानता को सुनिश्चित करना

  • जनमानस में टीकों के प्रति विश्वास बढ़ाना

पृष्ठभूमि और स्थैतिक तथ्य

  • UN IGME: यूनिसेफ, WHO, वर्ल्ड बैंक और UN-DESA का संयुक्त मंच।

  • नवजात मृत्यु दर: जन्म के 28 दिनों के भीतर शिशुओं की मृत्यु।

  • पांच वर्ष से कम उम्र की मृत्यु दर: पांच साल से कम आयु में बच्चों की मृत्यु।

महत्त्व और वैश्विक प्रभाव

  • भारत का प्रदर्शन निम्न व मध्यम आय वाले देशों के लिए एक प्रेरणास्रोत मॉडल है।

  • यह उपलब्धि भारत की वैश्विक दक्षिण (Global South) में एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य नेतृत्व की स्थिति को भी दर्शाती है।

  • यह संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 3 (SDG-3)“सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करना” – की दिशा में बड़ा योगदान है।

रेलवे का बड़ा फैसला, 1 जुलाई से बदल जाएंगे टिकट बुकिंग से जुड़े ये 5 बड़े नियम

भारतीय रेलवे ने यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने और आरक्षण प्रणाली को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से एक व्यापक सुधार योजना की घोषणा की है। इन सुधारों को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, जिससे टिकट बुकिंग से लेकर यात्रा तक की प्रक्रिया सरल, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बन सके।

चार्ट तैयार करने का नया नियम: अब प्रतीक्षा सूची की स्थिति पहले से स्पष्ट

पुरानी व्यवस्था:

  • आरक्षण चार्ट आमतौर पर ट्रेन प्रस्थान से 4 घंटे पहले तैयार किया जाता था।

  • इससे प्रतीक्षा सूची वाले यात्रियों को अंतिम क्षण तक असमंजस बना रहता था, विशेषकर उन यात्रियों के लिए जो दूर-दराज से स्टेशन आते हैं।

नई व्यवस्था:

  • अब रेलवे ने चार्टिंग के लिए समय सीमा 8 घंटे पूर्व तय करने का निर्णय लिया है:

    • 2 बजे के बाद रवाना होने वाली ट्रेनों के लिए चार्ट उसी दिन 8 घंटे पहले तैयार होगा।

    • 2 बजे से पहले रवाना होने वाली ट्रेनों के लिए चार्ट पिछली रात 9 बजे तैयार कर लिया जाएगा।

लाभ:

  • प्रतीक्षा सूची की स्थिति पहले से पता चलेगी।

  • वैकल्पिक व्यवस्था करने का समय मिलेगा।

  • दूर-दराज से यात्रा करने वालों को सुविधा होगी।

  • यात्रा की योजना बनाना आसान होगा।

नया आधुनिक यात्री आरक्षण प्रणाली (PRS): दिसंबर 2025 तक होगा लॉन्च

भारतीय रेलवे की सूचना प्रणाली संस्था CRIS द्वारा एक नया और आधुनिक PRS विकसित किया जा रहा है, जो तेज, लचीला और तकनीकी रूप से अत्याधुनिक होगा।

प्रमुख विशेषताएं:

  • बुकिंग क्षमता: 32,000 टिकट/मिनट से बढ़कर 1.5 लाख टिकट/मिनट

  • पूछताछ क्षमता: 4 लाख/मिनट से बढ़कर 40 लाख/मिनट

  • सीट चयन का विकल्प: यात्री अपनी पसंदीदा सीट देख और चुन सकेंगे।

  • भाड़ा कैलेंडर: किराये की तुलना कर यात्रा योजना बनाई जा सकेगी।

  • विशेष श्रेणियों के लिए सेवा: दिव्यांगजन, छात्र, रोगी आदि के लिए अलग सुविधाएं।

  • बहुभाषीय इंटरफेस: क्षेत्रीय भाषाओं में बुकिंग और पूछताछ की सुविधा।

प्रभाव:

  • त्योहारी सीजन या तत्काल बुकिंग के दौरान सर्वर लोड नहीं बढ़ेगा।

  • डिजिटल समावेशन और नागरिक-केंद्रित शासन को बढ़ावा।

तत्काल टिकट अब केवल प्रमाणित उपयोगकर्ताओं को ही मिलेगा – पारदर्शिता और सुरक्षा में सुधार

1 जुलाई 2025 से तत्काल टिकट की बुकिंग अब सिर्फ सत्यापित यूजर्स के लिए उपलब्ध होगी।

प्रमाणीकरण प्रक्रिया:

  • OTP आधारित पहचान सत्यापन।

  • आधार कार्ड या DigiLocker में सुरक्षित सरकारी पहचान-पत्र से सत्यापन।

  • सत्यापन के बिना तत्काल बुकिंग संभव नहीं।

लाभ:

  • एजेंटों और बोट्स द्वारा टिकट हेराफेरी रुकेगी।

  • ईमानदार यात्रियों को अधिक अवसर मिलेंगे।

  • अंतिम समय की बुकिंग अब अधिक निष्पक्ष और सरल होगी।

भाषाई समावेशन: अब अपनी भाषा में टिकट बुक करें

नया PRS बहुभाषीय समर्थन प्रदान करेगा, जिससे देशभर के यात्री अपनी मातृभाषा में बुकिंग और पूछताछ कर सकेंगे।

फायदे:

  • ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लोगों के लिए आरक्षण प्रक्रिया अधिक सुलभ होगी।

  • डिजिटल खाई को पाटने की दिशा में बड़ा कदम।

नया युग: डिजिटल दक्षता और यात्री सुविधा का समन्वय

रेलवे के ये सभी नए प्रयास, विशेष रूप से डिजिटल इंडिया और नागरिक-केंद्रित शासन के विजन के अनुरूप हैं। ये सुधार न केवल यात्रा अनुभव को बेहतर बनाएंगे, बल्कि रेलवे को एक आधुनिक और भरोसेमंद परिवहन तंत्र के रूप में स्थापित करेंगे।

यह नई प्रणाली भारतीय रेलवे के करोड़ों यात्रियों को सरल, तेज और पारदर्शी सेवा प्रदान करने की दिशा में एक क्रांतिकारी बदलाव है।

चुनाव आयोग 345 पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करेगा, जानें वजह

भारत के चुनाव आयोग ने 345 गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों (RUPPs) को अपनी लिस्ट से हटाने का फैसला किया है। ये वे दल हैं जो पिछले 6 सालों में एक भी चुनाव नहीं लड़े और इनके पंजीकृत पते पर कोई कार्यालय नहीं मिला। चुनाव आयोग ने बताया कि देश भर के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले इन 345 दलों ने रजिस्टर्ड अनरजिस्टर पॉलिटिकल पार्टी के रूप में बने रहने की अनिवार्य शर्तों को पूरा नहीं किया। आयोग के पास वर्तमान में 2800 से ज्यादा RUPPs रजिस्टर्ड हैं, लेकिन इनमें से कई दल न तो चुनाव लड़ रहे हैं और न ही अपनी मौजूदगी साबित कर पा रहे हैं।

समाचार में क्यों?

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 345 पंजीकृत अप्रत्याक्षित राजनीतिक दलों (Registered Unrecognised Political Parties – RUPPs) को शोकॉज नोटिस जारी किए हैं। ये वे दल हैं जिन्होंने 2019 के बाद से कोई चुनाव नहीं लड़ा है और जिनका भौतिक पता उपलब्ध नहीं है। यह कदम निर्वाचन सुधारों के प्रति आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, विशेषकर ऐसे दलों के विलयन (de-listing) की प्रक्रिया को सशक्त करने की दिशा में, जो सिर्फ कागजों पर अस्तित्व में हैं।

RUPPs क्या हैं?

  • ये वे राजनीतिक दल हैं जो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के अंतर्गत ECI में पंजीकृत होते हैं।

  • लेकिन वे राज्य या राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं होते, क्योंकि उनका चुनावी प्रदर्शन न्यूनतम शर्तें पूरी नहीं करता।

RUPPs को प्राप्त प्रमुख सुविधाएं:

  • आयकर में छूट (धारा 13A, आयकर अधिनियम 1961 के तहत)।

  • चुनाव चिह्न का आवंटन

  • 20 स्टार प्रचारकों के नामांकन का अधिकार।

समस्या क्या है?

  • भारत में 2800+ RUPPs पंजीकृत हैं, परंतु 2024 के आम चुनावों में केवल 750 ने ही भाग लिया।

  • शेष “लेटर पैड पार्टियाँ” कहलाती हैं — जो सिर्फ कागजों पर हैं, धरातल पर सक्रिय नहीं।

प्रमुख मुद्दे:

  • टैक्स छूट का दुरुपयोग

  • दानदाताओं की जानकारी नहीं दी जाती (धारा 29C का उल्लंघन)

  • कार्यालयों/पदाधिकारियों की जानकारी अपडेट नहीं की जाती

  • कई दलों का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं मिलता — धोखाधड़ी की आशंका

कानूनी पृष्ठभूमि:

  • सुप्रीम कोर्ट ने Indian National Congress बनाम Institute of Social Welfare (2002) मामले में कहा:

    • ECI किसी पार्टी का de-registration तभी कर सकता है, जब:

      • पंजीकरण धोखे से प्राप्त किया गया हो

      • दल संविधान के प्रति निष्ठा छोड़ दे

      • दल को सरकार गैरकानूनी घोषित कर दे

हाल की कार्रवाई

  • 345 RUPPs की पहचान, जिनमें से:

    • 2019 के बाद कोई चुनाव नहीं लड़ा

    • कोई वैध पता या संपर्क जानकारी नहीं

  • राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को नोटिस भेजने का निर्देश

  • मार्च 2024 (मई 2025 तक अद्यतन) सूची के अनुसार:

    • 281 दल de-list किए गए

    • 217 को निष्क्रिय घोषित किया गया

कानूनी और नीतिगत कमी

  • RP अधिनियम, 1951 में ECI को दलों का de-registration करने का स्पष्ट अधिकार नहीं दिया गया है।

  • कानून आयोग की सिफारिशें:

    • 170वीं रिपोर्ट (1999): राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र अनिवार्य हो

    • 255वीं रिपोर्ट (2015): 10 वर्षों से चुनाव में भाग नहीं लेने वाले दलों को हटाने की व्यवस्था

  • ECI का 2016 का मेमोरेंडम: RP अधिनियम में संशोधन की मांग

इस कदम का महत्व

  • चुनावी पारदर्शिता और प्रक्रियाओं की शुद्धता बढ़ेगी

  • करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग रोका जा सकेगा

  • राजनीतिक दलों में जवाबदेही और संवैधानिक मूल्यों का पालन सुनिश्चित होगा

  • व्यापक चुनावी और राजनीतिक सुधारों की नींव तैयार होगी

CBDT चेयरमैन रवि अग्रवाल का कार्यकाल जून 2026 तक बढ़ा

केंद्र सरकार ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के चेयरमैन रवि अग्रवाल का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है। अब वह 1 जुलाई 2025 से 30 जून 2026 तक अनुबंध के आधार पर इस पद पर बने रहेंगे। यह फैसला शनिवार को मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet) ने लिया। रवि अग्रवाल भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के 1988 बैच के अधिकारी हैं।

समाचार में क्यों?

केंद्र सरकार ने रवि अग्रवाल के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल को 30 जून 2026 तक बढ़ा दिया है। यह निर्णय कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) द्वारा लिया गया है और इसका उद्देश्य प्रत्यक्ष कर नीति-निर्माण में नेतृत्व की निरंतरता सुनिश्चित करना है।

प्रमुख तथ्य

  • पद: अध्यक्ष, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT)

  • अधिकारी: रवि अग्रवाल

  • बैच: 1988 बैच, भारतीय राजस्व सेवा (IRS – आयकर संवर्ग)

  • कार्यकाल विस्तार: 1 जुलाई 2025 से 30 जून 2026 तक (या अगले आदेश तक)

  • नियुक्ति का स्वरूप: अनुबंध आधार पर

  • स्वीकृति निकाय: कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC)

पृष्ठभूमि और करियर हाइलाइट्स

  • जुलाई 2023 में CBDT के सदस्य (प्रशासन) के रूप में नियुक्त।

  • जून 2024 में अध्यक्ष बने, नितिन गुप्ता (1986 बैच IRS) के स्थान पर।

  • प्रत्यक्ष कर प्रशासन, नीति क्रियान्वयन और संगठनात्मक दक्षता में गहरी समझ के लिए जाने जाते हैं।

CBDT की संरचना

  • CBDT, वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत आता है।

  • आयकर, कॉरपोरेट टैक्स और अन्य प्रत्यक्ष करों की नीति तैयार करने और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी निभाता है।

  • इसमें एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं, जो विशेष सचिव स्तर के अधिकारी होते हैं।

पुनर्नियुक्ति का महत्व

  • कर सुधारों के दौर में नेतृत्व की निरंतरता सुनिश्चित करता है।

  • आयकर विभाग के कार्यों में प्रशासनिक स्थिरता और पारदर्शिता को बनाए रखने में सहायक।

  • वित्त मंत्रालय को नीति-निर्माण में सलाह देने में प्रमुख भूमिका निभाता है।

  • सरकार का रवि अग्रवाल के अनुभव और कार्यशैली पर विश्वास का प्रतीक है।

कर्नाटक बैंक के प्रबंध निदेशक, कार्यकारी निदेशक ने इस्तीफा दिया

कर्नाटक बैंक के प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) श्रीकृष्णन हरि हर सरमा और कार्यकारी निदेशक शेखर राव ने इस्तीफा दे दिया है। कर्नाटक बैंक ने बयान में कहा, इसके अलावा कार्यकारी निदेशक (ईडी) शेखर राव ने मंगलुरु स्थानांतरित होने में असमर्थता और अन्य व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ दिया है। जुलाई 2025 से प्रभावी ये इस्तीफे बैंक के चल रहे परिवर्तन अभियान के बीच आए हैं। इसके जवाब में, निदेशक मंडल ने उपयुक्त उत्तराधिकारियों की नियुक्ति करने और निर्बाध नेतृत्व निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एक खोज समिति का गठन किया है।

समाचार में क्यों?

जुलाई 2025 में कर्नाटक बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ श्रीकृष्णन हरि हर शर्मा और कार्यकारी निदेशक शेखर राव ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है। इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बीच बैंक ने नए नेतृत्व की तलाश शुरू कर दी है और संचालन की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) की नियुक्ति की घोषणा की है।

मुख्य बिंदु

  • श्रीकृष्णन शर्मा का इस्तीफा 15 जुलाई 2025 से प्रभावी होगा।
    उन्होंने मुंबई में बसने की योजना के चलते पद छोड़ा।

  • शेखर राव का इस्तीफा 31 जुलाई 2025 से प्रभावी होगा।
    उन्होंने मैंगलुरु स्थानांतरण में असमर्थता जताई।

  • COO की नियुक्ति 2 जुलाई से लागू होगी, जब तक स्थायी नियुक्तियाँ नहीं हो जातीं।

  • नियुक्तियों को लेकर RBI की मंज़ूरी लंबित है।

  • बैंक के निदेशक मंडल ने खोज समिति (Search Committee) गठित की है, जो नए MD, CEO और ED की नियुक्ति सुनिश्चित करेगी।

पृष्ठभूमि और संदर्भ

  • श्रीकृष्णन शर्मा को बैंक के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण की दिशा में नेतृत्व के लिए चुना गया था।

  • उनकी अगुवाई में बैंक ने जोखिम प्रबंधन, डिजिटल बैंकिंग, और परिचालन दक्षता को प्राथमिकता दी।

  • शेखर राव ने बैंक की रणनीतिक पहल और कार्यान्वयन में अहम भूमिका निभाई।

  • इस्तीफे ऐसे समय आए हैं जब बैंक के FY25 वित्तीय विवरणों में ऑडिटर टिप्पणियाँ भी सामने आई हैं।

कर्नाटक बैंक: स्थायी जानकारी

  • स्थापना: 1924

  • मुख्यालय: मैंगलुरु, कर्नाटक

  • विनियामक: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)

  • स्थिति: अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, देशव्यापी उपस्थिति

महत्व और प्रभाव

  • नेतृत्व परिवर्तन से निवेशक विश्वास, कर्मचारियों का मनोबल और परिवर्तन प्रक्रिया की गति प्रभावित हो सकती है।

  • बैंक ने आश्वस्त किया है कि
    वह पूरी तरह से पूंजीकृत (well-capitalized) है,
    और उसका परिवर्तन कार्यक्रम जारी रहेगा।

  • COO की त्वरित नियुक्ति और खोज समिति का गठन बैंक के सुशासन और संक्रमण प्रबंधन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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