भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 2 जनवरी 2025 को अनिवासी भारतीयों (NRIs) के लिए एक टेबलेट आधारित एंड-टू-एंड डिजिटल ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया शुरू की है। इस पहल का उद्देश्य गैर-निवासी बाहरी (NRE) और गैर-निवासी साधारण (NRO) खातों को खोलने के लिए भौतिक दस्तावेज़ीकरण को समाप्त करना और डिजिटल दस्तावेज़ सत्यापन के माध्यम से खाता खोलने की प्रक्रिया को तेज़ करना है।
नई डिजिटल ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताएं
डिजिटल दस्तावेज़ सत्यापन: यह प्रक्रिया दस्तावेज़ों के डिजिटल सत्यापन की सुविधा प्रदान करती है, जिससे भौतिक कागज़ात की आवश्यकता कम हो जाती है और दक्षता बढ़ती है।
शाखाओं में उपलब्धता: यह सेवा भारत भर में SBI की शाखाओं और चुनिंदा विदेशी कार्यालयों में उपलब्ध है, जिससे NRIs को अधिक पहुंच प्रदान की गई है।
ग्राहकों की सुविधा में वृद्धि: तकनीक का उपयोग करके, बैंक का उद्देश्य NRIs के लिए खाता खोलने का एक सुगम और कुशल अनुभव प्रदान करना है।
डिजिटल बैंकिंग के प्रति SBI की प्रतिबद्धता
यह पहल बैंक की उन्नत तकनीक को अपनी सेवाओं में एकीकृत करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, जिसका उद्देश्य वैश्विक बैंकिंग दक्षता और पहुंच में नए मानक स्थापित करना है।
रीयल-टाइम आवेदन ट्रैकिंग
ग्राहक अपने आवेदन की स्थिति को रीयल-टाइम में ट्रैक कर सकते हैं, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है और वे पूरे प्रक्रिया के दौरान सूचित रहते हैं।
ई-केवाईसी सेवाओं के साथ एकीकरण
SBI ने इस डिजिटल ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया में ई-केवाईसी सेवाओं को एकीकृत किया है। ग्राहकों के फिंगरप्रिंट कैप्चर करके, बैंक भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के माध्यम से पहचान और पते का विवरण सत्यापित करता है, जिससे सुरक्षा और सत्यापन में सटीकता बढ़ती है।
ऐतिहासिक संदर्भ और विकास
ग्राहक ऑनबोर्डिंग के लिए डिजिटल समाधानों को अपनाने की दिशा में SBI का प्रयास 2013 से शुरू हुआ, जब उसने निवासी भारतीय ग्राहकों के लिए टैब बैंकिंग सेवा शुरू की। इस सेवा के तहत बैंक प्रतिनिधि टैबलेट का उपयोग करके ग्राहकों के घर पर जाकर खाता खोलने की औपचारिकताएं पूरी करते थे।


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