आधुनिक औद्योगिक प्रथाओं, डिजिटल तकनीकों और बाजार की वर्तमान वास्तविकताओं के अनुरूप बदलाव करते हुए, केंद्र सरकार ने दशकों पुराने शुगर (नियंत्रण) आदेश, 1966 को निरस्त कर शुगर (नियंत्रण) आदेश, 2025 लागू किया है। इस पहल का उद्देश्य चीनी के उत्पादन, मूल्य निर्धारण और निगरानी प्रणाली में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही लाना है। यह कदम न केवल किसानों के हितों की सुरक्षा करता है, बल्कि भारत की वैश्विक चीनी अर्थव्यवस्था में स्थिति को भी मजबूत बनाता है।
समाचारों में क्यों?
भारत सरकार ने शुगर (नियंत्रण) आदेश, 1966 को हटाकर नया शुगर (नियंत्रण) आदेश, 2025 अधिसूचित किया है। यह कदम चीनी क्षेत्र के विनियमन को आधुनिक बनाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
उद्देश्य:
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चीनी क्षेत्र के लिए नियामक ढांचे का आधुनिकीकरण।
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पारदर्शिता, उचित मूल्य निर्धारण, वास्तविक समय में डेटा उपलब्धता और किसानों के साथ समान व्यवहार को बढ़ावा देना।
शुगर (नियंत्रण) आदेश, 2025 की मुख्य विशेषताएं:
डिजिटल एकीकरण (API):
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खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) पोर्टल को 450 से अधिक चीनी मिलों के ERP/SAP सिस्टम से जोड़ा गया।
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चीनी बिक्री से संबंधित GSTN डेटा भी अब पोर्टल से जुड़ा है।
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इससे रियल टाइम निगरानी संभव होती है, डेटा की पुनरावृत्ति और लीक को रोका जा सकता है।
मूल्य नियमन प्रावधान:
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अब मूल्य नियंत्रण आदेश को 2025 के आदेश में ही शामिल कर दिया गया है।
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इससे पहले यह शुगर प्राइस (नियंत्रण) आदेश, 2018 के अंतर्गत था।
कच्ची चीनी (Raw Sugar) को शामिल किया गया:
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अब कच्ची चीनी को भी राष्ट्रीय स्टॉक में शामिल किया गया है।
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“ऑर्गेनिक” या “खांडसारी” नाम से बिक्री की आड़ में भ्रामक आंकड़ों को रोका जाएगा।
खांडसारी चीनी फैक्ट्रियाँ कवर की गईं:
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जिन इकाइयों की क्षमता 500 TCD से अधिक है (373 में से 66 यूनिट्स), उन्हें आदेश के तहत लाया गया है।
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इससे किसानों को FRP (न्यूनतम लाभकारी मूल्य) का भुगतान सुनिश्चित होगा।
उप-उत्पादों का विनियमन:
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इसमें इथेनॉल, शीरा (molasses), बैगास, प्रेसमड आदि शामिल हैं।
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गन्ने के इन उप-उत्पादों में डायवर्जन को नियंत्रित करने का प्रयास, ताकि घरेलू चीनी आपूर्ति बनी रहे।
मानकीकृत परिभाषाएं:
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FSSAI मानकों के अनुरूप चीनी के प्रकारों की統一 परिभाषाएं लागू की गई हैं।
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जैसे कि रिफाइंड शुगर, बूरा, गुड़, आइसिंग शुगर, क्यूब शुगर आदि।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान
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संबंधित विभाग: खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD)
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मंत्रालय: उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
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भारत की रैंक: विश्व के शीर्ष 3 चीनी उत्पादक देशों में
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FRP (Fair and Remunerative Price): सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य जो मिलों को किसानों को देना होता है।
महत्त्व:
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चीनी उत्पादन में सुगठित शासन और ट्रेसबिलिटी को बढ़ावा।
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चीनी आपूर्ति श्रृंखला का डिजिटलीकरण।
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किसानों के अधिकारों की सुरक्षा और बेहतर नीति नियोजन के लिए सटीक डेटा सुनिश्चित करता है।
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घरेलू स्थिरता बनाए रखने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति को मजबूत करता है।
चुनौतियाँ:
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छोटे चीनी मिलों से अनुपालन सुनिश्चित कराना।
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इथेनॉल डायवर्जन को इस तरह प्रबंधित करना कि चीनी की घरेलू उपलब्धता प्रभावित न हो।
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पुराने आदेश से नए प्रावधानों में सुगम संक्रमण सुनिश्चित करना।