भारत द्वारा क्लोरपायरीफॉस जैसे खतरनाक कीटनाशक के वैश्विक उपयोग को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने का हालिया विरोध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण और नीतिगत चर्चाओं का केंद्र बन गया है। यह मुद्दा 2025 में आयोजित बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम (BRS) कन्वेंशन की बैठकों के दौरान उठा, जहां कई देशों ने स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत इस कीटनाशक पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। हालांकि क्लोरपायरीफॉस के मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर हानिकारक प्रभावों को लेकर वैज्ञानिक प्रमाण मजबूत हैं, भारत ने खाद्य सुरक्षा और वैकल्पिक कीटनाशकों की कमी का हवाला देते हुए इस प्रतिबंध का विरोध किया और व्यापक छूट की मांग की।
क्यों है खबरों में?
भारत ने 28 अप्रैल से 9 मई 2025 तक जिनेवा में आयोजित बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम (BRS) कन्वेंशन की बैठक के दौरान क्लोरपायरीफॉस को स्टॉकहोम कन्वेंशन के परिशिष्ट-A (Annex A) में सूचीबद्ध किए जाने का विरोध किया है। इस सूची में शामिल होने का अर्थ होता है इस रसायन का पूर्ण प्रतिबंध।
स्टॉकहोम कन्वेंशन का उद्देश्य
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स्थायी जैविक प्रदूषकों (Persistent Organic Pollutants – POPs) के उत्पादन और उपयोग को समाप्त या प्रतिबंधित करना, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं।
क्लोरपायरीफॉस (Chlorpyrifos) क्या है?
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यह एक ऑर्गेनोफॉस्फेट कीटनाशक है, जिसे भारत में 1977 से कीटनाशक अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया है।
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इसका उपयोग धान, कपास, गन्ना, मूंगफली, सरसों, बैंगन, पत्तागोभी, प्याज जैसे फसलों पर होता है।
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इससे तंत्रिका तंत्र को नुकसान, कम वजन में जन्म, और कैंसर का खतरा जुड़ा हुआ है।
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WHO ने इसे मध्यम रूप से खतरनाक की श्रेणी में रखा है।
भारत की दलीलें
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भारत ने क्लोरपायरीफॉस को परिशिष्ट-A में शामिल करने का विरोध किया।
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तर्क दिया कि इससे खाद्य सुरक्षा प्रभावित हो सकती है क्योंकि सस्ती और प्रभावी वैकल्पिक कीटनाशकों की कमी है।
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भारत ने इस कीटनाशक को कम से कम 8 फसलों पर उपयोग के लिए स्वीकृत किया हुआ है।
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इसका उपयोग कृषि के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्रों में भी होता है।
वैश्विक समर्थन – प्रतिबंध के पक्ष में देश
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EU, UK, स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, उरुग्वे, इराक, गुयाना जैसे देशों ने इसे प्रतिबंधित करने का समर्थन किया।
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केन्या और कैमरून जैसे कुछ देशों ने सीमित उपयोग के लिए छूट की मांग की।
वैज्ञानिक समिति की समीक्षा
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POPs समीक्षा समिति (POPRC) ने 2024 में क्लोरपायरीफॉस को परिशिष्ट-A में सूचीबद्ध करने की सिफारिश की थी।
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इसका कारण था इसका दीर्घकालिक प्रभाव, जैव संचय और लंबी दूरी तक पर्यावरणीय फैलाव।
स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरे
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यह एसीटाइलकोलिनेस्ट्रेस (Acetylcholinesterase) एंजाइम को रोकता है, जिससे तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है।
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संपर्क, साँस और खाद्य अवशेष के माध्यम से इसके संपर्क में आया जा सकता है।
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2024 में भारत में खाद्य प्रदूषण अध्ययन में यह सबसे अधिक बार पाया गया कीटनाशक था (33% खाद्य सैंपल्स में)।
पृष्ठभूमि
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40 से अधिक देशों ने क्लोरपायरीफॉस पर प्रतिबंध लगाया है।
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2010 में, भारत ने एंडोसल्फान पर वैश्विक प्रतिबंध का भी विरोध किया था।
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वर्तमान में भारत और चीन क्लोरपायरीफॉस के सबसे बड़े उत्पादक हैं।
महत्वपूर्ण स्थैतिक तथ्य
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स्टॉकहोम कन्वेंशन: 2001 में स्वीकृत, 2004 से प्रभावी।
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परिशिष्ट (Annexes):
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Annex A – पूर्ण निषेध (Elimination)
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Annex B – प्रतिबंधित उपयोग (Restriction)
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Annex C – अनजाने उत्पादन को न्यूनतम करने के उपाय (Unintentional Production)
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2025 में चर्चा में अन्य रसायन:
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मीडियम-चेन क्लोरीन युक्त पैराफ़िन्स
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लॉन्ग-चेन पर्फ्लोरोकार्बोक्सिलिक एसिड्स (LC-PFCAs)
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