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2025 में सक्रिय सैन्य कर्मियों के आधार पर टॉप 10 देश

वैश्विक अस्थिरता, क्षेत्रीय संघर्षों और तेज़ी से बदलती तकनीकी प्रगति के कारण, कई देशों ने अपनी रक्षा रणनीतियों की पुनर्रचना और सुदृढ़ीकरण करना शुरू कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप, सैन्य खर्च और सक्रिय-ड्यूटी सैन्यकर्मियों की तैनाती में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2024 में वैश्विक सैन्य व्यय 2.718 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। यह 2023 की तुलना में 9.4 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्शाता है। इसके साथ ही, ग्लोबल फायरपावर की रिपोर्ट ने 2025 के लिए देशों को उनके सक्रिय सैन्य बल के आधार पर रैंक किया है, जो दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के बीच एक बड़े रणनीतिक बदलाव को उजागर करता है।

पृष्ठभूमि और परिचय
हालिया वर्षों में वैश्विक रक्षा परिदृश्य में बड़े बदलाव आए हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तनाव और गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों के चलते देशों में राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
हालाँकि आधुनिक युद्ध अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर युद्ध और स्वचालित हथियार प्रणालियों पर आधारित होता जा रहा है, फिर भी एक मजबूत सक्रिय सैन्य बल की भूमिका अभी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

2025 में सक्रिय सैन्य बल के आधार पर शीर्ष 10 देश (Global Firepower रिपोर्ट अनुसार):

रैंक देश सक्रिय सैन्यकर्मी
1 चीन 20,35,000
2 भारत 14,55,550
3 अमेरिका 13,28,000
4 उत्तर कोरिया 13,20,000
5 रूस 13,20,000
6 यूक्रेन 9,00,000
7 पाकिस्तान 6,54,000
8 ईरान 6,10,000
9 दक्षिण कोरिया 6,00,000
10 वियतनाम 6,00,000

रणनीतिक महत्व
बड़े सैन्य बल का होना विभिन्न परिस्थितियों में फौरी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है—चाहे वह युद्ध हो, प्राकृतिक आपदा या शांति मिशन।
साथ ही, यह सीमा सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियान, और वैश्विक स्तर पर राजनीतिक प्रभाव बनाए रखने में मदद करता है।

बदलती रक्षा प्राथमिकताएँ

  • अमेरिका ने जहां सक्रिय सैन्य बल में मामूली कटौती की है, वहीं वह AI और साइबर युद्ध में निवेश कर रहा है।

  • रूस और यूक्रेन ने युद्ध के चलते अपनी सैन्य संख्या बढ़ाई है।

  • वियतनाम की सैन्य वृद्धि (2022 में 4.7 लाख से बढ़कर 2025 में 6 लाख) क्षेत्रीय सुरक्षा की तैयारी को दर्शाती है।

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