भारत फरवरी 2024 तक 31 एमक्यू-9बी ड्रोन के लिए अमेरिका के साथ समझौते पर हस्ताक्षर

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भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदे को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, समझौते में जनरल एटॉमिक्स (जीए) से 31 एमक्यू-9बी मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) की खरीद शामिल है। इस सौदे से भारत की सैन्य क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।

 

प्रमुख बिंदु:

 

समझौते का विवरण

  • भारत जीए से 31 एमक्यू-9बी यूएवी हासिल करने के लिए तैयार है, जिसकी डिलीवरी अनुबंध पर हस्ताक्षर के तीन साल बाद फरवरी 2027 से शुरू होगी।
  • सौदे की अनुमानित लागत $3,072 मिलियन है, और यह अमेरिकी विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) मार्ग का अनुसरण करता है।

 

सेनाओं के बीच विभाजन

  • 31 ड्रोन भारतीय सेना की विभिन्न शाखाओं के लिए आवंटित किए गए हैं: 15 भारतीय नौसेना के लिए और 8 भारतीय सेना और वायु सेना के लिए।

 

अनुमोदन प्रक्रिया

  • जून में, रक्षा मंत्रालय ने अमेरिकी सरकार को अनुरोध पत्र (एलओआर) भेजकर अधिग्रहण को मंजूरी दे दी।
  • अमेरिका एक प्रस्ताव और स्वीकृति पत्र (एलओए) के साथ जवाब देगा, जिसमें विदेशी सैन्य बिक्री (एफएमएस) कार्यक्रम के तहत उपकरण और खरीद की शर्तों का विवरण होगा।

 

भारत में सुविधा

  • जनरल एटॉमिक्स ने भारत में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सुविधा स्थापित करने की योजना बनाई है।
  • हालांकि सटीक स्थान की पुष्टि नहीं की गई है, बेंगलुरु एक संभावित विकल्प है।

 

अंतिम अनुमोदन चरण

  • बिक्री के बारे में अमेरिकी कांग्रेस को एक मानक प्रक्रिया के रूप में सूचित किया जाएगा।
  • सौदे को आधिकारिक होने से पहले भारत की सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति से अनुमोदन की आवश्यकता होगी।

 

MQ-9B ड्रोन क्षमताएँ

India in advanced stage of talks with U.S. for procuring MQ-9B drones - The Hindu

  • स्काई गार्डियन और सी गार्डियन वेरिएंट में ये ड्रोन, भारतीय सशस्त्र बलों के लिए उन्नत खुफिया, निगरानी और टोही (आईएसआर) क्षमताएं प्रदान करते हैं।
  • वे लंबी दूरी तक उड़ान भर सकते हैं, उपग्रह के माध्यम से 40 घंटे तक संचार कर सकते हैं, विभिन्न मौसम स्थितियों में काम कर सकते हैं और नागरिक हवाई क्षेत्र में सुरक्षित रूप से एकीकृत हो सकते हैं।

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राष्ट्रपति ने त्रिपुरा और ओडिशा के लिए की नए राज्यपालों की नियुक्ति

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भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा और त्रिपुरा में नए राज्यपाल की नियुक्ति की है। राष्ट्रपति ने तेलंगाना के नेता इंद्र सेना रेड्डी नल्लू को त्रिपुरा का राज्यपाल और झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त किया है। राष्ट्रपति भवन ने 18 अक्टूबर को बयान जारी कर के इन दोनों राज्यों के लिए नए राज्यपाल की नियुक्ति के बारे में जानकारी दी है।

इंद्र सेना रेड्डी नल्लू त्रिपुरा के वर्तमान राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य की जगह लेंगे। आर्य को जुलाई, 2021 में राज्य का गवर्नर बनाया गया था। वहीं, रघुवर दास ओडिशा के वर्तमान राज्यपाल गणेशी लाल की जगह लेंगे। गणेशी लाल को 2018 में ओडिशा का राज्यपाल बनाया गया था।

 

रघुवर दास: रघुवर दास ने साल 2014 से लेकर 2019 तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार में झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। 1995 में पहली बार विधायक बनने वाले रघुवर दास झारखंड के पहले ऐसे सीएम थे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था। वह फिलहाल बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद का कार्यभार संभाल रहे हैं।

इंद्र सेना रेड्डी नल्लू: वहीं, तेलंगाना से भाजपा के नेता और वर्तमान में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इंद्र सेना रेड्डी नल्लू को भी त्रिपुरा के राज्यपाल जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

 

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Arindam Bagchi Appointed as India's Ambassador to UN in Geneva_110.1

केंद्र सरकार ने रबी फसलों की बढ़ाई एमएसपी

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केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ाने की मंजूरी दी गई है। सरकार ने रबी की 6 फसलों पर मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए एमएसपी में वृद्धि की मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन सीजन 2024-25 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है।

सरकार ने विपणन सीजन 2024-25 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दाल (मसूर) के लिए 425 रुपये प्रति क्विंटल और इसके बाद रेपसीड एवं सरसों के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल की मंजूरी दी गई है। गेहूं और कुसुम में से प्रत्येक के लिए 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है। जौ और चने के लिए क्रमश: 115 रुपये प्रति क्विंटल और 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है।

 

विपणन सीजन 2024-25 के लिए सभी रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य

(रुपये प्रति क्विंटल)

क्र.सं फसलें एमएसपी आरएमएस

2014-15

एमएसपी आरएमएस

2023-24

एमएसपी आरएमएस 2024-25 उत्पादन लागत* आरएमएस 2024-25 एमएसपी में वृद्धि (संपूर्ण) लागत पर मार्जिन (प्रतिशत में)
1 गेहूं 1400 2125 2275 1128 150 102
2 जौ 1100 1735 1850 1158 115 60
3 चना 3100 5335 5440 3400 105 60
4 दाल

(मसूर)

2950 6000 6425 3405 425 89
5 रेपसीड एवं सरसों 3050 5450 5650 2855 200 98
6 कुसुम 3000 5650 5800 3807 150 52

 

कितनी बढ़ी एमएसपी?

  • एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मसूर के लिए 425 रुपये प्रति क्विंटल, इसके बाद रेपसीड और सरसों के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल की मंजूरी दी गई है।
  • गेहूं और सैफ्लोअर के लिए 150-150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है।
  • इसके अलावा जौ के लिए 115 रुपये प्रति क्विंटल और चने के लिए 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है।

 

क्या होता है एमएसपी?

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कुछ कृषि उत्पादों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य है, जिस पर सरकार किसानों फसल खरीदती है। यदि किसान को खुले बाजार में उसके फसल का सही दाम नहीं मिलता तो सरकार उस किसान से एमएसपी पर फसल खरीद लेती है यदि किसान बेचना चाहे।

इसके अलावा एमएसपी किसानों के फसलों का एक तरह से बीमा होता है, यानी जिस मूल्य पर सरकार ने एमएसपी तय कर दी अब सरकार को उस मूल्य पर आपसे फसल खरीदना होगा।

 

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केंद्रीय कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता 4% बढ़ा

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केंद्रीय कर्मचारियों को केंद्र सरकार ने बड़ी खुशखबरी देते हुए महंगाई भत्ता (डीए) में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी (DA Hike) का एलान कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बढ़ा हुआ डीए एक जुलाई से लागू होगा। इससे केंद्र सरकार के एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स को फायदा होगा।

 

46 प्रतिशत हुआ डीए

सरकार की मंजूरी के बाद अब केंद्रीय कर्मचारियों का डीए 42 प्रतिशत से बढ़कर 46 प्रतिशत हो गया है। बढ़े हुए डीए का कैलकुलेशन बीते 1 जुलाई, 2023 से होगी और जुलाई से अक्टूबर तक का बकाया महंगाई भत्ता भी मिलेगा। इसके अलावा नंवबर महीने से सैलरी 46 प्रतिशत डीए के आधार पर बनेगी।

 

रेलवे कर्मचारियों को 78 दिन का परफॉरमेंस बोनस

केंद्र सरकार साल में दो बार अपने कर्मचारियों के डीए में बदलाव करती है। इससे पहले जनवरी से डीए में चार फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। साथ ही रेलवे के कर्मचारियों को 78 दिन का परफॉरमेंस लिंक्ड बोनस देने का भी फैसला किया गया है। इस पर 1,969 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे रेलवे के 11 लाख से अधिक कर्मचारियों को फायदा होगा।

 

पेंशनर्स को फायदा

केंद्रीय कर्मचारियों के डीए में यह बढ़ोतरी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप की गई है। इससे केंद्र सरकार के 48.67 लाख कर्मचारियों और 67.95 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा। डीए में बढ़ोतरी से सरकारी खजाने पर सालाना 12,857 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

 

क्या होता है डीए?

केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों का ख्याल रखते हुए हर 6 महीने में एक बार महंगाई भत्ता (डीए) की समीक्षा करती है। सरकारी अपने कर्मचारियों को यह भत्ता देश में बढ़ती महंगाई का सामना करने के लिए देती है। केंद्र सरकार के तर्ज पर राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों को डीए देती हैं। आपको बता दें कि सरकार डीए की गणना हमेशा कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर करती है।

 

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भोपाल के महिला थाने को मिला ISO प्रमाण पत्र

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मध्य प्रदेश के भोपाल का महिला थाना ISO (मानकीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन) द्वारा प्रमाणित होने वाला देश का पहला महिला केंद्रित पुलिस स्टेशन बन गया है। सामुदायिक पुलिसिंग के तहत भोपाल पुलिस कमिश्नरेट द्वारा बनाए गए विक्टिम फ्रेंडली महिला थाना को आइएसओ की टीम द्वारा मूल्यांकन एवं गुणवत्ता के आधार पर आइएसओ अवार्ड के लिए चयनित किया गया। राजधानी के कई आला अधिकारियों की मौजूदगी में  आइएसओ 9001:2015 सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।

बताया जा रहा है कि, भोपाल का महिला थाना प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे भारत का पहला आइएसओ 9001:2015 सर्टिफाइड थाना बन चुका है। इस दौरान पुलिस आयुक्त हरिनारायणाचारी मिश्र ने कहा कि, महिला अपराधों पर अंकुश के लिए सामुदायिक पुलिसिंग के तहत निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, महिलाओं की समस्याओं के लिए सभी थानों में ऊर्जा हेल्प डेस्क सक्रिय है, लेकिन यह महिला संबंधी अपराधों के निराकरण में प्रमुख केंद्र के रूप में है।

भोपाल महिला पुलिस स्टेशन को ‘पीड़ित मित्रवत’ बनाया गया है। बच्चों के लिए झूला घर भी बनाया गया है और पांच से अधिक शौचालय बनाए गए हैं। महिलाओं के लिए दूध पिलाने का कक्ष भी बनाया गया है। भोपाल महिला पुलिस को को यह प्रमाण पत्र 3 वर्ष के लिए दिया गया है। यह प्रमाण पत्र अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन द्वारा प्रदान किया गया है। इस संगठन की स्थापना वर्ष 1947 में की गई थी।

बता दें कि, एक समय अपनी नम दीवारों, बदबूदार शौचालयों और जर्जर कमरों के लिए जाना जाने वाला भोपाल महिला थाना पिछले तीन सालों में अपने बुनियादी ढांचे पर काम करके शहर का दूसरा आईएसओ-प्रमाणित पुलिस स्टेशन बन गया है, पहला मिसरोद पुलिस स्टेशन है।

 

सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बातें:

  • अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन का मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड;
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन की स्थापना: 23 फरवरी 1947, लंदन, यूनाइटेड किंगडम;
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन के अध्यक्ष: उलरिका फ्रेंके.

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69th National Film Awards 2023 Conferred by President Droupadi Murmu_100.1

ग्लोबल रिमोट वर्क इंडेक्स, भारत दुनिया के सबसे खराब देशों में शामिल

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वैश्विक दूरस्थ कार्य परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव में, भारत को ग्लोबल रिमोट वर्क इंडेक्स (जीआरडब्ल्यूआई) में 108 देशों में से 64वें स्थान पर रखा गया है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 15 स्थानों की भारी गिरावट को दर्शाता है, जिससे दूरस्थ कार्य के लिए देश की तैयारी के बारे में चिंता बढ़ गई है।

 

ग्लोबल रिमोट वर्क इंडेक्स (जीआरडब्ल्यूआई) मानदंड

साइबर सुरक्षा फर्म नॉर्डलेयर द्वारा विकसित और प्रकाशित GRWI, दूरस्थ कार्य की सफलता के लिए महत्वपूर्ण चार मूलभूत मानदंडों के आधार पर देशों का मूल्यांकन करता है:

  • साइबर सुरक्षा
  • आर्थिक सुरक्षा
  • डिजिटल और भौतिक अवसंरचना
  • सामाजिक सुरक्षा

 

डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचे में भारत की कमजोरियाँ

भारत की दूरस्थ कार्य चुनौतियाँ काफी हद तक घटिया डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचे में निहित हैं। इस श्रेणी में देश 77वें स्थान पर है, जो दर्शाता है कि इसका ई-बुनियादी ढांचा विश्व स्तर पर सबसे कम विकसित (95वां स्थान) में से एक है। भारत की इंटरनेट सेवाएँ, हालांकि व्यापक रूप से उपलब्ध हैं, लागत (78वें) और गुणवत्ता (70वें) के मुद्दों से ग्रस्त हैं, जिससे दूरस्थ कार्य कुशलता में बाधा आती है।

 

सामाजिक सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और अलगाव

भारत के सामाजिक सुरक्षा संकेतकों ने चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिससे यह देश दुनिया भर में सबसे अलग-थलग देशों में से एक प्रतीत होता है। इसका कारण निम्न व्यक्तिगत अधिकार सूचकांक (88) और समावेशन की कमी वाला वातावरण (65) है, जो दूरस्थ कार्य अनुभव में बाधा उत्पन्न कर सकता है।

 

औसत स्तर पर साइबर और आर्थिक सुरक्षा

साइबर सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा के क्षेत्र में, भारत का प्रदर्शन क्रमशः 56 और 55 की रैंकिंग के साथ मध्यम बना हुआ है। जबकि देश एक काफी मजबूत साइबर बुनियादी ढांचे (13वें स्थान) और अच्छी प्रतिक्रिया क्षमता (19वें स्थान) का दावा करता है, इसमें सुधार की गुंजाइश है।

 

दूरस्थ कार्य में अग्रणी शीर्ष 10 देश

इस बीच, ग्लोबल रिमोट वर्क इंडेक्स (जीआरडब्ल्यूआई) में सबसे ज्यादा अंक पाने वाले शीर्ष 10 देश हैं

  1. डेनमार्क,
  2. नीदरलैंड,
  3. जर्मनी,
  4. स्पेन,
  5. स्वीडन,
  6. पुर्तगाल,
  7. एस्टोनिया,
  8. लिथुआनिया,
  9. आयरलैंड,
  10. स्लोवाकिया

 

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NSO Released Periodic Labour Force Survey (PLFS) Annual Report 2022-2023_110.1

अरिंदम बागची बने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया। वह भारतीय विदेश सेवा (आइएफएस) के 1995 बैच के अधिकारी हैं। उन्होंने मार्च 2020 में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के रूप में पदभार संभाला था।

 

इंद्र मणि पांडे का लेंगे स्थान

उन्होंने पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद, भारत की कोविड-19, भारत की जी-20 अध्यक्षता सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों और घटनाक्रम को अच्छे से संभाला। वह जिनेवा में इंद्र मणि पांडे का स्थान लेंगे। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि वर्तमान में विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अरिंदम बागची को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत के अगले राजदूत (स्थायी प्रतिनिधि) के रूप में नियुक्त किया गया है। उम्मीद है कि वह जल्द ही कार्यभार संभालेंगे।

 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के लिए प्रतिस्थापन

ऐसा समझा जाता है कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पद के लिए संयुक्त सचिव (जी-20) नागराज नायडू काकनूर और मारीशस में भारत की उच्चायुक्त के. नंदिनी सिंगला सहित करीब चार वरिष्ठ राजनयिकों के नाम पर विचार किया जा रहा है।

 

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Justice Siddharth Mridul appointed as the chief justice of Manipur High Court_110.1

‘आयरन बीम’ मिसाइल रक्षा प्रणाली क्या है?

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इज़राइल ने अपनी नई लेजर-आधारित ‘आयरन बीम’ मिसाइल रक्षा प्रणाली का परीक्षण किया। इस प्रणाली को कम दूरी के रॉकेट, तोपखाने और मोर्टार बमों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

 

‘आयरन बीम’ मिसाइल रक्षा प्रणाली

इज़राइल ने अपनी नई लेजर-आधारित ‘आयरन बीम’ मिसाइल रक्षा प्रणाली का परीक्षण किया। इस प्रणाली को कम दूरी के रॉकेट, तोपखाने और मोर्टार बमों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रणाली मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) को भी रोक सकती है। इसकी रेंज 7 किलोमीटर तक है। एरो 2, एरो 3, डेविड स्लिंग और आयरन डोम के अलावा, आयरन बीम इज़राइल की एकीकृत मिसाइल रक्षा प्रणाली का छठा तत्व है। आयरन बीम, एयरबोर्न टारगेट को नष्ट करने के लिए लेजर बीम उत्पन्न करने के लिए एक फाइबर लेजर का उपयोग करता है। कन्वेन्शनल मिसाइल इंटरसेप्टर की तुलना में डायरेक्टेड एनर्जी वेपन का उपयोग करने के मुख्य लाभ प्रति शॉट कम लागत, असीमित संख्या में फायरिंग, कम परिचालन लागत और कम जनशक्ति हैं। संरक्षित क्षेत्र पर कोई इंटरसेप्टर डेब्रिस भी नहीं गिरता है।

 

डायरेक्टेड एनर्जी वेपन क्या है?

डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (डीईडब्लू) एक दूरगामी वेपन है जो लेजर, माइक्रोवेव, पार्टिकल बीम और साउन्ड बीम सहित ठोस प्रोजेक्टाइल के बिना अत्यधिक केंद्रित ऊर्जा के साथ अपने लक्ष्य को क्षति पहुंचाता है। इस तकनीक के संभावित अनुप्रयोगों में ऐसे हथियार सम्मिलित हैं जो कर्मियों, मिसाइलों, वाहनों और ऑप्टिकल उपकरणों को लक्षित करते हैं।

 

ऑपरेशनल एडवांटेज क्या हैं?

डायरेक्टेड एनर्जी वेपन का उपयोग सावधानीपूर्वक किया जा सकता है। यह विकिरण ध्वनि उत्पन्न नहीं करता है और दृश्य स्पेक्ट्रम के बाहर होने पर अदृश्य होता है। व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए, प्रकाश गुरुत्वाकर्षण, विंडेज और कोरिओलिस बल से अप्रभावित है, जो इसे लगभग पूर्णतः फ्लैट प्रोजेक्टाइल देता है। यह लक्ष्य को अधिक सटीक बनाता है और सीमा को दृष्टि रेखा तक विस्तारित करता है, जो केवल बीम विवर्तन और प्रसार (जो शक्ति को कम करता है और प्रभाव को कमजोर करता है), और वायुमंडलीय सामग्री के हस्तक्षेप से अवशोषण या प्रकीर्णन तक सीमित होता है।

 

लेज़र हल्की गति से चलते हैं और उनकी लंबी दूरी होती है जो उन्हें अंतरिक्ष युद्ध में उपयोग के लिए उपयुक्त बनाती है। लेजर हथियार संभावित रूप से गोला-बारूद आपूर्ति के संदर्भ में कई तार्किक समस्याओं को खत्म कर देते हैं। (जब तक कि उन्हें बिजली देने के लिए पर्याप्त ऊर्जा होती है) कई परिचालन कारकों के आधार पर, कुछ संदर्भों में डायरेक्टेड एनर्जी वेपन, कन्वेन्शनल वेपन की तुलना में संचालित करने के लिए सस्ते हो सकते हैं।

 

 

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Biden's Visit to Israel Amid Ongoing Conflict_100.1

सरकार ओएफएस के माध्यम से हुडको में 7% इक्विटी हिस्सेदारी बेचेगी

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भारत सरकार ने 18-19 अक्टूबर के लिए निर्धारित बिक्री प्रस्ताव (ओएफएस) के माध्यम से हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (हुडको) में 7% इक्विटी बेचने की अपनी योजना की घोषणा की है। इस रणनीतिक कदम से लगभग ₹1,100 करोड़ का राजस्व उत्पन्न होने की उम्मीद है।

 

ओएफएस विवरण

निवेशक भागीदारी: गैर-खुदरा निवेशकों के लिए बिक्री की पेशकश 18 अक्टूबर से शुरू होगी, इसके शुरू होने के अगले दिन से खुदरा निवेशक बोली लगा सकेंगे।

ग्रीन शू विकल्प: सरकार का इरादा 7% इक्विटी बेचने का है, जिसमें 3.5% का ग्रीन शू विकल्प भी सम्मिलित है।

न्यूनतम मूल्य: ऑफर के लिए न्यूनतम मूल्य ₹79 प्रति शेयर निर्धारित किया गया है, जो पिछले मंगलवार को बीएसई पर ₹89 के समापन मूल्य से 12% कम है।

शेयरों की संख्या: लगभग 140 मिलियन शेयर बिक्री के लिए रखे जाएंगे, जिनका कुल मूल्य लगभग ₹1,106 करोड़ है।

खुदरा छूट: बीएसई के साथ फाइलिंग में हुडको की पुष्टि के अनुसार, विशेष रूप से, ओएफएस के लिए कोई खुदरा छूट की पेशकश नहीं की जाएगी

 

सेबी मानदंडों का अनुपालन

ओएफएस के प्राथमिक कारणों में से एक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करना है। वर्तमान में, हुडको में सरकार की 81.8% हिस्सेदारी है। सरकार के 7% शेयरों के विनिवेश से, सरकार का स्वामित्व घटकर 74.8% हो जाएगा, जो कि 75% की अधिकतम स्वीकार्य सीमा से कम है।

 

सरकार की विनिवेश रणनीति

यह हिस्सेदारी बिक्री सरकार की व्यापक विनिवेश रणनीति के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य सेबी मानदंडों को पूरा करने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम करना है। सरकार का उद्देश्य इस तरह के विनिवेश के माध्यम से राजस्व जुटाना है।

 

बिक्री के लिए दलाल

एलारा सिक्योरिटीज (इंडिया), आईडीबीआई कैपिटल मार्केट्स एंड सिक्योरिटीज और एसबीआईकैप सिक्योरिटीज को बिक्री के लिए ब्रोकर/ दलाल के रूप में चुना गया है, जिसके द्वारा सरकार और संभावित निवेशकों के बीच लेनदेन सुगम होगा।

 

आय का उपयोग

इस हिस्सेदारी बिक्री से उत्पन्न राजस्व को सरकार के खजाने में भेजा जाएगा, जो वित्तीय वर्ष 2024 में विनिवेश से ₹51,000 करोड़ जुटाने के लक्ष्य में योगदान देगा।

17 अक्टूबर तक, सरकार पहले ही विनिवेश गतिविधियों से ₹6,950 करोड़ जुटा चुकी थी। यह राशि मुख्य रूप से कोल इंडिया लिमिटेड में 3% हिस्सेदारी, रेल विकास निगम लिमिटेड में 5.36% हिस्सेदारी और एसजेवीएन लिमिटेड में 4.92% शेयर बिक्री से प्राप्त हुई।

 

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य जानकारी

  • निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव: तुहिन कांत पांडे

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एनएसओ ने आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) वार्षिक रिपोर्ट 2022-2023 जारी की

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एनएसओ के पीएलएफएस सर्वेक्षण से अप्रैल से जून 2023 के लिए भारतीय श्रम बाजार में सकारात्मक रुझान का पता चलता है, जोकि निम्नलिखित प्रकार से है- बेरोजगारी में कमी आई है, एलएफपीआर में वृद्धि हुई है और डब्ल्यूपीआर में सुधार हुआ है।

 

एनएसओ (राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय) द्वारा पीएलएफएस (आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण) ने अप्रैल से जून 2023 की अवधि के लिए अपने परिणाम जारी किए हैं।

रिपोर्ट देश की बेरोजगारी दर में उल्लेखनीय कमी, श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में वृद्धि और श्रमिक-जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) में सुधार का संकेत देती है।

 

इस सर्वेक्षण में 5,639 प्रथम-चरण नमूना इकाइयों (एफएसयू) और 44,190 शहरी परिवारों में 1,67,916 व्यक्तियों से डेटा का नमूना लिया गया है।  सर्वेक्षण भारत के श्रम बाजार की बदलती गतिशीलता में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

 

श्रम बल की भागीदारी में सकारात्मक परिवर्तन

पीएलएफएस की प्रमुख बातों में से एक 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में वृद्धि है। शहरी क्षेत्रों में, एलएफपीआर अप्रैल-जून 2022 में 47.5% से बढ़कर 2023 की समान अवधि में 48.8% हो गया है। यह डेटा एक आशाजनक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जो श्रम बल में बढ़ती भागीदारी का संकेत देता है।

 

श्रम बल भागीदारी में लैंगिक असमानता

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने नोट किया कि इस अवधि के दौरान पुरुषों के लिए एलएफपीआर 73.5% पर अपेक्षाकृत स्थिर रहा, वहीं महिलाओं के लिए उल्लेखनीय वृद्धि हुई। महिलाओं का एलएफपीआर 20.9% से बढ़कर 23.2% हो गया।

 

श्रमिक-जनसंख्या अनुपात में वृद्धि

श्रमिक-जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) किसी देश के श्रम बाजार के स्वास्थ्य का एक और महत्वपूर्ण संकेतक है। अप्रैल-जून 2022 में, शहरी क्षेत्रों में, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए डब्ल्यूपीआर 2023 के समान महीनों में 43.9% से बढ़कर, 45.5% हो गया।

 

रोजगार में एक आशाजनक परिवर्तन

डब्ल्यूपीआर में वृद्धि कार्यरत आयु वर्ग की आबादी के अनुपात में सकारात्मक रुझान का संकेत देती है। आंकड़ों से पता चलता है कि यह सुधार दोनों लिंगों में देखा गया, पुरुषों के लिए डब्ल्यूपीआर 68.3% से बढ़कर 69.2% हो गया और महिलाओं के लिए यह 18.9% से बढ़कर 21.1% हो गया।

 

घटती बेरोजगारी दर

संभवतः, पीएलएफएस से सबसे उत्साहजनक निष्कर्ष 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर (यूआर) में घटती प्रवृत्ति है। शहरी क्षेत्रों में, यूआर अप्रैल-जून 2022 में 7.6% से घटकर 2023 की समान अवधि में 6.6% हो गया।

 

बेरोजगारी में संतुलित गिरावट

रिपोर्ट में बताया गया है कि यह गिरावट पुरुष और महिला दोनों बेरोजगारी दर में देखी गई। पुरुषों के लिए, यूआर 7.1% से घटकर 5.9% हो गया, जबकि महिलाओं के लिए, यह 9.5% से घटकर 9.1% हो गया। बेरोजगारी में यह गिरावट भारतीय श्रम बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो दर्शाता है कि अधिक लोगों को लाभकारी रोजगार मिल रहा है।

 

महामारी-पूर्व स्तरों की तुलना

सरकार का दावा है कि शहरी क्षेत्रों में इन प्रमुख श्रम बाजार संकेतकों में सुधार न केवल सकारात्मक है, बल्कि महामारी से पहले के स्तर को भी पार कर गया है। अप्रैल-जून 2018 और अक्टूबर-दिसंबर 2019 के बीच की अवधि के आंकड़ों की तुलना करने पर एलएफपीआर 46.2% से 47.8% तक था, जबकि नवीनतम रिपोर्ट में यह 48.8% तक पहुंच गया।

 

महामारी-पूर्व श्रम बाज़ार में सुधार: अत्याधिक लाभ

इसी तरह, महामारी से पूर्व डब्ल्यूपीआर 41.8% से 44.1% के बीच था, परंतु, अब यह 45.5% है। महामारी से पूर्व समय की अवधि में बेरोजगारी दर 7.8% और 9.7% के बीच थी, जबकि नवीनतम सर्वेक्षण 6.6% की निम्न दर का संकेत देता है। सरकार के अनुसार, यह महामारी से पहले की तिमाहियों में देखी गई बेरोजगारी दर से काफी कम है।

 

सुधार और वृद्धि के संकेत

बेरोजगारी दर में कमी, श्रम बल भागीदारी दर में वृद्धि और श्रमिक-जनसंख्या अनुपात में वृद्धि नौकरी बाजार में सुधार का संकेत है। इसके अलावा, सरकार का दावा है कि ये संकेतक महामारी-पूर्व के स्तर को पार कर गए हैं, जिससे यह ज्ञात होता है कि भारत का श्रम बाजार न केवल ठीक हो गया है, बल्कि विकास के पथ पर भी है। इन रुझानों को देश की आर्थिक स्थिरता और उसके नागरिकों की भलाई के लिए एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा सकता है।

 

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