ऑस्ट्रेलिया ने जीता ICC महिला चैंपियनशिप का खिताब

ऑस्ट्रेलिया ने फिर से महिला क्रिकेट में अपनी प्रभुता का परिचय देते हुए तीसरी बार लगातार ICC महिला चैंपियनशिप जीत ली। मेलबर्न में आयोजित एक भव्य समारोह में टीम को ICC महिला चैंपियनशिप ट्रॉफी से सम्मानित किया गया। यह ट्रॉफी 10 टीमों के बीच खेले गए प्रतियोगिता के विजेता को दी गई, जो ICC महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 के लिए एक मार्गदर्शक प्रतियोगिता के रूप में कार्य करती है। कप्तान एलिसा हीली ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष और ICC निदेशक माइक बर्ड से ट्रॉफी प्राप्त की।

इस चैंपियनशिप की शुरुआत 2014 में हुई थी और यह महिला क्रिकेट के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जिससे नियमित द्विपक्षीय श्रृंखलाओं की संभावना बढ़ी है। 2022-25 चक्र में ऑस्ट्रेलिया ने 24 मैचों में 39 अंक के साथ शीर्ष स्थान प्राप्त किया, इसके बाद भारत, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और न्यूजीलैंड का स्थान रहा, जिन्होंने भी सीधे 2025 महिला विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया। बाकी टीमों को अंतिम दो स्थानों के लिए क्वालिफायर टूर्नामेंट में भाग लेना होगा।

ICC महिला चैंपियनशिप 22-2025 की प्रमुख बातें:

  • ऑस्ट्रेलिया की जीत: ऑस्ट्रेलिया ने तीसरी बार लगातार चैंपियनशिप जीती।
  • कप्तान एलिसा हीली ने ट्रॉफी प्राप्त की: ट्रॉफी को माइक बर्ड (क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष और ICC निदेशक) से मेलबर्न में प्राप्त किया।
  • ICC महिला चैंपियनशिप का इतिहास और विकास: 2014 में शुरू हुई, इस प्रतियोगिता ने महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और नियमित अंतर्राष्ट्रीय श्रृंखलाओं की योजना बनाई।
  • प्रदर्शन और अंक तालिका: ऑस्ट्रेलिया 39 अंक के साथ शीर्ष पर रहा, जबकि भारत (37 अंक), इंग्लैंड (32 अंक), दक्षिण अफ्रीका (25 अंक), श्रीलंका (22 अंक), और न्यूजीलैंड (21 अंक) ने 2025 महिला विश्व कप के लिए सीधे क्वालीफाई किया।
  • क्वालिफायर के लिए टीम्स: बांग्लादेश (21 अंक), वेस्ट इंडीज (18 अंक), पाकिस्तान (17 अंक), और आयरलैंड (8 अंक) को क्वालिफायर में भाग लेना होगा। अतिरिक्त टीमों में स्कॉटलैंड और थाईलैंड शामिल हैं, जो अक्टूबर 31, 2024 तक उच्चतम रैंक पर हैं।
  • प्रमुख व्यक्तित्वों के बयान: ICC अध्यक्ष जय शाह ने ऑस्ट्रेलिया की जीत पर बधाई दी, जबकि एलिसा हीली और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष माइक बर्ड ने टीम की कड़ी मेहनत और रणनीतिक दृष्टिकोण की सराहना की।

महत्व: यह चैंपियनशिप महिला टीमों के लिए नियमित अंतर्राष्ट्रीय मैचों की सुनिश्चितता प्रदान करती है, प्रतियोगिता को मजबूत करती है, और वैश्विक आयोजनों से पहले खिलाड़ियों के विकास को बढ़ावा देती है। इसके साथ ही यह महिला क्रिकेट विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

विवरण जानकारी
खबर में क्यों है? ऑस्ट्रेलिया ने ICC महिला चैंपियनशिप ट्रॉफी जीती
विजेता ऑस्ट्रेलिया
चक्र 2022-25
सीधे क्वालीफाई करने वाली टीमें ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका
क्वालिफायर के लिए क्वालीफाई करने वाली टीमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, वेस्ट इंडीज, आयरलैंड, स्कॉटलैंड और थाईलैंड

PM Modi ने ‘उत्कर्ष ओडिशा’ बिजनेस कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जनवरी 2025 को भुवनेश्वर के जनतामैदान में ‘उत्कर्ष ओडिशा – मेक इन ओडिशा कॉन्क्लेव 2025’ का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण महजी, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अश्विनी वैष्णव, तथा भारत के विभिन्न हिस्सों से आए व्यवसायिक नेताओं ने भाग लिया। यह ओडिशा का अब तक का सबसे बड़ा व्यापारिक कार्यक्रम है। इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य निवेश को बढ़ावा देना, औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करना और ओडिशा को पूर्वी भारत का एक प्रमुख आर्थिक केंद्र के रूप में स्थापित करना है।

सम्मेलन के मुख्य अंश:

कार्यक्रम का अवलोकन:

  • भुवनेश्वर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन।
  • ओडिशा के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और वैश्विक व्यवसायिक नेताओं की उपस्थिति।
  • ओडिशा का अब तक का सबसे बड़ा व्यापार सम्मेलन।
  • ओडिशा सरकार द्वारा निवेश और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया।
  • 16 देशों से व्यापार प्रतिनिधि भाग लिया।

एजेंडा और उद्देश्य:

  • निवेश के अवसरों पर विचार करने के लिए सामान्य सत्र और क्षेत्र-विशेष चर्चाएँ।
  • औद्योगिक नवाचार और व्यापार विस्तार पर विचार-विमर्श।
  • निवेशक, नीति निर्माता और उद्योग नेताओं के लिए नेटवर्किंग के अवसर।
  • घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने का उद्देश्य।
  • ओडिशा को पूर्वी भारत में एक औद्योगिक केंद्र के रूप में प्रदर्शित किया गया।

पीएम मोदी का भाषण:

  • ओडिशा के दक्षिण-पूर्व एशिया में ऐतिहासिक व्यापारिक महत्व को उजागर किया।
  • उद्योगों से भारत को विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करने की अपील की।
  • कच्चे माल के निर्यात और तैयार माल के पुनः आयात की आलोचना की।
  • व्यवसायों से MSMEs और स्टार्टअप्स का समर्थन करने की अपील की।
  • ओडिशा के आर्थिक महत्व को पुनः प्राप्त करने पर आशावाद व्यक्त किया।

प्रमुख व्यापारिक नेता उपस्थित:

  • अनिल अग्रवाल (वेदांता समूह)
  • नवीन जिंदल (जिंदल स्टील एंड पावर)
  • ओम मंगलम बिरला (आदित्य बिरला समूह)
  • करण अडानी (अडानी समूह)

उद्योग नेताओं ने ओडिशा की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए निवेश करने का वादा किया।

विषय विवरण
समाचार में क्यों? पीएम मोदी ने ‘उत्कर्ष ओडिशा’ व्यापार सम्मेलन का उद्घाटन किया
कार्यक्रम का नाम उत्कर्ष ओडिशा – मेक इन ओडिशा कॉन्क्लेव 2025
स्थान भुवनेश्वर, ओडिशा (जनतामैदान)
उद्घाटन करने वाले पीएम मोदी
अन्य प्रमुख उपस्थितगण मुख्यमंत्री मोहन चरण महजी, धर्मेंद्र प्रधान, अश्विनी वैष्णव
व्यापार प्रतिनिधि भारत के उद्योग जगत के नेताओं और 16 देशों के राजनयिक
एजेंडा निवेश प्रोत्साहन, नेटवर्किंग, क्षेत्र-विशेष चर्चाएँ
मुख्य ध्यान ओडिशा के औद्योगिक विकास को मजबूत करना और निवेश आकर्षित करना
प्रमुख उद्योगपति उपस्थित अनिल अग्रवाल, नवीन जिंदल, ओम मंगलम बिरला, करण अडानी

भारत-ओमान के बीच आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने हेतु बातचीत तेज, CEPA पर सहमति जल्द

भारत और ओमान ने अपने आर्थिक रिश्ते को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर चर्चा तेज करने पर सहमति जताई है और अपने मौजूदा दोहरे कराधान से बचाव समझौते (DTAA) को संशोधित करने के लिए एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए हैं।

टैक्स संधि में क्या बदलाव किए जा रहे हैं?

DTAA में संशोधन का उद्देश्य इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना है, खासकर सीमा पार कराधान पर। यह बदलाव टैक्स प्रक्रियाओं को सरल बनाने और दोनों देशों के टैक्स प्राधिकरणों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करेगा, जिससे द्विपक्षीय व्यापार में संलिप्त कंपनियों के लिए व्यापार संचालन में सहजता आएगी।

CEPA द्विपक्षीय व्यापार पर कैसे प्रभाव डालेगा?

CEPA के प्रस्तावित समझौते से भारत और ओमान के बीच व्यापार और निवेश में महत्वपूर्ण वृद्धि की उम्मीद है। यह समझौता सामान और सेवाओं पर शुल्क को कम या समाप्त करने के माध्यम से व्यापारिक वातावरण को बेहतर बनाने का प्रयास करेगा। इससे निर्यातकों और निवेशकों के लिए नए रास्ते खुलेंगे और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

भारत और ओमान के बीच वर्तमान व्यापारिक स्थिति क्या है?

वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुसार, भारत का ओमानी को निर्यात $4.47 बिलियन था, जबकि आयात $4.5 बिलियन के आसपास था। द्विपक्षीय व्यापार में पेट्रोलियम उत्पादों, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाइयां, मशीनरी और लोहा और स्टील जैसे विभिन्न क्षेत्रों का समावेश है। CEPA इस व्यापार पोर्टफोलियो को और विविध और विस्तारित करने का लक्ष्य रखता है, जिससे दोनों देशों के विभिन्न उद्योगों को लाभ होगा।

विषय विवरण
समाचार में क्यों? भारत और ओमान ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर चर्चा को तेज करने पर सहमति जताई है और अपने मौजूदा दोहरे कराधान से बचाव समझौते (DTAA) को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप संशोधित करने के लिए एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए हैं।
व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA) एक प्रकार का मुक्त व्यापार समझौता है जो सामान और सेवाओं, निवेश, और अन्य आर्थिक साझेदारी क्षेत्रों में व्यापार को कवर करता है।
दोहरी कराधान से बचाव समझौता (DTAA) दो या दो से अधिक देशों के बीच एक संधि है, जिसका उद्देश्य एक ही आय पर दो बार कराधान से बचना है, जिससे सीमा पार व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलता है।
ओमान: त्वरित तथ्य राजधानी: मस्कट
मुद्रा: ओमान रियाल (OMR)
राज्य प्रमुख: सुलतान हैथम बिन तारेक
आधिकारिक भाषा: अरबी
स्थान: अरबी प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्वी तट
पड़ोसी देश: संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यमन
मुख्य निर्यात: तेल, प्राकृतिक गैस, खजूर, मछली
रणनीतिक जल मार्ग: होर्मुज जलडमरूमध्य
भारत-ओमान व्यापार संबंध वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का ओमान को निर्यात $4.47 बिलियन था, जबकि आयात $4.5 बिलियन था।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा महाराजा हरि सिंह पुरस्कार से सम्मानित

जम्मू के सत्यं रिज़ॉर्ट में आयोजित एक भव्य समारोह में लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा को प्रतिष्ठित महाराजा हरि सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गुलिस्तान न्यूज़ नेटवर्क द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के तहत “महाराजा हरि सिंह पीस एंड हार्मोनी अवॉर्ड 2024-25” का आयोजन किया गया था। यह सम्मान जम्मू-कश्मीर में सुधारों और योजनाओं के प्रति एलजी सिन्हा के योगदान को मान्यता देने के लिए दिया गया।

महाराजा हरि सिंह को श्रद्धांजलि

इस अवसर पर एलजी मनोज सिन्हा ने महाराजा हरि सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने मरणोपरांत सम्मानित किए गए पंडित प्रेमनाथ डोगरा, पंडित गिर्धारी लाल डोगरा और श्री देवेंद्र सिंह राणा को भी याद किया और जनसेवा और नेतृत्व में उनके योगदान की सराहना की।

कौन थे महाराजा हरि सिंह?

अपने संबोधन में एलजी सिन्हा ने महाराजा हरि सिंह को आधुनिक जम्मू-कश्मीर का प्रमुख शिल्पकार बताया। उन्होंने कहा कि महाराजा द्वारा शुरू किए गए क्रांतिकारी सुधारों ने समाज और क्षेत्र के विकास पर गहरा प्रभाव डाला।

उन्होंने कहा, “महाराजा हरि सिंह जी गरीबों और वंचितों के कल्याण के प्रति अडिग थे। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्य किया। उनका जीवन साहस और दृढ़ संकल्प की गाथा है, जो समाज के उत्थान के लिए समर्पित थी।”

एलजी सिन्हा ने आगे कहा कि महाराजा हरि सिंह ने इतिहास के एक महत्वपूर्ण दौर में जम्मू-कश्मीर के भाग्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाई, जिससे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ (Ek Bharat, Shreshtha Bharat) का सपना साकार हुआ।

समावेशी विकास की दिशा में आह्वान

एलजी सिन्हा ने समाज के सभी वर्गों को “विकसित भारत” (Viksit Bharat) के दृष्टिकोण में भागीदार बनने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि महाराजा हरि सिंह पुरस्कार उन प्रयासों को मान्यता देता है जो शांति, समावेशी विकास और सामुदायिक सद्भाव को बढ़ावा देते हैं।

उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे भारत तेज़ आर्थिक विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है, साहित्य, समाज सेवा, खेल, शिक्षा और व्यापार में आपका योगदान हमारी सामाजिक संरचना को मजबूत करता है। समाज के कमजोर वर्गों का सशक्तिकरण और महिलाओं की उन्नति हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”

भारत: एक आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में

भारत की प्रगति पर चर्चा करते हुए, एलजी सिन्हा ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा। उन्होंने पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई महत्वपूर्ण प्रगति को इसका आधार बताया।

“पिछले 10 वर्षों में हमने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे हमें आश्वस्त करती हैं कि ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य अब दूर नहीं है। लेकिन यह लक्ष्य केवल सरकार के प्रयासों से नहीं हासिल किया जा सकता; इसके लिए प्रत्येक नागरिक की सहभागिता आवश्यक है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने सभी नागरिकों से राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय भाग लेने का आग्रह किया। “हमारी भले ही अलग-अलग पहचान हो, लेकिन हमारी जड़ें और हमारी नियति एक है। आइए, हम सभी मिलकर भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कार्य करें,” उन्होंने जोड़ा।

महाराजा हरि सिंह की विरासत को सम्मान

एलजी सिन्हा ने यह भी घोषणा की कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महाराजा हरि सिंह की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की पुरानी मांग को पूरा किया है। यह निर्णय महाराजा की विरासत और क्षेत्र के लिए उनके योगदान को सम्मानित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

अखिल भारतीय उर्दू मुशायरा: कला और संस्कृति का उत्सव

इस कार्यक्रम के समानांतर, जम्मू और कश्मीर अकादमी ऑफ आर्ट, कल्चर एंड लैंग्वेजेज ने अभिनव थिएटर, जम्मू में अखिल भारतीय उर्दू मुशायरा का आयोजन किया। यह आयोजन गणतंत्र दिवस 2024 के 76वें समारोहों का हिस्सा था।

इस मुशायरे में जम्मू-कश्मीर और देशभर के प्रसिद्ध शायरों, साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। यह आयोजन भारत की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाने के लिए आयोजित किया गया था, जिसने प्रतिभागियों के बीच एकता और रचनात्मकता की भावना को बढ़ावा दिया।

श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा को जम्मू में आयोजित एक समारोह में महाराजा हरि सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम गुलिस्तान न्यूज़ नेटवर्क द्वारा महाराजा हरि सिंह पीस एंड हार्मोनी अवॉर्ड 2024-25 के तहत आयोजित किया गया था।
पुरस्कार की मान्यता यह सम्मान जम्मू-कश्मीर में सुधार और योजनाओं के लिए एलजी सिन्हा के योगदान को मान्यता देने के लिए प्रदान किया गया।
महाराजा हरि सिंह को श्रद्धांजलि एलजी सिन्हा ने महाराजा हरि सिंह के जम्मू-कश्मीर के भारत में एकीकरण और उनके सामाजिक सुधारों में योगदान को रेखांकित किया।
मरणोपरांत सम्मानित व्यक्तित्व इस पुरस्कार के तहत पंडित प्रेमनाथ डोगरा, पंडित गिर्धारी लाल डोगरा और श्री देवेंद्र सिंह राणा को जनकल्याण में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
महाराजा हरि सिंह की विरासत वे दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक उत्थान को बढ़ावा दिया।
समावेशी विकास की अपील एलजी सिन्हा ने समाज के कमजोर वर्गों और महिलाओं के सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया।
भारत के विकास लक्ष्य एलजी सिन्हा ने 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने का विश्वास व्यक्त किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को आर्थिक प्रगति का आधार बताया।
सार्वजनिक अवकाश की घोषणा जम्मू-कश्मीर सरकार ने महाराजा हरि सिंह की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने का निर्णय लिया।
अखिल भारतीय उर्दू मुशायरा 76वें गणतंत्र दिवस समारोह के तहत, जम्मू-कश्मीर अकादमी ऑफ आर्ट, कल्चर एंड लैंग्वेजेज ने अभिनव थिएटर, जम्मू में उर्दू मुशायरा का आयोजन किया, जिसमें प्रसिद्ध शायरों ने भाग लिया।

बजट ने भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे आकार दिया है: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

भारत के केंद्रीय बजट (Union Budget) ने देश की आर्थिक प्रगति को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक, प्रत्येक बजट ने भारत की बदलती प्राथमिकताओं, चुनौतियों और आकांक्षाओं को दर्शाया है। यह बजट न केवल विकास और सुधारों का खाका प्रस्तुत करता है, बल्कि राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन में भी अहम योगदान देता है।

1. स्वतंत्रता के बाद का युग (1947-1970 का दशक): आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की नींव

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारत के सामने आर्थिक आत्मनिर्भरता हासिल करने की चुनौती थी। शुरुआती बजट का ध्यान औद्योगिकीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास और सामाजिक कल्याण पर था।

  • पहला बजट (1947): भारत के पहले वित्त मंत्री आर. के. शनमुखम चेट्टी ने प्रस्तुत किया। इसमें ₹92.74 करोड़ रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित किए गए, जो विभाजन के बाद की सुरक्षा चिंताओं को दर्शाता था।
  • औद्योगीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र: 1950 और 1960 के दशक के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और भारी उद्योगों की स्थापना पर जोर दिया गया। इस दौरान पाँच वर्षीय योजनाओं के तहत इस्पात, कोयला और विद्युत क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई।
  • हरित क्रांति (Green Revolution): 1960 के दशक में, बजट के माध्यम से कृषि, सिंचाई और उर्वरकों में निवेश को बढ़ावा दिया गया। इससे भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बना

इस दौर में राज्य के नेतृत्व वाले विकास और निजी क्षेत्र के संयोजन से मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy) की नींव रखी गई।

2. उदारीकरण का युग (1980-1990 का दशक): मुक्त अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता भारत

1980 और 1990 के दशक में भारत ने नियंत्रित अर्थव्यवस्था से एक खुली और बाजार आधारित अर्थव्यवस्था की ओर परिवर्तन किया

  • 1991 का आर्थिक संकट: भारत को गंभीर भुगतान संतुलन संकट (Balance of Payments Crisis) का सामना करना पड़ा, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार खतरनाक स्तर तक गिर गया।
  • ऐतिहासिक 1991 का बजट: तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा प्रस्तुत इस बजट में ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई, जिनमें शामिल थे:
    • उदारीकरण (Liberalization): सरकार के नियंत्रण को कम करना और विदेशी निवेश को बढ़ावा देना।
    • व्यापार सुधार (Trade Reforms): आयात शुल्क में कटौती और निर्यात को प्रोत्साहन।
    • निजीकरण (Privatization): निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की निर्भरता को कम करना।

इन सुधारों ने भारत को संकट से उबारने के साथ-साथ तेज़ आर्थिक वृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त किया

3. समावेशी विकास (2000-2010 का दशक): सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता

2000 के दशक में, बजट ने ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।

  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) – 2005: यह योजना ग्रामीण परिवारों को 100 दिन का गारंटीकृत रोजगार प्रदान करने के लिए शुरू की गई, जिससे गरीबी और बेरोजगारी को कम किया गया।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य: सर्व शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan) और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (National Rural Health Mission) जैसे कार्यक्रमों को बजट के माध्यम से समर्थन मिला।
  • बुनियादी ढांचे का विकास: सड़क, बंदरगाह और दूरसंचार में निवेश को प्राथमिकता दी गई ताकि देश की आर्थिक विकास दर को गति दी जा सके

इस दशक में, सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि आर्थिक विकास के लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचे, विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित समुदायों तक।

4. डिजिटल और हरित क्रांति (2019-2024): प्रौद्योगिकी और सतत विकास पर जोर

हाल के वर्षों में, बजट ने प्रौद्योगिकी के उपयोग और सतत विकास (Sustainable Development) को अपनाने पर ध्यान केंद्रित किया है।

  • डिजिटल इंडिया कार्यक्रम (Digital India Program) – 2015: इस पहल के तहत इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिजिटल भुगतान और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा दिया गया।
  • गतिशक्ति मास्टर प्लान (Gati Shakti Master Plan) – 2021: यह योजना देश के लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए बनाई गई, जिससे आर्थिक दक्षता (Economic Efficiency) में वृद्धि हो।
  • हरित ऊर्जा (Green Energy):
    • सौर ऊर्जा परियोजनाओं (Solar Energy Projects) में निवेश।
    • इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा
    • ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (Green Hydrogen Mission) के तहत स्वच्छ ऊर्जा को प्राथमिकता।
  • कोविड-19 प्रतिक्रिया: महामारी के दौरान बजट ने स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने, वैक्सीन विकास और आर्थिक राहत उपायों पर ध्यान केंद्रित किया।

इन पहलों से यह स्पष्ट होता है कि भारत प्रौद्योगिकी और सतत विकास को अपनी भविष्य की आर्थिक रणनीति का अभिन्न हिस्सा बना रहा है।

5. दशकों से प्रमुख बजटीय विषय

  • आर्थिक सुधार: 1991 के उदारीकरण से लेकर 2017 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करने तक, बजट संरचनात्मक सुधारों (Structural Reforms) का माध्यम रहा है।
  • सामाजिक कल्याण: MGNREGA, आयुष्मान भारत, पीएम-किसान जैसी योजनाओं ने समावेशी विकास को बढ़ावा दिया
  • बुनियादी ढांचे का विकास: सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे और डिजिटल अवसंरचना (Digital Infrastructure) में निवेश लगातार प्राथमिकता बना रहा।
  • वैश्विक एकीकरण: व्यापार सुधारों, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीतियों और निर्यात प्रोत्साहन ने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ने में मदद की

निष्कर्ष

भारत का केंद्रीय बजट केवल एक वार्षिक वित्तीय दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिक दिशा, नीतियों और सामाजिक कल्याण पहलों को आकार देने का एक शक्तिशाली साधन है। स्वतंत्रता के बाद से अब तक, प्रत्येक बजट ने नई आर्थिक नीतियों, सुधारों और विकास रणनीतियों को परिभाषित किया है। आज, भारत प्रौद्योगिकी, हरित ऊर्जा और समावेशी विकास को अपनाते हुए वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है।

भारतीय समाचार पत्र दिवस 2025: इतिहास, विषय और महत्व

भारतीय समाचार पत्र दिवस (Indian Newspaper Day) प्रतिवर्ष 29 जनवरी को मनाया जाता है। इसे राष्ट्रीय समाचार पत्र दिवस (National Newspaper Day) के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन पूर्व-स्वतंत्रता युग में पहले समाचार पत्र के प्रकाशन की स्मृति में मनाया जाता है और पत्रकारिता की लोकतांत्रिक भूमिका को रेखांकित करता है। इसका उद्देश्य नागरिकों को समाचार पत्र पढ़ने की आदत को प्रोत्साहित करना और उन्हें सामाजिक-राजनीतिक मामलों से अवगत कराना है।

भारतीय समाचार पत्र दिवस का इतिहास

भारत के पहले समाचार पत्र का प्रकाशन

भारतीय समाचार पत्र दिवस की उत्पत्ति 29 जनवरी 1780 को हुई, जब जेम्स ऑगस्टस हिक्की (James Augustus Hicky) ने भारत का पहला मुद्रित समाचार पत्र “हिक्की’ज़ बंगाल गजट” (Hicky’s Bengal Gazette) प्रकाशित किया। इसे “कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर” (Calcutta General Advertiser) के नाम से भी जाना जाता था। ब्रिटिश शासन के दौरान कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) से शुरू हुए इस साप्ताहिक अख़बार ने भारत में पत्रकारिता के नए युग की शुरुआत की।

हिक्की’ज़ बंगाल गजट का बंद होना

हालाँकि, यह अख़बार अपने निडर और ब्रिटिश प्रशासन की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए प्रसिद्ध हुआ। विशेष रूप से, गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स के खिलाफ इसके आलोचनात्मक दृष्टिकोण ने ब्रिटिश सरकार को नाराज़ कर दिया। इसके परिणामस्वरूप 1782 में इस समाचार पत्र को बंद कर दिया गया। बावजूद इसके, यह अख़बार भारतीय पत्रकारिता की नींव रखने में अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभा चुका था।

भारतीय समाचार पत्र दिवस का महत्व

पत्रकारिता की विरासत को सम्मान

यह दिन भारतीय पत्रकारिता की समृद्ध विरासत को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। समाचार पत्रों ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर लोकतंत्र की स्थापना तक जनता की आवाज़ बुलंद करने और सत्ता को जवाबदेह बनाने में अहम भूमिका निभाई है।

जनता और प्रशासन के बीच सेतु

ब्रिटिश शासन के दौरान, समाचार पत्रों ने आम जनता और प्रशासन के बीच संवाद स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हिक्की’ज़ बंगाल गजट और अन्य समाचार पत्रों ने गरीबों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों की वकालत की, जिससे वे सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम बने।

सूचित निर्णय लेने की प्रवृत्ति को बढ़ावा

आज के डिजिटल युग में, जहां जानकारी छोटी-छोटी खबरों और सोशल मीडिया के माध्यम से मिलती है, भारतीय समाचार पत्र दिवस गहन और तथ्यात्मक पढ़ाई को प्रोत्साहित करता है। समाचार पत्र नागरिकों को सही निर्णय लेने, लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने और समाज को सूचित रखने में मदद करते हैं।

 भारतीय समाचार पत्रों का विकास

ब्रिटिश शासन के दौरान प्रारंभिक समाचार पत्र

हिक्की’ज़ बंगाल गजट के बंद होने के बाद, भारत में कई अन्य समाचार पत्र प्रकाशित हुए, जिनमें प्रमुख थे:

  • द बंगाल जर्नल
  • कलकत्ता क्रॉनिकल
  • मद्रास कूरियर
  • बॉम्बे हेराल्ड

हालाँकि, इन समाचार पत्रों को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेंसरशिप नीतियों का सामना करना पड़ा।

1878 का ‘वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट’

ब्रिटिश सरकार ने भारतीय भाषाओं में छपने वाले समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगाने के लिए ‘वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट’ (1878) लागू किया। तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिटन द्वारा पारित इस अधिनियम ने भारतीय अख़बारों की स्वतंत्रता को बाधित किया और ब्रिटिश शासन की आलोचना करने वाले प्रकाशनों को दबाने का प्रयास किया।

स्वतंत्रता के बाद समाचार पत्रों में बदलाव

प्रेस जांच समिति (Press Enquiry Committee)

स्वतंत्रता के बाद, 1947 में भारतीय सरकार ने प्रेस कानूनों की समीक्षा के लिए प्रेस जांच समिति का गठन किया। इसका उद्देश्य भारतीय संविधान में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुरूप प्रेस कानूनों में सुधार करना था।

1954 में जस्टिस राजाध्याक्ष प्रेस आयोग

1954 में, जस्टिस राजाध्याक्ष प्रेस आयोग का गठन किया गया। इसका उद्देश्य भारत में समाचार पत्रों के प्रसार का अध्ययन करना और पत्रकारिता के मानकों को सुधारने के लिए सिफारिशें देना था। इस आयोग की सिफारिशों के आधार पर “ऑल इंडिया प्रेस काउंसिल” की स्थापना की गई।

भारतीय प्रेस परिषद (PCI)

स्थापना और उद्देश्य

भारतीय प्रेस परिषद (PCI) 1966 में भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम, 1965 के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित की गई। इसका मुख्य उद्देश्य पत्रकारिता की स्वतंत्रता को बनाए रखना और समाचार पत्रों के मानकों की रक्षा करना था।

आपातकाल और पुनःस्थापना

1975 के आपातकाल के दौरान भारतीय प्रेस परिषद को भंग कर दिया गया था और 1965 का अधिनियम निरस्त कर दिया गया। लेकिन 1979 में “प्रेस काउंसिल एक्ट, 1978” के तहत इसे फिर से स्थापित किया गया।समाचार पत्रों की वर्तमान प्रासंगिकता

डिजिटल युग में समाचार पत्रों का अनुकूलन

डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के बावजूद, समाचार पत्र आज भी विश्वसनीय पत्रकारिता के केंद्र बने हुए हैं। भारतीय समाचार पत्र दिवस तथ्यात्मक रिपोर्टिंग और निष्पक्ष समाचारों के महत्व को दर्शाता है।

समाचार पत्र पढ़ने की आदत को पुनर्जीवित करना

यह दिवस लोगों को समाचार पत्र पढ़ने की आदत को पुनर्जीवित करने के लिए प्रेरित करता है। समाचार पत्रों की गहरी विश्लेषणात्मक दृष्टि और संतुलित दृष्टिकोण उन्हें भारत के मीडिया परिदृश्य में एक विशेष स्थान प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष 

भारतीय समाचार पत्र दिवस न केवल पत्रकारिता के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि सूचित नागरिकता, लोकतांत्रिक आदर्शों और निष्पक्ष पत्रकारिता को बढ़ावा देने का भी संदेश देता है। समाचार पत्रों का सतत विकास और उनकी निष्पक्ष रिपोर्टिंग की परंपरा भारत के लोकतंत्र की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

ब्लू कार्बन क्या है और कार्बन पृथक्करण में इसकी भूमिका क्या है?

2024 में प्रकाशित एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट “ब्लू कार्बन और कार्बन पृथक्करण में इसकी भूमिका” ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में मैंग्रोव वनों की अपार क्षमता को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, मैंग्रोव अकेले प्रति हेक्टेयर 1,000 टन से अधिक कार्बन संग्रहीत कर सकते हैं, जिससे वे प्राकृतिक कार्बन भंडार के रूप में अत्यंत प्रभावी साबित होते हैं। यह खोज जलवायु परिवर्तन को कम करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के वैश्विक प्रयासों में ब्लू कार्बन पारिस्थितिक तंत्र के महत्व को दर्शाती है।

ब्लू कार्बन क्या है?

परिभाषा और क्षेत्र

ब्लू कार्बन उस कार्बन को संदर्भित करता है जो महासागरीय और तटीय पारिस्थितिक तंत्र द्वारा अवशोषित और संग्रहीत किया जाता है। इनमें मैंग्रोव वन, समुद्री घास (सीग्रास) के मैदान, लवणीय दलदल और ज्वारीय दलदल शामिल हैं। ये तटीय पारिस्थितिकी तंत्र, स्थलीय (जमीनी) वनों की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी ढंग से कार्बन पृथक (सेक्वेस्टर) और संग्रहीत करते हैं, जिससे वे जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए महत्वपूर्ण बन जाते हैं।

ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका

ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र पृथ्वी के सबसे प्रभावी कार्बन भंडारों में से एक हैं। ये स्थलीय वनों की तुलना में अधिक तेजी से कार्बन अवशोषित और संग्रहीत करते हैं। ये पारिस्थितिक तंत्र न केवल CO₂ को अवशोषित कर जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करते हैं, बल्कि कई अन्य पारिस्थितिक लाभ भी प्रदान करते हैं, जैसे –
तटीय सुरक्षा – तूफानों, सुनामियों और समुद्री जलस्तर वृद्धि से बचाव।
जैव विविधता संरक्षण – कई समुद्री और स्थलीय प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करना।
आजीविका सहायता – तटीय समुदायों को मछली, लकड़ी और शहद जैसे संसाधन उपलब्ध कराना।

मैंग्रोव का कार्बन पृथक्करण में योगदान

मैंग्रोव – कार्बन भंडारण के पावरहाउस

रिपोर्ट के अनुसार, मैंग्रोव वनों की कार्बन संग्रहीत करने की क्षमता अत्यधिक प्रभावी होती है। ये प्रति हेक्टेयर 1,000 टन से अधिक कार्बन संग्रहीत कर सकते हैं, जो अधिकांश स्थलीय वनों की तुलना में कहीं अधिक है। मैंग्रोव पेड़ अपने जमीनी और भूमिगत दोनों भागों में कार्बन को संग्रहीत करते हैं, जिनमें से अधिकतर उनकी मृदा में संरक्षित रहता है।

ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरे

इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों को मानव गतिविधियों से गंभीर खतरा है। प्रमुख कारणों में शामिल हैं –
जल कृषि (एक्वाकल्चर) – मैंग्रोव को झींगा पालन में बदलना।
कृषि विस्तार – तटीय भूमि पर खेती के लिए अतिक्रमण।
अत्यधिक कटाई – मैंग्रोव वनों का अनियंत्रित दोहन।
प्रदूषण – स्थलीय और समुद्री स्रोतों से अपशिष्ट और रसायनों का फैलाव।
शहरी और औद्योगिक विकास – तटीय बुनियादी ढांचे का निर्माण।

मैंग्रोव पुनर्स्थापन से आर्थिक लाभ

भारत में मैंग्रोव संरक्षण से आर्थिक विकास

भारत में मैंग्रोव पुनर्स्थापन परियोजनाओं ने पारिस्थितिक तंत्र को सुधारने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया है। 2023 में कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन (CRZ) नीति के तहत सरकारी सुधारों और वित्तीय सहायता ने मैंग्रोव वनों को संरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए।

वैश्विक आर्थिक प्रभाव

विश्व आर्थिक मंच (WEF) की रिपोर्ट (जून 2023) के अनुसार, एकीकृत बहाली विधियों (इंटीग्रेटेड रिस्टोरेशन मेथड्स) से तटीय GDP में 15% तक की वृद्धि हो सकती है
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने 2024 में बताया कि ब्लू कार्बन पुनर्स्थापन में 1 डॉलर निवेश करने से 6 डॉलर का आर्थिक लाभ प्राप्त होता है

मैंग्रोव पुनर्स्थापन के लिए सरकारी पहल

MISHTI: मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटेट्स एंड टैंगिबल इनकम्स

MISHTI योजना भारत और अन्य देशों में 540 किमी के मैंग्रोव वनों को पुनर्स्थापित करने के लिए शुरू की गई है।
इस कार्यक्रम का लक्ष्य दिसंबर 2024 तक 250 किमी² क्षेत्र को पुनर्स्थापित करना है।
इसके तहत तटीय पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा, जैव विविधता संरक्षण और स्थानीय आजीविका में सुधार किया जाएगा।

भारत की तटीय नियमन नीति (CRZ) सुधार

मुख्य प्रावधान

CRZ क्षेत्र की परिभाषा

  • उच्च ज्वार रेखा (HTL) से 500 मीटर तक का तटीय क्षेत्र और ज्वार रेखाओं के बीच का क्षेत्र CRZ क्षेत्र घोषित किया जाता है।
  • HTL को अधिकृत संस्थानों द्वारा वसंत ज्वार (स्प्रिंग टाइड) के उच्चतम जल स्तर के आधार पर परिभाषित किया जाता है।

CRZ क्षेत्रों का वर्गीकरण

CRZ-I – राष्ट्रीय उद्यान, मैंग्रोव, मूंगा चट्टानें, बाढ़ प्रवण क्षेत्र।
CRZ-II – नगर पालिका सीमा के भीतर विकसित तटीय क्षेत्र।
CRZ-III – ग्रामीण और अपेक्षाकृत अप्रभावित तटीय क्षेत्र।
CRZ-IV – अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप और अन्य द्वीपीय क्षेत्र।

CRZ में निषिद्ध गतिविधियाँ

उद्योगों की स्थापना या विस्तार (विशेष परिस्थितियों को छोड़कर)।
खतरनाक पदार्थों का उत्पादन, भंडारण या निपटान।
अनुपचारित अपशिष्ट या सीवेज का समुद्र में प्रवाह।
भूमि पुनर्ग्रहण या समुद्री जल प्रवाह को बाधित करने वाली गतिविधियाँ।
HTL से 200 मीटर के भीतर भूजल निकासी।

CRZ में अनुमत गतिविधियाँ

CRZ-I – प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ (जैसे – ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे)।
CRZ-II – इमारतों का निर्माण या पुनर्निर्माण।
CRZ-III – HTL से 200 मीटर के भीतर कोई विकास नहीं, केवल आवश्यक मरम्मत की अनुमति।
CRZ-IV – सीवेज उपचार संयंत्र, पारंपरिक मत्स्य पालन संरक्षण और तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना।

निष्कर्ष

ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र न केवल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायक हैं, बल्कि वे तटीय पारिस्थितिकी तंत्र और आजीविका के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। सरकारों और संगठनों द्वारा इन पारिस्थितिकी तंत्रों की सुरक्षा और पुनर्स्थापन के लिए सक्रिय प्रयास करने से पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक लाभ दोनों सुनिश्चित किए जा सकते हैं।

विषय विवरण
क्यों चर्चा में? 2024 की रिपोर्ट ब्लू कार्बन और कार्बन पृथक्करण में इसकी भूमिका” के अनुसार, मैंग्रोव प्रति हेक्टेयर 1,000 टन से अधिक कार्बन संग्रहीत कर सकते हैं, जिससे वे सबसे प्रभावी प्राकृतिक कार्बन भंडार बनते हैं।
ब्लू कार्बन क्या है? महासागर और तटीय पारिस्थितिक तंत्र द्वारा अवशोषित और संग्रहीत कार्बन, जिसमें मैंग्रोव, समुद्री घास (सीग्रास) के मैदान, लवणीय दलदल और ज्वारीय दलदल शामिल हैं।
ब्लू कार्बन पारिस्थितिक तंत्र की भूमिका स्थलीय वनों की तुलना में अधिक गति से CO₂ अवशोषित करते हैं।तटीय सुरक्षा, जैव विविधता संरक्षण और आजीविका समर्थन प्रदान करते हैं।
मैंग्रोव का महत्व प्रति हेक्टेयर 1,000+ टन कार्बन संग्रहीत कर सकते हैं।भूमि और मिट्टी दोनों में कार्बन संग्रह करते हैं।
पारिस्थितिक और आर्थिक लाभ कार्बन पृथक्करण: वायुमंडलीय CO₂ कम करता है। ✅ तटीय सुरक्षा: तूफानों और समुद्री जलस्तर वृद्धि से बचाव। ✅ जैव विविधता संरक्षण: समुद्री और स्थलीय जीवों के लिए आश्रय। ✅ आजीविका सहायता: मछली, लकड़ी और शहद जैसे संसाधन।
ब्लू कार्बन पारिस्थितिक तंत्र को खतरे जल कृषि और कृषि (मैंग्रोव भूमि का खेती के लिए अतिक्रमण)।मैंग्रोव वन कटाई (अनियंत्रित वनों की कटाई)।प्रदूषण और औद्योगिक विकास (तटीय क्षरण)।
विनाश का वैश्विक प्रभाव ब्लू कार्बन पारिस्थितिक तंत्र की हानि से संग्रहित कार्बन मुक्त होता है, जिससे जलवायु परिवर्तन बढ़ता है।तटीय कटाव और जैव विविधता की हानि होती है।
मैंग्रोव पुनर्स्थापन के आर्थिक लाभ इकोटूरिज्म वृद्धि: स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा। ✅ वैश्विक आर्थिक लाभ: OECD (2024) – $1 निवेश करने पर $6 का लाभ।WEF (2023): एकीकृत पुनर्स्थापन से तटीय GDP में 15% वृद्धि।
सरकारी पहल MISHTI योजना (Mangrove Initiative for Shoreline Habitats & Tangible Incomes) – 540 किमी मैंग्रोव पुनर्स्थापन का लक्ष्य। – दिसंबर 2024 तक 250 किमी² मैंग्रोव पुनर्स्थापन। ✅ तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) नीति – तटीय विकास को नियंत्रित कर पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा।
CRZ नीति के प्रमुख प्रावधान CRZ क्षेत्र: उच्च ज्वार रेखा (HTL) से 500 मीटर तक का तटीय क्षेत्र। ✅ CRZ वर्गीकरण: पारिस्थितिक संवेदनशीलता और विकास स्तर के आधार पर चार श्रेणियाँ (I-IV)निषिद्ध गतिविधियाँ: औद्योगिक विस्तार, खतरनाक कचरे का निपटान, अनुपचारित सीवेज का निस्तारण। ✅ अनुमत गतिविधियाँ: बुनियादी ढांचा परियोजनाएँ, पारंपरिक मत्स्य पालन, संरक्षण कार्यक्रम।
जलवायु कार्रवाई में प्रासंगिकता मैंग्रोव पुनर्स्थापन वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप है।कार्बन तटस्थता, जैव विविधता संरक्षण और तटीय लचीलेपन को बढ़ावा देता है।

ICC Awards: भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह बने साल के सर्वश्रेष्ठ पुरुष खिलाड़ी

भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को प्रतिष्ठित सर गारफील्ड सोबर्स अवार्ड से नवाजा गया, जो उन्हें आईसीसी मेन्स क्रिकेटर ऑफ द ईयर 2024 के रूप में मान्यता देता है। यह पुरस्कार उनके तीनों प्रारूपों में असाधारण प्रदर्शन को सम्मानित करता है, जिससे उन्होंने आधुनिक युग के महानतम तेज गेंदबाजों में अपनी जगह पक्की कर ली है। 2024 में बुमराह ने रिकॉर्ड तोड़ उपलब्धियाँ हासिल कीं और अपनी बेहतरीन गेंदबाजी और निरंतरता से क्रिकेट जगत को प्रभावित किया।

आईसीसी अवॉर्ड्स – जसप्रीत बुमराह के प्रमुख प्रदर्शन

प्रतिष्ठित उपलब्धि

  • पुरस्कार: सर गारफील्ड सोबर्स अवार्ड (आईसीसी मेन्स क्रिकेटर ऑफ द ईयर 2024)
  • अन्य नामांकित खिलाड़ी: ट्रैविस हेड, जो रूट, हैरी ब्रूक
  • पांचवें भारतीय विजेता: पहले विजेताओं में राहुल द्रविड़ (2004), सचिन तेंदुलकर (2010), रविचंद्रन अश्विन (2016) और विराट कोहली (2017, 2018) शामिल हैं।

टेस्ट क्रिकेट में दबदबा

  • सबसे तेज भारतीय तेज गेंदबाज: 200 टेस्ट विकेट 20 से कम की औसत से लिए, जो इतिहास में सर्वश्रेष्ठ है।
  • आईसीसी टेस्ट रैंकिंग: 900 अंकों का आंकड़ा पार किया, 907 अंकों के साथ किसी भी भारतीय गेंदबाज का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन।
  • 2024 के आँकड़े: 13 टेस्ट मैचों में 71 विकेट, जो वर्ष में किसी भी गेंदबाज द्वारा सर्वाधिक और किसी भी भारतीय तेज गेंदबाज द्वारा कैलेंडर वर्ष में दूसरा सर्वाधिक (कपिल देव के बाद)।

टी20 वर्ल्ड कप 2024 में शानदार प्रदर्शन

  • टाइटल जीत में अहम भूमिका: भारत को 17 वर्षों बाद टी20 विश्व कप जिताने में महत्वपूर्ण योगदान।
  • टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी: 15 विकेट, 8.26 की औसत और 4.17 की किफायती इकॉनमी रेट।
  • महत्वपूर्ण प्रदर्शन:
    • पाकिस्तान के खिलाफ 3/14, जिससे भारत ने 6 रन से रोमांचक जीत दर्ज की (न्यूयॉर्क)।
    • फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2/18, जहां उन्होंने रीज़ा हेंड्रिक्स और मार्को यानसेन के अहम विकेट चटकाए।

तीनों प्रारूपों में लगातार शानदार प्रदर्शन

  • बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी: 5 टेस्ट में 32 विकेट, ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज़’ का खिताब।
  • डब्ल्यूटीसी चक्र 2023-25: 77 विकेट के साथ किसी भी तेज गेंदबाज द्वारा एकल विश्व टेस्ट चैंपियनशिप चक्र में सर्वाधिक विकेट।
  • इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज़: 19 विकेट लेकर भारत को 4-1 की घरेलू टेस्ट सीरीज़ जीत और डब्ल्यूटीसी फाइनल में स्थान सुनिश्चित कराने में मदद की।

यादगार प्रदर्शन

  • केपटाउन में शानदार गेंदबाजी: दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 8 विकेट, जिसमें एक पारी में 6 विकेट शामिल थे, जिससे भारत ने सीरीज़ ड्रॉ कराई।
  • पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ प्रदर्शन: बड़े मैचों में जबरदस्त दबदबा दिखाया, कठिन परिस्थितियों में शानदार प्रदर्शन कर वैश्विक पहचान बनाई।

आधुनिक क्रिकेट में विरासत

  • बल्लेबाजों के दबदबे वाले दौर में सबसे प्रभावी गेंदबाज साबित हुए।
  • निरंतरता, सटीकता और दबाव में प्रदर्शन करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
  • उत्कृष्ट स्ट्राइक रेट और विकेट लेने की क्षमता के साथ खुद को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज के रूप में स्थापित किया।
सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
क्यों खबर में? आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर 2024 – जसप्रीत बुमराह
पुरस्कार सर गारफील्ड सोबर्स अवार्ड (आईसीसी मेन्स क्रिकेटर ऑफ द ईयर 2024)
मुख्य 2024 आँकड़े 13 टेस्ट मैचों में 71 विकेट, टी20 वर्ल्ड कप में 15 विकेट (औसत 8.26)
आईसीसी रैंकिंग नंबर 1 टेस्ट गेंदबाज, किसी भी भारतीय गेंदबाज के लिए सर्वाधिक 907 रेटिंग अंक
मुख्य टूर्नामेंट टी20 वर्ल्ड कप 2024 (टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी, भारत की खिताबी जीत)
रिकॉर्ड्स 200 टेस्ट विकेट लेने वाले सबसे तेज भारतीय तेज गेंदबाज, डब्ल्यूटीसी चक्र में किसी भी तेज गेंदबाज द्वारा सर्वाधिक विकेट (77)
ऐतिहासिक रैंक सर गारफील्ड सोबर्स अवार्ड जीतने वाले पांचवें भारतीय

ISRO ने अपना 100वां मिशन लॉन्च किया, NVS-02 नेविगेशन सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 29 जनवरी 2025 को श्रीहरिकोटा से अपनी 100वीं लॉन्चिंग के साथ एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। सुबह 6:23 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट सफलतापूर्वक प्रक्षेपित हुआ और 19 मिनट बाद एनवीएस-02 नेविगेशन सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित कर दिया। यह मिशन भारत के ‘नाविक’ (NavIC) प्रणाली को मजबूत करता है, जिससे उपग्रह आधारित नेविगेशन में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

ISRO के लॉन्च की प्रमुख बातें

लॉन्च विवरण:

  • लॉन्च तिथि: 29 जनवरी 2025
  • लॉन्च स्थल: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
  • रॉकेट: भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV-F15)
  • पेलोड: एनवीएस-02 उपग्रह
  • कक्षा: जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO)
  • महत्व: श्रीहरिकोटा से 100वां मिशन

ISRO की 100 लॉन्चिंग में उपलब्धियां

  • कुल उपग्रह प्रक्षेपण: 548 उपग्रह
  • कुल पेलोड भार: 120 टन
  • भारतीय उपग्रह: 433
  • विदेशी उपग्रह: 115
  • विदेशी पेलोड भार: 23 टन

NVS-02 और NavIC प्रणाली

  • अंश: ‘नेविगेशन विद इंडियन कंस्टीलेशन’ (NavIC) का हिस्सा
  • प्रतिस्थापित करता है: IRNSS-1E उपग्रह (111.75°E)
  • पेलोड बैंड्स: L1, L5, S बैंड + C-बैंड (रेंजिंग के लिए)
  • परमाणु घड़ी: स्वदेशी और आयातित घड़ियों का संयोजन
  • उद्देश्य: स्थिति, वेग और समय (PVT) सेवाओं को बढ़ाना

NavIC उपग्रह प्रणाली

  • भारत की क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली
  • दो सेवाएँ प्रदान करता है:
    • मानक स्थिति सेवा (SPS): 20 मीटर से बेहतर सटीकता
    • प्रतिबंधित सेवा (RS): सामरिक और रणनीतिक उपयोग के लिए सुरक्षित सेवा
  • मुख्य सेवा क्षेत्र: भारत और भारतीय भूभाग से 1,500 किमी बाहर

दूसरी पीढ़ी के NavIC उपग्रह (NVS सीरीज)

  • NVS-01: 29 मई 2023 को प्रक्षेपित (पहला स्वदेशी परमाणु घड़ी वाला उपग्रह)
  • NVS-02: 29 जनवरी 2025 को प्रक्षेपित
  • भविष्य के उपग्रह: NVS-03, NVS-04, NVS-05

NavIC के उपयोग

  • सामरिक और सैन्य उपयोग
  • समुद्री जहाजों की निगरानी
  • रेलवे ट्रैकिंग और सुरक्षा अलर्ट
  • आपदा प्रबंधन और पूर्व चेतावनी प्रणाली
  • महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए समय समन्वयन

स्वदेशी परमाणु घड़ी का महत्व

  • ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत विकसित
  • उपग्रह नेविगेशन में सटीक समय गणना के लिए महत्वपूर्ण
  • NavIC सेवाओं की सटीकता में सुधार करता है
सारांश/स्थिर जानकारी विवरण
क्यों खबर में? इसरो ने NVS-02 उपग्रह प्रक्षेपित किया, श्रीहरिकोटा से 100वां मिशन पूरा किया
मिशन नाम GSLV-F15/NVS-02
लॉन्च स्थल श्रीहरिकोटा (सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र)
रॉकेट का उपयोग GSLV-F15
उपग्रह NVS-02 (NavIC श्रृंखला)
कक्षा स्थापना जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO)
महत्व श्रीहरिकोटा से 100वीं लॉन्चिंग
इसरो द्वारा प्रक्षेपित कुल उपग्रह 548
उठाया गया पेलोड भार 120 टन
NavIC सेवाएँ मानक स्थिति सेवा (SPS) और प्रतिबंधित सेवा (RS)
NavIC सटीकता स्थिति: <20 मीटर, समय: <40 नैनोसेकंड
भविष्य के NVS उपग्रह NVS-03, NVS-04, NVS-05

विषयवार दुनिया के शीर्ष संस्थानों की सूची जारी

टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स बाय सब्जेक्ट 2025 जारी की गई हैं, जो विभिन्न विषयों में अग्रणी संस्थानों को प्रदर्शित करती हैं। विशेष रूप से, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 11 में से 9 विषयों में शीर्ष स्थान हासिल करते हुए उच्च शिक्षा में अपनी निरंतर उत्कृष्टता को रेखांकित किया है।

इंजीनियरिंग में उत्कृष्टता: हार्वर्ड अव्वल

इंजीनियरिंग श्रेणी में, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने 2024 की अपनी शीर्ष स्थिति को बनाए रखा है। इस क्षेत्र में शीर्ष दस विश्वविद्यालय मुख्य रूप से अमेरिका से हैं, जो इंजीनियरिंग शिक्षा में देश की नेतृत्वकारी भूमिका को दर्शाते हैं। रैंकिंग इस प्रकार है:

  1. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी
  2. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी
  3. मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT)
  4. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले
  5. कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कैलटेक)
  6. प्रिंसटन यूनिवर्सिटी
  7. जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
  8. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजेलेस (UCLA)
  9. येल यूनिवर्सिटी
  10. कार्नेगी मेलॉन यूनिवर्सिटी

ये संस्थान अपने अनुसंधान, नवाचार और व्यापक इंजीनियरिंग कार्यक्रमों के लिए पहचाने जाते हैं। इस श्रेणी में अमेरिकी विश्वविद्यालयों का निरंतर प्रदर्शन वैश्विक इंजीनियरिंग शिक्षा में उनके महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाता है।

विषय-विशेष प्रदर्शन

आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज: MIT ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष स्थान प्राप्त किया है, जो इस क्षेत्र में पारंपरिक पदानुक्रम में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।

बिजनेस और इकोनॉमिक्स: यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया इस श्रेणी में अग्रणी है, जो व्यवसाय और अर्थशास्त्र में इसके मजबूत कार्यक्रमों और अनुसंधान को प्रदर्शित करता है।

कंप्यूटर साइंस: यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने इस श्रेणी में शीर्ष स्थान हासिल किया है, जो कंप्यूटर विज्ञान शिक्षा में इसकी बढ़ती प्रभावशीलता को दर्शाता है।

एजुकेशन स्टडीज: स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इस श्रेणी में नेतृत्व किया है, जो शैक्षिक अनुसंधान और नवाचार के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

कानून (Law): स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी इस श्रेणी में भी शीर्ष पर है, जो इसके प्रतिष्ठित कानून कार्यक्रम और अनुसंधान योगदान को दर्शाता है।

लाइफ साइंसेज: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी इस श्रेणी में शीर्ष पर है, जो जीवन विज्ञान में इसके व्यापक अनुसंधान और योगदान को दर्शाता है।

मेडिकल और हेल्थ: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी इस श्रेणी में भी अव्वल है, जो चिकित्सा अनुसंधान और शिक्षा में इसकी उत्कृष्टता को दर्शाता है।

फिजिकल साइंसेज: कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कैलटेक) इस श्रेणी में शीर्ष पर है, जो भौतिक विज्ञान अनुसंधान में इसकी ताकत को रेखांकित करता है।

साइकोलॉजी: स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इस श्रेणी में नेतृत्व किया है, जो इसके प्रभावशाली मनोविज्ञान कार्यक्रमों और अनुसंधान को दर्शाता है।

सोशल साइंसेज: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी इस श्रेणी में अग्रणी है, जो सामाजिक विज्ञान में इसके व्यापक कार्यक्रमों और अनुसंधान उत्पादन को रेखांकित करता है।

वैश्विक प्रतिनिधित्व

अमेरिकी विश्वविद्यालय शीर्ष स्थानों पर हावी हैं, लेकिन अन्य देशों के संस्थान भी प्रमुखता से उभर रहे हैं:

  • यूनाइटेड किंगडम: यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने कंप्यूटर साइंस में और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज ने विभिन्न विषयों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।
  • एशिया: चीनी विश्वविद्यालय, जैसे पेइचिंग यूनिवर्सिटी और त्सिंघुआ यूनिवर्सिटी, बिजनेस और इकोनॉमिक्स रैंकिंग में क्रमशः चौथे और छठे स्थान पर हैं।

ये रैंकिंग वैश्विक उच्च शिक्षा परिदृश्य को प्रतिबिंबित करती हैं और विभिन्न संस्थानों की विविध ताकतों और उत्कृष्टताओं को प्रदर्शित करती हैं।

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