राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस 2025: इतिहास, महत्व और प्रभाव

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस, जो प्रतिवर्ष 16 मार्च को मनाया जाता है, भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और टीकाकरण अभियान के प्रति समर्पण को दर्शाता है। यह दिवस टीकों से रोके जा सकने वाले रोगों को समाप्त करने के लिए किए जा रहे सतत प्रयासों की याद दिलाता है और सार्वभौमिक टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित करने के महत्व को उजागर करता है।

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस 2025 के अवसर पर, यह आवश्यक है कि हम भारत की टीकाकरण यात्रा, इसकी उपलब्धियों और आने वाले समय में स्वास्थ्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर विचार करें।

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का इतिहास
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस की शुरुआत 16 मार्च 1995 को हुई थी, जिसने भारत के स्वास्थ्य सेवा इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ स्थापित किया। इसी दिन, पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम के तहत देशभर में पोलियो उन्मूलन के उद्देश्य से पहला ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) खुराक दी गई थी।

भारत की पोलियो उन्मूलन में सफलता

पल्स पोलियो कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन ने पोलियोमायलाइटिस नामक बीमारी के खिलाफ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने लंबे समय तक भारत को प्रभावित किया था। भारत सरकार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनिसेफ और अन्य वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों के सहयोग से चलाए गए इस विशाल टीकाकरण अभियान के कारण भारत को 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा पोलियो-मुक्त घोषित किया गया।

यह उपलब्धि न केवल टीकों की प्रभावशीलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि भारत बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रमों को समर्पण, सटीकता और जनभागीदारी के साथ सफलतापूर्वक लागू करने में सक्षम है।

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का महत्व

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस केवल एक वार्षिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस दिन के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं:

1. टीकाकरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना

राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को यह शिक्षित करना है कि टीके घातक बीमारियों की रोकथाम में कितने प्रभावी हैं। खसरा, टेटनस, क्षय रोग (टीबी), हेपेटाइटिस, डिप्थीरिया जैसी कई बीमारियों को समय पर टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है। यह दिन नियमित और अनिवार्य टीकाकरण की आवश्यकता को दोहराने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है, जिससे बच्चों और वयस्कों दोनों को सुरक्षित रखा जा सके।

2. स्वास्थ्यकर्मियों का सम्मान

किसी भी टीकाकरण अभियान की सफलता में स्वास्थ्यकर्मी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स, आशा कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कठिन परिस्थितियों में भी टीकों का सुचारु वितरण सुनिश्चित करते हैं। राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस उनके समर्पण को सम्मानित करने और भारत को एक स्वस्थ राष्ट्र बनाने में उनके योगदान को स्वीकार करने का अवसर प्रदान करता है।

3. टीकाकरण अभियानों में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा

एक प्रभावी टीकाकरण कार्यक्रम के लिए समुदाय की सक्रिय भागीदारी आवश्यक होती है। राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस नागरिकों को टीकाकरण अभियानों का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करता है, जिससे अधिकतम कवरेज और हर्ड इम्युनिटी सुनिश्चित की जा सके। यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, जहां अंधविश्वास, गलत जानकारी और जागरूकता की कमी टीकाकरण प्रक्रिया में बाधा बन सकती है।

भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर टीकाकरण का प्रभाव

भारत ने लगातार टीकाकरण प्रयासों के माध्यम से रोग नियंत्रण और उन्मूलन में उल्लेखनीय प्रगति की है। इनमें कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ शामिल हैं:

1. पोलियो का उन्मूलन

भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धियों में से एक पोलियो का उन्मूलन है। पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने से पहले, भारत विश्व में पोलियो मामलों का एक बड़ा हिस्सा रखता था। हालांकि, सघन टीकाकरण अभियानों और घर-घर जाकर टीकाकरण के प्रयासों के कारण, भारत को 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा पोलियो-मुक्त घोषित किया गया।

2. टीकाकरण से रोके जाने वाले रोगों में कमी

टीकाकरण अभियानों के कारण कई गंभीर बीमारियों में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जिनमें शामिल हैं:

  • खसरा (Measles)मीजल्स-रूबेला (MR) टीकाकरण अभियान के कारण मामलों में भारी कमी आई है।
  • टेटनस (Tetanus)मातृ एवं नवजात टेटनस को लक्षित टीकाकरण कार्यक्रमों के माध्यम से समाप्त कर दिया गया है।
  • डिप्थीरिया (Diphtheria)डीटीपी (Diphtheria, Tetanus, Pertussis) टीके की मदद से मामलों में गिरावट आई है।
  • हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B)नवजात शिशुओं में हेपेटाइटिस बी टीकाकरण शुरू होने से संक्रमण दर में काफी कमी आई है।

3. सुदृढ़ स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना

बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रमों ने भारत में स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना को मजबूत किया है। कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं, परिवहन नेटवर्क, प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी, और डिजिटल रिकॉर्ड-कीपिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इन प्रगति ने मातृ देखभाल और रोग निगरानी जैसी अन्य आवश्यक चिकित्सा सेवाओं के वितरण में भी मदद की है।

भारत में चल रही टीकाकरण पहल

भारत ने अपनी टीकाकरण योजनाओं को और मजबूत करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जो सबसे कमजोर आबादी तक पहुंचने और टीकाकरण कवरेज बढ़ाने पर केंद्रित हैं।

1. मिशन इंद्रधनुष

शुरुआत: 2014
उद्देश्य: शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए 90% पूर्ण टीकाकरण कवरेज प्राप्त करना।
फोकस क्षेत्र: दुर्गम और पिछड़े क्षेत्रों में बिना टीकाकरण वाले और आंशिक रूप से टीकाकरण प्राप्त बच्चों तक पहुंचना।

2. सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP)

परिचय: सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में से एक है।
उद्देश्य: भारत भर में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए मुफ्त टीके उपलब्ध कराना।

3. COVID-19 टीकाकरण अभियान

महत्व: भारत का COVID-19 टीकाकरण अभियान दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेज़ अभियानों में से एक माना जाता है।
मुख्य टीके: Covaxin, Covishield, और Corbevax जैसे टीकों के सफल रोलआउट ने महामारी को नियंत्रित करने और मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वैश्विक पहचान: इस अभियान की सफलता ने भारत की टीकाकरण क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया।

3. कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स चुनौतियाँ

भारत में टीकों के सुरक्षित भंडारण और वितरण के लिए एक मजबूत कोल्ड चेन सिस्टम आवश्यक है। कुछ क्षेत्रों में बिजली की कमी और अपर्याप्त कोल्ड स्टोरेज सुविधाएँ टीकाकरण प्रक्रिया में बाधा बनती हैं।
समाधान: सौर ऊर्जा से संचालित कोल्ड स्टोरेज और डिजिटल निगरानी प्रणालियाँ इस समस्या का समाधान कर सकती हैं।

4. जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन

टीकाकरण कार्यक्रमों की सफलता के लिए सामुदायिक सहभागिता और जागरूकता अभियान महत्वपूर्ण हैं। कुछ माता-पिता और अभिभावकों में टीकों को लेकर गलतफहमियाँ होती हैं, जिससे वे बच्चों को टीका लगवाने में हिचकिचाते हैं।
समाधान: टीकाकरण के लाभों को समझाने के लिए स्थानीय भाषा में प्रचार, सोशल मीडिया अभियानों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भागीदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है।

आगे का मार्ग (Way Forward)

  • डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड के उपयोग को बढ़ावा देकर टीकाकरण कवरेज को ट्रैक किया जा सकता है।
  • नई तकनीकों जैसे ड्रोन और मोबाइल हेल्थ यूनिट्स के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों में टीकों की पहुँच बढ़ाई जा सकती है।
  • सामुदायिक नेताओं, धार्मिक संगठनों और शिक्षकों की भागीदारी से टीकाकरण को सामाजिक आंदोलन का रूप दिया जा सकता है।

सतत वित्तीय और नीतिगत समर्थन

टीकाकरण कार्यक्रमों को प्रभावी बनाए रखने के लिए निरंतर वित्तीय सहायता और ठोस सरकारी नीतियाँ आवश्यक हैं।
समाधान:

  • सरकार और निजी क्षेत्र के बीच साझेदारी को बढ़ावा देना, ताकि टीकों के अनुसंधान, उत्पादन और वितरण में सहयोग किया जा सके।
  • वैश्विक संस्थानों (WHO, UNICEF, GAVI) के साथ सहयोग से संसाधनों और तकनीकी सहायता का उपयोग करना।

डॉ. मनसुख मंडाविया ने पहली बार फिट इंडिया कार्निवल का उद्घाटन किया

फिट इंडिया कार्निवल – एक अनोखा तीन दिवसीय फिटनेस और वेलनेस कार्यक्रम – का उद्घाटन केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने 16 मार्च 2025 को नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (JLN) में किया। इस आयोजन का उद्देश्य नागरिकों में शारीरिक फिटनेस, मानसिक स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना है। बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना, कुश्ती चैम्पियन संग्राम सिंह, वेलनेस विशेषज्ञ मिकी मेहता, पूर्व WWE पहलवान शैंकी सिंह और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक रोहताश चौधरी ने इस भव्य आयोजन में चार चांद लगाए।

मुख्य आकर्षण

  • उद्घाटन: डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री
  • स्थान: जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नई दिल्ली
  • तारीख: 16-18 मार्च 2025 (तीन दिवसीय आयोजन)

प्रसिद्ध प्रतिभागी

  • आयुष्मान खुरानाफिट इंडिया आइकॉन
  • संग्राम सिंहकुश्ती चैम्पियन
  • मिकी मेहतावेलनेस विशेषज्ञ
  • शैंकी सिंहपूर्व WWE पहलवान
  • रोहताश चौधरीगिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक

प्रमुख गतिविधियाँ और प्रदर्शन

  • मार्शल आर्ट प्रदर्शनी – कलारीपयट्टु, गतका और मल्लखंब
  • फिटनेस चुनौतियाँ – रस्सी कूद, आर्म रेसलिंग, पुश-अप, स्क्वाट प्रतियोगिता और क्रिकेट बॉलिंग
  • नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच – भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के राष्ट्रीय खेल विज्ञान और अनुसंधान केंद्र (NCSSR) द्वारा पोषण और मानसिक स्वास्थ्य परामर्श
  • पुस्तक विमोचन“साइक्लिंग के लाभ” पुस्तक का लोकार्पण (NCSSR द्वारा)
  • ‘फिटनेस थ्रू डांस’ सांस्कृतिक कार्यक्रम – मनोरंजक तरीके से फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए
  • फिटनेस आइकॉन के साथ प्रश्नोत्तर सत्र

केंद्रीय मंत्री की दृष्टि

  • खेलों को एक संस्कृति और फिटनेस को एक आंदोलन के रूप में बढ़ावा देना
  • “संडे ऑन साइकिल” पहल की तरह फिट इंडिया कार्निवल को भारत के अन्य शहरों और कस्बों में विस्तारित करना

आयुष्मान खुराना का संदेश

“एक स्वस्थ राष्ट्र ही एक समृद्ध राष्ट्र होता है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डॉ. मनसुख मांडविया का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने भारत को और अधिक फिट बनाने का यह महत्वपूर्ण प्रयास किया।”

समापन समारोह

डॉ. मनसुख मांडविया ने स्वास्थ्य और वेलनेस स्टॉल का दौरा किया और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए नागरिकों को प्रेरित किया।

समाचार में क्यों? डॉ. मनसुख मांडविया ने पहले फिट इंडिया कार्निवल का उद्घाटन किया
कार्यक्रम का नाम फिट इंडिया कार्निवल
उद्घाटनकर्ता डॉ. मनसुख मांडविया (केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री)
स्थान जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नई दिल्ली
प्रसिद्ध प्रतिभागी आयुष्मान खुराना, संग्राम सिंह, मिकी मेहता, शैंकी सिंह, रोहताश चौधरी
मुख्य प्रदर्शन कलारीपयट्टु, गतका, मल्लखंब, ‘फिटनेस थ्रू डांस’
फिटनेस चुनौतियाँ रस्सी कूद, आर्म रेसलिंग, पुश-अप, स्क्वाट, क्रिकेट बॉलिंग
विशेष लॉन्च पुस्तक: साइक्लिंग के लाभ”
स्वास्थ्य सेवाएँ भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के NCSSR द्वारा नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच (पोषण एवं मानसिक परामर्श)
उद्देश्य फिटनेस संस्कृति और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना

पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रधान का निधन

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. देवेंद्र प्रधान का सोमवार को नई दिल्ली में एक संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे और अपने पीछे पत्नी और दो पुत्रों को छोड़ गए हैं। डॉ. प्रधान ने अपने अंतिम सांस अपने पुत्र और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आधिकारिक आवास पर ली।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

डॉ. देवेंद्र प्रधान का जन्म 16 जुलाई 1941 को हुआ था। उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त की और 1966 में एससीबी मेडिकल कॉलेज, कटक से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने तालचेर में एक मेडिकल अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला। हालांकि, सामाजिक सेवा और कृषि के प्रति उनके गहरे लगाव के कारण उन्होंने सरकारी सेवा छोड़कर जनकल्याण के कार्यों को अपना जीवन समर्पित कर दिया।

राजनीतिक सफर और योगदान

प्रारंभिक राजनीतिक करियर

डॉ. प्रधान भाजपा के ओडिशा में विस्तार के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक थे। उन्होंने 1983 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और उसी वर्ष तालचेर मंडल के अध्यक्ष बने, जहां वे 1985 तक कार्यरत रहे।

उनकी चुनावी राजनीति में शुरुआत 1984 में देवगढ़ लोकसभा सीट से हुई, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद, वे राजनीति में सक्रिय रहे और 1985 में अविभाजित ढेंकानाल जिला भाजपा के अध्यक्ष नियुक्त किए गए।

ओडिशा भाजपा में नेतृत्व भूमिका

1988 से 1993 और फिर 1995 से 1997 तक वे लगातार तीन बार भाजपा के ओडिशा प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस दौरान, उन्होंने राज्य में पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए व्यापक प्रयास किए।

चुनावी सफलता और मंत्री पद

1991 और 1996 के लोकसभा चुनावों में हार के बावजूद, 1998 के आम चुनावों में उन्होंने देवगढ़ संसदीय सीट से जीत दर्ज की। इस जीत के बाद, उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री बनाया गया।

1999 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने फिर से देवगढ़ सीट से जीत दर्ज की और वाजपेयी सरकार में सड़क परिवहन और कृषि मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाली। उनके नेतृत्व में बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और कृषि क्षेत्र को मजबूती देने की दिशा में महत्वपूर्ण नीतियां बनाई गईं।

बाद का राजनीतिक जीवन और मार्गदर्शक की भूमिका

2001-02 में वे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने और पार्टी में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी। हालांकि, 2004 के विधानसभा चुनाव में पल्लहारा सीट से हारने के बाद उनका सक्रिय चुनावी करियर समाप्त हो गया।

इसके बावजूद, वे ओडिशा भाजपा के लिए एक प्रमुख मार्गदर्शक बने रहे। उन्होंने एक मार्गदर्शक (Mentor) के रूप में पार्टी की नीतियों और रणनीतियों को आकार देने में अहम भूमिका निभाई।

दिल्ली में लागू होगी आयुष्मान योजना

स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, दिल्ली सरकार 18 मार्च 2025 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करेगी। इसके तहत, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM) को लागू किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत, दिल्ली में 1,139 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर (U-AAM) स्थापित किए जाएंगे, जिससे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाया जाएगा और भविष्य में महामारी व अन्य स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने में सहायता मिलेगी। इसके अलावा, 553 मौजूदा मोहल्ला क्लीनिकों को उन्नत कर U-AAM में परिवर्तित किया जाएगा और 413 नए U-AAM स्थापित किए जाएंगे। यह निर्णय लंबे समय तक चले कानूनी विवाद और दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के बाद आया है।

समझौते के प्रमुख बिंदु

PM-ABHIM योजना के बारे में

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार की योजना।
  • भविष्य में महामारी और स्वास्थ्य आपात स्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटने का लक्ष्य।
  • शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं के उन्नयन पर विशेष ध्यान।

दिल्ली में कार्यान्वयन योजना

  • 1,139 शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर (U-AAM) स्थापित किए जाएंगे।
  • 553 मौजूदा मोहल्ला क्लीनिकों को U-AAM में अपग्रेड किया जाएगा।
  • 413 नए U-AAM खोले जाएंगे।
  • पहले इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में केवल इंदिरा गांधी अस्पताल में डायग्नोस्टिक लैब्स के लिए लागू किया गया था।

राजनीतिक और कानूनी पृष्ठभूमि

  • दिल्ली की आप सरकार ने पहले इस योजना को लागू करने से इनकार कर दिया था।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार को 5 जनवरी 2025 तक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने का आदेश दिया, भले ही उस समय आदर्श आचार संहिता लागू थी।
  • 17 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी।
  • फरवरी 2025 में दिल्ली की नई भाजपा सरकार ने इस योजना को लागू करने का निर्णय लिया।
  • 18 मार्च 2025 को दिल्ली सरकार औपचारिक रूप से केंद्र के साथ MoU पर हस्ताक्षर करेगी।
सारांश/स्थिर विवरण विवरण
समाचार में क्यों? दिल्ली सरकार 18 मार्च 2025 को पीएम-एबीएचआईएम लागू करने के लिए केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करेगी
योजना का नाम प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM)
उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत करना और भविष्य की महामारी का सामना करना
क्रियान्वयन प्राधिकरण दिल्ली सरकार एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
यू-एएएम की संख्या 1,139
अपग्रेड किए जाने वाले मौजूदा क्लीनिक 553
नए यू-एएएम खोले जाएंगे 413
MoU हस्ताक्षर तिथि 18 मार्च 2025
कानूनी स्थिति पहले आप सरकार ने विरोध किया, बाद में भाजपा सरकार ने स्वीकृति दी
पायलट कार्यान्वयन इंदिरा गांधी अस्पताल में डायग्नोस्टिक लैब्स

प्रख्यात ओडिया कवि रमाकांत रथ का निधन

प्रसिद्ध ओडिया कवि और पूर्व आईएएस अधिकारी रमाकांत रथ का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 30 दिसंबर 1934 को ओडिशा के पुरी जिले में जन्मे रथ ने आधुनिक ओडिया साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी काव्य यात्रा रेवेन्सॉ कॉलेज, कटक में अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई के दौरान शुरू हुई। उनकी प्रमुख कृतियाँ ‘सप्तम ऋतु’, ‘श्री राधा’ और ‘संदिग्ध मृगया’ ओडिया कविता में गहरी दार्शनिक सोच और विशिष्ट काव्य अभिव्यक्ति का प्रतीक बनीं।

रमाकांत रथ: जीवन और साहित्यिक योगदान

व्यक्तिगत विवरण

  • जन्म: 30 दिसंबर 1934
  • जन्मस्थान: पुरी जिला, ओडिशा
  • शिक्षा: रेवेन्सॉ कॉलेज, कटक से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर (MA)
  • निधन: मार्च 2025

साहित्यिक योगदान

  • अपनी कॉलेज शिक्षा के दौरान कविता लेखन की शुरुआत की।
  • प्रथम काव्य संग्रह: ‘केत दिनारा’ (Kete Dinara – Of Many Bygone Days), 1962
  • प्रारंभिक कविताएँ प्रेम से प्रेरित थीं, लेकिन बाद में उन्होंने मानव नियति और अस्तित्ववादी चिंतन को अपने लेखन में स्थान दिया।

प्रमुख कृतियाँ

  • ‘सप्तम ऋतु’ (The Seventh Season, 1977) – साहित्य अकादमी पुरस्कार (1978) प्राप्त
  • ‘श्री राधा’ (1985) – सरस्वती सम्मान से सम्मानित
  • ‘अनेक कोठारी’ (Several Rooms)
  • ‘संदिग्ध मृगया’ (Deer Hunt in a Mood of Indecision)
  • ‘सचित्र अंधार’ (Illustrated Darkness)

उनकी रचनाएँ गद्य और काव्यात्मकता का अनूठा समन्वय प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने आधुनिक ओडिया कविता में नई भाषा और संरचना को अपनाया, जिससे उनकी कविताएँ अद्वितीय बन गईं। उनकी रचनाएँ अंग्रेजी सहित कई भारतीय भाषाओं में अनुवादित हो चुकी हैं।

पुरस्कार और सम्मान

  • केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार (1978)
  • सरस्वती सम्मान (1992)
  • पद्म भूषण (2006)
  • अतिबाड़ी जगन्नाथ दास पुरस्कार (2018) – ओडिशा का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान
  • राज्य साहित्य अकादमी पुरस्कार
  • बिशुवा सम्मान
  • कबीर सम्मान

प्रशासनिक सेवा में करियर

  • 1957 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हुए।
  • ओडिशा के मुख्य सचिव और भारत सरकार में सचिव के रूप में कार्य किया।
  • संयुक्त राष्ट्र (FAO) में गुयाना में सलाहकार के रूप में सेवा दी।
  • केन्द्रीय साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष रहे।
  • ओडिशा समुद्री अकादमी के मानद अध्यक्ष भी रहे।

विरासत और श्रद्धांजलि

  • ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने उनके अंतिम संस्कार को राजकीय सम्मान देने की घोषणा की।
  • उनका अंतिम संस्कार पुरी के स्वर्गद्वार में किया जाएगा।
  • उन्होंने ओडिया साहित्य को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सारांश/स्थिर विवरण विवरण
क्यों चर्चा में? प्रसिद्ध ओड़िया कवि रामाकांत रथ का निधन
शिक्षा अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. (रवेंसॉ कॉलेज, कटक)
करियर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), ओडिशा के मुख्य सचिव, FAO (UN) में सलाहकार
मुख्य रचनाएँ केते दिनारा, सप्तम ऋतु, श्री राधा, संदिग्ध मृगया, अनेक कोठारी
प्रमुख पुरस्कार साहित्य अकादमी पुरस्कार (1978), सरस्वती सम्मान (1992), पद्म भूषण (2006), अतिबड़ी जगन्नाथ दास पुरस्कार (2018)

 

रायसीना डायलॉग 2025 क्या है?

रायसीना डायलॉग भारत का प्रमुख भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक सम्मेलन है, जो विश्व के सबसे ज्वलंत वैश्विक मुद्दों पर चर्चा के लिए नेताओं, नीति निर्माताओं, उद्योग विशेषज्ञों और विद्वानों को एक मंच पर लाता है। यह सम्मेलन प्रतिवर्ष नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।

10वें रायसीना डायलॉग का आयोजन 17 से 19 मार्च 2025 के बीच होगा। इस महत्वपूर्ण अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन भाषण देंगे। इस बार न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री, माननीय क्रिस्टोफर लक्‍सन, मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे और उद्घाटन संबोधन देंगे। उनकी उपस्थिति भारत-न्यूज़ीलैंड द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने और वैश्विक मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।

उद्घाटन एवं मुख्य भाषण

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 17 मार्च 2025 को रायसीना डायलॉग का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री, माननीय क्रिस्टोफर लक्‍सन, मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे और मुख्य भाषण देंगे। उनकी उपस्थिति भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ वैश्विक मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय संवाद और सहयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

वैश्विक सहभागिता: 125 देशों की एकजुटता

रायसीना डायलॉग 2025 में लगभग 125 देशों के प्रतिभागी भाग लेंगे, जिनमें शामिल होंगे:

  • मंत्री और राजनयिक
  • पूर्व राष्ट्राध्यक्ष और सरकारों के प्रमुख
  • सैन्य कमांडर
  • व्यापार और उद्योग जगत के नेता
  • प्रौद्योगिकी क्षेत्र के अग्रणी
  • शिक्षाविद और शोधकर्ता
  • पत्रकार और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ
  • थिंक टैंकों और नागरिक समाज के प्रतिनिधि
  • दुनियाभर के युवा प्रतिनिधि

इस विविध और गतिशील भागीदारी के साथ, यह संवाद आधुनिक भू-राजनीतिक चुनौतियों और आर्थिक बदलावों पर चर्चाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

2025 की थीम: “कालचक्र – जन, शांति और ग्रह”

रायसीना डायलॉग 2025 की केंद्रीय थीम “कालचक्र – जन, शांति और ग्रह” होगी। यह थीम वैश्विक पारस्परिकता के सार को प्रतिबिंबित करती है, जिसमें सतत समाधान, समावेशी विकास और रणनीतिक दूरदर्शिता की आवश्यकता को प्रमुखता दी गई है।

मुख्य विषयगत स्तंभ

चर्चाओं को छह प्रमुख स्तंभों के आधार पर संरचित किया जाएगा, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों और वैश्विक शासन को आकार देने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित होंगे:

  • राजनीति में बाधा: बदलते समीकरण और बढ़ती लहरें
    यह विषय वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में हो रहे बदलावों की पड़ताल करेगा। इसमें वैश्विक शक्ति संतुलन में उथल-पुथल, बहुध्रुवीयता का उदय और बदलते गठबंधनों का विश्व राजनीति पर प्रभाव शामिल होगा।

  • हरित त्रिविधा का समाधान: कौन, कहाँ और कैसे?
    जलवायु परिवर्तन से निपटने की तात्कालिक आवश्यकता को संबोधित करते हुए, यह स्तंभ आर्थिक वृद्धि, पर्यावरणीय स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करने पर केंद्रित होगा। विशेषज्ञ कार्बन न्यूट्रलिटी प्राप्त करने और हरित निवेश को बढ़ावा देने के लिए नवीन समाधानों पर चर्चा करेंगे।

  • डिजिटल ग्रह: एजेंट, एजेंसियां और अनुपस्थिति
    आज की दुनिया डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर पहले से कहीं अधिक निर्भर हो गई है। इस विषय के अंतर्गत चर्चा की जाएगी कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर सुरक्षा, डिजिटल गवर्नेंस और डेटा गोपनीयता वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था को कैसे आकार दे रहे हैं।

  • आक्रामक व्यापारवाद: व्यापार, आपूर्ति श्रृंखलाएं और विनिमय दर की लत
    यह खंड संरक्षणवादी नीतियों, बाधित आपूर्ति श्रृंखलाओं और अस्थिर विनिमय दरों से उत्पन्न चुनौतियों का विश्लेषण करेगा। इसमें यह चर्चा होगी कि विभिन्न राष्ट्र वैश्विक व्यापार की जटिलताओं और आर्थिक स्थिरता को कैसे संतुलित कर सकते हैं।

  • बाघ की गाथा: विकास की नई रूपरेखा
    उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर केंद्रित यह विषय नए विकास मॉडल, आर्थिक वृद्धि की रणनीतियों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की भूमिका की पड़ताल करेगा, जो समान और टिकाऊ प्रगति को बढ़ावा देने में सहायक हो सकते हैं।

  • शांति में निवेश: प्रेरक तत्व, संस्थान और नेतृत्व
    बढ़ते वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के बीच, यह स्तंभ संघर्ष समाधान, शांति निर्माण और वैश्विक सुरक्षा सहयोग के लिए आवश्यक तंत्रों का विश्लेषण करेगा। चर्चा में बहुपक्षीय संगठनों की भूमिका को भी उजागर किया जाएगा, जो वैश्विक स्थिरता बनाए रखने में सहायक हैं।

    प्रतिभागियों की संख्या और वैश्विक पहुंच

    रायसीना डायलॉग 2025 में 125 देशों से 3,500 से अधिक प्रतिभागी व्यक्तिगत रूप से शामिल होंगे, जिससे यह भारत के सबसे बड़े कूटनीतिक आयोजनों में से एक बन जाएगा। इसके अलावा, दुनियाभर में लाखों दर्शक डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़ सकेंगे, जिससे इसकी व्यापक वैश्विक पहुंच और प्रभाव सुनिश्चित होगा।

    रायसीना डायलॉग 2025 का महत्व

    1. वैश्विक मामलों में भारत की भूमिका को मजबूत करना
      एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में, रायसीना डायलॉग की मेजबानी भारत की अंतरराष्ट्रीय नीति-निर्माण प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी और कूटनीतिक सहयोग को दर्शाती है।

    2. रणनीतिक और आर्थिक साझेदारियों को बढ़ावा देना
      इस कार्यक्रम में नीति-निर्माताओं और उद्योग जगत के प्रमुखों की भागीदारी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय साझेदारियों को मजबूत करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है, विशेष रूप से व्यापार, रक्षा, जलवायु कार्रवाई और डिजिटल शासन जैसे क्षेत्रों में।

    3. युवा नेताओं और थिंक टैंकों के लिए एक मंच
      रायसीना डायलॉग शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और युवा नेताओं के लिए एक ज्ञान-साझाकरण मंच के रूप में कार्य करता है, जिससे वैश्विक शासन में नवाचार और विचार नेतृत्व को बढ़ावा मिलता है।

हॉकी झारखंड 15वीं हॉकी इंडिया सीनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियन बनी

15वें हॉकी इंडिया सीनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2025 में हॉकी झारखंड ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की, फाइनल मुकाबले में गत विजेता हॉकी हरियाणा को हराकर पहली बार राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किया। यह मुकाबला हरियाणा के पंचकूला स्थित ताऊ देवी लाल कॉम्प्लेक्स में खेला गया।

फाइनल मुकाबले की मुख्य झलकियां

फाइनल मैच बेहद रोमांचक रहा, जिसमें हॉकी हरियाणा की कप्तान रानी ने 42वें मिनट में पहला गोल किया, लेकिन हॉकी झारखंड की प्रमोदनी लकड़ा ने 44वें मिनट में बराबरी का गोल दाग दिया। नियमित समय में स्कोर 1-1 रहने के कारण विजेता का फैसला पेनल्टी शूटआउट से हुआ। शूटआउट में हॉकी झारखंड ने 4-3 से जीत दर्ज की, जिसमें राजनी केरकेट्टा, निराली कुजूर, बिनीमा धन और कप्तान अलेबला रानी टोप्पो ने गोल किए। हॉकी हरियाणा के लिए पिंकी, अन्नू और मनीषा ने गोल किए, लेकिन टीम को खिताबी जीत नहीं दिला सके।

टूर्नामेंट प्रारूप और टीमों की भागीदारी

15वें संस्करण में पहली बार नॉकआउट प्रारूप लागू किया गया था, जिसमें 12 टीमें शामिल थीं। टीमों को चार ग्रुप में बांटा गया था, और प्रत्येक ग्रुप की शीर्ष टीम क्वार्टर-फाइनल में पहुंची। सेमीफाइनल विजेताओं ने फाइनल में जगह बनाई।

सेमीफाइनल और तीसरे स्थान का मुकाबला

हॉकी हरियाणा ने सेमीफाइनल में हॉकी महाराष्ट्र को हराया, जबकि हॉकी झारखंड ने हॉकी मिजोरम को हराकर फाइनल में प्रवेश किया। तीसरे स्थान के मुकाबले में हॉकी मिजोरम ने हॉकी महाराष्ट्र को हराकर कांस्य पदक जीता।

हॉकी इंडिया सीनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप का इतिहास

इस टूर्नामेंट की शुरुआत 2011 में हुई थी, जिसमें भारतीय रेलवे सबसे सफल टीम रही है। भारतीय रेलवे ने अब तक 8 खिताब जीते हैं, जबकि हॉकी हरियाणा ने 3, हॉकी मध्य प्रदेश ने 2, और हॉकी ओडिशा एवं हॉकी झारखंड ने 1-1 बार खिताब अपने नाम किया है।

हॉकी इंडिया के बारे में

हॉकी इंडिया की स्थापना 2009 में हुई थी, जो भारत में हॉकी का आधिकारिक शासी निकाय है। वर्तमान में, हॉकी इंडिया के अध्यक्ष पूर्व भारतीय खिलाड़ी दिलीप तिर्की हैं और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? हॉकी झारखंड ने हॉकी हरियाणा को हराकर 15वीं हॉकी इंडिया सीनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2025 जीती।
फाइनल मैच 12 मार्च 2025, ताऊ देवी लाल कॉम्प्लेक्स, पंचकूला, हरियाणा में आयोजित हुआ।
विजेता हॉकी झारखंड (पहली बार राष्ट्रीय चैंपियन)।
उपविजेता हॉकी हरियाणा (गत विजेता)।
तीसरा स्थान हॉकी मिजोरम, जिसने हॉकी महाराष्ट्र को हराया।
फाइनल स्कोर नियमित समय में स्कोर 1-1; झारखंड ने पेनल्टी शूटआउट में 4-3 से जीत दर्ज की।
महत्व हॉकी झारखंड का पहला राष्ट्रीय खिताब। हॉकी हरियाणा का नौवां फाइनल।
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप तिर्की
हॉकी इंडिया मुख्यालय नई दिल्ली

चंद्रयान-5 मिशन को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने 16 मार्च 2025 को चंद्रयान-5 मिशन की घोषणा की, जिसे 13 मार्च 2025 को मंजूरी दी गई थी। यह मिशन जापान (JAXA) के सहयोग से संचालित होगा और चंद्रमा की सतह का विस्तृत अध्ययन करेगा। चंद्रयान-3 के 25 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ रोवर की तुलना में, चंद्रयान-5 में 250 किलोग्राम वजनी रोवर भेजा जाएगा, जिससे भारत की चंद्र अन्वेषण क्षमता और अधिक मजबूत होगी।

चंद्रयान-5 मिशन के प्रमुख बिंदु

  • स्वीकृति: 13 मार्च 2025
  • घोषणा: इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन
  • सहयोग: इसरो (भारत) और JAXA (जापान)
  • उद्देश्य: चंद्रमा की सतह का विस्तृत खनिज और भूवैज्ञानिक अध्ययन
  • रोवर का वजन: 250 किलोग्राम (चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर से 10 गुना भारी)

चंद्रयान मिशनों की समयरेखा

मिशन वर्ष मुख्य उपलब्धि स्थिति
चंद्रयान-1 2008 चंद्रमा पर जल अणुओं की खोज सफल
चंद्रयान-2 2019 ऑर्बिटर सफल, लैंडर विफल आंशिक सफलता
चंद्रयान-3 2023 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहली सफल लैंडिंग सफल
चंद्रयान-4 2027 (संभावित) चंद्र मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर लाना आगामी
चंद्रयान-5 2028 (संभावित) 250 किग्रा रोवर से चंद्रमा का विस्तृत अध्ययन आगामी

चंद्रयान-5 के लक्ष्य

  • चंद्रमा की सतह की विस्तृत खनिज एवं भूवैज्ञानिक जांच।
  • 250 किग्रा वजनी रोवर की सहायता से गहन अन्वेषण।
  • भारत की चंद्र अन्वेषण और वैज्ञानिक क्षमताओं को बढ़ाना।
  • जापान के साथ अंतरिक्ष सहयोग को मजबूत करना।

भविष्य की इसरो योजनाएं

  • चंद्रयान-4 (2027): चंद्रमा से मिट्टी के नमूने लाने का मिशन।
  • गगनयान मिशन: भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन।
  • भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (2035): भारत का स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना।
श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? चंद्रयान-5 मिशन को केंद्र सरकार की मंजूरी, चंद्र अन्वेषण में बड़ी प्रगति
मिशन का नाम चंद्रयान-5
मंजूरी की तिथि 13 मार्च 2025
घोषणा इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन
सहयोगी संगठन इसरो (भारत) और JAXA (जापान)
रोवर का वजन 250 किग्रा
मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह का विस्तृत अध्ययन
संभावित प्रक्षेपण वर्ष 2028
भविष्य की योजनाएँ चंद्रयान-4 (2027), गगनयान, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में दो साल में सबसे तेज उछाल: RBI डेटा

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 7 मार्च 2025 को समाप्त सप्ताह में $15.267 अरब की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जिससे कुल भंडार बढ़कर $653.966 अरब हो गया। यह वृद्धि पिछले दो वर्षों में सबसे तेज रही, जिसका मुख्य कारण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 28 फरवरी 2025 को किया गया $10 अरब का फॉरेक्स स्वैप रहा। इस कदम के तहत, RBI ने रुपये के मुकाबले डॉलर खरीदे ताकि वित्तीय प्रणाली में तरलता (Liquidity) को बढ़ाया जा सके।

मुख्य बिंदु:

  • कुल विदेशी मुद्रा भंडार: $653.966 अरब
  • साप्ताहिक वृद्धि: $15.267 अरब (2 वर्षों में सबसे अधिक)
  • पिछले सप्ताह का भंडार: $638.698 अरब
  • अब तक का उच्चतम स्तर: $704.885 अरब (सितंबर 2024)

विदेशी मुद्रा भंडार का वर्गीकरण:

घटक साप्ताहिक परिवर्तन वर्तमान मूल्य
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA) $13.993 अरब की वृद्धि $557.282 अरब
स्वर्ण भंडार $1.053 अरब की गिरावट $74.325 अरब
विशेष आहरण अधिकार (SDR) $212 मिलियन की वृद्धि $18.21 अरब
IMF में भंडार स्थिति $69 मिलियन की गिरावट $4.148 अरब

विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के कारण:

  • RBI का $10 अरब का फॉरेक्स स्वैप, जिससे तरलता बढ़ी।
  • रुपये की अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए RBI का हस्तक्षेप
  • डॉलर, यूरो, येन और पाउंड जैसी प्रमुख मुद्राओं में मूल्य परिवर्तन से पुनर्मूल्यांकन प्रभाव

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:

  • वित्तीय प्रणाली में तरलता में सुधार
  • रुपये की स्थिरता में वृद्धि
  • निवेशकों का भरोसा बढ़ा
  • आयात सुरक्षा और बाहरी स्थिरता में सुधार
श्रेणी विवरण
क्यों खबर में? भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में दो वर्षों की सबसे तेज वृद्धि: RBI डेटा
कुल विदेशी मुद्रा भंडार (7 मार्च 2025) $653.966 अरब
साप्ताहिक वृद्धि $15.267 अरब
मुख्य कारण RBI द्वारा $10 अरब का फॉरेक्स स्वैप
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA) $557.282 अरब
स्वर्ण भंडार $74.325 अरब
विशेष आहरण अधिकार (SDRs) $18.21 अरब
IMF में भंडार स्थिति $4.148 अरब
अब तक का उच्चतम स्तर $704.885 अरब (सितंबर 2024)

भारत की थोक मुद्रास्फीति फरवरी में 2.38% पर स्थिर रही

फरवरी 2024 में भारत की थोक महंगाई दर में मामूली वृद्धि दर्ज की गई, जो 2.38% पर पहुंच गई, जबकि जनवरी में यह 2.31% थी। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, निर्मित खाद्य उत्पादों, वस्त्रों और गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण महंगाई में यह उछाल आया। हालांकि, खाद्य सूचकांक में गिरावट से कुछ राहत मिली।

थोक महंगाई और WPI का महत्व

थोक महंगाई को थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के माध्यम से मापा जाता है, जो उपभोक्ताओं तक पहुंचने से पहले वस्तुओं की कीमतों की गति को दर्शाता है। इसके विपरीत, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) खुदरा स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को ट्रैक करता है। WPI डेटा नीति निर्माताओं, व्यवसायों और विश्लेषकों के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह औद्योगिक लागत दबावों की जानकारी देता है और खुदरा महंगाई के संभावित रुझानों का संकेतक होता है।

फरवरी 2024 की प्रमुख झलकियां

  • महंगाई दर: फरवरी में थोक महंगाई 2.38% रही, जो जनवरी में 2.31% थी।
  • मुख्य कारण: निर्मित खाद्य उत्पाद, वस्त्र, गैर-खाद्य वस्तुएं और अन्य विनिर्माण श्रेणियां।
  • खाद्य सूचकांक में गिरावट: जनवरी में 7.47% से घटकर फरवरी में 5.94% हो गया, जिससे खाद्य पदार्थों की कीमतों में कुछ राहत मिली।
  • ऐतिहासिक प्रवृत्ति: सितंबर 2022 तक WPI महंगाई लगातार 18 महीनों तक दोहरे अंकों में रही। अप्रैल 2023 और जुलाई 2020 में यह नकारात्मक भी हुई थी।

फरवरी में थोक महंगाई को प्रभावित करने वाले कारक

1. प्रमुख उद्योगों में कीमतों में वृद्धि

  • निर्मित खाद्य उत्पाद: कच्चे माल की बढ़ती लागत और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान से खाद्य प्रसंस्करण उत्पाद महंगे हुए।
  • प्राथमिक खाद्य वस्तुएं: खाद्य सूचकांक में गिरावट के बावजूद, अनाज और दालों की कीमतें बढ़ीं।
  • वस्त्र उद्योग: कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण वस्त्रों की लागत बढ़ी।
  • गैर-खाद्य वस्तुएं: कपास, तिलहन और रबर जैसी औद्योगिक कच्ची सामग्री की कीमतों में उतार-चढ़ाव आया।

2. खाद्य महंगाई में गिरावट

फलों, सब्जियों, खाद्य तेलों और वसा की कीमतों में गिरावट से खाद्य सूचकांक 7.47% से घटकर 5.94% पर आ गया, जिससे महंगाई के दबाव में कमी आई।

3. मौद्रिक नीति का प्रभाव

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति के माध्यम से महंगाई को नियंत्रित करता है।
  • रेपो रेट को लगभग 5 वर्षों तक 6.5% पर बनाए रखा गया ताकि महंगाई पर काबू पाया जा सके।
  • हाल ही में, RBI ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की, जिससे आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।

महंगाई का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

1. विनिर्माण और व्यापार क्षेत्र

  • WPI महंगाई में मामूली वृद्धि मांग वृद्धि का संकेत देती है, जिससे उत्पादन बढ़ाने के लिए निर्माताओं को प्रोत्साहन मिलता है।
  • हालांकि, उच्च उत्पादन लागत से कंपनियों के लाभ मार्जिन पर असर पड़ सकता है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

2. उपभोक्ता कीमतें और खुदरा महंगाई

  • थोक खाद्य महंगाई में गिरावट से खुदरा खाद्य कीमतों में कमी आने की संभावना है, जिससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
  • हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र में महंगाई जारी रहने से उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची बनी रह सकती हैं।

3. सरकारी नीतियां और आर्थिक स्थिरता

  • सरकार हर महीने WPI महंगाई के आंकड़े प्रकाशित करती है और नीति निर्माता इन आंकड़ों के आधार पर उचित नीतिगत निर्णय लेते हैं।
  • थोक महंगाई की निगरानी से आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और उचित नीतियां लागू करने में मदद मिलती है।
श्रेणी विवरण
क्यों खबर में? भारत में WPI महंगाई फरवरी 2024 में बढ़कर 2.38% हो गई, जो जनवरी में 2.31% थी।
मुख्य कारण निर्मित खाद्य उत्पाद, वस्त्र और गैर-खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतें।
खाद्य सूचकांक प्रवृत्ति जनवरी में 7.47% से घटकर फरवरी में 5.94% हो गया, जिससे खाद्य महंगाई में राहत मिली।
WPI का ऐतिहासिक रुझान सितंबर 2022 तक 18 महीनों तक दोहरे अंकों में रहा; अप्रैल 2023 में नकारात्मक हुआ।
RBI की मौद्रिक नीति आर्थिक वृद्धि और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए रेपो दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव विनिर्माण उत्पादन को प्रोत्साहन, लेकिन उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि की संभावना।
सरकारी उपाय आर्थिक नीतियों को दिशा देने के लिए WPI महंगाई डेटा का मासिक प्रकाशन।

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