ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए, भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में कोयले के आयात में 7.9% की कमी दर्ज की है, जिससे कुल आयात घटकर 243.62 मिलियन टन (MT) रह गया, जो पिछले वर्ष (264.53 MT) की तुलना में कम है। इस गिरावट से भारत को लगभग $7.93 अरब (₹60,681.67 करोड़) का विदेशी मुद्रा लाभ हुआ है। यह सरकार की घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने की रणनीति की सफलता को दर्शाता है।
क्यों है समाचारों में?
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कोयला मंत्रालय ने FY 2024-25 में कोयले के आयात में उल्लेखनीय गिरावट की जानकारी दी है।
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यह गिरावट “विकसित भारत 2047” और “आत्मनिर्भर भारत” मिशनों की ऊर्जा सुरक्षा प्राथमिकताओं के अंतर्गत है।
मुख्य बिंदु
आयात में कमी
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कुल कोयला आयात: 243.62 मिलियन टन
(FY 2023-24 में 264.53 MT था — 7.9% की कमी)
क्षेत्रीय प्रभाव
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नॉन-रेगुलेटेड सेक्टर (NRS): कोयला आयात में 8.95% की कमी
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पावर सेक्टर ब्लेंडिंग: कोयला आयात में 41.4% की कमी
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कोयला आधारित बिजली उत्पादन: 3.04% की वृद्धि, यानी आयात घटने के बावजूद उत्पादन बढ़ा
विदेशी मुद्रा की बचत
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कुल बचत: $7.93 बिलियन ≈ ₹60,681.67 करोड़
सरकारी प्रयास और नीतियां
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वाणिज्यिक कोयला खनन: निजी कंपनियों को प्रवेश देकर प्रतिस्पर्धा और उत्पादन में वृद्धि
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मिशन कोकिंग कोल: स्टील उद्योग के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कोयले के आयात को कम करने पर ध्यान
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घरेलू उत्पादन में वृद्धि: FY 2024-25 में कोयला उत्पादन में 5% की वृद्धि
सांख्यिकीय और पृष्ठभूमि जानकारी
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भारत में कोयले का उपयोग:
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विद्युत उत्पादन
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इस्पात, सीमेंट, और अन्य उद्योगों में प्रमुख भूमिका
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कोकिंग कोल: मुख्यतः आयातित, क्योंकि भारत में भंडार सीमित
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थर्मल कोल: अब घरेलू उत्पादन से मांग की पूर्ति बढ़ रही है
महत्व
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आयात पर निर्भरता में कमी
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ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा
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“आत्मनिर्भर भारत” दृष्टिकोण को समर्थन
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“विकसित भारत 2047” के लक्ष्यों की दिशा में ठोस कदम
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नीतिगत सफलता और कोयला क्षेत्र की लचीलापन का संकेत