प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक एम आर श्रीनिवासन का निधन

डॉ. एम.आर. श्रीनिवासन, भारत के परमाणु ऊर्जा विकास के क्षेत्र में एक प्रमुख हस्ती और परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) के पूर्व अध्यक्ष, का 20 मई 2025 को उधगमंडलम में 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें भारत के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वास्तुकारों में से एक माना जाता है। उन्होंने देश के पहले अनुसंधान परमाणु रिएक्टर के निर्माण में अहम भूमिका निभाई और अपने कार्यकाल में भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता का उल्लेखनीय विस्तार किया।

क्यों समाचारों में हैं?

डॉ. एम.आर. श्रीनिवासन का निधन भारत की परमाणु ऊर्जा यात्रा के एक युग का अंत है। उन्होंने कई आधारभूत परियोजनाओं का नेतृत्व किया और परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) में अनेक उच्च पदों पर कार्य किया।

प्रमुख योगदान करियर मील के पत्थर

  • 1955: DAE से जुड़े, डॉ. होमी भाभा के साथ कार्य किया। भारत के पहले अनुसंधान रिएक्टर अप्सरा के निर्माण में योगदान (जिसने अगस्त 1956 में क्रिटिकलिटी प्राप्त की)।

  • 1959: भारत के पहले परमाणु ऊर्जा स्टेशन के प्रिंसिपल प्रोजेक्ट इंजीनियर बने।

  • 1967: मद्रास परमाणु ऊर्जा स्टेशन में मुख्य परियोजना इंजीनियर नियुक्त।

  • 1974: DAE में पावर प्रोजेक्ट्स इंजीनियरिंग डिवीजन के निदेशक बने।

  • 1984: न्यूक्लियर पावर बोर्ड के अध्यक्ष बने।

  • 1987: AEC के अध्यक्ष परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव बने। उन्होंने न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) की स्थापना की।

प्रमुख उपलब्धियाँ

  • उनके नेतृत्व में भारत में 18 परमाणु ऊर्जा इकाइयों का विकास हुआ:

    • 7 इकाइयाँ चालू अवस्था में

    • 7 निर्माणाधीन

    • 4 योजना चरण में

  • उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

  • उन्होंने संस्थानों के निर्माण और परमाणु तकनीक में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने में प्रमुख भूमिका निभाई।

विरासत और प्रभाव

  • डॉ. श्रीनिवासन को उनके तकनीकी कौशल और दूरदर्शी नेतृत्व के लिए जाना जाता है।

  • उन्होंने भारत की स्वदेशी परमाणु ऊर्जा क्षमता की नींव रखी।

  • उन्होंने परमाणु विज्ञानियों और इंजीनियरों की नई पीढ़ी को प्रेरित किया।

  • उनके योगदान को उनकी बेटी, प्रसिद्ध पुरातत्त्वविद शारदा श्रीनिवासन, द्वारा भी सम्मानपूर्वक याद किया गया।

अमेज़न में दुनिया का सबसे बड़ा साँप खोजा गया

अमेज़न वर्षावन, जो अपनी समृद्ध जैव विविधता और रहस्यमयी प्रकृति के लिए जाना जाता है, ने एक बार फिर वैज्ञानिक दुनिया को चौंका दिया है। शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक नई प्रजाति के विशालकाय साँप की खोज की है, जो अब तक के ज्ञात साँपों में आकार और वज़न दोनों में सबसे बड़ा है। यह खोज केवल प्रकृति की अज्ञात गहराइयों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि इसका संरक्षण क्यों अत्यंत आवश्यक है।

दुनिया भर में साँपों की विविधता

विश्वभर में लगभग 3,971 प्रजातियों के साँप ज्ञात हैं, जिनमें से लगभग 600 विषैले हैं। ये सरीसृप लगभग हर वातावरण में पाए जाते हैं — कुछ, जैसे किंग कोबरा, अपने ज़हर के लिए कुख्यात हैं, जबकि पाइथन और बोआ जैसे साँप अपने शिकार को जकड़कर मारते हैं।

एनाकोंडा: मिथक और यथार्थ

एनाकोंडा को लंबे समय से रहस्यमयी और डरावने साँप के रूप में देखा गया है, खासकर हॉलीवुड फिल्मों की वजह से। अब तक ग्रीन एनाकोंडा (Eunectes murinus) को दुनिया का सबसे भारी और लंबा साँप माना जाता था। हालांकि बड़ी लंबाई के दावे पहले भी हुए हैं, पर उनके पीछे वैज्ञानिक प्रमाण नहीं थे — अब तक।

नई खोज: नॉर्दर्न ग्रीन एनाकोंडा

एक ऐतिहासिक अभियान में वैज्ञानिकों ने अमेज़न वर्षावन में एनाकोंडा की एक नई प्रजाति खोजी है — जिसका नाम है:
नॉर्दर्न ग्रीन एनाकोंडा (Eunectes akayima)
यह काल्पनिक नहीं, बल्कि वास्तविक और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित प्रजाति है।

रिकॉर्ड तोड़ आकार और वज़न:

  • लंबाई: 26 फीट (लगभग 8 मीटर)

  • वज़न: 500 किलोग्राम (1,100 पाउंड से अधिक)
    यह वैज्ञानिक इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और भारी साँप है।

यह कहाँ मिला?

यह खोज इक्वाडोर के बिहुएरी वाोरानी क्षेत्र में की गई, जो अमेज़न के बेहद गहरे हिस्से में स्थित है। यह खोज Disney+ की National Geographic श्रृंखला ‘Pole to Pole’ के लिए बनाई जा रही डॉक्युमेंट्री का हिस्सा थी, जिसमें वैज्ञानिकों ने स्थानीय वाोरानी आदिवासी समुदाय के साथ मिलकर कार्य किया।

वैज्ञानिक महत्त्व

इस खोज ने केवल रिकॉर्ड नहीं तोड़े, बल्कि साँपों के विकास (evolution) की समझ में भी बड़ी प्रगति दी। जर्नल ‘Diversity’ के अनुसार, इस नई प्रजाति और पहले ज्ञात सदर्न ग्रीन एनाकोंडा के बीच 5.5% जेनेटिक अंतर है।

तुलना में:

  • मनुष्य और चिंपैंज़ी के बीच केवल 2% आनुवंशिक अंतर होता है।
    इसका अर्थ है कि इन दो एनाकोंडा प्रजातियों का विभाजन लगभग 1 करोड़ वर्ष पहले हुआ था।

पारिस्थितिक महत्त्व और संरक्षण की चिंता

अमेज़न, जहाँ ये विशाल जीव रहते हैं, वर्तमान में वनों की कटाई, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। इसका असर केवल एनाकोंडा, बल्कि अनगिनत अन्य प्रजातियों पर भी पड़ रहा है।

समय के खिलाफ दौड़

यह खोज एक चेतावनी है कि अमेज़न के बड़े हिस्से अब भी अज्ञात और अनछुए हैं। ऐसे अकल्पनीय जीवों की मौजूदगी इस बात की ओर इशारा करती है कि अगर अभी नहीं संभले, तो ये चमत्कार हमेशा के लिए खो सकते हैं

संदेश:
प्रकृति में अब भी बहुत कुछ ऐसा है जो हमारी समझ से बाहर है। इस खोज के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं और नागरिकों को मिलकर संरक्षण प्रयासों को तेज़ करना होगा — इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।

चीन और कंबोडिया ने सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने हेतु “गोल्डन ड्रैगन-2025” लॉन्च किया

चीन और कंबोडिया ने मई 2025 के मध्य में “गोल्डन ड्रैगन-2025” संयुक्त सैन्य अभ्यास की शुरुआत की है, जो दोनों देशों के द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के क्षेत्र में आकार, दायरे और तकनीकी परिष्कार के लिहाज़ से एक बड़ा विस्तार दर्शाता है। इस बार के अभ्यास में अत्याधुनिक मानव रहित युद्ध प्रणालियाँ शामिल हैं और यह ज़मीनी, समुद्री और हवाई अभियानों को कवर करता है। इसका उद्देश्य सामरिक समन्वय, मानवीय सहायता और आतंकवाद-रोधी क्षमताओं को सुदृढ़ करना है।

क्यों है चर्चा में?

गोल्डन ड्रैगन-2025” संयुक्त अभ्यास मई 2025 में औपचारिक रूप से शुरू हुआ। यह चीन और कंबोडिया के बीच हर साल होने वाले सैन्य सहयोग कार्यक्रम का सातवाँ संस्करण है। इस बार पहली बार यह अभ्यास रीम पोर्ट संयुक्त समर्थन एवं प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से समुद्री क्षेत्र में भी शामिल किया गया है। इसकी बहु-डोमेन रणनीति, ड्रोन तकनीक और सैन्य विश्वास को गहराने को लेकर यह अभ्यास चर्चा में है।

मुख्य विशेषताएँ:

बिंदु विवरण
अभ्यास का नाम गोल्डन ड्रैगन-2025
भागीदार चीन की पीएलए (PLA) और कंबोडियन सशस्त्र बल
स्थान कंबोडिया (जमीन और समुद्र – रीम पोर्ट सहित)
अवधि मई 2025 (मध्य से अंत तक)
थीम आतंकवाद-रोधी, मानवीय सहायता, शांति और सहयोग
चरण अनुकूलन प्रशिक्षण → कमांड अभ्यास → लाइव फोर्स ड्रिल
  • संयुक्त क्षमताओं का सुदृढ़ीकरण

    • ज़मीनी, समुद्री और हवाई परिदृश्यों में तालमेल बढ़ाना

    • सामरिक अभ्यास और मानव रहित प्रणालियों में प्रशिक्षण

  • तकनीकी प्रदर्शन

    • ड्रोन स्वार्म, FPV ड्रोन, हमलावर वाहन, रडार सिस्टम और पैदल सेना युद्ध वाहन का प्रदर्शन

  • बलों का एकीकरण

    • मिश्रित इकाइयों द्वारा अनुकूलन अभ्यास

    • संयुक्त कमांड मुख्यालय से समन्वय

  • सांस्कृतिक और जनसंपर्क पहल

    • सांस्कृतिक कार्यक्रम, जहाज़ों की सार्वजनिक विज़िट, चिकित्सा और शैक्षणिक सेवाएँ

रणनीतिक महत्व:

  • चीन और कंबोडिया के बीच गहरा सैन्य विश्वास दर्शाता है

  • दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन की रणनीतिक उपस्थिति को सशक्त करता है

सारांश/स्थैतिक जानकारी विवरण
क्यों है चर्चा में? चीन और कंबोडिया ने सैन्य संबंधों को मज़बूत करने के लिए “गोल्डन ड्रैगन-2025” लॉन्च किया
अभ्यास का नाम गोल्डन ड्रैगन-2025
भागीदार देश चीन और कंबोडिया
स्वरूप संयुक्त सैन्य अभ्यास — मानवीय सहायता और आतंकवाद-रोधी केंद्रित
अवधि मई 2025 (मध्य से अंत तक)
रीम पोर्ट का पहला उपयोग चीन-कंबोडिया रीम पोर्ट संयुक्त समर्थन एवं प्रशिक्षण केंद्र में पहली बार अभ्यास
मुख्य तकनीकें ड्रोन स्वार्म, FPV ड्रोन, उभयचर हमलावर वाहन, रडार सिस्टम
उद्देश्य संयुक्त क्षमताओं, सामरिक समन्वय और जन-से-जन संबंधों को सुदृढ़ करना

सूडान ने 2023 के गृहयुद्ध के बाद कामिल इदरीस को पहला प्रधानमंत्री नियुक्त किया

सूडान की सेना प्रमुख जनरल अब्देल-फताह अल-बुरहान ने 19 मई 2025 को कामिल अल-ताएब इदरीस को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जो अप्रैल 2023 में शुरू हुए गृहयुद्ध के बाद पहली बार यह पद भरा गया है। यह कदम राजनीतिक स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है, खासकर खार्तूम पर सैन्य नियंत्रण की पुनः स्थापना के बाद।

क्यों चर्चा में है?

  • कामिल अल-ताएब इदरीस की नियुक्ति 2022 के बाद पहली बार किसी प्रधानमंत्री की नियुक्ति है, जब अबदल्ला हमदोक ने इस्तीफा दिया था

  • यह कदम सूडानी सेना द्वारा तेज़ प्रतिक्रिया बल (RSF) के खिलाफ हालिया सैन्य बढ़त, विशेष रूप से मार्च 2025 में खार्तूम की पुनः प्राप्ति, के बाद लिया गया है।

  • अंतरराष्ट्रीय दबाव और मानवीय संकट के बीच, यह लोकतांत्रिक संक्रमण और नागरिक शासन की बहाली के प्रयास का हिस्सा है।

संघर्ष की पृष्ठभूमि

  • अप्रैल 2023: सेना और अर्धसैनिक बल RSF के बीच युद्ध शुरू हुआ।

  • मूल कारण: सुरक्षा बलों और राजनीतिक नेतृत्व पर नियंत्रण को लेकर शक्ति संघर्ष।

  • संघर्ष ने खार्तूम से बाहर अन्य क्षेत्रों में भी व्यापक रूप ले लिया।

मानवीय प्रभाव

  • 20,000 से अधिक मौतें (अनौपचारिक आंकड़े इससे भी अधिक हो सकते हैं)।

  • 1.3 करोड़ से अधिक विस्थापित, जिनमें से 40 लाख से अधिक शरणार्थी पड़ोसी देशों में भागे।

  • 2.5 करोड़ लोग (सूडान की आधी आबादी) भुखमरी और खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।

कौन हैं कामिल अल-ताएब इदरीस?

  • एक प्रशंसित विधि विशेषज्ञ और राजनयिक

  • संयुक्त राष्ट्र में सूडान मिशन के पूर्व कानूनी सलाहकार।

  • यूएन अंतरराष्ट्रीय विधि आयोग के सदस्य।

  • राजनीतिक रूप से निष्पक्ष और गैर-पक्षपाती माने जाते हैं, जिससे उनकी विभिन्न गुटों द्वारा स्वीकार्यता अधिक है, यहां तक कि RSF समर्थकों के बीच भी।

नियुक्ति का उद्देश्य

  • एक संक्रमणकालीन सरकार का गठन, जो अंततः चुनावों और नागरिक शासन की ओर बढ़े।

  • घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक वैधता की पुनर्स्थापना

  • RSF के नैरोबी चार्टर” का मुकाबला करना, जो एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और विकेंद्रीकृत सूडान की मांग करता है और वैकल्पिक सरकार बनाने की दिशा में है।

विशेषज्ञ राय

उनकी स्वीकार्यता विभिन्न समुदायों में अधिक प्रतीत होती है, यहां तक कि RSF समर्थकों में भी, क्योंकि वे किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं।”
उस्मान मिर्घानी, राजनीतिक विश्लेषक

यह नियुक्ति सूडान में नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत के रूप में देखी जा रही है, जो लंबे संघर्ष के बाद शांति और लोकतंत्र की बहाली की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

त्रिपुरा ने किसानों को सशक्त बनाने के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान शुरू किया

कृषि उत्पादकता और किसान कल्याण को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, त्रिपुरा सरकार ने विकसित कृषि संकल्प अभियान” की शुरुआत की घोषणा की है, जो 29 मई से 12 जून 2025 तक चलेगा। यह अभियान केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और ग्राम पंचायतों में राज्य एवं केंद्र प्रायोजित योजनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना, कृषि उत्पादन बढ़ाना और लागत में कमी लाना है।

क्यों चर्चा में है?

त्रिपुरा ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आरंभ की गई विकसित कृषि संकल्प अभियान” में अपनी सक्रिय भागीदारी की घोषणा की है। यह हालिया पहल कृषि नीति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है।

उद्देश्य

  • कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना

  • किसानों की उत्पादन लागत कम करना

  • किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करना

  • किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों नवाचारों की जानकारी देना

त्रिपुरा में अभियान की मुख्य विशेषताएं

  • अवधि: 29 मई – 12 जून 2025

  • लक्ष्य क्षेत्र: त्रिपुरा के सभी गांव और ग्राम पंचायतें

  • फोकस: सभी राज्य और केंद्र प्रायोजित योजनाओं की जानकारी का प्रचार-प्रसार

कार्यान्वयन एजेंसियां

  • राज्य कृषि विभाग

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)

  • कृषि विज्ञान केंद्र (KVKs)

ढांचा

  • एक राज्य समन्वयक

  • कई जिला समन्वयक

  • कृषि वैज्ञानिकों और स्थानीय अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी

पृष्ठभूमि

  • अभियान की घोषणा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की।

  • यह अभियान भारत के 723 जिलों में चलाया जा रहा है।

  • यह विकसित भारत @2047″ मिशन का हिस्सा है, जो स्वतंत्रता के 100 वर्ष पर एक विकसित भारत की परिकल्पना करता है।

महत्व

  • जमीनी स्तर पर कृषि जागरूकता को बढ़ावा देगा।

  • किसानों और सरकारी लाभकारी योजनाओं के बीच की दूरी को कम करेगा।

  • ICAR और KVK विशेषज्ञों की मदद से तकनीकी ज्ञान का प्रसार होगा।

  • खाद्य सुरक्षा और सतत ग्रामीण विकास में योगदान देगा।

यह अभियान त्रिपुरा जैसे कृषि-प्रधान राज्य में किसानों को सशक्त करने और समावेशी कृषि विकास को गति देने की दिशा में एक सार्थक पहल है।

विश्व मधुमक्खी दिवस 2025: जानें सबकुछ

हर साल 20 मई को दुनिया भर में विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day) मनाया जाता है ताकि पारिस्थितिक तंत्र और खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने में मधुमक्खियों और अन्य परागणकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी जा सके। संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित यह वैश्विक दिवस परागणकर्ताओं के सामने आने वाले खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उन्हें संरक्षित करने के लिए कार्य करने को प्रोत्साहित करता है। 2025 का विषय है: प्रकृति से प्रेरणा लें, सभी को पोषण दें” (Bee Inspired by Nature to Nourish Us All)जो परागणकर्ताओं, कृषि-खाद्य प्रणालियों और जैव विविधता के बीच गहरे संबंध को रेखांकित करता है।

क्यों चर्चा में है?

विश्व मधुमक्खी दिवस 2025 को 20 मई को विश्व स्तर पर मनाया जा रहा है। इस वर्ष का विषय इस बात पर केंद्रित है कि किस प्रकार प्रकृति आधारित समाधान और मधुमक्खियों जैसे परागणकर्ता टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को समर्थन दे सकते हैं, भूख को कम कर सकते हैं और जैव विविधता संकट को कम कर सकते हैं।

परागणकर्ताओं का महत्व

  • विश्व की लगभग 90% जंगली पुष्पीय वनस्पतियाँ और 75% खाद्य फसलें आंशिक रूप से पशु परागण पर निर्भर करती हैं।

  • मधुमक्खियाँ, तितलियाँ, चमगादड़, हमिंगबर्ड्स और कुछ पक्षी फसल की पैदावार और गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं।

  • 200,000 से अधिक पशु प्रजातियाँ परागणकर्ता हैं, जिनमें 20,000 से अधिक मधुमक्खी प्रजातियाँ शामिल हैं।

2025 का विषय: “प्रकृति से प्रेरणा लें, सभी को पोषण दें”

  • मधुमक्खियों की भूमिका को कृषि-खाद्य प्रणालियों में रेखांकित करता है।

  • जलवायु परिवर्तन से लड़ाई, खाद्य सुरक्षा और पारिस्थितिकीय संतुलन में परागणकर्ताओं के योगदान को उजागर करता है।

  • प्राकृतिक खेती, जैसे एग्रोइकोलॉजी, इंटरक्रॉपिंग और एग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देता है।

परागणकर्ताओं के समक्ष वर्तमान खतरे

  • मानव गतिविधियाँ जैसे गहन खेती, एकल फसली खेती, कीटनाशकों का उपयोग, वनों की कटाई और शहरीकरण परागणकर्ताओं की गिरती संख्या का मुख्य कारण हैं।

  • जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्ति दर बढ़ रही है —
    35% अकशेरुकी परागणकर्ता
    17% कशेरुकी परागणकर्ता संकटग्रस्त हैं।

वैश्विक पहलें

  • संयुक्त राष्ट्र ने विश्व मधुमक्खी दिवस घोषित किया है।

  • अंतरराष्ट्रीय परागणकर्ता पहल (IPI) को 2000 में CBD COP-5 के दौरान शुरू किया गया।

प्रमुख लक्ष्य

  • परागणकर्ता ह्रास की निगरानी

  • टैक्सोनॉमिक जानकारी की खामियों को दूर करना

  • परागण के आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन

  • परागणकर्ता विविधता की रक्षा

FAO की भूमिका

  • FAO (खाद्य और कृषि संगठन) IPI का समन्वय करता है।

  • रानी मधुमक्खी प्रजनन, कृत्रिम गर्भाधान और शहद उत्पादन में तकनीकी सहायता देता है।

  • निर्यात और संरक्षण के लिए सतत अभ्यास को प्रोत्साहित करता है।

हम क्या कर सकते हैं?

व्यक्तिगत स्तर पर

  • देशी फूलों को लगाएं जो विभिन्न समय पर खिलें।

  • कीटनाशकों का उपयोग करें।

  • स्थानीय शहद उत्पादकों को समर्थन दें।

  • मधुमक्खियों के लिए पानी के कटोरे रखें और प्राकृतिक कॉलोनियों की रक्षा करें।

किसानों/पालकों के लिए

  • फसल में विविधता लाएं और कीटनाशक कम करें।

  • झाड़ियों या मधुमक्खियों को आकर्षित करने वाले पौधे लगाएं।

सरकार/नीति-निर्माताओं के लिए

  • स्थानीय और आदिवासी समुदायों को योजना में शामिल करें।

  • परागणकर्ता-अनुकूल खेती के लिए प्रोत्साहन दें।

  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निगरानी बढ़ाएं।

विश्व निष्पक्ष खेल दिवस: खेल के माध्यम से समावेशन और न्याय का उत्सव

2025 से शुरू होकर, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 मई को आधिकारिक रूप से विश्व निष्पक्ष खेल दिवस (World Fair Play Day) घोषित किया है। यह निर्णय खेलों की भूमिका को वैश्विक स्तर पर मान्यता देता है, जिसमें शांति, समावेशन और न्याय को बढ़ावा देने की शक्ति निहित है। कई सदस्य देशों के समर्थन से घोषित यह नया दिवस इस बात को रेखांकित करता है कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा का माध्यम नहीं हैं, बल्कि एकता, अनुशासन और सम्मान को बढ़ाने का एक प्रभावशाली साधन भी हैं।

विश्व निष्पक्ष खेल दिवस क्यों?

इस दिवस की स्थापना इस गहरी समझ से हुई है कि खेल और शारीरिक गतिविधियाँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं। ये समुदायों के बीच पुल का कार्य करती हैं, विभिन्न संस्कृतियों और विचारधाराओं के बीच अनुशासन, धैर्य और आपसी सम्मान को बढ़ावा देती हैं। खेल नस्ल, धर्म और राष्ट्रीयता की बाधाओं को तोड़कर साझा मानवीय मूल्यों को सामने लाते हैं।

इस विचार का एक ऐतिहासिक उदाहरण है 1995 का दक्षिण अफ्रीका, जब रंगभेद समाप्त होने के बाद राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने रग्बी विश्व कप को राष्ट्रीय मेल-मिलाप का मंच बनाया। उन्होंने “स्प्रिंगबॉक्स” टीम का समर्थन किया, जो पहले श्वेत अल्पसंख्यक की प्रतीक मानी जाती थी, और इस कदम से एक गहरे विभाजित राष्ट्र को एकजुट करने में मदद की।

संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव और वैश्विक मान्यता

विश्व निष्पक्ष खेल दिवस को UN महासभा प्रस्ताव A/78/L.85 के माध्यम से वर्ष 2024 (एक ओलंपिक वर्ष) में अपनाया गया था — यह स्वयं ओलंपिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है। इस प्रस्ताव में माना गया कि निष्पक्ष खेल के मूल्य:

  • सहयोग और समावेशन को बढ़ावा देते हैं

  • सम्मान और समानता को स्थापित करते हैं

  • भेदभाव, हिंसा और डोपिंग के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं

इस प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय निष्पक्ष खेल समिति” (International Committee for Fair Play) की भूमिका को भी सराहा गया है, जो हर स्तर पर खेलों में नैतिक आचरण को बढ़ावा देती है — चाहे वह स्थानीय मैदान हो या अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता।

मूल्य आधारित विकास का दृष्टिकोण

विश्व निष्पक्ष खेल दिवस का मूल उद्देश्य है — एक बेहतर विश्व के निर्माण हेतु वैश्विक गतिविधियों को निम्न मूल्यों से जोड़ना:

  • ईमानदारी

  • सम्मान

  • समान अवसर

  • खेलों में कानून के पालन का सिद्धांत

संयुक्त राष्ट्र ने निष्पक्ष खेलों को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से जोड़ा है। इनका उद्देश्य है:

  • भूख मिटाना

  • गरीबी कम करना

  • लैंगिक समानता बढ़ाना

  • शांति और न्याय को समर्थन देना

इन सिद्धांतों को अपनाकर, खेल विकास और मेल-मिलाप का माध्यम बनते हैं — जो एक अधिक सशक्त, न्यायपूर्ण और समावेशी समाज की ओर अग्रसर करते हैं।

RBI ने पूंजी की कमी के कारण एचसीबीएल सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द किया

लखनऊ स्थित शहरी सहकारी बैंक HCBL को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 19 मई 2025 को रद्द कर दिया। बैंक की पूंजी अपर्याप्त थी और आर्थिक रूप से टिकाऊ संचालन की संभावना नहीं थी। इसके साथ ही बैंक के सभी बैंकिंग कार्य तत्काल प्रभाव से बंद कर दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को बैंक का परिसमापन (liquidation) शुरू करने और लिक्विडेटर नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं।

क्यों है यह खबर में?

  • RBI ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत यह कार्रवाई की।

  • उद्देश्य: जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा और सहकारी बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बनाए रखना।

लाइसेंस रद्द करने के प्रमुख कारण:

  • पर्याप्त पूंजी की कमी

  • कमाई की कोई व्यवहार्य संभावना नहीं

  • बैंक का संचालन जमाकर्ताओं के हितों के लिए हानिकारक पाया गया

  • बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के कुछ प्रावधानों का पालन नहीं

DICGC बीमा और भुगतान:

  • प्रत्येक जमाकर्ता को ₹5 लाख तक बीमा सुरक्षा प्राप्त होती है (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation के तहत)।

  • HCBL बैंक के 98.69% जमाकर्ताओं को उनकी पूरी जमा राशि मिलेगी।

  • 31 जनवरी 2025 तक ₹21.24 करोड़ की बीमित राशि का भुगतान किया जा चुका है।

प्रशासनिक कदम:

उत्तर प्रदेश सहकारी समितियाँ रजिस्ट्रार को निर्देश:

  • बैंक को समाप्त करने का आदेश जारी करें

  • एक लिक्विडेटर नियुक्त करें

लाइसेंस रद्द होने का प्रभाव:

बैंक अब निम्नलिखित कोई भी बैंकिंग गतिविधि नहीं कर सकता:

  • नई जमा स्वीकार करना

  • मौजूदा जमाओं का भुगतान करना

इस कदम का महत्व:

  • जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना

  • बैंकिंग क्षेत्र में स्थिरता और अनुपालन बनाए रखने की दिशा में RBI की प्रतिबद्धता

  • सहकारी बैंकिंग प्रणाली में बेहतर प्रशासन को प्रोत्साहित करना

  • शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में जोखिम के संचय को रोकना

सारांश / स्थैतिक जानकारी विवरण
क्यों है यह खबर में? RBI ने पूंजी की कमी के कारण HCBL को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द किया
बैंक का नाम HCBL को-ऑपरेटिव बैंक, लखनऊ
RBI की कार्रवाई 19 मई 2025 को लाइसेंस रद्द
कारण अपर्याप्त पूंजी और कमजोर आय की संभावनाएं
DICGC कवरेज जमा पर ₹5 लाख तक बीमा
जमाकर्ताओं का प्रतिशत (पूर्ण रूप से सुरक्षित) 98.69%
31 जनवरी 2025 तक भुगतान राशि ₹21.24 करोड़
कानूनी आधार बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949

पद्म विभूषण खगोल वैज्ञानिक जयंत नार्लीकर का निधन

प्रसिद्ध खगोलभौतिक विज्ञानी, दूरदर्शी विज्ञान संप्रेषक और पद्म विभूषण सम्मानित डॉ. जयंत विष्णु नारळीकर का मंगलवार सुबह पुणे में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से भारतीय विज्ञान और ब्रह्मांड विज्ञान (कॉस्मोलॉजी) के एक युग का अंत हो गया।

प्रारंभिक जीवन और शैक्षणिक प्रतिभा

विद्वत्ता में रचे-बसे
डॉ. नारळीकर का जन्म 19 जुलाई 1938 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) परिसर में अपना बचपन बिताया, जहाँ उनके पिता प्रो. विष्णु वासुदेव नारळीकर एक प्रसिद्ध गणितज्ञ और गणित विभाग के प्रमुख थे।

कैम्ब्रिज का सितारा
डॉ. नारळीकर ने अपनी उच्च शिक्षा प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहाँ उनकी गणितीय प्रतिभा ने जल्दी ही उन्हें विशिष्ट बना दिया। वे Wrangler बने और Tyson Medal जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित हुए। कैम्ब्रिज में बिताया गया समय उनके वैश्विक स्तर पर प्रभावी खगोलभौतिकी करियर की नींव बना।

भारतीय विज्ञान के लिए समर्पित जीवन

TIFR और सैद्धांतिक खगोलभौतिकी का विकास
1972 में भारत लौटने के बाद डॉ. नारळीकर टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (TIFR) से जुड़े। अगले 17 वर्षों में उन्होंने वहाँ के सैद्धांतिक खगोलभौतिकी समूह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित बनाने में अहम भूमिका निभाई।

IUCAA की स्थापना – एक विरासत संस्था
1988 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के निमंत्रण पर डॉ. नारळीकर ने पुणे में इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) की स्थापना की। बतौर संस्थापक निदेशक, उन्होंने IUCAA को विश्वस्तरीय अनुसंधान और शिक्षण संस्थान में रूपांतरित किया। वे 2003 तक निदेशक रहे और सेवानिवृत्ति के बाद एमेरिटस प्रोफेसर के रूप में भी जुड़े रहे।

IUCAA आज एक ऐसा मंच है जो वैश्विक वैज्ञानिकों और शोधार्थियों को आकर्षित करता है — यह डॉ. नारळीकर की समावेशी और अंतर्विषयी विज्ञान दृष्टि का प्रतिफल है।

अंतरराष्ट्रीय मान्यता और वैज्ञानिक योगदान

ब्रह्मांड विज्ञान में सैद्धांतिक नवाचार
डॉ. नारळीकर कॉस्मोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी माने जाते हैं। उन्होंने Conformal Gravity और Big Bang सिद्धांत के वैकल्पिक मॉडल्स पर महत्वपूर्ण कार्य किया, विशेषकर Steady State Theory, जिसे उन्होंने प्रसिद्ध वैज्ञानिक फ्रेड हॉयल के साथ विकसित किया था।

सम्मान और पुरस्कार

डॉ. नारळीकर को उनके उत्कृष्ट योगदानों के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए:

  • पद्म भूषण (1965)मात्र 26 वर्ष की आयु में, यह सम्मान पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्तियों में से एक।

  • पद्म विभूषण (2004)भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान।

  • महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार (2011)महाराष्ट्र राज्य का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।

  • कलिंग पुरस्कार (1996)विज्ञान के जनप्रियकरण के लिए यूनेस्को द्वारा प्रदत्त।

  • TWAS पुरस्कार (2012)तीसरी दुनिया के लिए विज्ञान अकादमी द्वारा एक उत्कृष्ट संस्थान स्थापित करने हेतु सम्मानित।

डॉ. जयंत नारळीकर ने भारत में खगोलभौतिकी और विज्ञान की लोकप्रियता को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया। उनका जीवन, विज्ञान के प्रति निष्ठा और समाज के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

विज्ञान संप्रेषक और साहित्यिक योगदानकर्ता

विज्ञान और समाज के बीच सेतु

डॉ. जयंत नारळीकर केवल एक अकादमिक वैज्ञानिक नहीं थे, बल्कि एक जनबुद्धिजीवी और विज्ञान संप्रेषक भी थे, जिन्होंने विज्ञान को आम लोगों के लिए सरल और रोचक बनाया। उन्होंने पुस्तकों, निबंधों, व्याख्यानों और टेलीविज़न कार्यक्रमों के माध्यम से भारत के युवाओं में विज्ञान के प्रति रुचि जगाई और पीढ़ियों को प्रेरित किया।

कल्पनाशील लेखन और साहित्य

तकनीकी लेखन के साथ-साथ डॉ. नारळीकर ने विज्ञान कथाएँ (साइंस फिक्शन) भी लिखीं, जिनमें वैज्ञानिक सिद्धांतों को कल्पनाशील कहानी से जोड़ा गया। उनकी साहित्यिक प्रतिभा को वैज्ञानिक समुदाय के बाहर भी व्यापक सराहना मिली।

वर्ष 2014 में, उनकी आत्मकथा को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया — जो मराठी साहित्य में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। यह उनकी बहुआयामी उत्कृष्टता को दर्शाता है, जिसमें विज्ञान और साहित्य दोनों शामिल हैं।

ऑपरेशन ओलिविया: भारतीय तटरक्षक बल ने ओलिव रिडले कछुओं के संरक्षण में सहायता की

समुद्री संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, भारतीय तटरक्षक बल (ICG) ने अपने वार्षिक अभियान ऑपरेशन ओलिविया के तहत फरवरी 2025 में ओडिशा के रुषिकुल्या नदी मुहाने पर लगभग 6.98 लाख ऑलिव रिडले कछुओं की सफलतापूर्वक रक्षा की। यह अभियान इस प्रजाति के वार्षिक प्रजनन काल के दौरान उनके सुरक्षित अंडे देने के स्थलों को सुनिश्चित कर समुद्री जैव विविधता की रक्षा के प्रति भारत की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ऑलिव रिडले कछुए विश्व स्तर पर एक संवेदनशील प्रजाति माने जाते हैं और उनके संरक्षण हेतु यह पहल वैश्विक स्तर पर सराहनीय कदम है।

समाचार में क्यों?

भारतीय तटरक्षक बल (Indian Coast Guard – ICG) ने 19 मई 2025 को घोषणा की कि उसके वार्षिक मिशन ऑपरेशन ओलिविया (Operation Olivia) के तहत फरवरी 2025 में ओडिशा के रुषिकुल्या नदी मुहाने पर लगभग 6.98 लाख ऑलिव रिडले कछुओं की सफलतापूर्वक रक्षा की गई। यह उपलब्धि समुद्री जैव विविधता संरक्षण में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • मुख्य उद्देश्य: ऑलिव रिडले कछुओं के सुरक्षित अंडे देने (नेस्टिंग) को सुनिश्चित करना।

  • खतरों की रोकथाम: अवैध मछली पकड़ने और आवास नष्ट होने जैसे जोखिमों को कम करना।

  • सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय मछुआरों, NGOs और टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइसेज़ (TEDs) जैसी टिकाऊ मछली पकड़ने की तकनीकों को बढ़ावा देना।

पृष्ठभूमि और क्रियान्वयन

  • प्रारंभ: 1980 के दशक की शुरुआत में लॉन्च किया गया।

  • समय अवधि: हर साल नवंबर से मई तक संचालित।

  • मुख्य क्षेत्र: ओडिशा के गहीरमाथा, रुषिकुल्या नदी मुहाना, और अन्य तटीय इलाकों में कछुओं के अंडे देने के समय गश्त और निगरानी।

2025 के प्रमुख उपलब्धियाँ

  • 6.98 लाख कछुओं की सुरक्षा फरवरी 2025 में रुषिकुल्या में सुनिश्चित की गई।

  • अब तक 5,387 सतही गश्त अभियान और 1,768 हवाई निगरानी मिशन संचालित किए गए।

  • 366 अवैध मछली पकड़ने वाली नौकाएं जब्त की गईं।

  • कई NGOs के साथ MoU साइन किए गए ताकि संरक्षण और शिक्षा कार्यक्रम चलाए जा सकें।

सामुदायिक और तकनीकी पहल

  • मछुआरों के बीच TEDs के उपयोग को प्रोत्साहन।

  • स्थानीय समुदायों के साथ जागरूकता कार्यक्रम, सतत जीवनशैली को समर्थन।

  • कर्नाटक जैसे राज्यों के सहयोग से कछुओं की जियो-टैगिंग शुरू—उनकी आवाजाही पर निगरानी रखने हेतु।

सारांश / स्थैतिक जानकारी विवरण
समाचार में क्यों? भारतीय तटरक्षक बल द्वारा संचालित ऑपरेशन ओलिविया—समुद्री संरक्षण की एक बड़ी सफलता
ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन ओलिविया
संचालित करने वाली एजेंसी भारतीय तटरक्षक बल (ICG)
समय अवधि प्रतिवर्ष नवंबर से मई तक
2025 में उपलब्धि 6.98 लाख ऑलिव रिडले कछुओं की सुरक्षा
मुख्य स्थान गहीरमाथा समुद्र तट, रुषिकुल्या नदी मुहाना (ओडिशा)
अब तक की गश्त संख्या 5,387 सतही गश्त, 1,768 हवाई गश्त
जब्त की गई अवैध नौकाएं 366
मुख्य सहयोग NGOs, स्थानीय समुदाय, समझौता ज्ञापन (MoUs), TEDs का प्रचार

Recent Posts

about | - Part 269_12.1