WHO ने पहली बार वैश्विक महामारी संधि अपनाई

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 20 मई 2025 को जिनेवा में आयोजित अपनी वार्षिक वर्ल्ड हेल्थ असेंबली के दौरान दुनिया की पहली वैश्विक महामारी संधि (Global Pandemic Treaty) को अपनाया। इस संधि के पक्ष में 124 देशों ने वोट दिया, 11 देशों ने मतदान से परहेज किया, और किसी ने भी विरोध नहीं कियाइसका उद्देश्य भविष्य में महामारी की स्थिति में समानता आधारित और समन्वित वैश्विक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को सुनिश्चित करना है। हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका, जो 2025 की शुरुआत में WHO से बाहर हो चुका है, की अनुपस्थिति से क्रियान्वयन और वित्तीय सहायता को लेकर चिंताएँ बनी हुई हैं।

समाचार में क्यों?

  • 20 मई 2025 को WHO सदस्य देशों ने पहली वैश्विक महामारी संधि को मंजूरी दी।

  • COVID-19 महामारी की भयावहता के बाद यह प्रस्ताव 3 वर्षों से विचाराधीन था।

  • यह संधि वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासन में एक बड़ा बदलाव है।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • सभी देशों को जांच, टीके और उपचार तक समान पहुंच सुनिश्चित करना

  • अंतरराष्ट्रीय समन्वय और स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करना

  • वन हेल्थ दृष्टिकोण को बढ़ावा देना — मानव, पशु और पौधों के स्वास्थ्य को एकसाथ देखना

  • रोगजनकों की जानकारी और लाभ साझेदारी प्रणाली बनाना

  • स्थानीय अनुसंधान, विकास और विनिर्माण को प्रोत्साहित करना

  • प्रौद्योगिकी और ज्ञान हस्तांतरण को बढ़ावा देना

मुख्य विशेषताएँ

  • मतदान परिणाम: 124 समर्थन, 11 ने भाग नहीं लिया, कोई विरोध नहीं

  • राष्ट्रीय संप्रभुता बनी रहेगी: WHO किसी देश पर लॉकडाउन या टीकाकरण के नियम नहीं थोप सकता

  • नया वित्तीय तंत्र: वैश्विक महामारी तैयारी को समर्थन देने के लिए नया कोष स्थापित होगा

  • समानता पर जोर: COVID काल की असमानताओं से सबक लेकर यह संधि संसाधनों की समान उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास है

विवादास्पद मुद्दों का समाधान

  • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)

  • रोगजनक जानकारी की साझेदारी

  • संप्रभुता बनाम वैश्विक समन्वय

पृष्ठभूमि

  • विचार की शुरुआत दिसंबर 2021 की WHO की विशेष सभा में हुई थी (COVID-19 की दूसरी लहर के बाद)

  • INB (Intergovernmental Negotiation Body) ने 13 दौर की वार्ताओं के बाद मसौदा तैयार किया

  • अंतिम मसौदा अप्रैल 2025 में तैयार हुआ

महत्त्व

  • भविष्य में महामारी से निपटने के लिए दुनिया को बेहतर तरीके से तैयार करता है

  • बहुपक्षीय सहयोग की शक्ति को दर्शाता है

  • प्रतिक्रियात्मक नीति से सक्रिय नीति की ओर वैश्विक स्वास्थ्य दृष्टिकोण में परिवर्तन

  • यह संधि सार्वजनिक स्वास्थ्य की जीत है जो वैश्विक असमानता को दूर करने की दिशा में एक मजबूत कदम है

सारांश / स्थिर तथ्य विवरण
समाचार में क्यों? WHO ने पहली बार वैश्विक महामारी संधि को अपनाया
किसके द्वारा अपनाई गई? WHO द्वारा, वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में (20 मई 2025)
मतदान परिणाम 124 पक्ष में, 0 विरोध में, 11 ने मतदान से परहेज किया
मुख्य उद्देश्य समान पहुंच, बेहतर समन्वय, अनुसंधान विविधता, संप्रभुता का सम्मान
प्रमुख विशेषता WHO को घरेलू नीतियाँ लागू करने का अधिकार नहीं होगा
अमेरिका की स्थिति संधि में शामिल नहीं; जनवरी 2025 में WHO से बाहर हुआ
किसके द्वारा तैयार की गई? अंतर-सरकारी वार्ता निकाय (INB) द्वारा, दिसंबर 2021 से

गीता सामोता: माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली CISF की पहली महिला अधिकारी

CISF की सब-इंस्पेक्टर गीता सामोता ने इतिहास रच दिया जब उन्होंने 19 मई 2025 को माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) की चढ़ाई पूरी कर CISF की पहली अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त किया। यह उपलब्धि केवल उनके संघर्ष और दृढ़ निश्चय की मिसाल है, बल्कि यह भारतीय महिलाओं की साहसिक खेलों और अर्धसैनिक बलों में बढ़ती भागीदारी को भी उजागर करती है।

समाचार में क्यों?

  • गीता सामोता ने 19 मई 2025 को माउंट एवरेस्ट फतह कर समाचारों में जगह बनाई।

  • वह CISF की पहली अधिकारी हैं जिन्होंने विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराया।

  • यह CAPF (Central Armed Police Forces) के इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

प्रमुख पृष्ठभूमि और यात्रा

  • जन्मस्थान: चक गांव, सीकर जिला, राजस्थान

  • शुरुआत: कॉलेज में कुशल हॉकी खिलाड़ी रहीं, लेकिन एक चोट के कारण खेल करियर रुक गया

  • CISF में चयन: वर्ष 2011 में शामिल हुईं

  • माउंटेनियरिंग की शुरुआत: सेवा के दौरान पर्वतारोहण में रुचि विकसित हुई

पर्वतारोहण की उपलब्धियाँ

  • बेसिक कोर्स (2015): ITBP औली संस्थान से किया – अपनी बैच की एकमात्र महिला

  • एडवांस कोर्स (2017): CISF की पहली अधिकारी बनीं जिन्होंने यह पूरा किया

  • CAPF की पहली महिला, जिन्होंने सफलतापूर्वक चढ़ाई की:

    • माउंट सातोपंथ (7,075 मीटर)2019

    • माउंट लोबुचे (6,119 मीटर)नेपाल

सेवन समिट मिशन (2021–2022)

  • केवल 6 महीने 27 दिन में चार महाद्वीपीय चोटियों पर चढ़ाई कर,
    सबसे तेज भारतीय महिला बनीं:

    • माउंट कोसियस्को (ऑस्ट्रेलिया)

    • माउंट एल्ब्रस (रूस)

    • माउंट किलिमंजारो (तंज़ानिया)

    • माउंट अकोंकागुआ (अर्जेंटीना)

अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ

  • लद्दाख के रुपशु क्षेत्र में 3 दिन में 5 चोटियों पर चढ़ाई

  • इनमें से 3 चोटियाँ 6,000 मीटर से ऊँची थीं

पुरस्कार और सम्मान

  • अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पुरस्कार 2023दिल्ली महिला आयोग

  • गिविंग विंग्स टू ड्रीम्स अवॉर्ड 2023नागर विमानन मंत्रालय

CISF का समर्थन

  • ABVIMAS मनाली और ITBP औली में विशेष प्रशिक्षण

  • एवरेस्ट अभियान के लिए CISF द्वारा प्रायोजित

  • 2026 में CISF की पूर्ण पर्वतारोहण टीम भेजने की योजना

महत्त्व

  • महिलाओं और युवाओं को प्रेरित करती हैं

  • CAPF की बहुआयामी क्षमताओं को उजागर करती हैं

  • भारत में एडवेंचर स्पोर्ट्स और पर्वतारोहण को बढ़ावा देती हैं

गूगल बनाम बायडू: पश्चिम और पूर्व के बीच एआई वर्चस्व की लड़ाई

जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तेज़ी से उद्योगों, अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक शक्ति संतुलनों को पुनर्परिभाषित कर रहा है, वैसे-वैसे Google और Baidu के बीच प्रतिस्पर्धा अमेरिका और चीन के बीच एक बड़े तकनीकी दौड़ का प्रतीक बन गई है। ये दोनों टेक दिग्गज केवल अपने-अपने क्षेत्रों में सर्च इंजन के नेता हैं, बल्कि AI क्रांति में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, जहाँ वे अत्याधुनिक AI तकनीकों के अनुसंधान, विकास और कार्यान्वयन में भारी निवेश कर रहे हैं।

यह लेख Google और Baidu की AI रणनीतियों, अनुसंधान क्षमताओं, मुख्य तकनीकों और वैश्विक प्रभाव का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करता है—AI की श्रेष्ठता की होड़ में उनकी स्थिति को उजागर करते हुए।

1. AI शक्तियों के रूप में उत्पत्ति और विकास

Google: सर्च से लेकर AI-प्रथम कंपनी तक
1998 में स्थापित Google एक सर्च इंजन से विकसित होकर एक बहु-आयामी तकनीकी समूह बन गया, जो अब Alphabet Inc. की मातहत कंपनी है। 2016 में CEO सुंदर पिचाई ने घोषणा की कि Google एक “AI-First” कंपनी में परिवर्तित होगा। इस दिशा में Google AI और उसकी यूके-आधारित सहायक कंपनी DeepMind का उदय हुआ, जो डीप लर्निंग और रिइन्फोर्समेंट लर्निंग में क्रांतिकारी शोध के लिए जानी जाती है।

आज Google भाषाई मॉडल, क्लाउड-आधारित AI उपकरण, स्वास्थ्य सेवाओं में AI और AI नैतिकता में अग्रणी है। Gemini (पूर्व में Bard) जैसे उत्पाद और TensorFlow जैसे डेवलपर टूल्स इसकी AI प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

Baidu: चीन का AI पथप्रदर्शक
2000 में स्थापित Baidu चीन का प्रमुख सर्च इंजन बनकर उभरा और 2010 के दशक के मध्य से ही इसने AI को अपनी मुख्य रणनीति बना लिया। चीन की “नेक्स्ट जेनरेशन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डेवलपमेंट प्लान” के तहत सरकारी सहयोग के साथ, Baidu चीनी AI नवाचार का नेतृत्व कर रहा है।

Baidu का ध्यान बड़े भाषाई मॉडल, स्वायत्त वाहनों, भाषण पहचान और AI चिप्स पर केंद्रित है। ERNIE Bot का लॉन्च, जो ChatGPT की चीनी टक्कर है, इस बात का संकेत है कि Baidu पश्चिमी AI तकनीकों से सीधी प्रतिस्पर्धा में है।

2. मुख्य AI तकनीकें और अनुसंधान

Google: फाउंडेशनल मॉडल और DeepMind के साथ नेतृत्व में
Google AI अनुसंधान में अग्रणी रहा है, और इसके कुछ प्रमुख योगदान हैं:

  • Transformer आर्किटेक्चर, जिसे 2017 के पेपर Attention Is All You Need” में प्रस्तुत किया गया था, आज अधिकांश बड़े भाषा मॉडल्स (LLMs) की नींव है।

  • AlphaGo, DeepMind का AI, जिसने गो जैसे जटिल खेल में मानव चैंपियनों को हराया—रिइन्फोर्समेंट लर्निंग की शक्ति को सिद्ध किया।

  • Gemini, Google का नवीनतम मल्टीमॉडल LLM, जो OpenAI के GPT सीरीज़ को टक्कर देता है।

Google के TensorFlow और JAX जैसे ओपन-सोर्स टूल्स डेवलपर्स को सक्षम बनाते हैं, जबकि TPUs (Tensor Processing Units) मशीन लर्निंग कार्यों के लिए हार्डवेयर एक्सेलेरेशन प्रदान करते हैं।

Baidu: चीन के AI क्षेत्र का विस्तार
Baidu ने AI के विकास में बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है:

  • ERNIE (Enhanced Representation through Knowledge Integration) Baidu का प्रमुख LLM है, जो पारंपरिक डेटा पैटर्न के साथ-साथ नॉलेज ग्राफ़्स का भी उपयोग करता है, जिससे गहरी समझ विकसित होती है।

  • Apollo, Baidu का ऑटोनॉमस ड्राइविंग प्लेटफॉर्म, दुनिया के सबसे उन्नत प्लेटफॉर्म्स में से एक है और इसे कई चीनी शहरों में ट्रायल किया गया है।

  • Kunlun AI चिप्स, Baidu द्वारा विकसित इन-हाउस चिप्स, अमेरिकी चिप प्रतिबंधों के बीच इसे तकनीकी आत्मनिर्भरता प्रदान करते हैं।

Baidu नियमित रूप से AI शोध प्रकाशित करता है और इसके पास “Baidu Brain” प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से विभिन्न AI-as-a-service टूल्स भी उपलब्ध हैं।

3. अनुप्रयोग और उत्पाद पारिस्थितिकी तंत्र 

Google: पूरे इकोसिस्टम में AI का समावेश
Google का AI इसकी लगभग हर सेवा में गहराई से जुड़ा हुआ है:

  • सर्च: Google के सर्च एल्गोरिद्म AI द्वारा संचालित होते हैं, जो यूज़र के इरादे और संदर्भ के अनुसार परिणाम प्रदान करते हैं।

  • Gmail और Docs: Smart Compose और ऑटो-जनरेटेड सारांश भाषा मॉडल्स पर आधारित हैं।

  • Google Cloud AI: इसमें Vertex AI, AutoML और Vision AI जैसे स्केलेबल टूल्स शामिल हैं, जो एंटरप्राइजेज को AI सेवाएं प्रदान करते हैं।

  • हेल्थकेयर: DeepMind का AI नेत्र रोगों की पहचान, रोगी की बिगड़ती स्थिति की भविष्यवाणी और प्रोटीन फोल्डिंग (AlphaFold) जैसे क्षेत्रों में प्रयोग हो रहा है।

  • अन्य प्लेटफ़ॉर्म्स: Android, YouTube और Google Maps के ज़रिए Google यह सुनिश्चित करता है कि अरबों लोग प्रतिदिन उसके AI से जुड़ें।

Baidu: चीन-केंद्रित AI इकोसिस्टम
Baidu ने चीन के डेटा-समृद्ध, सरकार-नियंत्रित और मोबाइल-केंद्रित डिजिटल वातावरण के अनुरूप AI इकोसिस्टम विकसित किया है:

  • ERNIE Bot को Baidu की ऐप्स, सर्च और वॉयस असिस्टेंट्स में जोड़ा गया है।

  • Baidu Maps और DuerOS (वॉयस AI) प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) और कंप्यूटर विज़न के व्यावहारिक उपयोग को दर्शाते हैं।

  • Baidu Cloud AI घरेलू व्यवसायों (जैसे विनिर्माण, वित्त, शिक्षा) के लिए विशेष रूप से अनुकूलित सेवाएं प्रदान करता है।

  • स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में Baidu का AI ट्रैफिक प्रबंधन, चेहरे की पहचान और सार्वजनिक सुरक्षा में सहायता करता है।

4. रणनीतिक दृष्टिकोण और सरकारी समन्वय 

Google: नैतिक AI और ओपन रिसर्च
पश्चिमी नियामकीय वातावरण में काम करते हुए, Google AI नैतिकता, पारदर्शिता और खुले शोध पर ज़ोर देता है। कंपनी ने उत्तरदायी AI विकास के लिए सिद्धांत बनाए हैं और AI की सुरक्षा, पक्षपात और दुरुपयोग पर अध्ययन के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से साझेदारी की है।

हालांकि, Google को डेटा प्रथाओं, श्रम नीतियों और AI मॉडल की जवाबदेही को लेकर सार्वजनिक और नियामकीय आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ता है।

Baidu: चीन की राष्ट्रीय रणनीति के अनुरूप
Baidu को बीजिंग की रणनीतिक प्राथमिकताओं के साथ गहरे समन्वय का लाभ मिलता है, विशेष रूप से “AI 2030” दृष्टि के तहत, जिसका उद्देश्य चीन को वैश्विक AI नेतृत्व दिलाना है:

  • इसे राज्य से वित्तीय सहायता, नीतिगत समर्थन और नियामकीय संरक्षण प्राप्त होता है।

  • Baidu AI-आधारित प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे निगरानी ढांचे और स्मार्ट सिटी समाधान।

हालांकि इस तेज़ विकास के साथ निजता, डेटा अधिकार और सेंसरशिप को लेकर अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में चिंताएं भी बढ़ी हैं।

5. वैश्विक पहुंच और बाज़ार चुनौतियां 

Google: वैश्विक AI शक्ति
Google के AI टूल्स उत्तर अमेरिका, यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। इसके डेवलपर टूल्स, क्लाउड सेवाएं और ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट्स इसे वैश्विक AI पारिस्थितिकी तंत्र में अपरिहार्य बनाते हैं।

Google की प्रमुख चुनौतियाँ:

  • बढ़ते नियामकीय प्रतिबंध (जैसे यूरोपीय संघ का AI अधिनियम)

  • OpenAI, Microsoft और Meta से प्रतिस्पर्धा

  • तकनीकी मानकों का भू-राजनीतिक विभाजन

Baidu: घरेलू मज़बूती, वैश्विक सीमा
Baidu भले ही चीन में AI क्षेत्र में अग्रणी हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी उपस्थिति सीमित है, जिसके पीछे कारण हैं:

  • भाषा और सांस्कृतिक बाधाएं

  • डेटा सुरक्षा और निगरानी को लेकर वैश्विक चिंताएं

  • उच्चस्तरीय AI चिप्स पर अमेरिकी प्रतिबंध

हालांकि, Baidu सतर्कता से दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और मध्य एशिया में कदम बढ़ा रहा है, खासकर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के भागीदारों के साथ मिलकर।

लाल सागर में व्यापार बढ़ाने का प्रयास तेज, स्वेज नहर ने कार्गो जहाजों को दी 15% छूट

लाल सागर सुरक्षा संकट के चलते समुद्री यातायात और राजस्व पर पड़े भारी प्रभाव को देखते हुए, स्वेज नहर प्राधिकरण (Suez Canal Authority – SCA) ने बड़े मालवाहक जहाजों के लिए ट्रांजिट शुल्क में 15% की छूट देने की घोषणा की है। यह कदम अमेरिका और ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के बीच हुए संघर्षविराम समझौते के तुरंत बाद उठाया गया है। हूती विद्रोही 2023 के अंत से लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बना रहे थे। यह छूट 15 मई 2025 से लागू होगी और इसका उद्देश्य वैश्विक शिपिंग कंपनियों—विशेष रूप से कंटेनर जहाजों—को स्वेज नहर मार्ग पर लौटने के लिए प्रोत्साहित करना है। स्वेज नहर, जो विश्व व्यापार की एक महत्वपूर्ण धुरी है, हाल के महीनों में इसके उपयोग और आय में भारी गिरावट देखी गई है।

समाचार में क्यों?

स्वेज नहर प्राधिकरण (Suez Canal Authority – SCA) ने 15 मई 2025 से बड़े मालवाहक जहाजों के लिए पारगमन शुल्क (ट्रांजिट फीस) पर 15% की छूट की घोषणा की है। यह कदम रेड सी (लाल सागर) में अमेरिका और ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के बीच संघर्षविराम के बाद उठाया गया है, जिनके हमलों के कारण जहाजरानी मार्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इस योजना का उद्देश्य प्रमुख वैश्विक शिपिंग कंपनियों—विशेषकर कंटेनर शिप्स—को स्वेज नहर की ओर लौटने के लिए प्रोत्साहित करना है, जो वैश्विक व्यापार का एक अहम मार्ग है और जिसकी आमदनी और ट्रैफिक हाल के महीनों में बहुत घट गई थी।

पृष्ठभूमि और संकट की समयरेखा:

  • नवंबर 2023 से हूती विद्रोहियों ने इस्राइल और उसके सहयोगियों से जुड़े वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया।

  • प्रमुख शिपिंग कंपनियों ने जहाजों को स्वेज नहर की बजाय केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope) के रास्ते मोड़ना शुरू कर दिया।

  • स्वेज नहर की वार्षिक आय 2023 में $10.3 अरब से गिरकर 2024 में मात्र $4 अरब रह गई।

नई छूट योजना के बारे में:

  • प्रभावी तिथि: 15 मई 2025

  • लाभार्थी: 130,000 मीट्रिक टन या अधिक की नेट टन भार वाले मालवाहक जहाज

  • छूट: ट्रांजिट शुल्क में 15% की कटौती (90 दिनों के लिए लागू)

  • घोषणा: स्वेज नहर प्राधिकरण के अध्यक्ष एडमिरल ओस्सामा रबी ने की, इटली के राजदूत से बैठक के बाद।

वैश्विक व्यापार और शिपिंग पर प्रभाव:

  • स्वेज नहर से गुजरता है:

    • ~12-15% वैश्विक व्यापार

    • ~30% वैश्विक कंटेनर यातायात

    • ~8-9% वैश्विक ऊर्जा प्रवाह

  • भारत अपनी 80% यूरोपीय निर्यात इस मार्ग से करता है।

  • मार्ग बदलने के बाद:

    • शिपिंग लागत में 180% की वृद्धि

    • भाड़ा दरें बढ़ीं

    • यात्रा की अवधि 10–14 दिन तक लंबी हुई

ट्रैफिक वॉल्यूम और राजस्व पर असर:

  • स्वेज नहर का कुल टन भार (TTV):

    • 11 मई 2025 को घटकर 4.84 लाख मीट्रिक टन रह गया (2024 में 1.35 मिलियन मीट्रिक टन था)।

  • केप ऑफ गुड होप का TTV:

    • 43.8 लाख मीट्रिक टन, जो इस मार्ग की बढ़ती प्रधानता दर्शाता है।

चुनौतियाँ और उद्योग की प्रतिक्रिया:

  • संघर्षविराम के बावजूद हूती विद्रोही अब भी इस्राइली जहाजों को खतरा मानते हैं।

  • Maersk जैसी शिपिंग कंपनियाँ अब भी केप ऑफ गुड होप को प्राथमिकता देती हैं—युद्ध जोखिम प्रीमियम और क्रू की सुरक्षा को देखते हुए।

  • शिपिंग कंपनियों ने लंबे मार्ग की लागत ग्राहकों पर डाल दी है और कुछ हद तक उससे मुनाफा भी कमा रही हैं।

केंद्र ने साइबर अपराध के मामलों को तेजी से निपटाने के लिए ई-जीरो एफआईआर शुरू की

साइबर अपराधों से मुकाबले की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, गृह मंत्रालय (MHA) ने e-Zero FIR नामक नई पहल की शुरुआत की है। यह पहल भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के तहत चलाई जा रही है। 20 मई 2025 को गृह मंत्री अमित शाह ने इस योजना की घोषणा की, जिसका उद्देश्य है उच्च-मूल्य वाले साइबर वित्तीय धोखाधड़ी मामलों में FIR दर्ज करने की प्रक्रिया को तेज़ बनाना।

समाचार में क्यों?

e-Zero FIR पहल हाल ही में गृह मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है ताकि साइबर वित्तीय अपराधों की जांच तेज़ी से हो सके।
यह पायलट प्रोजेक्ट फिलहाल दिल्ली में लागू किया गया है, और जल्द ही इसे देशभर में विस्तारित किए जाने की संभावना है।

उद्देश्य और लक्ष्य

  • लक्ष्य: साइबर वित्तीय अपराधों की तेज़ जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करना।

  • उद्देश्य:10 लाख से अधिक की साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों को सीधे Zero FIR में बदलकर अपराधियों को शीघ्र पकड़ना।

पृष्ठभूमि

  • ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी में तेज़ वृद्धि के चलते सरकार ने FIR दर्ज करने की प्रक्रिया को तेज़ करने की ज़रूरत महसूस की।

  • पहले, NCRP या हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों को FIR में बदलने में कई चरणों की पुष्टि के कारण समय लगता था।

मुख्य विशेषताएं

  • 10 लाख से अधिक के साइबर वित्तीय अपराध मामलों में Zero FIR स्वतः दर्ज होगी।

  • शिकायतें दर्ज की जा सकेंगी:

    • राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: www.cybercrime.gov.in

    • हेल्पलाइन नंबर: 1930

  • दर्ज Zero FIR संबंधित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को भेजी जाएगी।

  • शिकायतकर्ता को 3 दिनों के भीतर साइबर थाना जाकर इसे नियमित FIR में बदलना होगा।

स्थैतिक तथ्य

  • Zero FIR: ऐसा FIR जो किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया जा सकता है, भले ही अपराध उस क्षेत्राधिकार में हुआ हो।

  • I4C (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र): 2020 में शुरू हुआ, यह गृह मंत्रालय के अधीन साइबर अपराध से समन्वित रूप से निपटने के लिए स्थापित केंद्र है।

  • 1930: भारत में वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर।

समग्र महत्व

  • साइबर अपराधों के निपटान में पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार।

  • तेज़ प्रतिक्रिया और एजेंसियों के बीच रियल-टाइम समन्वय सुनिश्चित करता है।

  • जनता का विश्वास साइबर सुरक्षा तंत्र में बढ़ाता है।

  • साइबर सुरक्षित भारत” की दिशा में एक बड़ा कदम, जैसा कि अमित शाह ने ज़ोर देकर कहा।

सारांश / स्थैतिक विवरण विवरण
समाचार में क्यों? केंद्र सरकार ने साइबर अपराध मामलों में तेजी लाने के लिए e-Zero FIR शुरू की
पहल का नाम e-Zero FIR
किसके द्वारा शुरू की गई गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs – MHA)
क्रियान्वयन एजेंसी भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre – I4C)
घोषणा किसने की गृह मंत्री अमित शाह
शुरुआत की तिथि 20 मई 2025
वर्तमान कार्यान्वयन दिल्ली (पायलट प्रोजेक्ट)
भविष्य की योजना पूरे भारत में विस्तार
FIR की पात्रता सीमा ₹10 लाख से अधिक की साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायतें
शिकायत कैसे दर्ज करें NCRP पोर्टल या हेल्पलाइन नंबर 1930 के माध्यम से
लाभ साइबर वित्तीय धोखाधड़ी मामलों की तेज़ रजिस्ट्रेशन और जांच

एफ-16 बनाम मिग-29: क्लासिक चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की तुलना

अमेरिकी F-16 फाइटिंग फाल्कन और सोवियत MiG-29 फुलक्रम 4वीं पीढ़ी के प्रतिष्ठित लड़ाकू विमानों में से हैं। शीत युद्ध के दौरान विकसित इन दोनों विमानों को अलग-अलग सामरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। दशकों से ये विमान विभिन्न युद्धों और सैन्य अभ्यासों में आमने-सामने आते रहे हैं, और आज भी ये अपनी फुर्ती, बहुउद्देशीय क्षमता और युद्ध प्रभावशीलता के लिए जाने जाते हैं।

यह लेख F-16 बनाम MiG-29 की तुलना करता है — डिज़ाइन दर्शन, एरोडायनामिक्स, एवियोनिक्स, प्रदर्शन, हथियार क्षमता और अपग्रेड विकल्पों के आधार पर।

1. उद्भव और विकास की पृष्ठभूमि

F-16 फाइटिंग फाल्कनएक हल्का, बहुउद्देशीय वर्कहॉर्स

  • 1970 के दशक में अमेरिका के लाइटवेट फाइटर प्रोग्राम के तहत जनरल डायनेमिक्स (अब लॉकहीड मार्टिन) द्वारा विकसित।

  • मुख्यतः F-15 जैसे भारी विमानों के पूरक के रूप में डिज़ाइन किया गया था।

  • पहले वायु श्रेष्ठता, बाद में बहुउद्देशीय भूमिका में बदला।

  • पहली उड़ान: 1974

  • सेवा में प्रवेश: 1978

  • प्रचालन: 25+ देश

MiG-29 फुलक्रमसोवियत संघ का वायु श्रेष्ठता जवाब

  • नाटो की वायु शक्ति, विशेषकर F-15 और F-16 के जवाब में Mikoyan Design Bureau द्वारा डिज़ाइन किया गया।

  • मुख्यतः कम से मध्यम दूरी की डॉगफाइटिंग के लिए बनाया गया।

  • पहली उड़ान: 1977

  • सेवा में प्रवेश: 1983

  • प्रचालन: 30+ देश, मुख्यतः रूस, CIS और विकासशील राष्ट्र

2. डिज़ाइन और एयरोडायनामिक्स

F-16

  • सिंगल इंजन, ब्लेंडेड विंग-बॉडी डिज़ाइन, बबल कैनोपी, साइड-स्टिक कंट्रोल्स।

  • फलाई-बाय-वायर सिस्टम: उच्च गतिशीलता के लिए स्थैतिक अस्थिरता।

  • विंगस्पैन: 9.96 मीटर

  • लंबाई: 15.06 मीटर

  • थ्रस्ट-टू-वेट अनुपात: ~1.1

MiG-29

  • ट्विन इंजन, ऊँचे पंख, LERX डिज़ाइन जो उच्च AOA पर अतिरिक्त लिफ्ट देता है।

  • रग्ड लैंडिंग गियर और छोटे रनवे पर उड़ान की क्षमता।

  • विंगस्पैन: 11.36 मीटर

  • लंबाई: 17.32 मीटर

  • थ्रस्ट-टू-वेट अनुपात: ~1.09

3. एवियोनिक्स और कॉकपिट सिस्टम

F-16

  • नए संस्करणों जैसे F-16V (Viper) में अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स:

    • APG-83 AESA रडार

    • हेलमेट माउंटेड क्यूइंग सिस्टम

    • डिजिटल ग्लास कॉकपिट

    • नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर क्षमताएं

MiG-29

  • शुरुआती संस्करणों में एनालॉग सिस्टम, लेकिन अपग्रेडेड मॉडल (MiG-29M/M2, MiG-35) में:

    • Zhuk-ME या AESA रडार

    • IRST सिस्टम

    • हेलमेट-माउंटेड साइट (1980 के दशक में भी उपलब्ध)

    • आधुनिक ग्लास कॉकपिट

4. इंजन और प्रदर्शन

F-16

  • एक Pratt & Whitney या GE इंजन

  • विश्वसनीयता और कम रखरखाव लागत के लिए प्रसिद्ध

  • टॉप स्पीड: Mach 2.0

  • कॉम्बैट रेडियस: ~550 किमी

  • सर्विस सीलिंग: 50,000 फीट

MiG-29

  • दो Klimov RD-33 इंजन, उच्च थ्रस्ट लेकिन ज्यादा ईंधन खपत

  • कुछ वेरिएंट में थ्रस्ट वेक्टरिंग

  • टॉप स्पीड: Mach 2.25

  • कॉम्बैट रेडियस: ~700 किमी (इंटरसेप्टर भूमिका)

  • सर्विस सीलिंग: 59,000 फीट

5. हथियार और युद्धक क्षमताएं

F-16

  • NATO मानक हथियारों के साथ भारी लोडिंग क्षमता

    • AIM-9, AIM-120

    • JDAM, हार्पून, मेवरिक

    • M61 वल्कन गन

    • 9 हार्डप्वाइंट्स

MiG-29

  • R-73, R-77, R-27 मिसाइलें

  • 30mm GSh-30-1 तोप

  • शुरुआती संस्करणों में सीमित पीजीएम क्षमता

  • 6 हार्डप्वाइंट्स, नए वेरिएंट में अधिक

6. युद्ध इतिहास और प्रभावशीलता

F-16

  • बड़े पैमाने पर उपयोग:

    • खाड़ी युद्ध, कोसोवो, अफगानिस्तान, सीरिया, आदि

  • उत्कृष्ट एयर-टू-एयर किल रेश्यो

  • लगातार अपग्रेड

MiG-29

  • मिश्रित युद्ध रिकॉर्ड:

    • खाड़ी युद्ध, इरिट्रिया-इथियोपिया, सीरिया

  • शुरुआती संस्करणों की सीमाएं (पुराना रडार, मिसाइल)

  • SMT और MiG-35 जैसे अपग्रेडेड संस्करणों में सुधार

7. अपग्रेड पथ और भविष्य

F-16V और आगे

  • AESA रडार, आधुनिक EW, लंबी सेवा आयु

  • स्लोवाकिया, ताइवान, मोरक्को जैसे देश अभी भी खरीद रहे हैं

  • 2040 से आगे तक सेवा में रहने की संभावना

MiG-29 अपग्रेड्स

  • MiG-29M/M2, MiG-35 में आधुनिक एवियोनिक्स और नई रडार

  • लागत-संवेदनशील बाजारों के लिए उपयुक्त

  • रूस और भारत मुख्य उपयोगकर्ता

निष्कर्ष:
F-16 अपनी निरंतरता, मॉड्यूलर डिज़ाइन और अपग्रेड क्षमता के कारण एक बहुउद्देशीय प्लेटफ़ॉर्म बन गया है। वहीं, MiG-29 क्लोज-कॉम्बैट क्षमताओं और उच्च गतिशीलता के लिए जाना जाता है, खासकर नए संस्करणों में। दोनों विमान आज भी अपने-अपने क्षेत्रों में रणनीतिक महत्व रखते हैं।

सभी सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जजों को समान पेंशन मिलेगी: सुप्रीम कोर्ट

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 19 मई 2025 को एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों — स्थायी हों या अतिरिक्त — को पूर्ण पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त होंगे, चाहे उनकी नियुक्ति का समय या पदनाम कुछ भी रहा हो। यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) को सुदृढ़ करता है और न्यायपालिका में सेवानिवृत्ति लाभों से जुड़ी असमानताओं को समाप्त करता है।

क्यों है यह खबर में?

यह निर्णय राष्ट्रीय महत्व रखता है क्योंकि:

  • यह नियुक्ति की तारीख या स्थायी/अतिरिक्त न्यायाधीश की स्थिति के आधार पर पेंशन में हो रहे भेदभाव को समाप्त करता है।

  • बार (वकीलों) और ज़िला न्यायपालिका से आए न्यायाधीशों के सेवा और योगदान को समान रूप से मान्यता देता है।

  • संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत सभी के लिए समानता के अधिकार को सुदृढ़ करता है।

पृष्ठभूमि

  • उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति दो प्रकार से होती है: स्थायी और अतिरिक्त।

  • अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति अस्थायी कार्यभार की वृद्धि से निपटने के लिए की जाती है।

  • अब तक केवल स्थायी न्यायाधीशों को पूर्ण पेंशन का लाभ मिलता था।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य निर्णय

  • सभी उच्च न्यायालय न्यायाधीशों को, चाहे वे अतिरिक्त रहे हों या स्थायी, पूर्ण पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त होंगे।

  • कोई भेद नहीं किया जाएगा:

    • नियुक्ति की तिथि के आधार पर

    • पद की प्रकृति (स्थायी या अतिरिक्त) के आधार पर

    • न्यायपालिका में प्रवेश के मार्ग (बार से या ज़िला न्यायपालिका से) के आधार पर

  • मृतक अतिरिक्त न्यायाधीशों के परिवारों को भी पूर्ण लाभ मिलेगा।

  • नई पेंशन योजना (NPS) के तहत आने वाले न्यायाधीशों को भी पूर्ण पेंशन दी जाएगी।

संवैधानिक आधार

  • निर्णय अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) पर आधारित है।

  • अनुच्छेद 200 का भी उल्लेख किया गया, जो उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन से संबंधित है।

वित्तीय निर्णय

  • पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को ₹15 लाख वार्षिक पेंशन मिलेगी।

  • अन्य उच्च न्यायालय न्यायाधीशों को ₹13.5 लाख वार्षिक पेंशन मिलेगी।

मामले का विवरण

  • मामला: याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, जो जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए थे और एनपीएस के अंतर्गत आते थे उन्हें बार से सीधे पदोन्नत हुए न्यायाधीशों की तुलना में कम पेंशन मिल रही है।

  • निर्णय सुरक्षित किया गया: 28 जनवरी 2025

  • निर्णय सुनाया गया: 19 मई 2025

  • याचिकाकर्ताओं ने बार और ज़िला न्यायपालिका से आए न्यायाधीशों के बीच पेंशन में असमानता को चुनौती दी थी।

70 कंपनियों ने 23,000 करोड़ रुपये की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट विनिर्माण योजना के तहत आवेदन किया

भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्र सरकार को ₹23,000 करोड़ के इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) के तहत लॉन्च के मात्र 15 दिनों के भीतर 70 आवेदन प्राप्त हुए हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इनमें से अधिकांश आवेदक लघु और मध्यम उद्यम (SMEs) हैं, जो देश में इलेक्ट्रॉनिक आयात पर निर्भरता कम करने के लिए जमीनी स्तर की औद्योगिक रुचि को दर्शाता है।

क्यों है ख़बरों में?
ECMS, जिसे 1 मई 2025 को लॉन्च किया गया, का उद्देश्य भारत की इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स के आयात पर भारी निर्भरता को कम करना है और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है। योजना को तेज़ी से मिली प्रतिक्रिया (70 आवेदन) से इस क्षेत्र में SMEs (80%) की गहरी रुचि स्पष्ट होती है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, डिक्सन टेक्नोलॉजीज, और फॉक्सकॉन जैसे बड़े खिलाड़ी भी रुचि दिखा चुके हैं।

ECMS का उद्देश्य:

  • इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स क्षेत्र में बढ़ती मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करना।

  • आत्मनिर्भर भारत के तहत महत्वपूर्ण विनिर्माण क्षमताओं का विकास करना।

  • आयात पर निर्भरता घटाना और एक मजबूत घरेलू सप्लाई चेन बनाना।

योजना की मुख्य विशेषताएँ:

  • कुल प्रावधान: ₹22,805 करोड़

  • लॉन्च तिथि: 1 मई 2025

  • आवेदन की स्थिति: पहले 15 दिनों में 70 प्रस्ताव प्राप्त

  • SME भागीदारी: 80% आवेदन लघु एवं मध्यम उद्यमों द्वारा किए गए

पृष्ठभूमि:

  • भारत का इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन 2030 तक $500 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।

  • ELCINA के अनुसार, यदि कोई नीति हस्तक्षेप हुआ तो 2030 तक मांग-आपूर्ति का अंतर $248 बिलियन तक पहुंच सकता है।

  • यह योजना “मेक इन इंडिया” और “डिजिटल इंडिया” पहल के तहत भारत को एक मज़बूत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र बनाने का हिस्सा है।

उत्पादों का वर्गीकरण:

  • श्रेणी A: डिस्प्ले मॉड्यूल्स, कैमरा मॉड्यूल सब-असेंबलियां

  • श्रेणी B: नॉन-सर्फेस माउंट डिवाइसेज़, बेयर पीसीबी, लिथियम-आयन सेल्स, आईटी हार्डवेयर पार्ट्स

तमिलनाडु सरकार की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण योजना को नई गति मिली

वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, तमिलनाडु वन विभाग ने ₹50 करोड़ के “लुप्तप्राय प्रजाति संरक्षण कोष” का प्रबंधन वंडलूर स्थित एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन (AIWC) को सौंप दिया है। यह निर्णय पहले से नामित एजेंसी, स्टेट फॉरेस्ट डेवलपमेंट एजेंसी (SFDA) में प्रशासनिक देरी और निष्क्रियता के कारण लिया गया है। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा के लिए आवंटित कोष का प्रभावी और समयबद्ध उपयोग हो सके।

समाचार में क्यों?

तमिलनाडु सरकार की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण योजना को नई गति मिली है, जब राज्य वन विभाग ने ₹50 करोड़ के लुप्तप्राय प्रजाति संरक्षण कोष” की जिम्मेदारी वंडलूर स्थित एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन (AIWC) को सौंप दी है। पहले यह जिम्मेदारी स्टेट फॉरेस्ट डेवलपमेंट एजेंसी (SFDA) को दी गई थी, लेकिन उसकी निष्क्रियता के कारण यह निर्णय लिया गया।

पृष्ठभूमि और उद्देश्य

  • यह कोष वर्ष 2024 में घोषित किया गया था, जिसकी कुल राशि ₹50 करोड़ है।

  • प्रारंभिक प्रबंधन SFDA के जिम्मे था।

  • कोष को अस्थायी रूप से तमिलनाडु पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन या तमिलनाडु ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन में रखा जाना था।

  • उद्देश्य:

    • लुप्तप्राय प्रजातियों का सर्वेक्षण, मूल्यांकन और मैपिंग करना।

    • संरक्षण के लिए साझेदारी विकसित करना।

पहचानी गई समस्या

  • SFDA निष्क्रिय और कार्यक्षमता विहीन पाई गई, जिससे संरक्षण कार्य नहीं हो सके।

  • एक नया ट्रस्ट या सोसाइटी बनाने की योजना पर भी 6 महीने की देरी के कारण रोक लगाई गई।

संशोधित प्रबंधन व्यवस्था

  • अब यह कोष AIWC (एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन), वंडलूर को सौंपा गया है।

  • AIWC हाल ही में एक पंजीकृत सोसाइटी बना है और अनुसंधान संरक्षण कार्य के लिए प्रसिद्ध है।

प्रमुख संरक्षण लक्ष्य प्रजातियाँ

  • सलीम अली का फ्रूट बैट

  • मालाबार सिवेट

  • व्हाइट-रंप्ड वल्चर

  • नीलगिरी वॉर्ट फ्रॉग

  • व्हाइट-स्पॉटेड बुश फ्रॉग

  • अनामलाई फ्लाइंग फ्रॉग

महत्त्व

  • यह निर्णय प्रशासनिक विलंब के बिना संवेदनशील प्रजातियों की तत्काल आवश्यकता को पूरा करेगा।

  • तमिलनाडु के जैव विविधता संरक्षण रोडमैप को सशक्त बनाएगा, खासकर संरक्षित क्षेत्र के बाहर की प्रजातियों के लिए।

चीन के दुर्लभ मृदा निर्यात पर प्रतिबंध से भारत की इलेक्ट्रिक वाहन महत्वाकांक्षाओं को खतरा

भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी चुनौती सामने आई है, क्योंकि चीन ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REEs) पर निर्यात नियंत्रण और कड़ा कर दिया है। ये दुर्लभ तत्व EV मोटरों और अन्य हाई-टेक घटकों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। चीन पर निर्भरता के कारण भारत की आपूर्ति श्रृंखला में गंभीर असुरक्षा उत्पन्न हो गई है।

क्यों चर्चा में?

2025 की शुरुआत में चीन ने REEs पर नए निर्यात प्रतिबंध लगाए, जिनका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों में होता है। भारत का EV क्षेत्र, जो इन तत्वों के लिए चीन पर बहुत हद तक निर्भर है, अब आपूर्ति में बाधा, लागत वृद्धि और अनुसंधान में देरी जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। इससे आत्मनिर्भर भारत’ मिशन पर भी दबाव बढ़ा है।

पृष्ठभूमि 

  • रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REEs) में कुल 17 धातुएँ शामिल हैं, जैसे:

    • नियोडिमियम, डाइसप्रोसियम, समारियम, गैडोलिनियम

  • इनका उपयोग EV मोटर्स, विंड टरबाइनों, स्मार्टफोन्स, रक्षा उपकरणों आदि में होता है।

  • ये धातुएँ दुर्लभ नहीं हैं, लेकिन इनका आर्थिक रूप से किफायती शोधन सीमित है —

    • चीन वैश्विक आपूर्ति का लगभग 85–95% प्रोसेस करता है।

चीन का रेयर अर्थ पर एकाधिकार 

  • 1990 के दशक से चीन ने REEs को रणनीतिक खनिज घोषित कर रखा है।

  • खनन, शोधन और वैश्विक मूल्य निर्धारण पर नियंत्रण बनाए रखा है।

  • 2025 में लगाए गए नए प्रतिबंधों में टेर्बियम, ल्यूटेटियम, और स्कैंडियम जैसी 7 प्रमुख धातुएँ शामिल हैं।

भारत की स्थिति 

  • भारत के पास 6.9 मिलियन टन REEs का भंडार है,
    लेकिन बड़े स्तर पर शोधन करने की क्षमता नहीं है

  • 2024 में भारत ने $7 अरब से अधिक के REEs और EV बैटरियाँ चीन से आयात कीं।

  • इस कारण उत्पादन में देरी, लागत में वृद्धि, और EV उद्योग में अनुसंधान ठप होने की आशंका है।

उद्योग की प्रतिक्रिया 

  • उद्योग संघों ने भारी उद्योग मंत्रालय और विदेश मंत्रालय (MEA) से संपर्क किया है।

  • प्रस्तावित समाधान: हर निर्यातक-आयातक जोड़ी के लिए 6 महीने की समग्र स्वीकृति (ब्लैंकेट अप्रूवल), ताकि शिपमेंट में देरी हो।

वैश्विक संदर्भ 

  • अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU) और जापान भी ऐसी ही चीन पर निर्भरता का सामना कर चुके हैं।

  • जापान की रणनीति (2010 के बाद):

    • विविधीकरण (Diversification)

    • रीसाइकलिंग (Recycling)

    • भंडारण (Stockpiling)

  • जापान ने चीन पर निर्भरता को 2010 में 90% से घटाकर 2023 में 60% कर दिया।

भारत की नीति पहलें 

  • आर्थिक सर्वेक्षण 2024–25 ने REEs को एक गंभीर कमजोरी के रूप में चिह्नित किया।

  • सरकार ने एक क्रिटिकल मिनरल्स लिस्ट” जारी की, जिसमें लिथियम और रेयर अर्थ को प्राथमिकता दी गई।

  • KABIL (खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड) का गठन हुआ ताकि वैश्विक स्तर पर खनिज संसाधनों की सुरक्षा की जा सके।

घरेलू क्षमता और रीसाइकलिंग 

  • भारत की IREL ने 2023 में केवल 10,000 टन REEs का शोधन किया,
    जबकि चीन ने 2 लाख टन से अधिक

  • भारत को अर्बन माइनिंग और ई-वेस्ट रीसाइकलिंग पर जोर देने की सलाह दी गई है।

  • ई-वेस्ट क्षेत्र के औपचारिकीकरण से REEs की निकासी में मदद मिल सकती है और आयात पर निर्भरता घटेगी।

आगे की राह 

  • खनन, शोधन, और रीसाइकलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में तेजी से निवेश किया जाए।

  • PPP मॉडल (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) को बढ़ावा दिया जाए,
    और जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से तकनीकी साझेदारी की जाए।

  • एक रणनीतिक भंडार (Strategic Stockpile) बनाया जाए और लचीली आपूर्ति श्रृंखला विकसित की जाए।

Recent Posts

about | - Part 268_12.1