भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा विद्युत उत्पादक देश बनकर उभरा: IEA रिपोर्ट

भारत वैश्विक स्तर पर तीसरी सबसे तेज़ बिजली उत्पादन क्षमता वृद्धि वाला देश बना है — चीन और अमेरिका के बाद — यह जानकारी हाल ही में जारी अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट में सामने आई है। इस तेज़ वृद्धि का कारण है विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती ऊर्जा मांग, नवीकरणीय ऊर्जा (विशेष रूप से सौर ऊर्जा) को लेकर सरकारी प्रोत्साहन, और घरेलू व विदेशी निवेश में आई मजबूती।

क्यों है यह खबर में?

IEA की नई ऊर्जा आउटलुक रिपोर्ट में भारत की बिजली क्षेत्र में उपलब्धियों को वैश्विक स्तर पर उजागर किया गया है। ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) और हरित ऊर्जा अर्थव्यवस्था (Green Energy Economy) में भारत की भूमिका तेजी से बढ़ रही है।

IEA रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • 2019–2024 की अवधि में बिजली उत्पादन में भारत तीसरे स्थान पर, केवल चीन और अमेरिका से पीछे।

  • भारत में बिजली की मांग में तेज़ वृद्धि के कारण:

    • वाणिज्यिक और आवासीय ढांचे का विस्तार

    • एसी और घरेलू उपकरणों का बढ़ता उपयोग

    • औद्योगिक विकास

बिजली उत्पादन में विस्तार

  • फॉसिल फ्यूल्स, जलविद्युत और नवीकरणीय स्रोतों — सभी क्षेत्रों में वृद्धि।

  • स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy), विशेषकर सौर पीवी (Solar PV), मुख्य प्रेरक शक्ति रही।

  • पिछले 5 वर्षों में भारत में गैर-फॉसिल ऊर्जा निवेश का 50% से अधिक हिस्सा सिर्फ सौर पीवी में गया।

निवेश और वित्त पोषण

  • 2024 में भारत के बिजली क्षेत्र में कुल निवेश का 83% स्वच्छ ऊर्जा में हुआ।

  • भारत 2024 में क्लीन एनर्जी में सबसे अधिक DFI (Development Finance Institution) प्राप्त करने वाला देश रहा — 2.4 अरब डॉलर

  • 2023 में बिजली क्षेत्र में FDI (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) बढ़कर 5 अरब डॉलर हुआ — महामारी पूर्व स्तर से लगभग दोगुना।

  • सरकार ने परमाणु ऊर्जा को छोड़कर बिजली क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में 100% FDI की अनुमति दी है।

चुनौतियाँ

  • पिछले दो वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में गिरावट दर्ज की गई।

  • इसका कारण वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और उद्योग-विशिष्ट चिंताएँ मानी गई हैं।

  • फिर भी, दीर्घकालिक निवेश दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है।

नीतिगत समर्थन और पृष्ठभूमि

भारत का ऊर्जा संक्रमण कई सरकारी योजनाओं से प्रेरित है:

  • राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission)

  • पीएलआई योजना (PLI Scheme) – नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण निर्माण के लिए

  • ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (Green Energy Corridors)

  • नेट ज़ीरो का लक्ष्य 2070 तक और

  • 2030 तक 500 GW गैर-फॉसिल ईंधन क्षमता प्राप्त करने की प्रतिबद्धता

निष्कर्ष:
भारत का ऊर्जा क्षेत्र एक हरित, आत्मनिर्भर और निवेशक-अनुकूल मॉडल की ओर बढ़ रहा है, जो न केवल घरेलू मांग पूरी करेगा, बल्कि वैश्विक ऊर्जा नेतृत्व में भी अहम भूमिका निभाएगा।

भारत 300 किलोमीटर रेंज वाली पिनाका मिसाइल प्रणाली को शामिल करेगा

भारत अब अपनी तोपखाना क्षमताओं को एक नए स्तर पर ले जाने की तैयारी में है, क्योंकि जल्द ही पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम के नए दीर्घ-मार्गी (लॉन्ग-रेंज) संस्करण शामिल किए जाएंगे, जो 300 किलोमीटर तक लक्ष्य भेदने में सक्षम होंगे। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित यह प्रणाली सटीक हमलों, तेज़ तैनाती और अधिक मारक क्षमता को समर्थन देगी — जो भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

क्यों है यह खबर में?

DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने हाल ही में घोषणा की कि पिनाका प्रणाली के 120 किमी और 300 किमी रेंज वाले अपग्रेडेड संस्करणों का उत्पादन जल्द शुरू होगा। गाइडेड पिनाका (Guided Pinaka) के सफल परीक्षणों के बाद यह निर्णय लिया गया है। अगले 3–5 वर्षों में यह सिस्टम भारतीय सेना में शामिल किए जाएंगे।

उद्देश्य

  • तोपखाना (आर्टिलरी) की रेंज, सटीकता और प्रतिक्रिया समय को बढ़ाना।

  • पूरी तरह स्वदेशी रॉकेट आर्टिलरी सिस्टम स्थापित करना।

  • विदेशी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता घटाकर आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना।

प्रमुख विकास

  • DRDO अब पिनाका-3 (120 किमी) और पिनाका-4 (300 किमी) संस्करणों का निर्माण करेगा।

  • गाइडेड पिनाका के परीक्षण पूरे हो चुके हैं; खरीद प्रक्रिया चालू है।

  • भारतीय सेना अगले 3–5 वर्षों में इन्हें शामिल करेगी।

  • 2030 तक 22 पिनाका रेजीमेंट तैनात करने की योजना है।

पिनाका की तकनीकी विशेषताएँ

  • DRDO, पुणे द्वारा विकसित मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) प्रणाली।

  • 12 रॉकेट मात्र 44 सेकंड में फायर करने की क्षमता।

  • शूट-एंड-स्कूट प्रणाली — फायरिंग के तुरंत बाद स्थान परिवर्तन करने की क्षमता।

  • स्वचालित लेवलिंग और स्थिरीकरण, और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम से सटीक लक्ष्य निर्धारण।

  • संचालन मोड:

    • फायर कंट्रोल कंप्यूटर

    • लॉन्चर कंप्यूटर

    • मैनुअल ऑपरेशन

  • AGAPS या डायल साइट से गन एलाइन्मेंट और लक्ष्य निर्धारण।

महत्व

  • भारत की निवारक शक्ति (deterrence capability) को मजबूती देता है।

  • सीमा तनाव के समय ऑपरेशनल तत्परता बढ़ाता है।

  • भारत को अगली पीढ़ी की सटीक आर्टिलरी तकनीक विकसित करने वाला देश बनाता है।

  • मेक इन इंडिया को बढ़ावा और रक्षा क्षेत्र में औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त करता है।

भविष्य की दिशा

  • लेयर आधारित वायु रक्षा प्रणाली (Layered Air Defence System) पर काम जारी है — जैसे इज़राइल की आयरन डोम

  • स्वदेशी रक्षा प्रणालियाँ जैसे:

    • आकाश मिसाइल

    • QRSAM (Quick Reaction Surface-to-Air Missile)

    • Kusha मिसाइल (आगामी प्रणाली) — यह सब पिनाका को सहयोग देंगी।

  • रूस से प्राप्त S-400 पहले से तैनात; भारत का S-500 जैसा स्वदेशी संस्करण भी विकासाधीन है।

प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक क्रोएशिया यात्रा: यूरोप के लिए भारत के प्रवेश द्वार को मजबूत करेगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 जून 2025 को क्रोएशिया की ऐतिहासिक यात्रा की, जिससे वह वहां जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए। यह यात्रा भारत की केंद्रीय और पूर्वी यूरोप (CEE) के प्रति रणनीतिक रुचि को दर्शाती है और भारत-क्रोएशिया संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ती है। यूरोप और भूमध्यसागर के संगम पर स्थित क्रोएशिया भारत के लिए आर्थिक, संपर्क और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, विशेष रूप से India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEC) परियोजना के संदर्भ में।

क्यों है यह खबर में?

  • यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली आधिकारिक यात्रा है।

  • यह यात्रा पश्चिमी यूरोप से आगे बढ़कर भारत की CEE क्षेत्र में रणनीतिक पहुँच को दर्शाती है।

  • IMEC जैसे वैश्विक व्यापारिक गलियारों में क्रोएशिया की भूमिका को देखते हुए, यह भारत के व्यापार और भू-राजनीतिक हितों के लिए अहम है।

भारत-क्रोएशिया राजनयिक इतिहास

  • भारत ने मई 1992 में क्रोएशिया की स्वतंत्रता को मान्यता दी — ऐसा करने वाला वह प्रथम गैर-यूरोपीय देशों में शामिल था।

  • जुलाई 1992 में औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए, और 1996 तक दोनों देशों में दूतावास खुल गए।

  • यूगोस्लाविया काल में, जोसीप ब्रोज़ टीटो (क्रोएशियाई-स्लोवेन मूल के नेता) और भारत के नेताओं के बीच गहरे संबंध थे।

क्रोएशिया का रणनीतिक महत्व

  • भौगोलिक स्थिति: एड्रियाटिक सागर पर स्थित, जो रिजेका, स्प्लिट और प्लोचे जैसे यूरोपीय बंदरगाहों से जोड़ता है।

  • Trans-European Transport Network (TEN-T) जैसे व्यापार गलियारों पर स्थित है।

  • भारत के लिए IMEC परियोजना में एक महत्वपूर्ण कड़ी बन सकता है — जो भारत को CEE और बाल्कन क्षेत्र से जोड़ेगा।

  • क्रोएशिया Three Seas Initiative (3SI) का हिस्सा है — जो 12 देशों का एक क्षेत्रीय मंच है, जो इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा और डिजिटल विकास पर केंद्रित है।

भारत-क्रोएशिया आर्थिक सहयोग

  • द्विपक्षीय व्यापार:

    • 2017 में $199.45 मिलियन से बढ़कर 2023 में $337.68 मिलियन तक पहुंचा।

  • भारत के प्रमुख निर्यात:

    • दवाएं, मशीनरी, वस्त्र, रसायन

  • क्रोएशिया के प्रमुख निर्यात:

    • सटीक उपकरण, रसायन, रबर, लकड़ी आधारित उत्पाद, तेल

सांस्कृतिक और सभ्यतागत जुड़ाव

  • क्रोएशियाई विद्वान फिलिप वेज़डिन (1748–1806) ने 1790 में लैटिन भाषा में पहला संस्कृत व्याकरण ग्रंथ प्रकाशित किया था।

  • क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज़ प्लेंकोविच ने इस ऐतिहासिक ग्रंथ की पुनर्मुद्रित प्रति पीएम मोदी को भेंट की।

  • गोवा की वास्तुकला में क्रोएशियाई मिशनरियों का योगदान रहा है (जैसे: चर्च ऑफ साओ ब्राज़)।

  • भारतीय संस्कृति और भाषा क्रोएशियाई विश्वविद्यालयों में लोकप्रिय अध्ययन विषय हैं।

भू-राजनीतिक प्रभाव

  • यह यात्रा क्षेत्र में चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करती है।

  • पश्चिमी यूरोपीय देशों से परे जाकर CEE देशों के साथ जुड़ाव से भारत की यूरोपीय रणनीति संतुलित होती है।

  • कई CEE देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन में हैं।

DU ने अनुसूचित जनजाति के छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए ‘जयहिंद’ योजना शुरू की

दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए JAIHIND योजना (Janajati Immersive Holistic Intervention for Novel Development) शुरू की है, जिसका उद्देश्य देशभर के अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों के छात्रों को मूल कंप्यूटर शिक्षा और उच्च शिक्षा की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करना है। विशेष रूप से यह योजना कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) की तैयारी पर केंद्रित है, जिससे कक्षा 9 से 12 तक के छात्र डिजिटल और शैक्षणिक बाधाओं को पार कर सकें।

क्यों है यह खबर में?

18 जून 2025 को JAIHIND योजना की औपचारिक शुरुआत हुई, जिसमें मणिपुर के उखरूल जिले से आए 25 ST छात्रों का पहला बैच प्रशिक्षण के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंचा। यह पहल CUET को 2022 से सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए अनिवार्य बनाए जाने के बाद उत्पन्न डिजिटल पहुंच की असमानता को दूर करने की दिशा में एक ठोस कदम है।

उद्देश्य

  • दूरदराज के ST छात्रों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ाना

  • CUET की तैयारी में सहायता प्रदान करना — जैसे ऑनलाइन फॉर्म भरना, लॉगिन प्रक्रिया, और प्रवेश से संबंधित संचार

  • डिजिटल डिवाइड को समाप्त कर उच्च शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करना

  • आदिवासी युवाओं को शिक्षावृत्ति और समावेशन की ओर अग्रसर करना

JAIHIND योजना की प्रमुख विशेषताएं

  • कक्षा 9 से 12 तक के अनुसूचित जनजाति के छात्रों पर केंद्रित

  • पहला बैच: मणिपुर के उखरूल जिले से 25 छात्र (12 लड़कियां, 13 लड़के) — शैक्षणिक योग्यता के आधार पर चयन

  • प्रशिक्षण अवधि: 18 जून से 29 जून 2025 (दो सप्ताह)

  • विषय: बेसिक कंप्यूटर स्किल्स, CUET अवेयरनेस, और उच्च शिक्षा की तैयारी

  • यात्रा व आवास का संपूर्ण खर्च दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा उठाया गया

  • भविष्य में योजना का विस्तार, DU के शिक्षक दूरस्थ जनजातीय क्षेत्रों में जाकर देंगे प्रशिक्षण

पृष्ठभूमि

  • 2022 से CUET सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए अनिवार्य है और यह कंप्यूटर आधारित परीक्षा है

  • 2023 में केवल 50.5% ST उम्मीदवार ही CUET में उपस्थित हो सके, जिससे डिजिटल पहुंच की समस्या उजागर हुई

  • अधिकांश ST छात्र निजी कंप्यूटर नहीं रखते और साइबर कैफे पर निर्भर रहते हैं, जिससे जरूरी जानकारी छूट जाती है

अधिकारियों के बयान

  • कुलपति योगेश सिंह ने कहा, “CUET की समझ छात्रों को उच्च शिक्षा की ओर ले जाने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।”

  • डीन प्रो. के. रत्नबली ने कहा, “यह योजना छात्रों को केवल कंप्यूटर में नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय प्रणाली, प्रवेश प्रक्रिया, और कॉलेज जीवन की अपेक्षाओं को समझने में भी मदद करेगी।”

भविष्य की योजनाएं

  • JAIHIND योजना को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में संस्थागत रूप देने की योजना

  • ST बहुल दूरदराज़ क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ाकर छात्रों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल करना

यह पहल न केवल डिजिटल खाई को पाटने की दिशा में एक प्रभावी कदम है, बल्कि यह देश के आदिवासी युवाओं को समावेशी शिक्षा और राष्ट्र निर्माण की मुख्यधारा में लाने का सार्थक प्रयास भी है।

SBI फाउंडेशन ने प्रयोग के विज्ञान शिक्षण मिशन का समर्थन किया

ग्रामीण कर्नाटक में विज्ञान शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव लाने के उद्देश्य से, प्रयोगा इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन रिसर्च ने एसबीआई फाउंडेशन और एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट प्रा. लि. के साथ साझेदारी की है, ताकि अपने अनुभवात्मक ‘क्रिया’ कार्यक्रम का विस्तार रायचूर ज़िले के 12 सरकारी स्कूलों तक किया जा सके। यह पहल एसबीआई फाउंडेशन के “इंटीग्रेटेड लर्निंग मिशन (ILM)” के तहत “रीइमेज़निंग साइंस एजुकेशन” शीर्षक से शुरू की गई है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप है और कक्षा 6 से 10 तक के छात्रों में जिज्ञासा, आलोचनात्मक सोच और वैज्ञानिक कौशल को विकसित करने का लक्ष्य रखती है।

क्यों है यह खबर में?

17 जून 2025 को रायचूर के गवर्नमेंट मॉडल प्राइमरी स्कूल, स्टेशन बाज़ार में क्रिया कार्यक्रम के शुभारंभ के साथ, कर्नाटक के एक पिछड़े ज़िले में हाथों से करके सीखने वाली विज्ञान शिक्षा के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया। देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की परोपकारी इकाई एसबीआई फाउंडेशन द्वारा समर्थित यह पहल ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच के STEM शिक्षा के अंतर को कम करने का प्रयास है।

पहल की प्रमुख बातें

  • कार्यक्रम का नाम: क्रिया – एक अनुभवात्मक विज्ञान शिक्षा कार्यक्रम

  • साझेदार संस्थाएं: प्रयोगा इंस्टिट्यूट, एसबीआई फाउंडेशन, एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट

  • स्थान: कर्नाटक के रायचूर ज़िले के 12 सरकारी स्कूल

  • प्रारंभ तिथि: 17 जून 2025

प्रमुख उद्देश्य

  • ग्रामीण छात्रों में अनुभवात्मक विज्ञान शिक्षा को प्रोत्साहित करना

  • बच्चों को समस्या-समाधान और आलोचनात्मक सोच से जोड़ना

  • शिक्षा को NEP 2020 के जिज्ञासा-आधारित सीखने के दृष्टिकोण से जोड़ना

  • ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण STEM अवसर प्रदान करना

क्रिया कार्यक्रम के बारे में

  • शुरू में यह कार्यक्रम कर्नाटक के 77 स्कूलों में लागू किया गया था

  • अब तक 11,000+ छात्रों को लाभ

  • कक्षा 6 से 10 के लिए डिजाइन किया गया पाठ्यक्रम

  • किताबों से परे जाकर छात्रों को प्रयोग और खोज पर आधारित शिक्षा देने पर ज़ोर

  • छात्र-नेतृत्व वाली खोज, जिससे सीखने में आत्मनिर्भरता आती है

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के साथ संरेखण

  • हाथों से सीखने, छात्रों की जिज्ञासा, और सीखने की स्वायत्तता को प्राथमिकता

  • क्रिया कार्यक्रम NEP 2020 की भावना और लक्ष्यों का वास्तविक रूप है, विशेषकर ग्रामीण स्कूलों में

Pakistan ने एक अरब डॉलर की पांच वर्षीय वित्तपोषण सुविधा पर किए हस्ताक्षर

पाकिस्तान ने अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और वैश्विक ऋणदाताओं का विश्वास फिर से प्राप्त करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा समर्थित 1 अरब अमेरिकी डॉलर की सिंडिकेटेड फाइनेंसिंग सुविधा पर हस्ताक्षर किए हैं। इस पांच वर्षीय सुविधा को इस्लामिक और पारंपरिक दोनों प्रारूपों में संरचित किया गया है और यह पाकिस्तान की वित्तीय सुधारों तथा मैक्रोइकोनॉमिक रिकवरी में फिर से जागृत विश्वास को दर्शाती है। यह सौदा पाकिस्तान की दो वर्षों के बाद मध्य-पूर्वी वित्तीय बाजार में वापसी को भी चिह्नित करता है।

क्यों है यह ख़बर में?

18 जून 2025 को यह डील ऐसे समय में साइन की गई है जब पाकिस्तान वर्षों की आर्थिक अस्थिरता के बाद राजकोषीय स्थिरता और विदेशी निवेश को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। ADB के ‘Improved Resource Mobilisation and Utilisation Reform Programme’ के तहत आंशिक गारंटी के साथ यह पहली नीति-आधारित सिंडिकेटेड फाइनेंस डील है, जिससे यह जाहिर होता है कि अंतरराष्ट्रीय ऋणदाता पाकिस्तान के दीर्घकालिक सुधारों में भरोसा जता रहे हैं।

सौदे की मुख्य जानकारी

  • कुल राशि: 1 अरब अमेरिकी डॉलर

  • अवधि: 5 वर्ष

  • संरचना: लगभग 89% इस्लामिक मानकों (AAOIFI) के अनुरूप, 11% पारंपरिक

समन्वयकर्ता और प्रमुख वित्तीय संस्थान

  • Dubai Islamic Bank – एकमात्र इस्लामिक ग्लोबल कोऑर्डिनेटर

  • Standard Chartered Bank – प्रमुख अरेंजर और बुक रनर

  • अन्य अरेंजर: अबू धाबी इस्लामिक बैंक, शारजाह इस्लामिक बैंक, अजमान बैंक, HBL

ADB का समर्थन

  • यह सुविधा ADB के पॉलिसी-बेस्ड सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत आंशिक रूप से गारंटीशुदा है

  • ADB द्वारा किसी सिंडिकेटेड फाइनेंस डील के लिए यह पहली गारंटी है, जिससे पाकिस्तान की राजकोषीय और शासन सुधार प्रतिबद्धता को वैश्विक मान्यता मिली है

इस डील का महत्व

  • मध्य-पूर्वी पूंजी बाजार में 2.5 वर्षों बाद पाकिस्तान की वापसी

  • पाकिस्तान के वित्तीय और शासन सुधारों में बाज़ार का फिर से विश्वास

  • क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए आकर्षण का संकेत

  • पाकिस्तान को बाह्य झटकों से उबरने और तरलता समर्थन को बढ़ाने में मदद

व्यापक आर्थिक परिप्रेक्ष्य

  • FY 2023–24 में IMF सहायता से पाकिस्तान डिफॉल्ट से बचा

  • चालू वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों में 1.8 अरब डॉलर का चालू खाता अधिशेष

  • ADB ने हाल ही में 800 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त कार्यक्रम भी स्वीकृत किया है ताकि राजकोषीय स्थिरता और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन को बल मिल सके

फ्रांस से समझौता: भारत में बनेगा फाल्कन 2000 जेट

भारत के विमानन निर्माण क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक प्रगति के तहत, रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड (RAL) — जो कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की एक अनुषंगी कंपनी है — और फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन ने एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। इस साझेदारी के तहत फाल्कन 2000 बिज़नेस जेट का निर्माण अब महाराष्ट्र के नागपुर में किया जाएगा। यह घोषणा 18 जून 2025 को पेरिस एयर शो में की गई और यह पहली बार है जब डसॉल्ट अपने किसी फाल्कन विमान का उत्पादन फ्रांस के बाहर कर रहा है। यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशनों के तहत भारत को उच्च गुणवत्ता वाले एयरोस्पेस विनिर्माण का नया केंद्र बनाएगी।

प्रमुख बिंदु:

  • साझेदारी में शामिल कंपनियाँ: डसॉल्ट एविएशन (फ्रांस) और रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड (भारत)
  • उत्पाद: फाल्कन 2000 बिज़नेस जेट
  • स्थान: नागपुर, महाराष्ट्र
  • पहली डिलीवरी की उम्मीद: वर्ष 2028 तक

उत्पादन का दायरा:

  • फाल्कन 2000 जेट का अंतिम असेंबली

  • फाल्कन 6X और 8X के लिए फ्रंट सेक्शन असेंबली

  • फाल्कन 2000 के लिए विंग्स और फ्यूज़लाज का निर्माण

DRAL की भूमिका:

  • डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) बनेगा डसॉल्ट का फ्रांस के बाहर पहला “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस”

  • DRAL ने 2019 से अब तक 100 से अधिक सब-असेंबली का निर्माण किया है

  • नागपुर संयंत्र में सुविधाओं का बड़े स्तर पर विस्तार होगा

रणनीतिक महत्व:

  • भारत बना विश्व का पांचवां देश, जो बिज़नेस जेट निर्माण में सक्षम

  • भारतीय एयरोस्पेस उद्योग को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने में सहायक

  • प्रधानमंत्री मोदी के वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के दृष्टिकोण को बल मिलेगा

  • भारत के कॉरपोरेट और चार्टर विमानन क्षेत्र की बढ़ती मांग को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

आर्थिक और रोजगार प्रभाव:

  • सैकड़ों इंजीनियरों और तकनीशियनों के लिए नई नौकरियाँ

  • सटीक विनिर्माण एवं कौशल विकास में वृद्धि

  • रक्षा और विमानन क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को मिलेगा नया प्रोत्साहन

विश्व किडनी कैंसर दिवस 2025: इतिहास, महत्व और थीम

हर वर्ष, विश्व किडनी कैंसर दिवस एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है, जिसका उद्देश्य किडनी कैंसर जैसे जानलेवा लेकिन अक्सर अनदेखे रोग पर ध्यान केंद्रित करना है। 2025 में यह दिवस 12 जून को मनाया गया, जिसका मुख्य विषय है — “किडनी स्वास्थ्य को समझना”। इस थीम के माध्यम से लोगों में किडनी के कार्यों, किडनी कैंसर के लक्षणों, समय पर जांच और रोकथाम के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर बल दिया गया। यह दिवस न केवल रोगियों और देखभालकर्ताओं को सशक्त बनाने की पहल है, बल्कि यह समूचे विश्व में सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदारी और शिक्षा का प्रतीक भी बन चुका है।

क्यों है यह खबर में?

हर साल जून के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी कैंसर दिवस मनाया जाता है। 2025 में यह दिवस 12 जून को मनाया गया।
इस वर्ष की थीम “किडनी स्वास्थ्य को समझना” (Understanding Kidney Health) है, जो किडनी के कार्य, कैंसर के लक्षणों और रोकथाम के उपायों को लेकर जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित है।
इस अभियान को International Kidney Cancer Coalition (IKCC) द्वारा 45 से अधिक देशों में समर्थन मिला है।

इतिहास और उद्देश्य

  • प्रारंभ: 2017

  • संस्थापक: International Kidney Cancer Coalition (IKCC)

  • उद्देश्य:

    • किडनी कैंसर के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाना

    • रोग की प्रारंभिक पहचान को प्रोत्साहित करना

    • रोगियों और देखभालकर्ताओं को सशक्त बनाना

    • समान स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता की वकालत करना

2025 की थीम: “किडनी स्वास्थ्य को समझना”

  • जनसाधारण को शिक्षित करना कि किडनियाँ शरीर में कैसे काम करती हैं

  • जीवनशैली में सुधार के ज़रिए किडनी को स्वस्थ रखना

  • किडनी कैंसर की प्रारंभिक जांच और पहचान को बढ़ावा देना

  • स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता को दूर करने के लिए कदम उठाना

किडनी कैंसर क्या है?

  • एक रोग जिसमें किडनी की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर बन जाता है

  • सबसे सामान्य प्रकार: Renal Cell Carcinoma (RCC)

  • प्रारंभिक लक्षण अक्सर नहीं होते, लेकिन इनमें शामिल हो सकते हैं:

    • पेशाब में खून

    • बिना कारण वजन घटना

    • लगातार पीठ दर्द

क्यों ज़रूरी है प्रारंभिक जांच?

  • किडनी कैंसर के शुरूआती चरण में कोई लक्षण नहीं होते

  • स्थानीयकृत कैंसर में 5-वर्षीय जीवित रहने की दर 90% से अधिक होती है

  • सामान्य जांच पद्धतियाँ:

    • अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, पेशाब और रक्त जांच

  • प्रारंभिक जांच से:

    • कम आक्रामक इलाज की आवश्यकता

    • बेहतर सुधार दर

    • कैंसर के फैलाव को रोका जा सकता है

रोकथाम के उपाय

1. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं

  • ताजे फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज का सेवन करें

  • नियमित व्यायाम करें

  • वजन नियंत्रित रखें

2. पहले से मौजूद बीमारियों का प्रबंधन करें

  • मधुमेह और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करें

  • डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाएँ लें

3. हानिकारक चीज़ों से बचें

  • धूम्रपान छोड़ें

  • शराब का सेवन कम करें

  • रसायनों के संपर्क से बचें (विशेषकर औद्योगिक क्षेत्रों में)

4. नियमित जांच करवाएं

  • खासकर उन लोगों के लिए जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि में किडनी की बीमारी रही हो

5. शरीर के संकेतों को नजरअंदाज न करें

  • पेशाब में खून, अत्यधिक थकान, पीठ दर्द जैसे लक्षणों पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

वैश्विक सहभागिता

  • आयोजक: International Kidney Cancer Coalition (IKCC)

  • भाग लेने वाले देश: 45+

प्रमुख गतिविधियाँ:

  • ऑनलाइन जागरूकता अभियान

  • रोगियों हेतु वेबिनार व शैक्षिक सत्र

  • अस्पतालों में जांच शिविर

  • मीडिया अभियान और बचाव की कहानियाँ

संघर्ष में यौन हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2025

हर साल 19 जून को, वैश्विक समुदाय संघर्ष में यौन हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाता है, जो युद्ध के हथियार के रूप में यौन हिंसा के भयानक उपयोग की एक गंभीर याद दिलाता है। 2025 में, यह दिन अपनी 11वीं वर्षगांठ मनाएगा और इसका विषय होगा: “चक्र को तोड़ना, घावों को भरना: संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा के अंतर-पीढ़ीगत प्रभावों को संबोधित करना।” यह दिन पीड़ितों को मान्यता देने, न्याय को बढ़ावा देने और इस तरह के अत्याचारों को दोबारा होने से रोकने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आग्रह करता है।

क्यों है यह ख़बर में?

19 जून 2025 को संघर्षजन्य यौन हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस की 11वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इस वर्ष का विषय उस लंबे समय तक चलने वाले मानसिक और सामाजिक प्रभाव को रेखांकित करता है जो युद्धों में हुई यौन हिंसा की वजह से आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचते हैं।

इस दिन का उद्देश्य है:

  • पीड़ितों की पीड़ा को मान्यता देना

  • न्याय और पुनर्वास की वकालत करना

  • ऐसी अमानवीय घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकना

इतिहास और पृष्ठभूमि

  • स्थापना: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा

  • प्रथम पालन: 19 जून 2015

  • महत्वपूर्ण तिथि क्यों:

    • 19 जून 2008 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1820 को अपनाया गया था।

    • इसने युद्ध के हथियार के रूप में यौन हिंसा को मान्यता दी।

    • ऐसे कृत्यों को युद्ध अपराध, मानवता के विरुद्ध अपराध, और नरसंहार की श्रेणी में रखा गया।

    • अपराधियों की जवाबदेही और सज़ा की मांग की गई।

2025 का विषय

“चक्र को तोड़ना, घावों को भरना: संघर्षजन्य यौन हिंसा के पीढ़ीगत प्रभावों को संबोधित करना”

  • युद्धकालीन बलात्कार से जन्मे बच्चों पर दीर्घकालिक प्रभाव

  • सामाजिक पुनर्वास, न्याय और उपचार पर ज़ोर

  • पीड़ितों की कहानियों के माध्यम से सशक्तिकरण और समुदाय का समर्थन

  • वैश्विक अभियान: #EndRapeInWar

संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा अनुसार संघर्षजन्य यौन हिंसा में शामिल हैं

  • बलात्कार

  • यौन दासता

  • जबरन वेश्यावृत्ति, गर्भपात या नसबंदी

  • जबरन विवाह या गर्भधारण

  • यौन शोषण हेतु मानव तस्करी

  • कोई अन्य गंभीर यौन हिंसा जो सीधे या परोक्ष रूप से युद्ध से जुड़ी हो

दिवस के मुख्य उद्देश्य

  • युद्ध क्षेत्रों में यौन हिंसा पर वैश्विक जागरूकता बढ़ाना

  • पीड़ितों के साहस और सहनशीलता को सम्मान देना

  • न्याय व कानूनी सहायता की वकालत करना

  • मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक समर्थन सेवाओं को बढ़ावा देना

  • सरकारों और संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन हेतु प्रेरित करना

आज की प्रासंगिकता

  • युद्धों में यौन हिंसा एक रणनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग की जाती है।

  • हर दर्ज मामले के पीछे 10–20 मामले बिना दर्ज होते हैं।

  • पीड़ितों को अक्सर कलंक, सामाजिक बहिष्कार और न्याय की कमी का सामना करना पड़ता है।

  • शांति मिशनों में अब लैंगिक-आधारित सुरक्षा एक महत्वपूर्ण घटक बन चुकी है, परंतु चुनौतियाँ बनी हुई हैं।

यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का संदेश (2025)

“बहुत सी महिलाओं और बच्चों के लिए युद्ध समाप्त नहीं होता जब बंदूकें शांत हो जाती हैं। इसके प्रभाव युद्धभूमि के परे और समय के पार गूंजते रहते हैं।”
— एंटोनियो गुटेरेस, 19 जून 2025

वैश्विक भागीदारी और अभियान

दिवस को मनाने के लिए UN एजेंसियाँ, सरकारें, नागरिक समाज और पीड़ितों द्वारा संचालित संगठन करते हैं:

  • जागरूकता अभियान

  • डॉक्यूमेंट्री और कहानी-प्रवचन

  • कानूनी सहायता शिविर

  • सोशल मीडिया पर #EndRapeInWar

  • मुआवज़े और नीतिगत सुधारों के लिए जनहित याचिकाएँ

अब 15 दिन के अंदर मिलेगा वोटर आईडी कार्ड: चुनाव आयोग

मतदाताओं को मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) की तेजी से डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए, भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने एक नई मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) शुरू की है, जिससे मतदाता सूची में किसी भी अद्यतन के 15 दिनों के भीतर ईपीआईसी की डिलीवरी संभव हो सकेगी, जिसमें किसी मतदाता का नया नामांकन या मौजूदा मतदाता के किसी भी विवरण में बदलाव शामिल है। यह पहल मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार द्वारा निर्वाचन आयुक्तों डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के साथ मिलकर मतदाताओं की सुविधा के लिए ईसीआई द्वारा किए जा रहे विभिन्न उपायों के अनुरूप है।

क्यों है यह समाचार में?

भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) ने एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure – SOP) शुरू की है, जिसके तहत मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) अब मतदाता सूची में नाम जुड़ने या किसी विवरण में बदलाव के 15 दिनों के भीतर वितरित किए जाएंगे। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सुविधा बढ़ाना और चुनावी सेवाओं की दक्षता में सुधार लाना है। यह पहल मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, तथा चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के नेतृत्व में डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक बड़ा कदम है।

तेज डिलीवरी प्रणाली

EPIC अब 15 दिनों के भीतर वितरित किया जाएगा, यदि:

  • नया मतदाता पंजीकरण हुआ है

  • पहले से पंजीकृत मतदाता के विवरण (जैसे नाम, पता) में संशोधन किया गया है

रीयल-टाइम ट्रैकिंग और अपडेट

मतदाता को SMS के माध्यम से सूचित किया जाएगा जब:

  1. EPIC जनरेट किया जाएगा

  2. यह ERO (Electoral Registration Officer) द्वारा डिस्पैच किया जाएगा

  3. यह डाक विभाग (Department of Posts – DoP) के माध्यम से डिलीवर किया जाएगा

ECINet से एकीकृत व्यवस्था

  • नया SOP एक विशेष आईटी मॉड्यूल द्वारा समर्थित है, जिसे ECINet प्लेटफॉर्म पर विकसित किया गया है।

  • वर्कफ्लो को फिर से डिज़ाइन किया गया है ताकि पारदर्शिता और गति सुनिश्चित की जा सके।

  • DoP के साथ API एकीकरण से ट्रैकिंग और डिलीवरी में निर्बाधता आती है।

डेटा सुरक्षा और प्रशासन

  • प्रणाली को डेटा सुरक्षा और विलंब को न्यूनतम करने की प्राथमिकता के साथ पुनर्गठित किया गया है।

  • पारदर्शी कार्यप्रणाली से शिकायतें और मैन्युअल त्रुटियाँ कम होंगी।

इस पहल का महत्व

  • चुनाव के समय EPIC जारी करने में होने वाली देरी को कम करेगा

  • मतदाता को समय पर पहचान पत्र मिलने से मतदान प्रक्रिया अधिक समावेशी होगी

  • यह डिजिटल इंडिया और न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है

  • चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ावा मिलेगा

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