अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस 2025

दुनिया भर में शनिवार, 5 जुलाई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारी दिवस (CoopsDay) मनाया जा रहा है। इस वर्ष का आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय सहकारी वर्ष (IYC2025) के दौरान पड़ रहा है। यह दिन इस बात को रेखांकित करता है कि सहकारी संस्थाएं कैसे समावेशी, टिकाऊ और जन-केन्द्रित समुदायों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। CoopsDay का उद्देश्य सहकारिता के सिद्धांतों को बढ़ावा देना और दुनिया भर में उनके सामाजिक व आर्थिक योगदान को पहचान देना है।

वैश्विक उत्सव एक उद्देश्य के साथ

अंतर्राष्ट्रीय सहकारी दिवस हर वर्ष जुलाई के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में सहकारी संस्थाओं द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना है। वर्ष 2025 की थीम है — “सहकारिताएं: समावेशी और टिकाऊ समाधान द्वारा एक बेहतर विश्व की ओर”

यह आयोजन दो प्रमुख वैश्विक पहलों से जुड़ा हुआ है — संयुक्त राष्ट्र का उच्च स्तरीय राजनीतिक मंच (जो वैश्विक लक्ष्यों की प्रगति की समीक्षा करता है) और आगामी द्वितीय विश्व सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन। ये कार्यक्रम दिखाते हैं कि सहकारी संस्थाएं केवल स्थानीय व्यवसाय नहीं, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन का हिस्सा हैं जो सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम कर रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) के अनुसार, सहकारिताएं लोगों को सशक्त बनाती हैं, लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देती हैं, और स्वास्थ्य सेवा, आवास, कृषि, वित्त और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में वास्तविक समाधान प्रदान करती हैं।

सहकारी दिवस 2025 के उद्देश्य और प्रभाव

वर्ष 2025 में अंतर्राष्ट्रीय सहकारी दिवस के चार प्रमुख उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं:

  1. सतत विकास में सहकारी संस्थाओं की भूमिका के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना।

  2. सहकारिता के विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देना।

  3. ऐसे कानूनी और नीतिगत वातावरण को समर्थन देना जो सहकारी संस्थाओं को फलने-फूलने में मदद करे।

  4. नेतृत्व और युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना ताकि सहकारी मॉडल को नई ऊर्जा मिले।

सहकारिता के प्रभाव को दर्शाने वाले कुछ चौंकाने वाले तथ्य:

  • दुनिया की 12% से अधिक जनसंख्या किसी न किसी सहकारी संस्था से जुड़ी हुई है।

  • शीर्ष 300 सहकारी संस्थाओं का संयुक्त वार्षिक राजस्व 2.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।

  • सहकारी संस्थाएं 28 करोड़ लोगों को रोजगार या आय प्रदान करती हैं, जो कि दुनिया की कुल कार्यबल का 10% हिस्सा है।

भारत की समृद्ध सहकारी विरासत

भारत में सहयोग की भावना सदियों पुरानी है, जो “वसुधैव कुटुम्बकम्” (सारा विश्व एक परिवार है) की सोच से प्रेरित रही है। आधुनिक कानूनों के अस्तित्व में आने से पहले ही भारतीय गांवों में जल, भूमि और वनों के प्रबंधन के लिए सामूहिक सहयोग की परंपरा प्रचलित थी।

आधुनिक सहकारी आंदोलन की शुरुआत 19वीं सदी के उत्तरार्ध में ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाली कठिनाइयों के समाधान के रूप में हुई। उस समय खराब फसलें, ऊँचे ब्याज दरों पर ऋण और ज़मीन से जुड़े मुद्दों ने किसानों को संकट में डाल दिया था। ऐसे समय में सहकारी संस्थाएं एक जीवनरेखा बनकर सामने आईं — उन्होंने सस्ते ऋण, उचित मूल्य और सामुदायिक समर्थन प्रदान किया।

आज भारत में विभिन्न प्रकार की सहकारी संस्थाएं कार्यरत हैं, जैसे:

  • उपभोक्ता सहकारिताएं – जैसे केंद्रीय भंडार

  • उत्पादक सहकारिताएं – जैसे एपीपीसीओ (APPCO)

  • विपणन सहकारिताएं – जैसे अमूल (AMUL)

  • क्रेडिट सहकारिताएं – जैसे शहरी सहकारी बैंक

  • कृषि सहकारिताएं – जो साझा खेती और संसाधन उपयोग में मदद करती हैं

  • आवास सहकारिताएं – जो सस्ती और सामूहिक आवास उपलब्ध कराती हैं

भारत की कुछ प्रमुख सहकारी संस्थाएं, जिनका कारोबार सबसे अधिक है, इनमें शामिल हैं – इफको (IFFCO), अमूल (AMUL), कृभको (KRIBHCO) और सरस्वत बैंक। ये संस्थाएं न केवल ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देती हैं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

भारतीय नौसेना में पहली महिला फाइटर पायलट बनीं सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया

सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया भारतीय नौसेना की पहली महिला बन गई हैं जिन्हें फाइटर पायलट प्रशिक्षण स्ट्रीम में शामिल किया गया है। यह ऐतिहासिक घोषणा 4 जुलाई 2025 को विशाखापत्तनम स्थित आईएनएस डेगा में आयोजित एक विशेष समारोह के दौरान की गई। यह भारतीय सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता (Gender Equality) की दिशा में एक बड़ा कदम है और महिलाओं के लिए रक्षा क्षेत्र में एक गौरवपूर्ण क्षण है।

भारतीय नौसेना ने इतिहास रच दिया है। सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया को आधिकारिक रूप से नौसेना के फाइटर स्ट्रीम में शामिल कर लिया गया है। वे इस स्ट्रीम में जगह पाने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं। इससे महिला अधिकारियों के लिए लड़ाकू भूमिकाओं के द्वार खुल गए हैं।

नौसेना विमानन में नया इतिहास

भारतीय नौसेना ने बताया कि सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया को फाइटर पायलट के रूप में प्रशिक्षण देने के लिए चुना गया है। वह एक वर्ष तक विशेष प्रशिक्षण लेंगी, जिसके बाद उन्हें MiG-29K या Rafale-M जैसे शक्तिशाली लड़ाकू विमानों को विमानवाहक पोतों (Aircraft Carriers) से उड़ाने का मौका मिल सकता है। यह घोषणा सेकंड बेसिक हॉक कन्वर्ज़न कोर्स के “विंगिंग सेरेमनी” के दौरान की गई, जिसमें पायलटों को Hawk Mk 132 विमान पर प्रशिक्षण दिया जाता है।

विंगिंग सेरेमनी और सम्मान

3 जुलाई 2025 को लेफ्टिनेंट अतुल कुमार ढुल और सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया को “विंग्स ऑफ गोल्ड” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान रियर एडमिरल जनक बेवली, सहायक नौसेना स्टाफ प्रमुख (विमानन) द्वारा प्रदान किया गया। नौसेना ने गर्व से साझा किया कि आस्था पूनिया लड़ाकू स्ट्रीम में शामिल होने वाली पहली महिला हैं—जो “नारी शक्ति” को आगे बढ़ाने का सशक्त प्रतीक है।

आस्था पूनिया की पृष्ठभूमि और नौसेना की दृष्टि

आस्था पूनिया उत्तर प्रदेश के मेरठ से हैं और उनका पारिवारिक संबंध सेना से नहीं है। उन्होंने बी.टेक की पढ़ाई पूरी की और बाद में नौसेना के एविएशन ब्रांच में शामिल हुईं। नौसेना पहले से ही महिलाओं को हेलिकॉप्टर पायलट और एयर ऑपरेशन्स ऑफिसर के रूप में शामिल कर चुकी है, लेकिन यह पहली बार है जब किसी महिला को फाइटर जेट ट्रेनिंग के लिए चुना गया है। यह कदम दिखाता है कि नौसेना महिलाओं को समान अवसर और सशक्तिकरण देने के लिए प्रतिबद्ध है।

नौसेना के भविष्य की तैयारी

फिलहाल भारतीय नौसेना के पास दो विमानवाहक पोत हैं—आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत, जिन पर वर्तमान में MiG-29K लड़ाकू विमान तैनात हैं। अप्रैल 2025 में भारत ने फ्रांस से 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए समझौता किया है। इसके अलावा, DRDO एक उन्नत फाइटर जेट—ट्विन इंजन डेक-बेस्ड फाइटर (TEDBF)—का भी विकास कर रहा है। भविष्य में आस्था पूनिया इन अत्याधुनिक विमानों को उड़ाने वाली भारत की पहली महिला बन सकती हैं।

यह उपलब्धि भारत की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह दर्शाती है कि अब महिलाएं भी सैन्य उड़ान के सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में अपनी जगह बना रही हैं।

‘फैंटास्टिक फोर’ के स्टार जूलियन मैकमोहन का 56 साल की उम्र में निधन

ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध अभिनेता जूलियन मैकमोहन का 56 वर्ष की आयु में कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद फ्लोरिडा में निधन हो गया। वह ‘फैंटास्टिक फोर’, ‘निप/टक’, ‘चार्म्ड’ और ‘एफबीआई: मोस्ट वांटेड’ जैसे लोकप्रिय टीवी शो और फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के लिए जाने जाते थे। उनकी पत्नी केली मैकमोहन ने यह दुखद समाचार साझा करते हुए उन्हें एक प्यार और जीवन से भरपूर इंसान के रूप में याद किया। जूलियन की मौत से न केवल फिल्म जगत, बल्कि उनके प्रशंसकों के बीच भी गहरा शोक है।

उनका करियर और प्रसिद्धि

जूलियन मैकमोहन ने अपने करियर की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया में एक मॉडल के रूप में की थी और बाद में अभिनय की दुनिया में कदम रखा। उनका पहला अभिनय रोल 1989 की सोप ओपेरा ‘द पावर, द पैशन’ में था। इसके बाद उन्होंने कई अमेरिकी टीवी शोज़ और फिल्मों में काम किया। उन्हें सबसे ज्यादा पहचान टीवी शो ‘चार्म्ड’ में कोल टर्नर नामक एक राक्षस की भूमिका निभाने के लिए मिली, जो दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ।

बाद में, उन्होंने मार्वल की ‘फैंटास्टिक फोर’ फिल्मों (2005 और 2007) में प्रसिद्ध खलनायक डॉ. डूम की भूमिका निभाई। इस किरदार ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी ज्यादा लोकप्रिय बना दिया।

अन्य भूमिकाएँ और हालिया काम

जूलियन मैकमोहन ने ‘प्रोफाइलर’ और ‘एफबीआई: मोस्ट वांटेड’ जैसे हिट टीवी शोज़ में भी अभिनय किया। फिल्मों में उन्होंने ‘प्रीमोनिशन’, ‘रेड’ और ‘पैरानॉइया’ जैसी मशहूर फिल्मों में काम किया। उनकी अंतिम फिल्म ‘द सर्फर’ 2024 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई थी। उनकी आखिरी टीवी भूमिका नेटफ्लिक्स की सीरीज ‘द रेसिडेंस’ में थी, जिसमें उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री की भूमिका निभाई।

परिवार का बयान

उनकी पत्नी केली मैकमोहन ने एक भावुक बयान जारी करते हुए बताया कि जूलियन ने कैंसर से बहादुरी से लड़ते हुए शांति से अंतिम सांस ली। उन्होंने कहा कि जूलियन को जीवन, अपने परिवार, दोस्तों, प्रशंसकों और अपने काम से बेहद प्यार था। परिवार ने सभी से गोपनीयता बनाए रखने की अपील की और पुरानी स्मृतियों और शुभकामनाओं के लिए सभी का आभार जताया।

प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

जूलियन का जन्म ऑस्ट्रेलिया में हुआ था। उनके पिता बिली मैकमोहन, 1971 से 1972 तक ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री रहे। जूलियन ने अपने अभिनय कौशल से न केवल ऑस्ट्रेलिया बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने हमेशा अपने काम के ज़रिए लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने की कोशिश की और एक समर्पित कलाकार के रूप में याद किए जाएंगे।

एस.आर.एन. मेहता स्कूल ने नासा प्रतियोगिता में शीर्ष पुरस्कार जीता

भारत के कलबुर्गी स्थित S.R.N. मेहता सीबीएसई स्कूल को NASA-NSS स्पेस सेटलमेंट डिज़ाइन प्रतियोगिता 2025 में कक्षा 8वीं श्रेणी के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 11 छात्रों की टीम द्वारा तैयार की गई इस परियोजना ने अपनी रचनात्मक सोच और सतत अंतरिक्ष कॉलोनी के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के कारण वैश्विक मंच पर विशेष पहचान बनाई। यह उपलब्धि न केवल स्कूल के लिए, बल्कि भारत के लिए भी गर्व का क्षण है, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की प्रतिभा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को उजागर किया है।

वैश्विक प्रतियोगिता में भारत की बड़ी जीत

NASA एम्स रिसर्च सेंटर और नेशनल स्पेस सोसाइटी (NSS) द्वारा आयोजित NASA-NSS स्पेस सेटलमेंट डिज़ाइन प्रतियोगिता एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता है, जिसका उद्देश्य छात्रों को भविष्य में अंतरिक्ष में जीवन के लिए नई कल्पनाओं और डिज़ाइनों को विकसित करने के लिए प्रेरित करना है। वर्ष 2025 में, 25 देशों के 4,900 से अधिक छात्रों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया।

S.R.N. मेहता स्कूल की टीम द्वारा प्रस्तुत परियोजना जिसका नाम IRA था, ने कक्षा 8वीं श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस टीम ने मानव जीवन के अनुकूल एक अंतरिक्ष कॉलोनी की डिजाइनिंग में उत्कृष्ट रचनात्मकता और वैज्ञानिक समझ का प्रदर्शन किया। उनकी परियोजना का मुख्य फोकस एक सुरक्षित, हरित और भविष्य के लिए तैयार अंतरिक्ष बस्ती के निर्माण पर था।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुति

विजेता टीम को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष विकास सम्मेलन (ISDC-2025) में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया, जो 19 से 22 जून 2025 तक ऑरलैंडो, फ्लोरिडा (यूएसए) में आयोजित हुआ। 21 जून को छात्रों ने अपने प्रोजेक्ट को पोस्टर और मौखिक प्रस्तुति के माध्यम से 250 से अधिक विशेषज्ञों, जिनमें अंतरिक्ष वैज्ञानिक, अंतरिक्ष यात्री और अंतरराष्ट्रीय अतिथि शामिल थे, के सामने प्रस्तुत किया। उनकी आत्मविश्वासपूर्ण प्रस्तुति और गहन ज्ञान की सभी ने सराहना की।

छात्रों की इस टीम में आरना आदर्श, दीपिका, खुशी, पूर्र्वजा, प्रणति, सानिका, शांभवी, शरण, श्रेया, ज़ैशा फलक और निहार शामिल थे। उन्होंने स्कूल के प्रधानाचार्य श्री राजशेखर रेड्डी के मार्गदर्शन में काम किया, जिन्होंने टीम की कड़ी मेहनत और समर्पण की भूरी-भूरी प्रशंसा की।

नासा यात्रा और भविष्य के सपने

इस अमेरिका यात्रा के दौरान, छात्रों ने प्रसिद्ध नासा कैनेडी स्पेस सेंटर का भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने रॉकेट लॉन्च पैड, अंतरिक्ष अभियानों के बारे में जानकारी ली और कुछ अंतरिक्ष यात्रियों से मुलाकात भी की। इस यात्रा ने छात्रों को वास्तविक अंतरिक्ष अनुसंधान को करीब से देखने का मौका दिया और उनमें से कई को STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) के क्षेत्र में करियर बनाने की प्रेरणा मिली।

30 जून को छात्र भारत लौटे, उत्साह, प्रसन्नता और विज्ञान के क्षेत्र में और अधिक करने की इच्छा से भरपूर। स्कूल प्रशासन, शिक्षकों और अभिभावकों ने इस उपलब्धि का जश्न मनाया और इसे कलबुर्गी, कर्नाटक और पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण बताया।

माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान में बंद किया कारोबार

प्रसिद्ध टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान में अपने 25 वर्षों से चल रहे ऑपरेशन को 3 जुलाई 2025 को बंद कर दिया। यह कदम कंपनी की वैश्विक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह अपने कर्मचारियों की संख्या घटा रही है और क्लाउड-आधारित सेवाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है। इस फैसले को कई विशेषज्ञ पाकिस्तान के व्यापारिक माहौल के लिए चिंताजनक संकेत मान रहे हैं।

वैश्विक रणनीति और नौकरियों में कटौती

माइक्रोसॉफ्ट ने बताया कि वह पाकिस्तान में अपने सीमित संचालन को बंद कर रही है और अब स्थानीय भागीदारों और क्षेत्रीय कार्यालयों (विशेषकर आयरलैंड) पर निर्भर रहेगी। हाल ही में, कंपनी ने दुनिया भर में लगभग 9,100 कर्मचारियों की छंटनी की है, जो उसके कुल कर्मचारियों का लगभग 4% है।

पाकिस्तान में माइक्रोसॉफ्ट की भूमिका

माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्तान में पूरा व्यापार नहीं चला रही थी, बल्कि केवल लायजन ऑफिस (संपर्क कार्यालय) थे। ये कार्यालय सरकार, शिक्षा क्षेत्र और कॉरपोरेट ग्राहकों के साथ काम करते थे। पिछले कुछ वर्षों में, अधिकांश काम स्थानीय भागीदारों को सौंपा जा चुका था, और सॉफ्टवेयर लाइसेंस व समझौते पाकिस्तान के बाहर से संचालित हो रहे थे।

विशेषज्ञों और नेताओं की प्रतिक्रिया

  • जाव्वाद रहमान (पूर्व कंट्री मैनेजर, माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्तान) ने कहा कि यह फैसला पाकिस्तान में व्यापार करना कितना कठिन हो गया है, इसका प्रतीक है।
    उन्होंने सरकार और आईटी मंत्री से अपील की कि वे तेजी से कदम उठाएं ताकि अंतरराष्ट्रीय टेक कंपनियाँ देश में बनी रहें।

  • पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भी चिंता जताई।
    उन्होंने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट कभी पाकिस्तान में विस्तार करने की सोच रही थी, लेकिन 2022 के अंत तक अस्थिरता के कारण उसने वियतनाम को प्राथमिकता दी।
    उन्होंने इस निर्णय को “खोया हुआ अवसर” बताते हुए कहा कि यह देश के भविष्य के लिए चेतावनी है।

निष्कर्ष

माइक्रोसॉफ्ट का पाकिस्तान से जाना न केवल टेक्नोलॉजी सेक्टर के लिए झटका है, बल्कि यह पाकिस्तान की आर्थिक और व्यापारिक नीतियों की कमज़ोरियों की ओर भी इशारा करता है। यदि सरकार तेजी से सुधार नहीं करती, तो अन्य वैश्विक कंपनियाँ भी इसी राह पर चल सकती हैं।

गुकेश ने जाग्रेब सुपरयूनाइटेड रैपिड चेस खिताब जीता

क्रोएशिया के जाग्रेब में चल रहे सुपरयूनाइटेड रैपिड एंड ब्लिट्ज टूर्नामेंट में भारतीय शतरंज खिलाड़ी डी गुकेश ने रैपिड खिताब जीत लिया है। यह टूर्नामेंट ग्रैंड चेस टूर 2025 का हिस्सा है और गुकेश ने रैपिड फॉर्मेट में 18 में से 14 पॉइंट अर्जित करके खिताब अपने नाम किया। गुकेश ने आखिरी राउंड में अमेरिकी खिलाड़ी वेस्ली सो को 36 चालों में हराकर रैपिड खिताब अपने नाम किया। गुकेश ने टूर्नामेंट में 9 मुकाबलों में से 6 में जीत हासिल की, 2 ड्रॉ रहे और एक में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गुकेश का शानदार प्रदर्शन उन्हें जन-क्रिस्टोफ़ डूडा और मैग्नस कार्लसन जैसे दिग्गज खिलाड़ियों से आगे ले गया है।

गुकेश का शानदार प्रदर्शन

डी. गुकेश ने टूर्नामेंट के तीन दिवसीय रैपिड वर्ग में शानदार लय दिखाई। खासकर दूसरे दिन उन्होंने लगातार पाँच मुकाबले जीते। अंतिम दिन उन्होंने अनिश गिरी (नीदरलैंड) और इवान सारिक (क्रोएशिया) के खिलाफ ड्रॉ खेले, और फिर वेस्ली सो (अमेरिका) के खिलाफ जीत के साथ खिताब पर कब्जा जमाया।

अंतिम अंक: 14/18

अन्य प्रमुख खिलाड़ी और अंतिम स्थिति

  • जन-क्रिस्टोफ़ डूडा (पोलैंड), जिन्होंने गुकेश को पहले राउंड में हराया था, उन्होंने 11 अंक लेकर दूसरा स्थान हासिल किया।

  • मैग्नस कार्लसन (नॉर्वे) ने 10 अंक लेकर तीसरा स्थान पाया। उन्होंने फैबियानो कारुआना को हराकर शुरुआत की, लेकिन नोदिरबेक अब्दुसत्तोरोव से ड्रॉ के कारण उनकी गति थम गई।

भारत के आर. प्रज्ञानानंद ने भी अच्छा प्रदर्शन किया।

  • उन्होंने राउंड 7 में इवान सारिक को हराया

  • वेस्ली सो और डूडा के खिलाफ ड्रॉ खेला

  • अंतिम स्कोर: 9 अंक (कारुआना के बराबर)

अन्य उल्लेखनीय स्कोर:

  • फिरूज़जा, गिरी और वेस्ली सो: 8 अंक प्रत्येक

आगे क्या?

अब टूर्नामेंट का ब्लिट्ज वर्ग 5 जुलाई से शुरू होगा।
रैपिड और ब्लिट्ज दोनों के संयुक्त अंकों के आधार पर सुपरयूनाइटेड रैपिड एंड ब्लिट्ज 2025 का अंतिम विजेता घोषित किया जाएगा।

इस समय गुकेश के पास 3 अंकों की बढ़त है, जिससे उनके पास पूरे टूर्नामेंट को जीतने का बेहतरीन मौका है।

भारत के लिए गर्व का क्षण!
डी. गुकेश का यह प्रदर्शन न केवल उनकी प्रतिभा को दर्शाता है, बल्कि भारतीय शतरंज को भी वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है।

सरकार ने प्रमुख राजमार्गों पर टोल टैक्स में 50% की कटौती की

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक नया नियम पेश किया है जिससे राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुछ विशेष हिस्सों जैसे सुरंगों (टनल), पुलों, फ्लाईओवर और एलिवेटेड सड़कों पर टोल शुल्क 50% तक कम हो जाएगा। इस कदम का उद्देश्य यात्रा को सस्ता बनाना और लोगों को राजमार्गों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना है।

नया टोल नियम क्या है?

अब सरकार ने बड़े ढांचों (structures) वाले राजमार्ग खंडों पर टोल गणना का तरीका बदल दिया है। अभी तक ऐसे हिस्सों पर प्रति किलोमीटर की दर से 10 गुना टोल लिया जाता था, क्योंकि इन ढांचों को बनाना और बनाए रखना महंगा होता है।

नए नियम के अनुसार, टोल शुल्क अब इस फॉर्मूले पर आधारित होगा —

या तो: ढांचों की लंबाई x 10 + बाकी राजमार्ग
या फिर: पूरे खंड (ढांचे समेत) की लंबाई x 5

इन दोनों में से जो भी कम होगा, उसी के आधार पर टोल लिया जाएगा।

इसका मतलब है कि अब लोगों को कम टोल देना पड़ेगा, जबकि सरकार को भी निर्माण लागत वसूलने में दिक्कत नहीं होगी।

मंत्रालय द्वारा दिया गया उदाहरण

मंत्रालय ने इसे समझाने के लिए एक उदाहरण भी साझा किया।
यदि किसी राजमार्ग का 40 किलोमीटर का हिस्सा पूरी तरह से पुलों और फ्लाईओवर से बना है, तो पहले यात्रियों को 400 किलोमीटर (40 x 10) के बराबर टोल देना पड़ता था। अब नए नियम में, टोल केवल 200 किलोमीटर (40 x 5) के हिसाब से लगेगा — यानी आधा शुल्क

आधिकारिक बयान और असर

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के एक अधिकारी ने कहा,

“यह कदम टोल प्रणाली को ज्यादा उचित और यात्रियों के लिए सुलभ बनाने के लिए उठाया गया है।”

इस सुधार से नियमित रूप से यात्रा करने वालों की यात्रा लागत कम होगी और राष्ट्रीय राजमार्गों का उपयोग बढ़ेगा, खासकर उन हिस्सों में जहाँ लंबे या महंगे निर्माण ढांचे हैं।

निष्कर्ष

सरकार का यह नया टोल नियम यात्रियों को राहत देने के साथ-साथ सड़क बुनियादी ढांचे के न्यायसंगत उपयोग को सुनिश्चित करता है। इससे सस्ता सफर, अधिक सुविधा, और बेहतर राष्ट्रीय कनेक्टिविटी का रास्ता खुलेगा।

अनंत टेक भारत का पहला निजी सैटेलाइट इंटरनेट शुरू करेगा

हैदराबाद की कंपनी आनंत टेक्नोलॉजीज़ को भारत की पहली निजी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा शुरू करने की मंज़ूरी मिल गई है। यह प्रोजेक्ट IN-SPACe (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र) द्वारा स्वीकृत किया गया है और इसके 2028 में शुरू होने की उम्मीद है। यह सेवा पूरी तरह से भारत में बने उपग्रहों के ज़रिए संचालित की जाएगी। यह कदम अंतरिक्ष-आधारित इंटरनेट सेवाओं में Starlink, OneWeb और Amazon Kuiper जैसे वैश्विक खिलाड़ियों को टक्कर देने की दिशा में भारत का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

भारत की पहली निजी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा

आनंत टेक्नोलॉजीज़ ने इतिहास रचते हुए ऐसी पहली भारतीय निजी कंपनी बनने का गौरव प्राप्त किया है जिसे भारत में बने उपग्रहों के माध्यम से सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा देने की अनुमति मिली है। यह सेवा 2028 तक लॉन्च की जाएगी और देशभर में, खासकर ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में तेज़ इंटरनेट पहुंचाने का लक्ष्य रखेगी, जहाँ अब तक इंटरनेट की सुविधा सीमित है।

यह सेवा भू-स्थिर कक्षा (Geostationary Orbit) में स्थापित उपग्रह से संचालित होगी, जो पृथ्वी से 35,000 किलोमीटर से अधिक ऊँचाई पर स्थित होती है। इस कक्षा में उपग्रह पृथ्वी के एक ही बिंदु के ऊपर स्थिर रहता है, जिससे निरंतर और स्थिर इंटरनेट सेवा सुनिश्चित की जा सकेगी।

किसने दी अनुमति और क्यों है ये महत्वपूर्ण

इस प्रोजेक्ट को मंज़ूरी IN-SPACe ने दी है, जो भारत में निजी कंपनियों के लिए आधिकारिक अंतरिक्ष नियामक संस्था है। इस स्वीकृति से यह स्पष्ट है कि भारत अब अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल रहा है, जिससे नवाचार और तेज़ प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।

अब तक भारत में Starlink (एलन मस्क की कंपनी), OneWeb और Amazon Kuiper जैसी विदेशी कंपनियाँ सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने की योजना बना रही थीं या शुरू कर चुकी थीं। लेकिन अब आनंत टेक के प्रवेश से भारत को अपनी घरेलू तकनीक से सशक्त विकल्प मिलेगा।

आगे की योजना क्या है?

आनंत टेक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए लगभग ₹3,000 करोड़ का निवेश करेगी। इसका उद्देश्य पूरे भारत में, विशेष रूप से बिना मोबाइल टावर या फाइबर केबल वाले क्षेत्रों में, तेज़ और भरोसेमंद इंटरनेट पहुँचाना है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यवसाय और संचार के क्षेत्र में ग्रामीण भारत को बड़ी सहायता मिलेगी।

फिलहाल कंपनी ने सटीक लॉन्च तिथि साझा नहीं की है, लेकिन उपग्रह निर्माण और सेवा योजना का कार्य पहले ही शुरू हो चुका है।

पीएम मोदी को मिला त्रिनिदाद और टोबैगो का सर्वोच्च सम्मान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 4 जुलाई 2025 को त्रिनिदाद और टोबैगो के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें उनकी वैश्विक नेतृत्व क्षमता, भारतीय प्रवासी समुदाय से गहरे जुड़ाव और कोविड-19 महामारी के दौरान मानवीय प्रयासों के लिए दिया गया। बता दें कि पीएम मोदी फिलहाल पांच देशों के दौरे पर हैं और त्रिनिदाद और टोबैगो की यह दो दिन की यात्रा उनका दूसरा पड़ाव है। वहीं सम्मान मिलने के बाद उन्होंने कहा, ‘त्रिनिदाद एंड टोबैगो के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित होकर मैं गौरवान्वित हूं। मैं यह सम्मान 140 करोड़ भारतीयों की ओर से स्वीकार करता हूं।’

ऐतिहासिक पहली यात्रा

यह प्रधानमंत्री मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो की पहली आधिकारिक यात्रा है। साथ ही, यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 1999 के बाद पहली त्रिनिदाद यात्रा भी है। यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी की पाँच देशों की यात्रा का हिस्सा है, जो भारत और द्वीपीय राष्ट्र के बीच लंबे समय से चले आ रहे रिश्तों को नई ऊँचाई पर ले जाने का संकेत देती है।

सम्मान मिलने का कारण

“ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो” प्रधानमंत्री मोदी को उनके वैश्विक नेतृत्व, प्रवासी भारतीय समुदाय के लिए कार्य, और कोविड-19 महामारी के दौरान सहायता के लिए प्रदान किया गया। त्रिनिदाद एवं टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर ने यह सम्मान देने की घोषणा की और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा दोनों देशों के बीच गर्व और जुड़ाव का प्रतीक है।

पीएम मोदी की प्रतिक्रिया और सांस्कृतिक भेंट

सम्मान प्राप्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह यह पुरस्कार 140 करोड़ भारतीयों की ओर से स्वीकार कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने त्रिनिदाद की प्रधानमंत्री को महाकुंभ का पवित्र जल और राम मंदिर की एक प्रतिकृति भेंट की। यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक माना गया।

इससे पहले घाना का दौरा

त्रिनिदाद यात्रा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने घाना का दौरा किया था, जहाँ उन्हें देश के एक और प्रतिष्ठित सम्मान “ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना” से नवाज़ा गया। भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, यह सम्मान उन्हें वैश्विक सहयोग में योगदान और मजबूत नेतृत्व के लिए दिया गया।

भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो ने संबंधों को बढ़ावा देने के लिए छह नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए

भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो ने 4 जुलाई 2025 को पोर्ट ऑफ स्पेन में छह महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिससे दोनों देशों के बीच साझेदारी को कई क्षेत्रों में मजबूती मिलेगी। इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा, चिकित्सा, संस्कृति और खेल शामिल हैं। ये समझौते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद एवं टोबैगो यात्रा के दौरान हुए, जो दोनों देशों के रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

25 वर्षों में पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा

यह 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की त्रिनिदाद एवं टोबैगो की पहली आधिकारिक यात्रा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद एवं टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर से मुलाकात की और सहयोग को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण बातचीत की। दोनों नेताओं ने कृषि, शिक्षा, डिजिटल भुगतान और स्वास्थ्य सेवाओं में भविष्य की साझेदारी पर चर्चा की। इसके साथ ही उन्होंने जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और आपदा प्रबंधन जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी अपने विचार साझा किए।

इस यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने आपसी गर्मजोशी और सम्मान का प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री बिसेसर ने इसे एक “ऐतिहासिक क्षण” बताया जो दोनों देशों की मित्रता को नई ऊर्जा देगा।

छह समझौतों पर हस्ताक्षर

भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो के बीच छह समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए। ये समझौते निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देंगे:

  • औषधि मानकों में सहयोग

  • त्वरित विकास परियोजनाएं

  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान

  • खेलों का प्रचार-प्रसार

  • राजनयिक प्रशिक्षण

  • आधिकारिक दस्तावेज़ों और शोध साझा करना

इन समझौतों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न करना, सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाना और जन-जन के बीच संबंधों को मजबूत करना है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी घोषणा की कि अब त्रिनिदाद एवं टोबैगो में रहने वाले भारतीय मूल के लोग, भले ही वे छठी पीढ़ी के हों, भारत के ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड के लिए आवेदन कर सकेंगे। यह निर्णय प्रवासी भारतीयों को भारत से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात

प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद एवं टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कांगालू से भी मुलाकात की। राष्ट्रपति कांगालू को हाल ही में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। दोनों नेताओं की बैठक सौहार्दपूर्ण और सम्मानजनक रही। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति की जनसेवा और नेतृत्व की प्रशंसा की।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो “ग्लोबल साउथ” यानी वैश्विक दक्षिण के मुद्दों पर मिलकर कार्य करेंगे, जिनमें जलवायु संकट और निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रमुख हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत को समर्थन देने के लिए त्रिनिदाद एवं टोबैगो का आभार भी व्यक्त किया और कहा कि दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं।

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