सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक नया नियम पेश किया है जिससे राष्ट्रीय राजमार्गों पर कुछ विशेष हिस्सों जैसे सुरंगों (टनल), पुलों, फ्लाईओवर और एलिवेटेड सड़कों पर टोल शुल्क 50% तक कम हो जाएगा। इस कदम का उद्देश्य यात्रा को सस्ता बनाना और लोगों को राजमार्गों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना है।
नया टोल नियम क्या है?
अब सरकार ने बड़े ढांचों (structures) वाले राजमार्ग खंडों पर टोल गणना का तरीका बदल दिया है। अभी तक ऐसे हिस्सों पर प्रति किलोमीटर की दर से 10 गुना टोल लिया जाता था, क्योंकि इन ढांचों को बनाना और बनाए रखना महंगा होता है।
नए नियम के अनुसार, टोल शुल्क अब इस फॉर्मूले पर आधारित होगा —
या तो: ढांचों की लंबाई x 10 + बाकी राजमार्ग
या फिर: पूरे खंड (ढांचे समेत) की लंबाई x 5इन दोनों में से जो भी कम होगा, उसी के आधार पर टोल लिया जाएगा।
इसका मतलब है कि अब लोगों को कम टोल देना पड़ेगा, जबकि सरकार को भी निर्माण लागत वसूलने में दिक्कत नहीं होगी।
मंत्रालय द्वारा दिया गया उदाहरण
मंत्रालय ने इसे समझाने के लिए एक उदाहरण भी साझा किया।
यदि किसी राजमार्ग का 40 किलोमीटर का हिस्सा पूरी तरह से पुलों और फ्लाईओवर से बना है, तो पहले यात्रियों को 400 किलोमीटर (40 x 10) के बराबर टोल देना पड़ता था। अब नए नियम में, टोल केवल 200 किलोमीटर (40 x 5) के हिसाब से लगेगा — यानी आधा शुल्क।
आधिकारिक बयान और असर
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के एक अधिकारी ने कहा,
“यह कदम टोल प्रणाली को ज्यादा उचित और यात्रियों के लिए सुलभ बनाने के लिए उठाया गया है।”
इस सुधार से नियमित रूप से यात्रा करने वालों की यात्रा लागत कम होगी और राष्ट्रीय राजमार्गों का उपयोग बढ़ेगा, खासकर उन हिस्सों में जहाँ लंबे या महंगे निर्माण ढांचे हैं।
निष्कर्ष
सरकार का यह नया टोल नियम यात्रियों को राहत देने के साथ-साथ सड़क बुनियादी ढांचे के न्यायसंगत उपयोग को सुनिश्चित करता है। इससे सस्ता सफर, अधिक सुविधा, और बेहतर राष्ट्रीय कनेक्टिविटी का रास्ता खुलेगा।