प्रसिद्ध टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान में अपने 25 वर्षों से चल रहे ऑपरेशन को 3 जुलाई 2025 को बंद कर दिया। यह कदम कंपनी की वैश्विक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह अपने कर्मचारियों की संख्या घटा रही है और क्लाउड-आधारित सेवाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है। इस फैसले को कई विशेषज्ञ पाकिस्तान के व्यापारिक माहौल के लिए चिंताजनक संकेत मान रहे हैं।
वैश्विक रणनीति और नौकरियों में कटौती
माइक्रोसॉफ्ट ने बताया कि वह पाकिस्तान में अपने सीमित संचालन को बंद कर रही है और अब स्थानीय भागीदारों और क्षेत्रीय कार्यालयों (विशेषकर आयरलैंड) पर निर्भर रहेगी। हाल ही में, कंपनी ने दुनिया भर में लगभग 9,100 कर्मचारियों की छंटनी की है, जो उसके कुल कर्मचारियों का लगभग 4% है।
पाकिस्तान में माइक्रोसॉफ्ट की भूमिका
माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्तान में पूरा व्यापार नहीं चला रही थी, बल्कि केवल लायजन ऑफिस (संपर्क कार्यालय) थे। ये कार्यालय सरकार, शिक्षा क्षेत्र और कॉरपोरेट ग्राहकों के साथ काम करते थे। पिछले कुछ वर्षों में, अधिकांश काम स्थानीय भागीदारों को सौंपा जा चुका था, और सॉफ्टवेयर लाइसेंस व समझौते पाकिस्तान के बाहर से संचालित हो रहे थे।
विशेषज्ञों और नेताओं की प्रतिक्रिया
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जाव्वाद रहमान (पूर्व कंट्री मैनेजर, माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्तान) ने कहा कि यह फैसला पाकिस्तान में व्यापार करना कितना कठिन हो गया है, इसका प्रतीक है।
उन्होंने सरकार और आईटी मंत्री से अपील की कि वे तेजी से कदम उठाएं ताकि अंतरराष्ट्रीय टेक कंपनियाँ देश में बनी रहें। -
पूर्व राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने भी चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट कभी पाकिस्तान में विस्तार करने की सोच रही थी, लेकिन 2022 के अंत तक अस्थिरता के कारण उसने वियतनाम को प्राथमिकता दी।
उन्होंने इस निर्णय को “खोया हुआ अवसर” बताते हुए कहा कि यह देश के भविष्य के लिए चेतावनी है।
निष्कर्ष
माइक्रोसॉफ्ट का पाकिस्तान से जाना न केवल टेक्नोलॉजी सेक्टर के लिए झटका है, बल्कि यह पाकिस्तान की आर्थिक और व्यापारिक नीतियों की कमज़ोरियों की ओर भी इशारा करता है। यदि सरकार तेजी से सुधार नहीं करती, तो अन्य वैश्विक कंपनियाँ भी इसी राह पर चल सकती हैं।