महाराष्ट्र ने पशुधन और मुर्गीपालन को कृषि का दर्जा दिया

महाराष्ट्र भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने पशुपालन और मुर्गीपालन को कृषि का दर्जा प्रदान किया है। यह निर्णय 11 जुलाई 2025 को महाराष्ट्र कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देता है और फसल उत्पादकों एवं पशुपालकों के बीच नीति-स्तर पर समानता स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस निर्णय से राज्य के 3.7 करोड़ से अधिक पशुपालक किसानों को लाभ होगा, जिन्हें अब सब्सिडी, सस्ती बिजली दरें और संस्थागत ऋण जैसे लाभ प्राप्त हो सकेंगे।

पृष्ठभूमि

भारत की कृषि नीतियां अब तक मुख्यतः अनाज, दालें, फल-सब्जियां जैसी फसलों पर केंद्रित रही हैं, जबकि पशुपालन को एक सहायक गतिविधि माना जाता था। इसके चलते पशुपालकों को कृषि ऋण, बिजली सब्सिडी और कर राहत जैसी कई सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता था। महाराष्ट्र का यह निर्णय इस नीति अंतर को पाटने और डेयरी, मुर्गीपालन, मत्स्य पालन और छोटे रूमिनेंट पशुपालन (बकरी, भेड़ आदि) में लगे किसानों को संस्थागत समानता देने का प्रयास है।

इस निर्णय का महत्व

पशुपालन को कृषि का दर्जा मिलने से कई सरकारी लाभ अब पशुपालकों को भी मिल सकेंगे। उन्हें अब कृषि दर पर बिजली, कर में छूट, ऋण पात्रता और सौर उपकरणों पर सब्सिडी मिलेगी—जो पहले केवल फसल उत्पादकों तक सीमित थीं। यह कदम पशुपालन को कृषि का एक अभिन्न स्तंभ मानने की दिशा में एक नीतिगत परिवर्तन का प्रतीक है।

प्रमुख लाभ और विशेषताएं

  • सस्ती बिजली दरें: पोल्ट्री शेड, मछली तालाब और पशु आश्रय अब कृषि दर पर बिजली के पात्र होंगे।

  • कर में राहत: स्थानीय कर और प्रवेश शुल्क अब व्यावसायिक दरों की बजाय कृषि दरों पर आधारित होंगे।

  • कृषि ऋण की सुविधा: पशुपालक अब किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और अन्य कम ब्याज वाले कृषि ऋण योजनाओं जैसे देशमुख ब्याज राहत योजना के पात्र बनेंगे।

  • सौर उपकरणों पर सब्सिडी: अब किसान सौर पंप और अन्य सौर-संचालित ढांचे कम लागत में स्थापित कर सकेंगे।

विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव

  • पोल्ट्री सेक्टर: लागत में कमी से ब्रॉयलर यूनिट्स और हैचरी को विस्तार मिलेगा, जिससे मांस और अंडा उत्पादन बढ़ेगा।

  • डेयरी सेक्टर: छोटे और मध्यम स्तर के पशु मालिकों को सस्ती बिजली और ऋण सुविधा का लाभ मिलेगा।

  • भेड़-बकरी पालन: सीमांत किसानों के लिए यह व्यवसाय अब अधिक लाभकारी और टिकाऊ हो सकेगा।

  • मत्स्य पालन: एक्वाकल्चर को भी सब्सिडी और बिजली की सुलभता का लाभ मिलेगा।

आर्थिक और नीतिगत प्रभाव

सरकार का अनुमान है कि इस नीति से राज्य को सालाना ₹7,080 करोड़ की अतिरिक्त आमदनी होगी, जिससे ग्रामीण आजीविका में क्रांतिकारी सुधार आ सकता है। यह निर्णय ICAR और NITI Aayog की अनुशंसाओं के अनुरूप है, जो वैज्ञानिक पशुधन विकास, उत्पादकता वृद्धि, रोग नियंत्रण और जलवायु लचीलापन को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं। साथ ही, इससे दूध, मांस, अंडा, चमड़ा, ऊन और प्रसंस्कृत उत्पादों की वैल्यू चेन को भी बल मिलेगा।

आगामी चुनौतियाँ

हालांकि यह निर्णय व्यापक रूप से सराहा गया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सफल कार्यान्वयन इसकी कुंजी होगा। भूमि उपयोग वर्गीकरण, ज़ोनिंग प्रतिबंध और प्रशासनिक अड़चनें जैसी चुनौतियों को दूर करना आवश्यक है। इसके अलावा, मॉनिटरिंग और किसानों की क्षमता निर्माण भी महत्वपूर्ण होंगे ताकि यह लाभ वास्तव में छोटे और सीमांत पशुपालकों तक पहुंच सके।

यह नीति परिवर्तन भारतीय कृषि के दायरे का विस्तार करते हुए पशुपालन को उसका उचित स्थान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।

SEBI की VCF निपटान योजना 2025: निवेशकों को राहत देने की नई पहल

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने लंबे समय से लंबित अनुपालन मुद्दों को सुलझाने के लिए VCF निपटान योजना 2025 शुरू की है, जो 21 जुलाई 2025 से लागू होगी। यह योजना उन वेंचर कैपिटल फंड्स (VCFs) के लिए एक अवसर प्रदान करती है जिन्होंने Alternative Investment Fund (AIF) व्यवस्था में स्थानांतरण के बाद भी अपने परिसमापन (liquidation) की प्रक्रिया पूरी नहीं की है। यह पहल SEBI की उत्तरदायी नियामक दृष्टिकोण और निवेशक संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

पृष्ठभूमि

मई 2012 में SEBI ने VCF विनियमों की जगह AIF विनियमों को अधिसूचित किया था। इसके बाद VCFs को AIF प्रणाली में स्थानांतरित होने के लिए एक रूपरेखा प्रदान की गई थी। हालांकि, कई VCFs ने अपनी निर्धारित अवधि समाप्त होने के बावजूद अपने निवेशों का परिसमापन नहीं किया, जिससे अनुपालन का उल्लंघन हुआ और निवेशकों की पूंजी फंस गई। इस स्थिति को देखते हुए SEBI ने यह विशेष निपटान योजना पेश की है।

योजना का महत्व

VCF निपटान योजना 2025 विशेष महत्व रखती है क्योंकि यह VCFs को बिना किसी कड़े दंडात्मक कार्रवाई के, अपने पूर्ववर्ती उल्लंघनों को सुधारने का एकमात्र मौका देती है। यह उन निवेशकों को भी राहत देती है जिनकी पूंजी तकनीकी रूप से समाप्त योजनाओं में अब तक फंसी हुई है। इससे नियामकीय पारदर्शिता और निवेशकों का विश्वास भी बढ़ेगा।

योजना के उद्देश्य

  • VCFs द्वारा निर्धारित अवधि के बाद भी योजना बंद न करने से संबंधित पुराने उल्लंघनों का समाधान करना।

  • स्थानांतरित VCFs को SEBI के अनुपालन मानकों के अनुरूप लाने का अंतिम अवसर प्रदान करना।

  • लंबित योजनाओं से निवेशकों को बाहर निकलने का मार्ग देना।

  • स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित कर नियामकीय कार्रवाई से बचाव।

प्रमुख विशेषताएं

  • आरंभ तिथि: 21 जुलाई 2025

  • अंतिम तिथि: 19 जनवरी 2026

  • केवल उन्हीं VCFs पर लागू, जो AIF ढांचे में 19 जुलाई 2025 से पहले स्थानांतरित हो चुके हैं और जिनकी परिसमापन अवधि समाप्त हो चुकी है।

  • योजना का लाभ लेने के लिए निवेशकों की सहमति से योजनाओं को समाप्त करने की प्रक्रिया अपनानी होगी।

  • निर्धारित अवधि के बाद योजना का लाभ न उठाने वाले VCFs के खिलाफ SEBI कार्रवाई कर सकता है।

यह योजना भारत के पूंजी बाजार में नियामकीय स्थिरता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

आंद्रे रसेल ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की

वेस्टइंडीज के दिग्गज ऑलराउंडर आंद्रे रसेल ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का एलान कर दिया है। 37 साल का यह ऑलराउंडर करियर के आखिरी दो मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलेगा, जो कि एक टी20 मैच होगा। रसेल का चयन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच मैचों की घरेलू टी20 सीरीज में हुआ है। इस सीरीज के शुरुआती दो मैच जमैका के सबीना पार्क में खेले जाएंगे, जो कि रसेल का घरेलू मैदान है।

करियर यात्रा:
37 वर्षीय आंद्रे रसेल ने 2010 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। उन्होंने 56 वनडे और 1 टेस्ट मैच खेला, लेकिन उनकी असली पहचान T20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बनी, जहां उन्होंने 84 मैचों में भाग लिया। रसेल ने 2012 और 2016 के T20 विश्व कप खिताब जीतने में वेस्टइंडीज के लिए अहम भूमिका निभाई, जहां उन्होंने गेंद और बल्ले दोनों से शानदार प्रदर्शन किया।

मुख्य उपलब्धियां:

  • T20I आँकड़े: 1,078 रन, 61 विकेट, स्ट्राइक रेट 163.08

  • ODI आँकड़े: 1,034 रन, 70 विकेट

  • फ्रेंचाइज़ी T20: 9,300 से अधिक रन, 485 विकेट, दुनिया भर की लीगों में हिस्सा लिया

  • 2025 में लॉस एंजेलेस नाइट राइडर्स के लिए मेजर लीग क्रिकेट (USA) में खेले

  • विस्फोटक बल्लेबाज़ी और निर्णायक ओवरों में गेंदबाज़ी के लिए प्रसिद्ध

वेस्टइंडीज क्रिकेट के लिए एक क्षति:
रसेल का संन्यास वेस्टइंडीज की सीमित ओवरों की क्रिकेट में एक युग के अंत का संकेत है। यह फैसला उस समय आया है जब टीम बदलाव के दौर से गुजर रही है और 2026 T20 विश्व कप निकट है। साथ ही हाल ही में निकोलस पूरन के संन्यास ने भी टीम को नई दिशा देने की चुनौती बढ़ा दी है। रसेल की आक्रामक बल्लेबाज़ी और डेथ ओवर में सटीक गेंदबाज़ी ने उन्हें मैच-विनर और ग्लोबल T20 आइकन बना दिया।

आखिरी वनडे

रसेल ने 2019 में आखिरी वनडे खेला था। इसके बाद से वह वेस्टइंडीज के लिए सिर्फ टी20 ही खेल रहे हैं। भले ही वह वनडे न खेल रहे हों, लेकिन इस प्रारूप में उनका स्ट्राइक रेट बाकी सभी से बेहतर है। वनडे में रसेल का करियर स्ट्राइक रेट 130.22 का है, जो कि सर्वश्रेष्ठ है। 2019 से रसेल वेस्टइंडीज के लिए सिर्फ टी20 ही खेल रहे हैं। उन्होंने वेस्टइंडीज के लिए 84 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, जिसमें 22.00 की औसत से 1,078 रन बनाए हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 163.08 का रहा है। रसेल ने तीन अर्धशतक लगाए हैं और उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी 71 रन की रही है। उन्होंने 30.59 की औसत से टी20 अंतरराष्ट्रीय में 61 विकेट भी लिए हैं, जिसमें 3/19 के सर्वश्रेष्ठ आंकड़े भी शामिल हैं। रसेल ने वेस्टइंडीज के लिए केवल एक टेस्ट खेला है। इसके अलावा उन्होंने 56 वनडे मैच भी खेले हैं, जिसमें 27.21 की औसत से 1,034 रन बनाए हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 130 से ज्यादा का रहा है।

करियर की प्रमुख विशेषताएं:

  • विस्फोटक बल्लेबाज़ी और तेज गेंदबाज़ी के लिए पहचाने जाते हैं

  • दो ICC T20 विश्व कप खिताब में निर्णायक भूमिका

  • 2019 के बाद से T20 विशेषज्ञ के रूप में उभरे

  • दुनियाभर की फ्रेंचाइज़ी लीगों में सबसे अधिक मांग वाले खिलाड़ी

  • दबाव में बेहतरीन प्रदर्शन की प्रतिष्ठा बनाई

प्रभाव:
आंद्रे रसेल का प्रभाव केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है—उन्होंने आधुनिक T20 ऑलराउंडर की परिभाषा ही बदल दी। उनका संन्यास वेस्टइंडीज क्रिकेट में एक पीढ़ीगत बदलाव का प्रतीक है। यह टीम में नेतृत्व की कमी पैदा करता है, लेकिन साथ ही मैथ्यू फोर्ड जैसे उभरते खिलाड़ियों के लिए अवसर का द्वार भी खोलता है।

गुजरात सरकार ने जनजातीय जीनोम अनुक्रमण परियोजना शुरू की

गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है जिसने “आदिवासी जीनोम अनुक्रमण परियोजना” (Tribal Genome Sequencing Project) की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य है—आदिवासी समुदायों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाना, अनुवांशिक अनुसंधान के माध्यम से रोगों की प्रारंभिक पहचान करना, और व्यक्तिगत चिकित्सा समाधान विकसित करना।

पृष्ठभूमि:
इस परियोजना की घोषणा गुजरात के आदिवासी विकास मंत्री डॉ. कुबेर डिंडोर ने गांधीनगर में एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान की। यह परियोजना गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (GBRC) द्वारा विभिन्न राज्य विभागों और विशेषज्ञों के सहयोग से लागू की जा रही है। इसे वर्ष 2025–26 के गुजरात राज्य बजट में स्वीकृति प्रदान की गई है।

महत्त्व:
भारत की आदिवासी जनसंख्या लंबे समय से अनुवांशिक शोधों में उपेक्षित रही है। यह परियोजना उस अंतर को पाटने का कार्य करती है, जिससे वैज्ञानिक नवाचारों को आदिवासी कल्याण से जोड़ा जा सके। इसके माध्यम से आदिवासी समुदायों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं से सशक्त किया जा सकेगा, जो समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।

उद्देश्य:

  • 17 ज़िलों के 2,000 आदिवासी व्यक्तियों के जीनोम का अनुक्रमण करना

  • सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया, कैंसर आदि बीमारियों से जुड़े आनुवंशिक संकेतकों की पहचान

  • भविष्य के चिकित्सीय शोध के लिए संदर्भ जीनोम डाटाबेस तैयार करना

  • व्यक्तिगत दवा समाधान और रोगों की प्रारंभिक चिकित्सा हस्तक्षेप को संभव बनाना

प्रमुख विशेषताएं:

  • GBRC द्वारा अत्याधुनिक जीनोमिक तकनीकों से परियोजना का संचालन

  • शारीरिक नमूने एकत्र करना, डेटा विश्लेषण और आनुवंशिक व्याख्या शामिल

  • भारत की आदिवासी जनजातियों से संबंधित विशिष्ट वैज्ञानिक डेटा का सृजन

  • वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिकों के सहयोग से अंतरविषयी समन्वय को बढ़ावा

प्रभाव:
यह परियोजना आदिवासी समुदायों में बीमारियों की समय रहते पहचान, लक्षित उपचार और स्वास्थ्य असमानताओं को कम करने में सहायक होगी। साथ ही, यह नीति निर्माण, अकादमिक अनुसंधान और सार्वजनिक स्वास्थ्य योजना में जीनोमिक्स की भूमिका को मज़बूत बनाएगी। यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बनेगा और भारत में समावेशी स्वास्थ्य अनुसंधान को नई दिशा देगा।

विश्व सर्प दिवस: 16 जुलाई

विश्व सर्प दिवस हर साल 16 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन का खास उद्देश्य लोगों में सांपों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनके महत्व को समझाना है। हालांकि बहुत से लोग ऐसे हैं जो सांपों से डरते हैं, मगर यह जानना जरूरी है कि वे भी हमारे इकोसिस्टम का अहम हिस्सा हैं। साथ ही आपको बता दें कि सांपों के ज़हर का इस्तेमाल कई दवाइयों में भी किया जाता है। भारत में साँपों को लेकर कई मिथक हैं। लोग उन्हें खतरनाक मानते हैं और अक्सर डर के मारे मार देते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि साँप प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

विश्व सर्प दिवस का इतिहास

विश्व सर्प दिवस की शुरुआत को लेकर जानकारों में कुछ मतभेद हैं, लेकिन माना जाता है कि इसकी नींव 1967 में अमेरिका के टेक्सास में पड़ी। वहाँ एक सर्प फार्म शुरू हुआ, जिसने साँपों के प्रति जागरूकता फैलाने का काम किया। 1970 तक यह फार्म इतना लोकप्रिय हो गया कि 16 जुलाई को विश्व सर्प दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई। धीरे-धीरे गैर-सरकारी संगठनों और प्रकृति प्रेमियों ने इस दिन को विश्व स्तर पर बढ़ावा दिया।

महत्त्व

भारत में सांपों की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें विषैले और संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी शामिल हैं। शहरी विस्तार और प्राकृतिक आवासों के क्षरण के कारण मानव‑सांप मुठभेड़ों में वृद्धि हुई है। इस प्रकार की पहल का उद्देश्य विशेषकर युवाओं के बीच ज्ञान के माध्यम से डर को दूर करना है और सांपों के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना है।

उद्देश्य

  • सांपों की पारिस्थितिकी में भूमिका को लेकर वैज्ञानिक जागरूकता फैलाना

  • युवाओं द्वारा संचालित संरक्षण प्रयासों को प्रोत्साहित करना

  • वन्यजीव संवाद के माध्यम के रूप में डाक टिकटों और पोस्टकार्ड विषयों का उपयोग करना

  • सांपों को लेकर जनता में फैली भ्रांतियों और भय को दूर करना

स्ट्राइकर दीपिका ने जीता मैजिक स्किल पुरस्कार

भारतीय महिला हॉकी टीम की स्ट्राइकर दीपिका ने एफआईएच प्रो लीग 2024-25 सत्र के भुवनेश्वर चरण के दौरान नीदरलैंड्स के खिलाफ किए गए अपने मैदानी गोल के लिए पोलिग्रास मैजिक स्किल पुरस्कार जीता है। एफआईएच हाकी प्रो लीग के 2024-25 सत्र के लिए पोलिग्रास मैजिक स्किल अवार्ड के विजेता का फैसला विश्व भर के हॉकी खेल प्रेमियों के मतदान के आधार पर किया गया।

दीपिका ने यह गोल फरवरी 2025 में प्रो लीग के भुवनेश्वर चरण के दौरान किया था। कलिंग स्टेडियम में खेला गया यह मैच निर्धारित समय में 2-2 से बराबर रहा था जिसके बाद भारत ने शूटआउट में नीदरलैंड्स को हराया। भारतीय टीम जब दो गोल से पीछे चल रही थी तब दीपिका ने 35वें मिनट में यह अविश्वसनीय गोल किया।

पृष्ठभूमि:
हरियाणा के हिसार की रहने वाली दीपिका ने पहली बार 2018 सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में 16 गोल करके सभी का ध्यान आकर्षित किया था, जहां उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी’ का खिताब भी मिला। उन्होंने जूनियर राष्ट्रीय टीम में पदार्पण 2018 यूथ ओलंपिक क्वालिफायर से किया था और 2021 जूनियर महिला विश्व कपजूनियर एशिया कप में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया, जहाँ भारत ने स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 2021-22 FIH प्रो लीग में सीनियर टीम से अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की।

महत्त्व:
पोलिग्रास मैजिक स्किल अवार्ड एफआईएच द्वारा उस खिलाड़ी को प्रदान किया जाता है, जिसने सीजन के दौरान सबसे रचनात्मक और कौशलपूर्ण खेल का प्रदर्शन किया हो। यह पुरस्कार फैन्स के वोट के आधार पर तय होता है। दीपिका की यह जीत इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि यह पुरस्कार जीतने वाली वह पहली भारतीय (पुरुष या महिला) खिलाड़ी हैं, जो भारतीय महिला हॉकी के वैश्विक उभार का प्रतीक है।

निर्णायक क्षण:
यह गोल नीदरलैंड्स जैसी विश्व की नंबर 1 टीम के खिलाफ एक कठिन मुकाबले में आया था, जब भारत 0-2 से पीछे था। दीपिका ने कई डिफेंडरों को ड्रिबल करते हुए चकमा दिया, एक स्टिक के ऊपर से गेंद उठाई और शानदार एकल गोल दागा। भारत ने यह मुकाबला 2-2 से ड्रॉ किया और शूटआउट में जीत हासिल की, जिससे टीम की संघर्ष क्षमता और कौशल दोनों उजागर हुए।

वैश्विक मान्यता:
स्पेन की पेट्रीसिया अल्वारेज़ और ऑस्ट्रेलियाई टीम जैसी नामांकित प्रतिभाओं के बीच दीपिका को दुनियाभर के प्रशंसकों से सर्वाधिक वोट मिले। पुरुषों की श्रेणी में यह पुरस्कार बेल्जियम के विक्टर वेगनेज़ को मिला। दीपिका की यह ऐतिहासिक जीत न केवल उनके करियर को नई ऊंचाई देती है, बल्कि देश की युवा खिलाड़ियों, खासकर महिला हॉकी खिलाड़ियों को प्रेरणा का स्रोत भी बनती है।

IIM कोझिकोड ने शैक्षणिक नवाचार केंद्र ‘ज्ञानोदय’ का शुभारंभ किया

भारतीय प्रबंध संस्थान कोझिकोड (IIMK) ने प्रबंधन शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देने और ज्ञान के प्रसार को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक अग्रणी पहल की शुरुआत की है, जिसका नाम है “ज्ञानोदय – शिक्षण नवाचार और प्रकाशन केंद्र”। यह केंद्र शिक्षण के पारंपरिक ढांचे से आगे बढ़कर प्रबंधन शिक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की दिशा में कार्य कर रहा है।

पृष्ठभूमि:
ज्ञानोदय की स्थापना IIM कोझिकोड के “विजन 2047” के अंतर्गत की गई है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के उद्देश्यों के अनुरूप है। यह केंद्र समसामयिक, समावेशी और वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक शिक्षाशास्त्र (pedagogy) को बढ़ावा देने के लिए संस्थान की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

महत्त्व:
यह पहल केवल पारंपरिक प्रकाशन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य है कि ज्ञान कैसे निर्मित, साझा और सिखाया जाए, इसमें नवाचार लाया जाए। यह भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक शिक्षण पद्धतियों के साथ एकीकृत करने पर बल देता है। साथ ही, यह उत्कृष्ट शिक्षण, समावेशिता और स्थानीय ज्ञान की वैश्विक पहुँच को प्राथमिकता देता है।

उद्देश्य:
ज्ञानोदय के मुख्य उद्देश्य हैं:

  • समीक्षित (peer-reviewed) शैक्षणिक सामग्री का विकास और प्रकाशन

  • शिक्षण विधियों में सहयोगात्मक नवाचार को बढ़ावा देना

  • छात्रों, लेखकों और संस्थानों के लिए लाभकारी पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना

  • वैश्विक शैक्षणिक शोध और आदान-प्रदान के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करना

प्रमुख विशेषताएं:

  • 30 से अधिक मौलिक केस स्टडीज़, जिनमें विस्तृत शिक्षण टिप्पणियाँ (teaching notes) शामिल हैं

  • IIMK के शिक्षकों द्वारा पुस्तकें और शोध-नोट्स का प्रकाशन

  • तीन नवीन शिक्षण मॉडलों की शुरुआत

  • “पांडुलिपि” नामक घरेलू पांडुलिपि मंच के माध्यम से संचालन, जो कठोर समीक्षात्मक प्रक्रिया सुनिश्चित करता है

प्रभाव:
ज्ञानोदय ने पहले ही अकादमिक सामग्री की गुणवत्ता में सुधार, स्थानीय दृष्टिकोण को बढ़ावा देने और संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित कर एक सशक्त प्रभाव छोड़ना शुरू कर दिया है। यह पहल विशेष रूप से प्रबंधन शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण परिदृश्य को परिवर्तित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

बिहार में चुनाव से पहले 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली की घोषणा

आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एक अहम कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति माह 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाएगी। यह योजना 1 अगस्त 2025 से लागू होगी और इससे राज्य के लगभग 1.67 करोड़ परिवारों को लाभ मिलेगा। यह निर्णय कल्याणकारी नीति और अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों के सम्मिलन का प्रतीक है, जो “सभी के लिए ऊर्जा” के व्यापक विज़न के अंतर्गत लिया गया है।

पृष्ठभूमि:
पिछले दो दशकों में बिहार की विद्युत स्थिति में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। जब नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद संभाला था, तब राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता मात्र 700 मेगावाट थी। आज बिहार लगभग 8500 मेगावाट बिजली उत्पन्न कर रहा है और 100% घरों में बिजली पहुंच चुकी है। फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में खासकर गरीब परिवारों के लिए बिजली की लागत एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में दर ₹7.42/यूनिट और शहरी क्षेत्रों में ₹8.95/यूनिट है, जो 100 यूनिट से अधिक खपत पर लागू होती है (सरकारी सब्सिडी से अलग)।

महत्त्व:
125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की यह घोषणा दोहरे उद्देश्य को पूरा करती है। एक ओर यह गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को बढ़ती बिजली दरों से राहत देती है, वहीं दूसरी ओर यह एक रणनीतिक चुनावी कल्याण योजना के रूप में कार्य करती है, जिससे मतदाता समर्थन को प्रोत्साहन मिल सकता है। साथ ही यह बिहार की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और जलवायु के प्रति जिम्मेदारी की दिशा में प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है, जिसमें सौर ऊर्जा को विशेष महत्व दिया गया है।

उद्देश्य:
इस नीति के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • सभी के लिए किफायती और सुलभ बिजली सुनिश्चित करना

  • सौर ऊर्जा को बढ़ावा देकर अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहित करना

  • गरीब और वंचित परिवारों को आर्थिक राहत प्रदान करना

  • जलवायु लक्ष्यों के साथ तालमेल बैठाना और पारंपरिक ऊर्जा पर निर्भरता घटाना

  • जनसंतोष और शासन की पहुंच को मजबूत बनाना

प्रमुख विशेषताएं:

  • सभी घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति माह 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली (जुलाई बिलिंग चक्र से लागू)

  • कुल 1.67 करोड़ परिवारों को लाभ

  • अत्यंत गरीब परिवारों के लिए कुटीर ज्योति योजना के तहत सौर पैनल स्थापना हेतु सहायता

  • अन्य उपभोक्ताओं के लिए छत या सार्वजनिक स्थलों पर सौर ऊर्जा प्रणाली का समर्थन

  • अगले तीन वर्षों में 10,000 मेगावाट अतिरिक्त सौर ऊर्जा क्षमता जोड़ने का लक्ष्य

  • सबसे गरीबों के लिए सौर पैनल की पूरी लागत सरकार द्वारा वहन की जाएगी, अन्य के लिए आंशिक सब्सिडी

  • मौजूदा ₹15,000 करोड़ वार्षिक बिजली सब्सिडी बजट को और अधिक मजबूत किया जाएगा

यह घोषणा सामाजिक न्याय, पर्यावरणीय संतुलन और आर्थिक राहत की दिशा में एक महत्वपूर्ण नीति हस्तक्षेप के रूप में देखी जा रही है।

भारत ने AI Appreciation दिवस मनाया

भारत में 16 जुलाई को “AI प्रशंसा दिवस” (AI Appreciation Day) मनाया जा रहा है, ताकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, शासन और उद्योग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे गतिशील विकास का उत्सव मनाया जा सके। यह दिवस भारत की इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि तकनीकी प्रगति को समावेशी विकास, आर्थिक लचीलापन और सामाजिक परिवर्तन के लिए कैसे उपयोग किया जा रहा है।

पृष्ठभूमि:
भारत में AI की यात्रा 1960 के दशक में प्रारंभिक कंप्यूटर विज्ञान अनुसंधान से शुरू हुई। 1986 में शुरू की गई नॉलेज-बेस्ड कंप्यूटर सिस्टम्स (KBCS) परियोजना एक अहम मील का पत्थर थी। 1990 के दशक में सी-डैक जैसे संस्थानों ने सुपरकंप्यूटिंग और AI अनुप्रयोगों में अग्रणी भूमिका निभाई। 2000 के दशक की शुरुआत में TCS, Infosys और Wipro जैसे निजी आईटी कंपनियों ने AI अनुसंधान में बड़े स्तर पर निवेश शुरू किया। इसके बाद डिजिटल इंडिया मिशन (2015) और नीति आयोग की राष्ट्रीय AI रणनीति (2018) जैसे नीतिगत प्रयासों ने देश में AI को व्यापक रूप से अपनाने का मार्ग प्रशस्त किया।

महत्त्व:
AI प्रशंसा दिवस यह याद दिलाता है कि किस प्रकार AI भारत के सामाजिक‑आर्थिक ताने‑बाने में गहराई से समाहित हो चुका है। चाहे वह दूर-दराज के क्लीनिकों में रोगों की पहचान हो, छात्रों के लिए व्यक्तिगत शिक्षा सामग्री तैयार करना हो, या किसानों की उपज बढ़ाने व सरकारी सेवाओं को अधिक कुशल बनाने की बात हो—AI देश में परिवर्तन की धुरी बन चुका है। भारत की विविध चुनौतियाँ और विशाल डेटा सेट इसे वैश्विक स्तर पर लागू होने वाले AI समाधानों के लिए एक अनूठा प्रयोग स्थल बनाते हैं।

उद्देश्य:
भारत की AI पहलों का मुख्य उद्देश्य तकनीक के माध्यम से समावेशी और न्यायसंगत विकास सुनिश्चित करना है। यह दृष्टिकोण सरकार की “AI फॉर ऑल” (AI for All) नीति में समाहित है, जिसका लक्ष्य है:

  • नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार

  • कौशल विकास और रोजगार सृजन

  • सार्वजनिक सेवाओं की दक्षता बढ़ाना

  • अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहन देना

  • नैतिक और जिम्मेदार AI उपयोग को सुनिश्चित करना

प्रमुख पहलें और विशेषताएं:
भारत ने AI के विकास और उसके लोकतंत्रीकरण के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं:

  • स्किल इंडिया AI पोर्टल: AI से जुड़े पाठ्यक्रम और प्रमाणपत्र प्रदान करता है।

  • राष्ट्रीय AI स्किलिंग कार्यक्रम और AI यूथ बूटकैम्प्स: युवाओं और कार्यरत पेशेवरों को लक्षित करते हैं।

  • व्यावसायिक केंद्रों में AI: पारंपरिक क्षेत्रों जैसे बुनकरी, धातुकला और हस्तशिल्प में तकनीकी सहायता देता है।

  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी: Google, Microsoft और IBM जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी कर अनुसंधान और तैनाती को बढ़ावा दिया गया है।

  • AI अनुसंधान हब और इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना: जो शिक्षाविदों और उद्योगों को जोड़ने का कार्य करते हैं।

यह दिवस न केवल तकनीकी उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि यह AI को सामाजिक भलाई के लिए प्रयोग करने के भारत के संकल्प का प्रतीक भी है।

Google भारतीय छात्रों को फ्री दे रहा Gemini AI Pro का सब्सक्रिप्शन

गूगल ने भारतीय छात्रों को एक शानदार मौका दिया है। अब 18 साल या उससे ज़्यादा उम्र के छात्रों को Google Gemini AI Pro प्लान का एक साल का सब्सक्रिप्शन मुफ्त मिलेगा। यह ऑफर खास तौर पर छात्रों को नई डिजिटल तकनीकों से जोड़ने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का अनुभव देने के लिए लाया गया है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को उन्नत AI टूल्स प्रदान करना है जिससे वे अपनी शैक्षणिक दक्षता, रचनात्मकता और शोध क्षमताओं को बेहतर बना सकें।

पृष्ठभूमि:
Gemini AI Pro, गूगल के अत्याधुनिक Gemini 2.5 Pro मॉडल पर आधारित है, जो फिलहाल कंपनी का सबसे उन्नत AI मॉडल है। स्मार्ट लर्निंग टूल्स की बढ़ती मांग को देखते हुए गूगल ने यह ऑफर डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहित करने और अकादमिक क्षेत्र में AI के जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया है।

महत्त्व:
यह पहल डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देती है, क्योंकि इससे छात्रों को बिना किसी लागत के प्रीमियम AI टूल्स का लाभ मिलेगा। यह परीक्षा की तैयारी, असाइनमेंट, इंटरव्यू और रचनात्मक परियोजनाओं में छात्रों की मदद करेगा और भारत जैसे विकासशील देशों के युवाओं के लिए तकनीकी अंतर को पाटने का कार्य करेगा।

उद्देश्य:
इस योजना का मुख्य उद्देश्य छात्रों को Deep Research, NotebookLM, Gemini for Workspace और Veo 3 जैसे AI-सक्षम टूल्स के माध्यम से शैक्षणिक उत्कृष्टता हासिल करने में मदद करना है। साथ ही यह व्यक्तिगत विकास और सीखने के लिए AI को अपनाने के प्रति प्रेरित करता है।

मुख्य विशेषताएं:

  • Gemini 2.5 Pro मॉडल की उन्नत क्षमताएं

  • गूगल सेवाओं में 2TB क्लाउड स्टोरेज

  • Gemini Live और Gmail, Docs, Sheets में Gemini एक्सेस

  • Deep Research से वैयक्तिक अध्ययन और प्रोजेक्ट सहायता

  • NotebookLM में 5 गुना अधिक लिमिट्स

  • वैध छात्र आईडी या संस्थागत ईमेल से वेरिफिकेशन पर एक साल तक बिल्कुल मुफ्त

प्रभाव:
यह ऑफर उच्च शिक्षा में छात्रों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने की उम्मीद है, क्योंकि इससे सभी के लिए AI टूल्स सुलभ होंगे। यह छात्रों को जिम्मेदार AI उपयोग की ओर प्रोत्साहित करेगा और उन्हें तकनीक-आधारित कार्यस्थलों के लिए तैयार करेगा।

कैसे लाभ उठाएं:
छात्रों को gemini.google/students पर जाकर अपने संस्थान की साखियों (credentials) का उपयोग करके पात्रता की पुष्टि करनी होगी। इसके लिए छात्र पहचान पत्र या फीस रसीद जैसे दस्तावेज़ अपलोड करने होंगे। वेरिफिकेशन प्रक्रिया आमतौर पर 30 मिनट में पूरी हो जाती है।

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