भारत और सिंगापुर ने नई दिल्ली में आयोजित तीसरे भारत–सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (ISMR) के दौरान अपने लंबे समय से चले आ रहे और निरंतर विकसित होते द्विपक्षीय संबंधों की पुनः पुष्टि की। इस बैठक में दोनों देशों के शीर्ष मंत्रियों ने भाग लिया और व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) के तहत स्थापित मजबूत आधारों को और सुदृढ़ करने के लिए प्रमुख सहयोग क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया। यह मंच दोनों देशों की क्षेत्रीय विकास, नवाचार और इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक तालमेल की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उच्च-स्तरीय भागीदारी और रणनीतिक दृष्टिकोण
- भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया, जिनके साथ विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, तथा रेल एवं सूचना-प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव शामिल थे।
- सिंगापुर की ओर से प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उप प्रधानमंत्री एवं वाणिज्य और उद्योग मंत्री गान किम योंग ने किया।
- अपने वक्तव्य में डॉ. जयशंकर ने भारत–सिंगापुर साझेदारी के अगले चरण को आगे बढ़ाने के लिए सरकार और उद्योग के बीच मजबूत तालमेल के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि भारत–सिंगापुर बिजनेस गोलमेज सम्मेलन (ISBR) के सदस्यों के साथ भी सार्थक चर्चा हुई, जिससे व्यापार और निवेश संवाद और मजबूत हुआ।
ISMR के अंतर्गत सहयोग के छह स्तंभ
इस मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन का केंद्रबिंदु सहयोग को गहरा करने के लिए पहचाने गए छह रणनीतिक स्तंभ रहे —
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डिजिटलीकरण – फिनटेक, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और साइबर सुरक्षा में संयुक्त प्रयास।
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कौशल विकास – संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों और प्रौद्योगिकी-आधारित शिक्षा के माध्यम से कार्यबल की तैयारी।
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सतत विकास – जलवायु लचीलापन, नवीकरणीय ऊर्जा और हरित वित्त में सहयोग।
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स्वास्थ्य और औषधि – दवा व्यापार और स्वास्थ्य नवाचार को सुदृढ़ करना।
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उन्नत विनिर्माण – उच्च-स्तरीय औद्योगिक क्षेत्रों में नवाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित करना।
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कनेक्टिविटी – दोनों देशों के बीच भौतिक, डिजिटल और जन-से-जन संपर्क को मजबूत करना।
ये स्तंभ दोनों देशों की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप हैं, खासतौर पर एक मजबूत इंडो-पैसिफिक ढांचे को बढ़ावा देने में।
रणनीतिक संदर्भ और व्यापक दृष्टि
यह गोलमेज बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सिंगापुर, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी, महासागर विज़न और इंडो-पैसिफिक रणनीति का एक प्रमुख साझेदार है। दोनों देशों के बीच पहले से ही व्यापार, निवेश, रक्षा, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में मजबूत संबंध हैं। सिंगापुर, भारत के सबसे बड़े विदेशी निवेशकों में से एक है और आसियान बाजारों का प्रवेश द्वार भी है।
भारत–सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन का यह अनूठा प्रारूप न केवल एक संवाद मंच है, बल्कि यह भविष्य के सहयोग के लिए रणनीतिक एजेंडा तय करने का माध्यम भी है। यह तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में सहयोग के नए रास्ते निर्धारित करने में सहायक सिद्ध हो रहा है।


