ट्विटर के पूर्व सीईओ पराग अग्रवाल ने लॉन्च किया नया स्टार्ट अप ‘पैरेलल वेब सिस्टम’

साल 2022 में Twitter को खरीदने के बाद एलन मस्क ने पराग अग्रवाल को सीईओ के पद से हटा दिया था और उन्हें कंपनी से जाना पड़ा था। पराग अग्रवाल, जो कभी ट्विटर के शीर्ष पद पर काम कर चुके हैं, हाल ही में पैरेलल वेब सिस्टम्स नामक एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप लॉन्च किया है। जो एआई एजेंट्स को इंसानों की तरफ से काम पूरा करने में मदद करने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य मशीनों को सीधे वेब से जानकारी एकत्रित करने, वैरिफाई करने और व्यवस्थित करने की अनुमति देना है। पराग अग्रवाल ने एलन मस्क द्वारा एक्स (पूर्व में ट्विटर) से अचानक बर्खास्त किए जाने के 3 साल से भी कम समय के बाद वापसी की है।

पैरेलल क्या है? एआई-प्रेरित वेब की नई दृष्टि

पराग अग्रवाल जो स्टार्टअप लेकर आ रहे हैं उसका नाम ‘Parallel Web Systems’ है। यह कंपनी ऐसे टूल्स और इंफ्रास्ट्रक्चर बनाती है जिससे AI एजेंट्स इंटरनेट पर रियल-टाइम में जानकारी ला सकें, उसे परख सकें और व्यवस्थित कर सकें। इस स्टार्टअप का मिशन विशेष रूप से एआई के लिए वेब इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है, जिससे मशीनें न केवल वेब को ब्राउज़ कर सकें, बल्कि जानकारी को इंसानों से कहीं अधिक कुशलता से ग्रहण, संसाधित और उस पर कार्रवाई भी कर सकें।

अग्रवाल का कहना है कि भविष्य में एआई एजेंट्स—स्वायत्त प्रोग्राम जो कार्य कर सकते हैं—वेब के प्राथमिक उपयोगकर्ता बन जाएंगे। वे बड़े पैमाने पर अनुसंधान, विश्लेषण और स्वचालन करेंगे, जो इंसानों की क्षमताओं से कहीं अधिक होगा।

प्रमुख तकनीकें और उत्पाद

पैरेलल की पेशकश का केंद्र इसके डीप रिसर्च API और लो-लेवल सर्च टूल्स हैं, जिन्हें विशेष रूप से एआई-नेटिव वेब इंटरैक्शन के लिए तैयार किया गया है। इन टूल्स की मदद से डेवलपर्स ऐसे सिस्टम बना सकते हैं जहाँ,

  • एआई एजेंट्स इंसानी घंटों का शोध मिनटों में पूरा कर सकें

  • वेब क्रॉलिंग, इंडेक्सिंग से लेकर सर्च रैंकिंग तक हर स्तर पर कस्टम इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध हो

  • वित्त, स्वास्थ्य, बीमा और बिक्री जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग हो

उदाहरण:

  • एआई सेल्स एजेंट्स संभावित ग्राहकों पर शोध करते हैं

  • कोडिंग एजेंट्स डाक्यूमेंटेशन से जानकारी निकालते और उसका सार बनाते हैं

  • वित्तीय टूल्स निवेश अवसरों के लिए SEC फाइलिंग का विश्लेषण करते हैं

  • बीमा प्रणाली वास्तविक समय वेब सत्यापन से क्लेम ऑटोमेट करती है

बेंचमार्क तोड़ने वाला प्रदर्शन

पैरेलल के एआई टूल्स केवल तेज ही नहीं हैं—वे बेहद सटीक भी हैं और GPT-5 जैसे प्रमुख मॉडलों को भी पीछे छोड़ रहे हैं।

  • BrowseComp बेंचमार्क (मल्टी-हॉप वेब नेविगेशन और तर्क):

    • पैरेलल: 58% सटीकता

    • GPT-5: 41%

    • मानव (2 घंटे की सीमा): 25%

  • DeepResearch बेंच (गहन और गुणवत्तापूर्ण लंबे शोध):

    • पैरेलल जीत दर: 82%

    • GPT-5 जीत दर: 66%

ये आँकड़े इस बात को रेखांकित करते हैं कि पैरेलल इंसानों की तरह वेब ब्राउज़िंग पर नहीं, बल्कि मशीनों की तरह वेब उपभोग, सत्यापन और बड़े पैमाने पर जानकारी उत्पादन पर केंद्रित है।

टीम और भविष्य की दृष्टि

आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्र और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी धारक पराग अग्रवाल, ट्विटर में लगभग एक दशक का अनुभव लेकर अपने पहले बड़े स्टार्टअप में उतरे हैं। खोसला वेंचर्स, इंडेक्स वेंचर्स और फर्स्ट राउंड कैपिटल जैसे शीर्ष सिलिकॉन वैली निवेशकों से 30 मिलियन डॉलर की फंडिंग के साथ, पैरेलल में ट्विटर, गूगल, स्ट्राइप, वेमो और एयरबीएनबी के पूर्व इंजीनियर भी शामिल हैं।

आगे की योजनाएँ:

  • ऐसे एआई एजेंट्स विकसित करना जो कई दिनों का शोध कुछ घंटों में कर सकें

  • इवेंट-ड्रिवेन सिस्टम बनाना जो वेब पर लगातार नज़र रखें

  • SQL जैसे क्वेरी टूल्स लाना, जिससे ऑनलाइन डेटा के साथ वास्तविक समय में बातचीत की जा सके

इन टूल्स की मदद से संगठन पूर्णतः स्वायत्त एआई वर्कफ़्लोज़ तैयार कर पाएँगे, जहाँ एजेंट्स न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ कार्य कर सकें, विश्लेषण करें और विभिन्न क्षेत्रों में दोहरावपूर्ण प्रक्रियाओं को अंजाम दें।

भारत का लक्ष्य 2035 तक स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक मानवयुक्त चंद्र मिशन स्थापित करना: डॉ. जितेंद्र सिंह

भारत वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में नए और महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय कर रहा है। लोकसभा में बोलते हुए केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सरकार की उस दृष्टि को दोहराया जिसके अंतर्गत वर्ष 2035 तक एक पूर्ण रूप से परिचालित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और वर्ष 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने की योजना है। इन अभियानों को “विकसित भारत 2047” की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियों के रूप में देखा जा रहा है।

भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाएँ: आईएसएस से चंद्रमा तक

डॉ. सिंह की घोषणा उस विशेष संसदीय सत्र के दौरान हुई, जो भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन सुभांशु शुक्ला के ऐतिहासिक मिशन के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुँचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने। इस उपलब्धि को राष्ट्रीय गौरव का क्षण और देश की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं का प्रतीक बताया गया।

मंत्री ने अगले बड़े लक्ष्य स्पष्ट किए:

  • भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (2035 तक): एक स्थायी, स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन जो भारत को दीर्घकालिक मानव अंतरिक्ष उड़ानों की श्रेणी में ले जाएगा।

  • मानवयुक्त चंद्र मिशन (2040 तक): एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर कदम रखेगा, जो भारत की अंतरिक्ष खोज यात्रा में ऐतिहासिक मील का पत्थर होगा।

दृष्टि की नींव: 11 वर्षों की अंतरिक्ष सुधार यात्रा

डॉ. सिंह ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत की अंतरिक्ष यात्रा में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में। उन्होंने कई नीतिगत सुधारों को इस महत्वाकांक्षी दिशा की आधारशिला बताया।

मुख्य विकास:

  • अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी: इससे नवाचार का एक नया इकोसिस्टम तैयार हुआ है और अनेक स्पेस-टेक स्टार्टअप सामने आए हैं।

  • अनुसंधान एवं विकास में वृद्धि: अत्याधुनिक शोध ने इसरो की क्षमताओं को और मजबूत किया और स्वदेशी तकनीकी उपलब्धियों को बढ़ावा दिया।

  • ऑपरेशन सिंदूर: इस ऑपरेशन में उपयोग की गई तकनीकें मोदी सरकार के कार्यकाल में विकसित की गईं, जिससे अंतरिक्ष तकनीक की वास्तविक जीवन उपयोगिता सिद्ध हुई।

सामाजिक-आर्थिक प्रभाव

मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान केवल रॉकेट और उपग्रह तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और जनकल्याण से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।

प्रमुख लाभ:

  • कृषि, आपदा प्रबंधन और शहरी नियोजन में उपग्रह डेटा का उपयोग

  • परिवहन और लॉजिस्टिक्स में नेविगेशन और संचार प्रणाली की भूमिका

  • आधारभूत ढाँचे के विकास और पर्यावरण निगरानी में रिमोट सेंसिंग की सहायता

इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि अंतरिक्ष तकनीक जीवन की गुणवत्ता सुधारने और आर्थिक विकास को गति देने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही है।

दुबई ने आव्रजन काउंटरों की जगह एआई-संचालित यात्री गलियारा शुरू किया

दुनिया के सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में मशहूर दुबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (DXB) ने हवाई यात्रा को भविष्य की दिशा देने वाला ऐतिहासिक कदम उठाया है। “ट्रैवल विदआउट बॉर्डर्स” पहल के तहत दुबई ने एआई-संचालित पैसेंजर कॉरिडोर लॉन्च किया है, जिसमें यात्रियों को अब इमिग्रेशन के लिए किसी भी तरह के दस्तावेज़ दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी। यात्री महज़ 14 सेकंड में इमिग्रेशन क्लियर कर सकेंगे।

एआई पैसेंजर कॉरिडोर क्या है?

यह एक दस्तावेज़-मुक्त ट्रैवल पथ है, जिसमें यात्री केवल निर्धारित कॉरिडोर से गुजरते हैं और उनका इमिग्रेशन अपने-आप हो जाता है।

  • चेहरे की पहचान (Facial Recognition) और पूर्व-पंजीकृत बायोमेट्रिक डाटा से सत्यापन

  • पासपोर्ट, बोर्डिंग पास या इमिग्रेशन अधिकारियों से बातचीत की ज़रूरत नहीं

  • 14 सेकंड में क्लियरेंस

  • एक बार में 10 यात्री तक की क्षमता

  • संदिग्ध मामलों को स्वचालित रूप से सुरक्षा अधिकारियों को भेजा जाएगा

यह प्रणाली फिलहाल टर्मिनल 3 के फर्स्ट और बिज़नेस क्लास लाउंज में शुरू की गई है। यह 2020 में लॉन्च हुए “स्मार्ट टनल” का अगला चरण है।

भविष्य की स्मार्ट यात्रा: दुबई का विज़न

दुबई की Unlimited Smart Travel Initiative का उद्देश्य आने वाले समय में पासपोर्ट कंट्रोल को पूरी तरह समाप्त करना है। जनरल डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अहमद अल मरी के अनुसार, यह पहल दुबई की “फ्रिक्शनलेस, इंटेलिजेंट और सिक्योर ट्रैवल” की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

इसके लक्ष्य हैं:

  • एआई-संचालित सार्वजनिक सेवाओं में वैश्विक नेतृत्व

  • विमानन और स्मार्ट सिटी टेक्नोलॉजी में नए मानक स्थापित करना

  • यात्रियों और निवेशकों को नवाचार के जरिए आकर्षित करना

वैश्विक महत्व और तुलना

दुबई हवाई अड्डा लगातार 11वें वर्ष दुनिया का सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बना है। इस नई तकनीक के साथ वह अन्य वैश्विक हब से आगे निकल गया है।

  • अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के हवाई अड्डे बायोमेट्रिक गेट्स का परीक्षण कर रहे हैं, लेकिन अभी भी पासपोर्ट और बोर्डिंग पास पर निर्भर हैं।

  • दुबई का मॉडल पूरी तरह दस्तावेज़-रहित है, जिससे यह सुरक्षा और दक्षता दोनों ही दृष्टिकोण से भविष्य के अंतरराष्ट्रीय यात्रा मानकों की दिशा तय करता है।

वरिष्ठ अभिनेता अच्युत पोतदार का 91 वर्ष की उम्र में निधन

हिंदी और मराठी सिनेमा के दिग्गज कलाकार अच्युत पोतदार का 18 अगस्त 2025 को ठाणे के जुपिटर अस्पताल में 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। फिल्म 3 इडियट्स में उनका प्रसिद्ध संवाद “कहना क्या चाहते हो?” आज भी दर्शकों की स्मृतियों में ताज़ा है। चार दशकों से अधिक लंबे करियर और 125 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय से उन्होंने भारतीय सिनेमा पर गहरी छाप छोड़ी।

अच्युत पोतदार का जीवन और करियर

पोतदार सिर्फ अभिनेता ही नहीं, बल्कि हर किरदार को गहराई और सच्चाई से निभाने वाले एक अनुभवी कलाकार थे। गंभीर नाटकों से लेकर बड़े व्यावसायिक फिल्मों तक, उनकी यात्रा उनके समर्पण और बहुमुखी प्रतिभा की गवाही देती है।

प्रारंभिक जीवन

  • जन्म: जबलपुर, मध्य प्रदेश

  • शिक्षा: अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर

  • पेशा: फिल्मों में आने से पहले प्रोफेसर और फिर इंडियन ऑयल में कार्यरत

  • अभिनय यात्रा: मराठी रंगमंच से शुरुआत और 1970 के दशक के अंत में हिंदी सिनेमा में प्रवेश

फिल्मोग्राफी की झलक

अच्युत पोतदार ने अक्सर पिता समान या अधिकारपूर्ण किरदार निभाए, लेकिन उनकी अदायगी कभी सीमित नहीं रही।
उनकी प्रमुख फ़िल्में:

  • आक्रोश (1980)

  • अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है (1980)

  • अर्ध सत्य (1983)

  • तेज़ाब (1988)

  • परिंदा (1989)

  • दिलवाले (1994)

  • रंगीला (1995)

  • हम साथ साथ हैं (1999)

  • लगे रहो मुन्ना भाई (2006)

  • दबंग 2 (2012)

  • वेंटिलेटर (2016, मराठी)

विरासत

पोतदार के निधन की पुष्टि एक निजी चैनल के इंस्टाग्राम पोस्ट से हुई। हालाँकि, मृत्यु का कारण सामने नहीं आया है, लेकिन वे स्वास्थ्य समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती थे। भारतीय सिनेमा में उनका योगदान और दर्शकों पर छोड़ी अमिट छाप उन्हें हमेशा यादगार बनाए रखेगी।

मनिका विश्वकर्मा ने जीता मिस यूनिवर्स इंडिया 2025 का खिताब

भारत ने अपनी नई ग्लोबल ब्यूटी एम्बेसडर चुन ली है। राजस्थान के गंगानगर की मॉडल मनिका विश्वकर्मा को जयपुर में आयोजित एक भव्य समारोह में मिस यूनिवर्स इंडिया 2025 का ताज पहनाया गया। इस जीत के साथ ही मनिका अब इस वर्ष थाईलैंड में होने वाली 74वीं मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।

मनिका विश्वकर्मा की यात्रा

मनिका का सफर कई युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। गंगानगर से ताल्लुक रखने वाली मणिका दिल्ली आईं, जहाँ उन्होंने मॉडलिंग और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं की तैयारी शुरू की।

  • मिस यूनिवर्स राजस्थान 2024 का खिताब जीतकर उन्होंने राष्ट्रीय मंच तक का रास्ता बनाया।

  • 50 प्रतियोगियों के बीच प्रतिस्पर्धा कर मिस यूनिवर्स इंडिया का ताज हासिल किया।

  • अपने मार्गदर्शकों और समर्थकों के प्रति आभार जताते हुए कहा कि यह मंच केवल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि “एक ऐसी दुनिया है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारती है।”

भारत और मिस यूनिवर्स की विरासत

भारत का मिस यूनिवर्स मंच पर गौरवशाली इतिहास रहा है। यहाँ से निकली कई विजेता आगे चलकर वैश्विक आइकन बनीं।

  • सुष्मिता सेन (1994) – मिस यूनिवर्स जीतने वाली पहली भारतीय।

  • लारा दत्ता (2000) – दूसरी भारतीय विजेता।

  • हर्नाज़ संधू (2021) – दो दशकों बाद भारत के लिए तीसरा ताज।

मनिका विश्वकर्मा की जीत के साथ ही भारत को एक बार फिर उम्मीद है कि वह अपने ग्लोबल ब्यूटी क्राउन की सूची में एक और चमकता हुआ नाम जोड़ सकेगा।

सांस्कृतिक संबंधों का जश्न मनाने के लिए श्रीलंका में छह दिवसीय भारतीय सिनेमा महोत्सव शुरू

श्रीलंका में आज भारतीय सिनेमा का भव्य उत्सव शुरू हुआ, जहाँ त्रिंकोमाली स्थित ईस्टर्न यूनिवर्सिटी परिसर में छह दिवसीय भारतीय फ़िल्म महोत्सव का उद्घाटन किया गया। यह आयोजन लोगों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव को गहराने और भारत–श्रीलंका संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।

महोत्सव का अवलोकन और उद्देश्य

भारतीय फ़िल्म महोत्सव, जिसे दोनों देशों के सांस्कृतिक संस्थानों द्वारा संजोया और समर्थित किया गया है, भारतीय सिनेमा की भाषाई, क्षेत्रीय और विषयगत विविधता को उजागर करने पर केंद्रित है। इसका औपचारिक उद्घाटन श्रीलंका के पूर्वी प्रांत के गवर्नर प्रो. जयन्था लाल रत्नसेकेरा ने किया।

स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र (SVCC) के निदेशक प्रो. अंकुरण दत्ता ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारतीय सिनेमा मात्र 111 वर्ष पुराना है, लेकिन यह आज दुनिया के सबसे प्रभावशाली और बहुप्रसारित फिल्म उद्योगों में गिना जाता है। इसकी वैश्विक अपील और सांस्कृतिक प्रासंगिकता सीमाओं से परे जाकर लोगों को जोड़ती है।

सांस्कृतिक पुल के रूप में सिनेमा

यह महोत्सव सिर्फ़ फ़िल्मों का उत्सव नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक सांस्कृतिक कूटनीति का हिस्सा भी है। फ़िल्म की दृश्य शक्ति और भावनात्मक प्रभाव देशों के बीच संवाद और समझ को बढ़ाने का प्रभावी माध्यम है—विशेषकर भारत और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों के लिए, जिनका साझा सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक रिश्ता है।

कूटनीति में सिनेमा की भूमिका

  • एक-दूसरे की संस्कृति, मूल्यों और सामाजिक जीवन को समझने का अवसर

  • सॉफ्ट पावर और क्षेत्रीय सद्भावना को मजबूत करना

  • युवाओं की भागीदारी और शैक्षणिक सहयोग को प्रोत्साहित करना

  • कलात्मक परंपराओं के प्रति आपसी सराहना बढ़ाना

विविधता का प्रदर्शन: भारतीय फ़िल्में परदे पर

महोत्सव में भारत की अलग-अलग भाषाओं और क्षेत्रों की छह फ़िल्में दिखाई जा रही हैं। ये फ़िल्में भारतीय सिनेमा की विविधता को दर्शाने के साथ-साथ मनोरंजन और शिक्षा दोनों प्रदान करती हैं।

हर स्क्रीनिंग संवाद और चिंतन को आमंत्रित करती है, विशेष रूप से श्रीलंकाई दर्शकों के लिए, जो भारतीय संस्कृति से परिचित तो हैं लेकिन मुख्यधारा से हटकर गहरी और कम जानी-पहचानी कहानियों को देखने के इच्छुक हैं।

सांस्कृतिक संस्थानों की भूमिका

स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र (SVCC) जैसे संस्थान सीमा-पार सांस्कृतिक समझ को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। श्रीलंका में भारत के सांस्कृतिक दूत के रूप में SVCC ने साहित्य, नृत्य, संगीत, भाषा शिक्षण, साझा प्रदर्शनियों और महोत्सवों जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

यह फ़िल्म महोत्सव उसी मिशन का एक और कदम है, जो सिनेमा के माध्यम से संवाद को प्रेरित करने और दोनों पड़ोसी देशों के बीच मित्रता को गहराने का कार्य कर रहा है।

चीन में शुरू हुआ ‘रोबोटों का ओलंपिक’, 16 देशों की 280 टीमें ले रहीं हिस्सा

बीजिंग में आयोजित वर्ल्ड ह्यूमनॉइड रोबोट गेम्स ने भविष्य की रोबोटिक्स की झलक पेश की, जहाँ 16 देशों के 500 से अधिक ह्यूमनॉइड रोबोट्स ने हिस्सा लिया। चार दिन तक चले इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन ने खेल, नृत्य और वास्तविक कार्यों में रोबोट्स की क्षमता को परखते हुए तकनीकी कौशल, शक्ति और सीमाओं का मिश्रण प्रस्तुत किया।

बुद्धिमान मशीनों का अखाड़ा

ह्यूमनॉइड रोबोट, जिन्हें मानव जैसी संरचना और गति के लिए डिज़ाइन किया गया है, 26 अलग-अलग प्रतिस्पर्धी इवेंट्स में आमने-सामने आए। इन इवेंट्स में पारंपरिक खेल प्रारूपों के साथ-साथ भविष्यवादी रोबोटिक कौशल और समस्या-समाधान की क्षमता का भी प्रदर्शन हुआ।

मुख्य प्रतियोगिताएं

  • 100 मीटर दौड़ – सबसे तेज़ रोबोट ने 21.5 सेकंड में दौड़ पूरी की।

  • फुटबॉल – पूरी तरह स्वायत्त रोबोट्स ने समन्वित खेल की कोशिश की।

  • किकबॉक्सिंग – संतुलन और झटके के बाद रिकवरी की क्षमता दिखाई।

  • नृत्य और रिले रेस – टीमवर्क, समन्वय और गतिशीलता की परीक्षा।

इन इवेंट्स का उद्देश्य रोबोट्स के सेंसर, AI निर्णय क्षमता, मोटर कंट्रोल और अनुकूलनशीलता की सीमाओं को परखना था।

मुख्य आकर्षण और चुनौतियाँ

प्रतियोगिता में फुर्ती और गति के शानदार प्रदर्शन देखने को मिले, लेकिन कई मौकों पर रोबोट्स की मौजूदा तकनीकी सीमाएँ भी उजागर हुईं।

उल्लेखनीय क्षण

  • 100 मीटर दौड़ में 21.5 सेकंड का समय—मानव जैसी गति प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण पड़ाव।

  • किकबॉक्सिंग में कुछ रोबोट्स ने टकराव के बाद खुद को संतुलित कर लिया—वास्तविक अनुप्रयोगों के लिए अहम क्षमता।

  • फुटबॉल मैचों में कई रोबोट्स गिर पड़े या टकरा गए, जिससे पता चला कि पूरी तरह स्वायत्त नेविगेशन में अभी बड़ी चुनौतियाँ हैं।

  • 400 मीटर रिले दौड़ में एक रोबोट के गिरते ही बाकी का संतुलन भी बिगड़ गया, जिससे प्रोग्रामिंग और वास्तविक समय सेंसरिंग की सीमाएँ स्पष्ट हुईं।

विशेषज्ञों ने माना कि इंसानों के विपरीत रोबोट्स में व्यक्तिगत रिकवरी मैकेनिज़्म नहीं है, जिसके कारण एक की गलती कई के लिए विफलता बन जाती है।

वैश्विक भागीदारी और नवाचार प्रवृत्तियाँ

जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और जर्मनी जैसे अग्रणी देशों सहित 16 देशों के रोबोट्स ने इसमें हिस्सा लिया। हर टीम ने अपनी अनूठी तकनीकी दृष्टि और डिज़ाइन के साथ योगदान दिया, जिसमें शामिल थे—

  • गतिशीलता (Locomotion) इंजीनियरिंग

  • AI ट्रेनिंग मॉडल

  • सेंसर कैलिब्रेशन

  • स्वायत्त निर्णय लेने की तकनीक

यह आयोजन रोबोटिक्स जगत के लिए एक साझा मंच बना, जहाँ विचारों का आदान-प्रदान हुआ, नए प्रोटोटाइप परखे गए और वैश्विक स्तर पर प्रगति का मूल्यांकन किया गया।

जुलाई 2025 में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) महंगाई लगातार दूसरे महीने नकारात्मक दायरे में

भारत का थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर जुलाई 2025 में लगातार दूसरे महीने नकारात्मक रही, जो सालाना आधार पर –0.58% दर्ज की गई। यह थोक स्तर पर जारी डिफ्लेशन दर्शाता है कि खाद्य, ऊर्जा और धातु जैसे प्रमुख क्षेत्रों में इनपुट कीमतों में ठंडक का रुझान जारी है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, खाद्य पदार्थों, खनिज तेलों, कच्चे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और बेसिक मेटल उत्पादों की कीमतों में गिरावट मुख्य कारण रही।

जुलाई 2025 में थोक डिफ्लेशन के प्रमुख कारण

1. खाद्य वस्तुओं में तेज गिरावट

  • WPI खाद्य सूचकांक –2.15% पर रहा।

  • सब्जियां, अनाज, खाद्य तेल, दालें और नाशवंत वस्तुएं (जैसे प्याज और टमाटर) सस्ती हुईं।

  • यह प्रवृत्ति खुदरा महंगाई (CPI) में भी दिखी, जहां अधिशेष आपूर्ति और मौसमी सुधारों से कीमतें घटीं।

2. प्राथमिक वस्तुएं (Primary Articles) और गिरीं

  • प्राथमिक वस्तुओं में डिफ्लेशन –4.95% तक गहरा गया।

  • कृषि उत्पादन, खनिज और वन उत्पादों की कीमतों में कमी इसका कारण रही।

3. ईंधन और ऊर्जा क्षेत्र में डिफ्लेशन

  • अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के दाम स्थिर रहने और घरेलू मांग मध्यम रहने से ईंधन एवं ऊर्जा सूचकांक –2.43% पर रहा।

विनिर्मित वस्तुओं (Manufactured Goods) में हल्की महंगाई

  • विनिर्मित उत्पादों में महंगाई 2.05% रही।

  • कुछ क्षेत्रों में इनपुट लागत सुधार और औद्योगिक मूल्य निर्धारण क्षमता बढ़ने का संकेत।

  • उपभोक्ता टिकाऊ सामान और पूंजीगत वस्तुओं की स्थिर मांग ने सहारा दिया।

  • यह दर्शाता है कि थोक स्तर पर डिफ्लेशन व्यापक नहीं है, बल्कि मुख्यतः प्राथमिक और ऊर्जा से जुड़ी वस्तुओं तक सीमित है।

WPI बनाम CPI

  • WPI: थोक स्तर पर वस्तुओं की औसत कीमत में बदलाव को मापता है।

  • CPI: खुदरा स्तर पर उपभोक्ताओं द्वारा चुकाई जाने वाली कीमतों को दर्शाता है।

  • WPI (जुलाई 2025): –0.58%

  • CPI (जुलाई 2025): 1.55% (पिछले 8 वर्षों में सबसे कम)

दोनों सूचकांकों में गिरावट व्यापक मूल्य नरमी की ओर इशारा करती है, जो भविष्य में मौद्रिक नीतियों को प्रभावित कर सकती है।

आर्थिक असर

सकारात्मक पहलू

  • उद्योगों के लिए इनपुट लागत का बोझ कम

  • उपभोक्ताओं के लिए वस्तुएं सस्ती

  • RBI को ब्याज दरों को सहूलियतपूर्ण बनाए रखने की गुंजाइश

चुनौतियां

  • उत्पादकों के मुनाफे पर दबाव

  • कुछ क्षेत्रों में मांग की कमजोरी का संकेत

  • खाद्य वस्तुओं में लगातार डिफ्लेशन से ग्रामीण आय प्रभावित हो सकती है

SBI ने अग्निवीरों के लिए बिना किसी गारंटी के 4 लाख रुपये का ऋण शुरू किया

भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अग्निवीरों के लिए एक विशेष पर्सनल लोन योजना शुरू की है और साथ ही ऑनलाइन IMPS ट्रांज़ैक्शन शुल्क संरचना में भी बदलाव किया है। ये कदम रक्षा कर्मियों और डिजिटल बैंकिंग उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।

1. अग्निवीरों के लिए नया कोलैटरल-फ्री पर्सनल लोन

सारांश
SBI ने अपने सैलरी अकाउंट रखने वाले अग्निवीरों के लिए एक विशेष पर्सनल लोन योजना शुरू की है, जिसके तहत उन्हें ₹4 लाख तक का लोन बिना किसी गिरवी (कोलैटरल) और बिना प्रोसेसिंग फीस के मिलेगा।

ब्याज दर और अवधि

  • फ्लैट ब्याज दर: 10.50% (अब तक रक्षा कर्मियों के लिए सबसे कम)

  • वैधता: 30 सितम्बर 2025 तक

  • पुनर्भुगतान अवधि: अग्निपथ योजना की सेवा अवधि के अनुरूप, जिससे अग्निवीरों को नागरिक जीवन में लौटने पर आसानी होगी।

पृष्ठभूमि
यह पहल SBI के लंबे समय से चल रहे डिफेन्स सैलरी पैकेज को पूरक बनाती है, जिसमें शामिल हैं:

  • जीरो-बैलेंस अकाउंट

  • मुफ्त डेबिट कार्ड

  • असीमित ATM निकासी

  • व्यक्तिगत दुर्घटना और वायु दुर्घटना बीमा की पर्याप्त कवरेज

2. ₹25,000 से अधिक के ऑनलाइन IMPS ट्रांसफ़र पर नए शुल्क

नीति बदलाव
15 अगस्त 2025 से SBI ने ₹25,000 से अधिक के ऑनलाइन IMPS ट्रांसफ़र पर मामूली शुल्क लगाने की घोषणा की है। छोटे ट्रांज़ैक्शन (₹25,000 तक) पहले की तरह फ्री रहेंगे।

शुल्क संरचना

  • ₹25,000 तक – कोई शुल्क नहीं

  • ₹25,001 से ₹1 लाख तक – ₹2 + GST

  • ₹1 लाख से ₹2 लाख तक – ₹6 + GST

  • ₹2 लाख से ₹5 लाख तक – ₹10 + GST

छूट (Exemptions)
इन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा,

  • SBI शाखाओं के माध्यम से किए गए IMPS ट्रांसफ़र

  • सैलरी पैकेज अकाउंट होल्डर (जिसमें रक्षा पैकेज अकाउंट शामिल हैं)

  • विशेष करेंट अकाउंट होल्डर (Gold, Diamond, Platinum, Rhodium), सरकारी विभाग, स्वायत्त और वैधानिक संस्थाएँ

लागू होने की तारीख़

  • रिटेल ग्राहकों के लिए – 15 अगस्त 2025 से

  • कॉर्पोरेट ग्राहकों के लिए – 8 सितम्बर 2025 से

शहरी एक्सटेंशन रोड-II: एनसीआर की जाम-मुक्ति और कनेक्टिविटी बढ़ाने वाली दिल्ली की नई जीवनरेखा

दिल्ली की वर्षों पुरानी ट्रैफिक जाम की समस्या को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि अर्बन एक्सटेंशन रोड-II (UER-II) का उद्घाटन हो चुका है। दिल्ली की तीसरी रिंग रोड (NH-344M) का यह अहम हिस्सा राजधानी और एनसीआर के परिवहन ढांचे को बदलने जा रहा है। यह परियोजना तेज़ मार्ग, बेहतर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और यात्रा समय में बड़ी कटौती सुनिश्चित करेगी—विशेषकर इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) हवाई अड्डे तक पहुँचने में।

UER-II का रणनीतिक महत्व

क्षेत्रीय एकीकरण
UER-II तीन अहम राजमार्गों—NH-44, NH-09 और द्वारका एक्सप्रेसवे—को जोड़ता है, जिससे हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड से दिल्ली आने वाले वाहनों के लिए एक सहज गलियारा बनेगा।

एयरपोर्ट पहुँच
चंडीगढ़ जैसे शहरों से आने वाले यात्री अब IGI हवाई अड्डे तक तेज़ी से पहुँच सकेंगे, क्योंकि उन्हें दिल्ली के भीतरी जाम वाले मार्गों से नहीं गुजरना पड़ेगा।

अंतर्राज्यीय व्यापार और लॉजिस्टिक्स
बवाना और दिचाऊं कलां जैसे औद्योगिक हब तक सीधा जुड़ाव माल परिवहन को आसान बनाएगा और एनसीआर की आर्थिक दक्षता को बढ़ाएगा।

UER-II परियोजना की प्रमुख विशेषताएँ

परियोजना के पैकेज

  • पैकेज 1

    • लंबाई: 15.7 किमी

    • मार्ग: NH-44 से कराला-कांझावला रोड

    • प्रकार: छह-लेन एक्सेस-नियंत्रित हाईवे

  • पैकेज 2

    • लंबाई: 13.45 किमी

    • मार्ग: कराला-कांझावला रोड से नजफगढ़-नांगलोई रोड

    • प्रकार: छह-लेन कॉरिडोर

  • पैकेज 4

    • लंबाई: 29.6 किमी

    • मार्ग: UER-II से सोनीपत बाईपास (NH-344P) तक

    • कनेक्टिविटी: बवाना औद्योगिक क्षेत्र और NH-352A को जोड़ता है, जिससे NH-44 का जाम बाईपास होता है।

  • पैकेज 5

    • लंबाई: 7.3 किमी

    • मार्ग: UER-II से बहादुरगढ़ बाईपास (NH-344N) तक

    • कनेक्टिविटी: दिचाऊं कलां को NH-09 और KMP एक्सप्रेसवे से जोड़ता है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर इंटीग्रेशन

  • इंटरचेंज:

    • NH-44 (अलीपुर)

    • NH-09 (मुंडका)

    • बहादुरगढ़ स्पर

  • रेल ओवरब्रिज: दिल्ली-बठिंडा रेल लाइन पर

  • सीधे मार्ग: बहादुरगढ़, सोनीपत और IGI हवाई अड्डे तक

डिकंजेशन लक्ष्य

  • इनर और आउटर रिंग रोड

  • मुकरबा चौक

  • धौला कुआं

  • NH-09 के जाम बिंदु

पर्यावरण और सतत विकास पर असर

  • रीसायकल सामग्री का उपयोग: भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल से 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक अपशिष्ट सामग्री का उपयोग किया गया, जिससे पर्यावरणीय भार कम हुआ।

  • ग्रीन इनिशिएटिव्स: 10,000 से अधिक पेड़ों को काटने की बजाय स्थानांतरित किया गया, जिससे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील विकास का उदाहरण पेश हुआ।

  • सामाजिक-आर्थिक लाभ: बेहतर कनेक्टिविटी से दिल्ली के बाहरी और पिछड़े क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा मिलेगा, रोज़गार के अवसर बनेंगे, रियल एस्टेट का मूल्य बढ़ेगा और औद्योगिक विकास को सहारा मिलेगा।

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