अगस्त में भारत का जीएसटी संग्रह बढ़कर ₹1.86 ट्रिलियन हो गया

भारत ने अगस्त 2025 में ₹1.86 लाख करोड़ का जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) संग्रह दर्ज किया, जो वर्ष-दर-वर्ष 6.5% वृद्धि दर्शाता है। मौसमी चुनौतियों और वैश्विक व्यापारिक दबावों के बावजूद यह आंकड़ा आर्थिक मजबूती को दिखाता है। हालाँकि, रिफंड (वापसी) में 20% की गिरावट और धीमी वृद्धि दर ने जीएसटी ढांचे को सरल बनाने की मांग को तेज कर दिया है। इस विषय पर जीएसटी परिषद की एक अहम बैठक जल्द आयोजित की जाएगी।

अगस्त जीएसटी राजस्व का विवरण

कुल ₹1.86 लाख करोड़ के जीएसटी संग्रह में शामिल हैं:

  • केंद्रीय जीएसटी (CGST): ₹31,474 करोड़

  • राज्य जीएसटी (SGST): ₹39,736 करोड़

  • एकीकृत जीएसटी (IGST): ₹83,964 करोड़

  • मुआवजा उपकर (Compensation Cess): ₹11,792 करोड़

रिफंड की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, जिसकी राशि ₹19,359 करोड़ रही (पिछले वर्ष से 20% कम), शुद्ध राजस्व ₹1.67 लाख करोड़ रहा। यह अगस्त 2024 की तुलना में 10.7% वृद्धि दर्शाता है।

मजबूती और चुनौतियों के संकेत

आर्थिक लचीलापन बरकरार

  • चालू वित्त वर्ष (FY25) में अब तक औसत मासिक जीएसटी संग्रह ₹2 लाख करोड़ रहा है।

  • हालाँकि अगस्त की वृद्धि दर इस वर्ष की दूसरी सबसे धीमी रही, लेकिन यह आंकड़ा दर्शाता है कि घरेलू खपत कमजोर मानसून सीजन की मांग के बीच भी स्थिर बनी हुई है।

निर्यात पर दबाव

  • रिफंड में तेज गिरावट, खासकर निर्यात-संबंधी रिफंड, यह दर्शाती है कि वैश्विक व्यापारिक माहौल चुनौतीपूर्ण है।

  • विशेषज्ञ इसका कारण भूराजनैतिक तनाव और अमेरिकी टैरिफ बताते हैं, जिससे निर्यात पर असर पड़ा और रिफंड योग्यता प्रभावित हुई।

जीएसटी सुधार की तात्कालिकता

भारत की मौजूदा जीएसटी संरचना में कई कर स्लैब शामिल हैं, जिन्हें व्यवसायों के लिए जटिल और अनुपालन के लिहाज से कठिन माना जाता है। सुधार के लिए परिषद जिन प्रस्तावों पर विचार कर रही है, उनमें शामिल हैं:

  • कर दरों का विलय कर कम और व्यापक स्लैब बनाना

  • छोटे व्यवसायों के लिए अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना

  • उपभोक्ताओं को लक्षित कर राहत प्रदान करना

विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि सुधार में देरी हुई तो व्यवसाय और उपभोक्ता दोनों ही सावधानीपूर्ण रुख अपना सकते हैं, जिससे भविष्य की वसूली प्रभावित हो सकती है।

राज्यों और केंद्र के बीच अलग प्राथमिकताएँ

  • केंद्र सरकार का मानना है कि सुधार से दीर्घकालिक लाभ होंगे।

  • वहीं, कई राज्य चाहते हैं कि दर कटौती को मुआवजा गारंटी से जोड़ा जाए, ताकि उनकी राजस्व स्थिति पर असर न पड़े।

  • यह स्थिति बताती है कि राजस्व आवश्यकताओं और आर्थिक प्रोत्साहन के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने 25वें एससीओ शिखर सम्मेलन 2025 तियानजिन में भाग लिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अगस्त से 1 सितम्बर 2025 तक चीन के तिआनजिन में आयोजित 25वें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन में सदस्य देशों के नेताओं ने सुरक्षा, वैश्विक शासन, आर्थिक सहयोग और सतत विकास जैसे विषयों पर व्यापक चर्चा की।

प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की मुख्य बातें

1. भारत की SCO दृष्टि के तीन स्तंभ: सुरक्षा, संपर्क, अवसर

प्रधानमंत्री ने भारत के SCO दृष्टिकोण को तीन प्रमुख स्तंभों के आधार पर प्रस्तुत किया:

  • सुरक्षा – आतंकवाद, आतंकी वित्तपोषण और कट्टरपंथ से मुकाबला

  • संपर्क (कनेक्टिविटी) – क्षेत्रीय बुनियादी ढाँचा और परिवहन गलियारों को बढ़ावा

  • अवसर – नवाचार, युवा आदान-प्रदान और सांस्कृतिक संवाद को प्रोत्साहन

आतंकवाद पर भारत का सख्त रुख

प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद पर शून्य सहनशीलता की नीति दोहराते हुए:

  • आतंकी फंडिंग और कट्टरपंथी विचारधाराओं पर सख्त, सामूहिक कार्रवाई की अपील की।

  • आतंकवाद पर “दोहरा रवैया” अपनाने वाले देशों की आलोचना की।

  • सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों से जवाबदेही तय करने की मांग की।

  • पहलगाम आतंकी हमले के बाद एकजुटता दिखाने के लिए SCO देशों का आभार व्यक्त किया।

क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा

बुनियादी ढाँचे को विश्वास निर्माण का साधन बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने समर्थन दोहराया:

  • चाबहार पोर्ट पहल को मध्य एशिया के द्वार के रूप में

  • अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) को व्यापार एकीकरण के लिए

  • डिजिटल और भौतिक संपर्क को साझा विकास का आधार बनाने के लिए

ये परियोजनाएँ भारत की यूरो-एशिया नीति और क्षेत्रीय एकीकरण लक्ष्यों में अहम हैं।

नया प्रस्ताव: सभ्यतागत संवाद मंच

लोगों के बीच आपसी संबंध मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने SCO के तहत सभ्यतागत संवाद मंच बनाने का प्रस्ताव रखा, जो:

  • साझा धरोहर और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देगा।

  • इतिहास, भाषा और परंपराओं में आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करेगा।

  • युवाओं और शिक्षा में SCO के मौजूदा प्रयासों को पूरक बनाएगा।

यह भारत की सॉफ्ट पावर कूटनीति और संवाद के माध्यम से सद्भावना बढ़ाने की नीति से मेल खाता है।

SCO सुधार और वैश्विक शासन पर समर्थन

प्रधानमंत्री ने SCO के सुधार एजेंडा के लिए पूरा समर्थन जताया, जिसमें नए केंद्र शामिल होंगे:

  • संगठित अपराध से निपटने के लिए

  • मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए

  • साइबर सुरक्षा सुदृढ़ करने के लिए

साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (UN) सुधार की मांग दोहराई ताकि वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व हो सके।
भारत ने नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यवस्था का समर्थन किया, जो ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को दर्शाए।

राजनयिक परिणाम और तिआनजिन घोषणा

प्रधानमंत्री मोदी ने:

  • सम्मेलन की मेज़बानी के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का धन्यवाद किया।

  • SCO की अगली अध्यक्षता सँभालने पर किर्गिज़स्तान को बधाई दी।

  • तिआनजिन घोषणा का अनुमोदन किया, जिसमें दोहराया गया:

    • शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता

    • एआई, ऊर्जा और सतत विकास में गहरी साझेदारी

    • मानवता के साझा भविष्य को आकार देने में सामूहिक जिम्मेदारी

ऑस्कर पियास्त्री ने नाटकीय 2025 डच ग्रां प्री जीती

ज़ैंडवूर्ट में हुई 2025 डच ग्रां प्री सीज़न की सबसे रोमांचक रेसों में से एक रही। ऑस्कर पियास्त्री ने मैकलेरन के लिए शानदार जीत दर्ज की, लेकिन सुर्खियों में सिर्फ उनकी जीत ही नहीं बल्कि कई नाटकीय रिटायरमेंट, डेब्यू पोडियम और चैंपियनशिप समीकरण में बदलाव भी रहे। सबसे बड़ा झटका तब लगा जब लैंडो नॉरिस, जो दूसरे स्थान पर दौड़ रहे थे, रेस के अंतिम चरण में तकनीकी खराबी के कारण बाहर हो गए। इसने खिताबी मुकाबले की दिशा ही बदल दी।

शीर्ष स्थान और चौंकाने वाले नतीजे

  • ऑस्कर पियास्त्री (मैकलेरन) – प्रथम स्थान

  • मैक्स वेरस्टैपेन (रेड बुल) – द्वितीय स्थान

  • इसाक हदार (रेसिंग बुल्स) – तृतीय स्थान (पहला एफ1 पोडियम)

  • जॉर्ज रसेल (मर्सिडीज़) – चौथा स्थान

  • अलेक्ज़ेंडर अल्बोन (विलियम्स) – पाँचवाँ स्थान (P15 से शुरुआत कर शानदार प्रदर्शन)

  • ऑली बियरमैन (हास) – छठा स्थान (पिट लेन से शुरुआत और एक चतुर वन-स्टॉप रणनीति के साथ)

  • लांस स्ट्रोल (एस्टन मार्टिन) – सातवाँ स्थान

  • फर्नांडो अलोंसो (एस्टन मार्टिन) – आठवाँ स्थान

चैंपियनशिप पर प्रभाव

  • नॉरिस की रिटायरमेंट के बाद पियास्त्री की बढ़त अपने टीममेट पर 34 अंकों तक पहुँच गई। यह बढ़त खिताब की दौड़ में निर्णायक साबित हो सकती है, खासकर तब जब हाल के समय में मैकलेरन का दबदबा रहा है।

  • कंस्ट्रक्टर्स चैंपियनशिप में भी बड़ा उलटफेर हुआ। फेरारी के कोई अंक न ला पाने से मर्सिडीज़ अब केवल 12 अंकों से पीछे है और उपविजेता स्थान के लिए कड़ा मुकाबला जारी है।

विश्व नारियल दिवस 2025: महत्व, उपयोग और उत्सव

विश्व नारियल दिवस हर वर्ष 2 सितम्बर को मनाया जाता है। यह दिवस एशियन पैसिफिक कोकोनट कम्युनिटी (APCC) की स्थापना का स्मरण कराता है। नारियल उद्योग को बढ़ावा देने और सदस्य देशों के बीच समन्वय के उद्देश्य से स्थापित यह संगठन जकार्ता, इंडोनेशिया में मुख्यालय रखता है। आज विश्व के 80 से अधिक देशों में नारियल की खेती होती है। इस दिन के माध्यम से नारियल के पोषण, आर्थिक महत्व और सांस्कृतिक मूल्य के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नारियल उत्पादक देश है, वैश्विक नारियल उत्पादन और उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उत्पत्ति और वैश्विक महत्व

APCC की स्थापना का स्मरण
विश्व नारियल दिवस की शुरुआत 1969 में बने एशियन पैसिफिक कोकोनट कम्युनिटी (APCC) की स्थापना की याद में की गई। इसके सदस्य देशों में भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस और श्रीलंका जैसे प्रमुख नारियल उत्पादक शामिल हैं। ये देश अनुसंधान, विकास और व्यापारिक सहयोग के माध्यम से नारियल उद्योग को आगे बढ़ाते हैं।

वैश्विक उत्पादन परिदृश्य

  • इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा नारियल उत्पादक है।

  • भारत तीसरे स्थान पर है, जहाँ केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश नारियल उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं।

  • नारियल उष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है।

पोषण और आर्थिक महत्व

पोषण लाभ

  • लॉरिक अम्ल – जीवाणुरोधी गुणों वाला।

  • इलेक्ट्रोलाइट्स – नारियल पानी को प्राकृतिक ऊर्जा पेय बनाते हैं।

  • एंटीऑक्सीडेंट्स – रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।

आर्थिक योगदान
नारियल की खेती से विशेषकर भारत के तटीय और दक्षिणी राज्यों में लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है। नारियल से प्राप्त उत्पाद जैसे – नारियल तेल, जटा (coir), सक्रिय चारकोल आदि, पूरी तरह आर्थिक दृष्टि से उपयोगी हैं।

नारियल के विविध उपयोग

खाद्य और पेय पदार्थों में

  • नारियल तेल और दूध भारतीय, थाई और दक्षिण भारतीय व्यंजनों के प्रमुख अंग हैं।

  • नारियल पानी पोषण से भरपूर और ताज़गी देने वाला पेय है।

  • सूखा नारियल (desiccated coconut) बेकरी और मिठाई उद्योग में उपयोग होता है।

हस्तकला और निर्माण में

  • पत्तों से झाड़ू, टोकरियाँ और चटाइयाँ बनाई जाती हैं।

  • जटा (coir) से रस्सी, गद्दे और ब्रश बनाए जाते हैं।

  • नारियल के छिलके और खोल को पर्यावरण अनुकूल ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।

सौंदर्य और स्वास्थ्य उत्पादों में

  • नारियल तेल बाल और त्वचा की देखभाल में प्रयुक्त होता है।

  • इसके जीवाणुरोधी और फफूंदनाशी गुण इसे प्राकृतिक औषधि का हिस्सा बनाते हैं।

भारत में उत्सव

नारियल विकास बोर्ड (CDB) की भूमिका
भारत में नारियल विकास बोर्ड (कृषि मंत्रालय के अंतर्गत) विश्व नारियल दिवस पर राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम आयोजित करता है, जिनमें शामिल हैं –

  • नारियल खेती और उद्योग में उत्कृष्टता हेतु पुरस्कार

  • नारियल आधारित नवाचारों की प्रदर्शनी

  • किसानों और उद्यमियों के लिए कार्यशालाएँ व सेमिनार

2019 में राष्ट्रीय आयोजन असम में किया गया था, जिसे एक उभरते हुए नारियल उत्पादक राज्य के रूप में रेखांकित किया गया। यहाँ 33,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में नारियल की खेती होती है।

सेना ने अरुणाचल में युद्ध कौशल 3.0 बहु-क्षेत्रीय अभ्यास का आयोजन किया

भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश के कामेंग क्षेत्र में, जो पूर्वी हिमालय का ऊँचाई वाला और चरम जलवायु वाला इलाका है, बड़े पैमाने पर अभ्यास ‘युद्ध कौशल 3.0’ का आयोजन किया। इस सैन्य अभ्यास ने बहु-क्षेत्रीय (multi-domain) युद्ध तत्परता, उभरती तकनीकों के एकीकरण और स्वदेशी रक्षा उद्योगों के सहयोग को प्रदर्शित किया। यह पहल आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि के अनुरूप सैन्य आधुनिकीकरण की दिशा में भारत के प्रयासों को रेखांकित करती है।

‘युद्ध कौशल 3.0’ की मुख्य झलकियाँ

इस अभ्यास को गजराज कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) ले. जनरल गम्भीर सिंह ने देखा। फोकस रहा – संचालन में नवाचार और अनुकूलन क्षमता पर।

मुख्य विशेषताएँ:

  • ड्रोन निगरानी और वास्तविक समय (real-time) में लक्ष्य की पहचान

  • उन्नत हथियार प्रणालियों से सटीक प्रहार

  • वायु-लिटोरल प्रभुत्व और समन्वित युद्धक्षेत्र गतिशीलता

  • ASHNI प्लाटून का परिचालन पदार्पण, जिसमें नई पीढ़ी की तकनीक और पारंपरिक रणनीतियों का समावेश

  • भारतीय नागरिक रक्षा उद्योग की सक्रिय भागीदारी, जो रक्षा क्षेत्र में “परिवर्तन का दशक” (Decade of Transformation) का प्रतीक है

रक्षा प्रवक्ता ले. कर्नल महेन्द्र रावत के अनुसार, इस अभ्यास ने यह साबित किया कि सेना बहु-क्षेत्रीय वातावरण में दीर्घकालिक संचालन करने और भविष्य की युद्ध चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है।

तकनीक और आत्मनिर्भर भारत

‘युद्ध कौशल 3.0’ की विशेष पहचान स्वदेशी नवाचारों का एकीकरण रहा। अभ्यास में दिखाया गया कि किस प्रकार घरेलू रक्षा तकनीक को तेजी से युद्धक्षेत्र अनुप्रयोगों में बदला जा रहा है, जिससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य मजबूत हुआ है।

सेना ने प्रदर्शित किया:

  • निगरानी और आक्रामक भूमिका में मानवरहित प्रणालियाँ (Unmanned Systems)

  • ऊँचाई वाले युद्धक्षेत्र के अनुकूल सटीक हथियार प्रणाली

  • निर्णय-निर्माण हेतु एआई (AI) आधारित युद्ध अवधारणाएँ

यह नागरिक उद्योग और सशस्त्र बलों का तालमेल, प्रौद्योगिकी-आधारित युद्ध तत्परता की दिशा में एक बड़ा बदलाव है।

अचूक प्रहार: ITBP के साथ संयुक्त अभ्यास

समानांतर रूप से, 25 से 28 अगस्त 2025 तक, सेना की स्पीयर कोर की पैदल सेना इकाइयों ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के साथ अरुणाचल प्रदेश में अभ्यास ‘अचूक प्रहार’ किया।

  • चार दिवसीय अभ्यास में सिम्युलेटेड युद्धक्षेत्र परिस्थितियों में संयुक्त फायरपावर समन्वय किया गया।

  • संवेदनशील सीमा क्षेत्रों में खतरों से निपटने के लिए अंतः-एजेंसी सहयोग की पुष्टि की गई।

यह संयुक्त अभ्यास सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच तालमेल को मजबूत करता है, जो सीमा सुरक्षा और ऊँचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

ई-बस अपनाने में ओडिशा पांचवें स्थान पर, 1,000 से अधिक बेड़े की योजना

ओडिशा अब ग्रीन मोबिलिटी के क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है। राज्य में इस समय 450 इलेक्ट्रिक बसें (ई-बस) संचालित हो रही हैं और आने वाले वर्षों में बेड़े को दोगुना से अधिक करने की योजना है। यह पहल स्वच्छ परिवहन अभियान का हिस्सा है, जो भारत सरकार की सहायता योजनाओं के अनुरूप है और शहरी परिवहन को अधिक पर्यावरण–अनुकूल बनाने की दिशा में अहम कदम है।

भारत की ग्रीन मोबिलिटी तस्वीर: ओडिशा की स्थिति

आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, भारत में वर्तमान में 14,329 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं। शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं:

  • दिल्ली: 3,564 ई-बसें

  • महाराष्ट्र: 3,296

  • कर्नाटक: 2,236

  • उत्तर प्रदेश: 850

  • ओडिशा: 450

ओडिशा ने अपने पूर्वी पड़ोसी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है, जैसे:

  • पश्चिम बंगाल (391)

  • आंध्र प्रदेश (238)

  • छत्तीसगढ़ (215)

  • झारखंड (46)

ये आँकड़े बताते हैं कि पूर्वी भारत में सतत् मोबिलिटी (sustainable mobility) के मामले में ओडिशा अग्रणी है।

ई-बस संचालन के विस्तार की योजना

कैपिटल रीजन अर्बन ट्रांसपोर्ट (CRUT) एजेंसी ने ओडिशा की ई-मोबिलिटी पहल को आगे बढ़ाया है। वर्तमान में ई-बसें भुवनेश्वर, कटक और पुरी में चल रही हैं। अब सेवाओं का विस्तार इन शहरों तक होगा:

  • संबलपुर

  • झारसुगुड़ा

  • क्योंझर

  • बेरहामपुर

  • अंगुल

लक्ष्य: 1,000 से अधिक ई-बसों का बेड़ा तैयार करना, जिससे शहरी परिवहन और अधिक स्वच्छ और कुशल बन सके।

अवसंरचना और यात्रियों के अनुभव में सुधार

बढ़ते बेड़े के लिए राज्य सरकार ये कदम उठा रही है:

  • डिपो और टर्मिनलों पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना।

  • स्मार्ट टिकटिंग की शुरुआत, जिसमें शामिल हैं:

    • क्यूआर-कोड भुगतान

    • नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC)

    • मोबाइल ऐप आधारित टिकट बुकिंग

आवास एवं शहरी विकास मंत्री कृष्ण चंद्र महापात्रा ने कहा कि ये सुधार यात्रियों को सहज, सम्मानजनक और सुविधाजनक शहरी परिवहन अनुभव देने के लिए किए जा रहे हैं।

भारत–चीन संबंधों में नरमी: एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और शी चिनफिंग की मुलाक़ात

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने तियानजिन (चीन) में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान 10 महीने बाद आमने-सामने मुलाक़ात की। यह उच्च-स्तरीय संवाद दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और सहयोग को पुनर्जीवित करने का संकेत देता है, विशेषकर 2020 के गलवान संघर्ष के बाद लंबे समय से जारी तनाव की पृष्ठभूमि में। प्रत्यक्ष उड़ानों की बहाली से लेकर सीमा व्यापार और पर्यटन खोलने तक, यह वार्ता वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों में व्यापक बदलाव का संकेत देती है।

1. नये द्विपक्षीय संकल्प

  • दोनों नेताओं ने रूस में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के बाद से संबंधों में आई “सकारात्मक प्रगति” का स्वागत किया।

  • यह रेखांकित किया कि भारत और चीन साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं, और मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए।

2. प्रत्यक्ष उड़ानें फिर शुरू होंगी

  • प्रधानमंत्री मोदी ने पुष्टि की कि भारत और चीन के बीच प्रत्यक्ष उड़ानें जल्द ही शुरू होंगी, हालांकि तिथि घोषित नहीं की गई।

  • कोविड-19 के बाद यह कदम आपसी विश्वास को मज़बूत करने वाला माना जा रहा है।

3. तीर्थयात्रा और पर्यटन का पुनःआरंभ

  • वार्ता में कैलाश मानसरोवर यात्रा और पर्यटक वीज़ा जारी करने पर सहमति बनी, जिन्हें महामारी के दौरान रोक दिया गया था।

  • हाल ही में भारत ने चीनी नागरिकों को पर्यटक वीज़ा जारी करना फिर से शुरू किया है, जिसका जवाबी कदम बातचीत में शामिल रहा।

4. रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक सहयोग

  • पीएम मोदी ने रणनीतिक स्वायत्तता पर ज़ोर दिया और कहा कि संबंधों को किसी “तीसरे देश के दृष्टिकोण” से नहीं देखा जाना चाहिए।

  • दोनों नेताओं ने आतंकवाद, निष्पक्ष व्यापार और वैश्विक मुद्दों पर बहुपक्षीय मंचों के ज़रिए सहयोग करने पर सहमति जताई।

5. गलवान के बाद सामंजस्य

  • 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद रिश्ते बिगड़े थे, लेकिन सीमा पर लगातार हुए विघटन (disengagement) से अग्रिम क्षेत्रों में शांति लौट आई है।

  • नेताओं ने दोहराया कि सीमा विवादों को व्यापक संबंधों की परिभाषा नहीं बनने देना चाहिए।

6. ग्लोबल साउथ पर साझा ध्यान

  • राष्ट्रपति शी ने ग्लोबल साउथ में भारत–चीन की भूमिका को रेखांकित किया और दोनों देशों की जनता के कल्याण हेतु सहयोग पर बल दिया।

7. बेहतर संबंधों के आर्थिक निहितार्थ

  • भारतीय ईवी क्षेत्र, जो चीनी निवेश और तकनीक से लाभ उठा सकता है।

  • चीनी निर्यात, जिसे भारत के विशाल उपभोक्ता बाज़ार तक पहुंच मिलेगी।

  • रेयर अर्थ खनिजों की आपूर्ति, जहां चीन भारत की औद्योगिक ज़रूरतों को समर्थन देगा।

8. सीमा व्यापार का पुनःआरंभ

  • दोनों देशों ने सीमा व्यापार को फिर खोलने पर सहमति जताई, जिसे 2020 के बाद बाधित कर दिया गया था।

  • इसे शुल्क तनाव (tariff tensions) के बीच व्यापार विविधीकरण के लिए अहम कदम माना जा रहा है।

9. अमेरिका के साथ तनाव के बीच कूटनीतिक बदलाव

  • अमेरिका–भारत साझेदारी में ट्रंप-युग के शुल्कों (tariffs) से तनाव आया है।

  • चीन से भारत की निकटता अमेरिकी विदेश नीति को चुनौती दे सकती है, खासकर जब अमेरिका दशकों से एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग को सीमित करने की कोशिश करता रहा है।

10. प्रतीकात्मकता और संदेश

  • यह मुलाक़ात केवल नीतिगत ही नहीं बल्कि प्रतीकात्मक रूप से भी महत्वपूर्ण रही—जिसमें संघर्ष पर कूटनीति को वरीयता दी गई।

  • मोदी और शी का सहयोग पर संयुक्त ज़ोर हाल के भू-राजनीतिक टकरावों से बिल्कुल अलग संदेश देता है।

भारत में स्कूली शिक्षकों की संख्या एक करोड़ के पार: यूडीआईएसई रिपोर्ट

यूडीआईएसई+ (UDISE+) 2024–25 रिपोर्ट, जिसे शिक्षा मंत्रालय ने जारी किया है, भारत की स्कूली शिक्षा में प्रगति की व्यापक तस्वीर प्रस्तुत करती है। इसमें शिक्षक संख्या, बुनियादी ढाँचा, नामांकन (enrolment) और छात्र-निरंतरता (retention) में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ सामने आई हैं। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में परिकल्पित समान और समावेशी शिक्षा की दिशा में ठोस कदम है।

भारत ने पार किया 1 करोड़ शिक्षकों का आँकड़ा

  • 2018–19 में यूडीआईएसई+ की शुरुआत के बाद पहली बार देश में शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ से अधिक हो गई।

  • 2022–23 की तुलना में इसमें 6.7% वृद्धि दर्ज हुई।

  • इसके परिणामस्वरूप छात्र-शिक्षक अनुपात (PTR) बेहतर हुआ है:

    • आधारभूत स्तर (Foundational): 10:1

    • तैयारी स्तर (Preparatory): 13:1

    • मध्य स्तर (Middle): 17:1

    • माध्यमिक स्तर (Secondary): 21:1

  • ये सभी अनुपात एनईपी 2020 की अनुशंसित सीमा (30:1) से काफी बेहतर हैं।

ड्रॉपआउट दर में गिरावट

2022–23 से 2024–25 के बीच छात्रों के स्कूल छोड़ने की दर में सुधार:

  • तैयारी स्तर: 3.7% → 2.3%

  • मध्य स्तर: 5.2% → 3.5%

  • माध्यमिक स्तर: 10.9% → 8.2%
    इससे पता चलता है कि छात्र स्कूल में बने रह रहे हैं और शिक्षा की निरंतरता बढ़ी है।

नामांकन और ट्रांज़िशन दर में सुधार

  • सकल नामांकन अनुपात (GER):

    • मध्य स्तर: 90.3%

    • माध्यमिक स्तर: 68.5%

  • ट्रांज़िशन दर (Transition Rates) भी बढ़ी है, यानी छात्र आसानी से एक स्तर से अगले स्तर में पहुँच रहे हैं।

सिंगल-टीचर और जीरो-एनरोलमेंट स्कूलों में कमी

  • सिंगल-टीचर स्कूल: 1,10,971 → 1,04,125

  • जीरो-एनरोलमेंट स्कूल: 12,954 → 7,993
    यह सुधार बेहतर स्कूल प्रबंधन और संसाधनों के प्रभावी वितरण को दर्शाता है।

स्कूल ढाँचे में सुधार

  • बिजली की सुविधा: 93.6%

  • पेयजल: 99.3%

  • हाथ धोने की व्यवस्था: 95.9%

  • कंप्यूटर उपलब्धता: 64.7%

  • इंटरनेट कनेक्टिविटी: 63.5%

  • दिव्यांग-अनुकूल रैम्प/हैंडरेल: 54.9%
    ये सुधार डिजिटल शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और समावेशिता के लिए अहम हैं।

लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति

  • महिला शिक्षकों का अनुपात: 54.2%

  • छात्राओं का नामांकन: 48.3%
    यह संकेत देता है कि भारत का शिक्षा तंत्र लैंगिक संतुलन और महिला सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

पश्चिमी घाट के ऊंचे इलाकों में दुर्लभ ड्रैगनफ्लाई की पुनः पुष्टि हुई

भारतीय जैव-विविधता अध्ययन में हाल ही में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज हुई है। ओडोनैटोलॉजिस्ट्स (व्याधपतंग/ड्रैगनफ़्लाई विशेषज्ञों) ने पश्चिमी घाट (Western Ghats) के दक्षिणी हिस्से में क्रोकोथेमिस एरिथ्रैया (Crocothemis erythraea) नामक दुर्लभ ड्रैगनफ़्लाई प्रजाति की उपस्थिति की फिर से पुष्टि की है। पहले इसे आम प्रजातियों से समानता के कारण गलत पहचाना गया था। यह पुनः खोज न केवल उच्च ऊँचाई वाले आवासों की पारिस्थितिक विशिष्टता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि प्राचीन जलवायु घटनाओं ने आज की जैव-विविधता को कैसे आकार दिया।

क्रोकोथेमिस एरिथ्रैया: अतीत का दुर्लभ आगंतुक

प्रजाति का परिचय

  • सामान्यतः यूरोप, मध्य एशिया और हिमालय जैसे क्षेत्रों में पाई जाती है।

  • हाल ही में इसकी पुष्टि केरल और तमिलनाडु की ऊँची पर्वतीय श्रेणियों (550 मीटर से अधिक ऊँचाई) में हुई है।

  • यह प्रजाति विशेष रूप से शोला वनों और घासभूमि (Montane Grasslands) में जीवित पाई गई।

  • इसका स्वरूप सामान्य क्रोकोथेमिस सर्विलिया (Crocothemis servilia) से मिलता-जुलता है, जिसके कारण पहले इसे गलत पहचाना गया था।

ऐतिहासिक उत्पत्ति

  • विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रजाति हिम युग (Ice Age) के दौरान दक्षिण भारत में पहुँची, जब वैश्विक तापमान कम था और शीतोष्ण प्रजातियाँ अधिक दक्षिण की ओर प्रवास कर सकती थीं।

  • तापमान बढ़ने के बाद इसने उच्च पर्वतीय शोला वन और घासभूमियों में शरण ली और हज़ारों वर्षों के जलवायु परिवर्तनों के बीच जीवित रही।

जैव-विविधता और संरक्षण का महत्व

जैव-विविधता पैटर्न की झलक

  • यह पुनः खोज दर्शाती है कि प्राचीन जलवायु परिवर्तनों ने आज की प्रजातियों की संरचना को कैसे प्रभावित किया।

  • इसका जीवित रहना संकेत देता है कि ऐसे कई और प्राचीन/अवशेष प्रजातियाँ (Relic Species) उच्च पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्रों में छिपी हो सकती हैं, जिनका अभी दस्तावेजीकरण होना बाकी है।

पश्चिमी घाट का महत्व

  • युनेस्को विश्व धरोहर स्थल और विश्व के आठ “जैव-विविधता हॉटस्पॉट्स” में शामिल।

  • इस तरह की खोजें इसकी वैश्विक पारिस्थितिक अहमियत को और मजबूत करती हैं।

संरक्षण की आवश्यकता

  • यह खोज शोला वनों और पर्वतीय घासभूमियों की नाज़ुकता पर ध्यान दिलाती है।

  • इन पर लगातार खतरे मंडरा रहे हैं:

    • पर्यटन का दबाव

    • बागान (Plantation) विस्तार

    • जलवायु परिवर्तन

  • इन आवासों की रक्षा केवल ड्रैगनफ़्लाई ही नहीं, बल्कि कई अन्य स्थानिक (Endemic) और दुर्लभ प्रजातियों के लिए भी ज़रूरी है।

भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर

भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति को मज़बूत समर्थन देते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने घोषणा की कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। इंदौर में आयोजित एक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के पीछे प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) की परिवर्तनकारी भूमिका है, जिसने राष्ट्रीय विकास की गति को तेज़ किया है।

जनधन योजना: समावेशी विकास की नींव

  • 2014 में लॉन्च की गई यह योजना सरकार और RBI की एक संयुक्त पहल थी, ताकि हर नागरिक को बुनियादी बैंक खाता मिल सके।

  • अब तक 55 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके हैं।

  • इन खातों के माध्यम से नागरिकों को उपलब्ध कराए गए प्रमुख वित्तीय सेवाएँ:

    • बचत खाता

    • पेंशन योजनाएँ

    • ऋण (Credit) की सुविधा

    • बीमा कवरेज

इसने विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित वर्गों को सशक्त बनाया और उन्हें औपचारिक अर्थव्यवस्था में भागीदार बनाया।

भारत की आर्थिक गति: 7.8% GDP वृद्धि

  • वित्त वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही (अप्रैल–जून) में GDP वृद्धि दर 7.8% रही।

  • यह पिछले पाँच तिमाहियों में सबसे अधिक है।

  • वैश्विक वित्तीय अनिश्चितताओं और व्यापार तनावों के बावजूद यह प्रदर्शन भारत की आर्थिक लचीलापन (Resilience) को दर्शाता है।

गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि भारत पहले ही दुनिया की पाँच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और मौजूदा गति से यह जल्द ही शीर्ष तीन वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में प्रवेश करेगा।

देशभर में वित्तीय अवसंरचना को मज़बूत बनाना

‘संतृप्ति शिविर’ अभियान

  • 1 जुलाई से 30 सितंबर तक चल रहा है।

  • अभियान का लक्ष्य:

    • नए जनधन खाते खोलना

    • नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नामांकित करना

    • KYC अपडेट करना

  • बैंकों को सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर इसे अंतिम छोर तक पहुँचाने का निर्देश दिया गया है।

जोखिमों से निपटना और डिजिटल साक्षरता बढ़ाना

  • गवर्नर ने ‘म्यूल अकाउंट्स’ (अवैध लेन-देन के लिए दुरुपयोग किए गए खाते) पर चिंता जताई।

  • सभी जनधन खाता धारकों से अपील की कि वे KYC औपचारिकताएँ पूरी करें और सतर्क रहें।

  • उन्होंने डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, विशेषकर –

    • UPI और डिजिटल बैंकिंग अपनाने के लिए

    • ताकि लेन-देन तेज़, सुरक्षित और प्रभावी हो सके।

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