प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी प्रधानमंत्री को रेमन बाउल और शॉल भेंट किए

जापान की अपनी हालिया दो दिवसीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा और उनकी पत्नी को कई सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और प्रतीकात्मक उपहार भेंट किए। इन उपहारों ने भारतीय शिल्पकला और जापानी परंपरा के गहरे संबंधों को उजागर किया और दोनों देशों के बीच साझा सभ्यता एवं आध्यात्मिक बंधनों को और सुदृढ़ किया।

पाक कूटनीति का प्रतीक कलात्मक कटोरा सेट

रामेन बाउल सेट
प्रधानमंत्री मोदी के उपहारों में प्रमुख था—विंटेज मूनस्टोन (चंद्रकांत मणि) कटोरे का सेट, जो जापानी डोनबुरी और सोबा भोजन परंपरा से प्रेरित है। इस सेट में शामिल थे:

  • एक बड़ा भूरा मूनस्टोन कटोरा

  • चार छोटे कटोरे

  • एक जोड़ी चाँदी की चॉपस्टिक

विशेषताएं

  • मूनस्टोन (आंध्र प्रदेश में खनन किया गया) अपनी चमकदार आभा (Adularescence) के लिए प्रसिद्ध है और पारंपरिक मान्यताओं में इसे प्रेम, संतुलन और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।

  • मुख्य कटोरे का आधार मकराना संगमरमर से बना है—यही संगमरमर ताजमहल में भी प्रयुक्त हुआ था।

  • इसे राजस्थान की प्रसिद्ध नक्काशी तकनीक ‘पर्चिन कारी’ से अर्ध-बहुमूल्य पत्थरों से जड़ा गया है।

यह उपहार केवल एक पाक श्रद्धांजलि ही नहीं बल्कि भारतीय कला और जापानी परंपरा का अनोखा संगम है—सांस्कृतिक कूटनीति का उत्कृष्ट उदाहरण।

शालीनता और गरमाहट का उपहार: पश्मीना शॉल

जापान की प्रथम महिला के लिए

  • प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी प्रधानमंत्री की पत्नी को एक पश्मीना शॉल भेंट की, जिसे खूबसूरती से हस्त-चित्रित पेपर-मेशे बॉक्स में पैक किया गया था।

  • यह शॉल लद्दाख की चांगथांगी बकरी के ऊन से बनी है, जो हल्की, गर्म और विलासितापूर्ण मानी जाती है।

  • शॉल पर हाथीदांत (आइवरी) रंग का आधार है, जिस पर फूल और पेसली डिज़ाइन जड़े हैं, जिनमें हल्के जंग (rust), गुलाबी और लाल रंगों का संयोजन है—कश्मीरी डिज़ाइन की खास पहचान।

  • पेपर-मेशे का बॉक्स, जिस पर पक्षियों और फूलों की पेंटिंग की गई है, कश्मीर की प्रसिद्ध सजावटी कला का प्रतीक है।

यह उपहार भारत की हिमालयी और कश्मीरी वस्त्र व हस्तकला परंपरा का सुंदर प्रतिनिधित्व करता है।

आध्यात्मिक आदान-प्रदान: दरुमा गुड़िया

प्रधानमंत्री मोदी को शोरिनज़ान दरुमा-जी मंदिर (ताकासाकी, गुन्मा) के मुख्य पुजारी रेव. सेइशी हीरोसे ने एक दरुमा डॉल भेंट की।

  • दरुमा डॉल जापान में भाग्य और धैर्य का प्रतीक मानी जाती है।

  • इसका उद्गम बोधिधर्म से जुड़ा है—कांचीपुरम (भारत) के एक भिक्षु जिन्होंने लगभग एक हज़ार वर्ष पूर्व ज़ेन बौद्ध धर्म को जापान पहुँचाया।

  • यह उपहार भारत और जापान के बीच ऐतिहासिक व आध्यात्मिक संबंधों की पुनर्पुष्टि करता है, जो साझा मूल्यों और धार्मिक परंपराओं पर आधारित हैं।

आईसीसी और गूगल ने महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए समझौता किया

महिला क्रिकेट को वैश्विक मंच पर और ऊँचाई देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने गूगल के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। इस सहयोग का उद्देश्य प्रशंसकों की भागीदारी बढ़ाना, डिजिटल पहुँच में सुधार करना और महिला क्रिकेट की वैश्विक वृद्धि को गति देना है—विशेषकर ICC महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 और महिला T20 विश्व कप 2026 की तैयारियों के मद्देनज़र।

टेक्नोलॉजी और खेल का संगम: एक गेम-चेंजर सहयोग

यह साझेदारी ऐसे समय में हुई है जब पारंपरिक और उभरते दोनों बाज़ारों में महिला क्रिकेट की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। यह गठजोड़ प्रशंसकों के अनुभव को बदलने जा रहा है और खेल से जुड़ाव को और गहरा करने के लिए आधुनिक डिजिटल समाधान उपलब्ध कराएगा।

गूगल के प्रोडक्ट्स—जैसे Android, Google Gemini, Google Pay और Google Pixel—के माध्यम से आईसीसी प्रशंसकों के लिए एक गतिशील और व्यक्तिगत डिजिटल पारितंत्र तैयार करेगा, जिसमें वे:

  • लाइव अपडेट और मैच हाइलाइट्स देख सकेंगे

  • खिलाड़ियों की कहानियों से जुड़ सकेंगे

  • जीत और प्रमुख उपलब्धियों का रियल-टाइम में जश्न मना सकेंगे

  • स्थानीय भाषाओं और प्रारूपों में सामग्री का आनंद ले सकेंगे

यह पहल क्रिकेट को अधिक समावेशी, आकर्षक और वैश्विक दर्शकों के लिए प्रासंगिक बनाने की आईसीसी की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

आगामी वैश्विक टूर्नामेंट्स को बढ़ावा

यह साझेदारी दो बड़े महिला क्रिकेट आयोजनों से पहले हुई है:

  • ICC महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 – भारत और श्रीलंका द्वारा आयोजित

  • ICC महिला T20 विश्व कप 2026 – इंग्लैंड और वेल्स द्वारा आयोजित

गूगल की भागीदारी से इन टूर्नामेंट्स की दृश्यता बढ़ने, डिजिटल-नेटीव युवा दर्शकों को आकर्षित करने और महिला क्रिकेट में भागीदारी को प्रेरित करने की उम्मीद है।

कॉर्पोरेट समर्थन की बढ़ती भूमिका

इससे पहले ICC ने यूनिलीवर को अपनी पहली वैश्विक महिला साझेदार कंपनी के रूप में शामिल किया था। गूगल के साथ यह नया गठजोड़ दर्शाता है कि महिला क्रिकेट अब निवेश, कॉर्पोरेट सहयोग और वैश्विक पहुँच के नए युग में प्रवेश कर रही है।

भारत में पहली मोबाइल टेम्पर्ड ग्लास फैक्ट्री खुली

भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मोबाइल उपकरणों के लिए अपनी पहली टेम्पर्ड ग्लास निर्माण इकाई का उद्घाटन किया है। यह फैक्ट्री नोएडा में स्थित है और इसका उद्घाटन 30 अगस्त 2025 को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने किया।

यह संयंत्र ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स और कॉर्निंग इन्कॉरपोरेटेड (अमेरिका) की साझेदारी से स्थापित किया गया है। यहां बनने वाला टेम्पर्ड ग्लास “Engineered by Corning” प्रीमियम ब्रांड के अंतर्गत तैयार होगा और भारतीय व वैश्विक बाज़ारों को आपूर्ति करेगा।

मेक इन इंडिया दृष्टि को आगे बढ़ाते हुए

घरेलू क्षमताओं का निर्माण

  • टेम्पर्ड ग्लास, जो स्मार्टफोन का एक आवश्यक घटक है, अब तक अधिकतर आयात किया जाता था।

  • इस नई इकाई के साथ भारत का लक्ष्य है कि मोबाइल उपकरणों का हर हिस्सा—चिप्स, टेम्पर्ड ग्लास और सर्वर कंपोनेंट्स—यहीं देश में निर्मित हो।

  • यह कदम आत्मनिर्भर भारत और भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन केंद्र बनाने के संकल्प को मजबूत करता है।

आर्थिक और औद्योगिक प्रभाव

  • भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र पिछले 11 वर्षों में 6 गुना बढ़कर ₹11.5 लाख करोड़ का हो गया है।

  • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात: ₹3 लाख करोड़ से अधिक

  • कुल रोजगार: लगभग 25 लाख

नई इकाई का योगदान

  • प्रारंभिक निवेश: ₹70 करोड़

  • फेज-1 उत्पादन क्षमता: 2.5 करोड़ यूनिट/वर्ष

  • फेज-1 रोजगार: 600

  • फेज-2 विस्तार निवेश: ₹800 करोड़

  • भावी उत्पादन क्षमता: 20 करोड़ यूनिट/वर्ष

  • संभावित रोजगार: 4,500+

विश्वस्तरीय निर्माण और गुणवत्ता मानक

नोएडा संयंत्र अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और कच्चे माल को उच्च-गुणवत्ता वाले टेम्पर्ड ग्लास में बदलने की पूर्ण प्रक्रिया प्रदान करता है। इसमें शामिल चरण हैं:

  • स्क्राइबिंग और चैम्फरिंग

  • पॉलिशिंग और डुअल-स्टेज रिंसिंग

  • केमिकल टेम्परिंग

  • कोटिंग, प्रिंटिंग और लैमिनेशन

हर उत्पाद पर कड़े गुणवत्ता परीक्षण किए जाएंगे ताकि बीआईएस प्रमाणन और फॉग मार्किंग सुनिश्चित हो सके। इससे भारतीय उपभोक्ताओं को विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाला, भारत में बना उत्पाद उपलब्ध होगा।

भारत ने पहली मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोलिंग शुरू की

भारत ने अपने सड़क अवसंरचना को बदलने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाते हुए देश का पहला मल्टी-लेन फ्री फ्लो (Multi-Lane Free Flow – MLFF) टोलिंग सिस्टम लॉन्च किया है। यह अभिनव प्रणाली, जो टोल बाधाओं को समाप्त करती है और निर्बाध यात्रा की अनुमति देती है, सबसे पहले गुजरात में एनएच-48 पर चोर्यासी शुल्क प्लाजा पर लागू की जाएगी।

यह पहल इंडियन हाईवे मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (IHMCL)—जो राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा प्रोत्साहित है—और आईसीआईसीआई बैंक के बीच हुए समझौते का परिणाम है। यह अनुबंध 30 अगस्त 2025 को नई दिल्ली स्थित NHAI मुख्यालय में, अध्यक्ष श्री संतोष कुमार यादव और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षरित हुआ।

मल्टी-लेन फ्री फ्लो टोलिंग क्या है?

  • यह एक उच्च-तकनीकी, बैरियर-रहित टोल प्रणाली है।

  • इसमें FASTag और वाहन पंजीकरण संख्या (VRN) के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से टोल वसूली की जाती है।

  • इसके लिए हाई-परफॉर्मेंस RFID रीडर्स और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे उपयोग किए जाते हैं।

  • वाहनों को टोल प्लाज़ा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी।

प्रमुख लाभ:

  • टोल बूथ और स्टॉप-एंड-गो ट्रैफिक का अंत

  • जाम और यात्रा समय में कमी

  • ईंधन दक्षता में सुधार

  • वाहन प्रदूषण में कमी

  • टोल राजस्व में पारदर्शिता और सटीकता

कहां लागू होगा?

  • गुजरात के चोर्यासी शुल्क प्लाज़ा (NH-48) – भारत का पहला पूर्णतः बैरियर-फ्री टोल प्लाज़ा।

  • हरियाणा का घरौंडा शुल्क प्लाज़ा (NH-44) – प्रारंभिक कार्यान्वयन का हिस्सा।

भविष्य की योजना:

  • वित्त वर्ष 2025–26 में लगभग 25 राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क प्लाज़ाओं पर MLFF प्रणाली लागू की जाएगी।

  • अन्य स्थानों की पहचान की प्रक्रिया जारी है।

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2025: विषय और महत्व

भारत में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (National Nutrition Week – NNW) 2025 का आयोजन 1 से 7 सितम्बर तक किया जाएगा। इस वर्ष का थीम है— “Eat Right for a Better Life” (बेहतर जीवन के लिए सही खानपान अपनाएं)। इस अभियान का उद्देश्य संतुलित आहार, सचेत भोजन की आदतें, तथा कुपोषण और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम पर जागरूकता फैलाना है। यह पहल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से संचालित की जा रही है और पोषण अभियान जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों से जुड़ी है।

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2025 का थीम: Eat Right for a Better Life

  • मौसमी एवं ताजे फल-सब्जियों के साथ संतुलित आहार अपनाना

  • जंक फूड और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की खपत घटाना

  • सचेत भोजन की आदतें एवं परोसने में संयम रखना

  • पौष्टिक भोजन पकाने की परंपरा को बढ़ावा देना

यह थीम पोषण अभियान और मध्याह्न भोजन योजना जैसी पहलों को पूरक बनाती है।

पृष्ठभूमि और विकास

  • 1982 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड द्वारा पहली बार इसकी शुरुआत की गई थी।

  • आज भारत तीनहरी पोषण चुनौतियों का सामना कर रहा है:

    • बच्चों और माताओं में कुपोषण

    • सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी जैसे एनीमिया

    • आहार-जनित बीमारियां जैसे मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप

इसी कारण NNW भारत की लोक स्वास्थ्य प्रतिबद्धताओं की याद दिलाने वाला अहम अवसर है।

प्रमुख गतिविधियां व जागरूकता अभियान

  • स्कूलों में हेल्दी टिफिन डे, पोस्टर प्रतियोगिता और व्याख्यान

  • रेसिपी डेमो और कार्यशालाएं – संतुलित आहार पर

  • स्वास्थ्य शिविर – पोषण जांच और परामर्श

  • विशेषज्ञ व्याख्यान व वेबिनार – गर्भावस्था, बाल पोषण और रोग-निवारण पर

  • मोबाइल ऐप और सोशल मीडिया अभियान – शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों तक पहुँचने के लिए

  • सामुदायिक रैलियां, मेले और कुकिंग डेमो – स्थानीय व किफायती पोषण पद्धतियों को बढ़ावा देने हेतु

NNW 2025 से जुड़े सरकारी कार्यक्रम

  • पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन): कुपोषण, अविकसित वृद्धि, एनीमिया और कम जन्म वजन की कमी पर केंद्रित।

  • मध्याह्न भोजन योजना (PM-POSHAN): स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना।

  • एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS): छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों व गर्भवती/धात्री महिलाओं को अतिरिक्त पोषण।

  • आंगनवाड़ी केंद्र: पोषण परामर्श और फोर्टिफाइड खाद्य वितरण।

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2025 का महत्व

  • संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (SDG-2) : शून्य भूख की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करना।

  • स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर गैर-संक्रामक बीमारियों की रोकथाम को बढ़ावा देना।

  • बच्चों, युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों तक समावेशी पोषण जागरूकता पहुँचाना।

  • सामुदायिक सहभागिता से कुपोषण उन्मूलन और खाद्य समानता को प्रोत्साहित करना।

आदिवासी भाषाओं के संरक्षण के लिए लॉन्च होगा एआई आधारित ट्रांसलेटर ‘आदि वाणी’

भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए आदि वाणी (Adi Vaani) का बीटा संस्करण लॉन्च किया है—यह भारत का पहला एआई-संचालित जनजातीय भाषाओं का अनुवादक है। यह कदम भारत की संकटग्रस्त जनजातीय बोलियों को संरक्षित करने के साथ-साथ शिक्षा, शासन और सेवाओं तक समावेशी डिजिटल पहुँच सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगा।

भारत की जनजातीय भाषा विविधता का संरक्षण

  • भारत में 461 जनजातीय भाषाएं और 71 विशिष्ट मातृभाषाएं बोली जाती हैं। इनमें से बड़ी संख्या लुप्त होने के खतरे में है—81 असुरक्षित और 42 गंभीर रूप से संकटग्रस्त
  • आदि वाणी इस भाषाई क्षरण को रोकने के लिए एक डिजिटल मंच प्रदान करता है, जो इन भाषाओं का दस्तावेजीकरण, अनुवाद और शिक्षण संभव बनाएगा।
  • यह परियोजना जनजातीय गौरव वर्ष के अंतर्गत विकसित की गई है और भारत की सांस्कृतिक समानता और डिजिटल सशक्तिकरण के संकल्प को सुदृढ़ करती है।

आदि वाणी कैसे काम करता है?

तकनीकी आधार

  • उन्नत एआई भाषा मॉडल जैसे IndicTrans2 और No Language Left Behind (NLLB) का प्रयोग

  • विकास में आईआईटी दिल्ली के नेतृत्व में बिट्स पिलानी, आईआईआईटी हैदराबाद, आईआईआईटी नवा रायपुर और पाँच राज्यों के जनजातीय शोध संस्थान (TRIs) की भागीदारी

मुख्य उपकरण

  • टेक्स्ट-टू-टेक्स्ट और स्पीच-टू-स्पीच अनुवाद

  • टेक्स्ट-टू-स्पीच और स्पीच-टू-टेक्स्ट सुविधाएं

  • ओसीआर (Optical Character Recognition) द्वारा पारंपरिक पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण

  • द्विभाषी शब्दकोश और सांस्कृतिक भंडार

  • भाषणों व जनसंदेशों के लिए सबटाइटलयुक्त सामग्री

इनसे इंटरएक्टिव लर्निंग, लोककथाओं का डिजिटल संरक्षण, और रियल-टाइम भाषा अनुवाद संभव हो पाएगा।

बीटा चरण में शामिल भाषाएं

फिलहाल आदि वाणी चार प्रमुख जनजातीय भाषाओं का समर्थन करता है:

  • संताली (ओडिशा)

  • भीली (मध्य प्रदेश)

  • मुंडारी (झारखंड)

  • गोंडी (छत्तीसगढ़)

भविष्य में कुई और गारो जैसी भाषाओं को भी जोड़ा जाएगा।

समावेशिता से सशक्तिकरण

सामुदायिक भागीदारी
आदि वाणी का विकास जनजातीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी से हुआ—उन्होंने डेटा संग्रह, भाषा सत्यापन और परीक्षण में सहयोग दिया। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि उपकरण सांस्कृतिक रूप से सटीक और भाषाई बारीकियों का सम्मान करने वाला है।

प्रभाव क्षेत्र

  • शिक्षा और डिजिटल साक्षरता

  • स्वास्थ्य संचार

  • सरकारी योजनाओं की जागरूकता

  • नागरिक समावेशन और सेवाओं की डिलीवरी

यहां तक कि सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों पर स्वास्थ्य सलाह भी सीधे जनजातीय भाषाओं में उपलब्ध कराई जा रही है।

डिजिटल समावेशन की ओर अग्रसर भारत

आदि वाणी पहल का सीधा संबंध राष्ट्रीय अभियानों जैसे डिजिटल इंडिया, एक भारत श्रेष्ठ भारत और पीएम जनमन से है।

यह न केवल भारत की भाषाई धरोहर को सुरक्षित करता है, बल्कि भारत को सामाजिक प्रभाव हेतु एआई उपयोग में एक वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित करता है।

यह पहल विविधता, समानता और सहभागी शासन जैसे संवैधानिक मूल्यों को सशक्त बनाते हुए हाशिये पर खड़े समुदायों की आवाज़ को मुख्यधारा में लाती है।

भारत और जापान ने महत्वपूर्ण खनिज सहयोग पर समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत और जापान ने अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए क्रिटिकल मिनरल्स (महत्वपूर्ण खनिजों) पर सहयोग ज्ञापन (MoC) पर हस्ताक्षर किए हैं। स्वच्छ ऊर्जा और उन्नत तकनीक के लिए आवश्यक इस संसाधन श्रेणी पर समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टोक्यो यात्रा के दौरान 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हुआ। यह कदम ऊर्जा परिवर्तन, आर्थिक लचीलापन और संसाधन सुरक्षा पर दोनों देशों की गहरी होती समझ और साझेदारी को दर्शाता है।

क्रिटिकल मिनरल्स क्यों महत्वपूर्ण हैं?

क्रिटिकल मिनरल्स, जिनमें रेयर अर्थ एलिमेंट्स भी शामिल हैं, आज की तकनीकी दुनिया के लिए अनिवार्य हैं—चाहे वह बैटरियां हों, सेमीकंडक्टर हों, सोलर पैनल हों या रक्षा प्रणालियां। जैसे-जैसे जलवायु लक्ष्यों और तकनीकी बदलावों के चलते इन खनिजों की वैश्विक मांग बढ़ रही है, वैसे-वैसे देश लचीली और स्थायी आपूर्ति श्रृंखलाएं सुरक्षित करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं।

भारत और जापान, जो इन संसाधनों के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भर हैं, ने यह समझ लिया है कि कुछ गिने-चुने आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता घटाकर विविध और स्थायी खनिज पारितंत्र बनाना समय की मांग है।

भारत-जापान खनिज समझौते की मुख्य विशेषताएं

रणनीतिक उद्देश्य:

  • भारत और तृतीय देशों में संयुक्त अन्वेषण और खनन परियोजनाएं

  • नियामक और नीतिगत सूचनाओं का आदान-प्रदान

  • गहरे समुद्र में खनन हेतु टिकाऊ पद्धतियां

  • खनिज आपूर्ति स्थिरता हेतु भंडारण रणनीतियां

  • प्रसंस्करण और तकनीकी हस्तांतरण सहयोग

  • भविष्य में आपसी सहमति से नए सहयोग प्रारूप

यह सहयोग दोनों देशों को रणनीतिक कमजोरियों को कम करने और वैश्विक ऊर्जा व तकनीकी मूल्य श्रृंखलाओं में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करेगा।

निवेश और नवाचार

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह समझौता जापान के साथ साझा आर्थिक दृष्टि का हिस्सा है, जिसमें अगले दशक में भारत में 10 ट्रिलियन येन निवेश का लक्ष्य रखा गया है। विशेष ध्यान एमएसएमई और स्टार्टअप्स को जोड़ने पर होगा ताकि नवाचार और तकनीक-आधारित विकास को गति दी जा सके।

दशक भर की साझेदारी के स्तंभ

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत-जापान संबंध अब आठ स्तंभों पर आधारित दशक भर की रूपरेखा पर खड़े हैं—

  1. निवेश और नवाचार

  2. आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा

  3. पर्यावरणीय स्थिरता

  4. तकनीकी सहयोग

  5. स्वास्थ्य सेवा और गतिशीलता साझेदारी

  6. जन-से-जन संबंध

  7. राज्य और प्रांत स्तर का सहयोग

  8. खनिज सहयोग, जो इन रणनीतिक लक्ष्यों के अनुरूप है

यह खनिज सहयोग समझौता द्विपक्षीय विश्वास और भविष्य की तैयारी को और मजबूत करता है।

जापान यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को शुभ दरुमा गुड़िया भेंट की गई

जापान की आधिकारिक यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 29 अगस्त 2025 को रेव. सेइशी हीरोसे, जो कि गुन्मा प्रीफेक्चर के ताकासाकी स्थित शोरिनज़न दरुमा-जी मंदिर के मुख्य पुजारी हैं, द्वारा दरुमा गुड़िया भेंट की गई। यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान प्रतीकात्मक होने के बावजूद भारत और जापान के बीच शताब्दियों से जुड़े गहन सभ्यतागत और आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है।

दरुमा गुड़िया: धैर्य और सौभाग्य का प्रतीक

जापानी संस्कृति में दरुमा गुड़िया को सौभाग्य और दृढ़ता का शुभ प्रतीक माना जाता है। पारंपरिक रूप से यह लाल रंग की होती है और इसे बोधिधर्म (दरुमा दाइशी) के रूप में गढ़ा जाता है, जो जापान में जेन बौद्ध धर्म के प्रवर्तक माने जाते हैं। यह गुड़िया लक्ष्य निर्धारण, धैर्य और विपरीत परिस्थितियों में सफलता का प्रतीक है।

इस परंपरा में व्यक्ति लक्ष्य तय करते समय गुड़िया की एक आँख भरता है और लक्ष्य प्राप्त होने पर दूसरी आँख भर देता है। इस प्रकार दरुमा व्यक्तिगत प्रतिबद्धता और धैर्य का प्रतीक बन जाती है।

बोधिधर्म: साझा आध्यात्मिक धरोहर

दरुमा परंपरा की जड़ें बोधिधर्म से जुड़ी हैं, जो तमिलनाडु के कांचीपुरम के एक महान भारतीय भिक्षु थे। माना जाता है कि उन्होंने लगभग एक सहस्राब्दी पहले चीन और जापान की यात्रा की और जेन बौद्ध दर्शन का प्रसार किया। जापान में उन्हें दरुमा दाइशी के नाम से सम्मानित किया जाता है और उनकी शिक्षाओं ने पूर्वी एशिया में जेन साधना की नींव रखी।

इस गहरे ऐतिहासिक संबंध को ताकासाकी के शोरिनज़न दरुमा-जी मंदिर में सहेजा गया है, जिसे दरुमा उपासना का सांस्कृतिक केंद्र माना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी को दरुमा गुड़िया भेंट करना इस साझा इतिहास की मान्यता का प्रतीक है, जो आज भी भारत-जापान सांस्कृतिक कूटनीति को गहराई देता है।

द्विपक्षीय संबंधों में महत्व

रेव. सेइशी हीरोसे का यह gesture निम्न बातों का प्रतीक है:

  • साझा दार्शनिक जड़ों के प्रति सांस्कृतिक श्रद्धा

  • आधुनिक कूटनीति से पहले के ऐतिहासिक बंधनों का नवीनीकरण

  • 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान आध्यात्मिक निकटता का सुदृढ़ीकरण

यह आदान-प्रदान उन पहलों के अनुरूप है जिनसे दोनों देश जन-से-जन संबंध मज़बूत कर रहे हैं—जैसे सांस्कृतिक समझौते (MoUs), पर्यटन आदान-प्रदान और शैक्षिक सहयोग

डाक विभाग ने MapmyIndia के साथ मिलकर डिजीपिन लागू करने के लिए साझेदारी की

भारत के पते (Address) के ढांचे को डिजिटल बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए संचार मंत्रालय के अंतर्गत डाक विभाग (DoP) ने 29 अगस्त 2025 को मैपमाईइंडिया–मैपल्स के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस साझेदारी का उद्देश्य डिजीपिन (DIGIPIN) प्रणाली का विकास और कार्यान्वयन है, जो सटीक भू-स्थान (geolocation) के माध्यम से भारत के हर पते को विशिष्ट पहचान प्रदान करेगी।

डिजीपिन (DIGIPIN) क्या है?

डिजीपिन (Digital PIN) एक मानकीकृत डिजिटल पता प्रणाली है, जिसमें हर संपत्ति या स्थान को एक अद्वितीय जियोकोड दिया जाएगा। पारंपरिक पिनकोड से अलग, यह भू-संदर्भित (geo-referenced) होगा, जिससे उपयोगकर्ता किसी भी पते को आसानी से ढूंढ, सत्यापित और सटीकता के साथ वहाँ पहुँच सकेंगे।

यह पहल भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य है:

  • सेवाओं की बेहतर डिलीवरी

  • लॉजिस्टिक्स की दक्षता में सुधार

  • ई-गवर्नेंस और डिजिटल प्लेटफॉर्म को समर्थन

साझेदारी में मैपमाईइंडिया की भूमिका

समझौते के अंतर्गत मैपमाईइंडिया–मैपल्स निम्न कार्य करेगा:

  • “Know Your DIGIPIN” ऐप के लिए बेस मैप उपलब्ध कराना।

  • जियोलोकेशन डेटा के आधार पर रियल-टाइम पता निर्माण सक्षम करना।

  • मैपल्स ऐप में DIGIPIN सर्च और नेविगेशन टूल्स को एकीकृत करना।

  • मौजूदा पतों को डिजीपिन प्रणाली से जोड़ना।

इसके माध्यम से उपयोगकर्ता कर सकेंगे:

  • सटीक डिजिटल पते का पता लगाना

  • सभी प्लेटफॉर्म पर सहज नेविगेशन

  • मैपल्स ईकोसिस्टम पर DIGIPIN आधारित सेवाओं का लाभ उठाना

भारत का डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण

डिजीपिन को Address as a Service (AaaS) का मुख्य साधन माना जा रहा है। मैपमाईइंडिया के API और SDK को एकीकृत कर, डाक विभाग का लक्ष्य है:

  • डिजिटल पते की पहुँच और उपयोगिता को बढ़ाना

  • शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक समान डिजिटल एड्रेसिंग फॉर्मेट बनाना

  • डेवलपर्स, व्यवसायों और सरकारी एजेंसियों को पता-आधारित समाधानों पर नवाचार का अवसर देना

प्रमुख लाभ और भविष्यगत प्रभाव

1. नागरिकों के लिए

  • सटीक और सरल डिजिटल पते

  • सेवाओं और वस्तुओं की तेज़ डिलीवरी

  • आपातकालीन और सार्वजनिक सेवाओं तक बेहतर पहुँच

2. व्यवसाय और स्टार्टअप्स के लिए

  • लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन का अनुकूलन

  • ई-कॉमर्स और नेविगेशन प्लेटफॉर्म में DIGIPIN का समावेश

3. शासन (Governance) के लिए

  • बेहतर योजना, सार्वजनिक सेवाओं की डिलीवरी और आपदा प्रबंधन

  • डेटा-आधारित शहरी और ग्रामीण विकास मॉडल

अजय बाबू वल्लूरी ने राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन में स्वर्ण पदक जीता

भारतीय भारोत्तोलन (Weightlifting) एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमक उठा है। अजय बाबू वल्लुरी (Ajaya Babu Valluri) ने कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप 2025 (अहमदाबाद) में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का मान बढ़ाया। इस उपलब्धि ने न केवल भारत के पदक तालिका में इज़ाफा किया, बल्कि उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स 2026 (ग्लास्गो) के लिए क्वालीफाई भी करा दिया।

अजय बाबू की विजयी प्रस्तुति

  • पुरुष 79 किग्रा वर्ग में अजय बाबू ने कुल 335 किलोग्राम (स्नैच + क्लीन एंड जर्क) भार उठाया।

  • उन्होंने महज़ 2 किलो के अंतर से मलेशिया के मुहम्मद एरी (333 किग्रा) को पीछे छोड़ा।

  • नाइजीरिया के अदे दापो अडेलके (306 किग्रा) ने कांस्य पदक हासिल किया।

यह रोमांचक मुकाबला अजय बाबू की ताक़त और दबाव में संतुलन बनाए रखने की क्षमता को दर्शाता है। वे भारतीय भारोत्तोलन के उभरते सितारों में शामिल हो गए हैं।

अन्य भारतीय पदक विजेता

भारत का दबदबा इस चैम्पियनशिप में इन खिलाड़ियों ने और मज़बूत किया—

  • हरजिंदर कौर – महिलाओं के 69 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक (कुल 222 किग्रा)।

  • मीराबाई चानू – टोक्यो 2020 ओलंपिक रजत पदक विजेता ने महिलाओं के 48 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर भारत को शानदार शुरुआत दिलाई। उनकी इस जीत से भी 2026 कॉमनवेल्थ गेम्स का टिकट पक्का हुआ।

चैम्पियनशिप का परिदृश्य

  • यह 30वाँ कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप है।

  • इसमें 31 देशों के 300 से अधिक खिलाड़ी भाग ले रहे हैं।

  • ऐसे में भारत का पदक प्रदर्शन और भी अहम हो जाता है।

इस उपलब्धि का महत्व

  • अजय बाबू की जीत उनके करियर का बड़ा मील का पत्थर है और भारतीय भारोत्तोलन के लिए गर्व का क्षण।

  • यह सफलता दिखाती है कि भारत 2026 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए एक मज़बूत दावेदार होगा।

  • मीराबाई चानू जैसी दिग्गजों के पदचिन्हों पर चलते हुए, युवा खिलाड़ियों का आत्मविश्वास और भविष्य दोनों ही उज्ज्वल नज़र आते हैं।

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