ऊर्जा दक्षता सूचकांक: महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, असम और त्रिपुरा टॉप प्रदर्शन करने वाले राज्य घोषित

सतत ऊर्जा शासन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विद्युत मंत्रालय ने राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (State Energy Efficiency Index – SEEI) 2024 जारी किया। यह सूचकांक भारत के विभिन्न राज्यों में ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency) के प्रदर्शन को उजागर करता है और डेटा-आधारित निर्णय, श्रेष्ठ प्रथाओं को प्रोत्साहन तथा राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है।

SEEI 2024: उद्देश्य और दायरा

राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक, जिसे राज्यों की ऊर्जा प्रदर्शन क्षमता मापने हेतु विकसित किया गया है, अब अपने छठे संस्करण (वित्त वर्ष 2023–24) में प्रवेश कर चुका है।
2024 का यह सूचकांक कार्यान्वयन-केंद्रित ढाँचे पर आधारित है, जिसमें 66 संकेतक (Indicators) शामिल हैं। इन्हें सात महत्वपूर्ण माँग-क्षेत्रों में विभाजित किया गया है—

  • भवन (Buildings)

  • उद्योग (Industry)

  • नगर निगम सेवाएँ (Municipal Services)

  • परिवहन (Transport)

  • कृषि (Agriculture)

  • विद्युत वितरण कंपनियाँ (DISCOMs)

  • अंतर-क्षेत्रीय पहल (Cross-Sector Initiatives)

यह सूचकांक 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ऊर्जा खपत और नीतियों के कार्यान्वयन का आकलन करता है और राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता मिशन के अंतर्गत प्रगति मापने का महत्वपूर्ण साधन है।

SEEI 2024 में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य

ऊर्जा दक्षता में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं—

  • महाराष्ट्र

  • आंध्र प्रदेश

  • असम

  • त्रिपुरा

इन राज्यों ने विभिन्न क्षेत्रों में मज़बूत प्रदर्शन दिखाया है, जो प्रभावी नीतिगत कार्यान्वयन, क्षेत्रीय समन्वय और ऊर्जा-संरक्षण प्रौद्योगिकियों में निवेश को दर्शाता है।

उच्च रैंकिंग के पीछे प्रमुख कारण

महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश

  • ऊर्जा-कुशल भवनों के लिए मज़बूत नीतियाँ

  • ऊर्जा कोड और भवन नियमों का कड़ा पालन

  • शहरी परिवहन व नगर निगम सेवाओं में ऊर्जा दक्षता हेतु बड़े निवेश

  • कृषि पंप दक्षता कार्यक्रमों और एलईडी-आधारित पहलों का सक्रिय प्रचार

असम और त्रिपुरा

  • ग्रामीण ऊर्जा पहुँच और वितरण क्षेत्र की दक्षता में सक्रिय प्रयास

  • नवीकरणीय ऊर्जा-आधारित नगर सेवाओं का प्रभावी उपयोग

  • अंतर-क्षेत्रीय ऊर्जा संरक्षण अभियानों का सफल संचालन

इन राज्यों ने ऊर्जा डेटा पारदर्शिता, स्मार्ट मीटरिंग, और विद्युत गतिशीलता (Electric Mobility) पहलों को अपनाया है, जिससे ऊर्जा शासन का एकीकृत दृष्टिकोण सामने आता है।

SEEI क्यों महत्वपूर्ण है?

  • प्रतिस्पर्धी संघवाद (Competitive Federalism) को प्रोत्साहित करता है।

  • राज्यों को ऊर्जा नियोजन और संसाधन उपयोग में खामियों की पहचान करने में मदद करता है।

  • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) और सतत विकास लक्ष्य (SDG-7: सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा) को मज़बूती देता है।

  • उजाला, PAT (Perform, Achieve and Trade), और स्मार्ट सिटीज मिशन जैसी योजनाओं के तहत भविष्य की योजना-निर्माण में सहायक है।

टीसीएस ने एआई इकाई शुरू की, अमित कपूर को प्रमुख नियुक्त किया

भारत के आईटी उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (TCS), जो देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है, ने एक समर्पित “कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सेवाएँ रूपांतरण इकाई” की स्थापना की घोषणा की है। कंपनी ने इस नई इकाई का प्रमुख अमित कपूर को नियुक्त किया है, जो सितंबर 2025 से पदभार संभालेंगे। अमित कपूर टीसीएस के अनुभवी अधिकारी हैं और उन्हें कंपनी में दो दशकों से अधिक का अनुभव है।

यह कदम ऐसे समय में आया है जब वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण ग्राहकों का खर्च घटा है और आईटी कंपनियाँ एआई-आधारित विकास की ओर रुख कर रही हैं।

टीसीएस की नई AI और सर्विसेज़ ट्रांसफ़ॉर्मेशन इकाई

इस नवगठित इकाई के मुख्य उद्देश्य होंगे—

  • टीसीएस की मौजूदा एआई क्षमताओं को एक संरचना में समेकित करना।

  • वैश्विक ग्राहकों के लिए एआई-आधारित डोमेन समाधान विकसित करना।

  • आईटी संचालन में नवाचार और दक्षता बढ़ाना।

  • एआई साझेदारियों को मज़बूत करना और कर्मचारियों के री-स्किलिंग (पुनः कौशल विकास) पर ध्यान देना।

कंपनी ने अपने आंतरिक ज्ञापन (इंटर्नल मेमो) में कहा कि यह पहल उसके वर्षों के एआई निवेश, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और क्षमताओं के विस्तार पर आधारित है।

नेतृत्व: अमित कपूर की कमान

  • अमित कपूर, जो टीसीएस में 20 वर्षों से कार्यरत हैं, को इस नई इकाई का प्रमुख नियुक्त किया गया है।

  • इससे पहले वे यूके और आयरलैंड व्यवसाय का नेतृत्व कर रहे थे, जो टीसीएस के सबसे मज़बूत बाज़ारों में से एक है।

  • उनकी नियुक्ति यह दर्शाती है कि टीसीएस ने अपनी वैश्विक रणनीति और एआई मिशन की अगुवाई के लिए एक विश्वसनीय और अनुभवी अंदरूनी नेता को चुना है।

इस पहल का महत्व

  • टीसीएस के लिए – प्रतिस्पर्धियों से अलग पहचान बनाना और दीर्घकालिक एआई-आधारित अनुबंध सुरक्षित करना।

  • भारतीय आईटी क्षेत्र के लिए – भारत की पहली प्रमुख आईटी कंपनी बनकर उदाहरण प्रस्तुत करना, जो विशेष एआई इकाई समर्पित करती है।

  • ग्राहकों के लिए – ऑटोमेशन से लेकर बिज़नेस इंटेलिजेंस तक, एंड-टू-एंड एआई समाधान उपलब्ध कराना।

  • कर्मचारियों के लिए – यह दर्शाता है कि एआई अपनाने के साथ निरंतर री-स्किलिंग की आवश्यकता है, जिससे आईटी नौकरियों और करियर पथ में बदलाव आएगा।

बिहार कैबिनेट ने महिलाओं की नौकरियों के लिए महिला रोजगार योजना को मंजूरी दी

महिला सशक्तिकरण और आर्थिक समावेशन की दिशा में एक प्रगतिशील कदम उठाते हुए बिहार सरकार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में “मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना” को 29 अगस्त 2025 को मंजूरी दी। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं में स्वरोज़गार को प्रोत्साहित करना, उन्हें वित्तीय सहायता एवं बुनियादी ढाँचा उपलब्ध कराना है, ताकि आजीविका के अवसर बढ़ें और राज्य से हो रहे पलायन को कम किया जा सके।

योजना की मुख्य विशेषताएँ: महिला उद्यमियों के लिए वित्तीय सहायता

  • प्रत्येक परिवार की एक महिला को ₹10,000 की प्रारंभिक सहायता दी जाएगी।

  • यह राशि सीधे डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से लाभार्थी के बैंक खाते में हस्तांतरित होगी।

  • आवेदन जल्द शुरू होंगे और राशि का हस्तांतरण सितंबर 2025 से आरंभ किया जाएगा।

  • छह महीने की गतिविधि के बाद प्रदर्शन समीक्षा (Performance Review) की जाएगी।

  • समीक्षा के आधार पर लाभार्थियों को अतिरिक्त ₹2 लाख तक की सहायता दी जा सकती है ताकि वे अपने व्यवसाय या रोजगार गतिविधि को विस्तार दे सकें।

आत्मनिर्भरता और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा

यह योजना एक नीचे से ऊपर (Bottom-up) मॉडल पर आधारित है, जिसमें महिलाएँ अपनी पसंद के अनुसार रोजगार गतिविधियों का चयन कर सकती हैं, जैसे—

  • लघु स्तर का उत्पादन

  • हस्तशिल्प और कारीगरी

  • डेयरी, पोल्ट्री या कृषि आधारित उद्यमिता

  • खुदरा व्यापार और सेवा क्षेत्र

सरकार इन गतिविधियों को सहयोग देने के लिए राज्य के गाँवों, कस्बों और शहरों में हाट-बाज़ार स्थापित करेगी, जिससे महिलाएँ सीधे अपने उत्पाद बेच सकें और बिचौलियों पर निर्भरता कम हो।

व्यापक सामाजिक-आर्थिक लक्ष्य

इस पहल के माध्यम से बिहार सरकार का उद्देश्य है—

  • ग्रामीण और अर्ध-शहरी महिलाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन।

  • पारिवारिक आय और जीवन स्तर में सुधार।

  • विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में अनिवार्य पलायन को कम करना

  • स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करना और घरेलू उद्यमों को प्रोत्साहन देना।

नुआखाई महोत्सव 2025: ओडिशा का फसल उत्सव

नुआखाई उत्सव 2025, पश्चिमी ओडिशा का सबसे प्रमुख सांस्कृतिक और कृषि पर्व, इस वर्ष 28 अगस्त 2025 (गुरुवार) को मनाया जाएगा। भाद्रपद मास की पंचमी तिथि को, गणेश चतुर्थी के अगले दिन आने वाला यह पर्व नए धान की पहली फसल के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और परिवार व समाजिक संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक है। इस दिन किसान समुदाय देवी को नए अन्न का प्रथम अर्पण करता है और फिर परिवार व समाज के साथ उसका सेवन करता है। यह पर्व न केवल कृषि परंपरा का उत्सव है, बल्कि संबलपुरी अंचल और पश्चिमी ओडिशा की सांस्कृतिक पहचान का भी एक अहम हिस्सा है।

अर्थ और महत्व

नुआखाई” शब्द दो उड़िया शब्दों से बना है — “नुआ” (नया) और “खाई” (भोजन), जिसका अर्थ है नए धान का सेवन करना। पारंपरिक रूप से यह पर्व कृषि से जुड़ा हुआ है और इसके मुख्य पहलू इस प्रकार हैं—

  • देवी को अर्पण करने के बाद नए चावल का पहला सेवन करना।

  • किसानों के लिए आशा की किरण लाना, जो समृद्धि और प्रचुरता का प्रतीक है।

  • ओडिशा के संबलपुरी क्षेत्र तथा झारखंड और छत्तीसगढ़ के आस-पास के इलाकों की सांस्कृतिक पहचान के रूप में स्थापित होना।

अनुष्ठान: नुआखाई के नौ रंग

नुआखाई पर्व नौ विशिष्ट अनुष्ठानों से जुड़ा हुआ है, जिन्हें नुआखाई के नौ रंग कहा जाता है—

  1. बेहेरेन – पर्व की तिथि की घोषणा।

  2. लग्ना देखा – शुभ मुहूर्त (लग्न) का निर्धारण।

  3. डाका हाका – रिश्तेदारों और समुदाय के सदस्यों को आमंत्रण।

  4. सफा सुतुरा और लिपा पुच्छा – घर की सफाई और तैयारी।

  5. घिना बिका – पर्व के लिए आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी।

  6. नुआ धान खुज्हा – नई फसल की खोज।

  7. बाली पका – देवी को फसल अर्पित कर प्रसाद बनाना।

  8. नुआखाई – प्रार्थना के बाद नए चावल का सेवन, साथ में नृत्य और संगीत।

  9. जुहार भेंट – बड़ों का आशीर्वाद लेना और उपहारों का आदान-प्रदान।

ये अनुष्ठान पर्व की गहरी आध्यात्मिकता और सामुदायिक भावना को दर्शाते हैं।

ओडिशा भर में उत्सव

  • परिवार सबसे पहले नए धान को देवी लक्ष्मी को अर्पित करते हैं और समृद्धि व सुख की कामना करते हैं।

  • इसके बाद बड़ों द्वारा प्रसाद बांटा जाता है और सभी सदस्य प्रणाम, शुभकामनाएँ और सांस्कृतिक मेल-मिलाप करते हैं।

  • लोग नए संबलपुरी वस्त्र पहनते हैं और पारंपरिक नृत्यों जैसे रासकेली, डालखाई, मैलेजाड़ा और सजनी में भाग लेते हैं, जिनके साथ लोकसंगीत होता है।

  • प्रवासी उड़िया समुदाय भी भारत के विभिन्न हिस्सों में इस पर्व को मनाकर अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहते हैं

नुआखाई की तिथि निर्धारण

परंपरागत रूप से नुआखाई की तिथि फसल कटाई के बाद तय होती थी, इसलिए यह अलग-अलग क्षेत्रों में अलग दिन मनाई जाती थी। किंतु 1991 से इसे निश्चित रूप से भाद्रब शुक्ल पंचमी पर मनाया जाने लगा, ताकि सभी क्षेत्रों में एकसमान रूप से उत्सव आयोजित किया जा सके, चाहे फसल की तैयारी किसी भी अवस्था में क्यों न हो।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4.38 अरब डॉलर घटकर 690.72 अरब डॉलर पर

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, 22 अगस्त 2025 को समाप्त सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में 4.38 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 690.72 अरब डॉलर पर पहुँच गया। यह गिरावट हाल ही में दर्ज उछाल के बाद आई है, जब सितंबर 2024 में भंडार अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर 704.88 अरब डॉलर पर पहुँचा था।

भंडार के घटक

  1. विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCAs)

    • सबसे बड़ा हिस्सा।

    • 3.65 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 582.25 अरब डॉलर पर पहुँचा।

    • इसमें केवल अमेरिकी डॉलर ही नहीं बल्कि यूरो, पाउंड और येन जैसी प्रमुख मुद्राओं की चाल का भी प्रभाव होता है।

  2. स्वर्ण भंडार (Gold Reserves)

    • 665 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज हुई।

    • अब कुल मूल्य 66.58 अरब डॉलर

    • यह बढ़ोतरी दर्शाती है कि भारत सुरक्षित निवेश (Safe-Haven Asset) के रूप में सोने में विविधीकरण जारी रखे हुए है।

  3. विशेष आहरण अधिकार (SDRs)

    • 46 मिलियन डॉलर की कमी।

    • कुल मूल्य घटकर 18.73 अरब डॉलर

  4. आईएमएफ रिज़र्व पोज़ीशन

    • 23 मिलियन डॉलर की हल्की कमी।

    • कुल मूल्य 4.73 अरब डॉलर

हाल के रुझान

  • 15 अगस्त 2025 को समाप्त सप्ताह में भंडार 1.48 अरब डॉलर बढ़कर 695.10 अरब डॉलर हुआ था।

  • मौजूदा गिरावट मुख्यतः विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में उतार-चढ़ाव और अंतरराष्ट्रीय बाजार की गतिविधियों के कारण है।

  • इसके बावजूद, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब भी विश्व में शीर्ष स्तरों में से एक है, जो बाहरी झटकों से बचाव का मजबूत आधार प्रदान करता है।

आरबीआई की भूमिका

भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करता है ताकि रुपया स्थिर रहे और अत्यधिक अस्थिरता को नियंत्रित किया जा सके। इसके लिए:

  • डॉलर की बिक्री की जाती है ताकि रुपया तेज़ी से न गिरे।

  • लिक्विडिटी प्रबंधन द्वारा बाजार को सुचारु बनाए रखा जाता है।

महत्वपूर्ण: RBI यह स्पष्ट करता है कि उसका उद्देश्य किसी विशिष्ट विनिमय दर (Exchange Rate) को तय करना नहीं है, बल्कि बाजार में व्यवस्थित कार्यप्रणाली (Orderly Operations) बनाए रखना है।

मज़बूत विदेशी मुद्रा भंडार का महत्व

  • मुद्रा स्थिरता सुनिश्चित करना, विशेषकर बाहरी संकटों में।

  • कच्चे तेल और आवश्यक वस्तुओं के आयात भुगतान का समर्थन।

  • विदेशी निवेशकों का विश्वास बनाए रखना

  • वैश्विक व्यापार अवरोध, शुल्क तनाव और पूँजी के बहिर्वाह (Capital Outflow) के दौरान सुरक्षा कवच प्रदान करना।

रिलायंस सिंगापुर से तीन गुना बड़ा सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट बनाएगी

रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने गुजरात के जामनगर और कच्छ को स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के वैश्विक केंद्र बनाने की महत्त्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। कंपनी के 48वें वार्षिक आम बैठक (AGM) में रिलायंस न्यू एनर्जी के निदेशक अनंत अंबानी ने सौर ऊर्जा, बैटरी स्टोरेज और हाइड्रोजन तकनीक में कंपनी के विशाल निवेश और अवसंरचना निर्माण का खाका प्रस्तुत किया। यह पहल भारत की स्थिति को वैश्विक ग्रीन एनर्जी इकोनॉमी में पुनर्परिभाषित करेगी।

जामनगर: विश्व का सबसे बड़ा एकीकृत ऊर्जा कॉम्प्लेक्स

धीरुभाई अंबानी गीगा एनर्जी कॉम्प्लेक्स

जामनगर में बन रहा यह कॉम्प्लेक्स विश्वस्तर पर अनूठा होगा। इसमें सौर पैनल, ग्रीन हाइड्रोजन, बैटरी स्टोरेज और इलेक्ट्रोलाइज़र उत्पादन के लिए गीगाफैक्ट्रियाँ एक ही जगह पर स्थापित की जा रही हैं।

मुख्य तथ्य:

  • 4.4 करोड़ वर्ग फुट निर्माण क्षेत्र

  • 7 लाख टन स्टील (100 एफिल टॉवर जितना)

  • 34 लाख घन मीटर कंक्रीट

  • 1 लाख किमी केबल (चाँद तक जाकर वापस आने जितना)

  • चरम समय पर 50,000 कार्यबल

बैटरी और हाइड्रोजन गीगाफैक्ट्री

  • बैटरी गीगाफैक्ट्री – 2026 से 40 GWh/वर्ष क्षमता से शुरू होगी, बाद में 100 GWh/वर्ष तक बढ़ेगी।

  • इलेक्ट्रोलाइज़र गीगाफैक्ट्री – 2026 के अंत तक 3 GW/वर्ष क्षमता के साथ शुरू होगी, जिससे बड़े पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संभव होगा।

कच्छ: भारत का सबसे बड़ा सौर प्रोजेक्ट

एकल-स्थल विश्व की सबसे बड़ी सौर परियोजना

कच्छ में रिलायंस 5.5 लाख एकड़ (सिंगापुर से तीन गुना बड़ा क्षेत्र) में सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित कर रहा है।

क्षमताएँ:

  • प्रतिदिन 55 मेगावाट सौर मॉड्यूल की स्थापना

  • प्रतिदिन 150 MWh बैटरी कंटेनर की स्थापना

भारत की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति

यह विशाल सुविधा अगले एक दशक में भारत की लगभग 10% बिजली की मांग पूरी कर सकती है। कच्छ को यह परियोजना राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर सौर एवं स्टोरेज हब बना देगी।

एकीकृत ग्रीन एनर्जी एक्सपोर्ट हब

रिलायंस जामनगर, कच्छ और कांडला की परियोजनाओं को आपस में जोड़कर एक एकीकृत हरित ऊर्जा सप्लाई चेन बनाने की योजना बना रहा है। इसके माध्यम से निम्न उत्पादों का बड़े पैमाने पर उत्पादन और निर्यात किया जाएगा:

  • ग्रीन हाइड्रोजन

  • ग्रीन अमोनिया

  • ग्रीन मेथनॉल

  • सतत विमानन ईंधन (SAF)

यह पहल भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके उत्पादों का किफायती वैश्विक केंद्र स्थापित करेगी।

राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस 2025: महत्व और उद्देश्य

राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस 2025 पूरे भारत में 30 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन का उद्देश्य लघु उद्योगों (SSIs) के योगदान को पहचानना और प्रोत्साहित करना है, जो भारत की आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और नवाचार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह दिवस वर्ष 2001 से प्रतिवर्ष आयोजित किया जा रहा है।

राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस की पृष्ठभूमि

  • इस दिवस की शुरुआत वर्ष 2000 में सरकार द्वारा घोषित एक नीतिगत पैकेज से हुई थी, जिसका उद्देश्य था:

    • लघु उद्योगों के भुगतान में देरी की समस्या का समाधान करना।

    • अवसंरचना और प्रौद्योगिकी तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करना।

    • लघु उद्योगों के लिए सहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना।

  • 30 अगस्त 2001 को इसे पहली बार मनाया गया।

  • 2007 में संबंधित मंत्रालयों के विलय से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) का गठन हुआ, जिसने इस क्षेत्र को और अधिक संस्थागत सहयोग प्रदान किया।

राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस का महत्व

लघु उद्योगों को भारत के औद्योगिक क्षेत्र की रीढ़ माना जाता है। इनके महत्व के मुख्य बिंदु हैं:

  • आर्थिक योगदान – जीडीपी और निर्यात में बड़ा हिस्सा, जो आर्थिक स्थिरता को मजबूती देता है।

  • रोजगार सृजन – ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लाखों नौकरियाँ उपलब्ध कराना।

  • समावेशी विकास – क्षेत्रीय असमानताओं को कम कर संतुलित औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देना।

  • सांस्कृतिक संरक्षण – परंपरागत शिल्प और कौशल को बनाए रखना।

  • उद्यमिता और नवाचार – जमीनी स्तर पर नए उद्यमों और आधुनिक तकनीक अपनाने को प्रोत्साहित करना।

राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस 2025 के उद्देश्य

इस वर्ष के आयोजन का मुख्य फोकस निम्नलिखित लक्ष्यों पर है:

  1. लघु उद्योगों का प्रोत्साहन – इन्हें आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र के अहम हिस्से के रूप में बढ़ावा देना।

  2. रोजगार सृजन – युवाओं के लिए नए व्यवसायों के जरिए अवसर उपलब्ध कराना।

  3. संतुलित आर्थिक विकास – ग्रामीण और शहरी औद्योगिकीकरण के बीच की खाई को पाटना।

  4. उद्यमियों का सम्मान – कारीगरों और छोटे उद्यमियों को नवाचार और सांस्कृतिक संरक्षण हेतु सम्मानित करना।

  5. नीतिगत जागरूकता – सरकार की योजनाओं जैसे क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE), क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम और डिजिटल पहल का प्रचार।

  6. समावेशी विकास – ग्रामीण और वंचित समुदायों की औद्योगिक वृद्धि में भागीदारी सुनिश्चित करना।

  7. कौशल विकास और नवाचार – प्रशिक्षण, उन्नयन और आधुनिक तकनीक अपनाने को बढ़ावा देना।

राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस पर गतिविधियाँ

इस अवसर पर एमएसएमई मंत्रालय, उद्योग संघों और राज्य सरकारों द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे:

  • उत्कृष्ट लघु उद्यमियों को सम्मानित करने हेतु पुरस्कार समारोह

  • कार्यशालाएँ और प्रशिक्षण कार्यक्रम – कौशल विकास, प्रौद्योगिकी अपनाने और नवाचार पर।

  • नीतिगत जागरूकता अभियान – सरकारी योजनाओं और वित्तीय सहयोग के बारे में।

  • प्रदर्शनियाँ और मेले – ग्रामीण और शहरी लघु उद्योगों के उत्पादों का प्रदर्शन।

  • नेटवर्किंग कार्यक्रम – उद्यमियों को निवेशकों, मार्गदर्शकों और नीतिनिर्माताओं से जोड़ना।

राष्ट्रपति मुर्मू ने स्कोप एमिनेंस पुरस्कार प्रदान किए

भारत की विकास यात्रा में सार्वजनिक उपक्रमों की भूमिका को ऐतिहासिक मान्यता देते हुए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 29 अगस्त 2025 को नई दिल्ली में स्कोप एमिनेंस अवॉर्ड्स 2022–23 प्रदान किए। यह पुरस्कार स्टैंडिंग कॉन्फ्रेंस ऑफ पब्लिक एंटरप्राइजेज (SCOPE) द्वारा स्थापित किए गए हैं, जिनका उद्देश्य शासन, नवाचार और सतत विकास में उत्कृष्ट प्रदर्शन को सम्मानित करना है। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम (CPSEs) वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।

सार्वजनिक उपक्रम: स्वतंत्रता के बाद से राष्ट्र निर्माता

स्वतंत्रता के बाद औद्योगिकीकरण, बुनियादी ढांचे के निर्माण, सामाजिक समावेशन, क्षेत्रीय संतुलन और आर्थिक प्रगति में सार्वजनिक उपक्रमों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। समय के साथ ये उपक्रम बदलती अपेक्षाओं के अनुरूप ढले हैं, किंतु राष्ट्र निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को निरंतर बनाए रखा है।

सीपीएसई केवल आर्थिक इकाइयाँ नहीं हैं, बल्कि समावेशी विकास के उत्प्रेरक हैं। आर्थिक, पर्यावरणीय, तकनीकी और नैतिक आयामों में उनका प्रदर्शन एक समग्र प्रगति मॉडल प्रस्तुत करता है।

प्रमुख योगदान और उपलब्धियाँ

राष्ट्रपति मुर्मू ने सीपीएसई की निम्नलिखित उपलब्धियों पर प्रकाश डाला:

  • आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसे राष्ट्रीय अभियानों के अनुरूप घरेलू क्षमता निर्माण

  • रक्षा क्षेत्र में नवाचार – विशेषकर आकाशतीर प्रणाली, जिसे ऑपरेशन सिन्दूर में उपयोग किया गया और जो स्वदेशी तकनीकी प्रगति का उत्कृष्ट उदाहरण है।

  • कृषि, खनन, अन्वेषण, विनिर्माण, प्रसंस्करण और सेवाओं में विस्तृत योगदान

  • कॉरपोरेट गवर्नेंस, सामाजिक दायित्व और पारदर्शिता व नैतिकता के उच्च मानकों का पालन करते हुए निरंतर प्रदर्शन।

स्कोप एमिनेंस अवॉर्ड्स: सार्वजनिक उपक्रमों की उत्कृष्टता का उत्सव

स्कोप एमिनेंस अवॉर्ड्स सार्वजनिक क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रथाओं और नवाचारों को मान्यता देते हैं। इन पुरस्कारों का उद्देश्य ऐसे प्रयासों को सराहना देना है, जो उपक्रमों के लक्ष्यों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जोड़ते हैं।

इनकी मूल्यांकन प्रक्रिया में कॉरपोरेट गवर्नेंस, सतत विकास और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे मानकों को शामिल किया जाता है, जिससे यह केवल वित्तीय प्रदर्शन पर नहीं बल्कि नैतिक शासन और सामाजिक प्रगति पर आधारित योगदानों का उत्सव बनते हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने स्कोप की इस पहल की सराहना की, जिसमें केवल आर्थिक लाभ ही नहीं बल्कि नैतिकता, पारदर्शिता और समाज कल्याण को भी समान रूप से महत्व दिया जाता है।

15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन का संयुक्त वक्तव्य

वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत और जापान ने अपनी गहरी मित्रता को दोहराते हुए एक सुरक्षित, नवोन्मेषी और समृद्ध भविष्य के लिए साहसिक दृष्टि प्रस्तुत की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 29–30 अगस्त 2025 की जापान यात्रा के दौरान (15वाँ भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन), दोनों देशों ने रक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और जन-जन सहयोग में कई समझौतों के साथ अपने विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को और मज़बूत किया। इस सम्मेलन की मेज़बानी जापानी प्रधानमंत्री इशिबा शिगेरु ने की।

एक दशक की रणनीतिक प्रगति

दोनों नेताओं ने लोकतांत्रिक मूल्यों, सांस्कृतिक संबंधों और साझा रणनीतिक दृष्टिकोण पर आधारित भारत-जापान संबंधों के पिछले दशक के विस्तार पर विचार किया। 70 से अधिक संवाद तंत्रों के साथ यह रिश्ता एशिया की सबसे गतिशील साझेदारियों में से एक बन गया है, जिसमें समुद्री सुरक्षा से लेकर स्वच्छ प्रौद्योगिकी तक शामिल है।

सहयोग के तीन स्तंभ: रक्षा, अर्थव्यवस्था और आदान-प्रदान

1. रक्षा और सुरक्षा सहयोग

  • संयुक्त सुरक्षा घोषणा-पत्र को अपनाया गया।

  • वीर गार्जियन, तरंग शक्ति और मिलन जैसे अभ्यासों से सैन्य सहयोग और इंटरऑपरेबिलिटी में बढ़ोतरी।

  • रक्षा प्रौद्योगिकी विकास और समुद्री सुरक्षा में संयुक्त प्रतिबद्धता।

2. आर्थिक और तकनीकी साझेदारी

  • भारत-जापान आर्थिक सुरक्षा पहल का शुभारंभ → सेमीकंडक्टर, दूरसंचार, फार्मा और सप्लाई-चेन लचीलापन पर फोकस।

  • महत्वपूर्ण खनिजों पर समझौता ज्ञापन (MoU)

  • भारत में जापानी निजी निवेश का लक्ष्य: ¥10 ट्रिलियन (पिछले लक्ष्य का दोगुना)।

  • CEPA समझौते का उन्नयन, जिससे व्यापारिक रिश्ते और मज़बूत होंगे।

3. जन-जन और प्रतिभा आदान-प्रदान

  • मानव संसाधन आदान-प्रदान कार्ययोजना – पाँच साल में 5 लाख लोगों का आदान-प्रदान, जिनमें 50,000 भारतीय पेशेवर जापान भेजे जाएंगे।

  • जापानी भाषा और मैन्युफैक्चरिंग कौशल शिक्षा का विस्तार।

  • फुकुओका में भारत का नया वाणिज्य दूतावास।

डिजिटल और एआई नवाचार – नई दिशा

  • भारत-जापान डिजिटल साझेदारी 2.0 का शुभारंभ।

  • एआई सहयोग पहल: AI और LLMs में संयुक्त अनुसंधान।

  • संयुक्त R&D, स्टार्टअप इनक्यूबेशन, भारत में डेटा सेंटर।

  • डिजिटल टैलेंट एक्सचेंज और उद्योग-शिक्षा मंच।

स्वच्छ ऊर्जा और अवसंरचना सहयोग

  • स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी और हाइड्रोजन व अमोनिया पर संयुक्त घोषणा

  • मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल में शिंकानसेन E10 ट्रेनें और सिग्नलिंग सिस्टम

  • संयुक्त ऋण व्यवस्था (जेसीएम) के तहत सतत विकास सहयोग।

वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग

  • Indo-Pacific साझेदारी → ASEAN केंद्रीयता, FOIP दृष्टि और QUAD सहयोग का समर्थन।

  • एक्ट ईस्ट फोरम और अफ्रीका विकास पहल में सहयोग।

वैश्विक मुद्दों पर रुख

  • यूक्रेन और गाज़ा में शांति का आह्वान, कूटनीति और मानवीय सहायता का समर्थन।

  • उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण और अप्रैल 2025 पहलगाम आतंकी हमले की निंदा।

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार की तात्कालिकता दोहराई, एक-दूसरे की स्थायी सदस्यता की उम्मीदवारी का समर्थन।

उपलब्धियों का उत्सव और आगे की राह

  • 2027 में भारत-जापान राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ विशेष आयोजनों के साथ मनाई जाएगी।

  • 2025 को भारत-जापान विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार आदान-प्रदान वर्ष घोषित किया गया, जो S&T सहयोग की 40वीं वर्षगांठ भी है।

  • LUPEX चंद्र मिशन और उन्नत शैक्षणिक कार्यक्रम इस सहयोग का हिस्सा हैं।

वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 7.8% की मजबूत वृद्धि के साथ बढ़ी

भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल–जून) में तेज़ी दिखाई, जहाँ जीडीपी वृद्धि दर 7.8% दर्ज की गई। यह प्रदर्शन बाज़ार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) दोनों के अनुमानों से बेहतर रहा और पिछली तिमाही (Q1 FY25) के 6.5% की तुलना में स्पष्ट रूप से तेज़ था। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच यह वृद्धि मज़बूत मैक्रोइकोनॉमिक बुनियादों को दर्शाती है।

क्षेत्रवार वृद्धि

कृषि क्षेत्र – ग्रामीण मांग का सहारा

  • कृषि क्षेत्र में 3.7% की वृद्धि दर्ज हुई (पिछले साल इसी अवधि में 1.5%)।

  • सामान्य से अधिक मानसून और बेहतर फसल उत्पादन ने अस्थिरता को उलटते हुए सुधार में मदद की।

विनिर्माण और निर्माण

  • विनिर्माण (Manufacturing): 7.7% वृद्धि → औद्योगिक गतिविधि और मांग में सुधार।

  • निर्माण (Construction): 7.6% वृद्धि → इन्फ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स की निरंतर गति।

सेवा क्षेत्र – सबसे बड़ा योगदानकर्ता

  • सेवा क्षेत्र, जो भारत की जीडीपी का आधे से अधिक हिस्सा है, ने 9.3% की वृद्धि दर्ज की (पिछले साल Q1 FY25 में 6.8%)।

  • व्यापार, परिवहन, आतिथ्य (Hospitality) और वित्तीय सेवाओं में मज़बूत बढ़त इसका प्रमुख कारण रहा।

निवेश और खपत के रुझान

निवेश और सरकारी खर्च

  • सकल स्थिर पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ): 7.8% (पिछले साल 6.7%) → इन्फ्रास्ट्रक्चर व उपकरणों में निवेश बढ़ा।

  • सरकारी अंतिम उपभोग व्यय: 9.7% (पिछले साल 4%) → राजमार्ग, बंदरगाह, रेलवे और हवाई अड्डों पर तेज़ निवेश।

निजी खपत धीमी

  • निवेश और सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के बावजूद Private Final Consumption की रफ्तार धीमी रही।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू मांग कमजोर रही।

अनुमान से बेहतर प्रदर्शन: RBI और IMF का दृष्टिकोण

  • RBI का अनुमान: Q1 FY26 के लिए 6.5% वृद्धि, जबकि वास्तविक आँकड़ा 7.8% रहा।

  • सकारात्मक कारक:

    • सामान्य से अधिक मानसून

    • उत्पादन क्षमता (Capacity Utilization) में वृद्धि

    • कम महंगाई

    • वित्तीय परिस्थितियों में सुधार

  • RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि सरकारी पूंजीगत व्यय और सेवा क्षेत्र में मजबूती से आर्थिक गति बनी रहेगी।

वैश्विक स्तर पर IMF का आकलन

  • IMF ने पुष्टि की कि भारत ही एकमात्र प्रमुख अर्थव्यवस्था है जो FY26 में 6% से अधिक की वृद्धि दर्ज करेगा।

  • यह भविष्यवाणी वैश्विक व्यापार व्यवधानों और टैरिफ तनाव के बावजूद की गई है।

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