मेघालय ने शरद ऋतु कैलेंडर 2025 लॉन्च किया

मेघालय सरकार ने पर्यटन विभाग की पहल के तहत ऑटम कैलेंडर 2025 लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि को प्रदर्शित करना और स्थानीय आजीविकाओं को मज़बूती देना है। इस कैलेंडर के माध्यम से मेघालय को संगीत, खेल और संस्कृति का प्रमुख वैश्विक पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है।

ऑटम कैलेंडर की मुख्य झलकियाँ

  • मुख्यमंत्री मेघालय ग्रासरूट्स म्यूजिक प्रोजेक्ट: राज्यभर में स्थानीय प्रतिभाओं का रोज़ाना मंचन।

  • चेरी ब्लॉसम फेस्टिवल: अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की भागीदारी के साथ भारत के सबसे बड़े सांस्कृतिक उत्सवों में से एक।

  • अंतरराष्ट्रीय कायाकिंग प्रतियोगिताएँ: रोमांचक जल क्रीड़ाओं के माध्यम से साहसिक पर्यटन को बढ़ावा।

  • मोटरस्पोर्ट प्रतियोगिताएँ: कैलेंडर में उत्साह और रोमांच का समावेश।

  • साहित्यिक संवाद और सतत पर्यटन प्रदर्शनियाँ: ज्ञान-विनिमय और पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन को प्रोत्साहन।

सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव

  • स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूती: पर्यटन, हस्तशिल्प और आतिथ्य सेवाओं से स्थानीय समुदायों की आय में वृद्धि।

  • स्थानीय प्रतिभाओं को बढ़ावा: ग्रासरूट्स म्यूजिक प्रोजेक्ट के ज़रिए युवाओं को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुति का अवसर।

  • वैश्विक पहचान: अंतरराष्ट्रीय कलाकारों और खिलाड़ियों की भागीदारी से मेघालय की छवि एक सांस्कृतिक हब के रूप में मज़बूत।

पर्यटन विकास दृष्टिकोण

  • घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना।

  • मेघालय की प्राकृतिक सुंदरता, संगीत और परंपराओं को बढ़ावा देना।

  • ऐसा सतत पर्यटन मॉडल बनाना, जिससे स्थानीय समुदायों को लाभ मिले और पर्यावरण सुरक्षित रहे।

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य

  • राज्यपाल: चंद्रशेखर एच. विजयशंकर

  • मुख्यमंत्री: कॉनराड संगमा

  • राजधानी: शिलांग

  • सीमाएँ: असम से लगती हैं

  • अंतरराष्ट्रीय सीमा: बांग्लादेश से

भारत का सेवा क्षेत्र पीएमआई 15 साल के उच्चतम स्तर पर

एसएंडपी ग्लोबल के आंकड़ों के अनुसार, भारत का सेवा क्षेत्र अगस्त 2025 में 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया, और एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज पीएमआई बढ़कर 62.9 हो गया। यह वृद्धि मजबूत घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग के कारण हुई। इस वृद्धि ने कीमतों में एक दशक से भी ज़्यादा समय में सबसे तेज़ वृद्धि को भी बढ़ावा दिया, क्योंकि कंपनियों ने बढ़ती इनपुट लागत का बोझ ग्राहकों पर डाल दिया। उत्पादन मूल्य मुद्रास्फीति जुलाई 2012 के बाद अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच गई, जबकि निर्यात ऑर्डर में 14 महीनों में सबसे तेज़ वृद्धि देखी गई। इसके बावजूद, रोज़गार वृद्धि मामूली रही।

PMI डेटा की मुख्य बातें (अगस्त 2025)

PMI डेटा के मुख्य बिंदु

  • इंडिया सर्विसेज PMI: जुलाई के 60.5 से बढ़कर अगस्त में 62.9

  • 15 साल का रिकॉर्ड: 2010 के बाद सबसे तेज़ वृद्धि।

  • कंपोज़िट PMI: 63.2 पर, 17 वर्षों का उच्चतम स्तर, सेवाओं और विनिर्माण दोनों में मज़बूत वृद्धि का संकेत।

  • निर्यात ऑर्डर: 14 महीनों में सबसे तेज़ बढ़त।

  • महंगाई (Inflation):

    • आउटपुट प्राइस जुलाई 2012 के बाद सबसे अधिक स्तर पर।

    • इनपुट लागत 9 महीनों में सबसे तेज़ दर से बढ़ी।

वृद्धि के पीछे कारण

  • मज़बूत घरेलू मांग: व्यवसायों को नए ऑर्डरों में तेज़ उछाल मिला।

  • अंतरराष्ट्रीय मांग: निर्यात-आधारित सेवाओं को गति मिली।

  • व्यापार विश्वास: विज्ञापन योजनाओं और सकारात्मक मांग पूर्वानुमान से भरोसा मज़बूत हुआ।

महंगाई का दबाव

  • कंपनियों ने बढ़ी हुई इनपुट लागत का बोझ ग्राहकों तक पहुँचाया।

  • आउटपुट प्राइस महंगाई 13 साल के उच्चतम स्तर पर पहुँची।

  • अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जुलाई में महंगाई 1.55% (8 वर्षों का न्यूनतम स्तर) तक गिरने के बाद अब फिर से बढ़ सकती है।

रोज़गार और व्यापार दृष्टिकोण

  • रोज़गार वृद्धि: माँग तेज़ होने के बावजूद सीमित रही।

  • व्यापार विश्वास: आगामी वर्ष को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण, विज्ञापन अभियानों और बेहतर बाज़ार परिस्थितियों पर आधारित।

व्यापक आर्थिक परिप्रेक्ष्य

  • भारत की GDP पिछली तिमाही में 7.8% बढ़ी, जो उम्मीदों से अधिक रही।

  • जोखिम: अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर 50% टैरिफ भविष्य की गति को प्रभावित कर सकता है।

  • फिर भी, PMI डेटा सेवाओं और विनिर्माण दोनों में व्यापक आर्थिक मजबूती दर्शाता है।

परीक्षा हेतु मुख्य बिंदु (PMI)

  • PMI (Purchasing Managers’ Index):

    • यह विनिर्माण और सेवाओं दोनों क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधि का संकेतक है।

    • यह सर्वे-आधारित मापदंड है, जो ख़रीद प्रबंधकों की राय और धारणा को दर्शाता है।

    • PMI > 50 → व्यापार गतिविधि में वृद्धि (Expansion)।

    • PMI < 50 → व्यापार गतिविधि में गिरावट (Contraction)।

अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार – पुरानी बनाम नई दरें

हाल ही में 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक ने भारत की कर प्रणाली में ऐतिहासिक सुधार दर्ज किया, जिसे “नेक्स्ट-जेन जीएसटी” कहा जा रहा है। इसे देश के लिए दिवाली उपहार के रूप में पेश किया गया है। इन सुधारों का उद्देश्य घर-परिवारों का बोझ कम करना, कृषि को बढ़ावा देना, एमएसएमई को सशक्त बनाना, स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता करना और ऑटोमोबाइल क्षेत्र को अधिक किफायती बनाना है। इन बदलावों से कर अनुपालन को सरल बनाने, नागरिकों के खर्चों में कटौती करने और आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

यहाँ जानें पुराने बनाम नए कर दरें

परिवारों और दैनिक उपयोग की वस्तुओं में राहत

अब रोज़मर्रा की वस्तुएँ सस्ती हो गई हैं, जिससे सीधे परिवारों को लाभ होगा।

  • हेयर ऑयल, शैम्पू, टूथपेस्ट, टॉयलेट सोप: 18% → 5%

  • टूथ ब्रश, शेविंग क्रीम: 18% → 5%

किसानों और कृषि क्षेत्र को सहारा

किसानों और कृषि-आधारित उद्योगों को बड़ी राहत दी गई है, जिससे इनपुट और मशीनरी सस्ती होगी।

  • ट्रैक्टर टायर और पार्ट्स: 18% → 5%

  • ट्रैक्टर: 12% → 5%

  • मक्खन, घी, चीज़ और डेयरी स्प्रेड्स: 12% → 5%

  • बायो-पेस्टीसाइड्स, नमकीन, भुजिया और मिक्सचर: 12% → 5%

  • सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स): 12% → 5%

  • बर्तन: 12% → 5%

  • ड्रिप सिंचाई प्रणाली और स्प्रिंकलर्स: 12% → 5%

  • शिशु फ़ीडिंग बोतल, नैपकिन और क्लिनिकल डायपर्स: 12% → 5%

स्वास्थ्य क्षेत्र में राहत

स्वास्थ्य सेवाओं और उपकरणों को सस्ता बनाने के लिए बड़े कदम उठाए गए।

  • स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा: 18% → शून्य (Nil)

  • थर्मामीटर: 18% → 5%

  • मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन: 12% → 5%

  • डायग्नोस्टिक किट्स और रिएजेंट्स: 12% → 5%

  • ग्लूकोमीटर और टेस्ट स्ट्रिप्स: 12% → 5%

  • सुधारात्मक चश्मे (Corrective Spectacles): 12% → 5%

ऑटोमोबाइल हुए सस्ते

पर्यावरण-हितैषी और छोटे वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कर में कटौती की गई।

  • पेट्रोल, पेट्रोल हाइब्रिड, एलपीजी, सीएनजी कारें (≤1200cc और 4000mm): 28% → 18%

  • डीज़ल और डीज़ल हाइब्रिड कारें (≤1500cc और 4000mm): 28% → 18%

  • तीन-पहिया वाहन: 28% → 18%

  • मोटरसाइकिल (≤350cc): 28% → 18%

  • माल ढोने वाले मोटर वाहन: 28% → 18%

शिक्षा हुई किफ़ायती

छात्रों के लिए पढ़ाई से जुड़ी वस्तुएँ सस्ती कर दी गई हैं।

  • नक्शे, चार्ट और ग्लोब: 12% → शून्य (Nil)

  • पेंसिल, शार्पनर, क्रेयॉन्स और पेस्टल: 12% → शून्य (Nil)

  • कॉपियाँ, नोटबुक और रबड़: 12% → 5%

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में बचत

घरेलू उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ अब और सस्ती हो गई हैं।

  • एयर कंडीशनर: 28% → 18%

  • टेलीविजन (32 इंच से अधिक): 28% → 18%

  • मॉनिटर और प्रोजेक्टर: 28% → 18%

  • डिश वॉशिंग मशीन: 28% → 18%

जीएसटी में प्रक्रिया सुधार

दर कटौती से आगे बढ़कर व्यापार करने की आसानी पर भी ध्यान दिया गया है।

  • पंजीकरण (Registration): 3 कार्य दिवसों के भीतर स्वतः पंजीकरण, सिस्टम-आधारित विश्लेषण पर।

  • रिफंड (Refunds):

    • शून्य-रेटेड आपूर्ति (Zero-rated supplies)

    • इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर मामलों में स्वतः अस्थायी रिफंड स्वीकृत।

जलवायु कार्रवाई के लिए भारत-जापान संयुक्त ऋण तंत्र

भारत और जापान ने संयुक्त ऋण तंत्र (Joint Credit Mechanism – JCM) समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.2 के अंतर्गत आता है। इस पहल का उद्देश्य कार्बन ट्रेडिंग को बढ़ावा देना, हरित निवेश आकर्षित करना और सतत नवाचार को प्रोत्साहित करना है। यह समझौता उस समय हुआ है जब अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50% टैरिफ लगाया है और चीन ने दुर्लभ मृदा खनिजों पर प्रतिबंध लगाया है। ऐसे में यह भारत के लिए अपनी विनिर्माण क्षमता और स्वच्छ ऊर्जा भविष्य को मज़बूत करने का एक सामरिक विकल्प बनता है।

पृष्ठभूमि और सामरिक महत्व

  • JCM पर हस्ताक्षर भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और जापान सरकार के बीच हुए।

  • यह समझौता लगभग ¥10 ट्रिलियन (₹6 ट्रिलियन) मूल्य के दीर्घकालिक द्विपक्षीय समझौतों का हिस्सा है, जिनमें शामिल हैं:

    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)

    • रक्षा

    • सेमीकंडक्टर्स

    • महत्वपूर्ण खनिज (Critical minerals)

यह साझेदारी भारत को विनिर्माण केंद्र और सतत प्रौद्योगिकी का अग्रणी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

दुर्लभ मृदा आपूर्ति शृंखला चुनौतियाँ

  • अप्रैल 2025 में चीन ने समेरियम, गेडोलिनियम और टर्बियम जैसे दुर्लभ मृदा खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे वैश्विक आपूर्ति शृंखला बाधित हुई।

  • बाद में भारत के लिए यह प्रतिबंध आंशिक रूप से हटाया गया, लेकिन चीन पर निर्भरता उजागर हुई।

  • भारत अब घरेलू खनन और प्रसंस्करण को प्रोत्साहित कर रहा है, हालांकि तकनीकी और पर्यावरणीय चुनौतियाँ मौजूद हैं।

कार्बन ट्रेडिंग और जलवायु वित्त

JCM भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग की अनुमति देता है, जिसके माध्यम से:

  • बाजार-आधारित तंत्र से ग्रीनहाउस गैसों में कमी।

  • डीकार्बोनाइजेशन के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण।

  • जलवायु लक्ष्यों की पूर्ति हेतु क्षमता निर्माण।

यह पहल इसलिए भी अहम है क्योंकि वैश्विक जलवायु वित्त वार्ताएँ ठप पड़ी हैं और अमेरिका पेरिस समझौते से बाहर हो चुका है।

COP30 की भूमिका

  • यह JCM, COP30 (बेलें, ब्राज़ील) से पहले और भी महत्वपूर्ण हो गया है।

  • COP30 में वैश्विक कार्बन बाजार के नियमों पर चर्चा होगी।

  • अब तक केवल 23 देशों ने अपने नए जलवायु लक्ष्यों (NDCs) को प्रस्तुत किया है।

  • भारत-जापान मॉडल दर्शाता है कि द्विपक्षीय सहयोग वैश्विक जलवायु वार्ताओं को पूरक बना सकता है।

भारत का घरेलू कार्बन बाज़ार

  • भारत ने कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (2023) शुरू की और इसके लिए राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण बनाया।

  • JCM के तहत जापानी निवेश स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के प्रयोग में मदद करेंगे।

  • यह भारत की 2070 तक नेट जीरो प्राप्त करने की प्रतिबद्धता को समर्थन देगा।

  • विशेषज्ञ मानते हैं कि JCM अन्य देशों के लिए भी द्विपक्षीय जलवायु साझेदारी का मॉडल बन सकता है।

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य

  • अनुच्छेद 6.2 (पेरिस समझौता): देशों को लचीले और द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से अपने NDCs पूरे करने की अनुमति देता है।

  • यह प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देता है।

  • विकसित देशों से विकासशील देशों की ओर वित्तीय संसाधनों के प्रवाह की सुविधा प्रदान करता है।

  • यह विकासशील देशों को Internationally Transferred Mitigation Outcomes (ITMOs) उत्पन्न करने और व्यापार करने की अनुमति देता है।

भारत-ईएफटीए व्यापार समझौता 1 अक्टूबर से शुरू होगा

भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) ब्लॉक के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) 1 अक्टूबर 2025 से आधिकारिक रूप से लागू हो जाएगा। यह समझौता न केवल बड़े आर्थिक लाभों का वादा करता है, बल्कि भारत के व्यापार इतिहास में पहली बार कानूनी रूप से बाध्यकारी सतत विकास प्रावधान (पर्यावरण, श्रम और मानवाधिकार से जुड़े) भी शामिल करता है।

समझौते की मुख्य विशेषताएँ

EFTA ब्लॉक के सदस्य: आइसलैंड, लिकटेंस्टाइन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड।
हस्ताक्षर तिथि: 10 मार्च 2024 (व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौता – TEPA)।

निवेश प्रतिबद्धता

  • 15 वर्षों में 100 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश।

  • पहले 10 वर्षों में 50 अरब डॉलर और अगले 5 वर्षों में 50 अरब डॉलर।

  • भारत में 10 लाख प्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन अपेक्षित।

बाज़ार पहुँच

  • भारत ने स्विट्ज़रलैंड को 2018–2023 (सोने को छोड़कर) की अवधि के 94.7% निर्यात पर बेहतर पहुँच दी।

  • इसमें औषधियाँ, मशीनरी, ऑप्टिकल उपकरण, घड़ियाँ, चॉकलेट और प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद शामिल हैं।

  • भारत ने स्विस घड़ियों, चॉकलेट तथा तराशे एवं पॉलिश किए हीरे पर शुल्क घटाया/समाप्त किया।

स्थिरता प्रावधान

इस FTA की सबसे अनोखी विशेषता है सतत विकास ढांचा:

  • पर्यावरण संरक्षण, श्रम अधिकार और सामाजिक कल्याण से समझौता न करने का आश्वासन।

  • दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार, पर्यावरण और मानवाधिकार समझौतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

  • व्यापार संबंधों में पारदर्शिता और कानूनी निश्चितता को बढ़ावा मिलेगा।

भारत के लिए रणनीतिक महत्व

  • पहली बार किसी व्यापार समझौते में इतनी बड़ी निवेश प्रतिबद्धता।

  • दीर्घकालिक पूंजी आकर्षित कर भारत में उद्योग और रोजगार को बढ़ावा।

  • दवाइयाँ, मशीनरी और प्रिसीजन उपकरण जैसे उच्च स्तरीय उत्पादों के वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में भारत की भागीदारी को मज़बूत करेगा।

  • भारत की व्यापार नीति को सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ संरेखित करेगा।

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य

  • भारत ने यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) किया।

  • EFTA देशों में स्विट्ज़रलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टाइन शामिल हैं।

  • EFTA की स्थापना 1960 में स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत सात संस्थापक देशों द्वारा की गई थी।

  • EFTA का उद्देश्य अपने सदस्यों के बीच मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है।

लिवरपूल में विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप शुरू

विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप कल से लिवरपूल, यूनाइटेड किंगडम में शुरू होने जा रही है। यह पहली बार है जब इसे हाल ही में गठित नई शासी संस्था वर्ल्ड बॉक्सिंग के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। इस संस्करण की विशेषता यह है कि इतिहास में पहली बार पुरुष और महिला दोनों वर्गों की प्रतियोगिताएँ एक साथ आयोजित होंगी, जो इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बनाती हैं। भारत इस चैंपियनशिप में अनुभवी चैंपियनों और नए प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के मिश्रण के साथ उतर रहा है, जिसका उद्देश्य 2023 में मिले शानदार प्रदर्शन को दोहराना है।

भारत की पिछली सफलता

साल 2023 भारत के लिए विश्व मुक्केबाज़ी में यादगार रहा।

  • महिला टीम ने नई दिल्ली में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में 4 स्वर्ण पदक जीते।

  • पुरुष टीम ने ताशकंद में 3 कांस्य पदक हासिल किए।

इन शानदार प्रदर्शनों ने नए सत्र की शुरुआत से पहले उम्मीदों को और ऊँचा कर दिया है।

महिला टीम: अनुभव और ताकत

भारतीय महिला टीम की कमान देश की सबसे सजी-धजी मुक्केबाज़ों के हाथों में है:

  • निकहत ज़रीन: दो बार की विश्व चैंपियन, जो 51 किग्रा वर्ग में वापसी कर रही हैं। इससे पहले वह 52 किग्रा और 50 किग्रा वर्ग में खिताब जीत चुकी हैं।

  • लवलीना बोरगोहेन: टोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता और तीन बार की विश्व पदक विजेता, जो 75 किग्रा वर्ग में अपने खिताब की रक्षा करेंगी।

  • पूजा रानी: अनुभवी मुक्केबाज़, दो बार की एशियाई चैंपियन और हाल ही में जुलाई में वर्ल्ड कप की रजत पदक विजेता।

ये खिलाड़ी भारत की महिला टीम की रीढ़ हैं और पदक जीतने की सबसे मजबूत उम्मीदें इन्हीं से हैं।

पुरुष टीम: युवा और अवसर

भारत की पुरुष टीम इस बार अधिकतर युवा और अनुभवहीन खिलाड़ियों के साथ उतर रही है, हालांकि कुछ वरिष्ठ मुक्केबाज़ मार्गदर्शन करेंगे:

  • सुमित कुंडू: चोट के बाद वापसी कर रहे हैं और अपने अनुभव से टीम को मजबूती देंगे।

  • सचिन सिवाच: 2021 विश्व युवा चैंपियन, जिनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।

  • हर्ष चौधरी: पिछली विश्व चैंपियनशिप का अनुभव रखने वाले खिलाड़ी।

  • नवोदित मुक्केबाज़: जादुमणि सिंह मंडेंगबम, हितेश गुलिया और अभिनाश जमवाल अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को साबित करने की कोशिश करेंगे।

हालांकि चुनौतियाँ कठिन हैं, लेकिन यह प्रतियोगिता भारतीय पुरुष मुक्केबाज़ों को अंतरराष्ट्रीय अनुभव और खुद को स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगी।

परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य

  • आयोजन: विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप

  • स्थान: लिवरपूल, यूनाइटेड किंगडम

  • आयोजक: पहली बार नई शासी संस्था वर्ल्ड बॉक्सिंग के अंतर्गत

  • प्रारूप: इतिहास में पहली बार पुरुष और महिला प्रतियोगिताएँ एक साथ आयोजित होंगी।

जीएसटी परिषद: संवैधानिक प्रावधान और कार्य

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद भारत में जीएसटी से संबंधित मामलों की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। इसे 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से अनुच्छेद 279A के तहत स्थापित किया गया था, ताकि पूरे देश में एक समान कर संरचना लागू की जा सके। एक संवैधानिक निकाय के रूप में परिषद सहकारी संघवाद को सुनिश्चित करती है, जहाँ केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर जीएसटी की नीतियों, दरों, छूटों और प्रशासन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेती हैं।

जीएसटी परिषद के संवैधानिक प्रावधान

जीएसटी परिषद की शक्तियाँ सीधे संविधान से प्राप्त होती हैं। मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं –

  • परिषद का गठन – अनुच्छेद 279A(1) राष्ट्रपति को निर्देश देता है कि संशोधन लागू होने के 60 दिनों के भीतर परिषद का गठन करें।

  • कर लगाने की सिफारिशें – अनुच्छेद 279A(5) परिषद को यह सुझाव देने की शक्ति देता है कि पेट्रोलियम, डीज़ल और विमानन ईंधन जैसे उत्पादों पर कब जीएसटी लगाया जाए।

  • मार्गदर्शक सिद्धांत – अनुच्छेद 279A(6) यह सुनिश्चित करता है कि परिषद की सिफारिशें राष्ट्रीय बाजार को एकीकृत करें।

  • प्रक्रियात्मक अधिकार – अनुच्छेद 279A(8) परिषद को अपनी प्रक्रियाएँ निर्धारित करने का अधिकार देता है।

  • निर्णयों की वैधता – अनुच्छेद 279A(10) के अनुसार, यदि कोई रिक्ति या प्रक्रियागत त्रुटि हो तो भी निर्णय वैध माने जाएंगे।

  • विवाद समाधान – अनुच्छेद 279A(11) परिषद को केंद्र और राज्यों के बीच जीएसटी विवादों का समाधान करने का अधिकार देता है।

जीएसटी परिषद की संरचना

परिषद में केंद्र और राज्यों का संतुलित प्रतिनिधित्व होता है –

  • अध्यक्ष – केंद्रीय वित्त मंत्री

  • उपाध्यक्ष – राज्यों के वित्त मंत्रियों में से चुना जाता है

  • सदस्य – केंद्र के वित्त/राजस्व राज्य मंत्री

  • सदस्य – प्रत्येक राज्य के वित्त/कर मंत्री (या उनके नामित प्रतिनिधि)

  • स्थायी आमंत्रित – केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अध्यक्ष (बिना मतदान अधिकार)

  • कार्यकारी सचिव – केंद्रीय राजस्व सचिव

जीएसटी परिषद के कार्य

अनुच्छेद 279A(4) के अंतर्गत परिषद के मुख्य कार्य हैं –

  • करों का विलय – ऐसे करों की पहचान करना जिन्हें जीएसटी के तहत समाहित किया जाना है।

  • वस्तु और सेवाएँ – यह तय करना कि किन वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी लगेगा या छूट दी जाएगी।

  • मॉडल कानून – अंतर्राज्यीय व्यापार (अनुच्छेद 269A) के लिए मॉडल कानून और सिद्धांत बनाना।

  • सीमाएँ – जीएसटी छूट के लिए कारोबार की सीमा तय करना।

  • जीएसटी दरें – मानक, न्यूनतम और अधिकतम दरों की सिफारिश करना।

  • विशेष दरें – प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में अतिरिक्त कर दरों का सुझाव देना।

  • विशेष प्रावधान – पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों के लिए विशेष प्रावधान करना।

  • अन्य विषय – जीएसटी के क्रियान्वयन और प्रशासन से जुड़े अन्य मुद्दों पर सिफारिशें देना।

जीएसटी परिषद का कार्यप्रणाली ढाँचा

परिषद सहकारी संघवाद पर आधारित है, जहाँ केंद्र और राज्य दोनों की समान भागीदारी होती है –

  • कोरम – कम से कम आधे सदस्य उपस्थित होने चाहिए।

  • निर्णय लेना – तीन-चौथाई (75%) बहुमत से निर्णय लिए जाते हैं।

  • मतदान का भार

    • केंद्र सरकार का मत – कुल का 1/3

    • राज्यों का सामूहिक मत – कुल का 2/3

परिषद की प्रमुख उपलब्धियाँ

जीएसटी परिषद ने गठन से अब तक कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं –

  • द्वि-स्तरीय जीएसटी मॉडल अपनाना, जिसमें केंद्र (CGST) और राज्य (SGST) दोनों कर लगाते हैं।

  • वस्तुओं और सेवाओं का वर्गीकरण कर स्लैब्स में करना।

  • ऑनलाइन अनुपालन प्रणाली शुरू करना, जिसमें रिटर्न और भुगतान डिजिटल रूप से किए जाते हैं।

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लागू करना ताकि दोहरे कराधान की समस्या दूर हो।

  • कंपोज़िशन योजना लाना ताकि छोटे व्यापारियों को सुविधा हो।

  • दर सुधार कर उपभोक्ताओं पर बोझ कम करना।

  • नियमित परिवर्तन करके उपयुक्त समय पर राहत और स्पष्टता प्रदान करना।

IIT-Madras लगातार सातवें वर्ष एनआईआरएफ रैंकिंग 2025 में शीर्ष पर

शिक्षा मंत्रालय द्वारा 4 सितंबर 2025 को जारी राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग रूपरेखा (NIRF) ने एक बार फिर से आईआईटी-मद्रास को भारत का अग्रणी शैक्षणिक संस्थान घोषित किया। लगातार सातवें वर्ष आईआईटी-मद्रास ने ओवरऑल कैटेगरी में पहला स्थान हासिल किया, जबकि भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु और आईआईटी-मुंबई क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। इस रैंकिंग के 10वें संस्करण में इंजीनियरिंग, प्रबंधन, विधि, चिकित्सा, कृषि, अनुसंधान और सतत विकास सहित 17 श्रेणियों में उत्कृष्टता को रेखांकित किया गया।

NIRF 2025 की मुख्य झलकियाँ

शीर्ष ओवरऑल संस्थान
1 स्थान – आईआईटी मद्रास
2 स्थान – आईआईएससी बेंगलुरु
3 स्थान – आईआईटी मुंबई

श्रेणीवार शीर्ष संस्थान

  • इंजीनियरिंग – आईआईटी मद्रास (1), आईआईटी दिल्ली (2)

  • इनोवेशन – आईआईटी मद्रास (1)

  • अनुसंधान संस्थान – आईआईएससी बेंगलुरु

  • चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा – एम्स, दिल्ली

  • कानून – नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया, बेंगलुरु

  • कृषि – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली

  • प्रबंधन – आईआईएम अहमदाबाद (1), आईआईएम बेंगलुरु (2), आईआईएम कोझिकोड (3)

  • फार्मेसी – जामिया हमदर्द, नई दिल्ली (1), बिट्स पिलानी (2), पंजाब विश्वविद्यालय (3)

  • आर्किटेक्चर एवं प्लानिंग – आईआईटी रुड़की (1), एनआईटी कोझिकोड (2), आईआईटी खड़गपुर (3)

  • कॉलेज – हिन्दू कॉलेज (1), मिरांडा हाउस (2), हंसराज कॉलेज (3)

  • राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालय – जादवपुर विश्वविद्यालय (1), अन्ना विश्वविद्यालय (2)

  • ओपन विश्वविद्यालय – इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU), दिल्ली

  • स्किल विश्वविद्यालय – सिम्बायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी

  • सतत विकास लक्ष्य (नई श्रेणी) – आईआईटी मद्रास

शिक्षा मंत्री के मुख्य वक्तव्य

  • शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि NIRF रैंकिंग “विकसित भारत 2047” की दिशा में एक कदम है।

  • उन्होंने “वन नेशन, वन डाटा” नीति लाने की घोषणा की, ताकि रैंकिंग में और पारदर्शिता लाई जा सके।

  • उद्यमिता (Entrepreneurship) को एक नया रैंकिंग पैरामीटर बनाने का सुझाव दिया, ताकि सिर्फ perception पर निर्भरता कम हो।

रैंकिंग पैरामीटर

संस्थानों का मूल्यांकन पाँच प्रमुख मानकों पर किया गया:

  1. शिक्षण, अधिगम और संसाधन (TLR)

  2. अनुसंधान और प्रोफेशनल प्रैक्टिस (RP)

  3. स्नातक परिणाम (GO)

  4. पहुँच और समावेशिता (OI)

  5. धारणा (Perception – PR)

NIRF के बारे में

  • 2015 में लॉन्च, उस समय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) द्वारा।

  • भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए पारदर्शी और व्यापक मूल्यांकन ढाँचा उपलब्ध कराता है।

  • 2025 संस्करण 10वाँ है, जिसमें पहले से कहीं अधिक संस्थानों ने भाग लिया।

भारत में वस्तु एवं सेवा कर: संवैधानिक प्रावधान और संशोधन

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भारत के इतिहास के सबसे बड़े कर सुधारों में से एक है। इसने कई अप्रत्यक्ष करों को हटाकर एक एकीकृत कर प्रणाली लागू की, जिससे व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिए कर व्यवस्था सरल हो गई। जीएसटी को लागू करने के लिए संविधान में कई बदलाव किए गए, जिनके परिणामस्वरूप संविधान (एक सौ पहला संशोधन) अधिनियम, 2016 पारित हुआ। इस अधिनियम ने केंद्र और राज्यों दोनों को जीएसटी से संबंधित कानून बनाने का अधिकार दिया और इसके संचालन की देखरेख के लिए जीएसटी परिषद (GST Council) का गठन किया गया।

जीएसटी की संवैधानिक यात्रा

जीएसटी की शुरुआत एक सरल और एकीकृत कर प्रणाली की आवश्यकता से हुई। इसे संभव बनाने के लिए संविधान में संशोधन किया गया और जीएसटी को एक बड़े कर सुधार के रूप में लागू किया गया।

122वां संविधान संशोधन विधेयक, 2014

  • जीएसटी लागू करने के लिए 122वां संशोधन विधेयक 2014 में संसद में प्रस्तुत किया गया।

  • यह विधेयक लोकसभा में मई 2015 में पारित हुआ।

  • राज्यसभा ने इसमें संशोधन कर इसे 3 अगस्त 2016 को पारित किया और लोकसभा ने 8 अगस्त 2016 को इन संशोधनों को स्वीकार किया।

  • 15 से अधिक राज्यों ने इस विधेयक को मंज़ूरी दी।

  • अंततः इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति 8 सितंबर 2016 को प्राप्त हुई।

  • इसके परिणामस्वरूप संविधान (एक सौ पहला संशोधन) अधिनियम, 2016 लागू हुआ।

जीएसटी परिषद का गठन

  • संविधान के अनुच्छेद 279A के अनुसार, संशोधन लागू होने के 60 दिनों के भीतर जीएसटी परिषद का गठन होना आवश्यक था।

  • इसका अधिसूचना 10 सितंबर 2016 को जारी हुआ और अनुच्छेद 279A 12 सितंबर 2016 से प्रभावी हो गया।

  • केंद्र सरकार ने जीएसटी परिषद और उसके सचिवालय के गठन को मंज़ूरी दी, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

जीएसटी परिषद की संरचना (अनुच्छेद 279A(2))

  • संघ वित्त मंत्री – अध्यक्ष (Chairperson)।

  • वित्त/राजस्व राज्य मंत्री।

  • प्रत्येक राज्य के वित्त/कर मंत्री।

  • अनुच्छेद 356 के तहत आपातकाल की स्थिति में राज्यपाल द्वारा नामित व्यक्ति।

जीएसटी परिषद के कार्य (अनुच्छेद 279A(4))

जीएसटी परिषद निम्नलिखित सिफारिशें करती है:

  • किन वस्तुओं और सेवाओं पर कर लगेगा या छूट दी जाएगी।

  • मॉडल जीएसटी कानून और कर संग्रहण के सिद्धांत।

  • आपूर्ति का स्थान निर्धारित करने के नियम।

  • जीएसटी दरें और सीमा-स्तर (thresholds)।

  • प्राकृतिक आपदाओं के लिए विशेष दरें।

  • विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए प्रावधान।

परिषद में निर्णय लेने की प्रक्रिया

  • सामान्यत: निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं।

  • यदि मतदान की आवश्यकता हो:

    • केंद्र का मत = 1/3 भार

    • सभी राज्यों के मत = 2/3 भार

  • कोई भी प्रस्ताव तभी पारित होगा जब उसे 75% या उससे अधिक भारित मतों का समर्थन प्राप्त हो।

जीएसटी परिषद के प्रमुख निर्णय

22–23 सितंबर 2016 को हुई अपनी पहली बैठक से लेकर अब तक जीएसटी परिषद ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं:

  • ई-वे बिल प्रणाली: माल की आवाजाही के लिए स्वयं-रिपोर्टिंग प्रणाली लागू की गई।

  • रियल एस्टेट क्षेत्र: किफायती आवास पर जीएसटी 1% और गैर-किफायती आवास पर 5% कर निर्धारित किया गया।

  • ई-इनवॉइसिंग प्रणाली: ₹5 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए 1 अगस्त 2023 से अनिवार्य।

  • हरित ऊर्जा: इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% किया गया; 12 से अधिक क्षमता वाली इलेक्ट्रिक बसों को कर से छूट।

  • QRMP योजना: छोटे व्यवसायों के लिए तिमाही रिटर्न और मासिक भुगतान की सुविधा।

  • कोविड-19 राहत: कोविड से संबंधित वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती।

  • दर तर्कसंगतीकरण (Rate Rationalization): 28% कर श्रेणी में आने वाली वस्तुओं की संख्या 227 से घटाकर केवल 35 की गई।

  • व्यापार सुविधा: रिफंड के नियम सरल किए गए, लेट फीस कम की गई और नए भुगतान मोड्स शुरू किए गए।

  • जीएसटी ट्रिब्यूनल (GSTAT): कर विवादों के निपटारे के लिए स्वीकृत।

  • क्षमा योजना (Amnesty Schemes): धोखाधड़ी के मामलों को छोड़कर विलंबित अपीलों और मांग नोटिसों पर राहत।

  • डिजिटल कराधान: बायोमेट्रिक आधार सत्यापन और बी2सी ई-इनवॉइसिंग के लिए पायलट प्रोजेक्ट।

  • नवीनतम (55वीं बैठक): वाउचर लेन-देन पर कोई जीएसटी नहीं और जीन थेरेपी पर जीएसटी से छूट।

जीएसटी और जीएसटी परिषद का प्रभाव

  • जीएसटी ने विभिन्न राज्य स्तरीय करों को हटाकर एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाया।

  • व्यवसायों के लिए डिजिटल इनवॉइसिंग और ऑनलाइन रिटर्न से अनुपालन सरल हुआ।

  • परिषद ने लगातार फीडबैक और आर्थिक आवश्यकताओं के आधार पर बदलाव कर लचीलापन दिखाया।

  • यह सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) को दर्शाता है, क्योंकि इसमें केंद्र और राज्य दोनों मिलकर निर्णय लेते हैं।

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत में FDI 15% बढ़ा

नए सुधारों से ऑटोमोबाइल क्षेत्र को बड़ा लाभ मिला है। छोटे पेट्रोल और डीज़ल कारें, हाइब्रिड वाहन, 350 सीसी तक की मोटरसाइकिलें, तिपहिया वाहन तथा ट्रक और एम्बुलेंस जैसे वाणिज्यिक वाहन, जिन पर पहले 28% कर लगता था, अब केवल 18% जीएसटी के दायरे में आएंगे। इससे वाहनों की कीमतें घटने और ऑटो सेक्टर में माँग बढ़ने की उम्मीद है। इसी तरह, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे एयर कंडीशनर, सभी आकार के टेलीविज़न, डिशवॉशिंग मशीन, मॉनिटर और प्रोजेक्टर को भी 28% से घटाकर 18% स्लैब में लाया गया है। यह निर्णय घरेलू माँग को बढ़ावा देने और विनिर्माण उद्योग को समर्थन देने के उद्देश्य से लिया गया है।

40% ‘पाप और विलासिता वस्तुओं’ का स्लैब

आवश्यक वस्तुओं पर दरों में कटौती से होने वाले राजस्व घाटे को संतुलित करने के लिए जीएसटी परिषद ने पाप और विलासिता वस्तुओं पर 40% का नया स्लैब बनाया। इस श्रेणी में पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, बीड़ी, शीतल पेय, कैफीन युक्त ड्रिंक्स, कार्बोनेटेड फ्रूट जूस, छोटे वाहनों की सीमा से ऊपर की लग्ज़री कारें, 350 सीसी से ऊपर की मोटरसाइकिलें, नौकाएँ, निजी उपयोग के लिए विमान और रिवॉल्वर-पिस्तौल जैसे हथियार शामिल हैं। इसके अलावा कैसीनो, सट्टेबाज़ी, जुआ, रेस क्लब, ऑनलाइन गेमिंग और बुकमेकर के लाइसेंस पर भी 40% जीएसटी लगेगा। यह उच्च दर सुनिश्चित करती है कि विलासिता और हानिकारक वस्तुएँ राजस्व का प्रमुख स्रोत बनी रहें, जबकि आम परिवार प्रभावित न हों।

खनन, कागज़ और वस्त्र क्षेत्र में दर वृद्धि

कुछ क्षेत्रों में जीएसटी दरें बढ़ाई गईं। उदाहरण के लिए, कोयला, लिग्नाइट और पीट, जिन पर पहले 5% कर लगता था, अब 18% के स्लैब में लाए गए हैं, जिससे कोयले पर आधारित उद्योगों की लागत बढ़ सकती है। कागज़ क्षेत्र में केमिकल वुड पल्प और विभिन्न पेपरबोर्ड को 12% से बढ़ाकर 18% कर दायरे में लाया गया। इसी तरह वस्त्र क्षेत्र में ₹2,500 से अधिक कीमत वाले परिधानों और रजाइयों को 12% से बढ़ाकर 18% किया गया। ये बदलाव उद्योग-विशिष्ट लागत तो बढ़ा सकते हैं, लेकिन विसंगतियाँ दूर करने और सरकारी राजस्व बढ़ाने के लिए आवश्यक माने गए हैं।

अनुपालन और रिफंड में सरलीकरण

दर संशोधनों से आगे बढ़ते हुए, परिषद ने कई अनुपालन सुधारों की घोषणा की। अब कम जोखिम वाले आवेदकों को मात्र तीन दिनों में स्वचालित जीएसटी पंजीकरण मिलेगा, जिससे लगभग 96% नए व्यवसायों को लाभ होगा। रिफंड प्रक्रिया भी सरल की गई है, जिसके तहत नवंबर 2025 से स्वचालित डेटा विश्लेषण के आधार पर 90% प्रावधिक रिफंड दिए जाएंगे। निर्यातकों को भी कर वापसी के लिए सीमा समाप्त कर दी गई है, जिससे छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए अनुपालन आसान होगा।

न्यायाधिकरण और कानूनी सुधार

परिषद ने पुष्टि की कि वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) वर्ष 2025 के अंत तक काम करना शुरू कर देगा। जीएसटीएटी की प्रधान पीठ राष्ट्रीय अग्रिम निर्णय अपीलीय प्राधिकरण के रूप में भी कार्य करेगी। अपीलें 30 सितंबर 2025 तक दाखिल करनी होंगी, सुनवाई 31 दिसंबर 2025 से शुरू होगी और लंबित अपीलें 30 जून 2026 तक दाखिल करनी होंगी। परिषद ने सीजीएसटी की धारा 15 और 34 में छूट और क्रेडिट नोट से संबंधित संशोधन भी किए, ताकि अधिक स्पष्टता लाई जा सके और विवाद कम हों।

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