भारत की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दिसंबर 2024 में घटकर 3.2% रह गई, जो नवंबर में 5% थी। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के अनुसार, इस गिरावट का मुख्य कारण विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र की कमजोर प्रदर्शन रहा, जबकि बिजली उत्पादन में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई। यह मंदी 2025 में प्रवेश करते समय भारत की समग्र आर्थिक गति को लेकर चिंताओं को बढ़ा रही है।
औद्योगिक वृद्धि में मंदी के कारण क्या रहे?
दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट कई क्षेत्रों के प्रदर्शन से प्रभावित रही। विनिर्माण क्षेत्र, जो IIP में प्रमुख योगदान देता है, केवल 3% बढ़ा, जबकि दिसंबर 2023 में यह 4.6% था। खनन क्षेत्र का उत्पादन भी धीमा हो गया, और यह 2.6% बढ़ा, जबकि पिछले वर्ष इसी महीने में यह 5.2% था। हालांकि, बिजली उत्पादन में 6.2% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो दिसंबर 2023 में 1.2% ही थी।
किन क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा?
औद्योगिक मंदी का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों पर असमान रूप से पड़ा:
- पूंजीगत वस्तुएं (Capital Goods): इस क्षेत्र में निवेश मजबूत बना रहा और इसमें 10.3% की वृद्धि हुई, जो पिछले साल के 3.7% से अधिक थी।
- उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं (Consumer Durables): इस क्षेत्र में मांग बढ़कर 8.3% हो गई, जो दिसंबर 2023 में 5.2% थी।
- उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुएं (Consumer Non-Durables): इस क्षेत्र में 7.6% की तेज गिरावट दर्ज की गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 3% की वृद्धि हुई थी।
2025 में भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
यह औद्योगिक मंदी ऐसे समय में आई है जब भारत की 2024-25 की आर्थिक वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे धीमी होगी। अर्थशास्त्रियों के अनुसार, इस गिरावट का कारण आधार प्रभाव (Base Effect) और निजी निवेश की कमजोरी हो सकता है। हालांकि, सरकार के बुनियादी ढांचा निवेश और बढ़ती उपभोक्ता मांग से औद्योगिक उत्पादन को आने वाले महीनों में स्थिर बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
जैसे ही भारत 2025 में प्रवेश कर रहा है, नीति-निर्माताओं को विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और निवेश को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि औद्योगिक उत्पादन पटरी पर बना रहे। वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी, इसलिए भारत के औद्योगिक उत्पादन पर करीबी नजर रखी जाएगी।
परीक्षा तैयारी के लिए प्रमुख बिंदु | विवरण |
क्यों चर्चा में? | भारत की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दिसंबर 2024 में घटकर 3.2% रह गई, जो नवंबर में 5% थी। इसका मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र की कमजोरी रहा। बिजली उत्पादन 6.2% बढ़ा, जबकि खनन क्षेत्र की वृद्धि 2.6% पर सीमित रही। उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं में -7.6% की गिरावट आई, जबकि पूंजीगत वस्तुएं (10.3%) और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं (8.3%) बढ़ीं। |
औद्योगिक उत्पादन (IIP) वृद्धि (दिसंबर 2024) | 3.2% (नवंबर 2024 में 5% की तुलना में) |
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि | 3% (दिसंबर 2023 में 4.6% थी) |
बिजली क्षेत्र की वृद्धि | 6.2% (दिसंबर 2023 में 1.2% थी) |
खनन क्षेत्र की वृद्धि | 2.6% (दिसंबर 2023 में 5.2% थी) |
पूंजीगत वस्तुएं (Capital Goods) वृद्धि | 10.3% (दिसंबर 2023 में 3.7% थी) |
उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं (Consumer Durables) वृद्धि | 8.3% (दिसंबर 2023 में 5.2% थी) |
उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुएं (Consumer Non-Durables) वृद्धि | -7.6% (दिसंबर 2023 में 3% थी) |
संचयी IIP वृद्धि (अप्रैल-दिसंबर 2024) | 4% (अप्रैल-दिसंबर 2023 में 6.3% थी) |
भारत की अनुमानित GDP वृद्धि (वित्त वर्ष 2024-25) | 6.4% (पिछले चार वर्षों में सबसे धीमी) |
मंदी के कारण | आधार प्रभाव (Base Effect), कॉर्पोरेट निवेश में कमजोरी, विनिर्माण क्षेत्र की सुस्ती |
संभावित सुधार के कारक | सरकारी बुनियादी ढांचा निवेश, बढ़ती उपभोक्ता मांग |