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केंद्र सरकार 2025-26 की पहली छमाही में आठ लाख करोड़ रुपये का कर्ज जुटाएगी

केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (H1) में दिनांकित प्रतिभूतियों (Dated Securities) के माध्यम से ₹8 लाख करोड़ जुटाने की योजना बना रही है, ताकि राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को पाटा जा सके। यह वित्त मंत्रालय द्वारा घोषित ₹14.82 लाख करोड़ के कुल सकल बाजार उधारी कार्यक्रम का हिस्सा है। इस उधारी को साप्ताहिक नीलामी के माध्यम से पूरा किया जाएगा, जिसमें ₹10,000 करोड़ के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (SGrBs) भी शामिल होंगे। FY26 के लिए राजकोषीय घाटे का अनुमान GDP के 4.4% यानी ₹15.68 लाख करोड़ लगाया गया है। सरकार इस वित्तीय कमी को पूरा करने के लिए लघु बचत योजनाओं और अन्य साधनों का भी उपयोग करेगी।

मुख्य बिंदु

  • कुल बाजार उधारी: FY26 में ₹14.82 लाख करोड़।

  • पहली छमाही की उधारी (H1 FY26): ₹8 लाख करोड़ (कुल उधारी का 54%)।

  • प्रतिभूतियों के प्रकार: 3 से 50 वर्षों की विभिन्न परिपक्वता अवधि वाली दिनांकित प्रतिभूतियाँ।

  • सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (SGrBs): ₹10,000 करोड़ की उधारी योजना में शामिल।

  • राजकोषीय घाटा: FY26 के लिए अनुमानित ₹15.68 लाख करोड़ (GDP का 4.4%)।

  • शुद्ध बाजार उधारी: ₹11.54 लाख करोड़ (दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से)।

राजस्व और व्यय

  • कुल प्राप्तियाँ (उधारी को छोड़कर): ₹34.96 लाख करोड़।

  • कुल व्यय: ₹50.65 लाख करोड़।

  • शुद्ध कर प्राप्तियाँ: ₹28.37 लाख करोड़।

साप्ताहिक उधारी नीलामी

  • नीलामी सीमा: प्रति नीलामी ₹25,000 करोड़ से ₹36,000 करोड़।

  • कुल नीलामी: 26 साप्ताहिक नीलामियाँ।

परिपक्वता अवधि के अनुसार बँटवारा

  • 3 वर्ष: 5.3%

  • 5 वर्ष: 11.3%

  • 7 वर्ष: 8.2%

  • 10 वर्ष: 26.2%

  • 15 वर्ष: 14%

  • 30 वर्ष: 10.5%

  • 40 वर्ष: 14%

  • 50 वर्ष: 10.5%

ट्रेजरी बिल (T-Bills) उधारी (Q1 FY26)

  • साप्ताहिक उधारी: ₹19,000 करोड़ प्रति सप्ताह।

    • 91-दिनीय टी-बिल: ₹9,000 करोड़

    • 182-दिनीय टी-बिल: ₹5,000 करोड़

    • 364-दिनीय टी-बिल: ₹5,000 करोड़

वेज़ एंड मीन्स एडवांस (WMA) सीमा

  • H1 FY26 के लिए: ₹1.50 लाख करोड़।

लचीलापन उपाय

सरकार, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के साथ परामर्श कर, बाजार की स्थिति के अनुसार प्रतिभूतियों की अधिसूचित राशि, जारी करने की अवधि और उपकरणों के प्रकार (फ्लोटिंग रेट बॉन्ड, मुद्रास्फीति-सूचकांकित बॉन्ड, आदि) में बदलाव कर सकती है।

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