रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 मई, 2025 को उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे के लखनऊ नोड में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल उत्पादन इकाई का वर्चुअल उद्घाटन किया। ₹300 करोड़ के निवेश से निर्मित इस इकाई का उद्देश्य हर वर्ष 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण करना है। यह परियोजना क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के बीच भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को सशक्त बनाने और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
समाचार में क्यों?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 मई, 2025 को लखनऊ में ₹300 करोड़ की लागत से निर्मित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल निर्माण इकाई का वर्चुअल उद्घाटन किया। यह इकाई “आत्मनिर्भर भारत” पहल के तहत भारत की रक्षा स्वावलंबन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पाकिस्तान के साथ बढ़ते सैन्य तनाव के बीच इस स्वदेशी मिसाइल निर्माण इकाई की स्थापना एक रणनीतिक उपलब्धि मानी जा रही है, खासकर अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्माण के दृष्टिकोण से।
ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण इकाई की प्रमुख विशेषताएँ
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स्थान: उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा, लखनऊ नोड
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लागत: ₹300 करोड़
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वार्षिक क्षमता:
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पारंपरिक ब्रह्मोस मिसाइलें: 80–100
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अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइलें: 100–150
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भूमि: 80 हेक्टेयर (उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदत्त)
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निर्माण अवधि: 3.5 वर्ष
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उद्घाटन: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (वर्चुअली)
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अन्य उपस्थिति: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में
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प्रकार: सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल
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विकासकर्ता: ब्रह्मोस एयरोस्पेस (भारत-रूस संयुक्त उपक्रम)
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गति: अधिकतम मैक 2.8
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रेंज: 290–400 किमी
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लॉन्च क्षमता: ज़मीन, समुद्र, और हवा से
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मार्गदर्शन प्रणाली: “फायर एंड फॉरगेट” (लॉन्च के बाद लक्ष्य पर स्वतः निर्देशित)
अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइल
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वज़न: 1,290 किलोग्राम (पहले के 2,900 किग्रा से हल्की)
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प्रहार क्षमता: 300 किमी से अधिक
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वायु क्षमता: सुखोई लड़ाकू विमान अब 1 के बजाय 3 मिसाइलें ले जा सकते हैं
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उत्पादन स्थिति: एक वर्ष के भीतर डिलीवरी के लिए तैयार
उद्देश्य और लक्ष्य
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रणनीतिक पहल: यह इकाई भारत की रक्षा निर्माण क्षमता को बढ़ाएगी
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प्रौद्योगिकीय विकास: उत्तर प्रदेश में अत्याधुनिक विनिर्माण तकनीकों को लाना
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रोजगार सृजन: लगभग 500 प्रत्यक्ष रोजगार (इंजीनियरों व तकनीशियनों के लिए), हजारों अप्रत्यक्ष रोजगार
पृष्ठभूमि
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ब्रह्मोस एयरोस्पेस: भारत के DRDO और रूस के NPO Mashinostroyenia के बीच संयुक्त उद्यम
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भू-आवंटन और निवेश: ₹300 करोड़ की लागत से बनी यह इकाई दिसंबर 2021 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मुफ्त में दी गई ज़मीन पर स्थापित की गई
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रक्षा गलियारा: उत्तर प्रदेश सरकार ने ब्रह्मोस सहित कई रक्षा कंपनियों को भूमि आवंटित की है, जिससे 3,000 से अधिक नौकरियाँ उत्पन्न होने की संभावना है
महत्त्व
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रणनीतिक रक्षा मजबूती: क्षेत्रीय तनावों के बीच भारत की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि
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आर्थिक योगदान: लखनऊ को रक्षा उत्पादन, गोला-बारूद, मिसाइल प्रणाली, ड्रोन आदि के केंद्र के रूप में स्थापित करना
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तकनीकी हस्तांतरण: नई तकनीकों और मशीनरी का विकास, जिससे संपूर्ण एयरोस्पेस क्षेत्र को लाभ मिलेगा