भारत के बैंकिंग क्षेत्र में वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) में 12-13% की ऋण वृद्धि (क्रेडिट ग्रोथ) होने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए अनुमानित 11-11.5% वृद्धि से थोड़ा अधिक है। क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा साझा की गई इस सकारात्मक भविष्यवाणी के पीछे कई कारण हैं, जैसे कि अनुकूल विनियामक उपाय, कर कटौती के कारण उपभोग में वृद्धि, और ब्याज दरों में नरमी।
हालाँकि यह परिदृश्य उत्साहवर्धक है, लेकिन बैंकों की इस वृद्धि को बनाए रखने की क्षमता मुख्यतः जमा वृद्धि (डिपॉजिट ग्रोथ) जैसे अहम कारकों पर निर्भर करेगी। इसके अतिरिक्त, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में किए गए नियामक बदलाव बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) — दोनों क्षेत्रों को सहारा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हैं। इन उपायों में कुछ एनबीएफसी को दिए गए ऋणों के लिए जोखिम भार (रिस्क वेट) में की गई कटौती शामिल है, जिससे इन संस्थानों को ऋण उपलब्धता में सुधार होगा और समग्र ऋण वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्य बिंदु
ऋण वृद्धि का अनुमान वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) में
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अनुमानित वृद्धि: 12-13%, जो FY25 (11-11.5%) से थोड़ी अधिक है।
समर्थनकारी कारक
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विनियामक समर्थन: NBFCs को दिए गए ऋणों पर जोखिम भार में बदलाव और लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) मानदंडों की लागू होने की तिथि में देरी।
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कर कटौती: उपभोग में वृद्धि का अनुमान, जिससे ऋण की मांग में वृद्धि होगी।
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नरम ब्याज दरें: विभिन्न क्षेत्रों में उधारी को प्रोत्साहित करने का अनुमान।
ऋण वृद्धि पर नियामक बदलावों का प्रभाव
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NBFCs के लिए जोखिम भार का रोलबैक: 1 अप्रैल 2025 से भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कुछ NBFCs को दिए गए बैंक ऋणों के लिए जोखिम भार में 25 प्रतिशत की वृद्धि को वापस ले लिया, जिसे नवंबर 2023 में लागू किया गया था।
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ऋण प्रवाह पर प्रभाव: इस रोलबैक से NBFCs को ऋण प्रवाह में सुधार होगा, जिनकी FY25 में वृद्धि धीमी रही थी।
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LCR मानदंडों की स्थगित क्रियान्वयन: RBI ने कठोर लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) मानदंडों की लागू होने की तिथि एक साल के लिए स्थगित कर दी है।
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बैंकों पर प्रभाव: यह स्थगन बैंकों को वह फंड्स उपयोग करने की अनुमति देगा, जो पहले एक बफर के रूप में रिजर्व किए गए थे, अब उधारी के लिए उपयोग किए जा सकेंगे।
ऋण वृद्धि के विभिन्न क्षेत्र
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कॉर्पोरेट ऋण
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वृद्धि का अनुमान: FY26 में 9-10%, जबकि FY25 में यह 8% था।
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कुल बैंक ऋण में हिस्सेदारी: लगभग 41%
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NBFCs को ऋण देना
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वृद्धि दर: जबकि वृद्धि की दर दो अंकों में रहने की उम्मीद है, यह FY23 और FY24 में देखी गई 21% की वृद्धि से कम होगी।
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कॉर्पोरेट ऋण का उप-क्षेत्र: NBFCs को दिया गया ऋण कुल कॉर्पोरेट ऋण का लगभग 18% है।
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क्रिसिल रेटिंग्स से प्रमुख निष्कर्ष
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बैंकिंग प्रणाली पर प्रभाव: FY23 और FY24 में NBFCs के प्रति ऋण में 21% की संयुग्मित वार्षिक वृद्धि दर (CAGR), जो FY25 में घटकर 6% हो गई।
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भविष्य का दृष्टिकोण: NBFCs को दिए गए ऋणों में FY26 में दो अंकों में वृद्धि होने का अनुमान है, लेकिन पिछले वर्षों की उच्च वृद्धि तक नहीं पहुंचेगा।
सारांश/स्थैतिक जानकारी | विवरण |
समाचार में क्यों? | CRISIL ने बैंकिंग ऋण के लिए 12-13% वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया |
ऋण वृद्धि का अनुमान (FY26) | 12-13% |
कॉर्पोरेट ऋण वृद्धि (FY26) | 10% |
NBFCs को ऋण देने की वृद्धि | दो अंकों में वृद्धि का अनुमान, लेकिन FY23-24 (21%) से कम |
जमा वृद्धि (FY25) | 10.3% |
विनियामक समर्थन | NBFCs के लिए जोखिम भार में वृद्धि का रोलबैक, LCR मानदंडों की स्थगन |
कर कटौती का प्रभाव | उपभोग को बढ़ावा देने की उम्मीद, जिससे ऋण की मांग में वृद्धि होगी |
नरम ब्याज दरें | विभिन्न क्षेत्रों में उधारी को प्रोत्साहित करने का अनुमान |
RBI उपायों का प्रभाव | NBFCs को ऋण प्रवाह में सुधार, बैंकों के लिए ऋण देने के लिए तरलता में वृद्धि |
कॉर्पोरेट ऋण का हिस्सा | कुल बैंक ऋण का लगभग 41% |