भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डिजिटल ऋण पारिस्थितिकी तंत्र में पारदर्शिता बढ़ाने और उधारकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। RBI (डिजिटल लेंडिंग) दिशानिर्देश, 2025 के तहत सभी विनियमित संस्थाओं (REs) को अपने डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (DLAs) का विवरण RBI के नए केंद्रीय सूचना प्रबंधन प्रणाली (CIMS) पोर्टल पर 13 मई 2025 से अपलोड करना अनिवार्य होगा। इस कदम का उद्देश्य अधिक भरोसेमंद उधारी वातावरण बनाना और अनियमित ऐप्स व अनुचित व्यवहार से जुड़े जोखिमों को कम करना है।
क्यों चर्चा में है?
RBI ने एक केंद्रीकृत पोर्टल — CIMS लॉन्च किया है, जिसमें सभी विनियमित उधारदाताओं को 15 जून 2025 तक अपने डिजिटल ऋण प्लेटफार्मों की जानकारी अपलोड करनी होगी।
1 जुलाई 2025 से एक सार्वजनिक डायरेक्टरी जारी की जाएगी, जिससे उधारकर्ता किसी भी लेंडिंग ऐप की वैधता की जांच कर सकेंगे। यह कदम अवैध डिजिटल उधारदाताओं, डेटा गोपनीयता उल्लंघनों और शोषणकारी ऋण प्रथाओं को रोकने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
RBI (डिजिटल लेंडिंग) दिशानिर्देश, 2025 की प्रमुख बातें:
1. REs के लिए रिपोर्टिंग अनिवार्यता
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सभी RBI द्वारा विनियमित संस्थाएं अपने DLAs की जानकारी CIMS पोर्टल पर देंगी।
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पोर्टल लाइव हुआ: 13 मई 2025
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रिपोर्टिंग की अंतिम तिथि: 15 जून 2025
2. DLAs की सार्वजनिक डायरेक्टरी
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1 जुलाई 2025 को RBI की वेबसाइट पर सभी स्वीकृत DLAs की सूची प्रकाशित की जाएगी।
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यह सूची उधारकर्ताओं के लिए सत्यापन उपकरण के रूप में काम करेगी।
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RBI इन प्रविष्टियों की पुष्टि नहीं करेगा – यह “as is” डाटा होगा जो REs द्वारा अपलोड किया गया है।
3. ऋण एकत्रीकरण में पारदर्शिता
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यदि कोई Lending Service Provider (LSP) एक से अधिक उधारदाताओं के साथ कार्य करता है, तो सभी ऋण प्रस्ताव डिजिटल रूप से प्रदर्शित किए जाएंगे।
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ऐप्स को मेल खाते और न खाते उधारदाताओं की सूची दिखानी होगी।
4. तीसरे पक्ष के भागीदारों के लिए कड़ी जांच
REs को अपने LSPs का मूल्यांकन निम्नलिखित आधार पर करना होगा:
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तकनीकी क्षमता
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डेटा सुरक्षा
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गोपनीयता अनुपालन
इस कदम के उद्देश्य
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उधारकर्ताओं के डेटा के दुरुपयोग को रोकना
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छिपे शुल्क, आक्रामक वसूली और नकली ऐप्स से संबंधित शिकायतों का समाधान
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उधारकर्ताओं की सुरक्षा और डिजिटल वित्त में भरोसे को बढ़ाना
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फिनटेक क्षेत्र में जिम्मेदार नवाचार को बढ़ावा देना
स्थैतिक पृष्ठभूमि जानकारी
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भारत में डिजिटल लेंडिंग 2020 के बाद तेज़ी से बढ़ा है, विशेष रूप से मोबाइल ऐप्स के ज़रिए।
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RBI ने सितंबर 2022 में प्रारंभिक दिशानिर्देश जारी किए थे, जो बैंक खातों के माध्यम से सीधी ऋण वितरण और चुकौती पर केंद्रित थे।
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2025 के नए दिशानिर्देश इन्हीं नियमों पर आधारित हैं लेकिन अधिक केंद्रीकृत निगरानी और उधारकर्ता जागरूकता को केंद्र में रखते हैं।
महत्त्व
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सुरक्षित उधारी प्रथाओं और उपभोक्ता अधिकारों को सुनिश्चित करता है।
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डिजिटल वित्त में मौजूद खामियों का फायदा उठाने वाले “फ्लाई-बाय-नाइट” ऑपरेटरों पर अंकुश लगाता है।
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RBI के पारदर्शी, जवाबदेह और विनियमित डिजिटल क्रेडिट इकोसिस्टम की दृष्टि को साकार करता है।
सारांश / स्थैतिक तत्व | विवरण |
क्यों चर्चा में है? | RBI ने डिजिटल लेंडिंग ऐप्स पर सख्ती की: 13 मई से अनिवार्य रिपोर्टिंग शुरू |
CIMS पोर्टल की लॉन्च तिथि | 13 मई 2025 |
डेटा जमा करने की अंतिम तिथि | 15 जून 2025 |
सार्वजनिक डायरेक्टरी जारी होने की तिथि | 1 जुलाई 2025 |
कौन पालन करेगा? | सभी RBI-विनियमित संस्थाएं जिनके पास डिजिटल लेंडिंग ऐप्स हैं |
मुख्य उद्देश्य | पारदर्शिता, उधारकर्ता सुरक्षा, डिजिटल ऋण प्लेटफॉर्म का विनियमन |
निगरानी निकाय | भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) |
संदर्भ दस्तावेज़ | RBI (डिजिटल लेंडिंग) दिशानिर्देश, 2025 |