भारत सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को तेज़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ESY) 2024–25 के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) के चावल का अतिरिक्त 28 लाख टन आवंटन एथेनॉल उत्पादन हेतु मंज़ूर किया है। इससे एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत कुल चावल आवंटन बढ़कर 52 लाख टन हो गया है। यह निर्णय भारत के 2025–26 तक 20% एथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में लिया गया है, हालांकि इससे खाद्य सुरक्षा और अनाज के ईंधन के रूप में उपयोग को लेकर बहस फिर से तेज़ हो गई है।
क्यों चर्चा में?
12 मई 2025 को उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एथेनॉल उत्पादन के लिए FCI चावल का अतिरिक्त 28 लाख टन आवंटन मंज़ूर किया। यह मंज़ूरी ऐसे समय में आई है जब देश मुद्रास्फीति और पोषण संकट जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है, और खाद्यान्न के वैकल्पिक उपयोग पर चिंता जताई जा रही है।
मुख्य बिंदु
बिंदु | विवरण |
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कुल चावल आवंटन (ESY 2024–25) | 52 लाख टन |
नया स्वीकृत आवंटन | 28 लाख टन |
पहले से स्वीकृत | 24 लाख टन |
FCI चावल की कीमत (डिस्टिलरियों के लिए) | ₹22.50 प्रति किलोग्राम |
एथेनॉल उत्पादन दर | 1 टन चावल से 470 लीटर एथेनॉल |
कुल अनुमानित एथेनॉल उत्पादन | लगभग 2.45 अरब लीटर |
एथेनॉल आपूर्ति वर्ष अवधि | दिसंबर 2024 से अक्टूबर 2025 |
अब तक उठाई गई मात्रा | लगभग 10 लाख टन |
EBP कार्यक्रम के उद्देश्य
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आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना
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पेट्रोल में एथेनॉल मिलाकर कार्बन उत्सर्जन घटाना
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स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों को बढ़ावा देना
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फसलों के लिए वैकल्पिक मांग पैदा कर किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाना
पृष्ठभूमि और स्थिर जानकारी
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एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा संचालित
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पहली पीढ़ी (1G) जैव ईंधन: खाद्य फसल आधारित (जैसे गन्ना, मक्का, चावल); खाद्य-सुरक्षा को चुनौती दे सकते हैं
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दूसरी पीढ़ी (2G) जैव ईंधन: कृषि अपशिष्ट, फसल अवशेषों और औद्योगिक कचरे से निर्मित; अधिक टिकाऊ परंतु महंगे
चिंताएँ और महत्व
चिंताएँ
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खाद्य सुरक्षा और कीमतों पर संभावित असर
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पोषण संकट के दौर में खाद्य अनाज को ईंधन के रूप में उपयोग करने पर नैतिक सवाल
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पशु चारे की उपलब्धता पर दीर्घकालिक प्रभाव
महत्त्व
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भारत के 20% एथेनॉल मिश्रण लक्ष्य की दिशा में बड़ा कदम
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अधिशेष खाद्यान्न भंडार के वैकल्पिक उपयोग को प्रोत्साहन
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जैव ईंधन क्षेत्र और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को बढ़ावा
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फसल विविधीकरण के ज़रिए ग्रामीण आय में वृद्धि
यह नीति भारत के ऊर्जा आत्मनिर्भरता और हरित भविष्य की दिशा में एक संतुलन साधने का प्रयास है — लेकिन इसके सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर निरंतर निगरानी आवश्यक है।