लेफ्टिनेंट गवर्नर (एल-जी) वी.के. सक्सेना ने आईएएस अधिकारी अजीमुल हक की दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। हालांकि, उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर इस मामले को लेकर “लापरवाही” और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन न करने का आरोप लगाया। सीईओ का पद 28 नवंबर 2024 से खाली था, जिससे बोर्ड के प्रमुख कार्यों, जैसे इमामों और अन्य कर्मचारियों के वेतन वितरण में देरी हुई और उनके लिए कठिनाइयां उत्पन्न हुईं।
मुख्य बिंदु:
नियुक्ति की स्वीकृति:
- आईएएस अधिकारी अजीमुल हक को दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ के रूप में नियुक्त किया गया।
- एल-जी ने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर प्रक्रियात्मक खामियों के लिए आलोचना की।
पद रिक्तता और प्रभाव:
- सीईओ का पद 28 नवंबर 2024 से खाली था।
- इमामों और अन्य कर्मचारियों के वेतन वितरण में देरी से कठिनाइयां हुईं।
नियुक्ति पर आलोचना:
- एल-जी ने सरकार पर इस मुद्दे को लापरवाही से संभालने का आरोप लगाया।
- अतिरिक्त कार्यभार के प्रस्ताव में एक महीने की देरी हुई।
- एल-जी ने कानूनी प्रावधानों का सख्ती से पालन करने पर जोर दिया।
नियुक्ति के लिए कानूनी प्रावधान:
- दिल्ली वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 23 के अनुसार, बोर्ड को राज्य सरकार को दो नामों का पैनल सुझाना चाहिए।
- नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी (NCCSA) ने केवल एक नाम एल-जी को भेजा, जिससे आवश्यक प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ।
एल-जी के निर्देश:
- नियुक्ति प्रस्ताव को वक्फ बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
- भविष्य के प्रस्तावों को कानूनी आवश्यकताओं का पालन करना होगा।
सारांश/स्थिर जानकारी | विवरण |
समाचार में क्यों? | दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ की नियुक्ति |
नियुक्त सीईओ | अजीमुल हक, आईएएस अधिकारी |
स्वीकृति प्राधिकरण | उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना |
आप सरकार की आलोचना | मामले को लापरवाही से संभालने और प्रस्ताव प्रस्तुत करने में एक महीने की देरी |
कानूनी आवश्यकता | दिल्ली वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 23: बोर्ड द्वारा दो नामों के पैनल की सिफारिश आवश्यक |
रिक्तता का प्रभाव | इमामों और अन्य कर्मचारियों के वेतन वितरण में देरी |
एल-जी के निर्देश | वक्फ बोर्ड द्वारा प्रस्ताव की पुष्टि; भविष्य में कानूनी प्रावधानों का पालन अनिवार्य |
एनसीसीएसए की भूमिका | केवल एक नाम प्रस्तुत किया, पैनल आवश्यकता की अनदेखी की |