असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक पारित

असम सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए “असम बहुविवाह निषेध विधेयक, 2025” (Assam Prohibition of Polygamy Bill 2025) को मंज़ूरी दी है। इस विधेयक का उद्देश्य बहुविवाह (Polygamy) यानी एक व्यक्ति द्वारा पहली शादी रहते हुए दूसरी शादी करने की प्रथा को प्रतिबंधित करना है। इसे दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। यह कदम राज्य में विवाह संबंधी कानूनों में कानूनी एकरूपता लाने और महिलाओं के अधिकारों को सशक्त करने की दिशा में बड़ा सुधार माना जा रहा है।

विधेयक के मुख्य प्रावधान

  • यदि किसी व्यक्ति की पहली शादी अभी भी वैध है, तो वह दूसरी शादी नहीं कर सकेगा।

  • इस कानून का उल्लंघन करने वाले को 7 वर्ष तक की सज़ा हो सकती है।

  • विधेयक में प्रभावित महिलाओं के लिए एक विशेष मुआवज़ा कोष (Compensation Fund) बनाने का भी प्रावधान है।

  • यह विधेयक 25 नवंबर 2025 को असम विधानसभा में पेश किया जाएगा।

छूट और विशेष प्रावधान

  • यह कानून अनुसूचित जनजातियों (STs) या संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।

  • 2005 से पहले हुई अनुसूचित क्षेत्रों में मुस्लिम समुदाय के अंतर्गत वैध शादियाँ भी इस कानून के दायरे से बाहर रहेंगी।

इस विधेयक का महत्व

  • लैंगिक न्याय (Gender Justice): बहुविवाह पर रोक लगाकर महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक असुरक्षा से बचाने का प्रयास।

  • कानूनी एकरूपता (Legal Uniformity): असम सरकार विवाह कानूनों को सभी समुदायों के लिए समान बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

  • संवैधानिक अधिकारिता (Legislative Competence): विशेषज्ञ समिति ने निष्कर्ष निकाला था कि चूंकि विवाह और तलाक “संविधान की समवर्ती सूची (Concurrent List)” में आते हैं, इसलिए असम को ऐसा कानून बनाने का अधिकार है।

  • दृष्टांत (Precedent): यह कानून अन्य राज्यों के लिए भी व्यक्तिगत कानून सुधार (Personal Law Reform) की दिशा में एक मिसाल बन सकता है।

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की Biography: उनके जीवन, करियर, उपलब्धियों और विरासत के बारे में जानें

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक, महान विद्वान, और स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता में गहरा विश्वास रखा और महात्मा गांधी के अहिंसात्मक आंदोलनों का पूरा समर्थन किया। भारत में शिक्षा को सुधारने के उनके प्रयासों के सम्मान में 11 नवम्बर को हर वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day) के रूप में मनाया जाता है।

प्रारंभिक जीवन

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवम्बर 1888 को मक्का (सऊदी अरब) में मुहियुद्दीन अहमद के रूप में हुआ था। जब वे दो वर्ष के थे, उनका परिवार भारत के कलकत्ता (अब कोलकाता) आ गया। उनके पिता एक प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान थे, जबकि उनकी माता मदीना के प्रतिष्ठित विद्वानों के परिवार से थीं।

शिक्षा और प्रारंभिक रुचियाँ

  • आज़ाद की शिक्षा घर पर ही हुई। उन्होंने छोटी उम्र में ही फ़ारसी, उर्दू, अरबी जैसी कई भाषाएँ सीख लीं। उन्हें इतिहास, दर्शनशास्त्र और गणित जैसे विषयों में गहरी रुचि थी।
  • बारह वर्ष की आयु तक उन्होंने एक पुस्तकालय, वाचनालय और वाद-विवाद संस्था स्थापित कर ली थी। वे इस्लामी धर्मशास्त्र, विज्ञान और दर्शन के गहरे ज्ञाता बन चुके थे।

पत्रकार के रूप में मौलाना आज़ाद

  • मौलाना आज़ाद ने 11 वर्ष की आयु में ही ‘आज़ाद’ उपनाम से कविताएँ और लेख लिखना शुरू कर दिया था।
  • 1912 में उन्होंने “अल-हिलाल (Al-Hilal)” नामक साप्ताहिक पत्रिका निकाली, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश शासन की कड़ी आलोचना की। यह पत्रिका इतनी लोकप्रिय हुई कि 1914 में ब्रिटिश सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया।
  • इसके बाद उन्होंने “अल-बलाघ (Al-Balagh)” नामक एक और प्रकाशन शुरू किया, जिसे 1916 में फिर से प्रतिबंधित कर दिया गया। उनके क्रांतिकारी विचारों के कारण उन्हें कई प्रदेशों में प्रवेश से रोका गया और 1920 तक बिहार में नजरबंद रखा गया।

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका

  • 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में मौलाना आज़ाद ने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया और अरविंदो घोष जैसे नेताओं के साथ कार्य किया।
  • 1908 में वे मिस्र, सीरिया, तुर्की और फ्रांस गए, जहाँ से उनके राष्ट्रवादी विचारों को नई दिशा मिली।
  • उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व किया और महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन (1920–22) का समर्थन किया।
  • 1923 में, मात्र 35 वर्ष की आयु में, वे कांग्रेस के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने।
  • 1930 के नमक सत्याग्रह के दौरान उन्हें जेल भेजा गया।
  • 1940 से 1946 तक वे कांग्रेस अध्यक्ष रहे और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने पर फिर गिरफ्तार किए गए।

हिंदू-मुस्लिम एकता के समर्थक

मौलाना आज़ाद जीवन भर हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक रहे। उन्होंने अपने लेखों और भाषणों में एकता और धर्मनिरपेक्ष भारत की वकालत की।
वे देश के विभाजन के विरोधी थे और विभाजन के बाद हुए दंगों से अत्यंत दुखी हुए। उन्होंने शरणार्थी शिविरों की स्थापना में मदद की और हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों का संचालन किया।

शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

मौलाना’ उपाधि उन्हें उनके गहन ज्ञान के कारण मिली। उन्होंने स्वतंत्र भारत की शिक्षा नीति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1920 में अलीगढ़ में जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) की स्थापना में सहयोग दिया।

वे 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के प्रबल पक्षधर थे और उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी शिक्षा प्रणाली के संतुलन का समर्थन किया।

उनके नेतृत्व में कई प्रमुख संस्थाएँ बनीं —

  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)

  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs)

  • भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc)

स्वतंत्रता के बाद का जीवन

  • स्वतंत्र भारत में वे पहले शिक्षा मंत्री (1947–1958) बने। उन्होंने विद्यालयों, कॉलेजों और उच्च शिक्षा संस्थानों के विकास पर विशेष जोर दिया।
  • उन्होंने साहित्य अकादमी, संगीत नाटक अकादमी और ललित कला अकादमी जैसी सांस्कृतिक संस्थाओं की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उन्होंने 1950 में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की स्थापना की, ताकि अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके।

साहित्यिक योगदान

मौलाना आज़ाद एक उत्कृष्ट लेखक भी थे। उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं —

  • India Wins Freedom

  • ग़ुबार-ए-ख़ातिर (Ghubar-e-Khatir)

  • तज़किरा (Tazkirah)

  • तरजुमान-उल-क़ुरआन (Tarjumanul Quran)

निधन और विरासत

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का निधन 22 फरवरी 1958 को हुआ। 1992 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनकी जयंती 11 नवम्बर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाई जाती है। मौलाना आज़ाद एजुकेशन फ़ाउंडेशन (1989) गरीब और वंचित वर्गों की शिक्षा को बढ़ावा देती है, जबकि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप अल्पसंख्यक छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए सहायता प्रदान करती है।

Booker Prize 2025: हंगरी-ब्रिटिश लेखक डेविड स्जेले ने उपन्यास ‘फ्लेश’ हेतु 2025 का बुकर पुरस्कार जीता

लंदन में 10 नवंबर 2025 को रात आयोजित समारोह में हंगरी-ब्रिटिश लेखक डेविड स्जेले को उनके उपन्यास ‘फ्लेश’ के लिए बुकर प्राइज 2025 से सम्मानित किया गया। इस अवॉर्ड के तहत उन्हें 50,000 पाउंड की राशि और ट्रॉफी दी गई। पुरस्कार उन्हें पिछले साल की विजेता सामंथा हार्वी ने प्रदान किया। 51 वर्षीय स्जेले के उपन्यास ‘फ्लेश’ में एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो भावनात्मक रूप से टूट चुका है और जिंदगी की कुछ अप्रत्याशित घटनाएं उसकी दुनिया बदल देती हैं। कहानी को समझने के बाद फैसला सुनाने वालों ने इस किताब को ‘सरल लेकिन गहराई से भरी, तनावपूर्ण और भावनात्मक रूप से झकझोर देने वाली कहानी’ बताया।

किरण देसाई: एक करीबी दावेदार

बता दें कि भारतीय मूल की लेखिका किरण देसाई अपनी किताब सोनिया और सनी का अकेलापन’ के लिए इस बार दूसरे स्थान पर रहीं। अगर वे जीततीं, तो वे बुकर प्राइज के 56 वर्षों के इतिहास में दो बार यह पुरस्कार जीतने वाली पांचवीं लेखिका बन जातीं। इससे पहले उन्होंने 2006 में ‘नुकसान की विरासत’ के लिए यह पुरस्कार जीता था।

667 पन्नों की एक लंबी कहानी

किरण देसाई की नई किताब 667 पन्नों की एक लंबी कहानी है, जिसमें भारत और अमेरिका की पृष्ठभूमि पर दो भारतीय युवाओं सोनिया और सनी, के जीवन और प्रेम को दिखाया गया है। निर्णायकों ने इसे ‘प्रेम, परिवार, परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम’ बताया। बुकर प्राइज के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष आयरिश लेखक रॉडी डॉयल ने कहा कि ‘फ्लेश’ एक बिल्कुल अलग तरह की किताब है। यह थोड़ी अंधेरी कहानी है, लेकिन इसे पढ़ना आनंददायक है।

ये किताबें भी थे सूची में सामिल

गौरतलब है कि इस साल बुकर प्राइज की सूची में अन्य नामों में सुसान चोई (‘फ्लैशलाइट’), केटी कितामुरा (‘ऑडिशन’), बेन मार्कोविट्स (‘द रेस्ट ऑफ अवर लाइव्स’) और एंड्रयू मिलर (‘द लैंड इन विंटर’) शामिल थे। सभी फाइनलिस्ट लेखकों को 2,500 पाउंड और उनकी किताब का विशेष संस्करण दिया जाएगा। निर्णायकों ने कहा कि इस साल की सभी छह किताबें ‘मानव भावनाओं, रिश्तों और समाज की जटिलताओं’ को अनोखे ढंग से पेश करती हैं। साथ ही हर लेखक ने अपनी कहानी को पूरी मौलिकता और खूबसूरती के साथ लिखा है।

ब्रिटानिया के एमडी और सीईओ वरुण बेरी ने दिया इस्तीफा, रक्षित हरगवे संभालेंगे पद

ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के प्रबंधक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी वरुण बेरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस बीच, हाल ही में नियुक्त किए गए रक्षित हरगवे ने एमडी व सीईओ का पद संभालेंगे।कंपनी ने रक्षित हरगवे (Rakshit Hargave) को अपना नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया है। उनका कार्यकाल पांच वर्षों का होगा, जो 15 दिसंबर 2025 से प्रभावी होगा। यह नियुक्ति कंपनी सदस्यों की स्वीकृति के बाद लागू होगी। हरगावे की यह नियुक्ति ब्रिटानिया के लिए एक महत्वपूर्ण नेतृत्व बदलाव मानी जा रही है, क्योंकि वे वैश्विक उपभोक्ता ब्रांडों और व्यावसायिक परिवर्तन के क्षेत्र में लंबा अनुभव लेकर आ रहे हैं।

करियर पृष्ठभूमि और उपलब्धियाँ

ब्रिटानिया से जुड़ने से पहले, रक्षित हरगवे आदित्य बिड़ला समूह की पेंट्स डिवीजन बिड़ला ओपस (Birla Opus) के सीईओ थे। उन्होंने नवंबर 2021 में इस पद को संभाला था और देशभर में छह एकीकृत विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के साथ-साथ वितरण और आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क का विस्तार किया।

हरगवे ने इससे पहले कई प्रतिष्ठित वैश्विक और भारतीय उपभोक्ता वस्तु कंपनियों में नेतृत्व भूमिकाएँ निभाईं, जिनमें शामिल हैं —

  • बीयर्सडॉर्फ (निविया) – एशिया-प्रशांत क्षेत्र के संचालन का नेतृत्व किया और निविया इंडिया के प्रबंध निदेशक रहे।

  • हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) – सेल्स और मार्केटिंग डायरेक्टर तथा लक्मे लीवर के सीओओ के रूप में कार्य किया।

  • जुबिलेंट फूडवर्क्स – भारत में डोमिनोज़ पिज़्ज़ा की 30-मिनट डिलीवरी मॉडल की शुरुआत में प्रमुख भूमिका निभाई।

  • नेस्ले इंडिया – अपने करियर के शुरुआती चरण में यहाँ से शुरुआत की। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टाटा मोटर्स से की थी, जहाँ उन्होंने इंजीनियरिंग और प्रबंधन दोनों क्षेत्रों में मज़बूत नींव रखी।

शैक्षणिक पृष्ठभूमि

रक्षित हरगवे ने आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और एफएमएस (Faculty of Management Studies), दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीए किया है। आईआईटी वाराणसी ने उन्हें उनकी असाधारण पेशेवर उपलब्धियों के लिए “डिस्टिंग्विश्ड यंग एलुमनाई अवॉर्ड” से सम्मानित किया था।

ब्रिटानिया का रणनीतिक कदम

कंपनी के निदेशक मंडल ने कहा कि हरगवे की नियुक्ति ब्रिटानिया के दीर्घकालिक रणनीतिक लक्ष्यों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य नेतृत्व को सुदृढ़ करना और घरेलू व अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में विकास को गति देना है।
इस बीच, हिमांशु कपानिया, जो वर्तमान में प्रबंध निदेशक हैं, रक्षित हरगवे के पदभार ग्रहण करने तक संचालन की देखरेख करेंगे। बोर्ड ने पूर्व सीईओ के योगदान की सराहना करते हुए हरगावे के नेतृत्व पर पूर्ण विश्वास व्यक्त किया है।

ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज़ के बारे में

1892 में स्थापित, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड भारत के सबसे विश्वसनीय खाद्य ब्रांडों में से एक है। कंपनी के प्रसिद्ध उत्पादों में गुड डे, मेरी गोल्ड, बोरबोन, न्यूट्रिचॉइस और ट्रीट शामिल हैं। ब्रिटानिया ग्रामीण और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में अपने विस्तार को लगातार आगे बढ़ा रही है, जिसका उद्देश्य है — पौष्टिक और किफायती खाद्य पदार्थ हर व्यक्ति तक पहुँचाना।

भारत-अंगोला ने व्यापार और समुद्री क्षेत्र को मजबूत करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

एक ऐतिहासिक राजनयिक उपलब्धि के तहत भारत और अंगोला ने मत्स्य पालन, एक्वाकल्चर (मछली पालन), समुद्री संसाधन और दूतावास सहयोग के क्षेत्रों में सहयोग को सुदृढ़ करने हेतु कई महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए। ये समझौते राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की अंगोला की पहली राजकीय यात्रा के दौरान संपन्न हुए — जो किसी भारतीय राष्ट्राध्यक्ष की इस देश की पहली यात्रा थी। यह दौरा भारत और अंगोला के बीच एक व्यापक और रणनीतिक साझेदारी की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

समझौतों के मुख्य क्षेत्र

इन समझौता ज्ञापनों का उद्देश्य निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है —

  • मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर: सतत समुद्री संसाधन प्रबंधन, प्रौद्योगिकी विनिमय और क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करना।

  • दूतावास सहयोग: वीज़ा सेवाओं, दूतावास सहायता और नागरिक सेवाओं में सुधार के माध्यम से द्विपक्षीय आवागमन और व्यापार को सुगम बनाना।

ये समझौते पारंपरिक रूप से ऊर्जा-केंद्रित भारत–अंगोला संबंधों को सतत विकास और आर्थिक विविधता की दिशा में विस्तृत करने की कोशिश को दर्शाते हैं।

यात्रा का रणनीतिक महत्व

द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करना

राष्ट्रपति मुर्मु को अंगोला में पूर्ण राजकीय सम्मान, जिसमें 21 तोपों की सलामी भी शामिल थी, प्रदान किया गया। उन्होंने अंगोला के राष्ट्रपति जाओ लौरेंको (João Lourenço) के साथ व्यापक वार्ता की। दोनों नेताओं ने आपसी विश्वास, सम्मान और साझा विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई तथा जन-से-जन संबंधों और बहुपक्षीय सहयोग के महत्व पर बल दिया।

आर्थिक सहयोग का विविधीकरण

जहाँ ऊर्जा भारत–अंगोला साझेदारी का प्रमुख स्तंभ बनी हुई है, वहीं समुद्री और मत्स्य क्षेत्रों में सहयोग से कृषि, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, रक्षा और अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में भी विस्तार का मार्ग खुला है। यह विविधीकरण दीर्घकालिक और लचीली आर्थिक साझेदारी के निर्माण की दिशा में एक अहम कदम है।

वैश्विक सततता सहयोग को प्रोत्साहन

अंगोला का भारत-नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय अभियानों — जैसे इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) और ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस (GBA) — में शामिल होना दोनों देशों की वैश्विक पर्यावरणीय लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह भारत की हरित कूटनीति (Green Diplomacy) और अफ्रीका में बढ़ते प्रभाव का भी प्रतीक है।

समझौतों के लाभ

अंगोला के लिए:

  • मत्स्य और एक्वाकल्चर क्षेत्र में भारतीय विशेषज्ञता तक पहुँच।

  • स्थानीय रोजगार सृजन और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा।

  • विदेशी निवेश और आर्थिक विविधीकरण में वृद्धि।

भारत के लिए:

  • अफ्रीकी बाज़ार में व्यापारिक उपस्थिति को मज़बूती।

  • समुद्री प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता के निर्यात के अवसर।

  • क्षेत्र में रणनीतिक और राजनयिक प्रभाव में वृद्धि।

दोनों देशों के लिए:

  • बेहतर दूतावास सेवाएँ और नागरिक सहायता।

  • पेशेवरों और पर्यटकों के आवागमन में सुगमता।

  • पर्यावरणीय और आर्थिक मंचों पर घनिष्ठ सहयोग।

प्रमुख स्थिर तथ्य

  • संबंधित देश: भारत और अंगोला

  • अवसर: किसी भारतीय राष्ट्रपति की अंगोला को पहली राजकीय यात्रा

  • समझौता हस्ताक्षर तिथि: 10 नवंबर 2025

  • मुख्य समझौते:

    • मत्स्य पालन एवं एक्वाकल्चर सहयोग

    • दूतावास (Consular) सहयोग

शेखा नासिर अल नौवैस संयुक्त राष्ट्र पर्यटन का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बनीं

लैंगिक समानता और वैश्विक पर्यटन क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए शेखा नासिर अल नौवैस (Shaikha Nasser Al Nowais) को यूएन टूरिज़्म (UN Tourism) की पहली महिला प्रमुख नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति की पुष्टि स्पेन के सेगोविया शहर में आयोजित 123वें यूएन टूरिज़्म कार्यकारी परिषद सत्र के दौरान की गई, और इसे जल्द ही संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) द्वारा औपचारिक रूप से अनुमोदित किया जाएगा। वे जनवरी 2026 में चार वर्ष के कार्यकाल के लिए पदभार ग्रहण करेंगी, जिससे संगठन की स्थापना (1975) के बाद 50 वर्षों की परंपरा टूटेगी।

50 साल की बाधा को तोड़ने वाली नियुक्ति

शेखा नासिर अल नौवैस की नियुक्ति अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। वे संयुक्त राष्ट्र की उस विशेषीकृत एजेंसी का नेतृत्व करेंगी जो जिम्मेदार, सतत और सार्वभौमिक रूप से सुलभ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है।

  • यूएई की प्रतिक्रिया: संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान ने इस नियुक्ति को महिला सशक्तिकरण और वैश्विक सहयोग के प्रति यूएई की प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।

  • समर्पण: अल नौवैस ने अपनी उपलब्धि को हिज हाईनेस शैखा फातिमा बिंत मुबारक को समर्पित किया, जिन्हें उन्होंने एमिराती महिलाओं की प्रेरणा और समर्थन का स्तंभ बताया।

एक अग्रणी एमिराती नेता

16 वर्षों से अधिक के पेशेवर अनुभव के साथ, शेखा नासिर अल नौवैस ने व्यवसाय और पर्यटन दोनों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है —

  • कॉरपोरेट वाइस प्रेसिडेंट, रोटाना होटल्स

  • अध्यक्ष, अबू धाबी चैंबर की टूरिज़्म वर्किंग ग्रुप

  • सदस्य, अबू धाबी बिजनेसवुमन काउंसिल

उनकी विशेषज्ञता कॉरपोरेट गवर्नेंस, रणनीतिक विकास और पर्यटन प्रबंधन में है, जिससे वे यूएन टूरिज़्म को वैश्विक चुनौतियों के बीच नवाचार, समावेशन और सतत विकास की दिशा में आगे ले जाने के लिए सक्षम हैं।

वैश्विक पर्यटन के लिए दृष्टि 

यूएन टूरिज़्म की महासचिव (Secretary-General) के रूप में, शैखा अल नवाइस ने “पांच स्तंभों वाली दृष्टि” (Five-Pillar Vision) प्रस्तुत की है —

  1. जिम्मेदार पर्यटन (Responsible Tourism): पर्यावरण-सचेत और टिकाऊ यात्रा प्रथाओं को बढ़ावा देना।

  2. डिजिटल नवाचार (Digital Innovation): पर्यटन क्षेत्र में एआई और तकनीकी अपनाने को प्रोत्साहित करना।

  3. सतत वित्तपोषण (Sustainable Financing): पर्यटन ढाँचे और विकास में वैश्विक निवेश को सुदृढ़ करना।

  4. युवा और महिला सशक्तिकरण (Youth & Women Empowerment): उद्योग में कम प्रतिनिधित्व वाले वर्गों के लिए अवसर बढ़ाना।

  5. पारदर्शी शासन (Transparent Governance): जवाबदेही और वैश्विक पर्यटन प्रबंधन में सर्वोत्तम प्रथाओं को सुनिश्चित करना।

उनका नेतृत्व समावेशिता, नवाचार और स्थिरता के नए वैश्विक मानक स्थापित करने की उम्मीद जगाता है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय शासन में यूएई की नेतृत्व भूमिका और महिला भागीदारी को और मजबूत करेगा।

मुख्य तथ्य 

  • कार्यकाल की अवधि: 4 वर्ष (जनवरी 2026 से प्रारंभ)

  • पुष्टि: 123वां यूएन टूरिज़्म कार्यकारी परिषद सत्र, सेगोविया, स्पेन

  • पूर्व भूमिकाएँ: रोटाना होटल्स में कॉरपोरेट वाइस प्रेसिडेंट, अबू धाबी चैंबर की टूरिज़्म वर्किंग ग्रुप की अध्यक्ष, अबू धाबी बिजनेसवुमन काउंसिल की सदस्य

  • दृष्टि का केंद्रबिंदु: जिम्मेदार पर्यटन, डिजिटल नवाचार, सतत वित्तपोषण, युवा एवं महिला सशक्तिकरण, और पारदर्शी शासन

दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को खेल नगरी के रूप में पुनर्विकसित किया जाएगा

भारत के खेल बुनियादी ढांचे को मज़बूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, नई दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (JLN) को अब एक आधुनिक स्पोर्ट्स सिटी के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है। खेल मंत्रालय द्वारा घोषित इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत, मौजूदा स्टेडियम परिसर को एक अत्याधुनिक बहु-खेल केंद्र में बदलने का प्रस्ताव है, जिसमें एथलीटों के लिए आवासीय सुविधाएँ भी शामिल होंगी। यह पहल भारत की उस दीर्घकालिक दृष्टि को आगे बढ़ाती है, जिसके तहत विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वातावरण तैयार कर खिलाड़ियों के समग्र विकास को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

पुनर्विकास में क्या शामिल है

यह प्रस्तावित परियोजना 102 एकड़ क्षेत्र में फैले मौजूदा स्टेडियम परिसर के पूर्ण पुनर्निर्माण को शामिल करती है। योजना की मुख्य विशेषताएँ हैं —

  • मौजूदा स्टेडियम संरचना को पूरी तरह तोड़कर आधुनिक रूप में पुनर्निर्माण।

  • कई खेल विधाओं के लिए सुविधाओं वाला एकीकृत खेल परिसर का निर्माण।

  • एथलीटों के लिए आवासीय सुविधाएँ, ताकि प्रशिक्षण, पुनर्प्राप्ति और निवास एक ही स्थान पर संभव हो सके।

  • इनडोर और आउटडोर एरेना, अभ्यास मैदान, उच्च प्रदर्शन केंद्र और दर्शक-अनुकूल स्थानों का विकास।

हालांकि यह परियोजना अभी प्रस्ताव चरण में है, लेकिन इसे कतर और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के सफल स्पोर्ट्स सिटी मॉडल्स के अनुरूप तैयार करने पर विचार किया जा रहा है।

वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ

  • फिलहाल परियोजना की योजना और मूल्यांकन का कार्य जारी है; समयसीमा और लागत का विस्तृत विवरण अभी तय नहीं हुआ है।

  • विकास कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा ताकि वर्तमान गतिविधियाँ बाधित न हों।

  • खेल महासंघों, शहरी नियोजन निकायों, एथलीटों और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग और समन्वय अत्यंत आवश्यक होगा।

  • परियोजना की सततता, पर्यावरणीय प्रभाव और विरासत संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा।

संभावित लाभ

खिलाड़ियों के लिए:

  • अत्याधुनिक और केंद्रीकृत प्रशिक्षण, विश्राम और प्रदर्शन सुधार सुविधाएँ।

  • चिकित्सा, पोषण और मनोवैज्ञानिक सहायता के साथ उच्च प्रदर्शन वातावरण।

जनता और शहर के लिए:

  • नागरिकों के लिए खेल और मनोरंजन सुविधाओं तक बेहतर पहुंच।

  • सामुदायिक आयोजन, विद्यालयी खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अवसर।

प्रमुख स्थिर तथ्य

  • स्टेडियम: जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (JLN), नई दिल्ली

  • परियोजना का प्रकार: बहु-खेल स्पोर्ट्स सिटी के रूप में संपूर्ण पुनर्विकास

  • क्षेत्रफल: 102 एकड़

  • मुख्य विशेषताएँ: मल्टी-स्पोर्ट एरेना, एथलीट आवास, प्रशिक्षण और पुनर्प्राप्ति क्षेत्र

  • स्थिति: प्रस्ताव चरण; समयसीमा और लागत तय नहीं

  • अंतरराष्ट्रीय मॉडल: कतर और ऑस्ट्रेलिया की स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएँ

धर्मेंद्र की Biography: जानें उनके जीवन, करियर और कुल संपत्ति के बारे में

धर्मेंद्र ने 60 के दशक में अपने अभिनय का सफर शुरू किया था। वह बॉलीवुड में सबसे ज्यादा हिट फिल्में देने वाले कलाकार हैं। पंजाब के एक गांव से निकलकर वह मायानगरी आए और अपने अभिनय से सबके दिलों में छा गए। 6 दशक तक फिल्मों में अभिनय करने वाले धर्मेंद्र ने अपने करियर में लगभग 300 से ज्यादा फिल्में कीं। इस दौरान उन्होंने हर तरह के किरदारों को बड़े पर्दे पर उतारा।

धर्मेंद्र, जिन्हें स्नेहपूर्वक बॉलीवुड के “ही-मैन” के नाम से जाना जाता है, भारत के सबसे प्रसिद्ध और दीर्घकालिक अभिनेताओं में से एक हैं। पंजाब के एक छोटे से गाँव से लेकर सुपरस्टार बनने तक का उनका सफ़र मेहनत, प्रतिभा और आकर्षण की अद्भुत कहानी है। यह लेख धर्मेंद्र के प्रारंभिक जीवन, फ़िल्मी करियर, पुरस्कारों और संपत्ति पर प्रकाश डालता है — एक ऐसे महान कलाकार के जीवन का उत्सव मनाते हुए, जिन्होंने भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग को अपनी अदाकारी से अमर बना दिया।

दिग्गज एक्टर धर्मेंद्र अस्पात में भर्ती हैं। वे 89 साल के हैं और तबीयत बिगड़ने पर 10 नवंबर 2025 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था, जहां रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें वेंटिलेट पर रखा गया है। फिल्मों में अलग पहचान बनाने वाले अमिनेता की नेटवर्थ की बात करें, तो ये करीब 450-500 करोड़ रुपये के आसपास बताई जाती है।

इतनी संपत्ति

रिपोर्ट्स के मुताबिक, धर्मेंद्र ने जब 1960 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी, तो उन्हें पहली फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ के लिए महज 51 रुपये की रकम मिली थी। धर्मेंद्र की संपत्ति के बारे में बात करें, तो ये 450-500 करोड़ रुपये के आस-पास बताई जाती है। इसमें फिल्मों से होने वाली कमाई के अलावा ब्रांड एंडोर्समेंट और बिजनेस इन्वेस्टमेंट से होने वाली इनकम भी शामिल है। गौरतलब है कि उनके नाम से एक रेस्टोरेंट चेन भी चती है, जो Garam-Dharam के नाम से संचालित है। ये रेस्टोरेंट कई शहरों में मौजूद हैं। इसके अलावा भी उन्होंने कई निवेश किये हैं।

लग्जीरियश लाइफस्टाइल

धर्मेंन्द्र अपनी लग्जीरियश लाइफस्टाइल के लिए भी जाने जाते हैं। उनके पास जहां मुंबई में शानदार घर है, तो खंडाला के लोनावाला में उनका आलीशान फॉर्महाउ भी है। ये 100 एकड़ के आस-पास फैला हुआ है और इसकी झलक आए दिन धर्मेंद्र सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते थे। इसमें सभी लग्जरी सुविधाएं मौजूद हैं।

धर्मेंद्र के कार कलेक्शन

धर्मेंद्र के कार कलेक्शन की बात करें, तो इसमें कई महंगी और लग्जरी कारें शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके कलेक्शन में मर्सिडीज-बेंज S-Class, मर्सिडीज बेंज SL500 और लैंड रोवर रेंज रोवर जैसे महंगी कारें हैं।

धर्मेंद्र की आयु

धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर, 1935 को हुआ था। अब 2025 में, उनकी आयु 89 वर्ष है। भारतीय सिनेमा में उनका करियर लंबा और सफल रहा है, उन्होंने 300 से ज़्यादा फ़िल्मों में अभिनय किया है, और उन्हें बॉलीवुड के सबसे लोकप्रिय और प्रतिष्ठित अभिनेताओं में से एक के रूप में याद किया जाता है।

धर्मेंद्र का शुरुआती जीवन

पंजाब के लुधियाना जिले के एक गांव नासराली में धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को हुआ था। धर्मेंद्र का पूरा नाम धर्मेंद्र केवल कृष्ण देओल था। पिता का नाम केवल कृष्ण और मां का सतवंत कौर था। धर्मेंद्र का शुरुआती जीवन सानेहवाल गांव में ही गुजरा, सरकारी स्कूल से पढ़ाई-लिखाई हुई थी। इसी स्कूल के हेडमास्टर उनके पिता थे। धर्मेंद्र ने पंजाब यूनिवर्सिटी से धर्मेंद्र से अपनी हायर एजुकेशन पूरी की थी। फिल्मफेयर मैगजीन ने एक न्यू टैलेंट कॉम्पिटिशन करवाया जिसके विजेता धर्मेंद्र बने थे। इसके बाद अभिनय करने की चाहत लिए वह मुंबई चले आए थे।

धर्मेंद्र ने किस फिल्म से डेब्यू किया

1960 में फिल्म ‘दिल भी मेरा हम भी तेरे’ से बॉलीवुड में धर्मेंद्र ने डेब्यू किया था। फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिली। इसके बाद वह फिल्म ‘शोला और शबनम’ में नजर आए थे, इस फिल्म को मनचाही सफलता मिली। आगे चलकर धर्मेंद्र ने ‘अनपढ़’, ‘बंदिनी’, ‘आई मिलन की बेला’, ‘हकीकत’, ‘फूल और पत्थर’, ‘ममता’, ‘अनुपमा’, ‘इज्जत’, ‘आंखें’, ‘शिखर’, ‘मंझली दीदी’, ‘चंदन का पालना’, ‘मेरे हमदम मेरे दोस्त’, ‘दो रास्ते’, ‘सत्यकाम’, ‘आदमी और इंसान’ जैसे हिट और उम्दा फिल्में दीं।

शोले में निभाया ‘वीरू’ का किरदार

धर्मेंद्र ने अपने करियर में लगभग 300 फिल्में की थीं लेकिन फिल्म ‘शोले’ उनके करियर की सबसे यादगार फिल्म थी। इस फिल्म में उनका निभाया वीरू का किरदार अमर हो चुका है। धर्मेंद्र का नाम लेने पर सबसे पहले यही किरदार दर्शकों को याद आता है। हाल ही में इस फिल्म ने अपनी गोल्डन जुबली पूरी की है।

धर्मेंद्र का निजी जीवन

धर्मेंद्र अपनी फिल्मों के कारण ही नहीं अपने निजी जीवन के कारण भी काफी चर्चा में रहते थे। धर्मेंद्र ने दो शादी की थीं। पहली शादी कम उम्र में ही प्रकाश कौर से हुई थी। प्रकाश कौर और धर्मेंद्र के दो बेटे और दो बेटियां हैं, सनी देओल और बॉबी देओल। पिता की विरासत को बॉबी और सनी ने आगे बढ़ाया है, दाेनों ही बॉलीवुड के चर्चित एक्टर्स हैं। धर्मेंद्र और प्रकाश कौर की बेटियों के नाम अजीता और विजीता हैं। साल 1980 में धर्मेंद्र ने एक्ट्रेस हेमा मालिनी से दूसरी शादी की थी। हेमा मालिनी और धर्मेंद्र की दो बेटियां हैं, एशा और अहाना। एशा ने कुछ वक्त फिल्मों में काम किया, वहीं अहाना कभी एक्टिंग की दुनिया में नहीं आईं।

धर्मेंद्र को मिले अवॉर्ड-एचीवमेंट्स

साल 2012 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। धर्मेंद्र की प्रोड्यूस फिल्म ‘घायल’ को साल 1990 में बेस्ट पॉपुलर फिल्म का नेशनल अवाॅर्ड मिला था। इस फिल्म में उनके बेटे सनी देओल ने लीड रोल किया था। धर्मेंद्र को साल 1997 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट्स अवॉर्ड मिला था। वहीं 1991 में उनकी प्रोड्यूस फिल्म ‘घायल’ को बेस्ट फिल्म का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था।

सितंबर तिमाही में बेरोजगारी दर 5.4 से घटकर 5.2 पर आई

भारत के श्रम बाज़ार में वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) के दौरान थोड़ा सुधार दर्ज किया गया। 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में बेरोज़गारी दर घटकर 5.2% रह गई, जो पहली तिमाही (अप्रैल–जून 2025) के 5.4% से कम है। यह सुधार मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों और महिला श्रमिकों में बेहतर रोज़गार अवसरों के कारण देखा गया।

तिमाही तुलना: बेरोज़गारी दर (Unemployment Rate)

अवधि बेरोज़गारी दर
Q1 2025 (अप्रैल–जून) 5.4%
Q2 2025 (जुलाई–सितंबर) 5.2%

यह डेटा Current Weekly Status (CWS) पद्धति पर आधारित है, जो सात दिन की संदर्भ अवधि में रोजगार की स्थिति मापती है।

शहरी–ग्रामीण अंतर

क्षेत्र बेरोज़गारी दर
ग्रामीण क्षेत्र 4.4%
शहरी क्षेत्र 6.9%
  •  ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार की स्थिति बेहतर रही, जहाँ कृषि, मनरेगा जैसी सरकारी योजनाएँ और मौसमी कार्यों ने श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया।
  • शहरी इलाकों में बेरोज़गारी अभी भी अपेक्षाकृत अधिक बनी हुई है।

महिलाओं की श्रम भागीदारी में वृद्धि

तिमाही महिला श्रम भागीदारी दर
Q1 2025 33.4%
Q2 2025 33.7%

महिलाओं की भागीदारी में 0.3 प्रतिशत अंक की वृद्धि दर्ज की गई — यह धीरे-धीरे लेकिन सतत सुधार का संकेत है। यह बदलाव महिला सशक्तिकरण और औपचारिक–अनौपचारिक क्षेत्रों में अवसरों की बढ़ती पहुँच को दर्शाता है।

श्रम बल भागीदारी दर (LFPR)

  • Q2 2025: 55.1%

  • Q1 2025: 55.0%

यह सूचक बताता है कि कार्यशील आयु वर्ग के अधिक लोग या तो नौकरी कर रहे हैं या काम की तलाश में हैं।

मुख्य कारण

  • महामारी के बाद आर्थिक स्थिरीकरण

  • सरकारी रोजगार योजनाएँ (जैसे PMEGP, MGNREGA)

  • कृषि व निर्माण क्षेत्र में मौसमी रोजगार

  • डिजिटल एवं गिग अर्थव्यवस्था में अवसरों का विस्तार

मुख्य परीक्षा बिंदु

सूचक मान
भारत की कुल बेरोज़गारी दर (15+) 5.2% (Q2 2025)
ग्रामीण बेरोज़गारी 4.4%
शहरी बेरोज़गारी 6.9%
महिला श्रम भागीदारी 33.7%
श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 55.1%
डेटा स्रोत MoSPI – PLFS (CWS)

भारत–श्रीलंका सैन्य अभ्यास ‘मित्र शक्ति-2025’ शुरु, जानें सबकुछ

भारत और श्रीलंका ने 10 नवम्बर 2025 को सैन्य अभ्यास “मित्र शक्ति–2025” (Mitra Shakti XI) का 11वाँ संस्करण कर्नाटक के बेलगावी स्थित फॉरेन ट्रेनिंग नोड में आरंभ किया। यह अभ्यास 23 नवम्बर 2025 तक चलेगा। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और परिचालन समन्वय को सुदृढ़ करना है। यह अभ्यास आतंकवाद विरोधी अभियानों, उप-पारंपरिक युद्धक रणनीतियों और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों (UN Peacekeeping) के परिदृश्यों पर केंद्रित है।

मित्र शक्ति क्या है?

मित्र शक्ति भारत और श्रीलंका की सेनाओं के बीच आयोजित एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है, जिसकी शुरुआत दोनों देशों के बीच उप-पारंपरिक युद्ध (sub-conventional warfare), विशेष रूप से आतंकवाद और विद्रोह-रोधी अभियानों में समन्वय बढ़ाने हेतु की गई थी। यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के अंतर्गत आयोजित होता है, जो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए प्रवर्तन उपायों की अनुमति देता है। वर्षों से यह अभ्यास दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग का प्रतीक बन चुका है और उनके रणनीतिक साझेदारी संबंधों को और मजबूत करता है।

मित्र शक्ति 2025 के प्रमुख बिंदु

अवधि और स्थान

  • तिथि: 10 से 23 नवम्बर 2025

  • स्थान: फॉरेन ट्रेनिंग नोड, बेलगावी (कर्नाटक)

भाग लेने वाली सेनाएँ

  • भारतीय दल: 170 सैनिक, मुख्यतः राजपूत रेजिमेंट से

  • श्रीलंकाई दल: 135 सैनिक, गजाबा रेजिमेंट से

  • अतिरिक्त रूप से, भारतीय वायुसेना के 20 और श्रीलंकाई वायुसेना के 10 कर्मी भी शामिल हैं।

प्रशिक्षण का फोकस

अभ्यास का मुख्य उद्देश्य बहुराष्ट्रीय शांति अभियानों के वातावरण में उप-पारंपरिक सैन्य अभियानों का सिमुलेशन करना है। इसमें शामिल प्रमुख गतिविधियाँ हैं —

  • सर्च एंड डेस्टॉय मिशन

  • हेलिबोर्न ऑपरेशन

  • काउंटर-टेरर रेड्स

  • कॉम्बैट रिफ्लेक्स शूटिंग

  • ड्रोन और एंटी-ड्रोन ऑपरेशन

  • हेलिपैड सुरक्षा तथा घायलों की निकासी (casualty evacuation) अभ्यास में आर्मी मार्शल आर्ट्स रूटीन (AMAR) और योग सत्र भी शामिल हैं, जो सैनिकों के शारीरिक व मानसिक संतुलन पर बल देते हैं।

आधुनिक युद्ध कौशल और तकनीक

इस संस्करण की विशेषता ड्रोन और काउंटर–अनमैन्ड एरियल सिस्टम (C-UAS) का उपयोग है, जो आधुनिक युद्धक्षेत्रों में निगरानी, त्वरित प्रतिक्रिया और खतरे के निष्प्रभावीकरण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। हेलीकॉप्टर और हेलिबोर्न अभियानों का प्रयोग शहरी एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में होने वाले वास्तविक आतंकवाद-रोधी अभियानों की परिस्थितियों को दर्शाता है।

मुख्य तथ्य 

तथ्य विवरण
अभ्यास का नाम मित्र शक्ति – 2025
संस्करण 11वाँ
तिथियाँ 10–23 नवम्बर 2025
स्थान फॉरेन ट्रेनिंग नोड, बेलगावी (कर्नाटक)
भारतीय रेजिमेंट राजपूत रेजिमेंट
श्रीलंकाई रेजिमेंट गजाबा रेजिमेंट

Recent Posts

about | - Part 44_12.1