भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा पेटेंट फाइलर बनकर उभरा

भारत की नवाचार यात्रा में एक महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज करते हुए, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि भारत अब विश्व का 6ठा सबसे बड़ा पेटेंट फाइलर बन गया है। देश में अब तक 64,000 से अधिक पेटेंट आवेदन दाखिल किए गए हैं, जिनमें से 55% से अधिक भारतीय आवेदकों द्वारा किए गए हैं। यह घोषणा उन्होंने नई दिल्ली में आयोजित एक वार्षिक टेक-फेस्ट में की। उन्होंने यह भी बताया कि भारत का ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) में स्थान 81 से बढ़कर 38 हो गया है।

संख्या और उनका महत्व

मंत्री के अनुसार—

  • भारत ने 64,000+ पेटेंट आवेदन दाखिल किए, जिससे वह दुनिया के शीर्ष नवाचार देशों की सूची में शुमार हो गया है।

  • 55% से अधिक पेटेंट भारतीय निवासियों द्वारा दाखिल किए जा रहे हैं — यह दर्शाता है कि भारत उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था से निर्माण और नवाचार आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।

  • ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में उल्लेखनीय सुधार भारत की वैश्विक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में बढ़ती स्थिति को दर्शाता है।

यह एक स्पष्ट संकेत है कि भारत अब केवल तकनीक का उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि वैश्विक बौद्धिक संपदा (IP) का निर्माता और योगदानकर्ता भी बन रहा है।

भारत में पेटेंट वृद्धि के प्रमुख कारण

भारत के पेटेंट प्रदर्शन में उछाल के पीछे कई कारक हैं—

1. तेज़ी से बढ़ता स्टार्ट-अप इकोसिस्टम

सरकारी योजनाएँ जैसे स्टार्ट-अप इंडिया, फंडिंग, मेंटरशिप और स्केलिंग के अवसर प्रदान करती हैं।

2. कौशल विकास और अनुप्रयुक्त विज्ञान पर ज़ोर

अब केवल पारंपरिक डिग्री धारक ही नहीं, बल्कि बिना उच्च शिक्षा वाले नवप्रवर्तक भी तकनीकी विकास में योगदान दे रहे हैं।

3. पेटेंट आवेदन को आसान बनाती सरकारी नीतियाँ

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और अन्य एजेंसियाँ पेटेंट प्रक्रियाओं को सरल और सुलभ बना रही हैं।

4. पेटेंट एक आर्थिक संपत्ति के रूप में

पेटेंट सिर्फ कानूनी अधिकार नहीं, बल्कि—

  • आर्थिक मूल्य,

  • तकनीकी नेतृत्व,

  • वैश्विक प्रतिस्पर्धा

के महत्वपूर्ण उपकरण हैं।

भारत के नवाचार परिदृश्य के लिए इसका महत्व

यह घोषणा कई कारणों से महत्वपूर्ण है—

1. वैश्विक विश्वसनीयता में वृद्धि

6ठा स्थान भारत को तकनीक उपभोक्ता से आगे बढ़ाकर प्रमुख नवाचार अर्थव्यवस्था के स्तर पर लाता है।

2. घरेलू क्षमता निर्माण में वृद्धि

अधिकांश पेटेंट भारतीय कंपनियों, शोध संस्थानों और व्यक्तियों द्वारा दायर किए जा रहे हैं।

3. राष्ट्रीय नीतिगत उद्देश्यों के अनुरूप

यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया, और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों को मजबूत करती है।

Static Facts

  • भारत दुनिया का 6ठा सबसे बड़ा पेटेंट-फाइलर बन गया है (घोषणा: डॉ. जितेंद्र सिंह)।

  • 64,000+ पेटेंट आवेदन, जिनमें से 55% से अधिक भारतीय आवेदकों द्वारा।

  • भारत का ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंक 81 → 38 हुआ।

  • स्टार्ट-अप, स्किलिंग, अनुप्रयुक्त विज्ञान और नवाचार पर फोकस।

  • सरकार फंडिंग, मेंटरशिप और कौशल-विकास के अवसर गैर-डिग्री धारकों को भी उपलब्ध करा रही है।

बिरसा मुंडा जयंती 2025: बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का जश्न

बिरसा मुंडा जयंती हर वर्ष भारत के महानतम आदिवासी नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों में से एक की स्मृति में मनाई जाती है। 2025 में यह दिन और भी विशेष है, क्योंकि यह उनके जीवन और विरासत से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह उत्सव उनके आदिवासी अधिकारों की लड़ाई, भूमि संरक्षण और अपने समाज के उत्थान के लिए किए गए संघर्ष को याद करता है। देशभर में लोग उनकी वीरता, समर्पण और भारतीय इतिहास पर उनके गहरे प्रभाव को श्रद्धांजलि देते हैं।

बिरसा मुंडा जयंती 2025

15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती मनाई जाती है। 2025 का यह आयोजन अत्यंत खास है क्योंकि यह बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती है। इस दिन उनकी आदिवासी भूमि, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा के लिए किए गए संघर्ष को याद किया जाता है।

देशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनियाँ, और समुदाय आधारित आयोजन आयोजित किए जाते हैं, ताकि आदिवासी धरोहर का सम्मान हो और युवा पीढ़ी प्रेरित हो।

बिरसा मुंडा जयंती 2025 का महत्व

  • वर्ष 2025 में बिरसा मुंडा की 150वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है।

  • इसको सम्मान देने के लिए सरकार जनजातीय गौरव वर्ष मना रही है।

  • 1 से 15 नवंबर तक विशेष जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनियाँ और सामुदायिक गतिविधियाँ शामिल हैं।

  • गुजरात के देडियापाड़ा में एक बड़ा राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे।

जनजातीय गौरव दिवस

15 नवंबर को आधिकारिक रूप से जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया गया है ताकि आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिले।

देशभर के स्कूल, कॉलेज, संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र आदिवासी परंपराओं, कला और गौरवशाली इतिहास को प्रदर्शित करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं।

सरकार के आदिवासी विकास प्रयास

PM-JANMAN अभियान

यह कार्यक्रम विशेष रूप से PVTGs (अत्यंत संवेदनशील जनजातीय समूहों) के समर्थन के लिए है। इसमें

  • आवास निर्माण

  • मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयाँ

  • ग्रामीण सेवाओं में सुधार
    जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।

DAJGUA योजना

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का उद्देश्य हजारों आदिवासी गाँवों में

  • बुनियादी सुविधाएँ

  • रोजगार

  • कौशल प्रशिक्षण
    प्रदान करना है, ताकि लोग आत्मनिर्भर बन सकें और पलायन कम हो।

वनबंधु कल्याण योजना

गुजरात की इस प्रमुख योजना को बड़े निवेश के साथ आगे बढ़ाया गया है, जिससे शिक्षा, आजीविका और समग्र विकास को बढ़ावा मिलता है।

विशेष जारी 

150वीं जयंती के अवसर पर सरकार द्वारा

  • स्मारक सिक्का

  • डाक टिकट
    जारी किए जाएंगे।

बिरसा मुंडा और उल्गुलान आंदोलन

बिरसा मुंडा उल्गुलान नामक जनआंदोलन के नेतृत्व के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं।
उन्होंने उन ब्रिटिश कानूनों के खिलाफ संघर्ष किया, जिनसे आदिवासी भूमि छीनी जा रही थी और जंगलों पर उनके अधिकार सीमित किए जा रहे थे।

यह आंदोलन छोटानागपुर क्षेत्र में शुरू हुआ और

  • स्वशासन

  • भूमि सुरक्षा
    की मांग पर आधारित था।

उनके प्रयासों के फलस्वरूप छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (1908) लागू हुआ, जो आज भी आदिवासी भूमि अधिकारों की रक्षा करता है।

भारतभर में सांस्कृतिक कार्यक्रम

जनजातीय गौरव यात्रा

गुजरात में एक विशाल सांस्कृतिक यात्रा निकाली जा रही है, जो विभिन्न आदिवासी जिलों से होकर गुजर रही है। इसमें

  • आदिवासी नृत्य

  • हस्तशिल्प

  • कलाओं
    का प्रदर्शन किया जा रहा है।

शैक्षणिक गतिविधियाँ

Eklavya स्कूल और Tribal Research Institutes निबंध प्रतियोगिताएँ, कला प्रतियोगिताएँ, कहानी सत्र और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।

सामुदायिक कार्यक्रम

सिक्किम, अंडमान-निकोबार समेत कई राज्यों में

  • खेल प्रतियोगिताएँ

  • आदिवासी मेले

  • शिल्प प्रदर्शनियाँ आयोजित की जा रही हैं।

बिरसा मुंडा को समर्पित स्मारक और परियोजनाएँ

  • संग्रहालय और अनुसंधान केंद्र:
    आदिवासी इतिहास के संरक्षण और शिक्षा के लिए नए Tribal Freedom Fighter Museums और Tribal Research Institutes विकसित किए जा रहे हैं।

  • बिरसा मुंडा गौरव उपवन:
    आदिवासी क्षेत्रों में विशेष हरित क्षेत्र और स्मृति उपवन बनाए जा रहे हैं, ताकि बिरसा मुंडा की विरासत के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिले।

जनजातीय गौरव दिवस 2025: भगवान बिरसा मुंडा और भारत की जनजातीय विरासत का सम्मान

Janjatiya Gaurav Divas 2025: भारत में प्रतिवर्ष 15 नवंबर को “जनजातीय गौरव दिवस” (Janjatiya Gaurav Divas) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य विशेषकर भगवान बिरसा मुंडा जैसे महान जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को सम्मान देना है। वर्ष 2025 का आयोजन “जनजातीय गौरव वर्ष” का हिस्सा है, जो बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद और सामंती शोषण के विरुद्ध एक शक्तिशाली जनजातीय आंदोलन का नेतृत्व किया था।

बिरसा मुंडा: भारत की जनजातीय संघर्ष परंपरा के ‘धरती आबा’

बिरसा मुंडा (1875–1900) झारखंड के मुंडा समुदाय से थे। वे एक महान जनजातीय नेता, सामाजिक सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें “धरती आबा” (धरती के पिता) के रूप में सम्मानित किया जाता है।

बाल्यकाल और जागरण

उनका जन्म चोटानागपुर के उलिहातू गाँव में हुआ था। जर्मन मिशनरी स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्होंने महसूस किया कि—

  • मिशनरियों का धार्मिक प्रभाव,

  • ब्रिटिश वन कानूनों के कारण जनजातियों की भूमि छिनना,

  • जमींदारी व्यवस्था का शोषण

इन सभी ने उनमें प्रतिरोध की भावना को जागृत किया।

बिरसाइट आंदोलन

उन्होंने बिरसाइट पंथ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य जनजातीय पहचान को पुनर्जीवित करना और सामाजिक सुधार लाना था। वे इसके माध्यम से—

  • शराबबंदी,

  • टोनाटनका (काला जादू) का विरोध,

  • नैतिकता व सम्मान बढ़ाने

जैसे सुधारों की वकालत करते थे।

उलगुलान (महाविरोध) 1899–1900

बिरसा मुंडा ने उलगुलान, एक बड़े जनजातीय विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य था—

  • वन अधिकारों को पुनः प्राप्त करना,

  • ब्रिटिश शासन को चुनौती देना,

  • जनजातीय स्वशासन की स्थापना।

इस आंदोलन के दौरान उन्होंने ब्रिटिश प्रतिष्ठानों पर हमले किए और आर्थिक एवं सांस्कृतिक शोषण के विरुद्ध जनप्रतिरोध का प्रतीक बने। उन्हें 1895 में गिरफ्तार किया गया, बाद में छोड़ा गया, और दोबारा 1899 के विद्रोह के दौरान पकड़ा गया। 1900 में रांची जेल में मात्र 25 वर्ष की आयु में उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गई।

विरासत

बिरसा मुंडा आज भी जनजातीय गर्व और आत्मसम्मान के प्रतीक हैं। उनकी स्मृति में—

  • बिरसा मुंडा एयरपोर्ट (रांची),

  • बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी,

  • भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय (2021 में उद्घाटित)

स्थापित किए गए हैं। वे आज भी जनजातीय अधिकार आंदोलनों को प्रेरित करते हैं।

जनजातीय गौरव वर्ष और राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम

भारत सरकार ने 2024–25 को जनजातीय गौरव वर्ष घोषित किया है। 1–15 नवंबर के बीच देशभर में—

  • सांस्कृतिक उत्सव और जनजातीय भाषा कार्यशालाएँ,

  • जनजातीय आंदोलनों पर फोटो प्रदर्शनी,

  • जनजातीय नायकों पर सिम्पोसियम,

  • विद्यालयीय प्रतियोगिताएँ और सामुदायिक कार्यक्रम

आयोजित किए गए। गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, मेघालय और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने सक्रिय रूप से इन आयोजनों में भाग लिया।

11 जनजातीय संग्रहालय: भूले-बिसरे नायकों को समर्पित

देशभर में 11 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें—

  • रांची (झारखंड) – बिरसा मुंडा संग्रहालय

  • रायपुर (छत्तीसगढ़) – वीर नारायण सिंह संग्रहालय

  • जबलपुर व छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) – राजा शंकर शाह व बादल भोई संग्रहालय

  • अन्य राज्यों में: केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, गोवा, गुजरात

ये संग्रहालय हल्बा विद्रोह, सरगुजा आंदोलन, परलकॉट विद्रोह और भूमकल क्रांति जैसे प्रमुख जनजातीय आंदोलनों का दस्तावेजीकरण करते हैं।

सरकार की प्रमुख डिजिटल पहलें

जनजातीय ज्ञान और विरासत को बढ़ावा देने के लिए कई नई डिजिटल परियोजनाएँ शुरू की गई हैं—

  • आदि संस्कृति: जनजातीय कला और इतिहास के लिए शिक्षण मंच

  • आदि वाणी: जनजातीय भाषाओं का अनुवाद करने वाला AI आधारित उपकरण

  • ट्राइबल डिजिटल रिपॉजिटरी: जनजातीय शोध और परंपराओं का केन्द्रीय डेटाबेस

  • ओरल लिटरेचर प्रोजेक्ट: लोककथाओं, उपचार पद्धतियों व पारंपरिक कृषि ज्ञान का संरक्षण

Static GK & Facts 

  • मनाया जाता है: 15 नवंबर को प्रतिवर्ष

  • मुख्य व्यक्तित्व: बिरसा मुंडा (1875–1900)

  • उपाधि: “धरती आबा”

  • नेतृत्व किया: उलगुलान आंदोलन (1899–1900)

  • मृत्यु: रांची जेल, 1900

  • जनजातीय संग्रहालय: 11 स्थानों पर

  • सरकारी पहलें: आदि संस्कृति, आदि वाणी, ट्राइबल रिपॉजिटरी

  • वर्ष घोषित: 2024–25 – जनजातीय गौरव वर्ष

DRDO ने विकसित किए नयी पी­ढ़ी के ‘मैन-पोर्टेबल ऑटोनोमस अंडरवॉटर व्हीकल’

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने वास्तविक समय में बारूदी सुरंग जैसी वस्तुओं का पता लगाने के लिए नयी पी­ढ़ी के ‘मैन-पोर्टेबल ऑटोनोमस अंडरवाटर व्हीकल (एमपी-एयूवी)’ विकसित किए हैं। रक्षा मंत्रालय ने 14 नवंबर 2025 को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि इस प्रणाली में पानी के भीतर चलने वाले कई स्वायत्त वाहन (एयूवी) शामिल हैं, जो वास्तविक समय में बारूदी सुरंग जैसी वस्तुओं का पता लगाने में सक्षम साइड स्कैन सोनार और अत्याधुनिक कैमरों से लैस हैं।

मंत्रालय ने कहा कि ‘एमपी-एयूवी’ के ‘डीप र्लिनंग’ आधारित एल्गोरिद्म इस प्रणाली को स्वायत्त रूप से अलग-अलग तरह के लक्ष्यों को पहचानने में सक्षम बनाते हैं, जिससे संचालक पर काम का बोझ और मिशन को पूरा करने में लगने वाला समय काफी कम हो जाता है। मंत्रालय के अनुसार, एमपी-एयूवी का निर्माण डीआरडीओ की विशाखापत्तनम स्थित नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (एनएसटीएल) ने किया है।

मुख्य विशेषताएँ: कॉम्पैक्ट, स्मार्ट और नेटवर्क-सक्षम

MP-AUV सिस्टम कई हल्के, पोर्टेबल अंडरवॉटर ड्रोन से मिलकर बना है, जिनमें निम्न तकनीकें शामिल हैं—

  • साइड स्कैन सोनार – समुद्री तल की विस्तृत इमेजिंग के लिए

  • अंडरवॉटर कैमरे – दृश्य पुष्टि (visual confirmation) के लिए

  • डीप लर्निंग आधारित टार्गेट रिकग्निशन – माइंस जैसे ऑब्जेक्ट्स (MLOs) की रियल-टाइम पहचान के लिए

  • अंडरवॉटर एकाउस्टिक कम्युनिकेशन – कई AUVs के बीच सुरक्षित डेटा साझा करने और टीम-कोऑर्डिनेशन के लिए

इन उन्नत तकनीकों के कारण यह सिस्टम काफी हद तक स्वायत्त (autonomous) है और बेहद कम मानव हस्तक्षेप के साथ मिशन पूरा कर सकता है। इससे ऑपरेटर का कार्यभार कम होता है और मिशन का समय घटता है।

फील्ड ट्रायल्स: मिशन उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया

MP-AUV सिस्टम को NSTL/हार्बर में कठोर परीक्षणों से गुजारा गया, जिसमें इसके प्रदर्शन और मिशन क्षमताओं का सत्यापन हुआ। ट्रायल्स में पाया गया—

  • पानी के भीतर माइंस की सटीक पहचान और वर्गीकरण

  • अंडरवॉटर कम्युनिकेशन के जरिए मल्टी-AUV तालमेल

  • माइन्स काउंटरमेज़र से जुड़े सभी प्रमुख मिशन उद्देश्यों की सफल प्राप्ति

सफल परीक्षणों के बाद यह सिस्टम अब कुछ ही महीनों में उत्पादन के लिए तैयार होने की संभावना है, जिसमें भारतीय रक्षा उद्योग की सक्रिय भागीदारी होगी।

रणनीतिक महत्व

DRDO के चेयरमैन एवं रक्षा अनुसंधान सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने इसे भारत की अंडरवॉटर रक्षा तकनीक में “एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर” बताया। उन्होंने कहा कि MP-AUV सिस्टम प्रदान करता है—

  • माइंस से घिरे क्षेत्रों में तेज़ प्रतिक्रिया क्षमता

  • नौसैनिक कर्मियों के लिए कम जोखिम

  • छोटा लॉजिस्टिक फुटप्रिंट—क्योंकि सिस्टम बेहद कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल है

  • भविष्य के नौसैनिक अभियानों के लिए बुद्धिमान, स्वचालित और नेटवर्क-आधारित समाधान

यह उपलब्धि समुद्री क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक को मजबूत करने का एक बड़ा कदम है।

स्थैतिक तथ्य

  • विकसित करने वाला संगठन: नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (NSTL), विशाखापट्टनम

  • मूल एजेंसी: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)

  • प्रणाली का नाम: मैन-पोर्टेबल ऑटोनॉमस अंडरवॉटर व्हीकल्स (MP-AUVs)

  • मुख्य उपयोग: माइन काउंटरमेज़र (MCM) मिशन

  • प्रयुक्त प्रमुख तकनीकें:

    • साइड स्कैन सोनार

    • अंडरवॉटर कैमरे

    • डीप लर्निंग-आधारित टार्गेट रिकग्निशन

    • अंडरवॉटर एकॉस्टिक कम्युनिकेशन

  • सफल परीक्षण स्थल: NSTL/हार्बर

  • अनुमानित उत्पादन समयसीमा: अगले कुछ महीनों के भीतर

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए की भारी जीत, भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election 2025) के नतीजों ने एक बार फिर राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की जबरदस्त बढ़त को साबित कर दिया है। 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए ने रिकॉर्ड 202 सीटों पर जीत हासिल की, जो बहुमत के आंकड़े 122 से काफी अधिक है। यह परिणाम बिहार की राजनीतिक दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है और गठबंधन की मजबूत पकड़ को प्रदर्शित करता है।

अंतिम सीटों का गणित: एनडीए का दबदबा

  • भारतीय जनता पार्टी (BJP): 89 सीटें

  • जनता दल (यूनाइटेड) – JD(U): 85 सीटें

  • लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) – LJPRV: 19 सीटें

  • राष्ट्रवादी जनता दल (RJD): 25 सीटें

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC): 6 सीटें

  • AIMIM: 5 सीटें

  • हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से.) – HAMS: 5 सीटें

  • राष्ट्रीय लोक मोर्चा – RSHTLKM: 4 सीटें

  • CPI(ML) लिबरेशन: 2 सीटें

  • CPI(M): 1 सीट

  • इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (IIP): 1 सीट

  • बहुजन समाज पार्टी (BSP): 1 सीट

BJP की 89 सीटें उसे सबसे बड़ी पार्टी बनाती हैं, जबकि JD(U) की 85 सीटें गठबंधन की सामूहिक शक्ति को रेखांकित करती हैं। इसके विपरीत, महागठबंधन (RJD + कांग्रेस) को मात्र 34 सीटों पर सिमटना भारी गिरावट को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया और ‘MY फार्मूला’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नतीजों को लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की जीत बताया। उन्होंने कहा कि बिहार अब “जंगल राज” की राजनीति से आगे बढ़ चुका है।

मोदी ने अपनी जीत का श्रेय नए ‘MY फार्मूला’—Mahila (महिला) + Youth (युवा) को दिया। उन्होंने कहा कि महिलाएँ और युवा इस चुनाव में निर्णायक शक्ति बनकर उभरे हैं।

महिला वोटरों की ऐतिहासिक भागीदारी

इस चुनाव की सबसे उल्लेखनीय बात रहा 71.6% महिला मतदान, जो बिहार के इतिहास में सर्वाधिक है।

  • बिहार की 7.4 करोड़ मतदाता आबादी में लगभग आधी महिलाएँ हैं।

  • महिलाओं को लक्षित कल्याणकारी योजनाएँ—जैसे आर्थिक सहायता, स्वास्थ्य लाभ, और छात्रवृत्ति—BJP और JD(U) दोनों के लिए बेहद लाभदायक साबित हुईं।

विश्लेषकों का मानना है कि महिला मतदाताओं ने इस बार सत्ता की दिशा तय कर दी।

बिहार की राजनीति में नया अध्याय

यह चुनाव बिहार के दो बड़े नेताओं—नीतीश कुमार (JD(U)) और लालू प्रसाद यादव (RJD)—की अंतिम राजनीतिक लड़ाई भी साबित हो सकती है। दोनों 70 वर्ष के पार हैं और स्वास्थ्य कारणों से अब पीछे हट सकते हैं।

इससे बिहार में नई पीढ़ी के नेतृत्व के उदय का रास्ता खुल सकता है।

स्थिर तथ्य (Static GK)

  • बिहार विधानसभा सीटें: 243

  • बहुमत का आंकड़ा: 122

  • पहले विधानसभा चुनाव: 1951–52

  • राजधानी: पटना

  • संभावित मुख्यमंत्री (2025): नीतीश कुमार (JD(U))

  • बिहार के राज्यपाल (2025): राजेंद्र अर्लेकर

जानें कौन हैं सालूमरदा थिमक्का, जिन्‍हें कहा जाता है ‘पेड़ों की मां’

सालूमरदा थिमक्का का जीवन भारत में पर्यावरण संरक्षण का सबसे प्रेरक उदाहरण माना जाता है। 114 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, लेकिन वे पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गईं जो प्रेम, धैर्य और प्रकृति से गहरे जुड़ाव पर आधारित है। कर्नाटक की सड़कों पर सैकड़ों बरगद के वृक्ष लगाने और पालने के उनके कार्य ने साबित किया कि दृढ़ संकल्प के साथ एक साधारण व्यक्ति भी धरती को हराभरा बना सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन सकता है।

प्रारंभिक जीवन और सरल शुरुआत

थिमक्का का जन्म कर्नाटक के तुमकूरु ज़िले के गुब्बी तालुक में हुआ था। साधारण परिवार, सीमित शिक्षा और आर्थिक कठिनाइयों के बीच पले-बढ़े होने के बावजूद वे ग्रामीण मूल्यों और प्रकृति से जुड़ी रहीं।

मुख्य बिंदु

  • जन्म: तुमकूरु ज़िले में एक सामान्य परिवार में

  • विवाह: हुलेकल गांव के बिक्कल चिक्कैय्या से

  • निःसंतानता ने उनके पर्यावरण मिशन की प्रेरणा का रूप लिया

राज्य राजमार्ग 94 पर ऐतिहासिक वृक्षारोपण

अपनी व्यक्तिगत पीड़ा को मिशन में बदलते हुए थिमक्का और उनके पति ने कई दशकों तक कुदूर से हुलेकल के बीच राज्य राजमार्ग 94 (SH-94) पर 385 बरगद के पेड़ लगाए और बच्चों की तरह उनकी देखभाल की।

वृक्षारोपण का महत्व

  • पेड़ों को पानी, सुरक्षा और संरक्षण के लिए समर्पित जीवन

  • प्रमुख राजमार्ग पर हरित आवरण में वृद्धि

  • इसी काम के लिए मिला उपनाम: “सालूमरदा” (कन्नड़ में अर्थ: पेड़ों की कतार)

सम्मान, पुरस्कार और वैश्विक पहचान

शिक्षा न होने के बावजूद थिमक्का के असाधारण योगदान ने उन्हें भारत की सबसे सम्मानित पर्यावरण कार्यकर्ताओं की सूची में शामिल कर दिया।

मुख्य सम्मान

  • पद्मश्री (2019) — सामाजिक कार्य व पर्यावरण संरक्षण के लिए

  • कई राज्य और राष्ट्रीय पर्यावरण पुरस्कार

  • पारिस्थितिकी में योगदान के लिए मानद डॉक्टरेट

  • लोकप्रिय उपनाम: “वृक्ष माता” (Mother of Trees)

अंतिम दिन और निधन

अंतिम महीनों में थिमक्का कमजोरी और भूख कम होने के कारण कई बार अस्पताल में भर्ती हुईं। हल्का सुधार होने के बावजूद उन्होंने 14 नवंबर 2025 को बेंगलुरु स्थित एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।

शोक संदेश और श्रद्धांजलियाँ

उनके निधन पर नेताओं, पर्यावरणविदों और नागरिकों ने गहरा शोक व्यक्त किया।

मुख्य प्रतिक्रियाएँ

  • कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने उन्हें “अमर” कहा और उनके कार्यों की अनूठी सेवा का स्मरण किया

  • पर्यावरण मंत्री ईश्वर खंड्रे ने कहा कि थिम्मक्का ने बिना औपचारिक शिक्षा के भी दुनिया को बड़ा संदेश दिया

  • पूरे कर्नाटक में लोग उन्हें सामुदायिक पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा के रूप में याद कर रहे हैं

निरंतर जीवित रहने वाली विरासत

थिमक्का का जीवन आज भी स्कूलों, आंदोलनों, नीतियों और समुदायों को प्रेरित करता है।

उनकी विरासत में शामिल हैं:

  • आज भी फल-फूल रहे 385 बरगद के पेड़

  • उनके नाम पर बने बॉटनिकल गार्डन और शहरी वन

  • पर्यावरण के प्रति सामुदायिक जागरूकता का बढ़ता अभियान

  • यह संदेश कि एक व्यक्ति भी पर्यावरण में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है

वायुसेना प्रमुख ने लद्दाख में न्योमा एयरबेस का उद्घाटन किया

पूर्वी लद्दाख में चीन की सीमा के पास न्योमा एयरबेस को 12 नवंबर 2025 को फिर से शुरू किया गया। भारतीय वायुसेना प्रमुख चीफ मार्शल एपी सिंह ने इसका उद्घाटन किया। उन्होंने गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस से सी-130जे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ाकर न्योमा एयरबेस में लैंडिंग की। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल एपी सिंह ने 13,700 फीट की ऊँचाई पर बने 2.7 किमी लंबे रनवे पर C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान उतारकर इस ऐतिहासिक क्षण को चिह्नित किया—जो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारत की बढ़ती वायु शक्ति और अत्याधुनिक अवसंरचना को दर्शाता है।

न्योमा एयरबेस का सामरिक महत्व

LAC से मात्र 23 किमी की दूरी पर स्थित यह एयरबेस चीन के साथ संवेदनशील सीमा क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को कई मायनों में बढ़ाता है।

यह एयरबेस महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा—

  • सीमा के पास लड़ाकू विमानों व परिवहन विमानों की तैनाती में

  • फॉरवर्ड लोकेशन्स को हवाई लॉजिस्टिक सपोर्ट देने में

  • निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ाने में

  • लद्दाख के संवेदनशील क्षेत्रों में रीयल-टाइम मॉनिटरिंग व फोर्स प्रोजेक्शन में

एयरबेस की प्रमुख विशेषताएँ

  • रनवे लंबाई: 2.7 किमी

  • ऑपरेशनल क्षमता: फाइटर जेट, C-130J जैसे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, व हेलिकॉप्टरों का संचालन

  • अवसंरचना: एटीसी (ATC), हैंगर, हार्ड स्टैंडिंग और अन्य तकनीकी सहायक सुविधाएँ

इन खूबियों के साथ न्योमा एयरबेस भारतीय वायुसेना के सबसे उन्नत उच्च-ऊंचाई वाले ठिकानों में शामिल हो गया है, जो तेज़ी से सैन्य जुटाव और ऑपरेशनल पहुँच बढ़ाने में गेम-चेंजर साबित होगा।

पृष्ठभूमि और परियोजना समयरेखा

  • यह परियोजना 2020 के बाद भारत-चीन सैन्य तनाव के जवाब में शुरू किए गए सीमा अवसंरचना उन्नयन का हिस्सा है।

  • सितंबर 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने न्योमा एयरबेस के उन्नयन की आधारशिला रखी।

  • निर्माण कार्य BRO (बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन) ने किया, जिसकी कमान महिला अधिकारियों ने संभाली—यह स्वयं में अभूतपूर्व उपलब्धि है।

  • BRO प्रमुख ले. जनरल रघु श्रीनिवासन ने इसे लद्दाख सेक्टर की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक बताया।

भारत-चीन सीमा तनाव में भूमिका

2020 में शुरू हुए गतिरोध के बाद भारत ने त्वरित गति से सीमा अवसंरचना विकसित की ताकि—

  • सैनिकों और संसाधनों की तेज़ आवाजाही सुनिश्चित हो

  • उपकरणों की शीघ्र तैनाती हो

  • सैन्य और नागरिक लॉजिस्टिक्स और मजबूत हो

2024 में गतिरोध समाप्त होने के बाद भारतीय सेना ने देमचोक औरDepsang क्षेत्रों में पुनः गश्त शुरू की। न्योमा एयरबेस अब इस रणनीतिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने का मुख्य केंद्र बनेगा।

महिला-नेतृत्व वाली इंजीनियरिंग उत्कृष्टता

न्योमा एयरबेस का निर्माण BRO की महिला अधिकारियों द्वारा नेतृत्व में पूरा होना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। कठिनतम भूभाग और मौसम की परिस्थितियों में उनके नेतृत्व ने राष्ट्रीय रक्षा अवसंरचना में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया है।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

  • एयरबेस नाम: मुढ़-न्योमा एयर फोर्स स्टेशन

  • स्थान: पूर्वी लद्दाख, LAC से 23 किमी

  • ऊँचाई: 13,700 फीट

  • उद्घाटन तिथि: 12 नवंबर 2025

  • उद्घाटनकर्ता: एयर चीफ़ मार्शल ए. पी. सिंह

  • मुख्य विमान: C-130J, फाइटर जेट्स, हेलिकॉप्टर

  • परियोजना लागत: ₹218 करोड़

  • रनवे लंबाई: 2.7 किमी

  • निर्माण एजेंसी: बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO)

बेल्जियम और नीदरलैंड 2026 FIH Hockey World Cup की संयुक्त मेजबानी करेंगे

2026 FIH हॉकी विश्व कप अंतरराष्ट्रीय फील्ड हॉकी के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। पहली बार बेल्जियम और नीदरलैंड संयुक्त रूप से पुरुषों और महिलाओं—दोनों वर्गों—के टूर्नामेंट की सह-मेजबानी करेंगे। यह महाआयोजन 15 से 30 अगस्त 2026 तक चलेगा, जिसमें प्रत्येक श्रेणी में 16-16 टीमें नई प्रतिस्पर्धी संरचना के तहत रोमांचक मुकाबलों में हिस्सा लेंगी। इस संस्करण की एक ऐतिहासिक विशेषता यह भी है कि इसमें पहली बार पैराहॉकी विश्व कप भी शामिल किया जाएगा, जिससे यह अब तक के सबसे समावेशी FIH टूर्नामेंटों में से एक बन जाएगा।

द्वि-मेजबान स्थल: वाव्रे और एम्स्टर्डम

मैच दो विश्व-स्तरीय स्टेडियमों में खेले जाएंगे—

  • बेल्फियस हॉकी एरेना, वाव्रे (बेल्जियम)

  • वागेनर स्टेडियम, एम्स्टर्डम (नीदरलैंड)

पुरुषों का फाइनल वाव्रे में जबकि महिलाओं का फाइनल एम्स्टर्डम में होगा। दोनों देशों की मजबूत हॉकी विरासत और घरेलू समर्थन इस टूर्नामेंट को और भी भव्य बनाएंगे।

नया प्रारूप: समूह चरणों की नई प्रणाली

2026 संस्करण में पहली बार संशोधित प्रतियोगिता प्रारूप अपनाया गया है—

  • पुरुष एवं महिला, दोनों वर्गों में 16-16 टीमें, चार समूहों में विभाजित होंगी।

  • प्रत्येक समूह की शीर्ष दो टीमें दूसरे समूह चरण में पहुँचेंगी, जहाँ पहले खेले गए मैचों के परिणाम भी साथ ले जाए जाएँगे।

  • इसके पश्चात सेमीफ़ाइनलिस्ट और अन्य रैंकिंग तय होंगी।

  • जो टीमें मुख्य चरण में आगे नहीं बढ़ पाएँगी, वे वैकल्पिक समूहों में स्थान-निर्धारण मुकाबले खेलेंगी।

यह नया मॉडल टूर्नामेंट में लंबे समय तक रोमांच बनाए रखने और सभी टीमों को समान अवसर देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

भाग लेने वाले देश एवं क्वालिफिकेशन

कई टीमों ने पहले ही अपनी जगह पक्की कर ली है, जिनमें मेज़बान बेल्जियम और नीदरलैंड भी शामिल हैं। बाकी टीमें—

  • महाद्वीपीय चैम्पियनशिप

  • 2026 की शुरुआत में होने वाले प्लेऑफ़

के माध्यम से क्वालिफाई करेंगी। टूर्नामेंट का आधिकारिक ड्रॉ मार्च 2026 में आयोजित होगा।

पैराहॉकी विश्व कप: पहली बार शामिल

2026 का एक बड़ा आकर्षण है पहला FIH ParaHockey World Cup, जो मुख्य टूर्नामेंट के साथ ही आयोजित होगा।

  • फोकस: बौद्धिक विकलांगता वाले एथलीट

  • स्थल: वाव्रे और एम्स्टर्डम (मुख्य टूर्नामेंट के समान)

  • उद्देश्य: हॉकी में विविधता, समावेश और समानता को बढ़ावा देना

यह पहल दिखाती है कि FIH हॉकी को अधिक समावेशी और सभी क्षमताओं का उत्सव बनाने की दिशा में प्रतिबद्ध है।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

  • टूर्नामेंट नाम: 2026 FIH हॉकी विश्व कप

  • तिथियाँ: 15–30 अगस्त 2026

  • मेज़बान राष्ट्र: बेल्जियम और नीदरलैंड

  • मुख्य स्थल: बेल्फियस हॉकी एरेना (वाव्रे) एवं वागेनर स्टेडियम (एम्स्टर्डम)

  • टीमें: 16 पुरुष + 16 महिला

  • प्रारूप: द्वि-समूह प्रगति प्रणाली, परिणाम अगले चरण में भी जारी

RBI ने नियामक उल्लंघनों के लिए तीन सहकारी बैंकों पर जुर्माना लगाया

सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी को लेकर मजबूत संकेत देते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने तीन सहकारी बैंकों पर महत्वपूर्ण मौद्रिक दंड लगाए हैं। यह कार्रवाई Co-op Kumbh 2025 (नई दिल्ली) के दौरान हुई—एक अंतरराष्ट्रीय सहकारी क्रेडिट सम्मेलन, जहाँ डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन और पारदर्शिता प्रमुख विषय थे।

जुर्माना लगाए गए बैंक और उनके उल्लंघन

1. मुंबई जिला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड, महाराष्ट्र

  • जुर्माना: ₹2 लाख

  • उल्लंघन: बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 20 का उल्लंघन

    • धारा 20: बैंक को अपने निदेशकों या उनसे संबंधित संस्थाओं को ऋण देने से रोकती है।

    • यह प्रावधान हितों के टकराव और धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

2. करैकुडी को-ऑपरेटिव टाउन बैंक लिमिटेड, तमिलनाडु

  • जुर्माना: ₹1.5 लाख

  • उल्लंघन: RBI के निम्न निर्देशों का पालन न करना—

    • कैपिटल एडिक्वेसी हेतु प्रूडेंशियल नॉर्म्स (Urban Co-op Banks के लिए)

    • KYC दिशानिर्देश

    • ये मानदंड पूंजी की मजबूती बनाए रखने और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए आवश्यक हैं।

3. जिला सहकारी केंद्रीय बैंक लिमिटेड, एलुरु, आंध्र प्रदेश

  • जुर्माना: ₹50,000

  • उल्लंघन: KYC अनुपालन में चूक

  • दंड धारा 47A(1)(c) तथा धारा 46(4)(i) और धारा 56 के तहत लगाया गया।

संबंधित कानूनी प्रावधान

  • धारा 20: निदेशकों/संबंधित पक्षों को ऋण देने पर रोक

  • धारा 47A(1)(c): RBI को दंडात्मक कार्रवाई की शक्ति देता है

  • धारा 46(4)(i) और 56: सहकारी बैंकों पर लागू दंड के प्रावधान

इनका उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली में अनुशासन, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है।

RBI की कार्रवाई का महत्व

यह कदम RBI की सख्त नियामक सतर्कता को दर्शाता है—एक ऐसा क्षेत्र जिसने अक्सर कमजोर गवर्नेंस और कमज़ोर अनुपालन के लिए आलोचना झेली है।

मुख्य संदेश:

  • पूंजी पर्याप्तता के मानकों का पालन अनिवार्य

  • KYC नियमों का पालन वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए ज़रूरी

  • संबंधित-पक्ष लेनदेन से बचना गवर्नेंस के लिए आवश्यक

Co-op Kumbh 2025 के दौरान यह कार्रवाई और भी प्रासंगिक हो जाती है, जहाँ शहरी सहकारी क्रेडिट संस्थाओं के भविष्य पर चर्चा हो रही थी।

सहकारी क्षेत्र के लिए चेतावनी

ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत में वित्तीय समावेशन में सहकारी बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में नियमों का पालन न करना गंभीर चिंता का विषय है। RBI का यह संदेश साफ है—अपालन किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं।

यह घटना बैंकिंग प्रतियोगी परीक्षाओं और वित्तीय क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों के लिए भी महत्वपूर्ण है, विशेषकर—

  • अनुपालन (Compliance)

  • KYC/AML

  • जोखिम प्रबंधन

Static Facts (स्थिर तथ्य)

  • जुर्माना तिथि: 6 नवंबर 2025

  • जुर्माना लगे बैंक:

    • मुंबई डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑप बैंक – ₹2 लाख

    • करैकुडी को-ऑप टाउन बैंक – ₹1.5 लाख

    • एलुरु डिस्ट्रिक्ट को-ऑप सेंट्रल बैंक – ₹50,000

  • मुख्य कानूनी धाराएँ: 20, 47A(1)(c), 46(4)(i), 56

  • मुख्य उल्लंघन: निदेशकों को ऋण, KYC चूक, कैपिटल एडिक्वेसी नॉर्म्स का उल्लंघन

  • प्रसंग: Co-op Kumbh 2025, नई दिल्ली

  • नियामक संस्था: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)

UAE ने रिकॉर्ड समय में पहली बार डिजिटल दिरहम लेनदेन को अंजाम दिया

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) डिजिटल दिरहम का उपयोग करके अपना पहला सरकारी लेनदेन दो मिनट से भी कम समय में पूरा करके इतिहास रच दिया है। यह बिजली की गति से होने वाला डिजिटल भुगतान यूएई के वैश्विक डिजिटल वित्त केंद्र बनने के मिशन में एक बड़ी छलांग है। यह लेनदेन एमब्रिज प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया गया, जो देश की अगली पीढ़ी के वित्तीय बुनियादी ढांचे को अपनाने की तत्परता को दर्शाता है।

डिजिटल दिरहम क्या है?

डिजिटल दिरहम, यूएई की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा है, जिसे यूएई के केंद्रीय बैंक (सीबीयूएई) द्वारा जारी किया जाता है। यह देश के व्यापक वित्तीय अवसंरचना परिवर्तन (एफआईटी) कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसे पारदर्शिता, दक्षता और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत, यह सीबीडीसी सरकार समर्थित और पूरी तरह से विनियमित है। यह सार्वजनिक संस्थानों के बीच सुरक्षित, रीयल-टाइम लेनदेन सुनिश्चित करता है और अंततः संयुक्त अरब अमीरात भर के नागरिकों और व्यवसायों द्वारा इसका उपयोग किया जा सकता है।

ऐतिहासिक लेनदेन

यूएई के वित्त मंत्रालय और दुबई वित्त विभाग ने 12 नवंबर 2025 को सफलतापूर्वक देश का पहला डिजिटल दिरहम लेनदेन पूरा किया। mBridge डिजिटल सेटलमेंट प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके किया गया यह भुगतान दो मिनट से भी कम समय में संपन्न हुआ, जो प्रणाली की उच्च दक्षता और तकनीकी तैयारी को दर्शाता है।

हालाँकि लेनदेन की सटीक प्रकृति सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि इस पायलट की सफलता साबित करती है कि डिजिटल दिरहम सरकारी कार्यप्रणालियों को सरल बनाने, कागज़ी प्रक्रियाओं को कम करने और फंड ट्रांसफ़र में होने वाली देरी को समाप्त करने की अपार क्षमता रखता है।

mBridge प्लेटफ़ॉर्म क्या है?

mBridge एक बहु-केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (Multi-CBDC) सेटलमेंट सिस्टम है, जिसे एशिया और मध्य पूर्व के कई केंद्रीय बैंकों के सहयोग से विकसित किया गया है। यह प्लेटफ़ॉर्म विभिन्न देशों द्वारा जारी की गई डिजिटल मुद्राओं का उपयोग करके तेज़, सुरक्षित और पारदर्शी अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है।

यूएई की इसमें भागीदारी यह दर्शाती है कि वह वैश्विक वित्तीय नवाचार को अपनाने और भविष्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने के लिए कितनी सक्रिय और प्रतिबद्ध है।

व्यापक वित्तीय विनियमों के अनुरूप

डिजिटल दिरहम परियोजना, डिजिटल परिसंपत्तियों (Digital Assets) को लेकर यूएई द्वारा अपनाए गए सख्त नियामक ढांचे के अनुरूप है। मार्च 2023 से, यूएई के केंद्रीय बैंक ने यह अनिवार्य किया है कि सभी स्टेबलकॉइन उच्च-गुणवत्ता वाली तरल परिसंपत्तियों (High-quality Liquid Assets) द्वारा पूरी तरह समर्थित हों और उनका नियमित एवं कठोर ऑडिट किया जाए।

अप्रैल 2023 में, अबू धाबी की प्रमुख संस्थाओं—IHC, ADQ और फर्स्ट अबू धाबी बैंक—ने एक दिरहम-समर्थित स्टेबलकॉइन लॉन्च करने की योजना की घोषणा की, जो विनियमित डिजिटल परिसंपत्तियों के प्रति स्थानीय स्तर पर बढ़ती रुचि को दर्शाता है।

इन पहलों ने मिलकर यूएई में एक विश्वसनीय और सुरक्षित वित्तीय वातावरण तैयार किया है, जो वैश्विक फिनटेक नवाचारों और संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

आगे की राह

इस सफल लेनदेन के साथ, UAE ने एक ऐसे भविष्य की नींव रख दी है जहाँ सरकारी वेतन, सब्सिडी, खरीद-प्रक्रियाएँ और सार्वजनिक सेवाएँ पूरी तरह डिजिटल भुगतान प्रणाली के माध्यम से संचालित हो सकेंगी। यह मार्ग प्रशस्त करता है—

  • तेज़ अंतर-विभागीय फंड ट्रांसफ़र

  • स्वचालित समन्वय (reconciliation) और ऑडिट ट्रेल्स

  • कागज़ आधारित प्रक्रियाओं पर निर्भरता में कमी

  • वित्तीय पारदर्शिता में वृद्धि

यह उपलब्धि खुदरा और वाणिज्यिक लेनदेन में भी डिजिटल दिरहम को अपनाने का रास्ता खोलती है।

महत्वपूर्ण स्थिर तथ्य

  • लेनदेन की तिथि: 12 नवंबर 2025

  • उपयोग की गई मुद्रा: डिजिटल दिरहम (UAE के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी)

  • समय: 2 मिनट से कम

  • प्लेटफ़ॉर्म: mBridge (मल्टी-सेंट्रल बैंक निपटान प्रणाली)

  • संबंधित संस्थाएँ: वित्त मंत्रालय और दुबई वित्त विभाग

  • उद्देश्य: वित्तीय अवसंरचना को आधुनिक बनाने के लिए FIT प्रोग्राम का हिस्सा

  • डिजिटल दिरहम की भूमिका: UAE की डिजिटल अर्थव्यवस्था दृष्टि का रणनीतिक स्तंभ

  • 2023 से स्थिरकॉइन नियम: पूरी तरह बैक्ड और ऑडिटेड होना अनिवार्य

  • अप्रैल 2023 पहल: दिरहम-समर्थित स्थिरकॉइन लॉन्च करने की योजना

  • UAE का लक्ष्य: वैश्विक डिजिटल वित्त और नवाचार का हब बनना

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