भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने 14 दिसंबर 2025 को सम्राट पेरुमबिदुगु मुथारैयार द्वितीय (सुवर्ण मारन) की स्मृति में एक स्मारक डाक टिकट का विमोचन उपराष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में किया। यह कार्यक्रम केंद्र सरकार की उस निरंतर पहल का हिस्सा रहा, जिसके अंतर्गत तमिलनाडु के कम-ज्ञात शासकों और सांस्कृतिक प्रतीकों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिया जा रहा है तथा देश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया गया।
सम्राट पेरुमबिदुगु मुथारैयार II कौन थे?
- जिन्हें सुवरन मारन के नाम से भी जाना जाता है
- मुथारैयार राजवंश से संबंधित थे, जिसने 7वीं और 9वीं शताब्दी ईस्वी के बीच मध्य तमिलनाडु पर शासन किया
- लगभग चार दशकों तक तिरुचिरापल्ली से शासन किया
- शुरुआती मध्यकालीन दक्षिण भारत के सबसे प्रतिष्ठित शासकों में से एक माने जाते हैं
सम्राट पेरुमबिदुगु मुथारैयार के प्रमुख योगदान
प्रशासनिक एवं राजनीतिक उपलब्धियाँ
- अपने दीर्घ शासनकाल के दौरान प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखी।
- क्षेत्रीय विस्तार और एकीकरण की प्रक्रिया का नेतृत्व किया।
- सैन्य कौशल का प्रदर्शन करते हुए क्षेत्रीय सत्ता को सुदृढ़ किया।
सांस्कृतिक एवं धार्मिक संरक्षण
- मंदिरों को अनुदान (एंडोमेंट) प्रदान किए और धार्मिक संस्थानों को संरक्षण दिया।
- तमिल साहित्य और सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया।
- तमिल पहचान और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सिंचाई एवं सार्वजनिक निर्माण कार्य
- कृषि समृद्धि के लिए आवश्यक सिंचाई परियोजनाओं की शुरुआत एवं समर्थन किया।
- तमिलनाडु में प्राप्त विभिन्न शिलालेख उनके जल प्रबंधन में योगदान की पुष्टि करते हैं।
स्मारक डाक टिकट का महत्व
- एक ऐतिहासिक रूप से कम-प्रतिनिधित्व प्राप्त शासक को आधिकारिक मान्यता का प्रतीक।
- क्षेत्रीय इतिहास को सामान्य जनमानस तक पहुँचाने में सहायक।
- सांस्कृतिक कूटनीति और विरासत जागरूकता का प्रभावी माध्यम।
- प्रसिद्ध राजवंशों से आगे बढ़कर समावेशी ऐतिहासिक दृष्टिकोण को सुदृढ़ करता है।
मुख्य तथ्य (Key Takeaways)
- सम्राट पेरुमबिदुगु मुथारैयार द्वितीय के सम्मान में स्मारक डाक टिकट जारी किया गया।
- डाक टिकट का विमोचन 14 दिसंबर 2025 को उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन द्वारा किया गया।
- सम्राट मुथारैयार वंश से संबंधित थे, जिसने 7वीं से 9वीं शताब्दी ईस्वी के बीच तमिलनाडु के कुछ भागों पर शासन किया।
- उन्होंने लगभग चार दशकों तक तिरुचिरापल्ली से शासन किया।
- उनके प्रमुख योगदानों में मंदिर अनुदान, सिंचाई कार्य और तमिल साहित्य का संरक्षण शामिल है।


