भारत की खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.53% होने का अनुमान है, जो अक्टूबर में 14 महीने के उच्च स्तर 6.21% से कम है। यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों की कीमतों में कमी के कारण हुई है। इस गिरावट ने हाल के महीनों में बढ़ी हुई खाद्य कीमतों से प्रभावित परिवारों को राहत दी है। हालांकि खाद्य पदार्थों, विशेषकर सब्जियों की कीमतें चिंता का विषय बनी हुई हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की स्थिर ब्याज दरें आर्थिक मंदी के बीच मुद्रास्फीति प्रबंधन के प्रति सतर्क दृष्टिकोण का संकेत देती हैं।
मुद्रास्फीति में गिरावट के प्रमुख कारण
मुद्रास्फीति में गिरावट का मुख्य कारण सब्जियों, विशेष रूप से टमाटर की कीमतों में कमी है। अक्टूबर में टमाटर की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण सीपीआई मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। ताजा उपज की आवक और सब्जियों की मौसमी कीमतों में गिरावट ने खाद्य मूल्य वृद्धि की रफ्तार को धीमा कर दिया है। इसके अलावा, सितंबर में लगाए गए आयात शुल्क के बाद तेजी से बढ़े खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट ने भी मुद्रास्फीति को स्थिर करने में योगदान दिया।
स्थिर मूल मुद्रास्फीति
मूल मुद्रास्फीति, जिसमें खाद्य और ईंधन जैसे अस्थिर वस्तुओं को शामिल नहीं किया जाता है, नवंबर में स्थिर रहते हुए 3.7% रहने का अनुमान है। यह दर्शाता है कि घरेलू मांग का दबाव स्थिर बना हुआ है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट केवल मौसम की स्थिति के कारण नहीं, बल्कि कृषि इनपुट लागत में कमी और खाद्य मांग में मंदी जैसे कारकों के कारण भी हुई है।
आरबीआई का दृष्टिकोण और आर्थिक परिदृश्य
मुद्रास्फीति में कमी के बावजूद, आरबीआई ने ब्याज दरों को स्थिर रखा है, जिससे चुनौतीपूर्ण आर्थिक वातावरण में मूल्य स्थिरता प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने का संकेत मिलता है। हाल ही में आरबीआई ने FY24 के लिए विकास दर का अनुमान घटाकर 6.6% कर दिया है, जिसमें खाद्य मुद्रास्फीति को मुख्य चिंता बताया गया है। मुद्रास्फीति में गिरावट से केंद्रीय बैंक को भविष्य की नीतियों में अधिक लचीलापन मिलने की संभावना है, जिससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों को राहत मिल सकती है।
मौसमी कारकों का प्रभाव
सब्जियों की मौसमी कीमतें हाल की मुद्रास्फीति गिरावट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। अक्टूबर में सालाना आधार पर 42% बढ़ी सब्जी मूल्य मुद्रास्फीति के नवंबर में घटकर 27% होने का अनुमान है। यह मुख्य रूप से टमाटर की कीमतों में कमी के कारण हुआ है, जिनकी अक्टूबर में तीव्र वृद्धि ने खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ा दिया था।
भविष्य की संभावनाएं
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि यह रुझान जारी रहता है, तो आगामी महीनों में मुद्रास्फीति स्थिर हो सकती है, जिससे भारतीय परिवारों को और राहत मिलेगी। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी नवंबर के लिए मुद्रास्फीति के 5.4% तक गिरने का अनुमान लगाया है, जो खाद्य कीमतों में मौसमी गिरावट से प्रेरित व्यापक सहमति को दर्शाता है। यह उपभोक्ताओं और नीति निर्माताओं दोनों के लिए एक आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, क्योंकि केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीति को समायोजित करने में अधिक लचीलापन प्राप्त कर सकता है।
समाचार का सारांश
समाचार में क्यों |
मुख्य बिंदु |
भारत की सीपीआई मुद्रास्फीति नवंबर 2024 में 5.53% तक घटने की संभावना |
– खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर के 6.21% से घटकर नवंबर में 5.53% होने की उम्मीद।
– गिरावट मुख्यतः सब्जियों, विशेष रूप से टमाटर की कीमतों में कमी के कारण। |
सब्जियों की कीमतों में कमी |
– सब्जी मूल्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में 42% से घटकर नवंबर में 27%।
– ताजा उपज की आवक ने सब्जियों की कीमतों को कम करने में मदद की। |
आरबीआई की भूमिका |
– आर्थिक वृद्धि में मंदी के बावजूद आरबीआई ने ब्याज दरें स्थिर रखीं।
– मुद्रास्फीति नियंत्रण उपायों के साथ मूल्य स्थिरता पर ध्यान केंद्रित। |
मूल मुद्रास्फीति |
– नवंबर में मूल मुद्रास्फीति 3.7% पर स्थिर रहने की संभावना, जो घरेलू मांग के स्थिर दबाव को दर्शाती है। |
मुद्रास्फीति को प्रभावित करने वाले अन्य कारक |
– खाद्य तेल की कीमतों में स्थिरीकरण, जो आयात शुल्क के बाद बढ़ी थी।
– कृषि इनपुट लागत में कमी और खाद्य मांग में मंदी से खाद्य मुद्रास्फीति में और गिरावट की उम्मीद। |
पिछले मुद्रास्फीति स्तर |
– अक्टूबर 2024 में मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्च स्तर 6.21% पर थी।
– नवंबर 2024 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.00% से 6.10% के बीच। |
आरबीआई का आर्थिक वृद्धि अनुमान |
– आरबीआई ने FY24 के लिए विकास दर का अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% किया।
– मुद्रास्फीति अनुमान FY24 के लिए 4.5% से बढ़ाकर 4.8% किया। |
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति |
– अक्टूबर में 2.36% से घटकर नवंबर में 2.20% होने की संभावना। |