भारत निर्वाचन आयोग – शक्तियां और कार्य

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है। इसका दायित्व देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना है। यह आयोग वर्ष 1950 में गठित किया गया था और तब से अब तक इसने भारत — जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है — में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मज़बूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रारंभ में निर्वाचन आयोग एक एकल-सदस्यीय निकाय था जिसमें केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) होते थे, लेकिन वर्ष 1993 से यह एक बहु-सदस्यीय निकाय के रूप में कार्य कर रहा है जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त शामिल होते हैं।

संरचना (Composition of ECI)

  • आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और दो निर्वाचन आयुक्त (ECs) होते हैं।

  • इनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

  • कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, इनमें से जो पहले पूरा हो, तक होता है।

  • सभी आयुक्तों के समान अधिकार होते हैं और निर्णय बहुमत से लिए जाते हैं।

  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) को केवल सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की तरह प्रक्रिया अपनाकर ही हटाया जा सकता है, जिससे उसकी स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है।

निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ (Powers of ECI)

निर्वाचन आयोग को चुनावों की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए व्यापक शक्तियाँ दी गई हैं:

  1. चुनावों का पर्यवेक्षण और नियंत्रण – अनुच्छेद 324 के तहत संसद, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के चुनाव कराने का सर्वोच्च अधिकार।

  2. आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct – MCC) – चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के आचरण को नियंत्रित करना।

  3. सलाहकारी शक्तियाँ – राष्ट्रपति या राज्यपाल को सांसदों और विधायकों की अयोग्यता से संबंधित मामलों में परामर्श देना (संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत)।

  4. अर्ध-न्यायिक शक्तियाँ – राजनीतिक दलों की मान्यता और चुनाव चिह्न आवंटन से जुड़े विवादों का निपटारा।

  5. अनुशासनात्मक शक्तियाँ – चुनाव नियम तोड़ने पर दलों और प्रत्याशियों को चेतावनी देना, फटकारना या उनकी मान्यता रद्द करना।

  6. आपात शक्तियाँ – यदि हिंसा, प्राकृतिक आपदा या अन्य अनियमितताओं के कारण चुनाव कराना संभव न हो, तो चुनाव स्थगित या रद्द करना।

निर्वाचन आयोग के कार्य (Functions of ECI)

  1. चुनावों का आयोजन – लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव कराना।

  2. मतदाता सूची तैयार करना – मतदाता सूची की तैयारी, संशोधन और अद्यतन कराना।

  3. राजनीतिक दलों का पंजीकरण – राजनीतिक दलों को मान्यता देना और चुनाव चिह्न आवंटित करना।

  4. चुनावी खर्च की निगरानी – प्रत्याशियों के खर्च पर नज़र रखना ताकि धनबल का दुरुपयोग न हो।

  5. स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करना – पर्यवेक्षकों की नियुक्ति, ईवीएम और अब वीवीपैट मशीनों का उपयोग कर पारदर्शिता लाना।

  6. मतदाता शिक्षा और जागरूकताSVEEP (Systematic Voters’ Education and Electoral Participation) जैसे अभियान चलाकर मतदान प्रतिशत बढ़ाना।

  7. प्रौद्योगिकी का उपयोग – ईवीएम, ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण और डिजिटल पहल के माध्यम से चुनावों को सुचारु बनाना।

जीडीपी, जीएनपी, एनएनपी और प्रति व्यक्ति आय के बीच अंतर

किसी देश की आर्थिक वृद्धि को समझने के लिए GDP, GNP, NNP और प्रति व्यक्ति आय जैसे शब्दों का ज्ञान आवश्यक है। ये शब्द सुनने में समान लगते हैं, लेकिन इनका अर्थ अलग-अलग है।

1. सकल घरेलू उत्पाद (GDP – Gross Domestic Product)

परिभाषा: किसी देश की सीमाओं के भीतर एक निश्चित अवधि (आमतौर पर एक वर्ष) में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य।
मुख्य बिंदु: इसमें देश के भीतर हुआ उत्पादन शामिल होता है, चाहे वह भारतीय नागरिकों द्वारा किया गया हो या विदेशियों द्वारा।
उदाहरण: यदि कोई जापानी कंपनी भारत में कार बनाती है, तो वह भारत के GDP में शामिल होगी।

2. सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP – Gross National Product)

परिभाषा: किसी देश के नागरिकों द्वारा (देश के भीतर और विदेश में) एक वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य।
मुख्य बिंदु:

GNP = GDP + विदेश से भारतीयों की आय – भारत में विदेशियों की आय\text{GNP = GDP + विदेश से भारतीयों की आय – भारत में विदेशियों की आय}

उदाहरण: एक भारतीय इंजीनियर यदि अमेरिका में काम कर रहा है तो उसकी आय भारत के GNP में गिनी जाएगी, लेकिन GDP में नहीं।

3. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP – Net National Product)

परिभाषा: GNP से पूँजीगत साधनों (मशीनरी आदि) के मूल्यह्रास (Depreciation) को घटाने के बाद प्राप्त राशि।
सूत्र:

NNP = GNP – मूल्यह्रास\text{NNP = GNP – मूल्यह्रास}

मुख्य बिंदु: यह देश की वास्तविक शुद्ध आय दर्शाता है।
उदाहरण: यदि किसी फैक्ट्री में मशीनें घिस जाती हैं, तो उनकी लागत घटाकर जो आय निकलती है वही NNP कहलाती है।

4. प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income – PCI)

परिभाषा: एक वर्ष में किसी देश के प्रत्येक नागरिक की औसत आय।
सूत्र:

प्रति व्यक्ति आय = राष्ट्रीय आय ÷ जनसंख्या\text{प्रति व्यक्ति आय = राष्ट्रीय आय ÷ जनसंख्या}

मुख्य बिंदु: इसका उपयोग विभिन्न देशों में जीवन-स्तर की तुलना करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण: यदि भारत की राष्ट्रीय आय $3 ट्रिलियन है और जनसंख्या 1.4 अरब है, तो PCI ≈ $2143 होगी।

त्वरित तुलना तालिका (Quick Comparison Table)

अवधारणा क्या मापता है सूत्र / फोकस उदाहरण
GDP देश की सीमाओं के भीतर वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य घरेलू उत्पादन भारत में विदेशी कंपनियों का उत्पादन गिना जाएगा
GNP देश के नागरिकों का उत्पादन (देश और विदेश दोनों) GDP + (विदेश से आय – विदेशियों की आय) विदेश में काम कर रहा भारतीय शामिल होगा
NNP मूल्यह्रास घटाने के बाद की शुद्ध आय GNP – मूल्यह्रास वास्तविक राष्ट्रीय आय
प्रति व्यक्ति आय (PCI) प्रत्येक नागरिक की औसत आय राष्ट्रीय आय ÷ जनसंख्या जीवन-स्तर की तुलना के लिए उपयोगी

प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में ई-विटारा और बैटरी संयंत्र का शुभारंभ किया

भारत के स्वच्छ ऊर्जा मिशन को बड़ा प्रोत्साहन देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के हांसलपुर में कई हरित गतिशीलता (ग्रीन मोबिलिटी) पहलों का उद्घाटन किया। यह अवसर देश के सतत परिवहन की दिशा में एक अहम पड़ाव साबित हुआ। इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता रही मारुति सुज़ुकी की “ई-विटारा (e VITARA)” का शुभारंभ — यह एक भारत में निर्मित बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (BEV) है जिसे 100 से अधिक देशों में निर्यात किया जाएगा। इसके साथ ही घरेलू हाइब्रिड बैटरी इलेक्ट्रोड निर्माण की भी शुरुआत की गई।

भारत की वैश्विक हरित गतिशीलता की छलांग

ई-विटारा का शुभारंभ : मेड इन इंडिया, मेड फॉर द वर्ल्ड
मारुति सुज़ुकी द्वारा विकसित यह ई-विटारा न केवल तकनीकी नवाचार का प्रतीक है, बल्कि भारत की निर्माण क्षमता (मैन्युफैक्चरिंग स्ट्रेंथ) का भी ऐलान है। यह इलेक्ट्रिक वाहन यूरोप और जापान सहित वैश्विक बाज़ारों के लिए बनाया गया है। यह पहल भारत को विद्युत वाहनों के निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करेगी और “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” के संदेश को मज़बूत करेगी।

बैटरी इलेक्ट्रोड का स्थानीय उत्पादन

लॉन्च के साथ ही गुजरात स्थित TDS लिथियम-आयन बैटरी प्लांट (टोशिबा, डेंसो और सुज़ुकी का संयुक्त उपक्रम) में हाइब्रिड बैटरी इलेक्ट्रोड का घरेलू उत्पादन भी शुरू हुआ।

  • इससे आयात पर निर्भरता घटेगी

  • बैटरी मूल्य का 80% से अधिक हिस्सा भारत में ही निर्मित होगा

  • स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर भारत की नींव और मजबूत होगी

भारत को विनिर्माण महाशक्ति बनाने की दिशा में

नीतिगत समर्थन और अवसंरचना विस्तार
प्रधानमंत्री ने बताया कि बीते एक दशक में भारत ने निर्माण क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए—

  • उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना

  • औद्योगिक कॉरिडोर

  • लॉजिस्टिक्स पार्क
    जैसी पहलें लागू की हैं।

सेमीकंडक्टर और खनिज रणनीति
भारत अब छह सेमीकंडक्टर संयंत्र स्थापित करने जा रहा है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की घोषणा की, जिसके तहत 1,200 खनिज अन्वेषण अभियानों को अंजाम दिया जाएगा। इसमें दुर्लभ पृथ्वी तत्व जैसे संसाधनों पर ध्यान दिया जाएगा, जो ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

भारत-जापान साझेदारी : रणनीतिक सहयोग

मारुति से आधुनिक उद्योग तक
प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान का भारत पर विश्वास और दोनों देशों की सांस्कृतिक निकटता ही मारुति सुज़ुकी जैसे दीर्घकालिक उपक्रमों की सफलता का आधार है। Vibrant Gujarat Summit से शुरू हुई यह साझेदारी अब बैटरी तकनीक और सेमीकंडक्टर जैसे उन्नत क्षेत्रों तक पहुँच चुकी है।

जन-से-जन और प्रतिभा आदान-प्रदान
भारत जापान के साथ जन-स्तर पर संबंधों को भी मज़बूत कर रहा है। इसके लिए—

  • भाषा शिक्षा

  • युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम

  • कौशल साझा पहलें
    प्रोत्साहित की जा रही हैं। प्रधानमंत्री ने मारुति सुज़ुकी जैसी कंपनियों को इन संबंधों को और गहरा करने में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।

अब हर साल 23 सितंबर को मनाया जाएगा आयुर्वेद दिवस

भारत की पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारत सरकार ने घोषणा की है कि अब से प्रत्येक वर्ष 23 सितम्बर को आयुर्वेद दिवस मनाया जाएगा। यह व्यवस्था वर्ष 2025 से लागू होगी और इसके साथ ही अब तक प्रचलित धन्वंतरि जयंती पर आयुर्वेद दिवस मनाने की परंपरा समाप्त हो जाएगी। वर्ष 2025 के लिए तय की गई थीम “जन और धरती के लिए आयुर्वेद” है, जो यह संदेश देती है कि आयुर्वेद केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन और धरती की समग्र भलाई के लिए भी समान रूप से प्रासंगिक है।

ऐतिहासिक बदलाव : स्थायी तिथि 23 सितम्बर

2016 में आयुर्वेद दिवस की शुरुआत धन्वंतरि जयंती पर हुई थी। लेकिन अब मार्च 2025 में जारी राजपत्र अधिसूचना के तहत 23 सितम्बर को स्थायी तिथि घोषित कर दिया गया है।
इसका उद्देश्य है—

  • आयुर्वेद को स्थायी वैश्विक पहचान देना

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समान रूप से आयोजन सुनिश्चित करना

  • व्यापक जनभागीदारी और प्रचार-प्रसार को प्रोत्साहित करना

थीम 2025 : “जन और धरती के लिए आयुर्वेद”

केंद्रीय मंत्री श्री प्रतापराव जाधव द्वारा घोषित इस वर्ष की थीम—
Ayurveda for People & Planet
यह आयुर्वेद को केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रखता, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और धरती के संरक्षण से भी जोड़ता है।

वैश्विक आंदोलन और संस्थागत समर्थन

वैश्विक पहुँच (2016 से अब तक)

  • 2016 में शुरू हुआ आयुर्वेद दिवस अब एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है।

  • वर्ष 2024 में यह दिवस करीब 150 देशों में मनाया गया।

  • राष्ट्रीय सैंपल सर्वे (NSSO) की पहली सर्वे रिपोर्ट ने भी दिखाया कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आयुर्वेद सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली चिकित्सा पद्धति है।

संस्थागत उपलब्धियाँ (2024)

  • अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA), नई दिल्ली के द्वितीय चरण का उद्घाटन

  • आयुर्वेद के चार उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना

  • “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” की शुरुआत

  • स्वास्थ्य क्षेत्र में ₹12,850 करोड़ का निवेश

ये कदम आयुर्वेद के शोध, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को नए स्तर पर ले जाने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

समकालीन संदर्भ में आयुर्वेद

आधुनिक चुनौतियों का समाधान
आयुर्वेद दिवस 2025 इस पर बल देगा कि आयुर्वेद आज की गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान कर सकता है, जैसे—

  • जीवनशैली विकार: मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप

  • तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ

  • पर्यावरणीय क्षरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी बीमारियाँ

इस वर्ष की थीम व्यक्तिगत स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों को जोड़ते हुए आयुर्वेद को प्रकृति-सम्मत, निवारक स्वास्थ्य प्रणाली के रूप में प्रस्तुत करती है।

आयुर्वेद दिवस 2025 के कार्यक्रम

  • आयुर्वेदिक स्वास्थ्य सिद्धांतों पर जन-जागरूकता अभियान

  • विद्यालयों और महाविद्यालयों में युवा सहभागिता कार्यक्रम

  • मुफ़्त स्वास्थ्य परामर्श और पंचकर्म सत्र

  • अंतरराष्ट्रीय सेमिनार (आयुष संस्थानों द्वारा)

इन गतिविधियों का उद्देश्य केवल पर्व मनाना ही नहीं, बल्कि जनभागीदारी बढ़ाना और ज्ञान का व्यापक प्रसार करना है।

NHAI ने टोल कर्मचारियों के बच्चों के लिए ‘प्रोजेक्ट आरोहण’ शुरू किया

समावेशी शिक्षा और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने टोल प्लाज़ा कर्मचारियों के बच्चों की शैक्षिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ‘प्रोजेक्ट आरोहण’ शुरू किया है। वर्टिस इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट के सहयोग से शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य भारत भर में आर्थिक रूप से कमज़ोर और हाशिए पर पड़े समुदायों के छात्रों के लिए वित्तीय और सामाजिक बाधाओं को दूर करना है।

समान शिक्षा का दृष्टिकोण

शुभारंभ और उद्देश्य
यह परियोजना नई दिल्ली स्थित NHAI मुख्यालय में चेयरमैन श्री संतोष कुमार यादव द्वारा लॉन्च की गई। ‘प्रोजेक्ट आरोहण’ उन परिवारों के लिए समर्पित है जो भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों पर काम करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है—

  • निम्न आय वर्ग की लड़कियों

  • प्रथम पीढ़ी के शिक्षार्थियों

  • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों

को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान अवसर दिलाना। यह पहल केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत के भविष्य के निर्माता तैयार करने का एक प्रयास भी है।

‘प्रोजेक्ट आरोहण’ की प्रमुख विशेषताएँ

कार्यान्वयन और वित्तपोषण
इस योजना को SMEC ट्रस्ट के भारत केयर्स द्वारा लागू किया जाएगा। इसका पहला चरण जुलाई 2025 से मार्च 2026 तक चलेगा, जिसके लिए ₹1 करोड़ की राशि आवंटित की गई है।

  • 500 छात्र (कक्षा 11 से स्नातक अंतिम वर्ष तक) – प्रत्येक को ₹12,000 प्रतिवर्ष

  • 50 मेधावी छात्र (स्नातकोत्तर या उच्च शिक्षा) – प्रत्येक को ₹50,000

छात्रवृत्ति से आगे : समग्र सहयोग

यह पहल केवल आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शामिल हैं—

  • संरचित मेंटरशिप प्रोग्राम

  • कौशल विकास कार्यशालाएँ

  • करियर मार्गदर्शन और उद्यमिता सहयोग

इसका उद्देश्य है आत्मविश्वासी, सक्षम और करियर-रेडी युवाओं का निर्माण।

निष्पक्ष पहुँच और पारदर्शी चयन

आवेदन और चयन प्रक्रिया
पूरी आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन होगी, जिसमें निम्न दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे—

  • शैक्षणिक प्रमाणपत्र

  • आय प्रमाणपत्र

  • जाति प्रमाणपत्र

  • वैध पहचान पत्र

एक व्यवस्थित और पारदर्शी चयन प्रक्रिया अपनाई जाएगी। साथ ही, नवीनीकरण व्यवस्था भी होगी ताकि योग्य छात्र लगातार अपनी शिक्षा जारी रख सकें।

ढाँचागत विकास के साथ मानव पूँजी निर्माण

सामाजिक परिवर्तन की साझेदारी
यह कार्यक्रम केवल भौतिक अवसंरचना ही नहीं, बल्कि मानव संसाधन और क्षमता निर्माण पर भी बल देता है। शिक्षा और मेंटरशिप में निवेश से परिवारों, समुदायों और स्थानीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव लाने की परिकल्पना है।

देशव्यापी पहुँच

चूँकि टोल प्लाज़ा भारत के विशाल राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क पर फैले हुए हैं, इसलिए ‘प्रोजेक्ट आरोहण’ का लाभ एक बड़े और अक्सर उपेक्षित कार्यबल को मिलेगा। इसका दीर्घकालिक प्रभाव छात्रों को अपने भविष्य को संवारने के अवसर देकर एक सशक्त और आत्मनिर्भर पीढ़ी का निर्माण करना होगा।

International Dog Day 2025: जानें इस दिवस का महत्व और इतिहास

हर साल 26 अगस्त का दिन दुनियाभर में इंटरनेशनल डॉग डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद पशु-मानव बंधन को मज़बूत करना है और पशु संरक्षा के महत्व को गुणवत्तापूर्ण रूप से जागृत करना है।

इस दिवस का उद्देश्य

हर साल 26 अगस्त को मनाया जाने वाले इस दिन का उद्देश्य वफादार चार पैर वाले दोस्तों की दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित करना और उन्हें गोद लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।

क्यों मनाया जाता है यह दिवस?

जैसा की हम जानते है जिस किसी भी दिन को हम विशेष रूप से मनाते है, तो इसका खास उद्देश्य और महत्व होता है। इस दिन को मनाने की भी एक खास वजह है। दरसल रेस्क्यू सेंटर में कुत्तों की संख्या के प्रति जागरूक करना और लोगों को इन्हे गोद लेने के प्रोत्साहित करना इस उद्देश्य के साथ अंतरराष्ट्रीय कुत्ता दिवस हर साल मनाया जाता है। कुत्तों का महत्व समझाने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।

कुत्तों से जुड़ी कुछ रोचक बातें

  • कुत्तों में सूंघने की क्षमता मनुष्यों से 40 गुना ज्यादा होती है। यही वजह है कि कुत्तों का इस्तेमाल ड्रग्स की पहचान, मर्डर केस की जांच आदि में किया जाता है।
  • कुत्तों के कानों को नियंत्रित करने वाली 18 मांसपेशियां होती हैं कुत्ते की उम्र 10 से 15 साल होती है लेकिन उसका दिमाग 2 साल के बच्चे जितना होता है।
  • कुत्तों के रेटिना के पीछे एक विशेष प्रकार का परावर्तक परत होती है, जिसकी वजह से कुत्ते मनुष्य की तुलना में कम रोशनी में भी अधिक स्पष्ट देख पाते हैं।
  • आमतौर पर, छोटी नस्ल के कुत्ते बड़ी नस्ल के कुत्तों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहते हैं।

इंटरनेशनल डॉग डे का इतिहास

इस दिन को पहली बार साल 2004 में मनाया गया था। इसकी शुरुआत पेट लाइफस्टाइल एक्सपर्ट, एनिमल रेस्क्यूर एडवोकेट, डॉग ट्रेनर और लेखक कोलीन पेगे ने की थी। उनकी फैमिली ने 26 अगस्त को ही एक कुत्ते को गोद लिया था, जिसका नाम “शेल्टी” था। इस दिन के जरिए वे कुत्ते को गोद लेने, उनके साथ अच्छा व्यवहार करने और उनके संरक्षण को प्रोत्साहित करना चाहते थे।

अंतरराष्ट्रीय डॉग दिवस का महत्व

यह दिन हमें याद दिलाता है कि कुत्ते न सिर्फ पालतू होते हैं, बल्कि परिवार का हिस्सा होते हैं। वे हमें सुरक्षा, प्यार और साथ देते हैं। साथ ही, यह दिन एनिमल क्रुएल्टी (पशु क्रूरता) के खिलाफ आवाज उठाने और डॉग अडॉप्शन को बढ़ावा देने का भी प्रतीक है।

भारत ने पशु रक्त बैंकों के लिए पहली दिशानिर्देश जारी किए

पशु स्वास्थ्य सेवा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारत सरकार ने पहली बार राष्ट्रीय दिशानिर्देश (National Guidelines) जारी किए हैं जो पशु रक्त आधान सेवाओं (Veterinary Blood Transfusion Services) से संबंधित हैं। यह पहल आपातकालीन परिस्थितियों में पशुओं की देखभाल के लिए लंबे समय से चली आ रही कमी को दूर करती है। 25 अगस्त 2025 को पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा जारी इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य है – पशु कल्याण, जैव-सुरक्षा (Biosafety) और वन हेल्थ (One Health) दृष्टिकोण को मजबूत करना।

दिशानिर्देशों की आवश्यकता क्यों पड़ी

अब तक भारत में अधिकतर पशु रक्त आधान आपातकालीन हालात में बिना मानकीकृत प्रोटोकॉल के किए जाते थे। मुख्य समस्याएँ थीं –

  • दाता (Donor) की नियमित स्क्रीनिंग या स्वास्थ्य सत्यापन का अभाव

  • रक्त समूह जाँच (Blood Typing) और क्रॉस-मैचिंग का अभाव

  • जैव-सुरक्षा उपायों की कमी

इन खामियों के कारण कई बार ट्रॉमा, एनीमिया, सर्जरी से संबंधित रक्त हानि या संक्रामक बीमारियों के इलाज में रक्त आधान अप्रभावी साबित होते थे और दुष्प्रभाव भी सामने आते थे।

नए ढाँचे की प्रमुख प्रावधान

1. वैज्ञानिक और नैतिक रक्त संग्रह

  • रक्त समूह जाँच एवं क्रॉस-मैचिंग अनिवार्य होगी।

  • दाता पात्रता के लिए स्वास्थ्य जाँच और टीकाकरण की शर्तें तय होंगी।

  • स्वैच्छिक दान मॉडल अपनाया जाएगा, जिसे Donor Rights Charter द्वारा समर्थित किया जाएगा ताकि सूचित सहमति और नैतिक मानदंड सुनिश्चित हो सकें।

2. अवसंरचना एवं नियमन

  • प्रत्येक राज्य को जैव-सुरक्षा मानकों के अनुरूप पशु रक्त बैंक स्थापित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।

  • सुविधाओं को स्वच्छता और नियामक मानकों का पालन करना होगा, जिससे संग्रह और भंडारण सुरक्षित रहे।

3. वन हेल्थ (One Health) एकीकरण

  • ढाँचा इस दृष्टिकोण से जुड़ा है कि मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं

  • इससे ज़ूनोटिक रोगों (पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाले रोग) के जोखिम प्रबंधन और जनस्वास्थ्य की सुरक्षा में मदद मिलेगी।

प्रौद्योगिकी और नवाचार

राष्ट्रीय पशु रक्त बैंक नेटवर्क

इस डिजिटल नेटवर्क में शामिल होंगे –

  • डोनर रजिस्ट्रियाँ

  • रीयल-टाइम इन्वेंटरी ट्रैकिंग

  • पशु चिकित्सकों के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन

भविष्य की संभावनाएँ

  • ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँच के लिए मोबाइल ब्लड कलेक्शन यूनिट्स

  • दुर्लभ रक्त समूहों का संरक्षण

  • मोबाइल ऐप्स जो दाता और रिसीवर का मिलान कर सकें

शिक्षा और क्षमता निर्माण

  • नए प्रशिक्षण मॉड्यूल पशु चिकित्सा पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाएँगे।

  • इससे भविष्य के पशु चिकित्सकों में तकनीकी कौशल, जागरूकता और नैतिकता का विकास होगा।

  • दीर्घकालिक रूप से दिशानिर्देशों की स्थायी सफलता सुनिश्चित होगी।

क्षेत्रीय प्रभाव और आर्थिक महत्व

  • भारत में 537 मिलियन से अधिक पशुधन और 125 मिलियन से अधिक पालतू पशु हैं।

  • यह क्षेत्र भारत की राष्ट्रीय GDP में 5.5% और कृषि GDP में 30% से अधिक का योगदान देता है।

  • आपातकालीन देखभाल और रोग प्रबंधन की सुविधा से ग्रामीण आजीविका मजबूत होगी, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी और पशु स्वास्थ्य को बल मिलेगा – जो भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

NDB ने राजीव रंजन को उपाध्यक्ष, मुख्य जोखिम अधिकारी नियुक्त किया

न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB), जिसे ब्रिक्स देशों द्वारा स्थापित किया गया है, ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के पूर्व सदस्य डॉ. राजीव रंजन को अपना उपाध्यक्ष एवं मुख्य जोखिम अधिकारी (CRO) नियुक्त किया है। यह घोषणा 23 अगस्त 2025 को की गई, जिसके तहत डॉ. रंजन का कार्यकाल पाँच वर्षों का होगा।

डॉ. राजीव रंजन का करियर पृष्ठभूमि

केंद्रीय बैंकिंग अनुभव

  • डॉ. रंजन एक अनुभवी अर्थशास्त्री और केंद्रीय बैंकर हैं, जिनके पास 35 से अधिक वर्षों का अनुभव है।

  • उन्होंने 1989 में RBI से अपना करियर शुरू किया।

RBI में प्रमुख पद

  • कार्यकारी निदेशक (Executive Director)

  • मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सदस्य (मई 2022 से)

  • मौद्रिक नीति विभाग के प्रमुख

  • MPC के सचिव

इन भूमिकाओं में उन्होंने भारत की मौद्रिक नीति निर्माण, तरलता संचालन की निगरानी और आँकड़ा-आधारित रणनीतियों के माध्यम से व्यापक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

अंतरराष्ट्रीय एवं शोध अनुभव

  • ओमान के केंद्रीय बैंक (2012–2015) में आर्थिक नीति विशेषज्ञ के रूप में कार्य किया और खाड़ी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए परामर्श दिया।

  • RBI के आर्थिक एवं नीति अनुसंधान विभाग का नेतृत्व किया, जहाँ उनका ध्यान था:

    • आर्थिक मॉडलिंग

    • नीतिगत निर्माण

    • घरेलू और वैश्विक मुद्दों पर शोध प्रकाशन

उनकी गहन अंतर्दृष्टि ने न केवल RBI बल्कि वैश्विक स्तर पर भी साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण में योगदान दिया।

शैक्षिक योग्यता

  • दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर

  • मुंबई विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी

न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के बारे में

  • ब्रिक्स देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) द्वारा स्थापित

  • मुख्य उद्देश्य: उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बुनियादी ढाँचा विकास और सतत विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करना

  • मुख्यालय: शंघाई, चीन

नए पद पर भूमिका
उपाध्यक्ष और मुख्य जोखिम अधिकारी (CRO) के रूप में डॉ. रंजन बैंक की जोखिम प्रबंधन रूपरेखा की निगरानी करेंगे, वित्तीय और परिचालन स्थिरता सुनिश्चित करेंगे, तथा सदस्य देशों के लिए ऋण और बाज़ार जोखिम मूल्यांकन रणनीतियों का मार्गदर्शन करेंगे।

जुलाई में भारत का कच्चे तेल का आयात 18 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा

भारत के कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) आयात में जुलाई 2025 में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के आँकड़ों के अनुसार, आयात माह-दर-माह (MoM) 8.7% घटकर 1.856 करोड़ मीट्रिक टन रह गया, जो फरवरी 2024 के बाद का सबसे निचला स्तर है। इस कमी के पीछे घरेलू ईंधन माँग में गिरावट, भू-राजनीतिक व्यापार तनाव और ख़ासकर रूसी तेल की ख़रीदारी से जुड़े नए आयात पैटर्न जिम्मेदार रहे।

आयात और खपत के प्रमुख आँकड़े

  • कच्चा तेल आयात (Crude Imports)

    • MoM गिरावट: 8.7%

    • YoY गिरावट: 4.3% (जुलाई 2024 के 1.94 करोड़ टन से घटकर 1.856 करोड़ टन)

  • पेट्रोलियम उत्पाद (Oil Products)

    • आयात: 12.8% की गिरावट से 43.1 लाख टन

    • निर्यात: 2.1% की गिरावट से 50.2 लाख टन

  • ईंधन खपत (Fuel Consumption)

    • MoM गिरावट: 4.3% से घटकर 1.943 करोड़ टन

(ये आँकड़े संकेत देते हैं कि जुलाई 2025 में पेट्रोलियम क्षेत्र की गतिविधियों में समग्र रूप से सुस्ती रही।)

भू-राजनीतिक और व्यापारिक कारण

अमेरिका का रूसी तेल पर दबाव

  • भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद जारी रखने पर अमेरिका ने दबाव बढ़ा दिया है।

  • 27 अगस्त से भारत के निर्यात पर 50% तक अतिरिक्त टैरिफ लगाने की तैयारी है।

  • पहले से ही 25% टैरिफ लगाया जा चुका है।

भारत की स्थिति

  • वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अपने अमेरिका व्यापार संबंधों को “खुले मन” से आगे बढ़ाएगा।

रूसी तेल की ओर वापसी

  • बढ़ते दबाव के बावजूद, इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम जैसी कंपनियों ने सितंबर और अक्टूबर के लिए सस्ते दाम पर रूसी तेल की खरीद फिर से शुरू कर दी है, क्योंकि छूट का लाभ और बढ़ गया है।

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत का कोयला आयात मामूली बढ़ा

भारत के कोयला आयात में वित्त वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही (अप्रैल–जून 2025) के दौरान 1.5% की मामूली वृद्धि दर्ज की गई। इस अवधि में आयात बढ़कर 76.40 मिलियन टन (एमटी) हो गया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 75.26 एमटी था। यह बढ़ोतरी सरकार द्वारा घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर ज़ोर देने के बावजूद हुई, जिसका मुख्य कारण मौसमी और आपूर्ति से जुड़ी चुनौतियाँ रहीं, विशेषकर मानसून के महीनों में।

आयात का विवरण (अप्रैल–जून 2025)

मासिक और खंडवार रुझान

  • जून 2025: कोयला आयात बढ़कर 23.91 एमटी हुआ, जो जून 2024 में 22.97 एमटी था।

  • ग़ैर-धातुकर्म (Non-Coking) कोयला: Q1 FY26 में 49.08 एमटी, जो Q1 FY25 के 49.12 एमटी के लगभग बराबर रहा।

  • धातुकर्म (Coking) कोयला: Q1 FY26 में बढ़कर 16.37 एमटी हो गया, जबकि Q1 FY25 में यह 15.45 एमटी था।

जून 2025 में खंडवार आँकड़े

  • ग़ैर-धातुकर्म कोयला: 14.85 एमटी (जून 2024: 14.19 एमटी)

  • धातुकर्म कोयला: 5.78 एमटी (जून 2024: 5.45 एमटी)

(ये आँकड़े mjunction सर्विसेज लिमिटेड द्वारा संकलित किए गए, जो टाटा स्टील और सेल की संयुक्त ई-कॉमर्स इकाई है।)

घरेलू उत्पादन की चुनौतियाँ

कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) का प्रदर्शन

  • सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड, जो देश की कुल कोयला आपूर्ति का 80% से अधिक करती है, ने जून 2025 में 8.5% की गिरावट दर्ज की।

  • उत्पादन घटकर 57.8 एमटी रहा, जबकि जून 2024 में यह 63.1 एमटी था।

मानसून का प्रभाव

  • कंपनी ने कोई विशेष कारण नहीं बताया, लेकिन विश्लेषकों के अनुसार मानसून से खनन कार्य प्रभावित हुआ, जिससे उत्पादन और बिजलीघरों तक आपूर्ति धीमी पड़ी।

सरकारी प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय दृष्टिकोण

कोयला उपलब्धता का आश्वासन

  • कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने आश्वासन दिया कि मानसून के दौरान देश में कोयले की कोई कमी नहीं होगी और सरकार बिजली एवं औद्योगिक क्षेत्रों की माँग पूरी करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

दीर्घकालिक नीति दिशा
कोयला मंत्रालय ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई:

  • सतत कोयला उत्पादन सुनिश्चित करना

  • आयात पर निर्भरता कम करना

  • घरेलू आपूर्ति मज़बूत करना

इसके लिए सरकार लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर, मैकेनाइज्ड निकासी (evacuation) और नई खदानों में निवेश कर रही है ताकि आपूर्ति-पक्ष की क्षमता को सुदृढ़ बनाया जा सके।

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