भारत को विकसित बनने के लिए 2047 तक 7.6 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर जरूरी: आरबीआई

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भारत 7.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर के साथ 2047 तक एक विकसित देश बन सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के जुलाई बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में यह बात कही गई है। ‘इंडिया एट 100’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि पूंजी भंडार, बुनियादी ढांचे और लोगों के कौशल के मौजूदा स्तर को देखते हुए यह काम आसान नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2022 को भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनने की बात कही थी।

 

7.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत

हरेंद्र बेहरा, धन्या वी, कुणाल प्रियदर्शी और सपना गोयल ने अपने लेख में कहा कि विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए प्रति व्यक्ति आय का अपेक्षित स्तर हासिल करने के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी को अगले 25 वर्षों के दौरान सालाना 7.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत है।

लेखक आरबीआई के आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग से संबंधित हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और आरबीआई के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। भारत की वृद्धि दर 2022-23 में 7.2 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

 

औद्योगिक क्षेत्र को मजबूत करने की जरूरत

लेख में यह भी कहा गया कि भारत को अपने औद्योगिक क्षेत्र को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि आर्थिक संरचना को संतुलित किया जा सके। इसके लिए सकल घरेलू उत्पाद में इसकी हिस्सेदारी 2047-48 तक बढ़ाकर 35 प्रतिशत करनी होगी, जो इस समय 25.6 प्रतिशत है।

 

सेवा निर्यात को बढ़ाना

लेख में बताया गया है कि भारत को अपने औद्योगिक क्षेत्र को मजबूत करके अपनी आर्थिक संरचना को संतुलित करना चाहिए। इससे सकल घरेलू उत्पाद में इसकी हिस्सेदारी 2047-48 तक 25.6 फीसदी से बढ़कर 35 फीसदी हो जाए। इसके अलावा आने वाले 25 वर्षों में कृषि को 4.9 फीसदी और सर्विस सेक्टर को 13 फीसदी की दर से बढ़ना होगा। इसके बाद 2047-48 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र में 5 प्रतिशत और सर्विस सेक्टर में 60 प्रतिशत होगी।

 

चुनौतियाँ और विकास रणनीतियाँ

2047 तक विकसित देश बनने के लिए भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी को मौजूदा स्तर से 8.8 गुना बढ़ाने की जरूरत है। दूसरे शब्दों में कहें तो प्रति व्यक्ति जीडीपी 2,500 अमेरिकी डॉलर को बढ़ाकर 22,000 अमेरिकी डॉलर करने की जरूरत है। इसके आगे लेख में ये बी कहा गया है कि विकास की गति को जारी रखने के लिए भौतिक पूंजी में निवेश और उत्पादकता बढ़ाने के लिए शिक्षा, बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा और प्रौद्योगिकी को कवर करने वाले क्षेत्रों में व्यापक सुधार की आवश्यकता है।

 

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अजीत सिंह ने पेरिस में पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता

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भारत के अजीत सिंह ने पेरिस में पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पुरुषों की भाला फेंक स्‍पर्धा का स्वर्ण पदक जीत लिया है। अजीत ने फाइनल में 65 दशमलव चार-एक मीटर तक भाला फेंक कर पहला स्‍थान हासिल किया। उन्होंने 61 दशमलव आठ-नौ मीटर के थ्रो के साथ चैंपियनशिप का रिकॉर्ड तोड़ा। यह रिकॉर्ड इससे पहले चीन के चुनलियांग गुओ के नाम पर था। एक अन्य भारतीय रिंकू ने 65 दशमलव तीन-आठ के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ रजत पदक जीता। श्रीलंका के दिनेश प्रियंता हेराथ रिंकू के साथ संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर रहे। भारत के सुंदर सिंह गुज्जर ने 61 दशमलव आठ-एक मीटर के थ्रो के साथ चौथा स्थान हासिल किया।

 

पेरिस में 2023 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारतीय एथलीट

भारत ने पेरिस में आयोजित 2023 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में एक असाधारण उपलब्धि, रिकॉर्ड तोड़ने और प्रभावशाली पदक हासिल करने के साथ अपनी भागीदारी समाप्त की। उन्होंने तीन स्वर्ण पदक, चार रजत पदक और तीन कांस्य पदक हासिल कर एक नया मानदंड स्थापित किया।

 

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य बातें

  • अजीत सिंह निवासी हैं: उत्तर प्रदेश, भारत
  • 2023 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत द्वारा जीते गए कुल पदक: 10

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नीति आयोग के निर्यात तैयारी सूचकांक में तमिलनाडु शीर्ष पर

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नीति आयोग के निर्यात तैयारी सूचकांक 2022 में महाराष्ट्र और गुजरात को पीछे छोड़कर तमिलनाडु शीर्ष राज्य बन गया है। सूचकांक का उद्देश्य राज्यों की निर्यात क्षमता और प्रदर्शन के लिहाज से उनकी तैयारी का आकलन करना है। आयोग ने 17 जुलाई 2023 को जारी रिपोर्ट में कहा कि सूचकांक के तीसरे संस्करण में तमिलनाडु ने कुल 80.89 अंक के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया। महाराष्ट्र 78.20 अंक के साथ दूसरे और कर्नाटक 76.36 अंक के साथ तीसरे स्थान पर रहा। पिछले दो संस्करणों में शीर्ष पर रहा गुजरात इस बार 73.22 अंक के साथ चौथे स्थान पर चला गया।

 

मुख्य बिंदु

  • तटीय राज्यों की रैंकिंग में इसके बाद आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और केरल का स्थान रहा।
  • पहाड़ी/हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड शीर्ष स्थान पर है। इसके बाद हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का स्थान है।
  • भूमि से घिरे राज्यों में हरियाणा शीर्ष पर है. इसके बाद तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान का स्थान रहा।
  • केंद्र शासित प्रदेशों और छोटे राज्यों की श्रेणी में गोवा को पहला स्थान मिला। इसके बाद जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, अंडमान और निकोबार और लद्दाख का स्थान था।
  • नीति आयोग के सीईओ बी वी आर सुब्रमण्यम ने कहा कि देश के निर्यात में मूल रूप से राज्यों की बड़ी भूमिका है, क्योंकि निर्यात के लिए पूरा परिवेश राज्यों में होता है।
  • उन्होंने यह भी कहा कि देश को अपने निर्यात को व्यापक आधार देने की जरूरत है।
  • रिपोर्ट में कहा गया कि निर्यात के लिहाज से गुजरात का जामनगर देश का शीर्ष जिला है। इसके बाद सूरत, मुंबई, पुणे, भरूच, कांचीपुरम, अहमदाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बेंगलुरु का स्थान रहा।

 

निर्यात तैयारी सूचकांक के स्तंभ

ईपीआई चार स्तंभों – नीति, व्यापार इकोसिस्टम, निर्यात इकोसिस्टम और निर्यात प्रदर्शन- के आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन का आकलन करता है। प्रत्येक स्तंभ में उप-स्तंभ शामिल किए गए हैं, जो प्रासंगिक संकेतकों का उपयोग करने के साथ राज्य के प्रदर्शन को प्रस्तुत करते हैं।

नीति आधारित स्तंभ राज्य और जिला स्तर पर निर्यात-संबंधित नीति इको सिस्टम के साथ-साथ इस इको सिस्टम से संबंधित संस्थागत व्यवस्था को अपनाने के आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।

व्यापार इकोसिस्टम- किसी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में मौजूदा कारोबारी माहौल के साथ-साथ कारोबार में सहायता देने वाली अवसंरचना के विस्तार और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की परिवहन संपर्क सुविधा का आकलन करता है।

निर्यात इको सिस्टम- किसी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में निर्यात-संबंधित अवसंरचना के साथ-साथ निर्यातकों को प्रदान किए जाने वाले व्यापार समर्थन और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में अनुसंधान और विकास की वर्तमान स्थिति पर ध्यान केंद्रित करता है।

निर्यात प्रदर्शन एक उत्पादन आधारित संकेतक है, जो पिछले वर्ष की तुलना में राज्य के निर्यात की वृद्धि का आकलन करता है और वैश्विक बाजार में इसकी निर्यात सघनता और फुटप्रिंट का विश्लेषण करता है।

 

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The first GSI survey of the Siachen_100.1

RBI, सेंट्रल बैंक ऑफ UAE ने स्थानीय मुद्राओं में व्यापार के लिए दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए

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15 जुलाई को, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई (CBUAE) ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से दो समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन सीमा पार लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने और संयुक्त अरब अमीरात के इंस्टेंट पेमेंट प्लेटफॉर्म (IPP) के साथ यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) सहित उनकी भुगतान प्रणालियों को इंटरलिंक करने पर केंद्रित हैं।

स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (LCSS) पर समझौता ज्ञापन

  • पहला समझौता ज्ञापन सीमा पार लेनदेन के लिए स्थानीय मुद्राओं, अर्थात् भारतीय रुपया (INR) और UAE दिरहम (AED) के उपयोग के लिए एक रूपरेखा स्थापित करता है।
  • स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (LCSS) निर्यातकों और आयातकों को अपनी संबंधित घरेलू मुद्राओं में चालान और भुगतान करने में सक्षम बनाएगी, जिससे INR-AED विदेशी मुद्रा बाजार की सुविधा होगी।
  • स्थानीय मुद्राओं का उपयोग विभिन्न लेनदेन के लिए लेनदेन लागत और निपटान समय का अनुकूलन करता है, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाले भारतीयों से प्रेषण भी शामिल है।
    इस कदम से दोनों देशों के बीच निवेश और प्रेषण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा

मुख्य तथ्य: LCSS सभी चालू खाता लेनदेन और अनुमत पूंजी खाता लेनदेन को कवर करता है, जो निर्बाध सीमा पार वित्तीय बातचीत को बढ़ावा देता है।

भुगतान और संदेश प्रणाली पर समझौता ज्ञापन

  • दूसरा समझौता ज्ञापन केंद्रीय बैंकों के बीच उनके फास्ट पेमेंट सिस्टम (एफपीएस) – भारत के यूपीआई को यूएई के आईपीपी के साथ जोड़ने में सहयोग पर केंद्रित है।
  • इसके अतिरिक्त, समझौता ज्ञापन में संबंधित कार्ड स्विच (RuPay स्विच और UAESWITCH) का लिंकेज शामिल है और यूएई में मैसेजिंग सिस्टम के साथ भारत के भुगतान संदेश प्रणाली (एसएफएमएस) को जोड़ने की पड़ताल करता है।
  • भुगतान प्रणालियों की यह इंटरलिंकिंग दोनों देशों में उपयोगकर्ताओं को तेज, सुविधाजनक, सुरक्षित और लागत प्रभावी सीमा पार धन हस्तांतरण करने में सक्षम बनाएगी।

मुख्य तथ्य: कार्ड स्विच का लिंकेज घरेलू कार्ड की पारस्परिक स्वीकृति और कार्ड लेनदेन के प्रसंस्करण की अनुमति देगा, जिससे भारत और यूएई के बीच निर्बाध वित्तीय लेनदेन की सुविधा होगी।

इन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर दोनों देशों द्वारा अपने आर्थिक और वित्तीय संबंधों को मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक प्रयास का प्रतीक है। इन समझौतों से व्यापार करने में आसानी बढ़ने, लेनदेन लागत को अनुकूलित करने और भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच निवेश और प्रेषण को बढ़ावा देने की उम्मीद है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की उपस्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और यूएई के सेंट्रल बैंक के गवर्नर खालिद मोहम्मद बालामा ने समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।

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स्वच्छ ऊर्जा में निवेश पर जोर, भारत के साथ मिलकर काम करेगा अमेरिका

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भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, सक्रियता से जी20 के एजेंडा को आगे बढ़ाने, नवीकरणीय ऊर्जा के वित्तपोषण के लिए वैकल्पिक तंत्र की संभावना तलाशने की प्रतिबद्धता जताई है। दोनों देशों ने जी20 के एजेंडा के तहत जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए समन्वित कार्रवाई और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को मजबूत करने के लिए भी काम करने की सहमति जताई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने  जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक से इतर द्विपक्षीय बैठकें कीं। इन बैठकों में जलवायु परिवर्तन, निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों पर बढ़ते कर्ज के बोझ, डिजिटल सार्वजनिक ढांचे जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।

 

प्रमुख सहयोगात्मक प्रयास

जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देना: भारत और अमेरिका ने जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देने और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को सुविधाजनक बनाने के लिए मिलकर काम करने का वादा किया है। भारत के ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाने के लिए पूंजी की कम लागत देने और निजी निवेश बढ़ाने के लिए एक निवेश मंच पर विचार किया जा रहा है।

बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को मजबूत करना: एमडीबी के विकास को आगे बढ़ाने में भारत के नेतृत्व की अमेरिका ने सराहना की है। दोनों देश G20 प्रयासों के हिस्से के रूप में बहुपक्षीय ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया को बेहतर बनाने में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।

ग्लोबल टैक्स डील: भारत और अमेरिका दो-स्तंभीय वैश्विक टैक्स डील पर समझौते के करीब हैं। इस तंत्र में बहुराष्ट्रीय निगमों पर कर लगाने के लिए राष्ट्रों के अधिकार को बढ़ाना और इन निगमों पर वैश्विक न्यूनतम कर लागू करना शामिल है।

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) विवाद: भारत और अमेरिका ने अपने छह डब्ल्यूटीओ विवादों को सुलझा लिया है, जिससे दोनों देशों के बीच बेहतर व्यापार संबंधों को बढ़ावा मिला है।

समृद्धि के लिए इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ): भारत और अमेरिका आईपीईएफ के तहत चीन से अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को जोखिम से मुक्त करने, आर्थिक संबंधों और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए बातचीत कर रहे हैं।

 

समृद्ध और न्यायसंगत भविष्य

भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को दुनिया भर में सकारात्मक बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में देखा जाता है। साझेदारी का लक्ष्य एक-दूसरे की विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाकर एक समृद्ध और न्यायसंगत भविष्य बनाना है। आर्थिक विकास, नवाचार और सतत विकास पर ध्यान विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

 

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China launched world's first methane-fuelled space rocket_90.1

भारत खाद्य सुरक्षा नियामकों के वैश्विक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा

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वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन 2023 पहली बार जी-20 कार्यक्रम के रूप में दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन का आयोजन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में खाद्य सुरक्षा और भारतीय मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा 20 और 21 जुलाई, 2023 को मानेकशॉ ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में किया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल की उपस्थिति में शिखर सम्मेलन के लोगो का अनावरण किया।

 

वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन: वर्तमान और उभरती चुनौतियों का समाधान

यह पहली बार है कि शिखर सम्मेलन रोम, इटली के बाहर आयोजित किया जा रहा है। वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन खाद्य सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिस पर खाद्य सुरक्षा जितना ही ध्यान देने की जरूरत है। शिखर सम्मेलन 40 से अधिक देशों के खाद्य नियामकों के लिए सहयोग और एक साथ काम करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा। इस आयोजन में 30 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और 25 अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों/विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे।

 

भारत का वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन: खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना

यह कार्यक्रम प्रतिभागियों के लिए खाद्य सुरक्षा और नियामक मामलों पर चर्चा में शामिल होने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करेगा। इसका उद्देश्य अनुपालन आवश्यकताओं की व्यापक समझ को बढ़ावा देना और खाद्य सुरक्षा नियमों से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं, अनुभवों और सफलता की कहानियों के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना है। शिखर सम्मेलन वैश्विक नियामकों और एजेंसियों के बीच सहयोग के अवसरों का पता लगाएगा, जिसका लक्ष्य तालमेल स्थापित करना और जानकारी साझा करने के लिए उपकरण और तकनीक विकसित करना है।

 

जी-20 सदस्य देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और प्रमुख खाद्य अनुसंधान संस्थान की सहयोगात्मक भागीदारी

शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रीय संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न हितधारकों की सक्रिय भागीदारी की आशा है। जी-20 सदस्य देशों के खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और खाद्य सुरक्षा प्रणालियों तथा नियामक ढांचे को बेहतर करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करेंगे। प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय संगठन और कई खाद्य अनुसंधान संस्थान जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), कोडेक्स, खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), संघीय जोखिम मूल्यांकन संस्थान (बीएफआर) (जर्मनी), खाद्य सुरक्षा केंद्र तथा एप्लाइड न्यूट्रिशन (यूएसए), हेल्थ कनाडा, ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ फूड सेफ्टी एंड टेक्नोलॉजी आदि अपनी विशेषज्ञता एवं दृष्टिकोण का योगदान विचार-विमर्श में करेंगे।

 

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुख्य बातें

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) के सीईओ: जी. कमला वर्धन राव
  • FSSAI के वर्तमान अध्यक्ष: राजेश भूषण

 

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डीजीएफटी ने अग्रिम प्राधिकरण योजना लागू की

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विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) विदेश व्यापार नीति के तहत अग्रिम प्राधिकरण योजना लागू करता है, निर्यात उद्देश्यों के लिए इनपुट के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति प्रदान करता है। इनपुट-आउटपुट मानकों के आधार पर क्षेत्र विशेष मानक समितियों द्वारा इनपुट की पात्रता निर्धारित की जाती है। मानक निर्धारण प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाने के लिए, डीजीएफटी ने पिछले वर्षों में तय किए गए तदर्थ मानकों का एक उपयोगकर्ता-अनुकूल और खोज-योग्य डेटाबेस तैयार किया है।

इन मानकों का उपयोग किसी भी निर्यातक द्वारा विदेश व्यापार नीति 2023 में उल्लिखित मानक समिति की समीक्षा की आवश्यकता के बिना भी किया जा सकता है। डेटाबेस डीजीएफटी वेबसाइट पर उपलब्ध है जो उपयोगकर्ताओं को निर्यात आयात वस्तु विवरण, तकनीकी विशेषताएं या भारतीय टैरिफ वर्गीकरण आईटीसी (एचएस) कोड का उपयोग करके खोज करने की अनुमति देता है।

 

आसानी से अग्रिम प्राधिकरण प्राप्त करना

डेटाबेस तक पहुंचने के लिए, निर्यातक या कोई भी नागरिक डीजीएफटी वेबसाइट के अंतर्गत सेवाएं->अग्रिम प्राधिकरण/डीएफआईए->तदर्थ मानक पर जा सकते हैं। यदि कोई तदर्थ मानक वस्तु विवरण, निर्दिष्ट अपव्यय से मेल खाता है और प्रक्रिया पुस्तिका (एचबीपी) में उल्लिखित प्रावधानों के अनुपालन में है, तो आवेदक “मानक का कोई दोहराव नहीं” के आधार पर अग्रिम प्राधिकरण के लिए आवेदन करने का विकल्प चुन सकता है। यह विकल्प उपयोगकर्ता को एफटीपी/एचबीपी में उल्लिखित प्रावधानों के अधीन, मानक समिति से दोबारा संपर्क किए बिना अग्रिम प्राधिकरण प्राप्त करने, कार्यभार कम करने और तेज़ प्रसंस्करण को सक्षम करने की अनुमति देता है।

 

पहल के मुख्य लाभ

  • अग्रिम प्राधिकरण और मानदंड निर्धारण प्रक्रिया को सरल बनाकर, यह व्यापार सुविधा उपाय निर्यातकों के लिए टर्नअराउंड समय को काफी कम कर देता है।
  • यह व्यापार करने में आसानी को बढ़ाता है और अनुपालन बोझ को कम करता है, जिससे समग्र रूप से निर्यात समुदाय को लाभ होता है।
  • यह सुव्यवस्थित दृष्टिकोण निर्यात को बढ़ावा देने और अनुकूल कारोबारी माहौल को बढ़ावा देने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
  • यह व्यापार सुविधा उपाय, अग्रिम प्राधिकार और मानक निर्धारण प्रक्रिया को सरल बनाता है, जिससे निर्यातकों के लिए समय की बचत होती है, व्यापार में आसानी होती है और अनुपालन बोझ कम होता है।

 

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महाराष्ट्र के अमरावती में पीएम मित्र पार्क लॉन्च किया गया

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य के अमरावती में बनने वाले पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क लांच किया। इस पार्क के अमरावती में स्थापित होने से लगभग 2 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और महाराष्ट्र की पहचान मेगा टेक्सटाइल फार्म के रूप में होगी। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे। इस टेक्सटाइल पार्क के लांचिंग के मौके पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि अमरावती में पीएम मित्र टैक्सटाइल पार्क बनने से राज्य की पहचान बढ़ेगी और साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

 

अमरावती में पीएम मित्र पार्क का स्थान और बुनियादी ढांचा

अमरावती औद्योगिक क्षेत्र (एमआईडीसी) से सटे नंदगांव पेठ में 1,020 एकड़ के सन्निहित भूमि क्षेत्र पर कब्जा करते हुए, यह पार्क सुविधाजनक रूप से मुंबई नागपुर समृद्धि राजमार्ग से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर और निकटतम बंदरगाह, वर्धा ड्राई पोर्ट से 147 किलोमीटर दूर स्थित है।

 

पीएम मित्र पार्क के लिए सरकार की पहल

  • इस साल की शुरुआत में, भारत सरकार ने कपड़ा उद्योग के लिए नामित स्थलों के रूप में देश भर में 7 पीएम मित्र पार्क स्थापित करने की योजना का अनावरण किया। इन पार्कों का उद्देश्य शीर्ष स्तर का औद्योगिक बुनियादी ढांचा तैयार करना है जो क्षेत्र के भीतर नवाचार और रोजगार सृजन को बढ़ावा देते हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सहित पर्याप्त निवेश को आकर्षित कर सके।
  • प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी 5F अवधारणा (फार्म से फाइबर से फैक्ट्री से फैशन से विदेश तक) से प्रेरित, पीएम मित्र पार्क भारत को कपड़ा विनिर्माण और निर्यात के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की सरकार की महत्वाकांक्षा को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में इन पार्कों की स्थापना से कपड़ा उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने, पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं को सक्षम करने और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को भारत में निर्माण के लिए आकर्षित करने की उम्मीद है।

राज्य सरकार की मंशा एमआईडीसी के जरिए अमरावती को पांच सितारा टेक्सटाइल हब बनाना है। टेक्सटाइल पार्क अमरावती के आत्महत्या ग्रस्त इलाके में बन रहा है, जिससे कपास के किसानों को फायदा होगा। केंद्र सरकार इस टेक्सटाइल पार्क पर एक हजार करोड़ के खर्च कर रही है, जिससे राज्य के करीब 2 लाख लोगों को रोजगार मिल सकेगा। इस पार्क में अच्छे डिजाइनर कपड़े भी बनेंगे जिससे किसानों को फायदा होगा। यह पार्क एक हजार 20 एकड़ में बनेगा।

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Project Gajah Kotha Launched in Assam_100.1

 

 

भारत में पिछले 5 सालों में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर

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नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने बहुआयामी गरीबी को कम करने के अपने प्रयासों में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में 17 जुलाई को कहा गया कि भारत में 2015-16 और 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ लोग मल्टी डाइमेंशनल गरीबी से बाहर निकले हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में सबसे तेजी से कमी आई है। राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के दूसरे संस्करण के अनुसार, 2015-16 में बहुआयामी गरीबी का आंकड़ा 24.85 प्रतिशत था जो 9.89 प्रतिशत घटकर 2019-2021 में 14.96 प्रतिशत रह गई।

 

ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में सबसे तेजी से गिरावट

ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में सबसे तेजी से गिरावट देखी गई और यह 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत रह गई। वहीं, शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से घटकर 5.27 प्रतिशत हो गई। नीति आयोग की उपाध्यक्ष सुमन बेरी की ओर से जारी रिपोर्ट ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक : प्रगति समीक्षा 2023’ में कहा गया है, ”2015-16 और 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी निर्धनता से बाहर निकले।

135 million Indians escape poverty since 2015, NITI Aayog report finds

9.89 प्रतिशत अंकों की भारी गिरावट

‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: समीक्षा 2023 की प्रगति’- नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी द्वारा जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि भारत में मल्टी डाइमेंशनल गरीबों की संख्या में 9.89 प्रतिशत अंकों की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जो 2015-16 में 24.85 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 14.96 प्रतिशत हो गई है।  राष्ट्रीय एमपीआई स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभावों को मापता है जो 12 एसडीजी-संरेखित संकेतकों से दर्शाया गया है। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं।

 

बहुआयामी गरीबों के अनुपात

रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेजी से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में कमी आई। 2015-16 और 2019-21 के बीच, एमपीआई मूल्य 0.117 से घटकर लगभग आधा यानी 0.066 हो गया और गरीबी की तीव्रता 47 प्रतिशत से घटकर 44 प्रतिशत रह गई।

 

देश भर में स्वच्छता में सुधार

रिपोर्ट में कहा गया है कि पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसी योजनाओं ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में वंचितों को कम करने में योगदान दिया है। स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसी पहलों ने देश भर में स्वच्छता में सुधार किया है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के माध्यम से सब्सिडी वाले खाना पकाने के ईंधन के प्रावधान ने जीवन को सकारात्मक रूप से बदला है, जिसमें खाना पकाने के ईंधन के अभाव में 14.6 प्रतिशत अंक का सुधार हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार सौभाग्य, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) और समग्र शिक्षा जैसी पहलों ने भी देश में बहुआयामी गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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जम्मू-कश्मीर के पुंछ में छिपे आतंकियों को ढेर करने हेतु ‘ऑपरेशन त्रिनेत्र-2’ जारी

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जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिले पुंछ में छिपे आतंकवादियों का पता लगाने के लिए सेना और पुलिस का संयुक्त तलाशी एवं घेराबंदी अभियान 18 जुलाई को दूसरे दिन भी जारी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सुरनकोट तहसील के सिंदाराह और मैदाना में 17 जुलाई को दोपहर ‘ऑपरेशन त्रिनेत्र 2’ शुरू किया गया था और अभियान के दौरान छिपे हुए आतंकवादियों के साथ भीषण गोलीबारी हुई। अधिकारियों ने कहा कि भागने के सभी मार्गों को बंद कर दिया गया है और अभियान भी जारी है। इस बीच, पूरी रात कड़ी निगरानी रखी गई।

ऑपरेशन त्रिनेत्र 2

सुरनकोट तहसील के सिंदाराह और मैदाना में 17 जुलाई को दोपहर ‘ऑपरेशन त्रिनेत्र 2’ शुरू किया गया था। अभियान के दौरान छिपे हुए आतंकवादियों के साथ भीषण गोलीबारी हुई। रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि अभियान जारी है। घेरेबंदी वाले इलाके से नियमित अंतराल पर रुक-रुक कर गोलीबारी हो रही हैं। गोलीबारी शुरू होने के तुरंत बाद अतिरिक्त बल भेजा गया।

सीमा पार से हथियारबंद आतंकवादियों, हथियारों और नशीले पदार्थों को भेजने की कोशिशों के मद्देनजर पुंछ में वाहनों की आकस्मिक तलाशी और औचक जांच तेज कर दी गई है। इससे पहले सुरक्षाबलों ने 16 और 17 जुलाई की रात को पुंछ जिले के कृष्णा घाटी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर दो आतंकवादियों को मार गिराया था और घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया था।

 

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