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भारत में पिछले 5 सालों में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर

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नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने बहुआयामी गरीबी को कम करने के अपने प्रयासों में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में 17 जुलाई को कहा गया कि भारत में 2015-16 और 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ लोग मल्टी डाइमेंशनल गरीबी से बाहर निकले हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में सबसे तेजी से कमी आई है। राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के दूसरे संस्करण के अनुसार, 2015-16 में बहुआयामी गरीबी का आंकड़ा 24.85 प्रतिशत था जो 9.89 प्रतिशत घटकर 2019-2021 में 14.96 प्रतिशत रह गई।

 

ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में सबसे तेजी से गिरावट

ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में सबसे तेजी से गिरावट देखी गई और यह 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत रह गई। वहीं, शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से घटकर 5.27 प्रतिशत हो गई। नीति आयोग की उपाध्यक्ष सुमन बेरी की ओर से जारी रिपोर्ट ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक : प्रगति समीक्षा 2023’ में कहा गया है, ”2015-16 और 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी निर्धनता से बाहर निकले।

135 million Indians escape poverty since 2015, NITI Aayog report finds

9.89 प्रतिशत अंकों की भारी गिरावट

‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: समीक्षा 2023 की प्रगति’- नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी द्वारा जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि भारत में मल्टी डाइमेंशनल गरीबों की संख्या में 9.89 प्रतिशत अंकों की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जो 2015-16 में 24.85 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 14.96 प्रतिशत हो गई है।  राष्ट्रीय एमपीआई स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से भारित आयामों में एक साथ अभावों को मापता है जो 12 एसडीजी-संरेखित संकेतकों से दर्शाया गया है। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं।

 

बहुआयामी गरीबों के अनुपात

रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेजी से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में कमी आई। 2015-16 और 2019-21 के बीच, एमपीआई मूल्य 0.117 से घटकर लगभग आधा यानी 0.066 हो गया और गरीबी की तीव्रता 47 प्रतिशत से घटकर 44 प्रतिशत रह गई।

 

देश भर में स्वच्छता में सुधार

रिपोर्ट में कहा गया है कि पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसी योजनाओं ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में वंचितों को कम करने में योगदान दिया है। स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसी पहलों ने देश भर में स्वच्छता में सुधार किया है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के माध्यम से सब्सिडी वाले खाना पकाने के ईंधन के प्रावधान ने जीवन को सकारात्मक रूप से बदला है, जिसमें खाना पकाने के ईंधन के अभाव में 14.6 प्रतिशत अंक का सुधार हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार सौभाग्य, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) और समग्र शिक्षा जैसी पहलों ने भी देश में बहुआयामी गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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FAQs

भारत में गरीबी को कैसे परिभाषित किया जाता है?

भारत में गरीबी का मानदण्ड मुख्यतः 1979 में गठित अलघ समिति की सिफारिशों पर आधारित है। इस समिति की सिफारिशों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी और शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिदिन से कम ग्रहण करने वाले व्यक्ति को गरीब माना जाता है।