रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 2025 की भारत राज्य यात्रा ने चार साल बाद दोनों देशों के बीच शीर्ष-स्तरीय प्रत्यक्ष संवाद को पुनर्जीवित किया। यात्रा की शुरुआत राष्ट्रपति भवन में पूर्ण राजकीय सम्मान और त्रि-सेवा गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुई। लंबित रक्षा आपूर्ति, ऊर्जा व्यापार में बढ़ते सहयोग और बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण के बीच यह मोदी–पुतिन शिखर सम्मेलन प्रतीकात्मक और रणनीतिक — दोनों रूपों में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।
राष्ट्रपति भवन में राजकीय स्वागत
पुतिन को नई दिल्ली में भव्य और सम्मानपूर्ण स्वागत मिला, जहाँ—
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोरकोर्ट में उनका स्वागत किया।
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भारतीय और रूसी राष्ट्रगान के बाद गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण हुआ।
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S. जयशंकर, CDS जनरल अनिल चौहान और दिल्ली LG VK सक्सेना सहित शीर्ष भारतीय अधिकारी उपस्थित थे।
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रूसी प्रतिनिधिमंडल में रक्षा मंत्री आंद्रे बेलोउसॉव सहित वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
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इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं एयरपोर्ट जाकर उनका स्वागत किया — जो दोनों नेताओं के व्यक्तिगत संबंधों को दर्शाता है।
मोदी–पुतिन शिखर वार्ता: 23वां भारत–रूस वार्षिक सम्मेलन
यात्रा का मुख्य कार्यक्रम हैदराबाद हाउस में आयोजित भारत–रूस वार्षिक शिखर बैठक था।
शिखर वार्ता के मुख्य उद्देश्य
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लंबित रक्षा आपूर्ति एवं अनुबंधों की समीक्षा
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ऊर्जा सहयोग और दीर्घकालिक कच्चे तेल आपूर्ति पर चर्चा
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भारत से रूस के लिए कुशल श्रमिकों की गतिशीलता बढ़ाना
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व्यापार विस्तार, भुगतान प्रणाली और नए कनेक्टिविटी समाधान
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स्वास्थ्य, लॉजिस्टिक्स, शिपिंग और उर्वरक क्षेत्रों में समझौतों की शुरुआत
रक्षा सहयोग: द्विपक्षीय संबंधों का आधार
भारत की आधुनिक रक्षा संरचना अभी भी बड़े पैमाने पर रूसी मूल के प्लेटफॉर्मों पर आधारित है।
मुख्य रक्षा मुद्दे
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S-400 मिसाइल प्रणाली की अंतिम दो यूनिटों की आपूर्ति
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Su-30MKI अपग्रेड्स — रडार, एवियोनिक्स और हथियार क्षमता बढ़ाना
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Su-57 लड़ाकू विमान पर संभावित चर्चाएँ
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स्पेयर पार्ट्स, मरम्मत और संयुक्त उत्पादन लाइनों की समयबद्धता
यह चर्चाएँ दर्शाती हैं कि भारत आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए अपनी खरीद को बहु-आयामी बनाए रखना चाहता है।
ऊर्जा व्यापार: सामरिक और आर्थिक महत्व
2022 के बाद से भारत रूसी कच्चे तेल का प्रमुख खरीदार बन गया है।
प्रमुख बिंदु
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सस्ते रूसी तेल ने भारत को घरेलू ईंधन कीमतें स्थिर रखने में मदद की।
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यूरोप की खरीद में गिरावट के बाद रूस स्थिर और दीर्घकालिक ग्राहक चाहता है।
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नए शिपिंग कॉरिडोर और बंदरगाह कनेक्टिविटी पर बातचीत जारी है।
ऊर्जा व्यापार अभी भी भारत–रूस आर्थिक संबंधों का सबसे बड़ा स्तंभ है।
अमेरिकी शुल्क मुद्दा: रणनीतिक संतुलन
यह यात्रा ऐसे समय में हुई जब भारत, अमेरिका द्वारा फिर से लगाए गए शुल्कों पर बातचीत कर रहा है, जिन्हें अप्रत्यक्ष रूप से रूसी तेल खरीद से जोड़ा गया है।
मुख्य विवाद
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अमेरिका का दावा है कि सस्ते रूसी तेल से रूस को युद्धकालीन वित्त पोषण मिलता है।
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भारत का तर्क है कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह से राष्ट्रीय हित और वहनीयता पर आधारित है।
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शिखर वार्ता में यह चर्चा होने की उम्मीद थी कि भारत वैश्विक दबावों के बीच अपनी सामरिक स्वतंत्रता कैसे बनाए रखे।
यह त्रिकोणीय समीकरण इस शिखर बैठक को और अधिक भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है।


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