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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार डॉलर बढ़कर 693 अरब डॉलर पहुंचा

भारत के बाहरी क्षेत्र की स्थिरता का मजबूत संकेत देते हुए, देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) 4.74 अरब डॉलर बढ़कर 8 अगस्त 2025 को समाप्त सप्ताह में 693.62 अरब डॉलर पर पहुँच गया। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, यह वृद्धि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों, स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDRs) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत की रिज़र्व स्थिति में सकारात्मक बढ़ोतरी के कारण हुई।

साप्ताहिक फ़ॉरेक्स मूवमेंट विवरण

मुख्य घटक जिनमें वृद्धि हुई

  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA)

    • 2.37 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ कुल 583.98 अरब डॉलर

    • इसमें अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ यूरो, येन और पाउंड जैसी अन्य प्रमुख मुद्राओं का मूल्य परिवर्तन भी शामिल

  • स्वर्ण भंडार

    • 2.16 अरब डॉलर की वृद्धि, कुल 86.16 अरब डॉलर

    • वैश्विक सोने की कीमतों और डॉलर की चाल पर निर्भर

  • विशेष आहरण अधिकार (SDRs)

    • 169 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी, कुल 18.74 अरब डॉलर

  • IMF में रिज़र्व पोज़ीशन

    • 45 मिलियन डॉलर की वृद्धि, कुल 4.73 अरब डॉलर

हालिया रुझान और ऐतिहासिक संदर्भ

  • पिछला सप्ताह (1–7 अगस्त 2025)
    विदेशी मुद्रा भंडार 9.32 अरब डॉलर घटकर 688.87 अरब डॉलर पर आ गया था।

  • इस सप्ताह
    मजबूत उछाल ने वैश्विक बाज़ार की अस्थिरता और RBI के प्रभावी हस्तक्षेप को दर्शाया।

  • लगभग सर्वकालिक उच्च स्तर पर
    सितंबर 2024 के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुँचा था। वर्तमान स्तर 693.62 अरब डॉलर इसी के निकट है।

RBI की भूमिका

  • RBI विदेशी मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप तो करता है, लेकिन किसी निश्चित विनिमय दर को लक्ष्य नहीं करता।

  • इसका उद्देश्य सिर्फ रुपये में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना है।

  • इसके लिए RBI डॉलर और अन्य मुद्राओं की ख़रीद-बिक्री करता है।

इसका महत्व

स्थिर विदेशी मुद्रा भंडार से,

  • निवेशकों का विश्वास बढ़ता है

  • रुपये को बाज़ार के दबाव में सहारा मिलता है

  • कच्चे तेल समेत आवश्यक आयात बिल चुकाने में मदद मिलती है

  • बाहरी ऋण दायित्व पूरे किए जा सकते हैं

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