द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का निधन हो गया है। 99 साल की उम्र में स्वामी स्वरूपानंद ने आखिरी सांस ली। उनका निधन मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में स्थित गोटेगांव के पास बने झोतेश्वर धाम में हुआ है। हाल ही में उनका जन्मदिवस मनाया गया था।
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शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के पास बद्री आश्रम और द्वारकापीठ की जिम्मेदारी थी। उनका जब निधन हुआ तब वह अपने आश्रम में ही थे। बताया जाता है कि स्वामी स्वरूपानंद पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उनका नरसिंहपुर जिले में स्थित झोतेश्वर आश्रम में ही इलाज चल रहा था।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती
- मध्य प्रदेश से सिवनी जिले में जन्मे स्वरूपानंद सरस्वती 1982 में गुजरात में द्वारका, शारदा पीठ और बद्रीनाथ में ज्योतिर मठ के शंकराचार्य बने थे। उनका बचपन का नाम पोथीराम रखा गया था।
- बीते दिनों स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी। स्वामी शंकराचार्य आजादी की लड़ाई में जेल भी गए थे।
- स्वामी स्वरूपानंद 1950 में दंडी संन्यासी बनाए गए थे। ज्योर्तिमठ पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से सन्यास दंड की दीक्षा ली थी और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे।
- उन्होंने 9 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था और धर्म की तरफ रुख किया। उन्होंने काशी (यूपी) में वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा ली। उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली।