भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विकास के तहत, जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (SMBC) कथित रूप से यस बैंक में 51% बहुमत हिस्सेदारी खरीदने के लिए उन्नत बातचीत कर रहा है। यदि यह सौदा अंतिम रूप लेता है, तो यह एक निजी भारतीय बैंक में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की एक बड़ी घटना होगी, विशेष रूप से ऐसे बैंक में जो हाल के वर्षों में वित्तीय संकट से उबर रहा है। यह अधिग्रहण प्रक्रिया भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सहित प्रमुख शेयरधारकों के साथ बातचीत के जरिए हो रही है, जो वर्तमान में यस बैंक में 24% हिस्सेदारी रखता है।
समाचार में क्यों?
इस संभावित अधिग्रहण ने वित्तीय बाजार में हलचल मचा दी है क्योंकि यह यस बैंक की मालिकाना संरचना और भविष्य की दिशा को प्रभावित कर सकता है। यस बैंक के शेयरों में पहले 10% की तेजी आई, फिर बैंक द्वारा अधिग्रहण से इनकार के बाद केवल 1% पर आ गए — जो बाजार की तत्काल संवेदनशीलता को दर्शाता है। एक जापानी बैंक द्वारा 51% हिस्सेदारी अधिग्रहण भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में एक ऐतिहासिक FDI कदम माना जा रहा है।
यस बैंक का पृष्ठभूमि
-
स्थापना: यस बैंक एक प्रमुख भारतीय निजी क्षेत्र का बैंक है।
-
संकट: 2020 में बैंक गलत प्रबंधन और जोखिमपूर्ण ऋण देने की वजह से लगभग ढह गया था।
-
पुनर्गठन: भारत सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और अन्य बैंकों के सहयोग से यस बैंक को स्थिर करने के लिए पुनर्गठन योजना लागू की।
-
SBI की भूमिका: इस योजना के अंतर्गत SBI सबसे बड़ा शेयरधारक बन गया और उसने 24% हिस्सेदारी अपने पास रखी।
प्रस्तावित अधिग्रहण योजना
सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (SMBC) की योजना है कि वह –
-
एसबीआई सहित मौजूदा शेयरधारकों से 25% हिस्सेदारी खरीदे।
-
SEBI के नियमों के तहत अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी के लिए ओपन ऑफर शुरू करे।
-
SMBC ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) से अनुमोदन के लिए आवेदन किया है, जो अभी लंबित है।
-
यस बैंक ने इन अधिग्रहण चर्चाओं से इनकार करते हुए मीडिया रिपोर्ट्स को अनुमान और अटकलें बताया है।
मुख्य हितधारक
-
भारतीय स्टेट बैंक (SBI): 24% हिस्सेदारी
-
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और अन्य बैंक: लगभग 11% हिस्सेदारी
-
सार्वजनिक शेयरधारक (Public Shareholders): शेष बहुमत हिस्सेदारी
रणनीतिक महत्त्व
SMBC की भागीदारी –
-
यस बैंक को दीर्घकालिक स्थिरता और विश्वसनीयता प्रदान कर सकती है।
-
वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएं और पूंजी निवेश ला सकती है।
-
यह जापानी कंपनियों की भारतीय वित्तीय बाजारों में बढ़ती रुचि को दर्शाती है।