भारत की अर्थव्यवस्था वर्तमान और आने वाले वित्तीय वर्षों में स्थिर गति से बढ़ने की ओर अग्रसर है, जैसा कि S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने अनुमान लगाया है। एजेंसी के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था FY2025-26 में 6.5% और FY2026-27 में 6.7% की दर से विस्तार करेगी। इस वृद्धि के पीछे मजबूत घरेलू खपत, संभावित कर कटौती और अनुकूल मौद्रिक नीति रुख जैसे प्रमुख कारक हैं। यह अनुमान बताता है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत बड़े और तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी बना हुआ है। यह दृष्टिकोण भारत की नीतिगत स्थिरता और ऐसी आर्थिक संरचना पर विश्वास को दर्शाता है, जो निर्यात या बाहरी मांग पर अत्यधिक निर्भर रहने के बजाय आंतरिक आर्थिक कारकों के आधार पर टिकाऊ विकास कर सकती है।
घरेलू उपभोग से संचालित वृद्धि
S&P के विश्लेषण का मुख्य आधार यह है कि भारत की आर्थिक वृद्धि में घरेलू उपभोग (कन्ज़म्प्शन) प्रमुख भूमिका निभाएगा। आगामी कर राहत उपायों से लोगों के हाथ में अधिक पैसा बचेगा, जिससे घरेलू खर्च बढ़ेगा और यह आर्थिक वृद्धि का मुख्य इंजन बनेगा। साथ ही, मौद्रिक नीति में ढील—जिसमें ब्याज दरों में कटौती की संभावना भी शामिल है—से ऋण (क्रेडिट) लेने में वृद्धि होगी और निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, विशेषकर रिटेल, सेवाओं और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में।
भारत का GDP अप्रैल–जून 2025 तिमाही में 7.8% की वृद्धि के साथ एक साल में सबसे तेज़ रहा। आने वाली तिमाहियों में यह गति थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन फिर भी मजबूत स्तर पर बनी रहेगी, जिससे भारत दुनिया की अधिकांश बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से आगे रहेगा।
बाहरी नीतिगत विकासों की भूमिका
S&P ने यह भी संकेत दिया कि यदि भारत–अमेरिका व्यापार समझौता अंतिम रूप ले लेता है, तो इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और भारतीय कंपनियों के लिए नए बाज़ार खुलेंगे। यह समझौता विशेष रूप से टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और अन्य श्रम-प्रधान उद्योगों को स्थिरता प्रदान कर सकता है, और वैश्विक सुरक्षा-वादी (प्रोटेक्शनिस्ट) नीतियों के प्रभाव को कम कर सकता है।
हालाँकि, अमेरिका द्वारा कुछ भारतीय उत्पादों पर लगाए गए उच्च शुल्क अब भी एक चुनौती हैं और निर्यात-निर्भर क्षेत्रों की वृद्धि को सीमित कर सकते हैं। इसके बावजूद, भारत की मज़बूत घरेलू मांग इन जोखिमों को संतुलित करने में सहायक मानी जा रही है।
आरबीआई के अनुमान से तुलना
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष के लिए GDP वृद्धि का अनुमान 6.8% लगाया है, जो S&P के 6.5% अनुमान से थोड़ा अधिक है। फिर भी, दोनों ही अनुमान बताते हैं कि वैश्विक चुनौतियों—जैसे मुद्रास्फीति, भू-राजनीतिक अनिश्चितता और व्यापार तनाव—के बीच भी भारत की आर्थिक स्थिति स्थिर और सुदृढ़ बनी हुई है।
नीति और विकास के लिए संकेत
S&P के अनुसार इस वृद्धि को बनाए रखने के लिए भारत को निम्न क्षेत्रों पर निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है:
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व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business) में सुधार
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लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी सहित बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना
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ग्रामीण एवं अर्ध-कुशल श्रमिकों को बेहतर तरीके से समायोजित करने के लिए श्रम बाज़ार में सुधार
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कल्याणकारी योजनाओं और सार्वजनिक निवेश को समर्थन देते हुए राजकोषीय अनुशासन बनाए रखना
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मैन्युफैक्चरिंग, तकनीक और कृषि जैसे क्षेत्रों में संरचनात्मक सुधार जारी रखना
ये सभी उपाय भारत की दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
स्थिर तथ्य (Static Facts)
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S&P का भारत का GDP पूर्वानुमान:
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FY 2025–26: 6.5%
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FY 2026–27: 6.7%
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Q1 FY 2025–26 GDP वृद्धि: 7.8% (पिछली पाँच तिमाहियों में सर्वाधिक)
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RBI का GDP अनुमान (FY 2025–26): लगभग 6.8%
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मुख्य प्रेरक कारक: कर राहत, नीति में ढील, निजी उपभोग
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महत्वपूर्ण बाहरी कारक: संभावित भारत–अमेरिका व्यापार समझौता
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मुख्य जोखिम: अमेरिकी बाज़ार में भारतीय उत्पादों पर उच्च शुल्क


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