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SEBI की VCF निपटान योजना 2025: निवेशकों को राहत देने की नई पहल

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने लंबे समय से लंबित अनुपालन मुद्दों को सुलझाने के लिए VCF निपटान योजना 2025 शुरू की है, जो 21 जुलाई 2025 से लागू होगी। यह योजना उन वेंचर कैपिटल फंड्स (VCFs) के लिए एक अवसर प्रदान करती है जिन्होंने Alternative Investment Fund (AIF) व्यवस्था में स्थानांतरण के बाद भी अपने परिसमापन (liquidation) की प्रक्रिया पूरी नहीं की है। यह पहल SEBI की उत्तरदायी नियामक दृष्टिकोण और निवेशक संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

पृष्ठभूमि

मई 2012 में SEBI ने VCF विनियमों की जगह AIF विनियमों को अधिसूचित किया था। इसके बाद VCFs को AIF प्रणाली में स्थानांतरित होने के लिए एक रूपरेखा प्रदान की गई थी। हालांकि, कई VCFs ने अपनी निर्धारित अवधि समाप्त होने के बावजूद अपने निवेशों का परिसमापन नहीं किया, जिससे अनुपालन का उल्लंघन हुआ और निवेशकों की पूंजी फंस गई। इस स्थिति को देखते हुए SEBI ने यह विशेष निपटान योजना पेश की है।

योजना का महत्व

VCF निपटान योजना 2025 विशेष महत्व रखती है क्योंकि यह VCFs को बिना किसी कड़े दंडात्मक कार्रवाई के, अपने पूर्ववर्ती उल्लंघनों को सुधारने का एकमात्र मौका देती है। यह उन निवेशकों को भी राहत देती है जिनकी पूंजी तकनीकी रूप से समाप्त योजनाओं में अब तक फंसी हुई है। इससे नियामकीय पारदर्शिता और निवेशकों का विश्वास भी बढ़ेगा।

योजना के उद्देश्य

  • VCFs द्वारा निर्धारित अवधि के बाद भी योजना बंद न करने से संबंधित पुराने उल्लंघनों का समाधान करना।

  • स्थानांतरित VCFs को SEBI के अनुपालन मानकों के अनुरूप लाने का अंतिम अवसर प्रदान करना।

  • लंबित योजनाओं से निवेशकों को बाहर निकलने का मार्ग देना।

  • स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित कर नियामकीय कार्रवाई से बचाव।

प्रमुख विशेषताएं

  • आरंभ तिथि: 21 जुलाई 2025

  • अंतिम तिथि: 19 जनवरी 2026

  • केवल उन्हीं VCFs पर लागू, जो AIF ढांचे में 19 जुलाई 2025 से पहले स्थानांतरित हो चुके हैं और जिनकी परिसमापन अवधि समाप्त हो चुकी है।

  • योजना का लाभ लेने के लिए निवेशकों की सहमति से योजनाओं को समाप्त करने की प्रक्रिया अपनानी होगी।

  • निर्धारित अवधि के बाद योजना का लाभ न उठाने वाले VCFs के खिलाफ SEBI कार्रवाई कर सकता है।

यह योजना भारत के पूंजी बाजार में नियामकीय स्थिरता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

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