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रिजर्व बैंक ने जारी किया 2020-21 की तीसरी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य

 

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की वर्ष 2020-21 की तीसरी बैठक 7, 8 और 9 अक्टूबर को होगी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रिज़र्व बैंक की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति के अहम नीतिगत निर्णयों की घोषणा की है।


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मौजूदा और उभरती व्यापक आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर, मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय इस प्रकार है:-

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (liquidity adjustment facility) के तहत रेपो दर को 4.00% पर अपरिवर्तित रखा गया है.
  • LAF के तहत रिवर्स रेपो दर को 3.35% पर अपरिवर्तित रखा गया है.
  • सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal standing facility) दर और बैंक दर को 4.25% पर अपरिवर्तित रखा गया है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को कहा कि वह बैंकों के लिए टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशंस (TLTRO) पेश करेगा, जिसमे वो 1 ट्रिलियन रुपये तक का कर्ज ले सकेंगे और इसे कुछ सेक्टर्स के कॉरपोरेट बॉन्ड और अन्य डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर सकेंगे। ऑन-टैप TLTRO में पॉलिसी रेपो दर से जुड़ी एक फ्लोटिंग दर पर तीन साल तक के कार्यकाल होगी और यह योजना 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध होगी।
  • वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर नकारात्मक रहने की उम्मीद जताई गई है। इसके अतिरिक्त RBI की MPC ने वित्त वर्ष 2021 में वास्तविक जीडीपी विकास दर में 9.5% तक की गिरावट का अनुमान जताया है।

मौद्रिक नीति के बारे में:

मौद्रिक नीति क्या है?

मौद्रिक नीति रिज़र्व बैंक की नीति है जो अधिनियम में वर्णित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रेपो दर, रिवर्स रेपो दर, लिक्विडिटी समायोजन सुविधा जैसे और कई अन्य मौद्रिक साधनों का उपयोग करती है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है।
मौद्रिक नीति के उद्देश्य?
  • देश में मौद्रिक नीति का मुख्य लक्ष्य विकास के साथ-साथ मूल्य स्थिरता को बनाए रखना है। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मूल्य स्थिरता को एक आवश्यक पूर्व शर्त के रूप में देखा जाता है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक को मई 2016 में किए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 संशोधन के अनुसार भारत सरकार के साथ-साथ लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण का कार्य भी दिया गया हैं। यह प्रत्येक पाँच में एक बार किया जाता है।
  • भारत सरकार ने आधिकारिक राजपत्र में 5 अगस्त, 2016 से 31 मार्च, 2021 की अवधि के लिए लक्ष्य के रूप में 4 प्रतिशत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को अधिसूचित किया है। लक्ष्य को ऊपरी सहन सीमा 6 प्रतिशत और निचली सहन सीमा 2 प्रतिशत तय की गई है।
मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिनियम, 1934 में संशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम स्पष्ट रूप से रिज़र्व बैंक के लिए देश के मौद्रिक नीति ढांचे को परिचालित करने के लिए विधायी अधिदेश का प्रावधान करता है। इस ढांचे का लक्ष्य वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति और मुद्रा बाजार दरों को रेपो दर के आसपास संचालित करने के लिए चलनिधि स्थिति के उतार-चढ़ाव के आकलन के आधार पर नीति (रेपो) दर निर्धारित करना है।


मौद्रिक नीति समिति की संरचना?

केंद्र सरकार ने सितंबर 2016 में संशोधित RBI अधिनियम, 1934 की धारा 45ZB के तहत, छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन किया है।

मौद्रिक नीति समिति की संरचना इस प्रकार की गई है:-

  1. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर – अध्यक्ष, शक्तिकांत दास
  2. भारतीय रिजर्व बैंक के उप-गवर्नर, मौद्रिक नीति के प्रभारी – सदस्य, डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा
  3. भारतीय रिजर्व बैंक के एक अधिकारी को केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित किया जाना है – पदेन सदस्य सदस्य: डॉ. मृदुल के. सगर.
  4. मुंबई स्थित इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान के प्रोफेसर: आशिमा गोयल.
  5. अहमदाबाद के भारतीय प्रबंधन संस्थान में वित्त के प्रोफेसर: जयंत आर वर्मा
  6. कृषि अर्थशास्त्री और नई दिल्ली के नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के वरिष्ठ सलाहकार: डॉ. शशांक भिड़े.

        मौद्रिक नीति की कुछ महत्वपूर्ण लिखत :
        RBI की मौद्रिक नीति में मौद्रिक नीति के कार्यान्वयन में कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लिखतों का उपयोग किया जाता है। मौद्रिक नीति के कुछ महत्वपूर्ण लिखत इस प्रकार हैं:
        • रेपो दर: निर्धारित ब्याज दर जिस पर रिजर्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत बैंकों को सरकार के संपार्श्विक के विरुद्ध और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों के विरुद्ध ओवरनाईट चलनिधि प्रदान करता है।
        • रिवर्स रेपो दर: निर्धारित ब्याज दर जिस पर रिजर्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत बैंकों से पात्र सरकारी प्रतिभूतियों के संपार्श्विक के विरुद्ध, ओवरनाइट आधार पर, चलनिधि को अवशोषित करता है।
        • चलनिधि समायोजन सुविधा (Liquidity Adjustment Facility): एलएएफ में ओवरनाईट और साथ ही आवधि रेपो नीलामियां शामिल हैं। आवधि रेपो का उद्देश्य अंतर-बैंक आवधि मुद्रा बाजार को विकसित करने में मदद करना है, जो बदले में ऋण और जमा की कीमत के लिए बाजार आधारित बैंचमार्क निर्धारित कर सकते हैं,और इस कारण से मौद्रिक नीति के प्रसारण में सुधार किया जा सकता हैं। रिज़र्व बैंक बाजार स्थितियों के तहत आवश्यक होने पर, भी परिवर्तनीय ब्याज दर रिवर्स रेपो नीलामियों का संचालन करता है।
        • सीमांत स्थायी सुविधा (Marginal Standing Facility): एक सुविधा जिसके तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक रिज़र्व बैंक से ओवरनाईट मुद्रा की अतिरिक्त राशि को एक सीमा तक अपने सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पोर्टफोलियो में गिरावट कर ब्याज की दंडात्मक दर ले सकते हैं। यह बैंकिंग प्रणाली को अप्रत्याशित चलनिधि झटकों के खिलाफ सुरक्षा वाल्व प्रदान करता है।

        भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति वक्तव्य का स्थिर रुख:

        इसके अलावा MPC ने कहा कि विकास को पुनर्जीवित करना और अर्थव्यवस्था पर COVID -19 के प्रभाव को कम करना बहुत जरुरी है, ताकि मुद्रास्फीति आगे लक्ष्य के भीतर बनी रहे।

        उपरोक्त समाचार से सभी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य-
        • RBI के 25 वें गवर्नर: शक्तिकांत दास; मुख्यालय: मुंबई; स्थापित: 1 अप्रैल 1935, कोलकाता.

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