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प्रियंका गोस्वामी ने ऑस्ट्रियन रेसवॉकिंग चैंपियनशिप में सीज़न की पहली जीत हासिल की

भारत की पैदलचाल एथलीट प्रियंका गोस्वामी ने सत्र की पहली जीत दर्ज करते हुए इंसब्रुक में ऑस्ट्रियन रेसवॉकिंग चैंपियनशिप में महिलाओं की 10 किलोमीटर दौड़ में पहला स्थान हासिल किया। गोस्वामी ने 47 मिनट और 54 सेकेंड का समय निकाला। उनके नाम 20 किलोमीटर रेसवॉक में एक घंटे, 28.45 मिनट का राष्ट्रीय रिकॉर्ड है।

चुनौतियों के बीच हासिल की गई जीत

उत्तर प्रदेश की 29 वर्षीय प्रियंका गोस्वामी ने इस जीत के बाद सोशल मीडिया पर अपने जज़्बात साझा किए। हालांकि उनका मुख्य फोकस 20 किमी रेस वॉक पर है, जिसमें वह 1:28:45 के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक हैं, लेकिन यह ऑस्ट्रियाई दौड़ उनके अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी और बहुआयामी क्षमताओं को दर्शाती है।

व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ से तुलना

हालांकि इनसब्रुक में उनका समय उनके 2022 में बनाए गए 10 किमी के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 45 मिनट 47 सेकंड से कम था, फिर भी यह जीत विशेष महत्व रखती है क्योंकि उन्होंने बीमारी और पेनल्टी के बावजूद पहला स्थान हासिल किया। यह प्रदर्शन उनके मजबूत वापसी संकेत देता है।

लंबी दूरी और निरंतरता की ओर कदम

प्रियंका गोस्वामी लंबे दूरी की रेस वॉक में भी पीछे नहीं हैं। मई में मेलबर्न में आयोजित एथलेटिक्स विक्टोरिया वॉकिंग चैंपियनशिप में उन्होंने 2 घंटे 26 मिनट 54 सेकंड के समय के साथ दूसरी रैंक हासिल की थी। 10 किमी, 20 किमी और उससे भी लंबी दूरी की रेस में उनकी भागीदारी उनकी सहनशक्ति, तकनीकी दक्षता और निरंतरता की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

पुरुष वर्ग में भारतीय धावकों का प्रदर्शन

इनसब्रुक में भारतीय पुरुष धावकों ने भी दमदार प्रदर्शन किया। 35 किमी रेस वॉक में:

  • संदीप कुमार ने 2:38:45 के समय के साथ दूसरा स्थान हासिल किया।

  • राम बाबू ने 2:41:47 में दौड़ पूरी कर तीसरा स्थान प्राप्त किया।

इन दोनों धावकों का यह प्रदर्शन भारत की लंबी दूरी की रेस वॉकिंग में उभरती ताकत को दर्शाता है, और इनके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग और क्वालिफिकेशन की संभावनाएं भी बढ़ी हैं।

आगे की राह: बड़े लक्ष्यों की ओर

भारत में रेस वॉकिंग निरंतर विकास की ओर अग्रसर है, और प्रियंका गोस्वामी, संदीप कुमार व राम बाबू जैसे एथलीट इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। गोस्वामी की जीत ने सीज़न की शुरुआत को प्रेरणादायक बना दिया है, और अब सबकी निगाहें आने वाली महाद्वीपीय व वैश्विक प्रतियोगिताओं पर होंगी, जहाँ भारतीय रेस वॉकर पदकों के लिए मजबूत दावेदारी पेश करेंगे।

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