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मई में खुदरा महंगाई 6 साल के सबसे निचले स्तर 2.82% पर रही

भारत में खुदरा महंगाई दर मई 2025 में गिरकर 2.82% पर आ गई, जो पिछले छह वर्षों का सबसे निचला स्तर है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा 12 जून 2025 को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस गिरावट की प्रमुख वजह खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेज गिरावट रही। खाद्य मुद्रास्फीति 0.99% दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले यह 8.69% थी। यह स्तर फरवरी 2019 के बाद सबसे कम है और यह भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) व समग्र आर्थिक स्थिरता के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

क्यों है यह समाचारों में?

मई 2025 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर में भारी गिरावट आई है, जिससे खुदरा महंगाई 75 महीनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। खाद्य महंगाई में आई तेज गिरावट — जो CPI टोकरी का एक बड़ा हिस्सा है — इस कमी का मुख्य कारण रही। इसने विश्लेषकों को मौद्रिक नीति और भविष्य की आर्थिक संभावनाओं पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया है।

मुख्य बिंदु

  • CPI मुद्रास्फीति (मई 2025): 2.82%

    • (अप्रैल 2025 में 3.16%, मई 2024 में 4.8%)

  • खाद्य मुद्रास्फीति: 0.99%

    • (अक्टूबर 2021 के बाद सबसे कम)

राज्यों का प्रदर्शन

  • सबसे अधिक CPI: केरल (6.46%)

  • सबसे कम CPI: तेलंगाना (0.55%)

  • पश्चिम बंगाल: 2.45% (अप्रैल में 3.16% थी)

प्रमुख कारण

मूल्य गिरावट:

  • सब्ज़ियाँ (विशेषकर आलू, टमाटर, प्याज़)

  • दालें (जैसे अरहर)

  • मसाले (जैसे जीरा)

  • मांस और पोल्ट्री (चिकन)

  • पिछले वर्ष की उच्च मुद्रास्फीति का आधार प्रभाव

सरकारी उपाय:

  • कच्चे खाद्य तेलों पर कस्टम ड्यूटी में कटौती (20% से घटाकर 10%)

बाहरी चुनौतियाँ

  • वैश्विक तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव

  • खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता

  • मानसून की अनिश्चितता

विशेषज्ञों की राय

  • CareEdge: खाद्य तेल महंगाई अभी भी चिंता का विषय, पर समग्र गिरावट स्वागत योग्य।

  • Icra: खाद्य और पेय पदार्थों की महंगाई 73 महीनों के न्यूनतम स्तर (1.5%) पर।

  • Crisil: अनुमान – FY26 में औसत हेडलाइन मुद्रास्फीति 4% रहेगी।

RBI का नजरिया

  • हाल की मुद्रास्फीति में गिरावट से पहले से की गई ब्याज दरों में कटौती को सही ठहराया गया।

  • आगे और कटौती की गुंजाइश तब ही संभव, जब आर्थिक विकास धीमा हो।

महत्व

  • घरेलू बजट पर सकारात्मक प्रभाव

  • उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा

  • सरकारी और RBI की नीतियों पर विश्वास में वृद्धि

  • GDP वृद्धि और मुद्रास्फीति को संतुलित रखने में सहायक

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