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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 राज्यों में नए राज्यपाल नियुक्त किए

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हां ही में बड़ा उलटफेर करते हुए 13 राज्यों के राज्यपाल व एलजी में फेरबदल किया है। उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा मंजूर करते हुए रमेश बैस को नया राज्यपाल नियुक्त किया है। इसके अलावा लद्दाख के एलजी राधा कृष्णन माथुर का इस्तीफा भी मंजूर कर लिया गया है। उनकी जगह अरुणाचल के ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा को लद्दाख का एलजी बनाया गया है।

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वहीं, राष्ट्रपति ने लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक को अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया है। लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम, सीपी राधाकृष्णन को झारखंड, गुलाब चंद कटारिया को असम, शिव प्रताप शुक्ला को हिमाचल प्रदेश, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया। वहीं, राष्ट्रपति ने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया गया। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके को मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

इसके अलावा मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन को नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को मेघालय का राज्यपाल नियुक्त किया गया। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।

 

राज्यपालों की नियुक्ति कैसे की जाती है?

  • संविधान के अनुच्छेद 153 में कहा गया है कि “प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा।”
  • अनुच्छेद 155 के अनुसार “राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति द्वारा उनके हस्ताक्षर और मुहर के तहत वारंट द्वारा नियुक्त किया जाएगा”।
  • अनुच्छेद 156 के तहत, “राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करेगा”, लेकिन उसका कार्यकाल पांच वर्ष का होगा।
  • अनुच्छेद 157 और 158 राज्यपाल की योग्यता और पद की शर्तें निर्धारित करते हैं।

 

आयु और पात्रता

 

  • राज्यपाल को भारत का नागरिक होना चाहिए और 35 वर्ष की आयु पूरी करनी चाहिए।
  • राज्यपाल को संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए, और किसी अन्य लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
  • राज्यपाल की स्थिति की परिकल्पना एक राजनीतिक प्रमुख के रूप में की जाती है जिसे राज्य के मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना होता है।

 

राज्यपाल से संबंधित कुछ संवैधानिक अनुच्छेद इस प्रकार हैं:

 

  • अनुच्छेद 153 – राज्यों के राज्यपाल
  • अनुच्छेद 154 – राज्य की कार्यकारी शक्ति
  • अनुच्छेद 155- राज्यपाल की नियुक्ति
  • अनुच्छेद 156 – राज्यपाल की पदावधि
  • अनुच्छेद 157 – राज्यपाल के रूप में नियुक्ति के लिए योग्यताएं
  • अनुच्छेद 158 – राज्यपाल के कार्यालय की शर्तें
  • अनुच्छेद 159 – राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
  • अनुच्छेद 160- कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कार्यों का निर्वहन
  • अनुच्छेद 161 – राज्यपाल की क्षमादान और अन्य की शक्ति
  • अनुच्छेद 162 – राज्य की कार्यकारी शक्ति का विस्तार
  • अनुच्छेद 163 – राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद

 

किसी राज्य के राज्यपाल को उसके पद से कौन हटा सकता है?

 

राष्ट्रपति किसी भी समय राज्यपाल को उसके पद से हटा भी सकता है। इस मामले में राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्रिमंडल के परामर्श के अनुसार कार्य करता है। राज्यपाल के पदावधि राष्ट्रपति पर निर्भर करती है। राज्यपाल लिखित रूप से चाहे तो अपना त्यागपत्र भी ले सकता है।

 

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FAQs

राज्यपाल को हटाने के लिए राष्ट्रपति किसकी सलाह लेता है?

राज्यपाल को हटाने के लिए राष्ट्रपति को किसकी सलाह की आवश्यकता होती है? Notes: राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत कार्य करता है, इसकी कारण राज्यपाल को हटाने के लिए राष्ट्रपति को किसी की सलाह की आवश्यकता नहीं होती है।

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