प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज की अपनी यात्रा के दौरान महाकुंभ 2025 के लिए शहर के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने महाकुंभ को “एकता का महायज्ञ” बताया, जो जाति, पंथ और क्षेत्रीय भेदभाव से परे है, और जो राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है।
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा और संबोधन के मुख्य बिंदु:
बुनियादी ढांचे का विकास:
प्रधानमंत्री ने ₹5,500 करोड़ की लागत से 167 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं का उद्देश्य शहर की बुनियादी ढांचा, परिवहन और दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के लिए सुविधाओं को बेहतर बनाना था। साथ ही, श्रद्धालुओं के साथ सहज संवाद के लिए एआई-आधारित प्लेटफॉर्म ‘सह‘AI’यक’ चैटबॉट का भी शुभारंभ किया गया।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व:
महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक होगा, जिसमें 45 दिनों में 40 करोड़ लोग आने की संभावना है। प्रयागराज, जो गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम का स्थल है, एकता का प्रतीक बनकर लोगों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछली कुम्भ यात्रा के दौरान संगम में स्नान करने और गंगा में आशीर्वाद लेने का अनुभव भी याद किया।
ऐतिहासिक और सामाजिक भूमिका:
कुंभ मेला हमेशा से संतों और महात्माओं के लिए राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने और सामाजिक परिवर्तन लाने का मंच रहा है। प्रधानमंत्री ने इसके सामाजिक एकता और आर्थिक सशक्तिकरण की क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि सफाईकर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका है और इस आयोजन को स्वच्छ बनाए रखने में 15,000 से अधिक सफाईकर्मी तैनात किए गए हैं।
सरकार की सांस्कृतिक धरोहर के प्रति प्रतिबद्धता:
प्रधानमंत्री ने पिछली सरकारों द्वारा कुंभ और भारतीय संस्कृति की उपेक्षा करने की आलोचना की और रामायण, कृष्ण और बौद्ध सर्किट जैसे सांस्कृतिक सर्किट के विकास की वर्तमान सरकार की प्रयासों की सराहना की। उन्होंने 2019 में सफाईकर्मियों के पैर धोने के अपने कार्य को याद करते हुए उनके योगदान का सम्मान किया।
सर्वधर्म पूजा और समारोह:
प्रधानमंत्री ने संगम तट पर संगम आरती, जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किए, अक्षय वट वृक्ष, हनुमान मंदिर और सरस्वती कूप का दौरा किया। उन्होंने महाकुंभ प्रदर्शनी में भाग लिया और संतों से मुलाकात की। संतों से आशीर्वाद प्राप्त किया और उन्हें मोती की माला भेंट की।
प्रधानमंत्री मोदी का महाकुंभ 2025 के लिए दृष्टिकोण:
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ को भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला बताया और इसके माध्यम से सामाजिक एकता और स्थानीय समुदायों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। त्रिवेणी संगम की अपनी पवित्र यात्रा के दौरान उन्होंने वैश्विक कल्याण और सद्भाव की प्रार्थना की।
सारांश/स्थैतिक | विवरण |
समाचार में क्यों? | पीएम मोदी ने महाकुंभ 2025 की तैयारी के लिए परियोजनाओं का उद्घाटन किया। |
कार्यक्रम | महाकुंभ 2025, जिसे “एकता का महायज्ञ” कहा गया। |
बुनियादी ढांचा विकास | – ₹5,500 करोड़ की लागत से 167 परियोजनाओं का उद्घाटन। |
– शहर की बुनियादी ढांचा, परिवहन और सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित। | |
– श्रद्धालुओं के लिए ‘सह‘AI’यक’ चैटबॉट, एक एआई-आधारित प्लेटफ़ॉर्म की शुरुआत। | |
तिथियाँ | 13 जनवरी 2025 (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी 2025 (महाशिवरात्रि) तक। |
ऐतिहासिक महत्व | – संतों के लिए राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने और सामाजिक बदलाव प्रेरित करने का मंच। |
– सामाजिक एकता और आर्थिक सशक्तिकरण की नींव। | |
सरकारी पहल | – सांस्कृतिक सर्किट (रामायण, कृष्ण, बौद्ध सर्किट) का विकास। |
– पूर्व सरकारों द्वारा उपेक्षित कुंभ की बुनियादी ढांचा को सुधारने की प्रतिबद्धता। | |
– स्वच्छता बनाए रखने के लिए 15,000 से अधिक सफाईकर्मियों की तैनाती। | |
समारोहिक गतिविधियाँ | – त्रिवेणी संगम पर आयोजित अनुष्ठान: संगम आरती, जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक। |
– अक्षय वट वृक्ष, हनुमान मंदिर, सरस्वती कूप का दौरा। | |
– महाकुंभ प्रदर्शनी में भागीदारी। | |
पीएम मोदी के प्रमुख संदेश | महाकुंभ “एकता का महायज्ञ” है, जो सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को ऊंचा करता है। |
– सामाजिक एकता, आर्थिक सशक्तिकरण और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान पर जोर। | |
स्वच्छता कर्मचारियों को मान्यता | – सफाईकर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया। |
– 2019 में उनके पैर धोने का कार्य कृतज्ञता का प्रतीक था। |