प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री विकसित भारत रोज़गार योजना की घोषणा की — यह ₹1 लाख करोड़ का राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जाने वाला रोजगार मिशन है, जिसका उद्देश्य भारत के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों में तेजी से बढ़ोतरी करना है। यह योजना सरकार के विकसित भारत 2047 विज़न का प्रमुख घटक है, जिसके तहत 3.5 करोड़ नौकरियां सृजित करने और समावेशी आर्थिक विकास की दिशा में भारत की गति को तेज करने का लक्ष्य रखा गया है।
योजना की मुख्य विशेषताएं
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पहली बार नौकरी पाने वाले युवाओं के लिए प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता
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कोई भी युवा जो निजी क्षेत्र में अपनी पहली नौकरी प्राप्त करेगा, उसे सरकार की ओर से सीधे ₹15,000 की राशि दी जाएगी।
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उद्देश्य: युवाओं को औपचारिक रोजगार में स्थानांतरित होने में मदद करना और संगठित क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ाना।
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नियोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन
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निरंतर रोजगार सृजन करने वाली कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
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अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त करने पर नियोक्ताओं को प्रति नए कर्मचारी ₹3,000/माह तक की सहायता मिलेगी।
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विनिर्माण क्षेत्र (मैन्युफैक्चरिंग) के लिए विशेष लाभ की योजना, ताकि बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा हो सके।
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पैमाना और लक्ष्य
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कुल निवेश: ₹1 लाख करोड़।
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कुल रोजगार सृजन का लक्ष्य: अगले 2 वर्षों में 3.5 करोड़।
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पहली बार कार्यबल में शामिल होने वाले लाभार्थी: 1.92 करोड़।
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कार्यान्वयन और निगरानी
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श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा योजना का संचालन।
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) लाभार्थियों की पहचान और सत्यापन करेगा।
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प्रधानमंत्री की दृष्टि और वक्तव्य
पीएम मोदी ने इस योजना को “युवाओं के लिए उपहार” बताते हुए इसे भारतीय युवाओं के लिए डबल दिवाली जैसा उत्सव कहा।
उन्होंने कहा, “यह मेरे देश के युवाओं के लिए मेरा तोहफ़ा है… जो उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाते हुए राष्ट्र की विकास यात्रा को मजबूत करेगा।”
यह पहल आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत युवाओं के सशक्तिकरण और उद्यमों के विकास को जोड़ती है, ताकि आर्थिक वृद्धि समावेशी और रोजगार-आधारित हो।
संभावित प्रभाव
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विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में औपचारिक नौकरियों में बढ़ोतरी।
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वेतन सहायता के माध्यम से निजी क्षेत्र के विस्तार को प्रोत्साहन।
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युवाओं की आर्थिक भागीदारी में तेजी, जिससे अल्प-रोज़गार की समस्या में कमी।
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EPFO के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करना।


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