ऑनलाइन भुगतान धोखाधड़ी से निपटने और वित्तीय परिचालन को सुचारू बनाने हेतु आरबीआई की पहल

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भुगतान धोखाधड़ी के बढ़ते जोखिम को दूर करने और बैंकिंग क्षेत्र में परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। नीचे मुख्य बातें दी गई हैं:

डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म

घरेलू भुगतान धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए, जो मार्च 2024 को समाप्त छह महीने की अवधि में 70.64% बढ़कर 2,604 करोड़ रुपये हो गई, RBI ने एक डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म स्थापित करने की योजना बनाई है। यह प्लेटफॉर्म धोखाधड़ी के जोखिमों को कम करने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग करेगा। एनपीसीआई के पूर्व एमडी और सीईओ ए.पी. होटा की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है, जो इस डिजिटल बुनियादी ढांचे की स्थापना की जांच करेगी, जिसकी सिफारिशें दो महीने के भीतर आने की उम्मीद है।

संशोधित थोक जमा सीमा

आरबीआई ने वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर) और लघु वित्त बैंकों के लिए थोक जमा की परिभाषा को संशोधित करके 3 करोड़ रुपये और उससे अधिक की एकल रुपया अवधि जमा करने का प्रस्ताव दिया है, जो वर्तमान 2 करोड़ रुपये की सीमा से अधिक है। स्थानीय क्षेत्र के बैंकों के लिए, थोक जमा सीमा 1 करोड़ रुपये और उससे अधिक प्रस्तावित है, जो इसे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के साथ संरेखित करती है। यह संशोधन बैंकों को उनकी परिसंपत्ति-देयता प्रबंधन (एएलएम) आवश्यकताओं के आधार पर थोक जमा पर अलग-अलग ब्याज दरें प्रदान करने की अनुमति देता है।

स्वचालित ई-मैनडेट सुविधा

आवर्ती लेनदेन के लिए ई-मैनडेट ढांचे के तहत, RBI एक स्वचालित पुनःपूर्ति सुविधा शुरू करेगा। यह सुविधा फास्टैग या NCMC खातों में स्वचालित शेष राशि पुनःपूर्ति को ट्रिगर करेगी जब वे ग्राहक द्वारा निर्धारित सीमा से नीचे हो जाते हैं, ऐसे लेनदेन को डेबिट से 24 घंटे पहले प्री-डेबिट अधिसूचना की वर्तमान आवश्यकता से छूट दी गई है।

यूपीआई लाइट ई-मैंडेट

आरबीआई ने ऑटो-रिप्लेनिशमेंट सुविधा को सक्षम करके यूपीआई लाइट को ई-मैंडेट ढांचे के तहत शामिल करने का फैसला किया है। ग्राहक अपने यूपीआई लाइट वॉलेट के लिए एक सीमा निर्धारित कर सकते हैं, जिसमें 2000 रुपये तक की राशि रखी जा सकती है और 500 रुपये तक के भुगतान की सुविधा दी जा सकती है। प्रस्तावित बदलावों से इन लेनदेन के लिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण या प्री-डेबिट नोटिफिकेशन की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।

निर्यात और आयात मानदंडों का युक्तिकरण

आरबीआई वैश्विक व्यापार की उभरती गतिशीलता को प्रतिबिंबित करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात पर दिशानिर्देशों को युक्तिसंगत बनाने की योजना बना रहा है। इस युक्तिकरण का उद्देश्य परिचालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना है, जिससे सीमा पार व्यापार लेनदेन में शामिल सभी हितधारकों के लिए व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा मिले।

गेल मध्य प्रदेश में 60,000 करोड़ रुपये के निवेश से भारत की सबसे बड़ी ईथेन क्रैकर परियोजना स्थापित करेगी

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गेल (इंडिया) मध्य प्रदेश के सीहोर में 1500 केटीए इथेन क्रैकर परियोजना स्थापित करने की योजना बना रही है, जिसका अनुमानित पूंजीगत व्यय 60,000 करोड़ रुपये है। इस परियोजना का उद्देश्य एथिलीन डेरिवेटिव की एक श्रृंखला का उत्पादन करना है, जिससे क्षेत्र में पेट्रोकेमिकल बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी।

परियोजना का स्थान और दायरा

यह परियोजना आष्टा, जिला सीहोर में स्थित होगी, जो लगभग 800 हेक्टेयर में फैली होगी। मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की सुविधा प्रदान कर रहा है, तथा राज्य सरकार ने पहले ही प्रक्रिया शुरू कर दी है।

सरकारी सहायता और अनुमोदन

गेल ने मध्य प्रदेश राज्य सरकार से परियोजना के लिए आवश्यक सहायक उपकरण उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। इन सहायक उपकरणों के संबंध में अनुकूल परिणाम मिलने के बाद गेल के बोर्ड से निवेश की मंजूरी ली जाएगी।

निवेश विवरण

इथेन क्रैकर परियोजना के लिए अनुमानित निवेश 60,000 करोड़ रुपये है, जो इसे भारत में अपनी तरह का सबसे बड़ा निवेश बनाता है। यह महत्वपूर्ण निवेश भारत के पेट्रोकेमिकल उद्योग को बढ़ाने के लिए गेल की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

मोदी ने पीएम-किसान की 17वीं किस्त को मंजूरी दी

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत अब तक 16 किस्त जारी हो चुकी हैं और अब बारी 17वीं किस्त की है। वहीं, मोदी सरकार बनते ही पीएम नरेंद्र मोदी ने 17वीं किस्त जारी होने की फाइल पर साइन कर दिए हैं यानी अब जल्द ही योजना से जुड़े करोड़ों किसानों को किस्त का लाभ मिल पाएगा।

दरअसल, पीएम किसान योजना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार बनते ही पहले दिन पीएम किसान योजना की फाइल पर दस्तखत कर दिए हैं। पीएम मोदी ने 17वीं किस्त जारी करने की फाइल को पास कर दिया है ऐसे में अब लाभार्थियों को 17वीं किस्त मिलने का रास्ता साफ हो गया है।

इतने किसानों को मिलेगा फायदा

मोदी सरकार ने 17वीं किस्त जारी होने का रास्ता साफ कर दिया है। ऐसे में इस बार 9.3 करोड़ किसानों को 17वीं किस्त का लाभ मिलेगा। वहीं, इस बार किस्त के रूप में 20 हजार करोड़ रुपये जारी होंगे।

पीएम-किसान निधि क्या है?

पीएम-किसान निधि दिसंबर 2018 में शुरू की गई केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसका उद्देश्य किसानों की आय को बढ़ावा देना है। इसके तहत किसानों को सालाना 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। यह धनराशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से हर चार महीने में 2,000 रुपये की तीन बराबर किस्तों में सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में दी जाती है। पीएम किसान योजना की 16वीं किस्त के रूप में 93 मिलियन से अधिक किसानों को 2000 रुपये मिले थे।

पीएम किसान सम्मान निधि योजना का उद्देश्य क्या है?

”प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना” किसानों के लिए चलाई जा रही एक महत्वाकांक्षी स्कीम है। इसके अंतर्गत हर साल किसानों के खातों में तीन किस्त के रूप में दो-दो हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।

 

Pradhan Mantri Awas Yojana के तहत सरकार बनाएगी 3 करोड़ नए घर

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नवगठित केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत ग्रामीण और शहरी इलाकों में तीन करोड़ और घरों को मंजूरी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। पीएम आवास योजना के आंकड़ों के अनुसार पिछले 10 साल में केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए 4.21 करोड़ मकान बनाए हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना क्या है

वर्ष 2015 में पीएम नरेंद्र मोदी ने पीएम आवास योजना लॉन्च की थी। देश में सभी के पास आवास हो इस उद्देश्य से सरकार ने यह योजना शुरू की थी। वर्ष 2015 के अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने घोषणा कि थी आने वाले 5 साल में सरकार योजना के तहत 2 करोड़ नए घर बनाएगी।

पीएम आवास योजना (PMAY) देश के कमजोर वर्गों, शहरी गरीबों और ग्रामीण गरीबों को कम कीमत पर घर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। बजट 2023 में सरकार ने पीएम आवास योजना के फंड को 66 फीसदी बढ़ा दिया।

किसे मिलता है योजना का लाभ

पीएम आवास योजना का लाभ लो इनकम ग्रुप (LIG), मिडिल इनकम ग्रुप (MIG) और EWS को मिलता है। EWS में वह लाभार्थी शामिल होते हैं जिनकी सालाना आय 3 रुपये तक होती है।

वहीं, लो इनकम ग्रुप के आवेदक की एनुअल इनकम 3 से 6 लाख रुपये होनी चाहिए। मिडिल इनकम ग्रुप में जिनकी सालाना इनकम 6 से 18 लाख रुपये होती है उन्हें ही योजना का लाभ मिलता है।

 

 

विमान दुर्घटना में मलावी के उपराष्ट्रपति का निधन

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मलावी के उपराष्ट्रपति सौलोस चिलिमा और उनकी पत्नी सहित 9 अन्य लोगों की उस समय मृत्यु हो गई। जब वे जिस विमान में यात्रा कर रहे थे वह चिकनगावा पर्वत श्रृंखला में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, सरकार ने यह जानकारी दी। राष्ट्रपति लाजरस चकवेरा ने मंगलवार को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया।

मलावी के राष्ट्रपति ने कहा कि विमान दुर्घटना में देश के उपराष्ट्रपति और नौ अन्य लोगों की मौत हो गई। एक दिन से अधिक समय तक चली खोज के बाद उपराष्ट्रपति सौलोस चिलिमा को ले जा रहे सैन्य विमान का मलबा देश के उत्तर में एक पहाड़ी क्षेत्र में पाया गया। मलावी के राष्ट्रपति लाजरस चकवेरा ने राज्य टेलीविजन पर एक लाइव संबोधन में कहा कि दुर्घटना में कोई भी जीवित नहीं बचा है।

सैकड़ों सैनिक, पुलिस अधिकारी और वन रेंजर उस विमान की तलाश कर रहे थे, जिसमें एक पूर्व प्रथम महिला भी सवार थी। यह विमान दक्षिणी अफ्रीकी देश की राजधानी लिलोंग्वे से उत्तर में लगभग 370 किलोमीटर (230 मील) दूर मज़ुज़ू शहर के लिए 45 मिनट की उड़ान भर रहा था।

चकवेरा ने कहा कि हवाई यातायात नियंत्रकों ने विमान को खराब मौसम और खराब दृश्यता के कारण मजुजू के हवाई अड्डे पर उतरने का प्रयास न करने के लिए कहा और इसे वापस लिलोंग्वे की ओर लौटने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि इसके बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल का विमान से संपर्क टूट गया और यह रडार से गायब हो गया। विमान में सात यात्री और तीन सैन्य चालक दल के सदस्य सवार थे। राष्ट्रपति ने विमान को मलावी सशस्त्र बलों द्वारा संचालित एक छोटा, प्रोपेलर चालित विमान बताया।

विमान की जानकारी ट्रैक करने वाली ch-aviation वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने जो टेल नंबर दिया है, उससे पता चलता है कि यह एक डोर्नियर 228-प्रकार का ट्विन प्रोपेलर विमान है, जिसे 1988 में मलावी सेना को दिया गया था। अधिकारियों ने बताया कि मजुजू के पास विफिया पर्वत में एक विशाल वन वृक्षारोपण में खोज में लगभग 600 कर्मचारी शामिल थे। चिलिमा उपराष्ट्रपति के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे थे।

वे पूर्व राष्ट्रपति पीटर मुथारिका के अधीन 2014-2019 तक भी इस पद पर थे। वे 2019 के मलावी राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार थे और मौजूदा राष्ट्रपति, मुथारिका और चकवेरा के बाद तीसरे स्थान पर रहे। बाद में अनियमितताओं के कारण मलावी के संवैधानिक न्यायालय ने वोट रद्द कर दिया था। इसके बाद चिलिमा 2020 में ऐतिहासिक चुनाव में चकवेरा के साथी के रूप में उनके अभियान में शामिल हो गए, जब चकवेरा राष्ट्रपति चुने गए।

भारत ने मिस्र, ईरान, यूएई, सऊदी अरब और इथियोपिया के ब्रिक्स में शामिल होने का स्वागत किया

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भारत ने मिस्र, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब और इथियोपिया के ब्रिक्स समूह में शामिल होने का स्वागत किया है। इन देशों के प्रतिनिधियों ने रूस की ओर से आयोजित ब्रिक्स की एक महत्वपूर्ण बैठक में पहली बार हिस्सा लिया।

भारत के वरिष्ठ राजनयिक दम्मू रवि ने पश्चिमी रूस के निजनी नोवगोरोद में आयोजित ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ब्रिक्स समूह के पूर्ण सदस्य बन गए हैं। ब्रिक्स में इससे पहले ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका पहले से इसके सदस्य हैं।

आमतौर पर विदेश मंत्री ऐसी बैठकों में भाग लेते हैं। रूस ने एक जनवरी, 2024 को ब्रिक्स की एक वर्ष की अध्यक्षता का कार्यभार संभा था। ब्रिक्स दुनिया की पांच अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक समूह है।

क्या है ब्रिक्स

रूस ने एक जनवरी, 2024 को ब्रिक्स की एक वर्ष की अध्यक्षता का कार्यभार संभाला था। ब्रिक्स दुनिया की पांच अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक समूह है।

 

 

चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को आंध्र प्रदेश की एकमात्र राजधानी घोषित किया

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से एक दिन पहले तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को घोषणा की कि अमरावती राज्य की एकमात्र राजधानी होगी। नायडू तेदेपा, भाजपा और जनसेना के विधायकों की एक संयुक्त बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में उन्होंने आंध्र प्रदेश विधानसभा में एनडीए नेता के रूप में सर्वसम्मति से चुना गया।

इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारी सरकार में तीन राजधानियों की आड़ में कोई खेल नहीं होगा। हमारी राजधानी अमरावती है। अमरावती राजधानी है।राज्य के बंटवारे के बाद चंद्रबाबू नायडू पहले मुख्यमंत्री बने। वह 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री रहे। नायडू ने अमरावती को राजधानी बनाने का विचार रखा था।

हालांकि, नायडू के इस विचार को उस समय झटका लगा जब 2019 में उन्होंने सत्ता खो दी और वाई एस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी ने शानदार जीत हासिल की। फिर रेड्डी ने अमरावती शहर की योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया और तीन राजधानियों का एक नया विचार सामने रखा, जिसे नायडू ने अब एकमात्र राजधानी रखने के फैसले के साथ बदल दिया है।

विधानसभा चुनाव

आंध्र प्रदेश के हालिया विधानसभा चुनाव में तेदेपा, भाजपा और जनसेना के गठबंधन ने एकतरफा जीत हासिल की। एनडीए गठबंधन ने विधासभा चुनाव 164 सीट पर जीत दर्ज की। जबकि लोकसभा चुनाव में 21 सीट पर भारी बहुमत के साथ शानदार जीत हासिल की। इस जनादेश ने अमरावती को राजधानी बनाने की योजना में नई जान फूंक दी है।

लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी नए सेना प्रमुख नियुक्त

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लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी अगले थलसेना प्रमुख होंगे। वह जनरल मनोज पांडे का स्थान लेंगे। जनरल पांडे 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी वर्तमान में थलसेना के उप-प्रमुख हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी की नियुक्ति में सरकार ने वरिष्ठता के सिद्धांत का पालन किया है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि वर्तमान में थलसेना के उप-प्रमुख के रूप में कार्यरत लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को सरकार ने अगला थलसेना प्रमुख नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति 30 जून की दोपहर से प्रभावी होगी।

जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल

गौरतलब है कि पिछले महीने सरकार ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए सेवानिवृत्ति से पहले जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल एक महीने के लिए बढ़ा दिया था। जनरल पांडे को 31 मई को सेवानिवृत्त होना था। सरकार के इस कदम से ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि थलसेना प्रमुख पद के लिए संभवत: लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी की अनदेखी की जा सकती है।

जनरल द्विवेदी के बारे में

लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के बाद थलसेना में वरिष्ठतम अधिकारी दक्षिणी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह हैं। एक जुलाई, 1964 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी 15 दिसंबर, 1984 को सेना में शामिल हुए थे। उन्होंने रीवा स्थित सैनिक स्कूल से शिक्षा प्राप्त की है।

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2024: 12 जून

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विश्व बाल श्रम निषेध दिवस हर वर्ष 12 जून को मनाया जाता है. इसका लक्ष्य बाल श्रम के विरुद्ध बढ़ते वैश्विक आंदोलन को गति प्रदान करना है। संयुक्त राष्ट्र का मानना ​​है कि यदि लोग और सरकारें मूल कारण पर ध्यान केन्द्रित करें तथा सामाजिक न्याय और बाल श्रम के बीच अंतर्संबंध को पहचानें, तो बाल श्रम को समाप्त किया जा सकता है।

बाल श्रम एक गंभीर मुद्दा है। बचपन खेलने और सीखने का समय होता है, ना कि खतरनाक परिस्थितियों में काम करने का। बाल श्रम बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को रोकता है और उन्हें शिक्षा के अवसर से भी वंचित रखता है।

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2024: थीम

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) हर साल विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के लिए एक थीम चुनता है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2024 की थीम है – “Let’s Act on Our Commitments: End Child Labour! (आइए अपनी प्रतिबद्धताओं पर काम करें: बाल श्रम को समाप्त करें!)।” इस वर्ष का विश्व दिवस बाल श्रम के सबसे बुरे रूपों पर कन्वेंशन को अपनाने की 25वीं वर्षगांठ को चिह्नित करेगा।

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) ने पहली बार बाल श्रम रोकने का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद साल 2002 में सर्वसम्मति से एक ऐसा कानून पारित हुआ जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध माना गया। अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) के 187 सदस्य देश हैं। ILO ने विश्व में श्रम की स्थितियों में सुधार के लिए कई सम्मेलनों को पारित किया है। और तो और यह मजदूरी, काम के घंटे, अनुकूल वातावरण इत्यादि मामलों पर भी जरूरी गाइडलाइंस देता रहता है। 1973 में, ILO सम्मेलन संख्या 138 को अपनाकर रोजगार के लिए न्यूनतम आयु पर लोगों का ध्यान केंद्रित किया गया। जिसका मकसद सदस्य राज्यों को रोजगार की न्यूनतम आयु बढ़ाने और बाल मजदूरी को समाप्त करना था।

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का महत्व

गरीबी सबसे बड़ी है बाल श्रम की, जिसकी वजह से बच्चे शिक्षा का ऑप्शन छोड़कर मजबूरी वश मजदूरी करना चुनते हैं।इसके अलावा, कई सारे बच्चों को संगठित अपराध रैकेट द्वारा भी बाल श्रम के लिए मजबूर किया जाता है। तो इस दिन को विश्व स्तर पर मनाए जाने का उद्देश्य इन्हीं चीज़ों के ऊपर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है, जिससे बच्चों को बाल श्रम से रोका जा सके।

भारत ने विदेशी बंदरगाह परिचालन का विस्तार किया

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क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में, भारत ने बांग्लादेश में मोंगला बंदरगाह के प्रबंधन पर अपनी नज़रें गड़ा दी हैं। ईरान में चाबहार और म्यांमार में सित्तवे की सफलताओं के बाद, भारत अपने विदेशी बंदरगाह परिचालन का विस्तार करके अपने वाणिज्यिक और सुरक्षा हितों को और मज़बूत करना चाहता है।

चीन की रणनीतिक उपस्थिति का मुकाबला

चाबहार और सित्तवे में अपने प्रयासों के साथ-साथ मोंगला बंदरगाह को संचालित करने में भारत की रुचि, क्षेत्र में चीन की रणनीतिक उपस्थिति को संतुलित करने के लिए एक जानबूझकर किया गया प्रयास है। चीन भी बंदरगाह के संचालन पर नज़र रख रहा है, इसलिए भारत का यह कदम महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने में उसके सक्रिय रुख को दर्शाता है।

रणनीतिक चर्चाएँ आगे: मोदी-हसीना की बैठक और संभावित वार्ताएँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी आगामी बैठकों के दौरान बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ मोंगला बंदरगाह के प्रबंधन में भारत की रुचि पर चर्चा करेंगे। यह चर्चा द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय भू-राजनीति में बंदरगाह के प्रबंधन के महत्व को रेखांकित करती है।

परिचालन विस्तार

इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) भारत के अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह संचालन के लिए पसंदीदा इकाई के रूप में उभरी है, जिसकी मोंगला पोर्ट को प्रबंधित करने की योजना है। बातचीत चल रही है, और आईपीजीएल ने पहले ही बंदरगाह पर मूल्यांकन कर लिया है। मोंगला पोर्ट अथॉरिटी इस प्रस्ताव का मूल्यांकन करेगी, जिसमें इसकी लाभप्रदता और दोनों देशों के लिए संभावित लाभों पर विचार किया जाएगा।

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