केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने सुजलाम भारत ऐप का शुभारंभ किया

भारत सरकार ने ग्रामीण पेयजल प्रणालियों को ट्रैक करने, प्रबंधित करने और बेहतर बनाने के लिए सुजलाम भारत ऐप की शुरुआत की है। यह नया डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नागरिकों और अधिकारियों को जल आपूर्ति योजनाओं से जुड़ी वास्तविक-समय की जानकारी उपलब्ध कराता है, जिससे गांवों को यह समझने में मदद मिलती है कि उनका पानी कहाँ से आता है और पूरी प्रणाली कितनी अच्छी तरह काम कर रही है। यह ऐप जल जीवन मिशन के तहत पारदर्शिता बढ़ाने, सामुदायिक भागीदारी मजबूत करने और बेहतर योजना बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

सुजलाम भारत ऐप — जल शक्ति मंत्रालय द्वारा लॉन्च
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल ने सुजलाम भारत ऐप को आधिकारिक रूप से लॉन्च करते हुए कहा कि यह ग्रामीण जल सेवाओं को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि यह प्लेटफ़ॉर्म गांवों को अपनी पेयजल प्रणालियों की अधिक जिम्मेदारी लेने में सक्षम बनाएगा और जल योजनाओं के संचालन में पारदर्शिता को बढ़ावा देगा।

उन्नत तकनीक के लिए BISAG-N का सहयोग
इस ऐप को भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू-सूचना संस्थान (BISAG-N) के सहयोग से विकसित किया गया है। BISAG-N की टीम ने उन्नत जियो-रेफ़रेंसिंग तकनीक विकसित की है, जिससे प्रत्येक जल स्रोत, पाइपलाइन, टैंक और योजना को स्पष्ट रूप से मैप किया जा सकता है। यह तकनीक अधिकारियों को जल अवसंरचना की स्थिति और कार्यप्रणाली की निगरानी करने में बड़ी सुविधा प्रदान करेगी।

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्रशिक्षण
लॉन्च के बाद BISAG-N ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को विस्तृत प्रशिक्षण दिया। उन्हें ऐप के उपयोग, डेटा अपलोड करने और जल आपूर्ति संपत्तियों को मैप करने की प्रक्रिया समझाई गई। यह प्रशिक्षण उन्हें एक पूर्णत: डिजिटल प्रणाली की ओर सुगम रूप से आगे बढ़ने में सहायता करेगा।

सुझल गांव आईडी: हर जल योजना के लिए एक अनूठी पहचान
सुजलाम भारत प्लेटफ़ॉर्म की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है सुझल गांव आईडी
इस अनोखी पहचान संख्या से प्रत्येक गांव और जल योजना की स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी, जैसे:

  • कौन-सी योजना किन घरों को पानी उपलब्ध करा रही है

  • पानी का स्रोत क्या है

  • जल आपूर्ति कितनी विश्वसनीय है

  • पाइप, टैंक और मोटर की स्थिति क्या है

  • पानी की गुणवत्ता की वर्तमान स्थिति

  • समुदाय की प्रतिक्रिया और मेंटेनेंस रिकॉर्ड

यह आईडी ग्रामीण जल प्रबंधन के लिए आधार जैसी भूमिका निभाएगी, जिससे हर योजना की पहचान राष्ट्रीय डेटाबेस में दर्ज रहेगी।

हर जल आपूर्ति प्रणाली का एक ही डिजिटल दृश्य
सुजलाम भारत डेटाबेस पानी के स्रोतों, अवसंरचना, दैनिक संचालन रिकॉर्ड, पुराने मरम्मत कार्य, और जल गुणवत्ता रिपोर्ट सहित सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं को एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर लाता है।
इससे ग्राम पंचायतों, वी.डब्ल्यू.एस.सी. (ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति) और सेवा प्रदाताओं को अपनी जल योजनाओं को ट्रैक करने और आवश्यकता पड़ने पर तुरंत कार्रवाई करने में आसानी होगी।

बेहतर योजना और दीर्घकालिक स्थिरता
ऐप प्रत्येक जल योजना का पूरा इतिहास भी सुरक्षित रखेगा, जिसमें शामिल है:

  • अवसंरचना की स्थिति

  • मरम्मत और मेंटेनेंस का विवरण

  • समय के साथ जल आपूर्ति का प्रदर्शन

क्योंकि यह प्रणाली पीएम गतिशक्ति जीआईएस प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ी हुई है, इसलिए पाइपलाइन और जल नेटवर्क का सटीक मैप भी उपलब्ध होगा। इससे भविष्य की मरम्मत और विस्तार की योजनाओं में काफी मदद मिलेगी।

मजबूत डिजिटल जल प्रणाली की ओर बड़ा कदम
अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश समय पर अपना डेटा अपलोड करें ताकि यह सिस्टम सुचारू रूप से काम कर सके।
सुजलाम भारत ऐप से ग्रामीण जल प्रबंधन अधिक विश्वसनीय, पारदर्शी और नागरिक-अनुकूल बनने की उम्मीद है। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि हर घर को सुरक्षित और नियमित पेयजल मिलता रहे।

ऐप की उपलब्धता
सुजलाम भारत ऐप जल्द ही गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध होगा।

गूगल ने अमीन वहदात को AI इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए नया चीफ टेक्नोलॉजिस्ट नियुक्त किया

सेमाफोर द्वारा उद्धृत एक आंतरिक मेमो के अनुसार, अल्फाबेट के स्वामित्व वाली गूगल ने वरिष्ठ कार्यकारी अमीन वहदात को एआई इंफ्रास्ट्रक्चर के नए चीफ टेक्नोलजिस्ट के रूप में नियुक्त किया है। यह कदम इस बात को रेखांकित करता है कि गूगल बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल, सेवाओं और क्लाउड वर्कलोड्स को संचालित करने के लिए आवश्यक कंप्यूटिंग आधारभूत संरचना को मजबूत करने पर अपना ध्यान तेजी से बढ़ा रहा है। ऐसे समय में जब वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियाँ उन्नत चिप्स, सुपरकंप्यूटर और डेटा सेंटर में बड़े स्तर पर निवेश कर रही हैं, गूगल का यह नेतृत्व परिवर्तन तेजी से बदलते एआई परिदृश्य में आगे बने रहने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?

यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब गूगल अपनी अब तक की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार योजनाओं में से एक के लिए तैयारी कर रहा है। कंपनी का पूंजीगत व्यय 2025 के अंत तक 90 अरब डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है, जिसका बड़ा हिस्सा निम्न क्षेत्रों में निवेश होगा:

  • एआई-अनुकूलित डेटा सेंटर बनाना

  • आंतरिक हार्डवेयर नवाचार को बढ़ाना

  • वैश्विक कंप्यूट क्षमता का विस्तार

  • क्लाउड-आधारित एआई सेवाओं में सुधार

Google Cloud के सीईओ थॉमस कुरियन के अनुसार, यह परिवर्तन “एआई इंफ्रास्ट्रक्चर को कंपनी के एक प्रमुख फोकस क्षेत्र के रूप में स्थापित करता है”, जो जनरेटिव एआई के दौर में कंप्यूट संसाधनों के बढ़ते रणनीतिक महत्व को दर्शाता है।

अमीन वहदात कौन हैं?

अमीन वहदात गूगल के एक लंबे समय से कार्यरत वरिष्ठ कार्यकारी हैं, जिन्होंने नेटवर्किंग सिस्टम, क्लाउड आर्किटेक्चर और बड़े पैमाने की कंप्यूटिंग से संबंधित कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का नेतृत्व किया है। उनकी नेतृत्व क्षमता ने निम्न नवाचारों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है:

  • टेंसर प्रोसेसिंग यूनिट (TPUs)

  • गूगल की स्वामित्व वाली नेटवर्किंग तकनीकें

  • Google Cloud में वितरित कंप्यूटिंग मॉडल

एआई इंफ्रास्ट्रक्चर के चीफ टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में, उनके ऊपर गूगल के अगले हार्डवेयर और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास चरण का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी होगी।

कम्प्यूट डॉमिनेंस की वैश्विक रेस

वैश्विक एआई उछाल ने तकनीकी कंपनियों के बीच जोरदार प्रतिस्पर्धा छेड़ दी है, जहां कम्प्यूट क्षमता — सिर्फ एल्गोरिदम नहीं — सबसे बड़ा रणनीतिक लाभ बन गई है।

गूगल की रणनीति

गूगल के कस्टम-निर्मित TPU, आंतरिक सिस्टम और हाइपर-स्केल डेटा सेंटर्स में निवेश का उद्देश्य बढ़त हासिल करना है:

  • एआई ट्रेनिंग और इन्फरेंस क्षमता में

  • क्लाउड कंप्यूटिंग प्रदर्शन में

  • Gemini जैसे बड़े एआई मॉडलों की स्केलेबिलिटी में

प्रतिस्पर्धी कंपनियों की चालें

  • Microsoft — डेटा सेंटर का तेजी से विस्तार और OpenAI के साथ गहरी साझेदारी।

  • Amazon Web Services (AWS) — Trainium और Inferentia जैसी नई कस्टम एआई चिप्स लॉन्च कर क्लाउड हार्डवेयर इकोसिस्टम को मजबूत करना।

एआई इंफ्रास्ट्रक्चर की यह लड़ाई पूरी सिलिकॉन वैली की प्राथमिकताओं को बदल रही है, और कम्प्यूट पावर को अब अंतिम अंतर-निर्माता (ultimate differentiator) माना जा रहा है।

वित्तीय आधार: गूगल क्लाउड का मजबूत प्रदर्शन

यह बदलाव ऐसे समय में आया है जब गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई “अनुशासित खर्च” पर जोर दे रहे हैं — जबकि कंपनी इतिहास के सबसे बड़े एआई निवेशों में से एक का नेतृत्व भी कर रही है।

Google Cloud के पास आज 155 अरब डॉलर का बैकलॉग है, जो क्लाउड और एआई सेवाओं की भारी एंटरप्राइज मांग को दर्शाता है। इस मांग के साथ कदम मिलाकर चलने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना गूगल की दीर्घकालिक एआई रणनीति के केंद्र में है।

IAS सुप्रिया साहू ने जीता संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान

तमिलनाडु सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव सुप्रिया साहू को संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान “चैंपियंस ऑफ द अर्थ पुरस्कार 2025” से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा नैरोबी में आयोजित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA-7) के दौरान घोषित किया गया। उन्हें यह सम्मान टिकाऊ शीतलन (sustainable cooling), पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन (ecosystem restoration) और जलवायु अनुकूलन (climate adaptation) के क्षेत्र में उनके अग्रणी योगदान के लिए दिया गया है।

सुप्रिया साहू को यह पुरस्कार ‘इंस्पिरेशन एंड एक्शन’ श्रेणी में मिला है, जो उन व्यक्तियों को सम्मानित करता है जो मानवता और पृथ्वी के लिए मापनीय और परिवर्तनकारी पर्यावरणीय लाभ पैदा करते हैं।

सुप्रिया साहू को क्यों चुना गया

UNEP के अनुसार, सुप्रिया साहू की जलवायु पहलों ने:

  • 25 लाख हरित नौकरियाँ सृजित कीं

  • तमिलनाडु के वन आवरण में वृद्धि की

  • सार्वजनिक स्थलों और बुनियादी ढाँचे में हीट-अनुकूलन उपाय शामिल किए

  • लगभग 1.2 करोड़ लोगों की जलवायु सहनशीलता (climate resilience) में सुधार किया

  • तमिलनाडु को अनुकूलन (adaptation) और टिकाऊ शीतलन (sustainable cooling) के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया

उनका कार्य विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि आने वाले दशक में वैश्विक तापमान 1.5°C से ऊपर जा सकता है, जिससे हीटवेव और जलवायु-संबंधी आपदाएँ और तीव्र होंगी।

सुप्रिया साहू के प्रमुख जलवायु योगदान

1. टिकाऊ शीतलन (Sustainable Cooling) नवाचार

उनके नेतृत्व में तमिलनाडु ने कई हीट-रेज़िलिएंट सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे विकसित किए, जैसे:

  • पेड़ों से घिरे शहरी मार्ग

  • प्रकृति-आधारित छाया प्रणाली

  • संवेदनशील समुदायों के लिए हीट एक्शन प्लान

2. पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन 

उनकी नीतियों ने निम्नलिखित को मज़बूत किया:

  • मैंग्रोव पुनर्स्थापन

  • आर्द्रभूमि (wetland) संरक्षण

  • घासभूमि (grassland) पुनर्जीवन

इन प्रयासों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है और पर्यावरणीय संतुलन बेहतर होता है।

3. समुदाय-केंद्रित जलवायु शासन 

साहू के कार्यक्रमों ने लो-टेक और हाई-टेक समाधानों को मिलाया है, यह दिखाते हुए कि नागरिक सहभागिता और सरकारी कार्रवाई का संयोजन दीर्घकालिक पर्यावरणीय बदलाव ला सकता है।

अन्य 2025 चैंपियंस ऑफ द अर्थ पुरस्कार विजेता

इस वर्ष के वैश्विक विजेताओं ने जलवायु और पर्यावरण चुनौतियों के लिए क्रांतिकारी समाधान प्रस्तुत किए:

  • प्रशांत द्वीपों का युवा समूह – जलवायु न्याय पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की ऐतिहासिक सलाहकारी राय सुनिश्चित की

  • मरियम इसूफू (साहेल) – जलवायु-सहनशील वास्तुकला डिजाइन के लिए सम्मानित

  • Imazon (ब्राज़ील) – AI आधारित वनों की कटाई निगरानी के लिए पुरस्कार

  • मैनफ्रेडी काल्टाजिरोने (मरणोपरांत) – मीथेन में कमी पर आजीवन शोध के लिए सम्मान

ये सभी विजेता यह बतलाते हैं कि जलवायु समाधान नवीन, विस्तार योग्य और न्याय-आधारित होने चाहिए।

चैंपियंस ऑफ द अर्थ पुरस्कार का महत्व

2005 में स्थापित, यह UNEP का सबसे प्रतिष्ठित पर्यावरणीय सम्मान है।
इसके 20वें वर्ष में, यह निम्न क्षेत्रों में परिवर्तनकारी पर्यावरण नेतृत्व को पहचान देता है:

  • नीति नेतृत्व

  • उद्यमी दृष्टि

  • प्रेरणा और कार्रवाई

  • विज्ञान और नवाचार

UNEP ने यह भी बताया कि 2025 के विजेता ऐसे समय में साहसिक कदम उठा रहे हैं जब विकासशील देशों के लिए अनुकूलन लागत 2035 तक 365 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच सकती है।

गति शक्ति विश्वविद्यालय और अमेज़न ने साझा शिक्षण व शैक्षणिक नवाचार हेतु समझौता किया

गतिशक्ति विश्वविद्यायलय (Gati Shakti Vishwavidyalaya – GSV), जो भारत का परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर आधारित एक विशेषीकृत केंद्रीय विश्वविद्यालय है, ने विश्व की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक Amazon के साथ एक नया समझौता ज्ञापन (MoU) किया है। इस सहयोग का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग क्षेत्र में शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार को मजबूत बनाना है।

सहयोग का उद्देश्य

इस एमओयू का मुख्य मकसद विश्वविद्यालय और ऐमज़ॉन के बीच ज्ञान साझा करने को प्रोत्साहित करना है। दोनों संस्थान मिलकर नए शैक्षणिक कार्यक्रम तैयार करेंगे, मौजूदा पाठ्यक्रमों को आधुनिक रूप देंगे और संयुक्त अनुसंधान करेंगे।
इस समझौते की विशेष आकर्षण ‘Amazon Chair Professorship’ की स्थापना है, जिसके तहत डेटा-आधारित आधुनिक वेयरहाउसिंग पर शोध होगा।

कुलपति का बयान

GSV के कुलपति प्रो. मनोज चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालय भारत के तेजी से बढ़ते लॉजिस्टिक्स सिस्टम के लिए मजबूत प्रतिभा निर्माण और गहन अनुसंधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि ऐमज़ॉन इंडिया के साथ काम करने से छात्रों और शोधकर्ताओं को उद्योग विशेषज्ञों से सीधे सीखने का अवसर मिलेगा, जिससे परिवहन व लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में बेहतर योजना, डिजाइन और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

गतिशक्ति विश्वविद्यायलय के बारे में

  • GSV की स्थापना वर्ष 2022 में संसद के एक अधिनियम के तहत केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में की गई थी।

  • यह भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।

  • विश्वविद्यालय का ध्यान सभी परिवहन क्षेत्रों पर है —
    रेलवे, हाईवे, पोर्ट, एविएशन, मैरीटाइम, शिपिंग, इनलैंड वाटरवे, अर्बन ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स व सप्लाई चेन

  • इसके कुलाधिपति (Chancellor) श्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री हैं।

एमओयू का महत्व

इस साझेदारी से छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान मिलेगा, उन्नत शोध को बढ़ावा मिलेगा, और भारत की लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाने के लक्ष्य को समर्थन मिलेगा। शैक्षणिक विशेषज्ञता और ऐमज़ॉन के उद्योग अनुभव के मिलन से भारत के परिवहन और वेयरहाउसिंग क्षेत्र के लिए नए विचार और समाधान विकसित होने की उम्मीद है।

आलिया भट्ट को गोल्डन ग्लोब्स होराइजन अवॉर्ड मिला

बॉलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट को रेड सी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन ग्लोब्स होराइजन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। आलिया को ट्यूनीशियाई अभिनेत्री हेंड सबरी के साथ एक समारोह में सम्मानित किया गया, जिन्हें उमर शरीफ अवॉर्ड से नवाजा गया। रेड सी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का पांचवां संस्करण सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित किया जा रहा है।

आलिया ने क्या कहा?

गोल्डन ग्लोब्स होराइजन अवॉर्ड जीतने पर खुशी जताते हुए आलिया ने कहा कि गोल्डन ग्लोब्स द्वारा सम्मानित होना मेरे लिए गर्व की बात है। मैं दुनिया भर में फिल्म और टेलीविजन में बदलाव ला रही महत्वाकांक्षी कलाकारों और महिलाओं की नई पीढ़ी की ओर से बोलने का मौका मिलने के लिए आभारी हूं। ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर प्रभावशाली कहानियों को बताने के लिए लोग एकजुट हो रहे हैं, यह सम्मान वाकई काफी महत्वपूर्ण बन जाता है।

गोल्डन ग्लोब्स की अध्यक्ष ने क्या कहा?

गोल्डन ग्लोब्स की अध्यक्ष हेलेन होहेन ने इस मौके पर कहा कि हमें आलिया भट्ट को गोल्डन ग्लोब्स होराइजन अवॉर्ड से सम्मानित करते हुए बेहद खुशी हो रही है। यह पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में उनके असाधारण योगदान के लिए है। साथ ही वैश्विक मंच पर फिल्म व टेलीविजन के एक गतिशील और प्रभावशाली केंद्र के रूप में मिडिल ईस्ट के लगातार आगे बढ़ने का जश्न मनाता है।

फिल्मों को लेकर सुर्खियां

आलिया भट्ट इन दिनों अपनी फिल्मों को लेकर सुर्खियां बटोर रही हैं। उनकी एक्शन ड्रामा फिल्म ‘अल्फा’ जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देगी। इस एक्शन-स्पाई थ्रिलर ‘अल्फा’ में वो शरवारी के साथ नजर आएंगी। फिल्म को क्रिसमस के मौके पर रिलीज किया जाना था, लेकिन कुछ वजह से मेकर्स ने इसकी रिलीज डेट 17 अप्रैल 2026 को कर दी।

आलिया भट्ट का बढ़ता ग्लोबल प्रभाव

Golden Globe Horizon Award मिलने के बाद आलिया भट्ट की अंतरराष्ट्रीय पहचान और मजबूत हुई है। उनकी मेहनत, बहुमुखी अभिनय क्षमता और चुनिंदा मजबूत भूमिकाओं ने उन्हें भारतीय सिनेमा की एक वैश्विक प्रतिनिधि बना दिया है।
चाहे प्रशंसक हों या आलोचक—सभी उनके इस सम्मान की सराहना कर रहे हैं।

आलिया की इन फिल्मों की हुई चर्चा

फेस्टिवल ने इंस्टाग्राम पर उनकी जीत की घोषणा करते हुए दिखाया कि कैसे 32 वर्षीय एक्ट्रेस वैश्विक स्तर पर लगातार पहचान बना रही हैं। वैरायटी डॉट काम की रिपोर्ट के मुताबिक आलिया को ये अवॉर्ड हाईवे, राजी, उड़ता पंजाब, डियर जिंदगी और गंगूबाई काठियावाड़ी जैसी फिल्मों के लिए मिला है। 

BMW ने मिलान नेडेल्जकोविक को नया सीईओ नियुक्त किया

बीएमडब्ल्यू ने एक बड़े नेतृत्व परिवर्तन की घोषणा की है, जिसमें उसकी पर्यवेक्षी बोर्ड ने लंबे समय से कार्यरत सीईओ ओलिवर ज़िप्से की जगह मिलान नेडेल्जकोविक को नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया है। यह बदलाव ऐसे समय में आया है जब वैश्विक ऑटोमोबाइल क्षेत्र तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है और बीएमडब्ल्यू को चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे प्रमुख बाज़ारों में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। नेडेल्जकोविक 14 मई अगले वर्ष आधिकारिक रूप से पदभार संभालेंगे, जिससे जर्मन ऑटोमोबाइल दिग्गज के लिए एक नए रणनीतिक अध्याय की शुरुआत होगी। उनका कार्यकाल 2031 तक चलेगा, जो उन्हें इलेक्ट्रिक और डिजिटल नवाचार की अगली लहर के बीच बीएमडब्ल्यू का नेतृत्व करने के लिए एक लंबा अवसर प्रदान करेगा।

बीएमडब्ल्यू को नए नेतृत्व की आवश्यकता क्यों पड़ी

पिछले कुछ वर्षों में बीएमडब्ल्यू को चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं से बढ़ती प्रतिस्पर्धा, बढ़ती लागत और अमेरिकी बाज़ार में नए टैरिफ जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इन दबावों के कारण कंपनी को अपना 2025 का आय अनुमान कम करना पड़ा, जिससे निकट भविष्य की कठिन आर्थिक परिस्थितियों का संकेत मिलता है। अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए, बीएमडब्ल्यू अपनी अगली पीढ़ी की इलेक्ट्रिक कारों—विशेष रूप से पूर्णतः इलेक्ट्रिक “नॉय क्लासे” (Neue Klasse) मॉडल्स—पर बड़ा दांव लगा रही है, जिनसे 2026 के बाद तेजी से विकास की उम्मीद है। इस बदलाव को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए नया नेतृत्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मिलान नेडेल्जकोविक कौन हैं?

मिलान नेडेल्जकोविक, उम्र 56 वर्ष, बीएमडब्ल्यू के लिए कोई नया नाम नहीं हैं। 1993 में कंपनी से जुड़ने के बाद, उन्होंने पिछले तीन दशकों में गहन तकनीकी विशेषज्ञता और वैश्विक उत्पादन नेतृत्व पर आधारित एक उत्कृष्ट करियर बनाया है। उनकी व्यापक अनुभव और उत्पादन क्षेत्र में मजबूत पकड़ उन्हें बीएमडब्ल्यू के बदलाव और नवाचार के अगले चरण का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त बनाती है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

सर्बिया में जन्मे मिलान नेडेल्जकोविक ने जर्मनी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और आगे चलकर अमेरिका के प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में उच्च अध्ययन पूरा किया। उनकी मजबूत इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि को हमेशा उनकी सबसे बड़ी ताकतों में से एक माना जाता है।

बीएमडब्ल्यू में करियर सफर

बीएमडब्ल्यू में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान नेडेल्ज़कोविच ने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं—

  • ऑक्सफोर्ड स्थित बीएमडब्ल्यू के MINI प्लांट में पेंट शॉप का प्रबंधन

  • बीएमडब्ल्यू के म्यूनिख प्लांट के प्रबंध निदेशक

  • 2019 में बीएमडब्ल्यू के प्रबंधन बोर्ड में शामिल

  • वैश्विक उत्पादन प्रमुख के रूप में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर कंपनी के महत्वपूर्ण बदलाव का नेतृत्व

उत्पादन प्रणालियों को सरल बनाने और बीएमडब्ल्यू के विश्वभर के प्लांट संचालन को प्रभावी ढंग से संभालने की उनकी क्षमता ने उन्हें CEO पद के लिए स्वाभाविक विकल्प बना दिया।

उद्योग जगत में सराहना

बीएमडब्ल्यू की पर्यवेक्षी बोर्ड के अध्यक्ष निकोलस पीटर ने नेडेल्जकोविक की नेतृत्व शैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे “लोगों को एकजुट करते हैं और उन्हें उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रेरित करते हैं।” मेट्ज़लर के विश्लेषक पाल स्किर्टा सहित कई विशेषज्ञों ने माना कि बीएमडब्ल्यू के विभिन्न केंद्रों पर उनका व्यापक अनुभव आने वाली चुनौतियों के लिए उन्हें पूरी तरह तैयार करता है।

पूर्व CEO ओलिवर ज़िप्से का आगे क्या?

61 वर्षीय ओलिवर ज़िप्से बीएमडब्ल्यू के आधुनिक दौर के एक प्रमुख नेता रहे हैं। कंपनी में 35 वर्ष बिताने के बाद वे मई 2026 में पद छोड़ देंगे—यह विस्तार सामान्य से अधिक सेवानिवृत्ति आयु तक दिया गया था। अपने कार्यकाल में उन्होंने:

  • कोविड-19 महामारी के दौर में बीएमडब्ल्यू को सफलतापूर्वक संभाला

  • वैश्विक व्यवधानों के बीच सप्लाई चेन को मजबूत किया

  • आने वाली “Neue Klasse” इलेक्ट्रिक वाहन आर्किटेक्चर की नींव रखी

वे जल्द ही एयरबस बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से जुड़ने वाले हैं, जिससे वे यूरोप के रणनीतिक उद्योगों पर अपना प्रभाव जारी रखेंगे।

निकोलस पीटर ने उन्हें “नॉय क्लासे के पीछे की प्रेरक शक्ति” बताया और बीएमडब्ल्यू की इलेक्ट्रिक भविष्य रोडमैप में उनके योगदान को सराहा।

नया नेतृत्व बीएमडब्ल्यू के भविष्य के लिए क्या मायने रखता है

मिलान नेडेल्जकोविक की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब:

  • इलेक्ट्रिक वाहन बाज़ार में प्रतिस्पर्धा तेज़ होती जा रही है, खासकर चीनी ब्रांडों की आक्रामक वृद्धि के कारण।

  • अमेरिका के उच्च टैरिफ जर्मन कार निर्माताओं के लिए नई चुनौतियाँ पैदा कर रहे हैं।

  • उपभोक्ता तेजी से सॉफ्टवेयर-आधारित और पर्यावरण-अनुकूल वाहनों की ओर झुक रहे हैं।

उत्पादन क्षेत्र में नेडेल्जकोविक की गहरी विशेषज्ञता से उम्मीद है कि बीएमडब्ल्यू लागत को अधिक कुशल बनाएगी, निर्माण प्रक्रियाओं को लचीला करेगी और EV विकास को गति देगी।

2026 में Neue Klasse मॉडल लॉन्च के साथ, बीएमडब्ल्यू को आशा है कि यह नेतृत्व परिवर्तन वैश्विक बाजार में उसकी स्थिति को और मजबूत करेगा।

Amul ने अर्जेंटीना फुटबॉल संघ के साथ क्षेत्रीय प्रायोजक के रूप में अनुबंध बढ़ाया

भारतीय डेयरी दिग्गज अमूल ने अर्जेंटीना फ़ुटबॉल एसोसिएशन (AFA) के साथ अपनी साझेदारी को एक और सत्र के लिए नवीनीकृत कर दिया है। यह नया समझौता लगातार चौथे वर्ष के सहयोग को दर्शाता है और अब फीफा विश्व कप 2026 तक जारी रहेगा।

अमूल 2022 में अर्जेंटीनी फुटबॉल के इतिहास में पहला भारतीय क्षेत्रीय प्रायोजक बना था, जिससे यह विस्तार दोनों ब्रांडों के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बन गया है।

फुटबॉल में एक ऐतिहासिक साझेदारी

AFA के अध्यक्ष क्लाउडियो फेबियन तापिया ने इस साझेदारी पर खुशी जताते हुए कहा कि यह अर्जेंटीनी फुटबॉल और भारत के बीच बढ़ते संबंधों का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि अमूल का भरोसा दोनों देशों के प्रशंसकों और समुदायों के बीच साझा विकास, जुनून और संबंधों को मजबूत करता है।

वैश्विक खेल ब्रांड के रूप में अमूल की भूमिका

अमूल के प्रबंध निदेशक जयन मेहता ने कहा कि ब्रांड का दुनिया भर के फुटबॉल प्रशंसकों से एक खास जुड़ाव है। उन्होंने कहा, “जिस तरह फुटबॉल सीमाओं के पार दिलों को जोड़ता है, उसी तरह अमूल भी दिलों को जोड़ता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि दूध—जिसे दुनिया का मूल ऊर्जा पेय माना जाता है—आज भी खिलाड़ियों और सपनों को पीढ़ियों से ऊर्जा देता आ रहा है।

खेल और पोषण का मेल

अमूल की यह साझेदारी खेल और पोषण की साझा ऊर्जा का उत्सव है। फीफा विश्व कप 2022 के चैंपियन अर्जेंटीना का समर्थन करके ब्रांड यह संदेश देता है कि स्वस्थ पोषण, मैदान के भीतर और बाहर, प्रदर्शन, जुनून और समर्पण को मजबूत करता है।

विश्व कप 2026 की ओर

इस नवीनीकृत प्रायोजन से अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में अमूल की मौजूदगी और मजबूत होती है। यह भारत और दुनिया भर के प्रशंसकों को प्रेरित करता है।
आगामी विश्व कप 2026 के साथ यह साझेदारी रोमांचक पहल, प्रशंसक सहभागिता और फुटबॉल तथा पोषण के संयुक्त उत्सव को सामने लाने का वादा करती है।

आत्मनिर्भर भारत की तरफ भारतीय रेलवे, अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की कर रहा तैयारी

भारतीय रेल ने अपनी पहली हाइड्रोजन-संचालित ट्रेन चलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण नया प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह ट्रेन एक पायलट मॉडल के रूप में तैयार की गई है, ताकि यह दिखाया जा सके कि भविष्य में रेल परिवहन के लिए हाइड्रोजन को स्वच्छ ईंधन के रूप में कैसे प्रयोग किया जा सकता है। यह परियोजना अनुसंधान, डिज़ाइन एवं मानक संगठन (RDSO) द्वारा तैयार किए गए मानकों पर आधारित है। लोकसभा में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस नए विकास के बारे में जानकारी साझा की।

भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन

मंत्री ने बताया कि भारत की हाइड्रोजन ट्रेन का निर्माण पूर्ण रूप से पूरा हो चुका है। इसके सुचारु संचालन के लिए हरियाणा के जींद में एक विशेष हाइड्रोजन प्लांट की योजना भी बनाई गई है। यह प्लांट इलेक्ट्रोलाइसिस के माध्यम से हाइड्रोजन तैयार करेगा, जो स्वच्छ और हरित हाइड्रोजन उत्पादन का एक महत्वपूर्ण तरीका है।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में गर्व का कदम

यह नया हाइड्रोजन ट्रेन-सेट पूरी तरह भारत में ही डिजाइन और विकसित किया गया है। यह भारतीय रेल के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने के मजबूत प्रयासों को दर्शाता है। ट्रेन में उन्नत तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसे पूरी तरह देश के भीतर विकसित किया गया है।

विश्व की सबसे लंबी और सबसे शक्तिशाली ब्रॉड-गेज हाइड्रोजन ट्रेन

रेल मंत्री के अनुसार, यह हाइड्रोजन ट्रेन वर्तमान में दुनिया की सबसे लंबी हाइड्रोजन ट्रेन है, जिसमें 10 कोच हैं। यह सबसे शक्तिशाली भी है, जो ब्रॉड-गेज ट्रैक पर 2400 kW की क्षमता पैदा करती है। इसमें दो ड्राइविंग पावर कारें हैं, जिनमें से प्रत्येक 1200 kW की शक्ति उत्पन्न करती है, और आठ यात्री कोच शामिल हैं।

शून्य प्रदूषण: केवल जलवाष्प का उत्सर्जन

इस ट्रेन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित नहीं करती। चूंकि यह हाइड्रोजन पर आधारित है, इसलिए इसका एकमात्र उत्सर्जन जलवाष्प है। यह ट्रेन को पर्यावरण-अनुकूल बनाता है और रेलों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

अगली पीढ़ी की ईंधन तकनीक की शुरुआत

वैष्णव ने कहा कि यह परियोजना भारतीय रेल में नई ईंधन तकनीक के उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करती है। पूरे सिस्टम—डिज़ाइन से लेकर प्रोटोटाइपिंग और हाइड्रोजन ट्रैक्शन निर्माण—को पहली बार तैयार किया गया है। चूँकि यह एक पायलट परियोजना है, इसलिए इसकी लागत की तुलना सामान्य ट्रेन प्रणालियों से करना उचित नहीं है।

हरित परिवहन भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता

हाइड्रोजन ट्रेन परियोजना स्पष्ट रूप से भारतीय रेल की स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह वैकल्पिक ईंधनों के उपयोग और भविष्य के लिए एक अधिक टिकाऊ एवं पर्यावरण-अनुकूल परिवहन प्रणाली बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत है।

विज्ञानिका 2025: साहित्य और रचनात्मक संचार के माध्यम से विज्ञान को बढ़ावा देना

विज्ञानिका: विज्ञान साहित्य महोत्सव 2025 का आयोजन 8–9 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (IISF) के प्रमुख भाग के रूप में किया गया। यह कार्यक्रम CSIR–NIScPR द्वारा विज्ञान भारती (VIBHA), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियोरोलॉजी (IITM), पुणे, और पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के सहयोग से आयोजित किया गया। महोत्सव का उद्देश्य यह दिखाना था कि विज्ञान को सरल भाषा, रचनात्मक लेखन और भारतीय सांस्कृतिक रूपों के माध्यम से आम लोगों तक कैसे पहुँचाया जा सकता है। कार्यक्रम में कई जाने-माने वैज्ञानिकों, लेखकों, संपादकों और विज्ञान संचारकों ने भाग लिया, जिससे विज्ञान की लोकप्रियता और जनसंपर्क को नई दिशा मिली।

उद्घाटन सत्र: भारतीय विज्ञान में साहित्य और मीडिया की भूमिका

महोत्सव की शुरुआत “भारतीय विज्ञान विमर्श में साहित्य और संचार माध्यमों की भूमिका” विषयक उद्घाटन सत्र से हुई।
वक्ताओं ने बताया कि कैसे साहित्य और संचार के आधुनिक साधन भारत में वैज्ञानिक सोच को आकार देते हैं।

  • डॉ. परमानंद बर्मन (CSIR–NIScPR) ने महोत्सव का परिचय प्रस्तुत किया।

  • डॉ. नील सरोवर भावेश (VIBHA) ने बताया कि भारत को सांस्कृतिक रूप से जुड़े विज्ञान संचार की आवश्यकता क्यों है।

  • श्री विवेकानंद पै (महासचिव, VIBHA) ने मुख्य वक्तव्य देते हुए विज्ञान संचार में भारतीय दृष्टिकोण की अहमियत पर प्रकाश डाला।

  • प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर, पूर्व कुलपति, पंजाब विश्वविद्यालय ने भारत की वैज्ञानिक संस्थाओं की समृद्ध परंपरा का उल्लेख किया।

  • डॉ. गीता वाणी रयसाम, निदेशक, CSIR–NIScPR ने जनसामान्य के लिए विज्ञान को सरल बनाने के प्रयासों पर बात की।

  • डॉ. रश्मि शर्मा (NCSTC, DST) ने विज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने की आधुनिक तकनीकों पर चर्चा की।

  • डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव (IITM) ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

विज्ञान कवि सम्मेलन: कविता में विज्ञान का स्पर्श

पहले दिन आयोजित विशेष विज्ञान कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध कवियों ने विज्ञान और कविता का सुंदर संगम प्रस्तुत किया।

भाग लेने वाले प्रमुख कवि थे—
प्रो. मनोज कुमार पाटेरिया, प्रो. राजेश कुमार, मोहन सगोڑिया, राधा गुप्ता, प्रो. नीरा राघव, यशपाल सिंह ‘यश’, TSRS संदीप और डॉ. अनुराग गौर।

इनकी रचनाओं ने दिखाया कि वैज्ञानिक विचारों को भावपूर्ण और सरल भाषा में कितनी खूबसूरती से समझाया जा सकता है।

दूसरा दिन: आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान

दूसरे दिन का सत्र “विज्ञान से समृद्धि – फॉर आत्मनिर्भर भारत” विषय पर केंद्रित था। इसमें भारत के पारंपरिक ज्ञान और उसकी वैज्ञानिक प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा हुई।

मुख्य वक्ता थे—

  • डॉ. अरविंद रणड़े, निदेशक, NIF – पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा और उसके मूल धारकों को सम्मान देने की आवश्यकता पर जोर।

  • डॉ. विश्वजननी जे. सट्टीगेरी (CSIR–TKDL) – पारंपरिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण और साझा करने के महत्व पर प्रकाश।

  • डॉ. एन. श्रीकांत (CCRAS) – पारंपरिक पद्धतियों में वैज्ञानिक मूल्य जोड़ने पर चर्चा।

  • डॉ. कणुप्रिया वशिष्ठ (DBT–BIRAC) – जीवन विज्ञान और बायोटेक्नोलॉजी में हाल के नवाचारों को रेखांकित किया।

सत्र में यह संदेश सामने आया कि भारत का प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान एक साथ मिलकर राष्ट्र की प्रगति को तेज कर सकते हैं।

अपनी भाषा अपना विज्ञान: भारतीय भाषाओं की शक्ति

अपनी भाषा अपना विज्ञान” शीर्षक वाली पैनल चर्चा में इस बात पर जोर दिया गया कि जब विज्ञान को भारतीय भाषाओं में साझा किया जाता है, तो लोग उसे अधिक आसानी से समझते हैं।

प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर, श्री देबोब्रत घोष, डॉ. मनीष मोहन गोरे, डॉ. एच. एस. सुधीरा और डॉ. ननाओचा शर्मा ने बताया कि मातृभाषा में विज्ञान संचार से समाज में वैज्ञानिक जागरूकता तेज़ी से बढ़ती है।

 

थाईलैंड में 33वें दक्षिण पूर्व एशियाई खेलों की शुरुआत

थाईलैंड में 9 दिसंबर को 33वें दक्षिण–पूर्व एशियाई खेलों (SEA Games 2025) की आधिकारिक शुरुआत हुई, जो क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित बहु–खेल आयोजनों में से एक है। बैंकॉक और चोनबुरी प्रांत में आयोजित इस संस्करण में हज़ारों खिलाड़ी और दर्शक एथलेटिक उत्कृष्टता, क्षेत्रीय एकता और सांस्कृतिक गौरव का उत्सव मनाने के लिए एकजुट हुए हैं। प्रतिष्ठित राजमंगला नेशनल स्टेडियम में आयोजित उद्घाटन समारोह ने दक्षिण–पूर्व एशिया की तेजी से विकसित होती खेल पारिस्थितिकी का भव्य आग़ाज़ किया।

भव्य मंच: थाईलैंड में 13,000 से अधिक खिलाड़ी

समृद्ध खेल धरोहर और बड़े आयोजन करने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध थाईलैंड इस बार 13,000 से अधिक खिलाड़ियों की मेज़बानी कर रहा है। यह पैमाना SEA Games को एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेल मंच के रूप में स्थापित होने का संकेत देता है, जिसमें दक्षिण–पूर्व एशियाई क्षेत्र के सभी सदस्य देशों की मजबूत भागीदारी शामिल है।

प्रतिभागी 11 देश

इस वर्ष SEA Games 2025 में भाग लेने वाले 11 देश हैं—

  1. थाईलैंड (मेज़बान)

  2. मलेशिया

  3. इंडोनेशिया

  4. कंबोडिया

  5. फ़िलिपींस

  6. सिंगापुर

  7. म्यांमार

  8. वियतनाम

  9. लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक

  10. ब्रुनेई दारुस्सलाम

  11. डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ तिमोर-लेस्ते

यह विविध भागीदारी दक्षिण–पूर्व एशिया में कूटनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को मज़बूत करते हुए खेलों की एकता–परक भूमिका को और सुदृढ़ करती है।

50 मेडल स्पोर्ट्स में प्रतियोगिता

खिलाड़ी कुल 50 पदक खेलों में हिस्सा लेंगे, जिनमें शामिल हैं—

  • ओलंपिक खेल जैसे एथलेटिक्स, तैराकी, बैडमिंटन और फ़ुटबॉल

  • दक्षिण–पूर्व एशियाई पारंपरिक खेल, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं

इन दोनों का मिश्रण खेलों को वैश्विक रूप से प्रासंगिक और सांस्कृतिक रूप से जड़ित बनाए रखता है, जिससे उभरते खिलाड़ियों को मंच मिलता है और क्षेत्रीय परंपराएँ भी संरक्षित रहती हैं।

मुख्य बिंदु (Key Takeaways)

  • 33वें SEA Games 2025 की शुरुआत 9 दिसंबर को थाईलैंड में हुई।

  • आयोजन स्थल: बैंकॉक और चोनबुरी प्रांत।

  • उद्घाटन समारोह: राजमंगला नेशनल स्टेडियम

  • 13,000+ खिलाड़ी भाग ले रहे हैं।

  • कुल 11 दक्षिण–पूर्व एशियाई देश प्रतियोगिता में शामिल हैं।

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